एजेंसी बैंक द्वारा सरकारी कारोबार पर मास्टर परिपत्र – एजेंसी कमीशन का भुगतान - आरबीआई - Reserve Bank of India
एजेंसी बैंक द्वारा सरकारी कारोबार पर मास्टर परिपत्र – एजेंसी कमीशन का भुगतान
आरबीआई/2013-14/100 1 जुलाई 2013 सभी एजेंसी बैंक महोदया / महोदय, एजेंसी बैंक द्वारा सरकारी कारोबार पर मास्टर परिपत्र – एजेंसी कमीशन का भुगतान रिज़र्व बैंक समय-समय पर बैंकों को देय एजेंसी कमीशन पर विभिन्न निर्देश जारी करता है। ये निर्देश हमारे मास्टर परिपत्र आरबीआई/2012-13/102 (डीजीबीए.जीएडी.सं.एच-10/31.12.010/2012-13) दिनांक 02 जुलाई 2012 में निहित थे। संशोधित परिपत्र की प्रति संलग्न है। आप इस परिपत्र को बैंक की वेबसाइट /en/web/rbi/notifications/master-circulars पर भी देख सकते हैं। 2. कृपया प्राप्ति सूचना भेजें। भवदीय (बी. के. मिश्रा) अनुलग्नक: यथोक्त। एजेंसी कमीशन के संबंध में मास्टर परिपत्र 1. सरकारी लेनदेन हेतु बैंकों को देय एजेंसी कमीशन [डीजीबीए.जीएडी. सं.एच.7575/31.12.011/11-12) दिनांक 22 मई 2012] भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45 के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक केंद्र और राज्य सरकारों के सामान्य बैंकिंग कारोबार को अपने स्वयं के कार्यालयों के माध्यम से और आपसी समझौते से नियुक्त एजेंसी बैंकों के कार्यालयों के माध्यम से चलाता है। एजेंसी बैंकों द्वारा किए जाने वाले सरकारी कारोबार के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक उन्हें एजेंसी कमीशन (जिसे टर्नओवर कमीशन भी कहा जाता है) का भुगतान करता है। एजेंसी बैंक समझौते के पैरा 5 के अनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक इसके द्वारा निर्धारित दर पर एजेंसी कमीशन भुगतान करता है। इस संबंध में इसकी समीक्षा की गई और यह निर्णय लिया गया है कि संशोधित एजेंसी कमीशन दर की संरचना निम्नानुसार होगी : -
ii) इस संदर्भ में, यह नोट करें कि उपरोक्त टेबल में ‘प्राप्तियां – ई - मोड लेनदेन’, जोकि क्रम संख्या 1 (ii) के सामने दर्शाए गए हैं, ऐसे लेनदेन हैं जोकि धनप्रेषक के बैंक खाते से, इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से, निधि के प्रेषण के रूप में है और वे सभी लेनदेन है जिसमें नकद / लिखतों की भौतिक प्राप्ति शामिल नहीं है। iii) संशोधित दरें 01 जुलाई 2012 से प्रभावी होंगी। iv) एजेंसी बैंकों को अपने एजेंसी कमीशन के दावे विहित प्रारूप में प्रस्तुत करने होते हैं। सभी एजेंसी बैंकों के लिए एजेंसी कमीशन का दावा प्रस्तुत करने संबंधी संशोधित प्रारूप और शाखा के अधिकारियों और सनदी लेखाकारों द्वारा हस्ताक्षर किए जाने वाले विशिष्ट प्रमाणपत्रों के सेट अनुबंध-बी में रखे गए हैं। ये प्रमाणपत्र, कानि/मुमप्र(सरकारी कारोबार के प्रभारी) के इस आशय के सामान्य प्रमाणपत्र कि कोई पेंशन एरियर्स क्रेडिट किया जाना बाकी नहीं है / नियमित पेंशन / एरियर्स के जमा करने में कोई देरी नहीं हुई है, के अतिरिक्त होंगे। 