मास्टर परिपत्र-भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों से छूट - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर परिपत्र-भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों से छूट
भारिबैं/2015-16/15 1 जुलाई 2015
महोदय, मास्टर परिपत्र-भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों से छूट जैसा कि आप विदित है कि उल्लिखित विषय पर सभी मौजूदा अनुदेश एक स्थान पर उपलब्ध कराने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने विभिन्न विषयों परिपत्र/अधिसूचनाएं जारी किया है। उक्त विषय पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी विभिन्न परिपत्रों को 30 जून 2015 तक अद्यतन कर निम्नवत प्रस्तुत किया गया है। दिया गया है। अद्यतन मास्टर परिपत्र बैंक की वेब साइट (http://www.rbi.org.in/). पर भी उपलब्ध है। भवदीय, (सी डी श्रीनिवासन)
भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के अध्याय III- बी या उसके किसी भाग से कुछ कंपनियों/संस्थाओं(इंटिटीज़) को छूट देने के लिए समय-समय पर अधिसूचनाएं जारी की हैं। जहाँ मास्टर परिपत्र प्रयोगकर्ताओं को समेकित परिपत्र के लाभ देने के लिए तैयार किया गया है, वहीं परिचालन के प्रयोजनार्थ वे संबंधित अधिसूचनाओं में अंतर्विष्ट अनुदेशों/निदेशों को देखने का कष्ट करें। मास्टर परिपत्र अनुबंध में अंकित अधिसूचनाओं पर आधारित है। 2 भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के अध्याय III- बी के प्रावधानों से छूट- (i) 1आवास वित्त संस्थाएं रिज़र्व बैंक ने उस गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के अध्याय III बी के प्रावधानों से छूट दी है जो राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987 की धारा 2(डी) की परिभाषा के अनुसार एक आवास वित्त संस्था है। (ii) मर्चेंट बैंकिंग कंपनी2 मर्चेंट बैंकिंग कंपनी को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45-IA (पंजीकरण और निवल स्वाधिकृत निधि संबंधी अपेक्षा), धारा 45-IB (चल परिसंपत्तियॉं रखना), धारा 45-IC (प्रारक्षित निधि का निर्माण), 3गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी जनता से जमाराशि स्वीकरण (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998 और 4गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ विवेकपूर्ण मानदण्ड (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998 के प्रावधानों से छूट दी गई है बशर्ते वह निम्नलिखित शर्तों का अनुपालन/ को पूरा करती हो: ए) वह भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के पास भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 की धारा 12 के अंतर्गत मर्चेंट बैंकर के रूप में पंजीकृत हो और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड मर्चेंट बैंकर (नियमावली), 1992 तथा भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड मर्चेंट बैंकर (विनियमावली), 1992 के अनुसार मर्चेंट बैंकर का काम कर रही हो; बी) केवल मर्चेंट बैंकिंग के कारोबार के भाग के रूप में प्रतिभूतियों को अधिग्रहीत करती हो; सी) भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45-I(c) में यथावर्णित कोई अन्य वित्तीय कार्य नहीं करती हो; और डी) 31 जनवरी 1998 की अधिसूचना सं.DFC.118/DG(SPT)-98 के पैराग्राफ 2(1)(xii) में यथा परिभाषित जनता से जमाराशियां न तो स्वीकार करती हो और न रखती हो। (iii) माइक्रो फाइनेंस कंपनियाँ भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934(1934 का 2) की धारा 45-IA, 45-IB तथा 45-IC किसी ऐसी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी पर लागू नहीं होंगीं ; जोकि ए) माइक्रो फायनांस5 कारोबार में लगी हो और किसी गरीब व्यक्ति को अपनी आय बढ़ाने और अपना जीवन स्तर ऊंचा उठाने के लिए कारोबारी उद्यम हेतु ₹ 