मास्टर परिपत्र- गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के नियंत्रण के अधिग्रहण या अंतरण के मामले में भारतीय रिज़र्व बैंक का पूर्व अनुमोदन लेने की आवश्यकता
भारिबैं/2014-15/46 1 जुलाई 2014 सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (प्राथमिक व्यापारियों को छोड़कर) महोदय, मास्टर परिपत्र- गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के नियंत्रण के अधिग्रहण या अंतरण के मामले में भारतीय रिज़र्व बैंक का पूर्व अनुमोदन लेने की आवश्यकता जैसा कि आप विदित है कि उल्लिखित विषय पर सभी मौजूदा अनुदेश एक स्थान पर उपलब्ध कराने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक अद्यतन परिपत्र/अधिसूचनाएं जारी करता है। इस परिपत्र में अंतर्विष्ट अनुदेश, जो 30 जून 2014 तक अद्यतन किए गए हैं, नीचे दिए जा रहे हैं। अद्यतन की गई अधिसूचना बैंक की वेब साइट (http://www.rbi.org.in). पर भी उपलब्ध है। भवदीय, (के के वोहरा) भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45झक(4)(ग) के तहत केवल उन कंपनियों को पंजीकरण प्रमाण पत्र दिया जा सकता है जो अन्य बातो के साथ साथ बैंक को संतुष्ट करें कि प्रबंधन का सामान्य व्यक्तित्व अथवा गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी का प्रस्तावित प्रबंधन सार्वजनिक हित अथवा अपने जमाकर्ताओं के हित के प्रति प्रतिकूल ना हो। इस संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक ने 26 मई 2014 की अधिसूचना1 द्वारा जमाराशि स्वीकार करने तथा जमा राशि स्वीकार नहीं करने वाली दोनों प्रकार की एनबीएफसी के प्रबंधन में ‘उचित और पर्याप्त’ व्यक्तित्व सुनिश्चितता बनाये रखने के लिए एनबीएफसी को निम्नलिखित निदेश दिया है: 2. गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (अर्जन अथवा नियंत्रण के अंतरण हेतु अनुमति) निदेश, 2014 इन निदेशों में जब तक प्रसंग से अन्यथा अपेक्षित न हो,- (ए) “नियंत्रण” का अर्थ वही होगा जो भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (शेयरों का भारी मात्रा में अर्जन तथा अधिग्रहण) विनियमावली, 2011 के विनियम 2 के उप विनियम (1) के खंड (ई) में में यथा परिभाषित है। (बी) “एनबीएफसी” का अर्थ, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45झ के खंड (ई) में परिभाषित गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के अर्थ से है। ii गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के नियंत्रण के अधिग्रहण या अंतरण हेतु भारतीय रिज़र्व बैंक का पूर्व अनुमोदन लेने की आवश्यकता – भारतीय रिज़र्व बैंक से लिखित में निम्नलिखित के लिए पूर्वानुमति लेनी होगी: (ए) शेयर अथवा किसी अन्य प्रकार से अधिग्रहण के द्वारा एनबीएफसी के नियंत्रण का अधिग्रहण अथवा अधिकार में लेने के मामले में; (बी) एनबीएफसी का किसी अन्य संस्था में विलय/समामेलन अथवा किसी संस्था का एनबीएफसी में विलय / समामेलन जिससे अधिग्रहणकर्ता/अन्य संस्था का एनबीएफसी पर नियंत्रण होगा; (सी) एनबीएफसी का किसी अन्य संस्था में विलय/समामेलन अथवा किसी संस्था का एनबीएफसी में विलय / समामेलन जिसके परिणामस्वरूप एनबीएफसी की चुकता पूंजी के 10 प्रतिशत से अधिक शेयरधारिता का अधिग्रहण/अंतरण होगा। (डी) अन्य कंपनी अथवा एनबीएफसी में विलय अथवा समामेलन का आदेश प्राप्त करने के लिए कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 391-394 के तहत या कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 230-233 के तहत न्यायालय अथवा न्यायाधिकार के समक्ष जाने अथवा के पूर्व भारतीय रिज़र्व बैंक से लिखित में अनुमोदन लेना भी अपेक्षित होगा। iii. अन्य विधियों की प्रयोज्यता वर्जित न होना: इस निदेशों का प्रावधान अतिरिक्त होगा तथा यह किसी अन्य कानून, नियम, विनियम अथवा मौजूदा निदेशों के प्रावधानों का अवमानना नहीं होगा। (ए) 17 सितम्बर 2009 की अधिसूचना सं. गैबैंपवि(नीप्र). 