अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों (IFSCs) सहित समुद्रपारीय देशों में सृजित वैकल्पिक निवेश निधियों (AIF) में प्रायोजक अंशदान - आरबीआई - Reserve Bank of India
अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों (IFSCs) सहित समुद्रपारीय देशों में सृजित वैकल्पिक निवेश निधियों (AIF) में प्रायोजक अंशदान
भा.रि.बैंक/2021-22/38 12 मई, 2021 सभी श्रेणी-। प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/ महोदय अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों (IFSCs) सहित समुद्रपारीय देशों में सृजित सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों का ध्यान “निवासियों द्वारा विदेशों में संयुक्त उद्यमों (JVs)/ पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों (WoS) में प्रत्यक्ष निवेश” विषय पर 01 जनवरी 2016 को जारी एवं समय-समय पर यथासंशोधित, मास्टर निदेश सं.15 के पैराग्राफ ए.3(ई) एवं बी.6 तथा अधिसूचना सं. फेमा 120/2004-आरबी के विनियम-7, जिसमें किसी भारतीय पार्टी (IP) द्वारा वित्तीय सेवा क्षेत्र से सम्बद्ध संस्थाओं में निवेश करने / वित्तीय प्रतिबद्धताओं से संबंधित प्रावधान दिये गए हैं, की ओर आकर्षित किया जाता है। 2. यह निर्णय लिया गया है कि किसी प्रायोजक भारतीय पार्टी (IP) द्वारा भारत में स्थित अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों (IFSCs) सहित समुद्रपारीय देशों में मेज़बान देश के कानूनों के अनुसार सृजित किसी वैकल्पिक निवेश निधि (एआईएफ़) में किए जाने वाले प्रायोजक अंशदान को समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश (ODI) माना जाएगा। तदनुसार, भारतीय पार्टी (आईपी), ऊपर उल्लिखित अधिसूचना के विनियम 2(के) में यथापरिभाषित, स्वचालित मार्ग के तहत आईएफ़एससी सहित समुद्रपारीय देशों में वैकल्पिक निवेश निधियां (AIF) सृजित कर सकती है, बशर्ते वह अधिसूचना फेमा 120/2004-आरबी के विनियम-7 का अनुपालन करती हो। 3. ऊपर उल्लिखित अधिसूचना के अन्य सभी प्रावधान अपरिवर्तित रहेंगे। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने घटकों और ग्राहकों को अवगत कराएं। 4. उपर्युक्त परिवर्तनों को दर्शाने के लिए दिनांक 01 जनवरी 2016 के मास्टर निदेश सं.15 को तदनुसार अद्यतन किया जा रहा है। 5. इस परिपत्र में निहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और वे अन्य किसी विधि/ कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति / अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालते। भवदीय (अजय कुमार मिश्र) |