मास्टर निदेश- विविध गैर-बैंकिंग कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016 - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर निदेश- विविध गैर-बैंकिंग कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016
आरबीआई/डीएनबीआर/2016-17/41 दिनांक 25 अगस्त 2016 मास्टर निदेश- विविध गैर-बैंकिंग कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016 भारतीय रिज़र्व बैंक (बैंक), जनहित में ऐसा करना आवश्यक समझकर और इस बात से संतुष्ट होकर कि देश के लाभ के लिए ऋण प्रणाली को विनियमित करने हेतु बैंक को सक्षम बनाने के उद्देश्य से भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम 1934 (1934 का अधिनियम 2) की धारा, 45जे, 45जेए, 45के और 45एल द्वारा दी गई शक्तियों और संबंधित अन्य सभी शक्तियों का प्रयोग करते हुए और समय-समय पर यथासंशोधित दिनांक 20 जून 1977 की अधिसूचना सं. डीएनबीसी. 39/डीजी(एच)-77 में उल्लिखित पूर्व निदेशों का अधिक्रमण करते हुए निम्नलिखित विविध गैर-बैंकिंग कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016 जारी कर, प्रत्येक विविध गैर-बैंकिंग कंपनी को एतद्पश्चात निर्दिष्ट निदेश देता है। 1. संक्षिप्त शीर्षक और निदेशों का प्रारंभ
2. निदेशों की प्रयोजनीयता ये निदेश हर उस वित्तीय संस्था पर लागू होंगे जो एक कंपनी है और जो जम्मू और कश्मीर राज्य के किसी स्थान में निम्नलिखित प्रकार के कारोबार करती है और हर उस वित्तीय संस्था पर भी लागू होंगे जो भारत के किसी स्थान में निम्नलिखित उप-पैराग्राफ (2) से (4) में उल्लिखित कारोबार के प्रकारों में से किसी प्रकार का कारोबार करती है – (1) प्रवर्तक, फोरमैन, एजेंट या किसी अन्य हैसियत से एकमुश्त या किश्तों के रूप में योगदान या अभिदान या यूनिटों, प्रमाण-पत्रों या अन्य लिखतों की बिक्री के रूप में या अन्य किसी तरह या सदस्यता शुल्क या प्रवेश शुल्क या बचत, पारस्परिक लाभ, थ्रिफ्ट या अन्य कोई योजना या अन्य किसी नाम की व्यवस्था से संबंधित या तत्संबंधी सेवा प्रभार की वसूली करना और इस प्रकार वसूली गई राशि का या उसके किसी अंश का या निवेश से अर्जित आय या किसी अन्य प्रयोजन के लिए निम्नलिखित सभी या किसी एक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल करना- (ए) आवधिक रूप से या अन्यथा प्रकार से लॉटरी द्वारा या किसी अन्य तरीके से अभिदानकर्ताओं की निर्दिष्ट संख्या को नकद या वस्तु के रूप में पुरस्कार या उपहार देना, चाहे पुरस्कार या उपहार प्राप्तकर्ताओं को ऐसी योजना या व्यवस्था में आगे और भुगतान करने का दायित्व हो या न हो; (बी) योजना या व्यवस्था की समाप्ति या उसमें उल्लिखित अवधि की समाप्ति या उसके बाद अभिदानकर्ताओं या उनमें से ऐसे व्यक्तियों को जो कोई पुरस्कार या उपहार नहीं जीत पाये हों, अभिदान राशि या वसूली गई अन्य राशि, बोनस, प्रीमियम, ब्याज या अन्य लाभ या उसके बिना, उसे जो भी नाम दिया जाए, उसकी पूरी या आंशिक राशि वापस करना; (2) प्रवर्तक, फोरमैन या एजेंट के रूप में कंपनी द्वारा अभिदानकर्ताओं की किसी निर्दिष्ट संख्या के साथ किए गए ऐसे करार द्वारा किसी ऐसे कारोबार या व्यवस्था का प्रबंध, संचालन या निगरानी करना, जिसमें प्रत्येक अभिदानकर्ता एक निश्चित अवधि तक किस्तों में एक निश्चित राशि अभिदान करेगा और लॉटरी की पर्ची या नीलामी या निविदा या ऐसे किसी अन्य तरीके से निश्चित करने पर प्रत्येक अभिदानकर्ता बारी-बारी से करार में प्रावधानित पुरस्कार राशि का हकदार होगा। स्पष्टीकरण इस उप-पैराग्राफ के प्रयोजनों के लिए `पुरस्कार राशि' की अभिव्यक्ति का अभिप्राय वह राशि होगी, चाहे उसे जो भी नाम दिया जाए, जो सभी अभिदानकर्ताओं द्वारा प्रत्येक किस्त के अभिदान करने पर कुल राशि में से घटाने पर की जायेगी। (ए) कंपनी द्वारा लिया जानेवाला कमीशन या प्रवर्तक या फोरमैन या एजेंट के रूप में लिया जानेवाला सेवा प्रभार; और (बी) ऐसी कोई राशि जो अभिदानकर्ता प्रत्येक किस्त की कुल अभिदान राशि में से शेष उसे भुगतान किए जाने के प्रतिफल के रूप में छोड़ने के लिए सहमत होता है; (3) चिट फंड का कोई अन्य रूप या कुरी चलाना जो उपर्युक्त उप-पैराग्राफ (2) में उल्लिखित कारोबार के प्रकार से अलग है। (4) ऐसा कोई कारोबार हाथ में लेना या चलाना या उसमें शामिल होना या उसे निष्पादित करना जो उप-पैराग्राफ (1) से (3) में उल्लिखित से मिलता-जुलता है। (5) यह निदेश गैर बैंकिंग वित्तीय विनियमन विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निर्देशों का संकलन है। तथापि, विविध गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों पर लागू बैंक के किसी अन्य विभाग द्वारा जारी कोई अन्य निदेश/दिशा-निर्देश इसका अनुपालन करेगा। 3. इन निदेशों में जब तक अन्यथा अपेक्षित न हो, (ए) “अधिनियम” का अभिप्राय है भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का अधिनियम 2) (बी) "बैंकिंग कंपनी" का तात्पर्य बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (1949 का अधिनियम 10) की धारा 5 (ग) में यथापरिभाषित बैंकिंग कंपनी है। (सी) “कंपनी’’ का अभिप्राय आरबीआई अधिनियम की धारा 45 आई (एए) में यथा परिभाषित कंपनी से है लेकिन इसमें वह कंपनी शामिल नहीं है जो फिलहाल प्रभावी किसी कानून के अंतर्गत समाप्त हो रही है; (डी) “जमाराशि’’ का अभिप्राय वही होगा जो आरबीआई अधिनियम की धारा 45 आई (बीबी) में इसका अभिप्राय दिया हुआ है; (ई) “जमाकर्ता’’ का अभिप्राय किसी ऐसे व्यक्ति से है जिसने कंपनी के पास जमाराशि रखी है; (एफ) “फोरमैन’’ का अभिप्राय उस व्यक्ति से है जो चिट या कुरी करार या अन्य योजना या व्यवस्था के अंतर्गत चिट या कुरी या ऐसी योजना या व्यवस्था के संचालन के लिए जिम्मेदार है; (जी) “मुक्त आरक्षित निधि’’ में शेयर प्रीमियम खाते की शेष राशि, पूंजी और डिबेंचर शोधन आरक्षित निधियों और कंपनी के तुलन-पत्र में प्रकाशित या दर्शाये गये लाभों के आबंटन द्वारा निर्मित अन्य निधि शामिल होंगी लेकिन ये निधि (i) भविष्य की किसी देयता की चुकौती या परिसंपत्तियों में मूल्ह्रास या अशोध्य ऋण के लिए निर्मित निधि या (ii) कंपनी की परिसंपत्तियों के पुनर्मूल्यांकन द्वारा निर्मित निधि नहीं होगी; (एच) “विविध गैर बैंकिंग कंपनी’’ का अभिप्राय ऐसी कंपनी से है जो इन निदेशों के पैराग्राफ 2 में उलिलिखित किसी प्रकार या सभी प्रकार के कारोबार करती है; (2) प्रयुक्त शब्दों या अभिव्यक्तियों के अर्थ जिन्हें यहां परिभाषित नहीं किया गया है परंतु भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम में परिभाषित हैं, वही होंगे जो उस अधिनियम में दिए गए हैं। अन्य किन्हीं शब्दों या अभिव्यक्तियों के अर्थ, जो यहां अथवा भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम में परिभाषित नहीं हैं, वही होंगे जो कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) अथवा कंपनी अधिनियम 2013 (2013 का अधिनियम 18) में उन्हें दिए गए स्थितिनुसार हैं। अध्याय III 4. विविध गैर-बैंकिंग कंपनी द्वारा प्राप्त निम्नलिखित प्रकार की जमाराशियों पर इन निदेशों के अध्याय IV, अध्याय V और पैराग्राफ 19 में उल्लिखित कुछ भी नहीं लागू होगा; यथा - (i) उक्त निदेश के पैराग्राफ 2 के उप-पैराग्राफ (2) में उल्लिखित किसी लेनदेन या व्यवस्था के अंतर्गत वसूल की गई या प्राप्त की गई राशि; (ii) केन्द्र सरकार या राज्य सरकार से प्राप्त कोई राशि या अन्य किसी स्रोत से प्राप्त कोई राशि जिसकी चुकौती की गारंटी केन्द्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा दी गई है या स्थानीय प्राधिकरण या विदेशी सरकार या किसी विदेशी नागरिक, प्राधिकारी (ऑथोरिटी) या व्यक्ति से प्राप्त कोई राशि; (iii) बैंकिंग कंपनी से या भारतीय स्टेट बैंक से या बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का अधिनियम 10) की