208/सीजीएम (एएनआर)-2009 द्वारा जारी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (जमाराशि स्वीकार करने वाली) (अर्जन या नितंत्रण हेतु अनुमति) निदेश, 2009 निरसत होंगे। (बी) तथापि, ऐसे निरसत के होते हुए भी, एतदद्वारा निरसरित निदेशों के तहत कृत अथवा प्रारंभ की गई कार्रवाई उक्त निदेशों के प्रावधान के तहत विनियमित होना जारी रहेगा। (ए) इस संबंध में आवेदन गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के उस क्षेत्रीय कार्यालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाए जिसके क्षेत्राधिकार में कंपनी का पंजीकृत कार्यालय अवस्थित है। (बी) अधिसूचना का उल्लघंन करते हुए शेयरों का कोई भी अंतरण के परिणाम स्वरूप पंजीकरण प्रमाण पत्र (सीओआर) निरस्त करने के साथ प्रतिकूल विनियामक कार्रवाई की जाएगी। i. 15 मार्च 2012 का गैबैंपवि(नीप्र)कंपरि.सं.259/03.02.59/2011-12 के अनुसार पंजीकरण प्रमाण पत्र का नियमन तथा कारोबार प्रारंभ करने के पूर्व गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी अपने स्वामित्व में परिवर्तन नहीं कर सकती। ii. 15 नवम्बर 1999 का गैबैंपवि(नीप्र)कंपरि.सं.11/02.01/99-2000 के साथ पठित 13 जनवरी 2000 का गैबैंपवि(नीप्र)कंपरि.सं.12/02.01/99-2000 और 24 जनवरी 2006 का गैबैंपवि(नीप्र)कंपरि.सं.63/02.02/2005-06 के अनुसार कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 391 और 394 के अनुसरण में उच्च न्यायलय के आदेश से विलयन और समामेलन के मामलो को छोडकर शेयरों की बिक्री से स्वामित्व के बिक्रय या अंतरण या नियंत्रण का अंतरण चाहे वह शेयरों की बिक्री से हो या बिना बिक्री के, उसके प्रभावी होने से 30 दिन पूर्व सार्वजनिक नोटिस दी जाएगी। ऐसी सार्वजनिक नोटिस गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी द्वारा दी जाएगी तथा अंतरक, या अंतरिती या संबंधित दोनों पक्षों द्वारा संयुक्त रूप से दी जाएगी। सार्वजनिक नोटिस में स्वामित्व/नियंत्रण के बिक्रय या अंतरण का अभिप्राय, अंतरिती के ब्योरे और स्वामित्व/नियंत्रण के ऐसे बिक्रय या अंतरण के कारणों का उल्लेख होना चाहिए। सार्वजनिक नोटिस एक अग्रणी राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्र तथा प्रादेशिक भाषा के एक अग्रणी समाचार पत्र (जिसके प्रसार क्षेत्र में शाखा/कार्यालय आता हो) में प्रकाशित की जानी चाहिए। इसके अतिरिक्त, प्रबंधन में परिवर्तन या किसी कंपनी में विलयन या समामेलन चाहने वाली जमाराशि स्वीकार करने वाली ऐसी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी का यह दायित्व होगा कि वह प्रत्येक जमाकर्ता को यह निर्णय लेने का विकल्प दे कि कंपनी के नए प्रबंधन या अंतरिती कंपनी के तहत वह जमाराशियाँ चाहे तो जारी रखे या न रखे। कंपनी का यह भी दायित्व होगा कि वह अपनी जमाराशियों का भुगतान चाहने वाले जमाकर्ताओं को भुगतान करे। उक्त अनुदेशों के अनुपालन न करने को बैंक गंभीरता से लेगा और चूककर्ता कंपनी के खिलाफ मामले के गुण-दोषों के आधार पर बैंक दण्डात्मक कार्रवाई प्रारंभ कर सकता है। ___________________________________________ i फूटनोट: मूल परिपत्र/अधिसूचना में जब और जैसे परिवर्तन होगा मास्टर परिपत्र में संदर्भित कंपनी अधिनियम, 1956 में भी परिवर्तन होगा। परिपत्रों की सूची
1 26 मई 2014 की अधिसूचना सं. गैबैंपवि(नीप्र)275/जीएम(एएम)-2014 |