जोखिम प्रबंधन और अंतर-बैंक लेनदेन - आरबीआई - Reserve Bank of India
जोखिम प्रबंधन और अंतर-बैंक लेनदेन
01 जुलाई 2003 की स्थिति के अनुसार भारतीय रिजर्व बैंक जुलाई 1, 2003 मास्टर परिपत्र सं../1/2003-04 प्रति विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत डीलर प्रिय महोदय/ महोदया, मास्टर परिपत्र - जोखिम प्रबंधन और अंतर-बैंक लेनदेन फॉरवर्ड एक्सचेंज कवर, अन्य डेरिवेटिव उत्पादों, अनिवासी बैंकों के रुपया खातों और अंतर-बैंक लेनदेन आदि से संबंधित निम्नलिखित परिपत्रों में निहित निर्देशों को इस मास्टर परिपत्र में शामिल किया गया है। 1. ए.पी (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.92 दिनांकित 4 अप्रैल, 2003 2. ए.पी (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.93 दिनांकित 5 अप्रैल 2003 3. ए.पी (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.98 दिनांकित 29 अप्रैल 2003 4. ईसी.केंका. एफएमडी परिपत्र सं.8/02.03.75/2002-03 दिनांकित 11 फरवरी 2003 5. ईसी.केंका. एफएमडी परिपत्र सं.14/02.03.75/2002-03 दिनांकित 9 मई 2003. भवदीय, (ग्रेस कोशी) 1 जुलाई 2003 की स्थिति के अनुसार विषय-वस्तु भाग - ए जोखिम प्रबंधन खंड I प्राधिकृत डीलरों के अलावा अन्य निवासियों हेतु सुविधाएं: खंड II प्राधिकृत व्यापारियों के लिए सुविधाएं भाग – बी अनिवासी बैंकों के खाते सामान्य भाग – सी अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा लेनदेन सामान्य रिजर्व बैंक को रिपोर्ट करना अनुबंध I - VI भाग – ए जोखिम प्रबंधन खंड I प्राधिकृत डीलरों के अलावा निवासियों हेतु सुविधाएं: ए 1. भारत का रहने वाला कोई व्यक्ति ऐसे लेनदेनों, जिसके लिए जारी अधिनियम, या नियमों या विनियमनों या निर्देशों या आदेश के अंतर्गत विदेशी मुद्रा की बिक्री और या खरीद की अनुमति है, के संबंध में निम्नलिखित नियमों और शर्तों के अधीन विनिमय जोखिम के जोखिम को हेज करने के लिए भारत में एक प्राधिकृत डीलर के साथ वायदा संविदा कर सकता है। ए) दस्तावेजी साक्ष्य के सत्यापन के माध्यम से प्राधिकृत डीलर अंतर्निहित जोखिम की वास्तविकता के बारे में संतुष्ट है, भले ही लेनदेन चालू या पूंजी खाता वाले हो। समुचित प्रमाणीकरण के तहत ऐसे दस्तावेजों पर संविदा का पूरा विवरण अंकित किया जाना चाहिए और उसकी प्रतियां सत्यापन के लिए रखी जानी चाहिए। तथापि, प्राधिकृत डीलर इस परिपत्र के पैरा ए 2 में उल्लिखित शर्तों के अधीन एक्सपोजर की घोषणा के आधार पर आयातकों और निर्यातकों को वायदा संविदा करने की अनुमति दे सकते हैं। बी) हेज की परिपक्वता अंतर्निहित लेनदेन की परिपक्वता से अधिक न हो। सी) हेज मुद्रा और अवधि ग्राहक के अनुसार होनी चाहिए। डी) जहां अंतर्निहित लेनदेन की सही राशि सुनिश्चित नहीं है, वहां संविदा तर्कसंगत अनुमान के आधार पर बुक किया गया है, ई) विदेशी मुद्रा ऋण/बांड हेज के लिए तभी पात्र होंगे जब रिज़र्व बैंक द्वारा अंतिम अनुमोदन प्रदान किया जाएगा। जहां ऐसी स्वीकृति आवश्यक है अथवा रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा ऋण पहचान संख्या दी गई है। एफ़) वैश्विक निक्षेपागार रसीदें (जीडीआर) निर्गम मूल्य को अंतिम रूप दिए जाने के बाद ही हेज के लिए पात्र होंगी। जी) एक्सचेंज अर्जक विदेशी मुद्रा (ईईएफसी) खातों में शेष राशि जो खाताधारकों द्वारा वायदा के लिए बेची गई है, डिलीवरी के लिए चिह्नित रहेगी और ऐसी संविदा रद्द नहीं की जाएगी। तथापि, उन्हें रोल-ओवर किया जा सकता है। एच) एक वर्ष के भीतर देय होने वाले निवासियों के विदेशी मुद्रा जोखिम के संबंध में बुक किए गए वायदा संविदाओं को रद्द और पुनः बुक किया जा सकता है। यह सुविधा केवल उन्हीं ग्राहकों को उपलब्ध कराई जा सकती है जो संलग्न प्रारूप के अनुसार प्राधिकृत डीलरों को जोखिम का विवरण प्रस्तुत करते हैं। (अनुलग्नक V) । एक वर्ष से अधिक वाले देय एक्सपोजर को कवर करने के लिए बुक की गई वायदा संविदाओं को एक बार रद्द करने के बाद पुन: बुक नहीं किया जा सकता है। प्राधिकृत डीलर निर्यात संबंधी लेनदेन के संबंध में बिना किसी प्रतिबंध के इस सुविधा की पेशकश जारी रख सकते हैं। सभी वायदा संविदाओं को चालू बाजार दरों पर रोल ओवर किया जा सकता