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कृषि ऋण माफी तथा ऋण राहत योजना, 2008 - आय निर्धारण, अस्ति वर्गीकरण, प्रावधानीकरण तथा पूंजी पर्याप्तता संबंधी विवेकपूर्ण मानदंड

आरबीआइ सं. 2009-10/160
ग्राआऋवि.केंका.आरएफ.बीसी.सं. 23/07.37.02/2009-10

16 सितंबर 2009

सभी राज्य सहकारी बैंक तथा जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक

महोदय

कृषि ऋण माफी तथा ऋण राहत योजना, 2008 - आय निर्धारण, अस्ति
वर्गीकरण, प्रावधानीकरण तथा पूंजी पर्याप्तता संबंधी विवेकपूर्ण मानदंड

कृपया उपर्युक्त विषय पर दिनांक 30 जुलाई 2008 का हमारा परिपत्र ग्राआऋवि. केंका.आरएफ.सं.बीसी.17/07.38.03/2008-09, 6 मार्च 2009 का परिपत्र ग्राआऋवि.केंका.आरएफ.सं.बीसी.91/07.37.02/2008-09 तथा 26 जून 2009 का परिपत्र ग्राआऋवि. केंका.आरएफ.सं.बीसी. 116/07.37.02/2008-09 देखें । दिनांक 26 जून 2009 के परिपत्र के द्वारा हमने यह सूचित किया था कि भारत सरकार ने यह निर्णय लिया है कि भारत सरकार से 25% की ऋण राहत पाने के लिए ’अन्य किसानों’ के खाते पात्र होंगे भले ही वे अपने 75% के संपूर्ण हिस्से का भुगतान एक ही किस्त में करते हों बशर्ते ऐसे किसान उकमत भुगतान 30 जून 2009 तक कर देते हों।

2. इस संदर्भ में यह सूचित किया जाता है कि भारत सरकार ने अब यह निर्णय लिया है कि ऋण राहत योजना (एडीडब्ल्यूडीआर के अंतर्गत) के अंतर्गत एकमुश्त निपटान के लिए ’अन्य किसानों’ द्वारा अतिदेय हिस्से के 75% के भुगतान की अंतिम तारीख 30 जून 2009 से और छ: महीने बढ़ाकर 31 दिसंबर 2009 तक कर दी जाए । भारत सरकार ने यह भी सूचित किया है कि बैंकों/ऋणदात्री संस्थाओं को एकमुश्त निपटान योजना (ओटीएस) के तहत पात्र रशि के 75% से कम रशि भी स्वीकार करने की अनुमति है बशर्ते बैंक/ऋणदात्री संस्थाएं इस अंतर को खुद वहन करें और उसके लिए न तो सरकार से दावा करें और न ही किसान से । ऋण राहत के अंतर्गत सरकार वास्तविक पात्र रशि के केवल 25% का भुगतान करेगी ।

3. सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि ऋणदात्री संस्थाएं 29 फरवरी 2008 से 30 जून 2009 के बीच की अवधि के लिए पात्र रशि पर कोई ब्याज नहीं लगाएंगी । तथपि, बैंक पात्र रशि पर 1 जुलाई 2009 से निपटान की तारीख तक के लिए सामान्य ब्याज दर लगा सकते हैं ।

4. जिन मामलों में ऋण राहत योजना के दायरे में आने वाले किसानों ने एकमुश्त निपटान योजना के अंतर्गत अपने अंश का भुगतान करने की सहमति के रूप में वचनबद्धता दे दी है वहां बैंक उनके संबंधित खातों को ‘मानक’/‘अर्जक’ मान सकते हैं, बशर्ते -

(क) बैंकों द्वारा उधारकर्ताओं से बकाया सभी प्राप्य रशियों के लिए उनके वर्तमान मूल्य के अनुसार हनि के लिए पर्याप्त प्रावधान किया गया हो । (इस योजना के अंतर्गत वर्तमान मूल्य के आधार पर हनि की रशि की गणना करने के लिए किसानों से प्राप्य शेष रशि को 31 दिसंबर 2009 को देय माना जाए और उस पर ब्याज का भुगतान उपर्युकमत पैराग्राफ 3 के अनुसार होगा । वर्तमान मूल्य की गणना करने के लिए नकदी प्रवाह पर उस दर पर बट्टा लगाया जाना चहिए जिस ब्याज दर पर ऋण मंजूर किया गया था और जिसमें सरकार से प्राप्त ब्याज सहायता के तत्व को भी शमिल किया गया हो ।

(ख) ऐसे किसान निपटान के अपने हिस्से का भुगतान संशोधित अंतिम तारीख अर्थात् 31 दिसंबर 2009 तक अनिवार्य रूप से करते हों।

5. तथपि, यदि किसानों द्वारा 31 दिसंबर 2009 तक भुगतान नहीं किया जाता है तो ऐसे किसानों के संबंधित खातों में बकाया रशि को अनर्जक अस्ति माना जाएगा। इस तरह के खातों के अस्ति वर्गीकरण का निर्धारण अनर्जक अस्ति की मूल तिथि के संदर्भ में किया जाएगा (मानो कि उपर्युकमत वचनबद्धता के आधार पर खाते को बीच की अवधि के दौरान अर्जक के रूप में नहीं माना गया था)। खातों की श्रेणी को इस प्रकार घटाए जाने के बाद विद्यमान विवेकपूर्ण मानदंडों के अनुसार अतिरिकमत प्रावधान कि या जाना चहिए ।

6. यह उल्लेखनीय है कि 30 जुलाई 2008 के परिपत्र के अनुबंध के पैराग्राफ 2.1 के अंतर्गत यह व्यवस्था है कि ऋण माफी के लिए पात्र छोटे और सीमांत किसानों के मामले में माफी के लिए पात्र रशि, भारत सरकार से प्राप्त होने तक बैंकों द्वारा "कृषि ऋण माफी योजना, 2008 के अंतर्गत भारत सरकार से प्राप्य रशि" नामक एक अलग खाते में अंतरित की जानी चहिए और इस खाते की शेष रशि को तुलन पत्र के स्तम्भ ’अग्रिम’ में दर्शाया जाना चहिए। अब यह स्पष्ट किया जाता है कि ऋण राहत के लिए पात्र ‘अन्य किसानों’ के मामले में बैंक ऋण माफी योजना के अंतर्गत भारत सरकार से प्राप्त होने वाली रशि के लिए खोले गए खाते के समान ही ऋण राहत योजना के लिए खाता खोल सकते हैं, बशर्ते ‘अन्य किसान’ ने 75% के अपने संपूर्ण हिस्से का भुगतान कर दिया हो। इस खाते का नाम "कृषि ऋण राहत योजना, 2008 के अंतर्गत भारत सरकार से प्राप्य रशि" हो। इस रशि को तुलन पत्र की के स्तम्भ ’अग्रिम’ के अंतर्गत भी दर्शाया जाए।

7. उपर्युकमत परिपत्रों की अन्य सभी शर्तें अपरिवर्तित रहेंगी।

भवदीय

(आर.सी. षडंगी )
मुख्य महाप्रबंधक


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