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भारतीय रिज़र्व बैंक ने वूरी बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया

9 सितंबर 2022

भारतीय रिज़र्व बैंक ने वूरी बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने दिनांक 7 सितंबर 2022 के आदेश द्वारा वूरी बैंक (बैंक) पर, आरबीआई द्वारा जारी दिनांक 13 फरवरी 2014 के 'बड़े ऋण पर सूचना का केंद्रीय भंडार (सीआरआईएलसी) - रिपोर्टिंग में संशोधन' के साथ पठित 11 सितंबर 2013 के 'सभी बैंकों में बड़े सामान्य एक्सपोजर के केंद्रीय भंडार का निर्माण' तथा भारतीय रिज़र्व बैंक (जमा पर ब्याज दर) निदेश, 2016 संबंधी निदेशों का अननुपालन करने के लिए 59.10 लाख (उनसठ लाख और दस हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46(4)(i) के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के अंतर्गत आरबीआई को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2020 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में पर्यवेक्षी मूल्यांकन के लिए बैंक का सांविधिक निरीक्षण (आईएसई) आरबीआई द्वारा किया गया तथा सेलेक्ट स्कोप रिपोर्ट 2020 और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ पता चला कि बैंक (i) 5 करोड़ से अधिक के गैर-निधि आधारित एक्सपोजर वाले ग्राहकों के संबंध में सीआरआईएलसी पर सूचना रिपोर्ट करने, और (ii) कतिपय मामलों में अग्रिम रूप से प्रकट की गई ब्याज दरों की अनुसूची की दरों के अनुसार जमाराशियों पर ब्याज का भुगतान करने में विफल रहा। उक्त के आधार पर बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें यह पूछा गया कि वह कारण बताएं कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता, जैसा कि उसमें कहा गया है, के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद आरबीआई इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि आरबीआई द्वारा जारी उपरोक्त निदेशों के अननुपालन के आरोप सिद्ध हुए हैं और इस तरह के निदेशों के अननुपालन की सीमा तक मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/855

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