है। आई) एक प्राधिकृत डीलर द्वारा हेजिंग व्यापार संबंधी लेनदेन हेतु संविदाओं के प्रतिस्थापन की अनुमति उन परिस्थितियों से संतुष्ट होने पर ही दी जा सकती है जिसके अंतर्गत ऐसा प्रतिस्थापन आवश्यक हो गया है। ए.2 प्राधिकृत डीलर आयातकों और निर्यातकों को एक्सपोजर की घोषणा के आधार पर और पिछले कार्यनिष्पादन के आधार पर निम्नलिखित शर्तों के अधीन वायदा अनुबंध बुक करने की अनुमति दे सकते हैं: ए. कुल बुक की गई वायदा संविदा पिछले तीन वित्तीय वर्षों (अप्रैल से मार्च) के वास्तविक आयात/निर्यात टर्नओवर के औसत के आधार पर निर्धारित सीमा से अधिक नहीं होनी चाहिए। यह इस शर्त के अधीन है कि किसी भी समय इस प्रकार की बुक की गई वायदा संविदा 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर की सीमा के भीतर सीमा के 25% से अधिक नहीं होनी चाहिए। इन पात्र सीमाओं की गणना निर्यात और आयात लेनदेन के लिए अलग से की जानी है। बी. दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत किए बिना बुक की गई वायदा संविदा को इस सीमा के विरुद्ध चिह्नित किया जाएगा। सी. आयातकों और निर्यातकों को इस सुविधा के तहत अन्य बैंकों के साथ बुक की गई राशि के संबंध में प्राधिकृत डीलर को एक घोषणा पत्र प्रस्तुत जानी चाहिए। डी. वायदा संविदा की परिपक्वता से पहले समर्थित दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत करने हेतु ग्राहक से एक वचन पत्र लिया जा सकता है। ई. 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की सीमा का उपयोग करने हेतु इच्छुक आयातक/निर्यातक अपने आवेदन मुख्य महाप्रबंधक, भारतीय रिजर्व बैंक, मुद्रा नियंत्रण विभाग, विदेशी मुद्रा बाजार प्रभाग, केंद्रीय कार्यालय, मुंबई-400 001 (फैक्स नंबर 22611427, ईमेल ecdcofmd@rbi.org.in) को अधिक सीमा का उपयोग करने के कारणों का उल्लेख करते भेज सकते हैं। बढ़ी हुई सीमाओं के अंतर्गत बुक की गई वायदा संविदा सुपुर्दगी के आधार पर होगी। पिछले तीन वर्षों के आयात/निर्यात टर्नओवर, इन वर्षों के दौरान विलंबित चुकौती/भुगतान और प्राधिकृत डीलर द्वारा विधिवत प्रमाणित मौजूदा सीमाओं का विवरण भी संलग्न प्रारूप (अनुबंध VI) में प्रस्तुत किया जा सकता है। ए 3. एक प्राधिकृत डीलर के साथ रद्द की गई वायदा संविदा निम्नलिखित शर्तों के अधीन किसी अन्य प्राधिकृत डीलर के साथ बुक की जा सकती है: ए. प्रस्ताव पर प्रतिस्पर्धी दरों, प्राधिकृत डीलर के साथ बैंकिंग संबंधों की समाप्ति, जिसके साथ संविदा मूल रूप से बुक की गई थी, आदि द्वारा स्विच करने की जा सकती है। बी. संविदा की परिपक्वता तारीख पर रद्दीकरण और पुनर्बुकिंग एक साथ की जाती है। सी. यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी कि मूल संविदा रद्द कर दिया गया है, प्राधिकृत डीलर की होगी जो संविदा की फिर से बुकिंग करता है। ए 4 प्राधिकृत डीलर विदेशी मुद्रा में मूल्यवर्गित किंतु भारतीय रुपये में निपटान किए गए लेनदेन के संबंध में निवासियों के साथ वायदा संविदा भी कर सकते हैं। ये संविदाएं परिपक्वता तक रखी जाएंगी और परिपक्वता तिथि पर संविदाओं को रद्द करके नकद निपटान किया जाएगा। ऐसे लेनदेन को शामिल करनी वाली वायदा संविदा एक बार रद्द किए जाने के बाद फिर से बुक किए जाने के योग्य नहीं होंगी। वायदा संविदाओं के अलावा अन्य संविदाएं ए.5 भारत में प्राधिकृत डीलर निम्नलिखित प्रावधानों के अनुसार भारत में निवासियों के साथ वायदा संविदाओं के अलावा अन्य संविदाएं भी कर कर सकते हैं: (i) भारत का एक निवासी व्यक्ति जिसने विदेशी मुद्रा प्रबंधन (विदेशी मुद्रा में उधार लेना और उधार देना) विनियम, 2000 के प्रावधानों के अनुसार विदेशी मुद्रा ऋण लिया है, ब्याज दर स्वैप या मुद्रा स्वैप या कूपन स्वैप या विदेशी मुद्रा आप्शन या ब्याज दर कैप या कॉलर (खरीद) या भारत में एक प्राधिकृत डीलर के साथ अथवा प्राधिकृत डीलर की भारत के बाहर एक शाखा के साथ अपने ऋण जोखिम को कम करने और इस तरह के हेजिंग से बाहर निकलने हेतु फॉरवर्ड रेट एग्रीमेंट (एफआरए) संविदा कर सकता है। बशर्तें कि - ए. संविदा में रुपया शामिल न हो बी. विदेशी मुद्रा में उधार लेने के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा अंतिम अनुमोदन अथवा अथवा ऋण पहचान संख्या जारी की गई है। सी. हेज की अनुमानित मूल राशि विदेशी मुद्रा ऋण की बकाया राशि से अधिक न हो। डी. हेज की परिपक्वता अंतर्निहित ऋण की असमाप्त परिपक्वता से अधिक न हो। (ii) भारत में रहने वाला कोई व्यक्ति, जिसने विदेशी मुद्रा या रुपये में ऋण लिया है, निम्नलिखित नियमों और शर्तों के तहत दीर्धावधि के एक्सपोजर को हेज करने के लिए भारत में एक अधिकृत डीलर के साथ विदेशी मुद्रा-रुपया स्वैप हेतु संविदा कर सकता है:
