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जोखिम प्रबंध और अंतर-बैंक लेनदेन

भारिबैंक/2012-13/426
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.86

1 मार्च 2013

सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - I बैंक

महोदया/महोदय,

जोखिम प्रबंध और अंतर-बैंक लेनदेन

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान जोखिम प्रबंध और अंतर-बैंक लेनदेन पर जारी 4 अप्रैल 2003 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 92 की ओर आकृष्ट किया जाता है।

2. उल्लिखित परिपत्र के पैरा सी.2 के अनुसार, "ओवरनाइट ओपन एक्स्चेंज पोजीशन और समग्र अंतर सीमाएं (aggregate gap limits) रिज़र्व बैंक द्वारा अनुमोदित होनी अपेक्षित हैं।" इसके अलावा, उल्लिखित परिपत्र के संलग्नक-। में प्राधिकृत व्यापारियों की विदेशी मुद्रा एक्स्पोजर सीमाओं के संबंध में विस्तृत दिशानिर्देश दिए गए हैं।

3. विदेशी मुद्रा बाज़ार में घटित विभिन्न गतिविधियों के मद्देनज़र, भारतीय रिज़र्व बैंक के अधिकारियों, चयनित बैंकों और फेडाई के प्रतिनिधियों को शामिल कर बने समूह ने प्राधिकृत व्यापारियों की विदेशी मुद्रा एक्सपोज़र सीमाओं संबंधी दिशानिर्देशों के अंतर्गत आने वाले विभिन्न मुद्दों पर विचार किया था। उक्त समूह की सिफारिशों के आधार पर, प्राधिकृत व्यापारियों की विदेशी मुद्रा एक्सपोज़र सीमाओं की गणना करने से संबंधित मौजूदा दिशानिर्देशों को पुनरीक्षित करने का निर्णय लिया गया है। पुनरीक्षित दिशानिर्देश संलग्नक में दिए गए हैं।

4. इसके अलावा, संप्रति यह निर्णय लिया गया है कि 15 दिसंबर 2011 के ए.पी (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 58 के जरिये प्राधिकृत व्यापारियों की ओपन पोजीशन सीमा जिसमें रुपया एक मुद्रा है, (ओवरनाइट और इंट्रा-डे ओपन पोजीशन) पर लगाये गए प्रतिबंध वापस ले लिये जाएं। परिणामस्वरूप, 21 मई 2012 के ए.पी (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 129 और 31 जुलाई 2012 के ए.पी (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 13 के जरिये जारी अनुदेश भी वापस लिए जाते हैं।

5. आगे और समीक्षा होने तक हालाँकि, निम्नलिखित अनुदेश लागू बने रहेंगे:

  1. एक्स्चेंजों (फ्यूचर और ऑप्शन दोनों) में ली गयी पोज़ीशन, ओटीसी बाजार और इसके विपरीत में पोज़ीशन लेते हुए संतुलित (समायोजित)/प्रति संतुलित नहीं की जा सकती है। एक्स्चेंजों में ली गयी पोज़ीशन एक्स्चेंजों में ही परिसमाप्त/समाप्त की (निपटायी) जाएगी ।

  2. एक्स्चेंजों में ट्रेडिंग करने वाले सदस्य प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । बैंक के लिए करेंसी फ्यूचर और ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए पोज़ीशन लिमिट 100 मिलियन अमरीकी डॉलर अथवा आउटस्टैंडिंग ओपन इंटरेस्ट के 15 प्रतिशत, जो भी निम्नतर हो,होगी।

6. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं ।

भवदीय,

(रुद्र नारायण कर)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


संलग्नक

ए. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। (बैंक) की विदेशी मुद्रा एक्स्पोज़र सीमाओं के संबंध में दिशानिर्देश

