साख सूचना कंपनियों को ऋण सूचना प्रस्तुत किए जाने हेतु डेटा फार्मेट और अन्य विनियामक उपाय - आरबीआई - Reserve Bank of India
साख सूचना कंपनियों को ऋण सूचना प्रस्तुत किए जाने हेतु डेटा फार्मेट और अन्य विनियामक उपाय
आरबीआई/2014-15/128 15 जुलाई 2014 अध्यक्ष/मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदय/महोदया साख सूचना कंपनियों को ऋण सूचना प्रस्तुत किए जाने हेतु डेटा फार्मेट और अन्य विनियामक उपाय भारतीय रिज़र्व बैंक ने साख सूचना कंपनियों को ऋण सूचना प्रस्तुत किए जाने हेतु डेटा फॉर्मेट की अनुशंसा करने के लिए एक समिति (अध्यक्षः श्री आदित्य पुरी) का गठन किया था। समिति की रिपोर्ट 22 मार्च 2014 को रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर रखी गई थी तथा समिति की सिफारिशों पर टिप्पणियां आमंत्रित की गई थीं। समिति की रिपोर्ट की एक प्रति संदर्भ के लिए संलग्न है। 2. समिति की सिफारिशों और प्राप्त टिप्पणियों / सुझावों पर विचार करने के बाद यह निर्णय लिया गया है कि निम्नलिखित सिफारिशों को, जहां अपेक्षित हो, सुधारों के साथ कार्यान्वित किया जाए: i. ऋण सूचना रिपोर्ट (सीआईआर) के प्रति जागरूकता पैदा करना: ऋण आवेदकों की बेहतर स्क्रीनिंग और ऋण मूल्यांकन में सीआईआर के प्रयोग से मिलने वाले फायदे क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों / राज्य सहकारी बैंकों (आरआरबी/एसटीसीबी) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (सीसीबी) को मिल सकें इसके मद्देनजर साख सूचना कंपनियों (सीआईसी) को भारतीय बैंक संघ (आईबीए) या माइक्रो वित्तीय संस्था नेटवर्क (एमएफआईएन) के साथ मिलकर, जैसा भी मामला हो, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों / राज्य सहकारी बैंकों (आरआरबी/एसटीसीबी) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (सीसीबी) के लिए नियमित रूप से कार्यशालाएं आयोजित करनी चाहिए। (सिफारिश 8.7) ii. ऋण देने संबंधी सभी निर्णयों में तथा खाता खोलने के लिए ऋण सूचना रिपोर्ट (सीआईआर) / साख ब्यूरो का उपयोग: क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों / राज्य सहकारी बैंकों (आरआरबी/एसटीसीबी) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (सीसीबी) को चाहिए कि वे अपनी ऋण मूल्यांकन प्रक्रिया / ऋण नीतियों में एक या एक से अधिक साख सूचना कंपनियों से सीआईआर मंगवाए जाने संबंधी उचित प्रावधानों को शामिल करें ताकि सिस्टम में उपलब्ध सूचना के आधार पर ऋण सबंधी निर्णय लिए जा सकें। इसी परिप्रेक्ष्य में, चूंकि साख सूचना कंपनियों के पास वाणिज्यिक उधारकर्ताओं के डेटा पर्याप्त रूप से उपलब्ध नहीं हैं, अत: शुरुआती तौर पर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों / राज्य सहकारी बैंकों (आरआरबी/एसटीसीबी) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (सीसीबी) खुदरा उधारकर्ताओं / उपभोक्ता उधारकर्ता घटक के लिए ऋण देने संबंधी सभी निर्णयों में तथा खाता खोलने हेतु अपने बोर्ड के अनुमोदन से साख ब्यूरो के प्रयोग की नीति को लागू कर सकते हैं। [सिफारिश 8.9] iii. सभी साख सूचना कंपनियों के डेटाबेस को वाणिज्यिक उधारकर्ताओं के डेटा से स्थापित बनाया जाना : फिलहाल, साख सूचना कंपनियों के डेटाबेस में वाणिज्यिक उधारकर्ताओं के डेटा पर्याप्त रूप से स्थापित नहीं हुआ है। साख सूचना कंपनियां अपने डेटाबेस