टिप्पणी:
(iii) भारत में निवासी एक व्यक्ति अपने व्यापार से उत्पन्न विदेशी मुद्रा संबंधी एक्सपोजर को हेज करने के लिए भारत में अधिकृत डीलर के साथ विदेशी मुद्रा आप्शंन संविदा कर सकता है: बशर्ते कि रेंज फॉरवर्ड, रेशियो-रेंज फॉरवर्ड अथवा किसी भी अन्य चर को चाहे जिस भी नाम से जाना जाता हो जैसी लागत प्रभावी जोखिम कम करने संबंधी रणनीतियों के संबंध में प्रीमियम पर कोई निवल अंतर्वाह नहीं होगा। इन लेनदेनों को स्वतंत्र रूप से बुक और/या निरस्त किया जा सकता है। (iv) विदेशी मुद्रा - रुपया आप्शन की शुरूआत 7 जुलाई, 2003 को की गई। प्राधिकृत डीलरों को बैक-टू-बैक आधार पर अथवा अनुबंध VII में निर्दिष्ट नियमों और शर्तों के अनुसार आप्शन बुक करने संबंधी उत्पाद की पेशकश करने की अनुमति होगी। स्पष्टीकरण विदेशी मुद्रा में निविदा बोली प्रस्तुत करने से उत्पन्न आकस्मिक विदेशी मुद्रा एक्सपोजर भी इस उप-पैराग्राफ के तहत हेजिंग के लिए पात्र है। ए 6 (i). प्राधिकृत डीलरों को यह सुनिश्चित करना है कि कॉर्पोरेट के निदेशक मंडल ने एक जोखिम प्रबंधन नीति तैयार की है, निर्धारित लेनदेन के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश निर्धारित किए हैं और विनियमनों के अनुपालन को सत्यापित करने हेतु लेनदेन की लेखा-परीक्षा और परिचालन की आवधिक समीक्षा व्यवस्था को संस्थागत किया गया है। प्राधिकृत डीलरों द्वारा संबंधित कॉर्पोरेट से आवधिक समीक्षा रिपोर्ट और वार्षिक लेखा-परीक्षा रिपोर्ट प्राप्त की जानी चाहिए। (ii) क्रॉस करेंसी ऑप्शंस को पूरी तरह से कवर्ड बैक-टू-बैक आधार पर लिखा जाना चाहिए। कवर लेनदेन भारत के बाहर किसी बैंक, विशेष आर्थिक क्षेत्र में स्थित अपतटीय बैंकिंग इकाई अथवा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त आप्शंस एक्सचेंज अथवा भारत में किसी अन्य प्राधिकृत डीलर के साथ किया जा सकता है। (iii) ऑप्शंस लिखने के इच्छुक प्राधिकृत डीलरों को व्यवसाय शुरू करने से पहले मुख्य महाप्रबंधक, विनिमय नियंत्रण विभाग, (फॉरेक्स मार्केट डिवीजन), भारतीय रिजर्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, मुंबई, 400 001 से एक मुश्त अनुमोदन प्राप्त करना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय पण्य बाज़ारों में पण्य मूल्य जोखिम की हेजिंग ए.7 (i) आयात और निर्यात का व्यापार करने वाले भारत के निवासी अंतर्राष्ट्रीय कमोडिटी एक्सचेंजों/बाजारों में सभी वस्तुओं के मूल्य जोखिम को हेज कर सकते हैं। कमोडिटी हेजिंग के लिए आवेदन एक प्राधिकृत डीलर के अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग प्रभाग के माध्यम से विचार करने के लिए रिजर्व बैंक को निम्नलिखित विवरण देते हुए इसकी सिफारिश के साथ अग्रेषित किया जा सकता है: 1. प्रस्तावित हेजिंग रणनीति का संक्षिप्त विवरण; अर्थात्:- ए) व्यावसायिक गतिविधि और जोखिम की प्रकृति का विवरण बी) हेजिंग हेतु उपयोग किए जाने वाले प्रस्तावित लिखत सी) कमोडिटी एक्सचेंजों और ब्रोकर के नाम जिनके माध्यम से जोखिम को हेज करने का प्रस्ताव है और क्रेडिट लाइन का लाभ उठाने का प्रस्ताव है। संबंधित देश में विनियामक प्राधिकारी का नाम और पता भी दिया जा सकता है। डी) एक्सपोजर का आकार/औसत अवधि और/या एक वर्ष का कुल टर्नओवर, साथ ही उसकी प्रत्याशित चरम स्थिति और गणना का आधार। 2. प्रबंधन द्वारा अनुमोदित जोखिम प्रबंधन नीति की प्रति जिसमें निम्नलिखित शामिल हो; ए) जोखिम की पहचान बी) जोखिम की माप सी) लेनदेन करने हेतु प्राधिकृत पदाधिकारियों के नाम और पदनाम और सीमा। 