2. लोक भविष्य निधि (पीपीएफ) योजना, 1968 तथा वरिष्ठ नागरिक बचत योजना, 2004 (एससीएसएस) के लिए एजेंसी कमीशन [डीजीबीए.जीएडी.सं.एच-14024/31.12.010/2006-07 दिनांक 16 मार्च 2007] पीपीएफ और एससीएसएस का कार्य करने हेतु भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा एजेंसी कमीशन के भुगतान के मुद्दे की, भारत सरकार से परामर्श कर जांच की गई और यह निर्णय लिया गया कि पीपीएफ और एससीएसएस के अंतर्गत संचालित लेनदेनों के लिए बैंकों को पारिश्रमिक के भुगतान के लिए एक ही चैनल का अनुसरण किया जाए। तदनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक पीपीएफ और एससीएसएस से संबंधित लेनदेनों के लिए निम्नलिखित दरों पर एजेंसी कमीशन का 1 जुलाई 2012 से भुगतान करेगा: क) प्राप्तियाँ : (i) भौतिक मोड - ₹ 50/- प्रति लेनदेन (ii) ई मोड - ₹ 12/- प्रति लेनदेन ख) भुगतान: 5.5 पैसे प्रति ₹ 100 के टर्नओवर पर भारत सरकार पीपीएफ और एससीएसएस का प्रबंधन करने हेतु पारिश्रमिक के भुगतान को बंद कर देगी। 3. एजेन्सी कमीशन के लिए पात्र सरकारी लेनदेन [डीजीबीए.जीएडी.सं.एच-2625-2658/31.12.010(सी)/2004-05 दिनांक 17 दिसंबर 2004] निम्नलिखित लेनदेन एजेंसी कमीशन के लिए पात्र होंगे:
वित्तीय संस्थाओं और बैंकों इत्यादि से सीधे उगाहे गये राज्य सरकारों के अल्पावधि / दीर्घावधि ऋण एजेंसी कमीशन के लिए पात्र नहीं हैं क्योंकि ये लेनदेन सामान्य बैंकिंग कारोबार की प्रकृति के नहीं माने जाते हैं। लोक ऋण के प्रबंध के लिए एजेंट के रूप में कार्य करने हेतु रिज़र्व बैंक एजेंसी बैंकों को यथा सहमत दर पर अलग से पारिश्रमिक अदा करता है। मंत्रालयों/विभागों इत्यादि की ओर से बैंकों द्वारा खोले गये साख पत्र (एल/सी) से होने वाले लेनदेन एजेंसी कमीशन के लिए पात्र नहीं होंगे। हालांकि कुछ एजेंसी बैंकों से प्राप्त संदर्भों के मामले में एजेंसी कमीशन के लिए एक पात्र मद के रूप में बैंकों द्वारा स्टांप शुल्क के संग्रहण के मुद्दे की हमारे द्वारा जांच की गई और यह निर्णय लिया गया है कि एजेंसी बैंकों द्वारा स्टांप शुल्क के संग्रहण को एजेंसी कमीशन की पात्रता हेतु, सरकारी लेनदेन के रूप में, निम्नानुसार पात्र माना जाए : i) जब भी एजेंसी बैंक भौतिक मोड या ई - मोड के माध्यम से (चालान आधारित) स्टांप शुल्क संग्रह करते हैं, वे एजेंसी कमीशन के भुगतान के लिए पात्र हैं बशर्ते कि एजेंसी बैंक स्टांप शुल्क संग्रह करने के लिए जनता से कोई शुल्क या राज्य सरकार से पारिश्रमिक प्राप्त नहीं करते हैं। ii) जहां कि फ्रैंकिंग गतिविधि का संबंध है, अगर एजेंसी बैंक को फ्रैंकिंग विक्रेता के रूप में राज्य सरकार द्वारा काम दिया गया है और वे जनता से दस्तावेजों की फ्रैंकिंग के लिए