भारतीय रिज़र्व बैंक ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया पर मौद्रिक दंड लगाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया पर मौद्रिक दंड लगाया
26 मई 2023 भारतीय रिज़र्व बैंक ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया पर मौद्रिक दंड लगाया भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 25 मई 2023 के आदेश द्वारा सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (बैंक) पर 'भारतीय रिज़र्व बैंक (वाणिज्यिक बैंकों और चुनिंदा वित्तीय संस्थाओं द्वारा धोखाधड़ी वर्गीकरण और रिपोर्टिंग) निदेश 2016' और 'बैंकों में ग्राहक सेवा पर मास्टर परिपत्र' के कतिपय प्रावधानों के अननुपालन के लिए ₹84.50 लाख (चौरासी लाख पचास हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) और धारा 51 (1) के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। पृष्ठभूमि 31 मार्च 2021 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में बैंक के पर्यवेक्षी मूल्यांकन (आईएसई) हेतु भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा सांविधिक निरीक्षण किया गया, तथा जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट, निरीक्षण रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, बैंक द्वारा उपर्युक्त निदेशों का (i) खातों को धोखाधड़ी घोषित करने के संयुक्त ऋणदाता फोरम (जेएलएफ) के निर्णय के सात दिनों के भीतर भारतीय रिज़र्व बैंक को धोखाधड़ी के रूप में रिपोर्ट करने में विफल रहने और (ii) अपने ग्राहकों से वास्तविक उपयोग के बजाय समान आधार पर एसएमएस अलर्ट शुल्क वसूल करने की सीमा तक अननुपालन का पता चला। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और इस प्रकार के निदेशों के अननुपालन की सीमा तक मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/291 |