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समुद्रपारीय (ओवरसीज)प्रत्यक्ष निवेश – उदारीकरण / युक्तिकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India

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समुद्रपारीय (ओवरसीज)प्रत्यक्ष निवेश – उदारीकरण / युक्तिकरण

भारिबैंक/2010-11/548
ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.69

27 मई 2011

सभी श्रेणी -। प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय

समुद्रपारीय (ओवरसीज)प्रत्यक्ष निवेश – उदारीकरण / युक्तिकरण

प्राधिकृत व्यापारी (एडी श्रेणी-।) बैंकों का ध्यान समय समय पर यथा संशोशित 7 जुलाई 2004 की अधिसूचना सं. फेमा 120/आरबी-2004 (विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) (संशोधन) विनियमावली, 2004 (अधिसूचना)) तथा 27 मार्च 2006 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.29 की ओर आकर्षित किया जाता है ।

2. विदेशों में निवेशकर्ता करने वाली भारतीय कंपनियों (कार्पोरेटों) को परिचालनगत लचीलापन उपलब्ध कराने की दृष्टि से, यह निर्णय लिया गया है कि समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश से संबंधित निम्नलिखित विनियमों को और उदार/युक्तियुक्त बनाया जाए:

i) भारतीय पार्टी द्वारा जारी निष्पादन गारंटियां

वर्तमान में, भारतीय पार्टी की 'वित्तीय प्रतिबद्धता' में समुद्रपारीय संयुक्त उद्यम(जेवी)/पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों(डब्ल्यूओएस) की पूंजी में अंशदान, संयुक्त उद्यम(जेवी)/पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों(डब्ल्यूओएस) को प्रदान किये गये ऋण तथा संयुक्त उद्यम(जेवी)/पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों(डब्ल्यूओएस) को अथवा उनकी ओर से जारी 100 प्रतिशत गारंटियां शामिल हैं। विदेश में परियोजना के कार्यान्वयन में निष्पादन गारंटी लिखतों की उपयोगिता तथा प्रयोग को ध्यान में रखते हुए और वित्तीय गारंटियों की तुलना में ऐसी गारंटियों के साथ जुड़े जोखिम पर विचार करते हुए यह निर्णय लिया गया है कि उनके समुद्रपारीय संयुक्त उद्यम(जेवी)/पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों(डब्ल्यूओएस) के लिए वित्तीय प्रतिबद्धता के परिकलन के प्रयोजन हेतु पिछले लेखा-परीक्षित तुलन पत्र की तारीख को भारतीय पार्टी की निवल मालियत के 400 प्रतिशत की सीमा के भीतर निष्पादन गारंटियों की राशि के केवल 50 प्रतिशत राशि तक की ही गणना की जाएगी । इसके अलावा, संविदा पूर्ण करने के लिए विनिर्दिष्ट अवधि, संबंधित निष्पादन गारंटी की वैधता अवधि के रूप में मानी जाएगी । वर्तमान में, जिस प्रकार वित्तीय गारंटियां रिपोर्ट की जा रही हैं, उसी प्रकार इन गारंटियो को भारतीय पार्टी द्वारा रिपोर्ट किया जाएगा । ऐसे मामले, जहां निष्पादन गारंटियों के आह्वान के कारण भारतीय पार्टी की निवल मालियत के 400 प्रतिशत के वित्तीय एक्स्पोज़र की उच्चतम सीमा भंग होती हो, वहां  भारतीय पार्टी को ऐसे आह्वान के कारण भारत से निधियां प्रेषित करने से पूर्व रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन लेना आवश्यक होगा ।

ii) ऐसी समुद्रपारीय संस्था (ओवरसीज इंटिटी) के तुलन पत्र को पुन: संतुलित (रिस्ट्रक्चर) करना, जहाँ पूंजी तथा प्राप्य राशियां बट्टे खाते में डालना शामिल हो

