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ऋण संविभाग के संबंध में विभिन्न प्रकार के प्रावधानों का विवेकपूर्ण प्रयोग

आरबीआइ / 2008-09/418

बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 118 /21.04.048/2008-09
25 मार्च 2009
 
4 चैत्र 1931 (शक)
 

अध्यक्ष/अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक /प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक (स्थानीय क्षेत्र बैंकों सहित)
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)

 

महोदय

 
ऋण संविभाग के संबंध में विभिन्न प्रकार के प्रावधानों का विवेकपूर्ण प्रयोग
 

यह निर्णय लिया गया है कि ऋण संविभाग के संबंध में विभिन्न प्रकार के प्रावधानों के विवेकपूर्ण प्रयोग के लिए निम्नलिखित दिशानिर्देश निर्धारित किये जाएं । यह स्पष्ट किया जाता है कि संबंधित प्रावधानों को उनके समक्ष वर्णित प्रयोजनों के लिए ही प्रयुक्त किया जा सकता है ।

 

(i) अनर्जक आस्तियों के लिए निर्धारित दरों से उच्चतर दर पर अतिरिक्त प्रावधान :

 
प्रावधानीकरण के लिए विनियामक मानदंड न्यूनतम अपेक्षा दर्शाते हैं । अत:, बैंक अनर्जक आस्तियों के लिए मौजूदा विनियमों के अंतर्गत निर्धारित दरों से उच्चतर दर पर स्वेच्छा से विशेष प्रावधान कर सकते हैं बशर्ते ये उच्चतर दरें वसूली योग्य राशि में अनुमानित वास्तविक हानि के लिए प्रावधान करने के लिए निदेशक मंडल द्वारा अनुमोदित नीति पर आधारित हों और उक्त नीति साल दर साल समान रूप से अपनायी जाती हो । अनर्जक आस्तियों पर न्यूनतम विनियामक प्रावधान के समान ही अनर्जक आस्तियों के लिए अतिरिक्त प्रावधान को भी सकल अनर्जक आस्तियों से घटाकर निवल अनर्जक आस्तियाँ प्राप्त की जानी चाहिए ।
 

(ii) मानक आस्ति /अनर्जक आस्तियों की बिक्री पर अतिरिक्त प्रावधान :

 

(क) यदि बिक्री मानक आस्ति से संबंधित हो और बिक्री से प्राप्त राशि बही मूल्य से अधिक हो तो अतिरिक्त प्रावधान को लाभ और हानि खाते में जमा किया जाना चाहिए ।

 

(ख) अनर्जक आस्तियों की बिक्री से उत्पन्न होने वाले अतिरिक्त प्रावधान कुल जोखिम भारित आस्तियों के 1.25% की समग्र सीमा के भीतर टीयर II पूंजी में शामिल किये जा सकते हैं । अत: पूंजी पर्याप्तता और बाजार अनुशासन पर विवेकपूर्ण दिशानिर्देश - नये पूंजी पर्याप्तता ढाँचे के कार्यान्वयन पर 1 जुलाई 2008 के मास्टर परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 11/21.06.001/2008-09 के पैरा 4.3.2 तथा पूंजी पर्याप्तता पर विवकेपूर्ण मानदंड - बासल I ढाँचे पर 1 जुलाई 2008 के मास्टर परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 2/21.01.002/2008-09 के पैरा 2.1.1.2.ग के अनुसार अनर्जक आस्तियों की बिक्री पर उत्पन्न होने वाले अतिरिक्त प्रावधान टीयर II श्रेणी के लिए पात्र होंगे।

 

(iii) उचित मूल्य में कमी के लिए प्रावधान : मानक आस्ति और अनर्जक आस्ति, दोनों के संबंध में, पुनर्रचित अग्रिमों के उचित मूल्य में ब्याज दर में कटौती और/अथवा मूल ऋण राशि की चुकौती अनुसूची में परिवर्तन के कारण आयी कमी के लिए किये गये प्रावधान को संबंधित आस्ति से घटाने की अनुमति दी जाती है ।

 

(iv) अस्थायी प्रावधान : 22 जून 2006 के हमारे परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 89/21.04.048/ 2005-06 में आंशिक संशोधन करते हुए यह स्पष्ट किया जाता है कि यद्यपि निवल अनर्जक आस्तियां प्राप्त करने के लिए सकल अनर्जक आस्तियों में से अस्थायी प्रावधानों को नहीं घटाया जा सकता, तथापि अस्थायी प्रावधानों को कुल जोखिम भारित आस्तियों के 1.25% की समग्र सीमा के भीतर टीयर II पूंजी के अंग के रूप में शामिल किया जा सकता है ।

 

उपर्युक्त दिशानिर्देश इस परिपत्र की तारीख से प्रभावी हैं ।

 
 

भवदीय

 
 

(प्रशांत सरन)

प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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