जोखिम प्रबंधन और अंतर-बैंक लेन देन : विदेशी मुद्रा उधार की हेजिंग के लिए निवासियों को सुविधाओं में रियायत - आरबीआई - Reserve Bank of India
जोखिम प्रबंधन और अंतर-बैंक लेन देन : विदेशी मुद्रा उधार की हेजिंग के लिए निवासियों को सुविधाओं में रियायत
भारिबैं/2015-16/232 5 नवंबर 2015 सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक महोदया/महोदय जोखिम प्रबंधन और अंतर-बैंक लेन देन : विदेशी मुद्रा उधार की हेजिंग के लिए निवासियों को सुविधाओं में रियायत प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। (एडी श्रेणी-।) बैंकों का ध्यान समय-समय पर यथा संशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदा) विनियम, 2000 दिनांक 3 मई 2000 (अधिसूचना सं.फेमा/25/आरबी-2000 दिनांक 3 मई 2000) और ए.पी.(डीआइआर सीरीज) परिपत्र सं.32 दिनांक 28 दिसंबर 2010 की ओर आकर्षित किया जाता है, जिसमें ओवर दि काउंटर (ओटीसी) विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव एवं ओवरसीज हेजिंग ऑफ कमोडिटी प्राइस एंड फ्रेट रिस्क्स के संबंध में व्यापक दिशा-निर्देश अंतर्विष्ट हैं । 2. वर्तमान दिशा-निर्देशों के अंतर्गत, जिन निवासियों की, समय-समय पर यथा संशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (बॉरोविंग ऑर लेंडिंग इन फॉरेन एक्सचेंज) विनियम, 2000, फेमा 3/2000-आरबी दिनांक 3 मई 2000 और उसके अंतर्गत जारी किये गये नियमों विनियमों और दिशा-निर्देशों के अनुसार कोई दीर्घावधि विदेशी मुद्रा देयता है, उन्हें यह अनुमति दी जाती है कि वे उपर्युक्त परिपत्र में यथा उल्लिखित परिचालनगत दिशा-निर्देशों और शर्तों के अधीन फॉरेन करेंसी-आइएनआर स्वैप लेकर, जिससे कि वे विदेशी मुद्रा देयता से रुपया देयता की ओर जा सकें, विनिमय दर और/या उसके ब्याज दर जोखिम एक्सपोजर से बचाव कर सकें । 3. निवासियों द्वारा दीर्घावधि विदेशी मुद्रा उधार की हेजिंग किये जाने को सुविधाजनक बनाने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि उन्हें बहुपक्षीय या अंतर राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं (एमएफआइ/आइएफआइ) के साथ, जिनमें भारत एक शेयरधारक सदस्य है, निम्नलिखित शर्तों के अधीन एफसीवाइ-आइएनआर स्वैप करने की अनुमति दी जाये :
4. एडीश्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषय-वस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करायें । 5. इस परिपत्र में अंतर्विष्ट निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किये गये हैं और इनसे किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि हो, पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता । भवदीय, (आर. सुब्रमणियन) |