मौजूदा फेमा विनियमावली, समुद्रपारीय संयुक्त उद्यम(जेवी)/पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों(डब्ल्यूओएस), जिनमें संस्था का समापन या भारतीय पार्टी द्वारा उसके स्टेक का विनिवेश शामिल न हो, के तुलन पत्र को पुन: संतुलित करने की अनुमति नहीं देती है । भारतीय कार्पोरेटों को परिचालनगत अधिक लचीलापन उपलब्ध कराने की दृष्टि से, यह निर्णय लिया गया है कि भारतीय प्रवर्तक जिन्होंने विदेश में पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी(डब्ल्यूओएस) स्थापित की है अथवा समुद्रपारीय संयुक्त उद्यम में न्यूनतम 51 प्रतिशत के स्टेक धारी है, वे संयुक्त उद्यम(जेवी)/पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों(डब्ल्यूओएस) के संबंध में पूंजी(ईक्विटी /अधिमानी शेयर) अथवा ऋण, रॉयल्टी, तकनीकी जानकारी शुल्क तथा प्रबंध शुल्क जैसी अन्य प्राप्य राशियां बट्टे खाते में डाल सकते हैं, भले ही ऐसे संयुक्त उद्यम(जेवी)/पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियां(डब्ल्यूओएस) निम्नानुसार कार्य करना जारी रखती हैं ;

(i) सूचीबद्ध भारतीय कंपनियों को स्वत: अनुमोदित मार्ग के तहत संयुक्त उद्यम(जेवी)/पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी (डब्ल्यूओएस) में किए गए ईक्विटी निवेश के 25 प्रतिशत तक पूंजी तथा अन्य प्राप्य राशियां बट्टे खाते में डालने की अनुमति दी जाती है; और

(ii) गैर- सूचीबद्ध कंपनियों को अनुमोदित मार्ग के तहत संयुक्त उद्यम(जेवी)/पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी (डब्ल्यूओएस) में किए गए ईक्विटी निवेश के 25 प्रतिशत तक पूंजी तथा अन्य प्राप्य राशियां बट्टे खाते में डालने की अनुमति दी जाती है ।

बट्टे खाते में डालने/रिस्ट्रक्चरिंग किये जाने पर उसकी सूचना 30 दिनों के भीतर पदनामित प्राधिकृत व्यापारी बैंक के जरिये रिज़र्व बैंक को रिपोर्ट की जानी है । बट्टे खाते में डालना/रिस्ट्रक्चरिंग इस शर्त के तहत अनुमत है कि भारतीय पार्टी छान-बीन के लिए निम्नलिखित दस्तावेज स्वत: अनुमोदित मार्ग अथवा अनुमोदित मार्ग के तहत पदनामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक को आवेदन पत्रों के साथ प्रस्तुत करेगी:

ए) भारतीय पार्टी द्वारा स्थापित पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी (डब्ल्यूओएस)/ संयुक्त उद्यम(जेवी) में हानि दर्शानेवाले तुलन पत्र की प्रमाणित प्रति; और

बी) बट्टे खाते में डालने/रिस्ट्रक्चरिंग के परिणामस्वरूप भारतीय कंपनी को मिलने वाले लाभों को  दर्शाने वाला आगामी पांच वर्षों के लिए प्रक्षेपण (प्रोजेक्शन)।

iii) जिनके संबंध में बट्टे खाते डाला जाना है ऐसे समुद्रपारीय संयुक्त उद्यम(जेवी)/पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों(डब्ल्यूओएस) में अपने स्टेक का भारतीय पार्टियों द्वारा विनिवेश

(ए) 7 जुलाई 2004 की, समय समय पर यथा संशोधित अधिसूचना सं. फेमा 120/आरबी-2004 के विनियम 16 के अनुसार, 'बट्टे खाते में डाले' जाने वाले सभी विनिवेशों, अर्थात् यदि विनिवेश पर प्रत्यावर्तित राशि मूल निवेश की राशि से कम है, के लिए रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन लेना आवश्यक है । 27 मार्च 2006 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 29 के अनुसार यह निर्णय लिया गया था कि स्वत: अनुमोदित मार्ग के तहत निम्नलिखित श्रेणियों के विनिवेश की अनुमति रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन के बिना निम्नलिखित शर्तों पर दी जाए :

i) ऐसे मामलों में जहां संयुक्त उद्यम(जेवी)/पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियां(डब्ल्यूओएस) समुद्रपारीय स्टॉक एक्स्चेंज में सूचीबध्द हैं;

ii) ऐसे मामलों में जहां भारतीय प्रवर्तक कंपनी भारत के स्टॉक एक्स्चेंज में सूचीबद्ध है तथा उसकी निवल मालियत 100 करोड़ रूपये से कम नहीं है; और

iii) जहां भारतीय प्रवर्तक कंपनी गैर-सूचीबद्ध कंपनी है तथा समुद्रपारीय उद्यमों में उसका निवेश 10 मिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक नहीं है ।