50,000/- एवं आवासीय इकाई की लागत को पूरा करने के लिए ₹ 1,25,000/- से अधिक का ऋण उपलब्ध न करा रही हो; और बी) कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 25 के अंतर्गत लाइसेंस प्राप्त हो; और सी) 31 जनवरी 1998 की अधिसूचना सं.DFC.118/DG(SPT)-98 के पैराग्राफ 2(1)(xii) में यथा परिभाषित जनता से जमाराशियां न स्वीकार करती हो। (iv) परस्पर लाभ कंपनियाँ (MBC) भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934(1934 का 2) की धारा 45-IA, 45-IB तथा 45-IC किसी ऐसी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी पर लागू नहीं होंगीं जोकि (i) 31 जनवरी 1998 की अधिसूचना सं.DFC.118/DG(SPT)/98 में अंतर्विष्ट गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी जनता से जमाराशि स्वीकरण (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998 के पैराग्राफ 2(1)(ixa) में परिभाषित एक परस्पर लाभ कंपनी (MBC) है। परस्पर लाभ कंपनी (MBC) का अर्थ ऐसी कंपनी से है जिसे कंपनी अधिनियम, 1956(1956 का 1) की धारा 620A के अतर्गत अधिसूचित नहीं किया गया है और जो गैर बैंकिंग वित्तीय संस्था का कार्य ए) 9 जनवरी 1997 को कर रही हे; और बी) जिसकी सकल निवल स्वाधिकृत निधियाँ और अधिमानी शेयरपूंजी दस लाख रुपए से कम नहीं है; और सी) जिसने 9 जुलाई 1997 को या उससे पूर्व पंजीकरण प्रमाण पत्र जारी करने के लिए रिज़र्व बैंक को आवेदन किया है ; और डी) जो केंद्र सरकार द्वारा निधि कंपनियें को कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 637A के अंतर्गत जारी निदेशों के संबंधित प्रावधानों में अंतर्विष्ट अपेक्षाओं का अनुपालन करती है। भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934(1934 का 2) की धारा 45- IB व धारा 45- IC, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी जनता से जमाराशि स्वीकरण (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998 के पैरा 4 से 7 और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ विवेकपूर्ण मानदण्ड (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998 के पैराग्राफ 13A को छोड़कर जो कंपनी के पते, निदशकों, लेखापरीक्षकों, आदि में परिवर्तन से संबंधित जानकारी रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत करने से संबंधित है,किसी ऐसी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी पर लागू नहीं होंगे जिसे भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) की धारा 45 I(f) में सरकारी कंपनियों6 के रूप में परिभाषित किया गया है व जैसाकि कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 617 में परिभाषित है। एक सरकारी कंपनी वह कंपनी है जिसकी प्रदत्त पूंजी के 51% से अन्यून केंद्र सरकार या किसी राज्य सरकार या सरकारों या अंशत: केंद्र सरकार द्वारा और अंशत: एक या अधिक राज्य सरकार/रों के पास है, और जिसमें वह कंपनी भी शामिल है जो किसी सरकारी कंपनी की अनुषंगी कंपनी हैं जैसाकि इस संबंध में परिभाषित है। (vi) 7वेंचर कैपिटल फंड कंपनियां भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934(1934 का 2) की धारा 45- IA और 45- IC, 31 जनवरी 1998 की अधिसूचना सं.DFC.118/DG(SPT)/98, 31 जनवरी 1998 की अधिसूचना सं.DFC.119/DG(SPT)/98 उस गेर बैंकिंग वित्तीय कंपनी पर लागू नहीं होंगी जो एक वेंचर कैपिटल फंड कंपनी है व जिसने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992(1992 का 15) की धारा 12 के अंतर्गत पंजीकरण प्रमाण पत्र प्राप्त किया है तथा जो 31 जनवरी 1998 की अधिसूचना सं.DFC.118/DG(SPT)/98 के पैरा 2(1)(xii) में यथा परिभाषित जनता से जमाराशियां नहीं स्वीकार कर रही है और उनकी गैर धारक है। (vii) बीमा / स्टाक एक्सचेंज / स्टाक ब्रोकर / सब ब्रोकर भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934(1934 