अस्थायी प्रावधानों के संबंध में विवेकपूर्ण कार्रवाई - आरबीआई - Reserve Bank of India
अस्थायी प्रावधानों के संबंध में विवेकपूर्ण कार्रवाई
आरबीआई/2009-10/132 27 अगस्त 2009 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदय अस्थायी प्रावधानों के संबंध में विवेकपूर्ण कार्रवाई कृपया 25 मार्च 2009 के हमारे परिपत्र बैंपविवि.सं.बीपी.बीसी.118/21.04.048/2008-09 का पैराग्राफ (iv) तथा साथ ही 09 अप्रैल 2009 का हमारा परिपत्र बैंपविवि. सं.बीपी. बीसी. 122/21.04.048/2008-09 भी देखें जिनके अनुसार बैंकों को यह सूचित किया गया है कि वित्त वर्ष 2009-10 से निवल अनर्जक आस्तियों की गणना करने के लिए अस्थायी प्रावधानों को सकल अनर्जक आस्तियों से घटाया नहीं जा सकता, लेकिन उन्हें टियर II पूँजी के एक भाग के रूप में परिगणित किया जा सकता है बशर्ते वे कुल जोख़िम-भारित आस्तियों के 1.25% की समग्र उच्चतम सीमा के भीतर हों। 2. जैसा कि 09 अप्रैल 2009 के हमारे परिपत्र में उल्लिखित है, वित्तीय स्थिरता बोर्ड (एफएसबी), बैंकिंग पर्यवेक्षण पर बासल समिति (बीसीएसबी) तथा वैश्विक वित्तीय प्रणाली संबंधी समिति (सीजीएफएस) के साथ-साथ लेखांकन मानक निर्धारण करने वाली संस्थाएँ चक्रोन्मुखता (प्रोसाइक्लीकैलिटी) को कम करने के विस्तृत उपाय ढूँढ़ने की दिशा में काम रहे हैं जिनमें समष्टि-विवेकपूर्ण सरोकारों पर आधारित एक प्रतिचक्रीय प्रावधानीकरण व्यवस्था भी शामिल है। अभी इस कार्य को पूरा होने में शायद कुछ और समय लगेगा। 3. इस संबंध में चल रहे उपर्युक्त कार्य के आधार पर मौज़ूदा प्रावधानीकरण मानदंडों में जब कोई संशोधन किया जाएगा तो इस मामले में नए सिरे से सोच-विचार करना होगा। उपर्युक्त को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि 25 मार्च 2009 के उक्त परिपत्र के पैराग्राफ (iv) के कार्यान्वयन को अगली सूचना जारी होने तक स्थगित किया जाए। तदनुसार, बैंकों के पास यह विकल्प रहेगा कि वे निवल अनर्जक आस्तियों की गणना करने के लिए अस्थायी प्रावधानों को सकल अनर्जक आस्तियों में से घटाने अथवा उन्हें टियर II पूँजी के एक भाग के रूप में परिगणित करने में से किसी एक का चुनाव कर सकें बशर्ते वे कुल जोख़िम-भारित आस्तियों के 1.25% की समग्र उच्चतम सीमा के भीतर हों। भवदीय |