3. कोई अन्य प्रासंगिक जानकारी। इस गतिविधि को करने के लिए दिशानिर्देशों के साथ रिज़र्व बैंक द्वारा एकमुश्त अनुमोदन दिया जाएगा। विशेष आर्थिक क्षेत्रों में प्रतिष्ठानों द्वारा कमोडिटी हेजिंग (ii) 'विशेष आर्थिक क्षेत्रों' में प्रतिष्ठानों को निर्यात/आयात पर अपनी कमोडिटी की कीमतों को हेज करने के लिए विदेशी कमोडिटी एक्सचेंजों/बाजारों में हेजिंग लेनदेन करने के लिए सामान्य अनुमति दी गई है, बशर्तें कि इस तरह की संविदा स्टैंड अलोन आधार की जाए। टिप्पणी: ''स्टैंड अलोन'' शब्द का अर्थ है कि जहां तक आयात/निर्यात लेनदेन का संबंध है, सेज में स्थित इकाई देश में कहीं भी अथवा सेज के भीतर अपनी मूल इकाई या सहायक इकाई के वित्तीय लेनदेन से पूर्णत: अलग होती है। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) हेतु सुविधाएं ए.8 (i) एफआईआई के खाते रखने वाले प्राधिकृत डीलरों की नामित शाखाएं निम्नलिखित शर्तों के अधीन ऐसे ग्राहकों को एक मुद्रा के रूप में रुपये के साथ वायदा कवर/ऑप्शन संविदा प्रदान कर सकती हैं: 1. एफआईआई को किसी विशेष तारीख को भारत में इक्विटी और/या ऋण में अपने संपूर्ण निवेश के बाजार मूल्य को हेज करने की अनुमति है। यदि प्रतिभूतियों की बिक्री के अलावा अन्य कारणों से, पोर्टफोलियो के सिकुड़ने के कारण एक हेज आंशिक या पूर्ण रूप से प्रतिभूति रहित हो जाता है, तो हेज को मूल परिपक्वता तक जारी रखने की अनुमति दी जा सकती है, यदि ऐसा वांछित हो। 2. ये वायदा संविदा, एक बार निरस्त होने के बाद फिर से बुक नहीं की जा सकती हैं किंतु परिपक्वता पर या उससे पहले रोलओवर की जा सकती हैं। 3. हेजिंग की लागत प्रत्यावर्तनीय निधियों और/या सामान्य बैंकिंग चैनल के माध्यम से आवक प्रेषण से पूरी की जाती है। 4. हेजिंग से संबंधित सभी बाहरी विप्रेषण लागू करों को घटाकर हैं। (ii) कवर हेतु पात्रता एफआईआई की घोषणा के आधार पर निर्धारित की जा सकती है। बाजार मूल्य उतार-चढ़ाव, नए अंतर्वाह, प्रत्यावर्तित राशि और अन्य प्रासंगिक मापदंडों के आधार पर समीक्षा की जा सकती है ताकि बकाया वायदा कवर अंतर्निहित जोखिम द्वारा समर्थित होना सुनिश्चित किया जा सके। (iii) एक मासिक विवरण मुख्य महाप्रबंधक, भारतीय रिजर्व बैंक, विनिमय नियंत्रण विभाग (विदेशी मुद्रा बाजार प्रभाग), केंद्रीय कार्यालय, मुंबई-400 001 को अगले माह की 10 तारीख से पहले प्रस्तुत किया जाना चाहिए, जिसमें एफआईआई/ फंड, कवर की पात्र राशि और लिया गया वास्तविक कवर शामिल होना चाहिए। अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) और विदेशी कॉर्पोरेट निकायों (ओसीबी) के लिए सुविधाएं ए.9 प्राधिकृत डीलर हेजिंग के लिए निम्नलिखित दिशानिर्देशों के अनुसार एनआरआई/ओसीबी के साथ फॉरवर्ड/ऑप्शन अनुबंध कर सकते हैं:
भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की हेजिंग के लिए सुविधाएं ए 10.(i) प्राधिकृत डीलर 1 जनवरी, 1993 से भारत में किए गए निवेश को हेज करने के लिए भारत के बाहर के निवासियों के साथ वायदा/आप्शंस संविदा कर सकते हैं, जो भारत में जोखिम के सत्यापन के अधीन है। (ii) भारत के बाहर के निवासी भारत में अपने प्रस्तावित विदेशी प्रत्यक्ष निवेश से उत्पन्न होने वाले मुद्रा जोखिम को हेज करने के लिए प्राधिकृत डीलरों के साथ वायदा बिक्री संविदा भी कर सकते हैं। इस तरह की संविदा को केवल यह सुनिश्चित करने के बाद बुक करने की अनुमति दी जा सकती है कि विदेशी संस्थाओं ने सभी आवश्यक औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं और निवेश के लिए आवश्यक अनुमोदन (जहां भी लागू हो) प्राप्त कर लिया है। संविदा की अवधि छह महीने से अधिक नहीं होनी चाहिए, जिसके बाद संविदा को जारी रखने के लिए रिज़र्व बैंक की अनुमति की आवश्यकता होगी। ये संविदाएं, यदि निरस्त की जाती हैं, तो उसी अंतर्वाह के लिए पुनः बुक किए जाने के पात्र नहीं होंगी और निरस्त किए जाने पर विनिमय लाभ, यदि कोई हो, विदेशी निवेशक को पारित नहीं किया जाएगा। नोट: भारत से बाहर निवासी किसी व्यक्ति के लिए अनुमत सभी विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदाएं एक बार निरस्त किए जाने के बाद पुन: बुक किए जाने के लिए पात्र नहीं हैं। खंड II प्राधिकृत डीलरों के लिए सुविधाएं बैंक की आस्तियों-देयताओं का प्रबंधन: ए.11 प्राधिकृत डीलर अपनी आस्ति-देयता पोर्टफोलियो को हेज करने के लिए निम्नलिखित