मास्टर निदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (बैंकिंग कंपनियों में शेयरों अथवा मताधिकारों का अधिग्रहण तथा धारिता) निदेश, 2023 - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर निदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (बैंकिंग कंपनियों में शेयरों अथवा मताधिकारों का अधिग्रहण तथा धारिता) निदेश, 2023
भा.रि.बैं/विवि/2022-23/95 16 जनवरी, 2023 मास्टर निदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (बैंकिंग कंपनियों में शेयरों अथवा मताधिकारों का बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 12, 12बी तथा 35ए के अधीन प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक, इस बात से आश्वस्त होने पर कि ऐसा करना लोकहित में आवश्यक और लाभकारक है, एतद्वारा इसके बाद विनिर्दिष्ट निदेश जारी करता है। इन निदेशों को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'बैंकिंग कंपनियों में शेयरों अथवा मताधिकारों का अधिग्रहण तथा धारिता पर दिशानिर्देश' के साथ पढ़ा जा सकता है (दिशानिर्देश)। उद्देश्य: ये निदेश यह सुनिश्चित करने के प्रयोजन से जारी किए गए हैं कि बैंकिंग कंपनियों का अंतिम स्वामित्व और नियंत्रण अच्छी तरह से विविधीकृत है और बैंकिंग कंपनियों के प्रमुख शेयरधारक निरंतर आधार पर 'उचित और उपयुक्त' हैं। 1.1 इन निदेशों को भारतीय रिज़र्व बैंक (बैंकिंग कंपनियों में शेयरों अथवा मताधिकारों का अधिग्रहण तथा धारिता) निदेश, 2023 कहा जाएगा। 1.2 ये निदेश जारी करने की दिनांक से लागू होंगे। 2.1 इन निदेशों के प्रावधान सभी बैंकिंग कंपनियों पर लागू होंगे (जैसा कि बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 5 के खंड (सी) में परिभाषित है), जिसमें भारत में कार्यरत स्थानीय क्षेत्र बैंक (एलएबी), लघु वित्त बैंक (एसएफबी) और भुगतान बैंक (पीबी) शामिल हैं1। 3.1 इन निदेशों में, जब तक कि संदर्भ की अन्यथा जरूरत न हो, प्रयोग किए गए शब्द नीचे दिए गए अर्थों को व्यक्त करेंगे, और उनके सजातीय भावों और भिन्नताओं को तदनुसार माना जाएगा:-
3.2 अन्य सभी अभिव्यक्तियों, जब तक कि यहां परिभाषित नहीं किया गया है, का वही अर्थ होगा जो उन्हें बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 के तहत निर्धारित किया गया है। अध्याय – II 4.1 कोई भी व्यक्ति जो अधिग्रहण करने का इरादा रखता है जिसके परिणामस्वरूप किसी बैंकिंग कंपनी4 में प्रमुख शेयरधारिता होने की संभावना है, उसे रिज़र्व बैंक को एक आवेदन प्रस्तुत करके रिज़र्व बैंक की पूर्व स्वीकृति प्राप्त करने की आवश्यकता है। 4.2 आवेदक से आवेदन और घोषणा प्राप्त होने पर, भारतीय रिज़र्व बैंक प्रस्तावित अधिग्रहण के संबंध में बैंकिंग कंपनी से टिप्पणियां मांग सकता है। 