स्टांप शुल्क जमा करते हैं तो वे एजेंसी कमीशन के लिए पात्र नहीं होंगे क्योंकि राज्य सरकार फ्रैंकिंग विक्रेता के रूप में एजेंसी बैंक को कमीशन दे रही है। हालांकि एजेंसी बैंक, जो फ्रैंकिंग विक्रेता द्वारा भौतिक या ई - मोड में चालान के माध्यम से स्टांप शुल्क कोषागार में जमा करने के लिए प्राप्त करता है तो उपरोक्त मद संख्या (i) के अंतर्गत यह स्टांप ड्यूटी का नियमित भुगतान होगा और वह एजेंसी कमीशन के लिए पात्र होगा। सभी एजेंसी बैंक टर्नओवर कमीशन (टीओसी) का दावा करते समय यह प्रमाणित करें कि अपात्र लेनदेनों पर टीओसी का दावा प्रस्तुत नहीं किया गया है। 4. एजेंसी बैंकों के माध्यम से राज्य सरकार के आयकर/ अन्य प्रत्यक्ष कर और व्यवसाय कर/अन्य कर स्वीकार करने संबंधी योजना [डीजीबीए.जीएडी.सं.एच-41/ 42.02.001/2003-04 दिनांक 22 जुलाई 2004] एजेंसी बैंक, जो अपनी स्वयं की कर देयताएं अपनी स्वयं की शाखाओं के माध्यम से, अथवा जहां कहीं उनकी स्वयं की प्राधिकृत शाखाएं नहीं है, वहां भारतीय स्टेट बैंक की प्राधिकृत शाखाओं के माध्यम से अथवा भारतीय रिज़र्व बैंक के कार्यालयों के माध्यम से अदा कर रहे हैं, उन्हें इनका स्क्रौल में अलग से उल्लेख करना चाहिए। ऐसे लेनदेन एजेंसी कमीशन के भुगतान के लिए पात्र नहीं होंगे। एजेंसी कमीशन का दावा प्रस्तुत करते समय बैंकों को इस आशय का एक प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना चाहिए कि उनके द्वारा अदा की गई, उनकी स्वयं की कर देयताएं (स्त्रोत पर काटे गए कर [टीडीएस], कार्पोरेशन कर, इत्यादि) इसमें शामिल नहीं हैं। 5. एजेंसी कमीशन पर टी डी एस की कटौती [डीजीबीए.जीएडी.सं.एच-190/31.12.010/2003-04 दिनांक 14 सितंबर 2003] [डीजीबीए.जीएडी.सं.एच-6670/31.12.010(सी) /2010-11 दिनांक 24 मार्च 2011]केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि रिज़र्व बैंक द्वारा, अपने एजेंटो को भुगतान या क्रेडिट किए गए, एजेंसी कमीशन की राशि पर, कर की कटौती करने की आवश्यकता नहीं होगी। केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने 14 मार्च 2011 के ज्ञापन एफ सं. 275/20/2011- आईटी(बी) के द्वारा पुन: स्पष्ट किया है कि केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के सामान्य बैंकिंग कार्य करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा, एजेंसी बैंकों को भुगतान किए गए या क्रेडिट किए गए टर्नओवर कमीशन पर, आरबीआई को टैक्स कटौती करना अपेक्षित नहीं है। तथापि संबंधित बैंकों की बहियों में एजेंसी कमीशन की राशि कर-योग्य होगी, क्योंकि वह बैंक की आय का ही भाग है। 6. एजेंसी बैंकों द्वारा प्रस्तुत एजेंसी कमीशन दावे - सामान्य अनियमितताएं – गलत दावों के लिए दण्ड ब्याज लगाना [डीजीबीए.जीएडी.सं.