लिखतों का उपयोग कर सकते हैं: ब्याज दर स्वैप, मुद्रा स्वैप और फॉरवर्ड रेट एग्रीमेंट। प्राधिकृत डीलर अपने क्रॉस करेंसी स्वपूंजी लेनदेन स्थितियों को हेज करने के लिए कॉल या पुट ऑप्शन भी खरीद सकते हैं। इन लिखतों का उपयोग निम्नलिखित शर्तों के अधीन है: (ए) इस संबंध में एक समुचित नीति उनके शीर्ष प्रबंध तंत्र द्वारा अनुमोदित है। (बी) हेज का मूल्य और परिपक्वता अंतर्निहित राशि से अधिक नहीं होनी चाहिए। (सी) कोई 'स्टैंड अलोन' लेनदेन नहीं किया जा सकता है। यदि पोर्टफोलियो के सिकुड़ने के कारण हेज आंशिक या पूर्ण रूप से प्रतिभूति रहित हो जाता है, तो इसे मूल परिपक्वता तक जारी रखने की अनुमति दी जा सकती है और नियमित अंतराल पर इसके अंकित मूल्य की गणना की जानी चाहिए। (डी) इन लेनदेनों से उत्पन्न होने वाले निवल नकदी प्रवाह को आय और व्यय के रूप में बुक किया जाता है और जहां भी लागू हो, विनिमय स्थिति के रूप में गणना की जाती है। सोने की कीमतों की हेजिंग ए.12 (i) गोल्ड डिपॉजिट स्कीम संचालित करने के लिए रिजर्व बैंक द्वारा प्राधिकृत बैंक मूल्य जोखिम के प्रबंधन के लिए विदेशों में उपलब्ध एक्सचेंज-ट्रेडेड और ओवर-द-काउंटर हेजिंग उत्पादों का उपयोग कर सकते हैं। तथापि, आप्शंस वाले उत्पादों का उपयोग करते समय, यह सुनिश्चित किया जाए कि प्रत्यक्ष या निहित प्रीमियम की कोई निवल प्राप्ति नहीं है। बैंक, जिन्हें बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों (अंतर-बैंक सोने के सौदों से उत्पन्न होने वाली स्थिति सहित) के अनुसार भारत में वायदा गोल्ड संविदा करने की अनुमति है, को विदेश में हेजिंग द्वारा अपने मूल्य जोखिम को ऊपर उल्लिखित तरीके से कवर करने की भी अनुमति है। (ii) प्राधिकृत बैंकों को अपने ग्राहकों (सोने के उत्पादों के निर्यातकों, आभूषण निर्माताओं, व्यापारिक घरानों आदि) के साथ सोने की अंतर्निहित बिक्री, खरीद और ऋण लेनदेन के संबंध में रिजर्व बैंक द्वारा निर्दिष्ट शर्तों के अधीन वायदा संविदा करने की अनुमति है। टीयर I पूंजी की हेजिंग ए.13 विदेशी बैंक भारतीय बहियों में उनके द्वारा धारित संपूर्ण टीयर I पूंजी को निम्नलिखित शर्तों के अधीन हेज कर सकते हैं: i) वायदा संविदा एक वर्ष या उससे अधिक की अवधि के लिए होनी चाहिए और परिपक्वता पर रोल ओवर हो सकती है। निरस्त किए गए हेज की पुन: बुकिंग के लिए रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन की आवश्यकता होगी। ii) स्थानीय विनियामक और सीआरएआर आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पूंजीगत निधि भारत में उपलब्ध होनी चाहिए। इसलिए, हेजिंग से प्राप्त होने वाली विदेशी मुद्रा निधियों को नोस्ट्रो खातों में नहीं रखा जाना चाहिए बल्कि हर समय भारत में बैंकों के साथ स्वैप की जानी चाहिए। iii) विदेशी बैंकों को प्रधान कार्यालय उधार, गौण ऋण के रूप में अपनी टियर II पूंजी को हेज करने की अनुमति है। इसके लिए यह हमेशा हमारे बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग (डीबीओडी) के दिनांक 14 फरवरी, 2002 के परिपत्र सं.आईबीएस.बीसी.65/23.10.015/2001-02 के अनुसार भारतीय रुपये में स्वैप की जाए। भाग-बी अनिवासी बैंकों के खाते सामान्य बी.1 (i) अनिवासी बैंक के खाते में जमा अनिवासियों को भुगतान करने की एक अनुमत तरीका है और इसलिए, विदेशी मुद्रा में अंतरण के लिए लागू विनियमनों के अधीन है। (ii) एक अनिवासी बैंक के खाते से निकासी वास्तव में विदेशी मुद्रा में आवक विप्रेषण है। अनिवासी बैंकों के रुपया खाते बी.2 (i) बैंक रिज़र्व बैंक को पूर्व संदर्भ दिए बिना अपनी विदेशी शाखाओं या प्रतिनिधियों के नाम से रुपया खाता (बिना ब्याज वाले) खोल/बंद कर सकते हैं। पाकिस्तान के बाहर कार्यरत पाकिस्तानी बैंकों की शाखाओं के नाम पर रुपया खाता खोलने के लिए रिज़र्व बैंक की विशेष अनुमोदन आवश्यक है। (ii) प्रत्येक बैंक के प्रधान/प्रधान कार्यालय को अपने सभी कार्यालयों/शाखाओं की एक अद्यतन सूची (तीन प्रतियों में) प्रस्तुत करनी चाहिए, जो प्रत्येक वर्ष दिसंबर के अंत में अनिवासी बैंकों के रूपया खातों का रख-रखाव कर रहे हैं, जिसमें रिजर्व बैंक द्वारा आवंटित उनके कोड नंबर होने चाहिए। यह सूची अगले वर्ष की 15 जनवरी से