4.3 रिज़र्व बैंक से संदर्भ प्राप्त होने पर, विचार किए जानेवाले पहलुओं की व्यापकता के प्रति पूर्वाग्रह किए बिना, बैंकिंग कंपनी का निदेशक मंडल (बोर्ड), प्रदान की गई जानकारी के साथ-साथ बैंकिंग कंपनी द्वारा किए गए उचित सावधानी के आधार पर, प्रस्तावित अधिग्रहण पर विचार-विमर्श करेगा और व्यक्ति की ‘उचित और उपयुक्त’ स्थिति का आकलन करेगा। संबन्धित बैंकिंग कंपनी सभी प्रासंगिक पहलुओं पर विचार करने के बाद इन निदेशों में निर्दिष्ट प्रपत्र ए1 में संबन्धित बोर्ड संकल्प की एक प्रति और सूचना के साथ अपनी टिप्पणी 30 दिनों के भीतर रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत करेगी। इस उद्देश्य के लिए, बैंकिंग कंपनियां प्रमुख शेयरधारकों के लिए बोर्ड द्वारा अनुमोदित ‘उचित और उपयुक्त’ मानदंड स्थापित करेंगी, जो, कम से कम, अनुबंध II में उल्लिखित उदाहरणात्मक ‘उचित और उपयुक्त’ मानदंडों पर विचार करेगी। 4.4 रिज़र्व बैंक आवेदक की 'उचित और उपयुक्त' स्थिति का आकलन करने के लिए उचित जांच-पड़ताल करेगा। (क) अनुमति देने या अस्वीकार करने या (ख) आवेदन की तुलना में कम मात्रा में समग्र धारिता के अधिग्रहण के लिए अनुमति प्रदान करने संबंधी रिज़र्व बैंक का निर्णय आवेदक या संबंधित बैंकिंग कंपनी के लिए बाध्यकारी होगा। रिज़र्व बैंक अनुमति प्रदान करते समय आवेदक और संबंधित बैंकिंग कंपनी पर ऐसी शर्तें लगा सकता है जो उचित समझी जाएं। 4.5 इस तरह के अधिग्रहण के फलस्वरूप, यदि किसी भी समय समग्र धारण पाँच प्रतिशत से कम हो जाता है, तो उस व्यक्ति को रिज़र्व बैंक से नए सिरे से अनुमोदन प्राप्त करने की आवश्यकता होगी यदि वह व्यक्ति बैंकिंग कंपनी की चुकता शेयर पूंजी या कुल मताधिकारों के पाँच प्रतिशत या उससे अधिक तक समग्र धारिता को फिर से बढ़ाने का इरादा रखता है (बैं.वि. अधिनियम 1949 की धारा 12बी की उप-धारा (1) के अनुसार)। 4.6 वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफ़एटीएफ़) के गैर-अनुपालन क्षेत्राधिकारों5 के व्यक्तियों6 को किसी बैंकिंग कंपनी में प्रमुख शेयरधारिता हासिल करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। हालांकि, ऐसे एफएटीएफ गैर-अनुपालन क्षेत्राधिकारों के मौजूदा प्रमुख शेयरधारकों को अपने निवेश को जारी रखने की अनुमति दी जाएगी, बशर्ते कि रिज़र्व बैंक की पूर्व स्वीकृति के बिना कोई और अधिग्रहण न हो। तथापि, रिज़र्व बैंक किसी भी समय शेयर धारण किए हुए ऐसे व्यक्तियों की उपयुक्तता पर विचार कर सकता है और कानून और लागू नियमों के अनुसार उनके अनुमेय मतदान अधिकारों पर उपयुक्त आदेश पारित कर सकता है। अध्याय – III 5.1 बैंकिंग कंपनी लगातार निगरानी करेगी कि निम्नलिखित व्यक्ति निरंतर आधार पर 'उचित और उपयुक्त' हैं:
5.2 इसके अलावा, एक बैंकिंग कंपनी:
5.3 बैंकिंग कंपनियों द्वारा महत्वपूर्ण हिताधिकारी स्वामी में किसी भी परिवर्तन अथवा किसी व्यक्ति द्वारा प्रमुख शेयरधारक की प्रदत्त इक्विटी शेयर पूंजी के 10 प्रतिशत अथवा उससे अधिक की सीमा तक अधिग्रहण के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए एक तंत्र स्थापित किया जाएगा। सूचना प्राप्त करने में, बैंकिंग कंपनियों को दिशा-निर्देशों के साथ संलग्न प्रपत्र ए में मांगी गई सूचना द्वारा भी निर्देशित किया जाएगा। इस प्रकार प्राप्त सूचना के आधार पर, संबंधित बैंकिंग कंपनी द्वारा क्या प्रमुख शेयरधारक 'उचित और उपयुक्त' है अथवा नहीं यह सुनिश्चित करने के लिए समुचित सावधानी बरती जाएगी । ऐसे परिवर्तनों की सूचना प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर, बैंकिंग कंपनी द्वारा बोर्ड नोट और संकल्प के साथ एक संक्षिप्त रिपोर्ट विनियमन विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत किया जाएगा। 6. बैंककारी अधिनियम, 1949 की धारा 12बी (1) के उल्लंघन का पता लगाना 6.1 प्रत्येक बैंकिंग कंपनी द्वारा यह सुनिश्चित करने के लिए एक निरंतर निगरानी तंत्र स्थापित किया जाएगा कि प्रत्येक प्रमुख शेयरधारक ने शेयरधारिता/ मताधिकारों के लिए रिज़र्व बैंक की पूर्व स्वीकृति प्राप्त कर ली है। बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 12बी की उप-धारा (1) के किसी भी उल्लंघन की सूचना तुरंत रिज़र्व बैंक को दी जाएगी। कोई भी प्रमुख शेयरधारक9, जो बैं. वि. अधिनियम, 1949 की धारा 12बी की उप-धारा (3) के अंतर्गत आता है, और यदि उसने रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन प्राप्त नहीं किया है, तो वह प्रमुख शेयरधारिता के लिए रिज़र्व बैंक का अनुमोदन प्राप्त करने के बाद ही मतदान के अधिकार का प्रयोग कर सकता है। 6.2 अधिग्रहण / समग्र धारिता चुकता शेयर पूंजी या बैंकिंग कंपनी के मताधिकारों के पांच प्रतिशत से कम होने के बाद भी, यदि बैंक के पास यह विश्वास करने का उचित कारण हो कि शेयरधारक द्वारा अपनाई गई पद्धतियां सांविधिक आवश्यकताओं को दरकिनार करने के लिए हैं, तो बैंकिंग कंपनी द्वारा बोर्ड संकल्प और आवश्यक दस्तावेजों की एक प्रति के साथ एक संदर्भ रिपोर्ट रिज़र्व बैंक के समक्ष प्रस्तुत की जानी आवश्यक है। 6.3 बैंकिंग कंपनी द्वारा अपने बोर्ड को निरंतर निगरानी व्यवस्था पर आवधिक रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ बैं.वि. अधिनियम, 1949 की धारा 12बी की उप-धारा (5) के अनुपालन का मूल्यांकन शामिल होगा। 7. बैंकिंग कंपनी में विविधीकृत शेयरधारिता 7.1 बैंकिंग कंपनियां (पेमेंट्स बैंकों को छोड़कर) जो इन निदेशों के जारी होने की तारीख में परिचालन में हैं और जहां किसी व्यक्ति की समग्र धारिता दिशा-निर्देशों के अनुरूप नहीं है, ऐसे मामले में बैंकिंग कंपनियों द्वारा इन निदेशों के जारी होने की तारीख से छह महीने के भीतर शेयरधारिता विलयन योजना प्रस्तुत की जाएगी। 