का 2) की धारा 45- IA, 45 -IB , 45- IC, 45 -MB तथा 45- MC के प्रावधान और 31 जनवरी 1998 की अधिसूचना सं.DFC. 118/DG(SPT)/98 में अंतर्विष्ट गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी जनता से जमाराशि स्वीकरण (रिज़र्व बैंक) निदेश, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ विवेकपूर्ण मानदण्ड (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998 के प्रावधान किसी ऐसी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनीं पर लागू नहीं होंगे जिनके पास 31 जनवरी 1998 की अधिसूचना सं. DFC. 118/DG(SPT)/98 के पैराग्राफ 2(1)(xii) में यथा परिभाषित जनता की जमाराशियाँ नहीं हैं या जो उन्हें स्वीकार नहीं करती हैं; और ए) उसके पास बीमा अधिनियम, 1938 (1938 का IV) की धारा 3 के अंतर्गत जारी वैध पंजीकरण प्रमाण पत्र है और वह बीमा करोबार8 कर रही है ; बी) प्रतिभूति संविदा (विनियमन) अधिनियम, 1956 (1956 का 42) की धारा 4 के अंतर्गत मान्यता प्राप्त स्टाक एक्स्चेंज है; और सी) भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992(1992 का 15) की धारा 12 के अंतर्गत स्टाक ब्रोकर या सब ब्रोकर का कारोबार वैध पंजीकरण प्रमाण पत्र लेकर कर रहा/रही है। (ए) 9निधि कंपनियाँ भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934(1934 का 2) की धाराएं 45- IA, 45- IB व 45- IC निम्नलिखित स्वरूप की किसी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी लागू नहीं होगी:- जो कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) की धारा 620A के अंतर्गत अधिसूचित हो और जिसे निधि कंपनी के नाम से जाना जाता हो; और 10["गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी जनता की जमाराशि स्वीकरण (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998 के प्रावधान किसी परस्पर लाभ वित्त कंपनी या परस्पर लाभ कंपनी पर लागू नहीं होंगे, बशर्ते परस्पर लाभ कंपनी का आवेदनपत्र भारत सरकार द्वारा कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) के प्रावधानों के अंतर्गत अस्वीकार न किया गया हो।" ] चिट फंड अधिनियम, 1982(1982 का 40 नं.) की धारा 2 के खंड(b) में यथा परिभाषित चिट का कारोबार कर रही हो। (सी) प्रतिभूतिकरण एवं पुनर्संरचना कंपनियाँ (SC/RC)11 वित्तीय परिसंपत्तियों के प्रतिभूतिकरण एवं पुनर्संरचना तथा प्रतिभूति ब्याज(हित) प्रवर्तन अधिनियम, 2002 की धारा 3 के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक के पास पंजीकृत प्रतिभूतिकरण एवं पुनर्संरचना कंपनी। (डी) बंधक(मार्गेज) गारंटी कंपनी12 बंधक(मार्गेज) गारंटी कंपनियाँ जो भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) की धारा 45-झ(च)(iii) के अंतर्गत, केंद्र सरकार की पूर्वानुमति से, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के रूप में यथा अधिसूचित एवं एक कंपनी जो इस संबंध में बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी के रूप में पंजीकरण योजना के अंतर्गत बैंक के पास पंजीकृत है। (ई) कोर निवेश कंपनियां13 (i) अधिनियम 45-I क का प्रावधान , कोर निवेश कंपनी (रिजर्व बैंक) निदेश 2011 में संदर्भित कोर निवेश कंपनी वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी पर लागू नहीं होती जो कोर निवेश कंपनी (रिजर्व बैंक) निदेश 2011 के खण्ड (ज) के उप पैराग्राफ (1) के पैराग्राफ 3 में परिभाषित प्रणालीगत महत्त्वपूर्ण कोर निवेश कंपनी नहीं है . ; (ii) अधिनियम 45-I क (1)(ख) का प्रावधान, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी वाली कोर निवेश कंपनी (रिजर्व बैंक) निदेश 2011 में परिभाषित प्रणालीगत महत्त्वपूर्ण कोर निवेश कंपनी पर लागू नहीं होती, बशर्ते यह उक्त निदेश में निहित पूंजी आवश्यकताओं तथा लाभ अनुपात का अनुपालन करती है. 