धारा 51 के अंतर्गत केन्द्र सरकार द्वारा अधिसूचित बैंकिंग संस्था से या बैंकिंग कंपनी (उपक्रमों का अर्जन और अंतरण) अधिनियम, 1970 (1970 का अधिनियम 5) की धारा 2 में यथापरिभाषित तदनुरूपी नए बैंक से या बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का अधिनियम 10) की धारा 5 (सीसीआइ)] में यथापरिभाषित सहकारी बैंक से प्राप्त कोई राशि; (iv) भारतीय औद्योगिक विकास बैंक अधिनियम 1964 (1964 का 18) के अंतर्गत स्थापित भारतीय औद्योगिक विकास बैंक या भारतीय कंपनी अधिनियम 1913 (1913 का अधिनियम 7) के अंतर्गत स्थापित भारतीय औद्योगिक ऋण और निवेश निगम लि. या औद्योगिक वित्त निगम अधिनियम, 1948 (1948 का अधिनियम 15) के अंतर्गत स्थापित भारतीय औद्योगिक वित्त निगम या भारतीय पुनर्निमाण बैंक लि., या जीवन बीमा निगम अधिनियम, 1956 (1956 का अधिनियम 31) के अंतर्गत स्थापित भारतीय जीवन बीमा निगम या भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक अधिनियम, 1989 (1989 का अधिनियम 39) के अंतर्गत स्थापित भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक या राज्य वित्त निगम अधिनियम, 1951 (1951 का अधिनियम 63) के अंतर्गत स्थापित राज्य वित्त निगम, या भारतीय यूनिट ट्रस्ट अधिनियम, 1963 (1963 का अधिनियम 52) के अंतर्गत स्थापित भारतीय यूनिट ट्रस्ट, या भारतीय सामान्य बीमा निगम और इसकी अनुषंगी संस्थाएं या तमिलनाडु औद्योगिक निवेश निगम लि. या भारतीय राष्ट्रीय औद्यागिक विकास निगम, या एससीआइसीआइ लि. या भारतीय उद्योग पुनर्वास निगम लि., या विद्युत (आपूर्ति) अधिनियम, 1948 के अंतर्गत गठित किसी विद्युत बोर्ड, या राज्य व्यापार निगम लि., या ग्रामीण विद्युतीकरण निगम लि., या भारतीय खनिज और धातु व्यापार निगम लि., या कृषि वित्त निगम लि., या महाराष्ट्र राज्य औद्योगिक और निवेश निगम लि., या गुजरात औद्योगिक और निवेश निगम लि. या एशियन डेवलपमेंट बैंक, या अंतरराष्ट्रीय वित्त निगम, या] केन्द्र सरकार या राज्य सरकार के पूर्ण स्वामित्व की कोई वित्तीय संस्था या इस संबंध में रिज़र्व बैंक द्वारा अधिसूचित की जानेवाली कोई अन्य वित्तीय संस्था से प्राप्त कोई ऋण; (v) कंपनी के किसी कर्मचारी से उसके उचित कर्तव्य निर्वहन के लिए जमानत राशि के रूप में प्राप्त कोई राशि शर्त यह है कि ऐसी जमानत जमाराशि की राशि किसी अनुसूचित बैंक या पोस्ट ऑफिस में कर्मचारी और कंपनी के संयुक्त नाम में निम्नलिखित शर्तों पर रखी जाए- (ए) कर्मचारी की लिखित अनुमति के बिना यह राशि निकाली नहीं जाएगी; और (बी) यह राशि बैंक/ पोस्ट ऑफिस द्वारा जमाराशि खाता पर प्रदत्त ब्याज सहित कर्मचारी को उसके रोजगार की शर्तों के अनुसार वापस की जाएगी; (vi) इस पूर्वनिर्धारित शर्त पर कि निर्गमकर्ता या धारक को उक्त डिबेंचर या बॉण्ड को शेयर पूंजी में परिवर्तित करने के लिए कोई विकल्प प्राप्त नहीं होगा, डिबेंचर या बॉण्ड जारी कर जुटाई गई राशि; (vii) कंपनी (जमाराशि स्वीकृति) नियमावली, 2014 और समय-समय पर संशोधनों के अंतर्गत मान्य सीमा तक तथा मान्य अवधि के लिए शेयर हेतु प्राप्त आवेदन राशि अथवा आबंटन के लिए लंबित प्रतिभूति के आबंटन के लिए देय अग्रिम राशि सहित कंपनी अधिनियम, 2013 के प्रावधानों के अनुसार कोई प्राप्त और धारित राशि । 5. विविध गैर-बैंकिंग कंपनियों द्वारा जमाराशियां स्वीकार करना 1 जुलाई 1977 को और उस दिन से कोई भी विविध गैर-बैंकिंग कंपनी - (ए) मांग पर या नोटिस पर प्रतिदेय कोई जमाराशि या ऐसी जमाराशि की प्राप्ति की तारीख से छह महीने से कम की अवधि और छत्तीस महीने से अधिक की अवधि के बाद प्रतिदेय कोई जमाराशि नहीं प्राप्त करेगी या प्राप्त उक्त ऐसी किसी राशि का नवीकरण नहीं करेगी, चाहे यह राशि उक्त तारीख से पहले या बाद में प्राप्त की गयी हों, जब तक कि ऐसी जमाराशि, या नवीकरण, ऐसे नवीकरण की तारीख से न छह महीने से पहले और न छत्तीस महीने के बाद प्रतिदेय हैः (बी) निम्नलिखित जमाराशि प्राप्त या उसका नवीकरण नहीं करेगी (i) किसी शेयरधारक से प्राप्त कोई जमाराशि, यदि ऐसी जमाराशि पहले प्राप्त हुई है और स्वीकारने या नवीकरण की तारीख को कंपनी की बहियों में निवल स्वाधिकृत निधियों के पंद्रह प्रतिशत से अधिक बकाया हो। (ii) अपरिवर्तनीय बांडों या डिबेंचरों सहित कोई अन्य जमाराशि शर्त यह है कि जहाँ कोई विविध गैर बैंकिंग कंपनी अपने शेयरधारकों से भिन्न किसी अन्य व्यक्ति से प्राप्त जमाराशि धारण किए है, वहाँ ऐसी राशि परिपक्वता पर अदा की जाएगी और नवींकृत करने की पात्र नहीं होगी। स्पष्टीकरण निवल स्वामित्व की निधि का अभिप्राय है - (ए) निम्नलिखित को घटाये जाने के बाद अद्यतन तुलनपत्र में दर्शाई गई प्रदत्त इक्विटी पूंजी और मुक्त आरक्षित निधियों का कुल (i) हानि का संचित शेष; (ii) आस्थगित राजस्व व्यय और (iii) अन्य अगोचर परिसंपत्तियां, और (बी) इसके पश्चात निम्नलिखित को भी घटाया जाएगा (1) निम्नलिखित के शेयरों में ऐसी कंपनी का निवेश (i) अपनी अनुषंगी संस्थाएं; (ii) उसी समूह की कंपनियां; (iii) सभी अन्य गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां और (2) निम्नलिखित को डिबेंचरों, बांडों, बकाया ऋणों और अग्रिमों (किराया खरीद और पट्टा वित्त सहित) का बही मूल्य, और उनके पास जमाराशियां (i) ऐसी कंपनी की अनुषंगी कंपनियां और (ii) उसी समूह की कंपनियां ऐसी राशि जो उक्त (ए) के दस प्रतिशत से अधिक है। 6. जमाराशि की मांग (सॉलीसिट) करनेवाले आवेदन पत्र में निर्दिष्ट किए जानेवाले विवरण कोई विविध गैर-बैंकिंग कंपनी ऐसी कोई जमाराशि स्वीकार, उसका नवीकरण या परिवर्तन नहीं करेगी जो कंपनी द्वारा जमाकर्ता को प्रदत्त फार्म में लिखित आवेदन द्वारा जमा नहीं की जाती। उक्त आवेदन फार्म में कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का अधिनियम 1) की धारा 58 ए के अंतर्गत निर्मित गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां और विविध गैर-बैंकिंग कंपनियां (विज्ञापन) विनियमावली, 1977 में निर्दिष्ट सभी विवरण दिए रहेंगे। 7. जमाकर्ताओं को रसीद देना (1) हर विविध गैर-बैंकिंग कंपनी प्रत्येक जमाकर्ता या संयुक्त जमाकर्ताओं के समूह या उसके एजेंट को, अगर पहले ऐसा नहीं किया है तो, ऐसी प्रत्येक राशि के लिए रसीद जारी करेगी जो कंपनी ने इन निदेशों के प्रारंभ की तारीख के पहले या बाद में जमाराशि स्वरूप प्राप्त किया है या कंपनी प्राप्त कर सकती है। (2) उक्त रसीद पर कंपनी की ओर से इस संबंध में अधिकार प्राप्त कोई अधिकारी उचित रूप से हस्ताक्षर करेगा और उसमें जमाराशि जमा करने की तारीख, जमाकर्ता का नाम, जमाराशि के रूप में कंपनी द्वारा प्राप्त राशि का शब्दों और अंकों में ब्योरा, उस पर देय ब्याज की दर और जमाराशि की प्रतिदेय तारीख का उल्लेख करेगी। 8. जमाराशि का रजिस्टर (1) हर विविध गैर-बैंकिंग कंपनी एक या उससे अधिक रजिस्टर रखेगा जिसमें प्रत्येक जमाकर्ता के निम्नलिखित विवरण अलग-अलग प्रविष्ट किए जाएंगे, यथा - (ए) जमाकर्ता का नाम और पता; (बी) प्रत्येक जमाराशि की राशि और तारीख; (सी) प्रत्येक जमाराशि की अवधि और देय तारीख; (डी) प्रत्येक जमाराशि पर प्रोद्भूत ब्याज या प्रीमियम की राशि और तारीख; (ई) मूल, ब्याज या प्रीमियम संबंधी प्रत्येक चुकौती की राशि और तारीख; (एफ) जमाराशि संबंधी अन्य कोई विवरण । (2) उक्त रजिस्टर कंपनी के पंजीकृत कार्यालय में रखा जाएगा/रखे जाएंगे और जिस वित्तीय वर्ष में उस रजिस्टर में दिए गए विवरणवाली किसी जमाराशि की चुकौती या नवीकरण की अद्यतन प्रविष्टि की जाती है, उस वर्ष से कम-से-कम आठ कैलेंडर वर्षों की अवधि के लिए उसे समुचित व्यवस्था में सुरक्षित रखा जाएगा शर्त यह है कि अगर कंपनी अधिनियम 1956 (1956 का अधिनियम 1) की धारा 209 की उप-धारा (1) में उल्लिखित खाता-बहियां उक्त उप-धारा के प्रावधानों के अनुसार कंपनी अपने पंजीकृत कार्यालय से इतर अन्य किसी जगह रखती है, तो इस पैराग्राफ का वह पर्याप्त अनुपालन होगा अगर कंपनी अपना उक्त रजिस्टर ऐसी अन्य जगह में रखती है लेकिन शर्त यह है कि उक्त उप-धारा के प्रावधान के अंतर्गत रजिस्ट्रार को दी गई नोटिस की एक प्रति कंपनी रजिस्ट्रार को उक्त नोटिस दिये जाने की तारीख से 7 दिन के अंदर रिज़र्व बैंक को उपलब्ध कराती है। 