पहले रिज़र्व बैंक के केंद्रीय कार्यालय (केंद्रीय सांख्यिकी प्रभाग) को प्रस्तुत की जानी चाहिए। कार्यालयों/शाखाओं को रिज़र्व बैंक के उन कार्यालयों के अधिकार क्षेत्र के अनुसार वर्गीकृत किया जाना चाहिए जिनमें वे स्थित हैं। अनिवासी बैंकों के खातों का वित्तपोषण बी.3 (i) बैंक भारत में अपनी वास्तविक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपने खातों में निधि जमा करने के लिए जारी बाजार दरों पर अपने विदेशी प्रतिनिधियों/शाखाओं से मुक्त रूप से विदेशी मुद्रा खरीद सकते हैं। (ii) खातों में लेनदेन की गहन निगरानी की जानी चाहिए ताकि यह यह सुनिश्चितकिया सके कि विदेशी बैंक रुपये के बारे में कल्पित धारणा न बनाए। ऐसे किसी मामले की सूचना रिज़र्व बैंक को दी जानी चाहिए। टिप्पणी: वित्तपोषण के लिए रुपए के प्रति विदेशी मुद्रा की वायदा खरीद अथवा बिक्री प्रतिबंधित है। अनिवासी बैंकों को दोतरफे कोटेशन की पेशकश भी प्रतिबंधित है। अन्य खातों से अंतरण बी.4 समान बैंक या अलग-अलग बैंकों के खातों के बीच अंतरण करने की अनुमति है। रुपये का विदेशी मुद्रा में रूपांतरण बी.5 अनिवासी बैंकों के रुपया खातों की शेष राशि को स्वतंत्र रूप से विदेशी मुद्रा में रुपांतरित किया जा सकता है। ऐसे सभी लेनदेन को फॉर्म ए2 में रिपोर्ट किया जाना चाहिए और संबंधित आर रिटर्न के तहत खाते से तदनुरूपी नामे को फॉर्म ए3 में रिपोर्ट करना चाहिए। भुगतान करने और प्राप्त करने वाले बैंकों की जिम्मेदारियां बी.6 खातों में जमा के मामले में भुगतान करने वाले बैंकों को यह सुनिश्चित करना है कि सभी नियंत्रण आवश्यकताओं को पूरा किया गया है और मामले के अनुसार फॉर्म ए1/ए2 सही ढंग से प्रस्तुत किया गया है। रुपये विप्रेषण की वापसी (रिफंड) बी.7 आवक विप्रेषणों के निरस्तीकरण अथवा वापसी के अनुरोधों का पालन रिज़र्व बैंक को बिना संदर्भ के किया जा सकता है बशर्तें कि वे संतुष्ट हो कि रिफंड क्षतिपूर्ति स्वरूप के लेनदेन के लिए न किया गया हो। विदेशी शाखाओं/प्रतिनिधियों को ओवरड्राफ्ट/ऋण बी.8 (i) सामान्य व्यावसायिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बैंक अपनी विदेशी शाखाओं /प्रतिनिधियों को कुल रु.500 लाख तक ही अस्थायी अधि-आहरण की अनुमति नहीं दे सकते हैं। यह सीमा भारत में बैंक की सभी शाखाओं की बहियों में सभी विदेशी शाखाओं और प्रतिनिधियों के प्रति बकाया राशि पर लागू है। इस सुविधा का उपयोग खातों के वित्तपोषण को स्थगित करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। यदि उपरोक्त सीमा से अधिक के ओवरड्राफ्ट को पांच दिनों के भीतर समायोजित नहीं किया जाता है, तो एक रिपोर्ट माह की समाप्ति से 15 दिनों के भीतर रिजर्व बैंक के केंद्रीय कार्यालय (विदेशी मुद्रा बाजार प्रभाग) को प्रस्तुत करनी होगी, जिसमें इसके कारणों का उल्लेख होना चाहिए। यदि वैल्यू डेटिंग के लिए व्यवस्था मौजूद है तो ऐसी रिपोर्ट आवश्यक नहीं है। (ii) यदि बैंक उपरोक्त (i) के अलावा कोई अन्य क्रेडिट सुविधा विदेशी बैंकों को देना चाहते हैं ता उन्हें मुख्य महाप्रबंधक, भारतीय रिजर्व बैंक, विनिमय नियंत्रण विभाग (विदेशी मुद्रा बाजार प्रभाग) केंद्रीय कार्यालय, मुंबई से पूर्वानुमति लेनी होगी। विनिमय गृहों के रुपया खाते बी.9 भारत में निजी विप्रेषण की सुविधा प्रदान के लिए विनिमय गृहों के नाम से रुपया खाते खोलने हेतु रिज़र्व बैंक का अनुमोदन अपेक्षित है। व्यापार लेनदेन के वित्तपोषण के लिए विनिमय गृहों के माध्यम से विप्रेषण की अनुमति प्रति लेनदेन रु.2,00,000 तक है। भाग-सी अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा लेनदेन सामान्य सी.1 प्राधिकृत डीलरों के निदेशक मंडल को एक उपयुक्त नीति बनानी चाहिए और विभिन्न ट्रेजरी कार्यों के लिए उपयुक्त सीमा निर्धारित करनी चाहिए। स्थिति और अंतराल सी.2 ओवरनाइट ओपन एक्सचेंज पोजीशन (अनुलग्नक I देखें) और कुल अंतर सीमा रिज़र्व बैंक द्वारा अनुमोदित होना अपेक्षित है। अंतर-बैंक लेनदेन सी.3 पैरा सी.1 और सी.2 के प्रावधानों के अनुपालन के अधीन, प्राधिकृत व्यापारी मुक्त रूप से निम्नानुसार विदेशी मुद्रा लेनदेन कर सकते हैं: ए) भारत में प्राधिकृत व्यापारियों के साथ: (i) रुपये या किसी अन्य विदेशी