मर्चेंटिंग ट्रेड लेनदेन – संशोधित दिशानिर्देश - आरबीआई - Reserve Bank of India
मर्चेंटिंग ट्रेड लेनदेन – संशोधित दिशानिर्देश
भारिबैंक/2013-14/545 28 मार्च 2014 सभी श्रेणी I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, मर्चेंटिंग ट्रेड लेनदेन – संशोधित दिशानिर्देश प्राधिकृत व्यापारी श्रेणीIबैंकों का ध्यान 19 जून 2003 और 19 जुलाई 2003 के क्रमश: ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.106 और परिपत्र सं. 4 की ओर आकृष्ट किया जाता है जिनमें मर्चेंटिंग ट्रेड लेनदेनों से संबन्धित दिशानिर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा, निर्यातकों के लिए सेवाओं/सुविधाओं के संबंध में गठित तकनीकी समिति (अध्यक्ष श्री जी॰ पद्मनाभन) की संस्तुतियों के आलोक में प्रक्रिया के और उदारीकरण तथा सरलीकरण हेतु वर्तमान दिशानिर्देशों की समीक्षा 17 जनवरी 2014 के परिपत्र ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.95 में की गई थी। 2. मर्चेंटिंग ट्रेडर एवं ट्रेड निकायों से प्राप्त सुझावों को ध्यान में रखते हुए, मर्चेंटिंग ट्रेड लेनदेनों संबंधी दिशानिर्देशों की फिर से समीक्षा की गई है। तदनुसार, यह निर्णय लिया गया है कि निम्नलिखित संशोधित दिशार्निर्देश जारी किए जाएं: i) किसी ट्रेड को मर्चेंटिंग ट्रेड के रूप में वर्गीकृत होने के लिए निम्नलिखत शर्तें पूरी होनी चाहिए:
ii) मर्चेंटिंग ट्रेड लेनदेनों में वह माल शामिल हो सकेगा जिसके निर्यात/आयात के लिए अनुमति, पोतलदान की तारीख को प्रचलित भारत की विदेशी व्यापार (ट्रेड) नीति में दी गई हो एवं निर्यात (निर्यात घोषणा पत्र को छोड़कर) तथा आयात (बिल आफ एंट्री को छोड़कर) के लिए लागू तत्संबंधी सभी नियमों, विनियमों तथा दिशानिर्देशों का पालन क्रमश: निर्यात लेग तथा आयात लेग के लिए किया गया हो; iii) प्राधिकृत व्यापारी बैंक लेनदेन की वास्तविकता (bonafides) से संतुष्ट हो। इसके अलावा, ऐसे लेनदेन करते समय प्राधिकृत व्यापारी बैंक को 'अपने ग्राहक को जानने (KYC)'/ 'धनशोधन निवारण (AML)' संबंधी दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए; iv) मर्चेंटिंग ट्रेड लेनदेन के दोनों लेग एक ही प्राधिकृत व्यापारी बैंक के मार्फत पूरे होने चाहिए। बैंक को इनवाइस, पैकिंग लिस्ट, ट्रांस्पोर्ट दस्तावेज और बीमा दस्तावेज { यदि मूल दस्तावेज उपलब्ध न हों तो दस्तावेजों को भेजने/प्राप्त करने वाले बैंक द्वारा विधिवत प्रमाणित अपरक्राम्य (not negotiable) प्रतियां प्राप्त की जाएं} परखने (verify करने) चाहिए और ट्रेड की मौलिकता (genuineness) के प्रति संतुष्ट हो लेना चाहिए; v) मर्चेंटिंग ट्रेड लेनदेन संबंधी पूरी प्रक्रिया समग्र नौ माह में पूरी होनी चाहिए और उसके लिए विदेशी मुद्रा परिव्यय (outlay) चार माह से अधिक अवधि के लिए नहीं होना चाहिए; vi) मर्चेंटिंग ट्रेड का प्रारंभ पोत लदान/निर्यात लेग रसीद अथवा आयात लेग भुगतान की तारीख में से जो भी पहले की तारीख हो से माना जाएगा। इसके पूरे होने की तारीख वह होगी जो पोत लदान/निर्यात लेग रसीद अथवा आयात लेग भुगतान की तारीख में से अंतिम तारीख होगी; vii) अल्पावधि क्रेडिट या तो आपूर्तिकर्ता की क्रेडिट अथवा क्रेता की क्रेडिट मर्चेंटिंग ट्रेड लेनदेनों के लिए उस सीमा तक उपलब्ध होगी