9. बोर्ड की रिपोर्ट में शामिल की जानेवाली सूचना (1) इन निदेशों के प्रारंभ की तारीख के बाद कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का अधिनियम 1) की धारा 217 की उप-धारा (1) के अंतर्गत कंपनी की आम सभा में प्रस्तुत की जानेवाली निदेशकों के बोर्ड की प्रत्येक रिपोर्ट में विविध गैर-बैंकिंग कंपनी के मामले में निम्नलिखित विवरण या सूचना शामिल की जाएंगी, यथा (ए) कंपनी के ऐसे जमाकर्ताओं की कुल संख्या जिन्होंने चुकौती या नवीकरण की नियत तारीख, जमाकर्ता के साथ संविदा या इन निदेशों के प्रावधानों के अनुसार जैसा भी मामला हो, गुजर जाने के बाद जमाराशि का दावा नहीं किया है या जिनका कंपनी ने भुगतान नहीं किया है (बी) जमाकर्ताओं को कुल देय राशि और उक्त खंड (ए) में उल्लिखित तारीखों के बाद अदावी या अदत्त शेष राशि (2) उक्त विवरण या सूचना रिपोर्ट के संबंधित वित्तीय वर्ष की अंतिम तारीख की स्थिति के अनुसार दी जाएगी और अगर पूर्व उप-पैराग्राफ के खण्ड (बी) में उल्लिखित अदावी या असंवितरित शेष राशियां 5 लाख रुपये की कुल राशि से अधिक हैं; तो जमाकर्ताओं को देय अदावी या असंवितरित राशियों की चुकौती के लिए निदेशकों के बोर्ड द्वारा किए गए उपाय या किए जानेवाले उपायों से संबंधित एक विवरण रिपोर्ट में शामिल किया जाएगा। 10. ब्याज दर और दलाली संबंधी उच्चतम सीमा (1) कोई विविध गैर-बैंकिंग कंपनी - (ए) साढ़े बारह प्रतिशत प्रति वर्ष की ब्याज दर से अधिक ब्याज दर पर जमाराशि नहीं मांगेगी या स्वीकार करेगी या नवीकरण करेगी। ब्याज का भुगतान या उसकी चक्रवृद्धि की अवधि मासिक से छोटी नहीं होनी चाहिए । (बी) दलालों को उनके माध्यम से संग्रहीत जमाराशियों पर नीचे दी गई निर्दिष्ट दरों से अधिक दर पर दलाली नहीं देगीः
11. जमाकर्ताओं को जमाराशियों की परिपक्वता की सूचना विविध गैर-बैंकिंग कंपनी की यह जिम्मेदारी होगी कि वह जमाकर्ता को उसकी जमाराशियों की परिपक्तवा के ब्योरे जमाराशि की परिपक्वता की तारीख से कम-से-कम 2 महीने पहले सूचित करे। 12. परिपक्वता से पहले जमाराशि का नवीकरण कोई विविध गैर-बैंकिंग कंपनी, यदि किसी वर्तमान जमाकर्ता को “शेयरधारक होने के नाते” ब्याज की उच्चतर दर का लाभ उठाने के लिए परिपक्वता से पहले जमाराशि के नवीकरण की अनुमति देती है, तो कंपनी जमाकर्ता को ब्याज दर में वृद्धि का भुगतान करेगी, लेकिन शर्त यह है कि, (i) जमाराशि का नवीकरण इन निदेशों के अन्य प्रावधानों के अनुसार और मूल संविदा की शेष अवधि से अधिक अवधि के लिए किया जाए, और (ii) जमाराशि की समाप्त हुई (एक्सपायर्ड) अवधि पर ब्याज उस दर से जो कंपनी सामान्यत: अदा करती, अगर जमाराशि उस अवधि के लिए स्वीकार की जाती जिसके लिए जमाराशि रखी गयी है, एक प्रतिशत प्वायंट घटाकर दिया जायेगा और/या पहले अदा किया गया है तो वापस वसूल किया जायेगा/समायोजित किया जायेगा । 13. अतिदेय जमाराशियों का नवीकरण विविध गैर-बैंकिंग कंपनी अपने विवेकानुसार अतिदेय जमाराशि या उक्त अतिदेय जमाराशि के किसी अंश पर जमाराशि की परिपक्वता की तारीख से ब्याज दे सकती है लेकिन शर्त यह है कि (ए) इन निदेशों के अन्य प्रावधानों के अनुसार अतिदेय जमाराशि की कुल राशि या उसके अंश की परिपक्वता की तारीख से भविष्य की किसी तारीख तक के लिए नवीकरण किया जाए, और (बी) ऐसी अतिदेय राशि की परिपक्वता की तारीख को प्रभावी उचित दर पर ब्याज देने की अनुमति होगी जो सिर्फ नवीकृत जमाराशि की राशि पर देय होगी। अध्याय – V 14. न्यूनतम अवरुद्ध अवधि और जमाकर्ता की मृत्यु की स्थिति में चुकौती कोई विविध गैर-बैंकिंग