उपर्युक्त शर्तों में आंशिक संशोधन करते हुए, अब यह निर्णय लिया गया है कि 100 करोड़ रुपये से कम निवल मालियत वाली तथा समुद्रपारीय संयुक्त उद्यम(जेवी)/पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी (डब्ल्यूओएस) में 10 मिलियन अमरीकी डॉलर से अनधिक निवेश वाली सूचीबद्ध भारतीय प्रवर्तक कंपनियों को इस अपेक्षा के साथ स्वत: अनुमोदन मार्ग के तहत विनिवेश के लिए शामिल किया जाए कि भारतीय पार्टी विनिवेश की तारीख से 30 दिनों के भीतर पदनामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंक के जरिये विनिवेश रिपोर्ट करेंगी ।

(बी) यह भी स्पष्ट किया जाता है कि स्वत: अनुमोदित मार्ग के तहत आने वाले विनिवेश के मामलों में ऐसे मामलों को भी शामिल किया जाएगा जहां विनिवेश के बाद प्रत्यावर्तित राशि मूल निवेशित राशि से कम है, बशर्ते कार्पोरेट उल्लिखित श्रेणियों में आते हों ।

iv) भारतीय पार्टी द्वारा संयुक्त उद्यम(जेवी)/पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी (डब्ल्यूओएस) की स्टेप डाउन सहायक कंपनी को सामान्य अनुमति के तहत गारंटी जारी करना

(ए) वर्तमान में, भारतीय पार्टियों को स्वत: अनुमोदित मार्ग के तहत विशेष प्रयोजन संस्था (एसपीवी) के रूप में कार्यरत अपने संयुक्त उद्यम(जेवी)/पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी (डब्ल्यूओएस) द्वारा स्थापित उनके पहले स्तर के स्टेप डाउन कार्यरत संयुक्त उद्यम(जेवी)/पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी (डब्ल्यूओएस) की ओर से कार्पोरेट गारंटी जारी करने की अनुमति है, बशर्ते भारतीय पार्टी की 'वित्तीय प्रतिबध्दता' समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश की मौजूदा सीमा के भीतर हो । इस संबंध में और अधिक उदारीकरण के उपाय के रूप में, यह निर्णय लिया गया है कि प्रत्यक्ष सहायक कंपनी कार्यरत कंपनी अथवा विशेष प्रयोजन संस्था (एसपीवी) होने पर ध्यान दिये बिना भारतीय प्रवर्तक संस्था समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश के लिए प्रचलित (अनुमत) सीमा के भीतर स्वत: अनुमोदित मार्ग के तहत फर्स्ट जनरेशन स्टेप डाउन कार्यरत कंपनी की ओर से कार्पोरेट गारंटी प्रदान कर सकती है । ऐसी गारंटियां अब तक की भांति, संबंधित पदनामित प्राधिकृत व्यापारी के जरिये ओडीआइ फॉर्म में रिज़र्व बैंक को रिपोर्ट करनी होंगी ।

(बी) इसके अलावा, यह भी निर्णय लिया गया है कि सेकंड जनरेशन अथवा अनुवर्ती स्तर की स्टेप डाउन कार्यरत सहायक कंपनियों की ओर से कार्पोरेट गारंटी जारी करना अनुमोदित मार्ग के तहत समझा जाएगा बशर्ते भारतीय पार्टी ऐसी गारंटी जिस कंपनी के लिए जारी करना चाहती है उस समुद्रपारीय सहायक कंपनी में वह 51 प्रतिशत अथवा उससे अधिक स्टेक प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से धारण किये हो ।

3. विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम)विनियमावली, 2000 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किये जाएंगे।

4.  प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करायें ।

5. इस परिपत्र में समाहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम,1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किये गये हैं ।

भवदीया

(मीना हेमचंद्र)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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