14(iii) प्रणालीगत महत्वपूर्ण गैर बैंकिंग वित्तीय (जमाराशि नहीं स्वीकार या धारण नहीं करने वाली) कंपनी विवेकपूर्ण मानदंड (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2015 अथवा गैर प्रणालीगत महत्वपूर्ण गैर बैंकिंग वित्तीय (जमाराशि नहीं स्वीकार या धारण नहीं करने वाली) कंपनी विवेकपूर्ण मानदंड (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2015 कोर निवेश कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2011 (जिसे इसके बाद सीआईसी निदेश कहा जाएगा) में वर्णित कोर निवेश कंपनी बनने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी पर लागू नहीं होगा तथा जो सीआईसी निदेश के पैरा 3 के उप पैरा (1) खंड (एच) में वर्णित प्रणालीगत महत्वपूर्ण कोर निवेश कंपनी नहीं है। (iv) गैर प्रणालीगत महत्वपूर्ण गैर बैंकिंग वित्तीय (जमाराशि नहीं स्वीकार या धारण नहीं करने वाली) कंपनी विवेकपूर्ण मानदंड (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2015 के पैराग्राफ 15,16 और 17 का प्रावधान तथा प्रणालीगत महत्वपूर्ण गैर बैंकिंग वित्तीय (जमाराशि नहीं स्वीकार या धारण नहीं करने वाली) कंपनी विवेकपूर्ण मानदंड (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2015 का पैराग्राफ 15,16 और 24 का प्रावधान सीआईसी निदेश में वर्णित प्रणालीगत महत्वपूर्ण कोर निवेश कंपनी पर लागू नहींहोगा बशर्ते कोर निवेश कंपनी वार्षिक लेखापरीक्षा प्रमाणपत्र प्रस्तुत करती है तथा कोर निवेश कंपनी निदेश में निहित पूंजी आवश्यकताओं तथा लाभ अनुपात के आवश्यकताओं का अनुपालन करती है. ". (एफ) 15गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं द्वारा प्रीपेड भुगतान लिखत जारी करना भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम , 1934 के अध्याय lll बी के प्रावधानों गैर बैंकिंग संस्थाओं पर लागू नहीं होंगे जो भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम , 2007 (2007 का 51) के तहत प्रीपेड भुगतन लिखत जारी करने के लिए तथा भुगतान प्रणाली का कार्य करने के लिए प्राधिकृत हैं। यह छूट केवल गैर बैंकिंग संस्थाओं द्वारा प्रीपेड भुगतान लिखत जारी कर राशि प्राप्त करने तक सीमित और प्रतिबंधित होगा।
1अधिसूचना सं.डीएफसी(सीओसी) सं.112/ईडी(एसजी)/97 सपठित 18 जून 1997 का परिपत्र सं. डीएफसी(सीओसी) 4438/02.04/96-97 2अधिसूचना सं.डीएफसी 123/ईडी(जी)/98 दिनांक 3 फरवरी 1998 3अधिसूचना सं. डीएफसी(सीओसी) सं.118/DG(SPT)/98 दिनांक 31 जनवरी 1998 4अधिसूचना सं. डीएफसी(सीओसी) सं.119/DG(SPT)/98 दिनांक 31 जनवरी 1998 5अधिसूचना सं.डीएनबीएस्138/सीजीएम (वीएसएनएम) -2000 सपठित 13 जनवरी 2000 का परिपत्र सं.डीएनबीएस (पीडी)सीसी 12/02.01/99-2000 6अधिसूचना सं.डीएनबीएस 134,135,138/सीजीएम(वीएसएनएम)-2000 सपठित 13 जनवरी 2000 का परिपत्र सं. डीएनबीएस(पीडी)सीसी 13/02.01/99-2000 7अधिसूचना सं.डीएनबीएस 136/सीजीएम(सीएसएम)-2002 सपठित 28 नवंबर 2002 का परिपत्र सं. डीएनबीएस(पीडी)सीसी 22/02.59/2002-03 8अधिसूचना सं.डीएनबीएस 164/सीजीएम(सीएसएम)-2003 सपठित 8 जनवरी 2003 का परिपत्र सं. डीएनबीएस(पीडी)सीसी.23/01.18/2002-03 9अधिसूचना सं.डीएनबीएस 164/सीजीएम(सीएसएम)-2003 सपठित 8 जनवरी 2003 का परिपत्र सं.डीएनबीएस(पीडी)सीसी. 23/01.18/2002-03 1022 नवंबर 2007 की अधिसूचना सं.गैबैंपवि.197/मुमप्र(पीके)-2007 के द्वारा जोड़ा गया। 1128 अगस्त 2003 की अधिसूचना सं. गैबैंपवि.3/सीजीएम(ओपी)-2003 1215 जनवरी 2008 के गैबैंपवि.(नीति प्रभा)(एमजीसी) कंपरि.सं.111/03.11.001/2007-08 के साथ पठित अधिसूचना सं. गैंबैंपवि.(एमजीसी) 2/सीजीएम(पीके)-2008। 135 जनवरी 2011 की अधिसूचना सं: डीएनबीएस (पीडी)220/सीजीएम(युएस)-2011 द्वारा जोडा गया 1427 मार्च 2015 का गैबैंविवि(नीप्र)कंपरि.सं.024/03.10.001/2014-15 द्वारा शामिल किया गया। 1524 जनवरी 2014 का गैबैंपवि(नीप्र)कंपरि.सं.368/03.10.01/2013-14 द्वारा जोड़ा गया। |