मुद्रा के विरुद्ध विदेशी मुद्रा को खरीदना/बेचना/स्वैप करना (ii) विदेशी मुद्रा में जमा करना/स्वीकार करना और उधार लेना/उधार देना। बी) विदेशों में स्थित बैंकों और विशेष आर्थिक क्षेत्रों में अपतटीय बैंकिंग इकाइयों के साथ (i) ग्राहक लेनदेन को कवर करने के लिए या अपनी स्थिति को सुधारने के लिए किसी अन्य विदेशी मुद्रा के विरुद्ध विदेशी मुद्रा खरीदना/बेचना/स्वैप करना, (ii) विदेशी बाजारों में व्यापारिक पोजीशन की शुरुआत करना। टिप्पणी ए: अनिवासी बैंकों के खातों का निधियन - पैरा बी.3 का संदर्भ लें बी: अंतर-बैंक बाजार में बिक्री के लिए फॉर्म ए2 को पूरा करने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन ऐसे सभी लेनदेन आर (R) विवरणी में रिज़र्व बैंक को सूचित किए जाएंगे। विदेशी मुद्रा खाते सी.4 (i) विदेशी मुद्रा खातों में अंतर्वाह मुख्य रूप से ग्राहक से संबंधित लेनदेन, स्वैप सौदे, जमा, उधार आदि से उत्पन्न होते हैं। बैंक शीर्ष प्रबंधन द्वारा अनुमोदित स्तरों तक विदेशी मुद्रा में शेष राशि बनाए रख सकते हैं। वे रिज़र्व बैंक द्वारा अनुमोदित अंतराल सीमा के अनुपालन के अधीन अपनी विदेशी शाखाओं/ प्रतिनिधियों के साथ ओवरनाइट प्लेसमेंट और निवेश के माध्यम से इन खातों में अधिशेष का प्रबंधन करने के लिए स्वतंत्र हैं। (ii) बैंक अपने निदेशक मंडल द्वारा अनुमोदित सीमा तक विदेशी बाजारों में निवेश करने के लिए स्वतंत्र हैं। इस तरह के निवेश किसी विदेशी राज्य द्वारा जारी किए गए विदेशी मुद्रा बाजार लिखतों और/या ऋण लिखतों में किए जा सकते हैं जिनकी अवशिष्ट परिपक्वता अवधि एक वर्ष से कम हो और जिनको स्टैंडर्ड एंड पुअर / एफआईटीसीएच आईबीसीए द्वारा कम से कम एए (-) या मूडीज द्वारा एए3 रेटिंग दी गई हो। किसी विदेशी राज्य के मुद्रा बाजार लिखतों के अलावा अन्य ऋण लिखतों में निवेश के प्रयोजन के लिए, बैंक का बोर्ड कंट्री रेटिंग और देश-वार सीमाएं, जहां आवश्यक हो, अलग से निर्धारित कर सकता है। टिप्पणी: इस खंड के प्रयोजन के लिए, ‘मुद्रा बाजार लिखत' में कोई भी ऋण लिखत शामिल होगा, जिसकी परिपक्वता अवधि खरीद की तिथि से एक वर्ष से अधिक नहीं हो। (iii) बैंक विदेशी बाजारों में अप्रयुक्त एफसीएनआर (बी) निधियों का निवेश दीर्घावधि निश्चित आय वाली प्रतिभूतियों में भी कर सकते हैं, बशर्ते कि निवेश की गई प्रतिभूतियों की परिपक्वता अंतर्निहित एफसीएनआर (बी) जमाराशियों की परिपक्वता से अधिक न हो। (iv) नोस्ट्रो खातों में अधिशेष दर्शाने वाली विदेशी मुद्रा निधियों का उपयोग निम्नलिखित के लिए किया जा सकता है: ए) विवेकपूर्ण/ब्याज-दर मानदंडों, क्रेडिट अनुशासन और लागू क्रेडिट निगरानी दिशानिर्देशों के अधीन निवासी घटकों को उनकी विदेशी मुद्रा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए या रूपये में कार्यशील पूंजी/पूंजीगत व्यय की जरूरतों के लिए ऋण देना। बी) रिज़र्व बैंक (बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग) द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अधीन विदेश में पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक भारतीय कंपनियों/ संयुक्त उद्यमों को ऋण सुविधाएं प्रदान करना, जिसमें कम से कम 51% इक्विटी एक निवासी कंपनी के पास हो। (v) समाधान न की गई डेबिट/क्रेडिट प्रविष्टियों को बैंक, बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशों के अनुसार बट्टे खाते में डाल सकते है/ अदावी शेष खाते में अंतरित कर सकते हैं। ऋण/ओवरड्राफ्ट सी.5 (i) बैंक अपने प्रधान कार्यालय, विदेशी शाखाओं, प्रतिनिधियों से अपनी अक्षत टियर-I पूंजी के 25% तक या 10 मिलियन यूएस डॉलर या इसके समतुल्य, जो भी अधिक हो, ऋण/ओवरड्राफ्ट की सुविधा प्राप्त कर सकते हैं। इस प्रकार जुटाई गई निधियों का उपयोग भारत में घटकों को विदेशी मुद्रा में उधार देने को छोड़कर अन्य प्रयोजनों के लिए किया जा सकता है और इसे रिज़र्व बैंक को संदर्भित किए बिना चुकाया जा सकता है। इस नियम के अपवाद के रूप में प्राधिकृत व्यापारियों को दिनांक 31 जनवरी, 2003 के आईईसीडी परिपत्र संख्या 12/04.02.02/2002-03 के अनुसार विदेशी मुद्रा ऋण प्रदान करने के लिए स्वैप के माध्यम से प्राप्त विदेशी मुद्रा निधियों