एच-4530/31.12.010(सी)2005-06) दिनांक 27 अक्तूबर 2005] कुछ एजेंसी बैंकों द्वारा प्रस्तुत एजेंसी कमीशन दावों का हमारे द्वारा अकस्मात् सत्यापन करने पर पाई गई सामान्य अनियमितताओं के बारे में एजेंसी बैंकों को सूचित किया गया था। बैंकों से यह अपेक्षा है कि वे एजेंसी कमीशन के लिए दावे प्रस्तुत करते समय उचित सावधानी बरतें और यह सुनिश्चित करें कि वे बिल्कुल ठीक हैं। गलत दावों से बचने की दृष्टि से, उन्हें अपने दावे, आंतरिक/संगामी लेखापरीक्षक से प्रमाणित करा लेना चाहिए। निपटाए गए एजेंसी कमीशन में से गलत दावों के लिए एजेंसी बैंकों को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा यथा अधिसूचित बैंक दर +2% की दर पर दण्ड ब्याज अदा करना होगा। 7. विशेष जमा योजना पर एजेंसी कमीशन [डीजीबीए.जीएडी.सं.एच.11794/31.12.010(सी)/2005-06 दिनांक 13 फरवरी 2006] एस डी एस –1975 के अंतर्गत किए गए लेनदेन 'पेंशन को छोडकर अन्य भुगतानों' के समान, एजेंसी कमीशन के लिए पात्र हैं। इस प्रकार, एजेंसी बैंक 1 जुलाई 2012 से ऐसे लेनदेनों के प्रति 100 रुपये के टर्नओवर के लिए 5.5 पैसे की दर पर एजेंसी कमीशन के लिए पात्र हैं। चूंकि इस योजना के अंतर्गत अब नई जमाराशियां स्वीकार करने की अनुमति नहीं है, अतः एसडीएस-1975 के अंतर्गत निम्नलिखित चालू लेनदेन सम्मिलित होंगे :- क) निधि से जब भी कभी प्राप्त होने वाले अनुमति प्राप्त अनिवार्य / बाध्यकारी आहरण 8. पेंशन लेनदेनों पर एजेंसी कमीशन [डीजीबीए.जीएडी.सं.एच.13034/31.12.010(सी)/2006-07 दिनांक 27 फरवरी 2007] एजेंसी बैंक, पेंशन लेनदेन के लिए, ₹ 65/- प्रति लेनदेन की दर से, 01 जुलाई 2012 से, एजेंसी कमीशन का दावा करने के लिए, केवल तभी पात्र होंगे, जब उनके द्वारा पेंशन के संवितरण का संपूर्ण कार्य, जिसमें पेंशन गणना का कार्य भी शामिल है, निष्पादित किया जाएगा। यदि पेंशन संवितरण से संबंधित कार्य, संबंधित सरकारी विभाग/कोषागार द्वारा किया गया हो और बैंकों द्वारा केवल उन्हें सरकारी खाते से एकल नामे द्वारा अपने यहाँ अनुरक्षित पेंशनरों के खातों में जमा करना अपेक्षित हो, तो ऐसे लेनदेन को 'पेंशन भुगतान के अलावा भुगतान' के अंतर्गत वर्गीकृत किया जाएगा और वे 1 जुलाई 2012 से प्रति ₹100/- के टर्नओवर पर 5.5 पैसे की दर से एजेंसी कमीशन के भुगतान के लिए पात्र होंगे। 9. एजेंसी कमीशन दावों में अनियमित बढ़ोत्तरी एजेंसी बैंकों के लिए सुनिश्चित करना आवश्यक है कि एजेंसी कमीशन का दावा निर्धारित प्रारूप में भारतीय रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय / केंद्रीय लेखा अनुभाग नागपुर को सही रूप में प्रस्तुत किया जाए। इसके अलावा शाखाओं द्वारा किए गए दावों में निहित जानकारी आंतरिक / संगामी लेखापरीक्षक द्वारा प्रमाणित होना चाहिए ताकि गलत दावे से बचा जा सके। तथापि हमारे क्षेत्रीय कार्यालयों ने हमें सूचित किया है कि कुछ एजेंसी बैंकों ने बड़ी राशियों वाले गलत / त्रुटिपूर्ण