जो निर्यात लेग के लिए अग्रिम विप्रेषण द्वारा समर्थित न हो, इसमें, आयात लेनदेनों की भांति, प्राधिकृत व्यापारी बैंक द्वारा निर्यात लेग के लिए एलसी की डिस्काउंटिंग शामिल है; viii) यदि मर्चेंटिंग ट्रेडर को निर्यात लेग के लिए अग्रिम प्राप्त हो तो प्राधिकृत व्यापारी बैंक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसे संबंधित आयात लेग के भुगतान के लिए चिह्नित किया जाए। हालांकि, प्राधिकृत व्यापारी बैंक ऐसी निधियों को अंतर अवधि हेतु ब्याज सहित खाते (के रूप) में अल्पावधि नियोजित करने की अनुमति दे सकता है; ix) समुद्रपारीय बिक्रेता द्वारा मांग किए जाने पर आयात लेग के लिए अग्रिम भुगतान की अनुमति मर्चेंटिंग ट्रेडर को दी जा सकती है। उन मामलों में जहां समुद्रपारीय आपूर्तिकर्ता को जावक विप्रेषण समुद्रपारीय क्रेता से आवक विप्रेषण से पहले करना पड़े, वहां प्राधिकृत व्यापारी बैंक ऐसे लेनदेन की सुविधा अपने वाणिज्यिक निर्णय के आधार पर दे सकते हैं। हालांकि, इस संबंध में यह सुनिश्चित करना चाहिए कि केवल उन मामलों एवं सीमाओं को छोड़कर जहां निर्यात लेग के लिए भुगतान पहले ही मिल चुका हो, 2,00,000 अमरीकी डालर से अधिक के आयात लेग के लिए अग्रिम भुगतान बैंक गारंटी/अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठित बैंक की एलसी पर दिए जाएं; x) परिव्यय तथा नौ माह में लेनदेन पूरे होने की बात को ध्यान में रखते हुए, पक्के निर्यात आदेशों पर आपूर्तिकर्ता को एलसी की अनुमति दी जाती है; xi) मर्चेंट ट्रैडर के विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा खाते (EEFC) में जमा शेष से आयात लेग के लिए भुगतान करने की भी अनुमति दी जा सकती है; xii) प्राधिकृत व्यापारी बैंक प्रत्येक मर्चेंटिंग ट्रेड लेनदेन के मामले में एक लेग की उसी प्रति लेग से मैचिंग (one to one matching) सुनिश्चित करे और ट्रेडर द्वारा किसी लेग में की गई चूक को संबंधित अर्ध वर्ष अर्थात जून और दिसंबर की समाप्ति से 15 दिनों के भीतर विनिर्दिष्ट फार्मेट (संलग्न) में भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को रिपोर्ट करे; xiii) उन चूककर्ता मर्चेंटिंग ट्रेडरों के नाम सचेतक सूची में डाले जाएंगे, जहां बकाया उनके वार्षिक निर्यात की आय के 5% को छू लेगी। 3. मर्चेंटिंग ट्रेडर वस्तुओं के वास्तविक (मौलिक) व्यापारी होने चाहिए, न कि केवल वित्तीय मध्यवर्ती। समुद्रपारीय क्रेताओं से उन्हें पक्के आदेश प्राप्त होने चाहिए। मेर्चेंटिंग ट्रेडर द्वारा आदेश के दायित्व को पूरा करने की क्षमता के प्रति प्राधिकृत व्यापारी को संतुष्ट हो लेना चाहिए। समग्र मर्चेंटिंग लेनदेनों से मेर्चंटिंग ट्रेडर को समुचित लाभ होना चाहिए। 4. यह स्पष्ट किया जाता है कि इस परिपत्र की विषयवस्तु 17 जनवरी 2014 के बाद प्रारंभ किए गए मर्चेंटिंग ट्रेड लेनदेनों के संबंध में लागू होगी। 5. "आर" रिटर्न के समेकन के लिए मर्चेंटिंग ट्रेड लेनदेनों की रिपोर्टिंग सकल आधार पर निम्नलिखित कूट संख्याओं (codes) के समक्ष/साथ की जाए;
6. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों को अवगत कराएं और कड़ाई के साथ अनुपालन के लिए दिशानिर्देशों को नोट करें। 7. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं। भवदीय, (सी॰डी॰ श्रीनिवासन) |