8.1 शेयरों को जारी10 करने और आवंटित करने के पश्चात, बैंकिंग कंपनी द्वारा आवंटन प्रक्रिया के पूर्ण होने के 14 दिनों के भीतर प्रपत्र ए2 में विवरण की रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी। बैंकिंग कंपनी द्वारा यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि रिज़र्व बैंक द्वारा किसी व्यक्ति के लिए स्वीकृत सीमा का उल्लंघन नहीं किया जाए। 8.2 बैंकिंग कंपनी द्वारा एक कार्य दिवस के भीतर पर्यवेक्षण विभाग को दिशा-निर्देशों के साथ संलग्न प्रपत्र बी में प्रवर्तक (प्रवर्तकों)11 और प्रवर्तक समूह द्वारा रिपोर्ट किए गए शेयरों के ऋण-भार पर विवरण भेजना आवश्यक होगा। इसके अलावा, बैंकिंग कंपनी द्वारा अपने बोर्ड के समक्ष रिपोर्ट रखी जाएगी और घटना की तारीख से 30 दिनों के भीतर विनियमन विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक को एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी। अध्याय IV 9. निम्नलिखित तीन मास्टर निदेशों को उपयुक्त संशोधनों के साथ इन निदेशों में समेकित किया गया है, और इस प्रकार वे इन निदेशों के जारी होने की तिथि से निरस्त किए जाते हैं:
10. रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निम्नलिखित परिपत्रों में निहित निर्देश/दिशानिर्देश पहले ही मास्टर निदेशों के माध्यम से निरस्त कर दिए गए थे (जैसा कि नीचे उल्लेख किया गया है), और इस प्रकार वे निरस्त बने हुए हैं: (ए) मास्टर निदेश सं.डीबीआर.पीएसबीडी.सं.56/16.13.100/2015-16 दिनांक 19 नवंबर 2015 - भारतीय रिज़र्व बैंक (निजी क्षेत्र के बैंकों में शेयरों के अधिग्रहण अथवा मताधिकार के लिए पूर्व अनुमोदन) - निदेश, 2015
(बी) दिनांक 21 अप्रैल 2016 के मास्टर निदेश डीबीआर.पीएसबीडी.सं.95/16.13.100/2015-16 - भारतीय रिज़र्व बैंक (निजी क्षेत्र के बैंकों द्वारा शेयरों का निर्गम और मूल्य निर्धारण) निदेश, 2016
(सी) दिनांक 12 मई 2016 के मास्टर निदेश डीबीआर.पीएसबीडी.सं. 97/16.13.100/2015-16 - भारतीय रिज़र्व बैंक (निजी क्षेत्र के बैंकों में स्वामित्व) निदेश, 2016
11. उक्त परिपत्रों/निदेशों के तहत दिए गए सभी अनुमोदन/स्वीकृतियां इन निदेशों के तहत दिए गए मानी जाएगी। शेयरों या मताधिकारों का अप्रत्यक्ष अधिग्रहण किसी व्यक्ति (प्राकृतिक या कानूनी) द्वारा शेयरों या मतदान अधिकारों के अप्रत्यक्ष अधिग्रहण में, अन्य के बीच, इस तरह का अधिग्रहण शामिल हो सकता है:
आवेदकों/प्रमुख शेयरधारकों की "उचित और उपयुक्त" स्थिति का निर्धारण करने के लिए उदाहरण स्वरूप मानदंड (i) बैंकिंग कंपनी में पांच प्रतिशत या अधिक लेकिन 10 प्रतिशत से कम के अधिग्रहण के लिए:
(ii) बैंकिंग कंपनी में 10 प्रतिशत या अधिक के अधिग्रहण के लिए:
1 ये निदेश विदेशी बैंकों [शाखा मोड या पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी (डब्ल्यूओएस) मोड के माध्यम से संचालित] पर लागू नहीं हैं। 2 शेयरों में इक्विटी शेयर और अधिमानी शेयर शामिल हैं जैसा कि बीआर अधिनियम, 1949 की धारा 12 (1) (ii) में उल्लिखित है। 3 इस दिशा में “अप्रत्यक्ष” शब्द के उपयोग में कंपनी (महत्वपूर्ण हिताधिकारी स्वामी) नियम, 2018 के नियम 2 (एच) के स्पष्टीकरण III में दिए गए अर्थ को शामिल किया जाएगा। 4 यह मानते हुए गणना की जाएगी कि व्यक्ति को जारी किए गए/जारी किए जाने वाले सभी लिखतों (संपरिवर्तनीय लिखतों सहित) को शेयरों (लागू मतदान अधिकारों के साथ) में संपरिवर्तित कर दिया गया है और बैंकिंग कंपनी की चुकता शेयर पूंजी या कुल मतदान अधिकारों में शामिल माना गया है। 5 यह उन विभिन्न अधिकारक्षेत्रों पर भी लागू होगा जिनके माध्यम से निवेश के लिए धन भेजा जाता है। 6 i) कॉल फॉर एक्शन के अधीन उच्च-जोखिम क्षेत्र, और ii) वर्धित निगरानी के तहत अधिकार क्षेत्र। 7 प्रमुख शेयरधारकों में प्रवर्तक, जिनके पास प्रमुख शेयर धारिता है, वह भी शामिल हैं। 8 बैं. वि. अधिनियम, 1949 की धारा 12 बी की उप-धारा (4) के तहत रिज़र्व बैंक द्वारा दिए गए अनुमोदन के लिए किसी भी वैधता अवधि के अधीन। 9 इसमें शेयरों का अधिग्रहण या मतदान अधिकारों का प्रयोग करने का अधिकार शामिल है, जिसमें शेयरों के ऋणभार को सम्मिलित करना शामिल है। 10 बैंकिंग कंपनी के पास फेमा, 1999, सेबी के नियमों, कंपनी अधिनियम के प्रावधानों और उसके तहत बनाए गए नियमों आदि जैसी विभिन्न शर्तों के अधीन शेयर जारी करने की सामान्य अनुमति है। 11 “प्रवर्तक और प्रवर्तक समूह" का वही अर्थ है जो 5 दिसंबर 2019 को, समय-समय पर यथासंशोधित, निजी क्षेत्र में लघु वित्त बैंकों के 'ऑन टैप' लाइसेंस के लिए दिशानिर्देशों के अनुबंध I में कहा गया है। 13 उदाहरण के तौर पर, एक या एक से अधिक अन्य संस्थाओं से जुड़ी संस्थाएं क्योंकि उन सभी के पास एक ही शेयरधारक संरचना है, बिना किसी नियंत्रित शेयरधारक के या क्योंकि वे एकीकृत आधार पर प्रबंधित हैं। 14 इन निदेशों के प्रयोजन के लिए, किसी बैंकिंग कंपनी के प्रवर्तक समूह को मान्यता देने के लिए मान्यता मानदंड व्यक्ति के प्रवर्तक और प्रवर्तक समूह को मान्यता देने के लिए लागू होंगे। 15 इसमें प्राइवेट इक्विटी फंड्स, इसके जनरल पार्टनर्स और लिमिटेड पार्टनर्स, इन्वेस्टमेंट मैनेजर या एक या अधिक व्यक्तियों के निधि के प्रबंधन का समान कार्य करने वाला कोई अन्य व्यक्ति भी शामिल होगा। 16 नियंत्रण जैसा कि कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2(27) में परिभाषित - नियंत्रण के अंतर्गत बहुसंख्यक निदेशकों को नियुक्त करने या प्रबंधन या ऐसे नीति विनिश्चयों का नियंत्रण करने का एस अधिकार भी होगा, जो वैयक्तिक या सम्मिलित रूप से कार्य कर रहे किसी व्यक्ति या व्यक्तियों द्वारा उनके शेयर धारण या प्रबंधन अधिकारों या शेयर धारक करारों या मतदान करारों के आधार पर या किसी अन्य रीति से प्रत्यक्षत: या अप्रत्यक्षत:, प्रयोक्तव्य है 17 इसमें एक या एक से अधिक व्यक्तियों के लिए प्रॉक्सी सलाहकार शामिल होंगे जिनके पास मतदान के अधिकार का प्रयोग करने का अधिकार होगा। |