कंपनी जमाराशि की जमानत पर ऋण नहीं देगी या जमाराशि की स्वीकारने की तारीख से तीन महीने की अवधि (अवरुद्ध अवधि) के अन्दर जमाराशि की अवधिपूर्व चुकौती नहीं करेगी; बशर्ते जमाकर्ता की मृत्यु हो जाने की स्थिति में विविध गैर-बैंकिंग कंपनी जीवित वाक्यांश वाली संयुक्त धारिता के मामले में जीवित जमाकर्ता/ओं को या मृत जमाकर्ता के नामिती या कानूनी उत्तराधिकारी को जीवित जमाकर्ता/ओं/ नामिती/ कानूनी उत्तराधिकारी के अनुरोध पर कंपनी को मृत्यु का मान्य प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने पर जमाराशि की अवधिपूर्व, अवरुद्ध अवधि के बीच भी चुकौती कर सकती है। 15. समस्याग्रस्त विविध गैर-बैंकिंग कंपनी नहीं होने पर विविध गैर-बैंकिंग कंपनी द्वारा जमाराशियों की चुकौती पैराग्राफ 14 में दिए गए प्रावधानों के अधीन विविध गैर-बैंकिंग कंपनी जो समस्याग्रस्त विविध गैर-बैंकिंग कंपनी नहीं है- (ए) 05 अक्तूबर 2004 से किसी जमाराशि की अवधिपूर्व चुकौती की अनुमति अपने विवेकानुसार दे सकती है शर्त यह है कि उक्त तारीख के पहले स्वीकार की गई जमाराशि के मामले में, ऐसी विविध गैर-बैंकिंग कंपनी, ऐसी जमाराशि के स्वीकार की शर्तों द्वारा अनुमत होने पर, जमाकर्ता के अनुरोध पर, जमाराशि की जमा करने की तारीख से 3 महीने की अवधि पूरी होने के बाद अवधिपूर्व चुकौती कर सकती है; (बी) जमाकर्ता को जमाराशि जमा करने की तारीख से 3 महीने की अवधि पूरी होने के बाद जमाराशि पर देय ब्याज दर से 2 प्रतिशत बिन्दु अधिक ब्याज दर पर जमाराशि के 75 प्रतिशत तक ऋण स्वीकृत कर सकती है। 16. समस्याग्रस्त विविध गैर-बैंकिंग कंपनी द्वारा जमाराशियों की चुकौती उक्त पैराग्राफ 14 में प्रदत्त प्रावधानों के अधीन, जमाकर्ता को आकस्मिक प्रकृति के व्यय की पूर्ति के लिए सक्षम बनाने के लिए, समस्याग्रस्त विविध गैर-बैंकिंग कंपनी निम्नलिखित मामलों में ही, जमाराशि की अवधिपूर्व चुकौती या उस जमाराशि के आधार पर ऋण दे सकती है, यथाः (ए) छोटी जमाराशि की पूरी चुकौती या अधिक से अधिक ₹ 10,000/- तक किसी अन्य जमाराशि की चुकौती कर सकती है; (बी) किसी छोटी जमाराशि के आधार पर या किसी अन्य जमाराशि के आधार पर जमाराशि पर देय ब्याज दर से दो प्रतिशत बिन्दु अधिक ब्याज दर पर अधिक से अधिक ₹ 10,000/- की राशि तक ऋण दे सकती है। 17. समस्याग्रस्त विविध गैर-बैंकिंग कंपनी द्वारा जमाराशियों का समूहन किसी अकेले/प्रथम नामवाले जमाकर्ता के नाम से उसी क्षमता में रखी सभी जमाराशि खातों का समूहन किया जायेगा और समस्याग्रस्त विविध गैर-बैंकिंग कंपनी द्वारा अवधिपूर्व चुकौती या ऋण देने के प्रयोजन के लिए उन्हें एक जमाराशि खाता माना जाएगा लेकिन शर्त यह है कि उक्त-पैराग्राफ 14 में दिए गए प्रावधान के अनुसार जमाकर्ता की मृत्यु की स्थिति में अवधिपूर्व अदायगी के संबंध में उक्त खंड लागू नहीं होगा। 18. जमाराशियों की अवधिपूर्व चुकौती से संबंधित ब्याज दर अगर विविध गैर-बैंकिंग कंपनी, अपने विवेक से या जमाकर्ता के अनुरोध पर, जैसा भी मामला हो, जमाराशि स्वीकार करने की तारीख से तीन महीने बाद किन्तु अवधि पूरा होने से पहले, (जमाकर्ता की मृत्यु की स्थिति में अवधिपूर्व अदायगी के मामले सहित) जमाराशि की चुकौती करती है, तो वह निम्नलिखित दर पर ब्याज अदा करेगी
स्पष्टीकरण इस पैराग्राफ के लिए, (ए) ‘समस्याग्रस्त विविध गैर-बैंकिंग कंपनी’ का अभिप्राय ऐसी विविध गैर-बैंकिंग कंपनी से है - (i) जिसने परिपक्व जमाराशियों की चुकौती की विधि संगत मांग को पांच कामकाज़ के दिनों के अंतर्गत पूरी करने से अस्वीकार कर दिया या ऐसा करने में जो विफल रही; या (ii) कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 58एए के अंतर्गत कंपनी विधि बोर्ड को छोटे जमाकर्ताओं की किसी जमाराशि या उसके किसी अंश या उस पर कोई ब्याज की अदायगी में हुई चूक के बारे में सूचित करती है; या (iii) जमाराशियों की मांग पूर्ति के लिए तरल आस्तियों की