में कारपोरेट उधारकर्ताओं के संबंध में पर्याप्त रूप से डेटा शामिल कर सके इसके लिए एक रोडमैप लागू किए जाने की आवश्यकता है। इस उद्देश्य से क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों / राज्य सहकारी बैंकों (आरआरबी/एसटीसीबी) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (सीसीबी) को सूचित किया जाता है कि वे तत्काल प्रभाव से अपने कार्पोरेट उधारकर्ताओं के संबंध में डेटा की रिपोर्टिंग सीआईसी को समयबद्ध रूप से करें तथा सीआईसी छः महीनों के भीतर अपने डेटाबेस को वाणिज्यिक डेटा रिकार्ड से स्थापित करें। अत:, छह महीने की अवधि के बाद, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों / राज्य सहकारी बैंकों (आरआरबी/एसटीसीबी) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (सीसीबी) को भी बोर्ड अनुमोदित नीति के तहत वाणिज्यिक/कॉर्पोरेट उधारकर्ताओं के संबंध में साख सूचना कंपनियों के पास उपलब्ध डेटा का उपयोग शुरू कर देना चाहिए। [सिफारिश 8.8] iv. डेटा फार्मेट का मानकीकरण : क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों / राज्य सहकारी बैंकों (आरआरबी/एसटीसीबी) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (सीसीबी) द्वारा साख सूचना कंपनियों को डेटा प्रस्तुत करने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित बनाए जाने की दृष्टि से, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों / राज्य सहकारी बैंकों (आरआरबी/एसटीसीबी) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (सीसीबी) द्वारा साख सूचना कंपनियों को डेटा प्रस्तुत किए जाने संबंधी फार्मेटों को मानकीकृत किए जाने का निर्णय लिया गया है। अनुबंध-I में दिए गए डेटा फार्मेट को उपभोक्ता और वाणिज्यिक उधारकर्ताओं के लिए डेटा फार्मेट के मानकीकरण हेतु आधार रूप में लिया जाना चाहिए। अनुबंध-II में दिए गए डेटा फार्मेट को माइक्रो वित्तीय संस्था (एमएफआई) खंड के लिए डेटा फार्मेट के मानकीकरण हेतु आधार रूप में लिया जाना चाहिए। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों / राज्य सहकारी बैंकों (आरआरबी/एसटीसीबी) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (सीसीबी) को साख सूचना कंपनियों को डेटा प्रस्तुत करने के लिए इन फार्मेटों का प्रयोग तत्काल प्रभाव से शुरू कर देना चाहिए। ये डेटा फार्मेट नॉन प्रोप्राइटरी रिपोर्टिंग फार्मेट होंगे और अब से ये “एकसमान क्रेडिट रिपोर्टिंग फार्मेट” के नाम से जाने जाएंगे। प्रत्येक खंड, यथा- उपभोक्ता, वाणिज्यिक और एमएफआई को कोष्ठकों में उचित प्रकार से चिह्नित किया जाएगा, उदाहरण के लिए – “एकसमान क्रेडिट रिपोर्टिंग फार्मेट (उपभोक्ता)”। इन्हें क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों / राज्य सहकारी बैंकों (आरआरबी/एसटीसीबी) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (सीसीबी) तथा साख सूचना कंपनियों द्वारा एकसमान रूप से अपनाया जाना चाहिए। [सिफारिश 8.10 (क)] v. तकनीकी कार्य दल : हमारे बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग द्वारा डेटा फार्मेट की निरंतर रूप से समीक्षा करने तथा जरूरी होने पर संशोधन किए जाने की प्रणाली स्थापित करने के लिए अनुसूचित वाणिज्य बैंकों, (सरकारी क्षेत्र के बैंक, निजी क्षेत्र बैंक और विदेशी बैंक प्रत्येक से एक सदस्य), शहरी सहकारी बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी), अखिल भारतीय अधिसूचित वित्तीय संस्थाओं, साख सूचना कंपनियों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों, आवास वित्त कंपनियों, भारतीय बैंक संघ तथा माइक्रो वित्त संस्था नेटवर्क (एमएफआईएन) के प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए एक तकनीकी कार्य दल गठित करने का निर्णय लिया गया है। उक्त कार्य दल डेटा फार्मेट की आवधिक रूप से, जैसे कि वर्ष में एक बार, समीक्षा करेगा और इसमें संशोधन हेतु सुझाव देगा। उक्त कार्य दल विभिन्न डेटा फार्मेटों, यथा- उपभोक्ता, वाणिज्यिक और एमएफआई, के सभी डेटा फील्डस के लिए नियमों का निर्धारण करेगा। इस दल द्वारा डेटा फार्मेट को अंतिम रूप दिए जाने के बाद वह भारतीय रिज़र्व बैंक को अनुमोदन हेतु प्रस्तुत किया जाएगा। तकनीकी कार्य दल की सिफारिशों को कार्यान्वित करने के लिए सिबिल (सीआईबीआईएल) कार्य दल के संयोजक के रूप में कार्य करेगा और सिफारिशों को परिचालनीय बनाने में मुख्य भूमिका निभाएगा। शुरुआती तौर पर कार्य दल प्राथमिकता के आधार पर वाणिज्यिक उधारकर्ता घटक के डेटा फार्मेट में बदलाव पर विचार करेगा, जहां सदस्य बैंकों / वित्तीय संस्थाओं के बीच संघीय / बहुविध बैंकिंग व्यवस्थाओं के तहत सूचना का आदान-प्रदान किए जाने हेतु अपेक्षित डेटा संग्रहित किए जाने की अत्यंत आवश्यकता है और इससे उपर्युक्त पैरा 2 (iii) में दिए गए अनुदेशों के कार्यान्वयन में भी मदद मिलेगी। कार्य दल अनुबंध III में वर्णित अतिरिक्त फ़ील्ड भी शामिल करेगा। [सिफारिशें 8.10 (ख) और 8.11] vi. अस्वीकृत डेटा में सुधार : साख सूचना कंपनियों को डेटा स्वीकृति में शामिल तार्किक और मान्यकरण प्रक्रियाओं को क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों / राज्य सहकारी बैंकों (आरआरबी/एसटीसीबी) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (सीसीबी) के साथ साझा करना चाहिए ताकि डेटा अस्वीकृति के अवसर न्यूनतम हो। अस्वीकृति के कारणों को मानकीकृत किए जाने और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों / राज्य सहकारी बैंकों (आरआरबी/एसटीसीबी) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (सीसीबी) के बीच परिचालित किए जाने की आवश्यकता है। अस्वीकृति रिपोर्टें आसान और सरल बनाई जानी चाहिए ताकि इनका प्रयोग रिपोर्टिंग और डेटा स्तरीय मुद्दों के समाधान हेतु किया जा सके। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों / राज्य सहकारी बैंकों (आरआरबी/एसटीसीबी) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (सीसीबी) को चाहिए कि वे अस्वीकृति रिपोर्ट प्राप्त होने के सात दिनों के भीतर अस्वीकृत डेटा में सुधार करें और साख सूचना कंपनियों को पुन: प्रस्तुत (अपलोड) करें। [सिफारिश 8.15] vii. डेटा गुणवत्ता सूचकांक: एक सामान्य डेटा गुणवत्ता सूचकांक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों / राज्य सहकारी बैंकों (आरआरबी/एसटीसीबी) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (सीसीबी) को उनके डेटा में कमियों के निर्धारण और समय के साथ-साथ उनके निष्पादन में सुधार लाने में सहायक होगा। इसके अलावा, वे अपने समकक्षों (पीअर्स) की तुलना में स्वयं के निष्पादन स्तर को मापने और स्वयं की सापेक्ष स्थिति का निर्धारण करने में भी सक्षम हो सकेंगे। रिपोर्ट के