के साथ-साथ उधार ली गई निधियों का उपयोग करने की अनुमति है। उपर्युक्त सीमा भारत में स्थित सभी कार्यालयों और शाखाओं द्वारा विदेशों में स्थित उनकी सभी शाखाओं/प्रतिनिधियों से प्राप्त की गई कुल राशि पर लागू होती है। यदि उपरोक्त सीमा से अधिक आहरण को पांच दिनों के भीतर समायोजित नहीं किया जाता है, तो सीमा के उल्लंघन वाले माह की समाप्ति के 15 दिनों के भीतर एक रिपोर्ट मुख्य महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक विदेशी मुद्रा नियंत्रण विभाग, विदेशी मुद्रा बाजार प्रभाग, अमर भवन, फोर्ट, मुंबई 400001 को प्रस्तुत की जानी चाहिए। यदि वैल्यू डेटिंग के लिए व्यवस्था मौजूद है तो ऐसी रिपोर्ट आवश्यक नहीं है। (ii) रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन के बिना बैंक केवल भारत में अपने रुपया संसाधनों की भरपाई के लिए उप-अनुच्छेद (i) में निर्धारित सीमाओं से अधिक ऋण ले सकते हैं । ऐसी रुपया निधियों का उपयोग केवल बैंकों के सामान्य व्यवसाय परिचालनों के वित्तपोषण के लिए किया जा सकता है और इन्हें कॉल मनी आदि बाजारों में नहीं लगाया जाना चाहिए। प्रत्येक उधार से संबंधित एक रिपोर्ट तुरंत मुख्य महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक विदेशी मुद्रा नियंत्रण विभाग, विदेशी मुद्रा बाजार प्रभाग, अमर बिल्डिंग, फोर्ट, मुंबई 400001 को अग्रेषित की जानी चाहिए, जिनकी पूर्व अनुमति ऐसे ऋणों के पुनर्भुगतान के लिए आवश्यक होगी। इस तरह की अनुमति केवल तभी दी जाएगी जब बैंक के पास भारत में रिज़र्व बैंक या अन्य बैंक/वित्तीय संस्थान से कोई उधार बकाया न हो और चुकौती के पूर्व कम से कम चार सप्ताह की अवधि के लिए सभी मुद्रा बाजार उधारों से मुक्त हो। (iii) रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन के बिना ऋण/ओवरड्राफ्ट पर ब्याज (करों को घटाकर) विप्रेषित किया जाए। रिज़र्व बैंक को भेजी जाने वाली रिपोर्टें सी.6 (i) प्रत्येक प्राधिकृत व्यापारी के प्रधान/मुख्य कार्यालय को अनुबंध II के अनुसार फॉर्म एफटीडी में विदेशी मुद्रा कारोबार का दैनिक विवरण और फॉर्म जीपीबी में गैप्स पोजीशन एवं नकदी शेषों का विवरण मुख्य महाप्रबंधक, विदेशी मुद्रा नियंत्रण विभाग (विदेशी मुद्रा बाजार प्रभाग), भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, मुंबई 400 001 को प्रस्तुत करना होगा । इन विवरणों को वाइड एरिया नेटवर्क (डब्ल्यूएएन) के जरिए ऑनलाइन भेजा जाना चाहिए। (ii) प्रत्येक प्राधिकृत व्यापारी के प्रधान/मुख्य कार्यालय को पाक्षिक आधार पर सभी विदेशी मुद्राओं की अपनी धारिताओं का ब्योरा देते हुए फॉर्म बीएएल में दो प्रतियों में एक विवरण प्रस्तुत करना होगा, ताकि यह संबंधित रिपोर्टिंग अवधि की समाप्ति से सात कैलेंडर दिवसों के भीतर रिज़र्व बैंक के उस क्षेत्रीय कार्यालय तक पहुंच सके, जिसके अधिकार क्षेत्र में प्रधान/मुख्य कार्यालय स्थित है। (iii) प्रत्येक प्राधिकृत व्यापारी के प्रधान/मुख्य कार्यालय को मासिक आधार पर नोस्ट्रो/वोस्ट्रो खाते की शेष राशि का विवरण निदेशक, अंतरराष्ट्रीय वित्त विभाग, आर्थिक विश्लेषण और नीति विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, मुख्य कार्यालय भवन, 8वीं मंजिल, फोर्ट, मुंबई-400 001 को अग्रेषित करना होगा। इस डेटा को फैक्स या ई-मेल द्वारा भी प्रारूप में दिए गए नंबरों / पतों पर प्रेषित किया जाए। (iv) प्राधिकृत व्यापारियों द्वारा उपर्युक्त अनुच्छेद ए 5 के संदर्भ में निवासियों द्वारा किए गए क्रॉस करेंसी डेरिवेटिव लेनदेनों पर डेटा को समेकित किया जाए और मुख्य महाप्रबंधक, विदेशी मुद्रा नियंत्रण विभाग, (विदेशी मुद्रा बाजार प्रभाग), भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, मुंबई-400001 को अनुलग्नक IV में दिए गए प्रारूप के अनुसार अर्ध-वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। (v) प्राधिकृत व्यापारियों द्वारा प्रत्येक वर्ष 1 अप्रैल को विदेशी मुद्रा में एक्सपोजर का विवरण अनुबंध V में दिए गए प्रारूप के अनुसार मुख्य महाप्रबंधक, मुद्रा नियंत्रण विभाग, (विदेशी मुद्रा बाजार प्रभाग), भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, मुंबई, 400001 को भेजा जाए। |