भारतीय रिज़र्व बैंक ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया पर मौद्रिक दंड लगाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया पर मौद्रिक दंड लगाया
29 नवंबर 2021 भारतीय रिज़र्व बैंक ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया पर मौद्रिक दंड लगाया भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने, दिनांक 25 नवंबर 2021 के आदेश द्वारा यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (बैंक) पर आरबीआई द्वारा जारी "भारतीय रिज़र्व बैंक (धोखाधड़ी - वाणिज्यिक बैंकों और चुनिंदा वित्तीय संस्थानों द्वारा वर्गीकरण और रिपोर्टिंग) निदेश 2016" में निहित निदेशों के कतिपय प्रावधानों तथा "बैंकों द्वारा दबावग्रस्त आस्तियों की बिक्री संबंधी दिशानिर्देश" का अननुपालन करने के लिए ₹1.00 करोड़ (एक करोड़ रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड अधिनियम की धारा 46 (4) (i) और धारा 51 (1) के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के तहत आरबीआई को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है। पृष्ठभूमि 31 मार्च 2019 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में आरबीआई द्वारा बैंक के पर्यवेक्षी मूल्यांकन (आईएसई) के लिए किए गए सांविधिक निरीक्षण (आईएसई 2019) और जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट, निरीक्षण रिपोर्ट तथा आईएसई 2019 से संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ यह पता चला कि (i) पूर्व चेतावनी संकेतों की उपस्थिति के बावजूद किसी खाते को रेड फ्लैग खाते के रूप में वर्गीकृत करने में विफलता और (ii) अपनी वार्षिक रिपोर्ट में प्रतिभूति प्राप्तियों (एसआर) की परिपक्वता और प्रावधानीकरण के प्रकटन में विफलता की सीमा तक उपर्युक्त निदेशों का अननुपालन किया गया है। उक्त के आधार पर बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वे कारण बताएं कि आरबीआई द्वारा जारी निदेशों, जैसा की उसमें उल्लिखित है, के अननुपालन के लिए उन पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर, व्यक्तिगत सुनवाई में किए गए मौखिक प्रस्तुतियों और बैंक द्वारा किए गए अतिरिक्त प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, आरबीआई इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि उपर्युक्त आरबीआई निदेशों के अननुपालन के आरोप सिद्ध हुए हैं और उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन की सीमा तक बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2021-2022/1275 |