भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि बिहार स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, पटना पर मौद्रिक दंड लगाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि बिहार स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, पटना पर मौद्रिक दंड लगाया
12 जून 2023 भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि बिहार स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, पटना पर मौद्रिक दंड लगाया भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 5 जून 2023 के आदेश द्वारा दि बिहार स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, पटना (बैंक) पर निम्नलिखित के लिए ₹60.20 लाख (साठ लाख और बीस हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है:
यह दंड, बीआर अधिनियम की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए (1) (सी) और सीआईसी (आर) अधिनियम की धारा 23(4) के साथ पठित धारा 25(1)(iii) के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। पृष्ठभूमि 31 मार्च 2020 तक बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में नाबार्ड द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण तथा निरीक्षण रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, पता चला कि वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान, बैंक (i) प्रभावी पहचान और संदिग्ध लेनदेन की रिपोर्टिंग के एक भाग के रूप में किसी भी मजबूत सॉफ़्टवेयर का उपयोग करने; (ii) निर्धारित समय-सीमा के भीतर सांविधिक विवरणी प्रस्तुत करने; (iii) निर्धारित समय-सीमा के भीतर ऑफ-साइट निगरानी प्रणाली विवरणी प्रस्तुत करने; (iv) सभी चार साख सूचना कंपनियों को डेटा प्रस्तुत करने; और (v) बोर्ड की ग्राहक सेवा समिति गठित करने, बोर्ड द्वारा विधिवत अनुमोदित ग्राहक शिकायत निवारण नीति स्थापित करने और अपनी शाखाओं में अपने ग्राहकों/घटकों की शिकायतों के लिए कोई रजिस्टर रखने में विफल रहा। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि सांविधिक प्रावधानों और निदेशों, जैसा कि उसमें कहा गया है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर, इसके द्वारा की गई अतिरिक्त प्रस्तुतियों और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि उक्त सांविधिक प्रावधानों के उल्लंघन तथा भारतीय रिज़र्व बैंक और नाबार्ड द्वारा जारी उपरोक्त निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/392 |