अनुबंध 6 में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों / राज्य सहकारी बैंकों (आरआरबी/एसटीसीबी) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (सीसीबी) द्वारा प्रस्तुत किए गए डेटा के मूल्यांकन हेतु विभिन्न मापदंड शामिल करते हुए सभी साख सूचना कंपनियों द्वारा सहमत डेटा गुणवत्ता सूचकांक का प्रारूप शामिल किया गया है। साख सूचना कंपनियां और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक / राज्य सहकारी बैंक (आरआरबी/एसटीसीबी) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (सीसीबी) अपने डेटा प्रस्तुतीकरण की गुणवत्ता का मूल्यांकन करने के लिए उक्त डेटा गुणवत्ता सूचकांक को अपना सकते हैं और डेटा गुणवत्ता में सुधार के प्रयास करते हुए छह महीने की अवधि के भीतर डेटा अस्वीकृति का अवसर घटा सकते हैं। [सिफारिश 8.16] viii. क्रेडिट स्कोर : क्रेडिट स्कोर को एक आसान और सुसंगत तरीके से समझने और उसकी व्याख्या करने के लिए, यह सूचित किया जाता है कि सिबिल की 300 से 900 अंकीय क्रेडिट स्कोर कैलिब्रेटिंग प्रणाली को अन्य साख सूचना कंपनियां भी छह माह की अवधि के भीतर अपना लें ताकि क्रेडिट स्कोर का एक सामान्य वर्गीकरण उपलब्ध रह सके। [सिफारिश 8.17] ix. क्रेडिट सूचना रिपोर्ट (सीआईआर) के फार्मेट का मानकीकरण : सीआईआर के फार्मेट को मानकीकृत किए जाने की आवश्यकता महसूस नहीँ की गई क्योंकि बाजार में प्रतिस्पर्धा को बढावा दिए जाने के लिए ऐसे विभेदन जरूरी हैं। तथापि, साख सूचना कंपनियों को चाहिए कि वे सीआईआर शब्दावली को मानकीकृत बनाएं और कुछ फील्ड्स को अनिवार्य बनाएं। इससे प्रयोक्ताओं को दो या अधिक साख सूचना कंपनियों से मिलने वाले सीआईआर की तुलना करने का आधार उपलब्ध रहेगा। मानकीकृत सीआईआर के विस्तृत पहलु अनुबंध IV में दिए गए हैं। [सिफारिश 8.18(क)] x. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों / राज्य सहकारी बैंकों (आरआरबी/एसटीसीबी) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (सीसीबी) के लिए सर्वोत्तम संव्यवहार : प्रत्येक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक / राज्य सहकारी बैंक (आरआरबी/एसटीसीबी) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (सीसीबी) को साख सूचना कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 (सीआईसीआरए) के तहत अपने निदेशक बोर्ड के अनुमोदन से नीतियों और क्रियाविधि का निर्धारण या समीक्षा करते समय अनुबंध V में दिए गए सर्वोत्तम संव्यवहारों को ध्यान में रखना चाहिए। [सिफारिश 8.25] xi. साख सूचना कंपनियों के लिए सर्वोत्तम संव्यवहार : साख सूचना कंपनियों को चाहिए कि वे अनुबंध VI में दिए गए सर्वोत्तम संव्यवहार को भी ध्यान में रखें और अपने निदेशक बोर्ड के अनुमोदन से ग्राहक शिकायत निवारण प्रणाली स्थापित करें। ऐसी नीति उनकी वेबसाइट पर भी प्रदर्शित की जानी चाहिए। [सिफारिश 8.26] 3. समिति की अन्य सिफारिशों को लागू करने का निर्णय लिए जाने से पूर्व इन पर अलग से विचार किया जाएगा। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों / राज्य सहकारी बैंकों (आरआरबी/ एसटीसीबी) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (सीसीबी) और साख सूचना कंपनियों को सूचित किया जाता है कि वे इस परिपत्र में दिए गए अनुदेशों को निर्देशित समय सीमा के अनुसार लागू करें। भवदीय (ए. उदगाता) |