दावे अपने आंतरिक / संगामी लेखापरीक्षक से यथाविधि प्रमाणित कराकर प्रस्तुत किए हैं। आंतरिक / संगामी लेखापरीक्षकों द्वारा यथाविधि प्रमाणित ऐसे गलत दावे त्रैमासिक दावा करने संबंधी इस आवश्यक शर्त के प्रयोजन को अर्थहीन बना देंगे। इसे ध्यान में रखते हुए एजेंसी बैंकों से अनुरोध है कि अपनी शाखाओं को चेतावनी जारी करें कि वे हमारे क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तुत किए जाने वाले दावों का सही होना सुनिश्चित करें। 10. एजेंसी कमीशन के दावे बाहरी लेखापरीक्षक द्वारा सत्यापित होने चाहिए [डीजीबीए.जीएडी.एच-3903/31.12.010(सी)/ 2009-10 दिनांक 11 नवंबर 2009] निर्देशों के बावजूद, हमारे क्षेत्रीय कार्यालयों में एजेंसी बैंकों से गलत / अधिक दावे प्राप्त हो रहे हैं। अतः निर्णय लिया गया है कि आगे से एजेंसी बैंकों द्वारा प्रस्तुत एजेंसी कमीशन दावे भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत करने से पहले, बाहरी लेखापरीक्षक (चार्टर्ड एकाउंटेंट्स) द्वारा लेखापरीक्षित और प्रमाणित होने आवश्यक हैं। जहां बाहरी लेखापरीक्षक, संगामी/ सांविधिक लेखापरीक्षक भी है, ऐसे मामले में दावा संगामी / सांविधिक लेखापरीक्षक द्वारा प्रमाणित किया जा सकता है। तदनुसार, एजेंसी बैंकों को सूचित किया जाता है कि हमारे क्षेत्रीय कार्यालयों को प्रस्तुत किए जा रहे एजेंसी कमीशन संबंधी सभी दावे बाहरी लेखापरीक्षक (चार्टर्ड एकाउंटेंट) द्वारा यथाविधि प्रमाणित होने चाहिए। हमारे क्षेत्रीय कार्यालयों को प्रस्तुत एजेंसी कमीशन दावा, इस प्रमाण पत्र के साथ प्रस्तुत किया जाना चाहिए कि दावा बाहरी लेखापरीक्षक (चार्टर्ड एकाउंटेंट) द्वारा लेखापरीक्षित किया गया है और सही पाया गया है। ऐसे बाहरी लेखापरीक्षक के प्रमाणपत्र में अन्य बातों के साथ-साथ इस बात का स्पष्ट उल्लेख हो कि :- (ए) आरबीआई को प्रस्तुत एजेंसी कमीशन दावे में प्रदर्शित ‘प्राप्तियां’ और ‘पेंशन भुगतान लेनदेन’ और ‘ पेंशन के अतिरिक्त भुगतानों’ संबंधी एजेंसी कमीशन, एजेंसी बैंक की संबंधित शाखा/ओं द्वारा अनुरक्षित अभिलेख से मेल खाता है और (बी) वाल्यूम (नंबर) आधारित लेनदेन यथा ‘ प्राप्तियां’ और ‘पेंशन भुगतान लेनदेन’ के संबंध में किए गए एजेंसी कमीशन के दावे एक ही बार किए गए हैं और इन्हें ‘पेंशन के अतिरिक्त भुगतानों’ के संबंध में मूल्य (वेल्यू) आधारित लेनदेन का हिसाब करते समय उनमें शामिल नहीं किया गया है। इसके अलावा, एजेंसी बैंकों द्वारा यह सुनिश्चित किया जाना अपेक्षित है कि एजेंसी बैंक के आंतरिक निरीक्षक / लेखापरीक्षक, उनकी शाखाओं द्वारा प्रस्तुत एजेंसी कमीशन दावों का सत्यापन करते हैं तथा वे अपने निरीक्षण / लेखापरीक्षा के दौरान उनके सही होने की पुष्टि करते हैं। अनुबंध-ए मास्टर परिपत्र में समेकित परिपत्रों की सूची
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