जमाकर्ता शिक्षा और जागरुकता निधि योजना, 2014 – बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 26 क – ग्राहकों के संबंध में समुचित सावधानी - आरबीआई - Reserve Bank of India
जमाकर्ता शिक्षा और जागरुकता निधि योजना, 2014 – बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 26 क – ग्राहकों के संबंध में समुचित सावधानी
आरबीआई/2014-15/311 21 नवंबर 2014 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक / महोदया/महोदय, जमाकर्ता शिक्षा और जागरुकता निधि योजना, 2014 – बैंककारी विनियमन कृपया जमाकर्ता शिक्षा और जागरुकता निधि योजना, 2014 पर जारी 27 मई 2014 का परिपत्र बैंपविवि.सं.डीईएएफ कक्ष.बीसी.114/30.01.002/2013-14 देखें। 2. योजना के पैरा 4 (i) के अनुसार ऐसे ग्राहक/जमाकर्ता की मांग पर, जिसकी अदावी राशि/जमारशि निधि को अंतरित की गई हो, बैंक ग्राहक/जमाकर्ता को ब्याज के साथ, यदि लागू हो, भुगतान करेंगे और ग्राहक/जमाकर्ता को भुगतान की गई राशि के बराबर राशि की निधि से धन वापसी के लिए दावा प्रस्तुत करेंगे। 3. इस संबंध में, बैंकों को पुन: सूचित किया जाता है कि हमारे द्वारा जारी 22 अगस्त 2008 के परिपत्र बैंपविवि.सं.एलईजी.बीसी.34/09.07.005/2008-09 (सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के लिए, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोडकर), 1 सितंबर 2008 के परिपत्र शबैवि.बीपीडी.(पीसीबी) परि.सं.9/13.01.000/2008-09 (सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों के लिए), 18 फरवरी 2009 के परिपत्र ग्राआऋवि.केंका.आरएफ.बीसी.सं.89/07.38.01/2008-09 (सभी राज्य एवं मध्यवर्ती सहकारी बैंकों के लिए) तथा 22 मई 2009 के परिपत्र ग्राआऋवि.केंका.आरआरबी.बीसी.सं.108/03.05.33/2008-09 (सभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के लिए) में दिए गए विस्तृत अनुदेशों का अनुपालन करें, जिनमें निष्क्रिय खातों के संबंध में ग्राहकों का पता लगाए जाने हेतु विशेष प्रयास करने हेतु कहा गया था। 4. तथापि यह पाया गया है कि, ऐसे खाते, जो दस वर्षों या उससे अधिक के लिए निष्क्रिय बने रहे थे और जिनके संबंध में ग्राहकों/दावेदारों का पता नहीं लग पा रहा था, के लिए कुछ बैंकों ने निधि को देय राशि अंतरित करने के तुरंत बाद ही जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता कोष से भारी मात्रा में धन-वापसी हेतु दावा प्रस्तुत किया है। यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि ऐसे ग्राहकों/दावेदारों जिन्होंने पिछले दस वर्षों या उससे अधिक अवधि से खाता परिचालित नहीं किया था, अपने निष्क्रिय खातों की शेषराशि निधि को अंतरित किए जाने के तुरंत बाद ही बैंकों से धनवापसी हेतु संपर्क कैसे कर लिया। अत: बैंकों को चाहिए कि वे निष्क्रिय खातों के संबंध में सभी अनुदेशों का अनुपालन सावधानीपूर्वक करें। 5. इसके साथ ही, बैंकों से धनवापसी हेतु संपर्क करने वाले ग्राहकों को भुगतान करने से पूर्व ग्राहकों की जोखिम श्रेणी के अनुसार समुचित सावधानी उपाय भी किए जाएं। बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे इन लेनदेनों के असली होने की जांच अनिवार्यत: करें तथा सुनिश्चित करें कि आंतरिक लेखा परीक्षकों/ सांविधिक लेखा परीक्षकों द्वारा ग्राहकों को भुगतान की गई राशि की समुचित लेखा परीक्षा की जाती है। भवदीय (ए.के.पांडे) |