निकासी के लिए रिज़र्व बैंक से अनुरोध करती है; या (iv) जमाराशियों या अन्य बाध्यताओं की पूर्ति में चूक से बचने के लिए विविध गैर-बैंकिंग कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016 के प्रावधानों से राहत या ढील या छूट के लिए रिज़र्व बैंक से अनुरोध करती है; (v) कंपनी के ऋणदाताओं द्वारा बकाया की चुकौती नहीं किए जाने के संबंध में की गई शिकायत या जमाकर्ताओं द्वारा जमाराशि की चुकौती नहीं किए जाने के संबंध में की गई शिकायत के आधार पर या रिज़र्व बैंक ने स्वयं ऐसी कंपनी की पहचान समस्याग्रस्त विविध गैर-बैंकिंग कंपनी के रूप में की है। (बी) ‘बहुत छोटी जमाराशियां’ का अभिप्राय ऐसी राशि से है जो विविध गैर-बैंकिंग कंपनी की सभी शाखाओं में अकेले या प्रथम नामवाले जमाकर्ता के नाम में जमाराशियों की सकल राशि ₹ 10,000 से अधिक नहीं है। 19. विज्ञापन और विज्ञापन के बदले विवरण (1) प्रत्येक विविध गैर-बैंकिंग कंपनी, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी और विविध गैर-बैंकिंग कंपनी (विज्ञापन) नियमावली, 1977 के प्रावधानों का अनुपालन करेगी और जारी किए जानेवाले प्रत्येक विज्ञापन में इसके अंतर्गत निम्नलिखित को निर्दिष्ट करेगी (ए) जमाकर्ता को ब्याज, प्रीमियम, बोनस या अन्य लाभ के रूप में प्रतिलाभ की वास्तविक दर (बी) जमाकर्ता को भुगतान का तरीका (सी) जमाराशि की परिपक्वता अवधि (डी) निर्दिष्ट जमाराशि पर देय ब्याज (ई) परिपक्वता अवधि से पहले जमाकर्ता द्वारा जमाराशि निकालने के मामले में देय ब्याज की दर, वे शर्तें जिनके अधीन जमाराशि का नवीकरण किया जाएगा; (एफ) जिन शर्तों के अधीन जमाराशियां (स्वीकार की जाती है)/ उसका नवीकरण किया जाता है, उनसे संबंधित कोई अन्य विशिष्ट विशेषताएं (जी) कि इसके द्वारा मांगी (सालीसिटेड) गई जमाराशियां बीमाकृत नहीं की जाती हैं। (2) जहां कंपनी किसी व्यक्ति को आमंत्रित किए बगैर या अनुमति दिए बगैर या उसके माध्यम से बगैर आमंत्रण जमाराशियां स्वीकार करने का इरादा करती है, जमाराशियां स्वीकार करने से पहले गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी और विविध गैर-बैंकिंग कंपनी (विज्ञापन) नियमावली, 1977 और उपर्युक्त उप-पैराग्राफ (1) में उल्लिखित विवरण के अनुसरण में रिज़र्व बैंक के गैर-बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के उस क्षेत्रीय कार्यालय को, जिसके कार्यक्षेत्र में इसका पंजीकृत कार्यालय स्थित है, पंजीकरण के लिए विज्ञापन के स्थान पर सभी ब्योरे सहित एक विवरण सुपुर्द करेगी जो उक्त नियमावली के प्रावधान के अनुसार उचित रूप से हस्ताक्षरित होगा। (3) उप-पैराग्राफ (2) के अंतर्गत सुपुर्द विवरण उस वित्तीय वर्ष की समाप्ति की तारीख से 6 महीने समाप्त होने तक वैध रहेगा जिसमें यह सुपुर्द किया जाता है या उस तारीख तक जब कंपनी की आम सभा में तुलन-पत्र प्रस्तुत किया जाता है या जहां किसी वर्ष के लिए वार्षिक आम सभा नहीं हुई है, हाल की वह तारीख जब कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का अधिनियम 1) के प्रावधानों के अनुसार आम सभा होनी चाहिए थी, जो भी पहले हो, और प्रत्येक आगामी वित्तीय वर्ष में उक्त वित्तीय वर्ष में जमाराशि स्वीकार करने के पहले नया विवरण सुपुर्द किया जाएगा। 20. संयुक्त जमा जहां कहीं भी आवश्यकता हो, अधिकतम तीन नामों के लिए “कोई भी अथवा जीवित जमाकर्ता/ओं”, “प्रथम अथवा जीवित जमाकर्ता/ओं”, “कोई एक अथवा जीवित जमाकर्ता/ओं” शर्त के साथ संयुक्त जमा स्वीकार किया जा सकता है। 21. छूट रिज़र्व बैंक, अगर ऐसा समझता है कि किसी समस्या से बचने के लिए या किसी अन्य सही और पर्याप्त कारण से ऐसा करना आवश्यक है, ऐसी शर्तों के अधीन जो रिज़र्व बैंक निर्धारित करेगा, इन निदेशों के प्रावधानों में से किसी या सभी से सामान्यतःया किसी निर्दिष्ट अवधि के लिए किसी कंपनी या कंपनी के वर्ग को अनुपालन की अवधि में बढ़ोत्तरी की स्वीकृति या छूट दे सकता है। 22. अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) निदेश 2016 की अनुप्रयुक्तता ग्राहक इंटरफेस वाली सभी विविध गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां बैंकिग विनियमन विभाग द्वारा जारी अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) निदेश 2016 तथा समय-समय पर यथासंशोधित का अनुपालन करेंगी। 23. अनिवासी भारतीयों से जमा अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों में ऐसे खातों के लिए विनिर्दिष्ट दर से अधिक दर पर अनिवासी (बाह्य) खाता योजना के तहत अधिसूचना संख्या फेमा.5/2000-आरबी, दिनांक 3 मई 2000 की शर्तों के अंतर्गत कोई विविध गैर-बैंकिंग कंपनी अप्रवासी भारतीयों से पुनर्भुगतान वाली कोई जमाराशि आमंत्रित, स्वीकार अथवा उसका नवीकरण नहीं करेगी । व्याख्या- उपर्युक्त जमाराशि की अवधि एक वर्ष से कम और तीन वर्षों से अधिक नहीं होगी। 24. कुछ अन्य निदेशों का नहीं लागू होना इन निदेशों के पैराग्राफ (2) में उल्लिखित प्रकार की वित्तीय संस्था पर जनता की जमाराशि स्वीकार करना (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी- प्रणालीगत महत्वपूर्ण जमाराशि स्वीकार नहीं करनेवाली कंपनी और जमाराशि स्वीकार करने वाली कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश 2016 गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016 में उल्लिखित कुछ भी लागू नहीं होंगे। अध्याय - VII 25. विविध गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के संबंध में गैर-बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग द्वारा निर्धारित रिपोर्टिंग संबंधी अपेक्षाओं का अनुपालन विविध गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा किया जाएगा। 26. निदेशों के प्रावधानों को लागू कराने के उद्देश्य के लिए बैंक यदि आवश्यक समझता है तो यह यहां शामिल किसी विषय पर आवश्यक स्पष्टीकरण जारी कर सकता है और बैंक द्वारा निदेशों के प्रावधानों के संबंध में किसी भी स्पष्टीकरण को अंतिम और सभी संबंधित पार्टियों के लिए बाध्य समझा जाएगा। इन निदेशों के उल्लंघन के लिए आरबीआई अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है। इसके अतिरिक्त, ये प्रावधान प्रभावी कालावधि के लिए किसी अन्य कानून, नियम, विनियमन अथवा निर्देश के अतिरिक्त होंगे और न कि उसकी अवमानना में होंगे। 27. यहां यह स्पष्ट किया जाता है कि समय-समय पर यथा संशोधित, विविध गैर-बैंकिंग कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1977 का अधिक्रमण किसी प्रकार निम्नलिखित को प्रभावित नहीं करेगा (i) कोई अधिकार, दायित्व, या उसके अंतर्गत अर्जित, प्रोद्भूत या हासिल कोई देयता; (ii) उसके अंतर्गत किसी उल्लंघन के संबंध में कोई जुर्माना, जब्ती या दण्ड; (iii) उक्त किसी अधिकार, विशेषाधिकार, दायित्व, देयता, जुर्माना, जब्ती या दण्ड के संबंध में कोई छान-बीन, कानूनी कार्रवाई या उपचारात्मक उपाय और उपर्युक्त के अनुसार कोई छान-बीन, कानूनी प्रक्रिया या उपचारात्मक उपाय शुरू की गई है या जारी है या लागू की गई है और ऐसा कोई जुर्माना, जब्ती या दण्ड लगाया जाए मानो उन निदेशों का अधिक्रमण हुआ ही नहीं हो। अध्याय - IX 28. निदेशों के जारी किये जाने के साथ ही बैंक द्वारा जारी निम्नलिखित परिपत्रों में दिये गए अनुदेश/ दिशा-निर्देश वापस (नीचे दी गई सूची के अनुसार) लिये जाते हैं। उपर्युक्त परिपत्रों के अंतर्गत दिये गए सभी अनुमोदनों/ स्वीकृतियों को इन निदेशों के अंतर्गत दिया गया समझा जाएगा। परिपत्रों को वापस लिए जाने के होते हुए, वापस लिए गए अनुदेशों/दिशा-निर्देशों के अंतर्गत की गई /तथाकथित रूप से की गई अथवा आरंभ की गई कोई कार्रवाई उल्लिखित अनुदेशों/दिशा निर्देशों के प्रावधानों के अनुसार निर्देशित होंगी।
(मनोरंजन मिश्रा) प्रथम अनुसूची
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