प्राधिकृत व्यापारियों की विदेशी मुद्रा एक्स्पोज़र सीमाएं दो प्रकार की होंगी।

  1.  विदेशी मुद्रा जोखिम पर कैपिटल चार्ज की गणना के लिए नेट ओवरनाइट ओपन पोजीशन लिमिट (एनओओपीएल);

  2. उन पोज़ीशनों के एक्स्चेंज रेट मैनेजमेन्ट के लिए जिनमें रुपया एक मुद्रा के रुप में शामिल है।

भारत में गठित बैंक के लिए उसके बोर्ड द्वारा निर्धारित एक्सपोजर सीमाएं संबंधित बैंक के लिए समग्र सीमाएं होंगी और उसी में समुद्रपारीय शाखाओं और अपतटीय बैंकिंग यूनिटों सहित उनकी सभी शाखाओं की सीमाएं शामिल होंगी।

i.विदेशी मुद्रा जोखिमों पर कैपिटल चार्ज की गणना के लिए एनओओपीएल

संबंधित बैंक के बोर्ड द्वारा एनओओपीएल निर्धारित की जाए और उसे अविलंब रिज़र्व बैंक को सूचित किया जाए। हालाँकि ऐसी सीमाएं संबंधित बैंक की कुल पूँजी (टियर । और टियर ॥ पूँजी) के 25% से अधिक नहीं होनी चाहिए।

नेट ओपन पोजीशन की गणना नीचे दिए गए तरीके से की जाए:

1.एकल मुद्रा में नेट ओपन पोजीशन की गणना

प्रत्येक विदेशी मुद्रा के लिए ओपन पोजीशन पहले अलग-अलग अनिवार्यत: मापी जाए। किसी मुद्रा में ओपन पोजीशन (ए) निवल हाज़िर स्थिति, (बी) निवल वायदा स्थिति और (सी) निवल विकल्प स्थिति का जोड़ है।

ए) निवल हाज़िर स्थिति

तुलनपत्र में विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों और देयताओं का अंतर निवल हाज़िर स्थिति है। इसमें सभी उपचित आय/व्यय शामिल किए जाएं।

बी) निवल वायदा स्थिति

यह विदेशी मुद्रा लेनदेन समाप्त होने के परिणाम स्वरूप प्राप्त सभी राशियों में से भविष्य में भुगतान की जाने वाली समस्त राशियों को घटाकर प्राप्त निवल राशि को दर्शाती है। इन लेनदेनों में, जिन्हें बैंक बहियों में तुलनपत्र में न आने वाली मदों में रिकार्ड किया गया है, निम्नलिखित शामिल होंगे :

  1. अब तक न निपटाए गए हाज़िर लेनदेन;

  2. वायदा लेनदेन;

  3. गारंटी और विदेशी मुद्रा में मूल्यांकित तत्समान वायदे, जिन्हें आहूत किया जाना निश्चित है; 

  4. निवल भावी आय/व्यय जो अब तक अर्जित नहीं है परंतु (रिपोर्टिंग बैंक के विवेकाधीन) पहले ही पूर्णत: हेज किए गए हैं;

  5. मुद्रा के भावी सौदों (currency futures) से संबंधित प्राप्य/भुगतान-योग्य राशि को समायोजित कर प्राप्त निवल राशि और मुद्रा के भावी सौदे/स्वैप पर मूल राशि (principal)।

सी) निवल ऑप्शन्स स्थिति

प्राधिकृत व्यापारियों के ऑप्शन्स जोखिम प्रबंध प्रणाली में दर्शाई गई "डेल्टा - समकक्ष" हाज़िर मुद्रा-स्थिति ऑप्शन्स स्थिति है और इसमें कोई भी डेल्टा-हेज शामिल है जो 1(ए) या 1(बी)(i) और (ii) में पहले से शामिल नहीं है ।

