बाह्य वाणिज्यिक उधार का पुनर्वित्तपोषण - आरबीआई - Reserve Bank of India
बाह्य वाणिज्यिक उधार का पुनर्वित्तपोषण
भा.रि.बैंक/2017-18/116 04 जनवरी 2018 सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी–I बैंक महोदया/महोदय, बाह्य वाणिज्यिक उधार का पुनर्वित्तपोषण प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I(एडी श्रेणी-I) बैंकों का ध्यान वर्ष 2017-18 के लिए पांचवे द्वैमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य के साथ जारी किए गए विकासात्मक एवं विनियामक नीतियों पर वक्तव्य के पैराग्राफ 2 की ओर आकर्षित किया जाता है। ‘बाह्य वाणिज्यिक उधार, व्यापार ऋण, प्राधिकृत व्यापारियों तथा प्राधिकृत व्यापारियों से इतर व्यक्तियों द्वारा विदेशी मुद्रा में उधार लेने एवं उधार देने’ से संबंधित समय-समय पर यथासंशोधित 01 जनवरी 2016 के मास्टर निदेश सं.05 के पैराग्राफ 2.15 तथा 2.16(xiii) के मौजूदा प्रावधानों के अनुसार भारतीय कॉर्पोरेट्स को निम्नतर समग्र लागत पर अपने विद्यमान बाह्य वाणिज्यिक उधार का पुनर्वित्तपोषण करने की अनुमति है। तथापि भारतीय बैंकों की समुद्रपारीय शाखाओं/ सहयोगी कंपनियों को इस प्रकार का पुनर्वित्त देने की अनुमति नहीं है। 2. समान अवसर क्षेत्र देने के उद्देश्य से भारत सरकार के साथ विचार-विमर्श कर के यह निर्णय लिया गया है कि भारतीय बैंकों की समुद्रपारीय शाखाओं/ सहयोगी कंपनियों को सार्वजनिक स्तर के नवरत्न तथा महारत्न श्रेणी के उपक्रमों तथा उच्च दर्जा प्राप्त (AAA) कंपनियों (कॉर्पोरेट्स) के ईसीबी का पुनर्वित्त पोषण करने की अनुमति दी जाए, बशर्ते मूल उधार की बकाया परिपक्वता को घटाया न जाए और नई ईसीबी की समग्र लागत मौजूदा ईसीबी से कम हो। मौजूदा ईसीबी के आंशिक पुनर्वित्तपोषण के लिए भी समान शर्तों के अधीन अनुमति प्रदान की जाएगी। 3. बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति से संबंधित अन्य सभी पहलू अपरिवर्तित बने रहेंगे। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-Iबैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबन्धित घटकों और ग्राहकों को अवगत कराएं। 4. इन परिवर्तनों को दर्शाने के लिए दिनांक 01 जनवरी 2016 के मास्टर निदेश सं॰ 5 के संबंधित पैराग्राफ को तदनुसार अद्यतन किया जा रहा है। 5. इस परिपत्र में निहित निर्देश, विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(2) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति / अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गये हैं। भवदीय |