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मास्टर निदेश – निवासियों द्वारा संयुक्त उद्यमों (जेवी)/ विदेश में पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनियों (डब्लूओएस) में प्रत्यक्ष निवेश (24 जून 2021 को अद्यतन)

इस तिथि के अनुसार अपडेट किया गया:

  • 2021-06-24
  • 2019-09-18
  • 2018-01-04
  • 2017-01-25
  • 2016-10-06
  • 2016-01-01
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भा.रि.बैं./विमुवि/2015-16/10
विमुवि मास्टर निदेश सं.15/2015-16

1 जनवरी 2016
(24 जून 2021 को अद्यतन)
(18 सितंबर 2019 को अद्यतन)
(4 जनवरी 2018 को अद्यतन@)
(25 जनवरी 2017 को अद्यतन)
(6 अक्तूबर 2016 को अद्यतन*)

सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक और प्राधिकृत बैंक

महोदया/महोदय,

मास्टर निदेश – निवासियों द्वारा संयुक्त उद्यमों (जेवी)/ विदेश में
पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनियों (डब्लूओएस) में प्रत्यक्ष निवेश

निवासियों द्वारा संयुक्त उद्यमों (जेवी)/ विदेश में पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनियों (डब्लूओएस) में प्रत्यक्ष निवेश को अधिसूचना सं.फेमा.120/आरबी-2004 (जी.एस.आर.757(ई) दिनांक 19 नवंबर 2004) अर्थात् विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा प्रतिभूति का अंतरण या निर्गम) विनियमावली, 2004 के साथ पठित विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा-6 की उपधारा (3) के खंड (ए) के अनुसार अनुमति दी जा रही है। इन विनियमों में विनियामक ढाँचे में हुए परिवर्तनों को अंतर्निहित करने के लिए समय-समय पर संशोधन किया जाता है और संशोधित अधिसूचनाओं के जरिए इन परिवर्तनों को प्रकाशित किया जाता है।

2. भारतीय रिज़र्व बैंक इन विनियमों की रूपरेखा के भीतर विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 की धारा 11 के अंतर्गत प्राधिकृत व्यक्तियों को निदेश भी जारी करता है । ये निदेश प्राधिकृत व्यक्तियों द्वारा विनियमों के कार्यान्वयन को ध्यान में रखते हुए अपने ग्राहकों/घटकों के साथ किये जाने वाले विदेशी मुद्रा कारोबार के तौर-तरीके निर्धारित करते हैं ।

3. इस मास्टर निदेश में निवासियों द्वारा संयुक्त उद्यमों (जेवी)/ विदेश में पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक संस्थाओं (डब्लूओएस) में प्रत्यक्ष निवेश के संबंध में जारी अनुदेशों को संकलित किया गय़ा है । इस मास्टर निदेश के आधार स्वरूप निहित परिपत्रों/अधिसूचनाओं की सूची परिशिष्ट में दी गयी है । रिपोर्टिंग अनुदेश, रिपोर्टिंग पर मास्टर अनुदेश में पाये जा सकते हैं (1 जनवरी 2016 के मास्टर निदेश सं.18) ।

4. यह नोट किया जाये कि जब कभी आवश्यक हो, रिज़र्व बैंक विनियमों में अथवा प्राधिकृत व्यक्तियों द्वारा उनके ग्राहकों/घटकों के साथ किये जाने वाले लेन-देन के तरीके में किसी परिवर्तन के संबंध में ए.पी. (डीआइआर सीरीज) परिपत्रों के जरिए प्राधिकृत व्यक्तियों को निदेश जारी करेगा। साथ ही इस विषय पर जारी मास्टर निदेश में भी साथ-साथ यथोचित संशोधन किया जायेगा।

(अजय कुमार मिश्र)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

@ मास्टर निदेश निम्नलिखित परिपत्रों जारी परिवर्तनों को शामिल करते हुए संशोधित किया गया है:
ए) 20 अक्तूबर 2016 के ए.पी. (डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.6
बी) 25 जनवरी 2017 के ए.पी. (डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.28

* चूँकि इस मास्टर निदेश में अधिक संशोधन किये गये हैं, अतः इसे पाठक की सुविधा के लिए ट्रैक मोड में न दिखाकर प्रतिस्थापित किया गया है।

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