2. समग्र नेट ओपन पोजीशन की गणना

इसमें बैंक की विभिन्न मुद्राओं की अधिबिक्री और अधिक्रय के मिलेजुले निहित जोखिम को मापना शामिल है। यह निर्णय लिया गया है कि समग्र निवल जोखिम स्थिति की गणना के लिए, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य "शार्टहैंड मेथड" को अपनाया जाए । इसलिए बैंक निम्न प्रकार से समग्र निवल स्थिति की गणना करें :

  1. प्रत्येक मुद्रा की नेट ओपन पोजीशन की गणना करें (उक्त पैराग्राफ 1)।

  2. नेट ओपन पोजीशन की गणना स्वर्ण में करें।

  3. निवल स्थिति को विविध मुद्राओं और स्वर्ण को भारतीय रिज़र्व बैंक / एफईडीएआई के मौज़ूदा दिशानिर्देशों के अनुसार रुपये में परिवर्तित करें। वायदा विदेशी मुद्रा संविदाओं सहित सभी डेरिवेटिव लेनदेनों को वर्तमान मूल्य समायोजन आधार पर रिपोर्ट किया जाए।

  4. सभी निवल अधिबिक्री का जोड़ प्राप्त करें।

  5. सभी निवल अधिक्रय का जोड़ प्राप्त करें।

समग्र निवल विदेशी मुद्रा की स्थिति उक्त मद (iv) अथवा (v) से अधिक है। विदेशी मुद्रा की उक्त प्रकार से गणना की गई समग्र निवल स्थिति बैंक के बोर्ड द्वारा अनुमत सीमा के अंदर रखी जानी चाहिए।

टिप्पणी : प्राधिकृत व्यापारी बैंक, नेट ओपन पोजीशन की गणना के प्रयोजन से वर्तमान मूल्य समायोजन के आधार पर वायदा विदेशी मुद्रा संविदाओं सहित सभी डेरिवेटिव लेनदेनों को रिपोर्ट करें। प्राधिकृत व्यापारी बैंक वर्तमान मूल्य समायोजन के लिए उनके अपने प्रतिफल ग्राफों (यील्ड कर्व) का चयन करें। हालाँकि, प्रतिफल ग्राफों (यील्ड कर्व/कर्व्स) के प्रयोग के संबंध में बैंकों के पास परिसंपत्ति देयता प्रबंध समिति द्वारा अनुमोदित आंतरिक नीति होनी चाहिए और उसको सतत आधार पर लागू किया जाना चाहिए।

3. अपतटीय एक्सपोज़र

समुद्रपारीय मौजूदगी वाले बैंकों को चाहिए कि वे उल्लिखित तरीके से एकल आधार पर अपतटीय एक्सपोज़र की गणना करें और उसे तटीय एक्सपोज़रों से समायोजित न करें। समग्र सीमा (तटीय + अपतटीय) को एनओओपी माना जाए और उस पर पूँजी प्रभार लगाया जाएगा। विदेशी शाखाओं की संचित अधिशेष की गणना ओपन पोजीशन के लिए नहीं की जाएगी। निदर्शी उदाहरण नीचे दिया गया है:

यदि मान लिया जाए कि किसी बैंक की तीन विदेशी शाखाएं हैं और तीनों शाखाओं की ओपन पोजीशन निम्नवत है:

शाखा ए: + रु. 15 करोड़
शाखा बी: + रु. 5 करोड़
शाखा सी: - रु. 12 करोड़

समुद्रपारीय शाखाओं के लिए कुल मिलाकर ओपन पोजीशन रु.20 करोड़ होगी।

4. पूँजी1 अपेक्षा

रिज़र्व बैंक द्वारा, समय-समय पर, यथा विनिर्दिष्ट पूँजी होनी चाहिए।

5. अन्य दिशानिर्देश

  1. प्राधिकृत व्यापारियों की परिसंपत्ति देयता प्रबंध समिति/आंतरिक लेखा परीक्षा समिति विनिर्दिष्ट सीमाओं के उपयोग और अनुपालन की निगरानी करे।

