भारिबैं/विवि/2025-26/138
विवि.एसटीआर.आरईसी.43/21.04.048/2025-26
29 जुलाई 2025
भारतीय रिज़र्व बैंक (एआईएफ़ में निवेश) निदेश, 2025
रिज़र्व बैंक द्वारा 19 दिसंबर 2023 को परिपत्र विवि.एसटीआर.आरईसी.58/21.04.048/2023-24 और 27 मार्च 2024 को विवि.एसटीआर.आरईसी.85/21.04.048/2023-24 ("मौजूदा परिपत्र") जारी किए गए थे, जिनमें रिज़र्व बैंक की विनियमित संस्थाओं (आरई) द्वारा वैकल्पिक निवेश निधियों (एआईएफ) में निवेश के संबंध में विनियामक दिशानिर्देश निर्धारित किए गए थे। उपर्युक्त दिशानिर्देशों की समीक्षा, अन्य बातों के साथ-साथ, उद्योग जगत से प्राप्त फीडबैक के साथ-साथ निवेशकों और एआईएफ के निवेशों के समुचित सावधानी से संबंधित भारतीय प्रतिभूति और विनिमयन बोर्ड (सेबी) द्वारा जारी विनियमनों को ध्यान में रखते हुए की गई है।
तदनुसार, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 21 और 35 ए; भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के अध्याय III बी और राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987 की धारा 30 ए, 32 और 33 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा इस बात से संतुष्ट होकर कि ऐसा करना सार्वजनिक हित में आवश्यक और समीचीन है, एतदद्वारा ये निदेश जारी किए जाते हैं, जो इसके बाद निर्दिष्ट किए गए हैं।
2. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ
ए) इन निदेशों को भारतीय रिज़र्व बैंक (एआईएफ़ में निवेश) निदेश, 2025 कहा जाएगा।
बी) ये निदेश 1 जनवरी 2026 से अथवा किसी भी पूर्व तिथि से लागू होंगे, जैसा कि किसी विनियमित संस्था द्वारा अपनी आंतरिक नीति के अनुसार तय किया गया हो ("प्रभावी तिथि")।
3. प्रयोज्यता
ये निदेश एआईएफ योजनाओं की इकाइयों में निम्नलिखित आरई द्वारा निवेश पर लागू होंगे:
ए) वाणिज्यिक बैंक (लघु वित्त बैंक, स्थानीय क्षेत्र बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक सहित)
बी) प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक/राज्य सहकारी बैंक/केंद्रीय सहकारी बैंक
सी) अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान
डी) गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (आवास वित्त कंपनियों सहित)
4. परिभाषाएँ
इन निदेशों के प्रयोजन के लिए निम्नलिखित परिभाषाएँ लागू होती हैं:
ए) किसी विनियमित संस्था की 'देनदार कंपनी' से तात्पर्य ऐसी किसी भी कंपनी से होगा, जिसके पास विनियमित संस्था का वर्तमान में अथवा पूर्व में पिछले बारह महीनों के दौरान किसी भी समय ऋण अथवा निवेश एक्सपोजर (इक्विटी लिखतों को छोड़कर) रहा हो।
बी) 'इक्विटी लिखत' का तात्पर्य इक्विटी शेयरों, अनिवार्यतः परिवर्तनीय अधिमान्य शेयरों (सीसीपीएस) और अनिवार्यतः परिवर्तनीय डिबेंचर (सीसीडी) से होगा।
5. सामान्य आवश्यकता
किसी विनियमित संस्था की निवेश नीति में एआईएफ योजना में उसके निवेश को नियंत्रित करने के लिए उपयुक्त प्रावधान होंगे, जो मौजूदा कानून और विनियमों के अनुरूप होंगे।
6. निवेश और प्रावधान पर सीमाएं
ए) किसी भी आरई द्वारा व्यक्तिगत रूप से एआईएफ योजना की आधारभूत निधि (कॉर्पस) के 10 प्रतिशत से अधिक का योगदान नहीं किया जाएगा।
बी) किसी भी एआईएफ योजना में सभी आरई द्वारा सामूहिक योगदान उस योजना के कॉर्पस के 20 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा।
सी) यदि कोई आरई किसी एआईएफ योजना के कोष में पांच प्रतिशत से अधिक का योगदान करता है, जिसमें आरई की देनदार कंपनी में अनुप्रवाही (डाउनस्ट्रीम) निवेश (इक्विटी लिखतों को छोड़कर) भी है, तो आरई को एआईएफ योजना के माध्यम से देनदार कंपनी में अपने आनुपातिक निवेश की सीमा तक 100 प्रतिशत प्रावधान करना होगा, जो कि देनदार कंपनी के लिए आरई के प्रत्यक्ष ऋण और/या निवेश एक्सपोजर की अधिकतम सीमा के अधीन होगा।
डी) पैराग्राफ 6(सी) के प्रावधानों के बावजूद, यदि किसी आरई का योगदान अधीनस्थ इकाइयों के रूप में है, तो वह अपने पूंजीगत निधियों से संपूर्ण निवेश की कटौती करेगा - दोनों टियर-1 और टियर-2 पूंजी से आनुपातिक रूप से (जहां भी लागू हो)।
7. छूट (अपवाद)
ए) मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (बैंकों द्वारा प्रदान की जाने वाली वित्तीय सेवाएं) निदेश, 2016 के प्रावधानों के अंतर्गत रिज़र्व बैंक के पूर्व अनुमोदन से किए गए बकाया निवेश अथवा प्रतिबद्धताएँ इन निदेशों के पैराग्राफ 6(ए) और 6(बी) के दायरे से बाहर रखी गई हैं।
बी) रिज़र्व बैंक, भारत सरकार के परामर्श से, एक अधिसूचना द्वारा, कुछ एआईएफ को मौजूदा परिपत्रों और संशोधित निदेशों (इन निर्देशों के पैराग्राफ 5 - "सामान्य आवश्यकता" को छोड़कर) के दायरे से छूट दे सकता है।
8. निरसन प्रावधान
ए) निम्नलिखित परिपत्रों को इन निदेशों की प्रभावी तिथि से निरस्त कर दिया जाएगा। प्रभावी तिथि के बाद एआईएफ योजना में योगदान के लिए आरई द्वारा की गई कोई भी नई प्रतिबद्धता, संशोधित निदेशों के संदर्भ में शासित होगी।
बी. उपर्युक्त निरसन प्रावधानों के बावजूद:
-
इन निदेशों के जारी होने की तिथि पर, किसी एआईएफ योजना में, किसी आरई द्वारा किया गया बकाया निवेश, जिसमें उसने अपनी प्रतिबद्धता का पूर्णतः पालन किया है, मौजूदा परिपत्रों के प्रावधानों द्वारा शासित होगा।
-
इन निदेशों की तिथि पर विद्यमान प्रतिबद्धता के अनुसार एआईएफ योजना में आरई द्वारा किए गए किसी निवेश के संबंध में, अथवा प्रभावी तिथि से पहले की गई किसी नई प्रतिबद्धता के संबंध में, आरई को मौजूदा परिपत्रों या संशोधित निदेशों के प्रावधानों का पूर्णतः पालन करना होगा।
|