  2. प्राधिकृत व्यापारियों के पास एक ऐसी प्रणाली होनी चाहिए, जो अपेक्षा होने पर, दिशानिर्देशों में विनिर्दिष्ट NOOP के विभिन्न घटकों को रिज़र्व बैंक द्वारा सत्यापित किए जाने के लिए प्रदर्शित की जा सके।

  3. प्राधिकृत व्यापारियों द्वारा कारोबारी दिन के अंत तक किए गए लेनदेन विदेशी मुद्रा एक्सपोज़र सीमाओं के आकलन के लिए संगणित (compute) किए जाएंगे। कारोबारी दिन की समयावधि की समाप्ति के बाद किए गए लेनदेन अगले दिन की पोजीशनों में शामिल किए जाएंगे। कारोबारी दिन की समाप्ति का समय बैंक के बोर्ड द्वारा अनुमोदित होना चाहिए।

ii. एक्स्चेंज रेट मैनेजमेन्ट हेतु उन पोज़ीशनों के लिए सीमाएं (NOP-INR) जिनमें रुपया एक मुद्रा के रूप में शामिल है

ए. बाज़ार की स्थिति के मद्देनज़र, रिज़र्व बैंक द्वारा स्वविवेक से प्राधिकृत व्यापरियों हेतु एनओपी-आईएनआर निर्धारित की जाएगी।

बी. लांग और शार्ट तटीय पोजीशनों (शार्ट हैंड तरीके से आकलित) को समायोजित करके और उसमें अपतटीय शाखाओं की आईएनआर की पोजीशनों को जोड़ कर NOP-INR की गणना की जाएगी।

सी. बैंकों द्वारा एक्स्चेंजों में ट्रेडिंग किए गए करेंसी फ्यूचरों / आप्शनों के संबंध में ली गयी पोजीशनें NOP-INR का भाग नहीं होंगी।

डी. जहाँ तक आप्शन पोजीशनों का सबंध है उतार-चढ़ाव वाले बाज़ार के बंद होने के दौरान लार्ज आप्शन ग्रीक्स (large options Greeks) के कारण हुई किसी बेशी स्थिति/पुनर्मूल्यन को तकनीकी भंग माना जाए। तथापि, ऐसे भंग की निगरानी बैंकों द्वारा उचित आडिट ट्रेल के मार्फत की जानी है। उचित प्राधिकारियों (ALCO/आंतरिक लेखा परीक्षा समिति) के द्वारा ऐसे भंग को नियमित और मंजूर किया जाना चाहिए।

बी. समग्र अंतर सीमाएं (AGL)

i. संबंधित बैंक के निदेशक बोर्ड द्वारा समग्र अंतर सीमाओं (AGL) का निर्धारण किया जाना चाहिए और उसे अविलंब रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत किया जाना चाहिए। हालाँकि, ऐसी सीमाएं बैंक की कुल पूँजी (टियर । और टियर ॥ पूँजी) के छ: गुने से अधिक नहीँ होनी चाहिए।

ii. तथापि, जिन प्राधिकृत व्यापारियों ने समग्र विदेशी मुद्रा अंतराल जोखिमों के संबंध में अवधि-वार PV01 सीमाएं और VaR जैसे बेहतर उपायों का निर्धारण कर रखा हो उन्हें समग्र अंतर सीमाओं के स्थान पर अपनी पूंजी, जोखिम बर्दाश्त करने की क्षमता, आदि पर आधारित PV01 सीमाएं और VaR के निर्धारण की अनुमति है और उसे रिज़र्व बैंक को सूचित किया जाना चाहिए। अंतरिक नीति के रूप में इन सीमाओं की प्रक्रिया और गणना को स्पष्टत: प्रलेखित किया जाना चाहिए और उनका सख्ती से अनुपालन किया जाना चाहिए।


1यहाँ पूँजी का संदर्भ भारतीय रिज़र्व बैंक (बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग) द्वारा जारी अनुदेशों के अनुसार टियर । पूँजी से है।

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