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भारतीय रिज़र्व बैंक ने श्री कड़ी नागरिक सहकारी बैंक लि., कड़ी (गुजरात) पर मौद्रिक दंड लगाया

02 मई 2022

भारतीय रिज़र्व बैंक ने श्री कड़ी नागरिक सहकारी बैंक लि., कड़ी (गुजरात) पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने दिनांक 29 अप्रैल 2022 के आदेश द्वारा, श्री कड़ी नागरिक सहकारी बैंक लि., कड़ी (गुजरात) (बैंक) पर आरबीआई द्वारा जारी ‘निदेशकों, रिश्तेदारों तथा फर्मों / प्रतिष्ठानों, जिनमें उनकी रुचि हो, को ऋण एवं अग्रिम, ‘निदेशकों आदि को ऋण एवं अग्रिम- प्रतिभू/ गारंटीकर्ता के रूप में निदेशक- स्पष्टीकरण’, ‘शेयर एवं डिबेंचर पर बैंक वित्त – शहरी सहकारी बैंक’ और ‘निदेशक, उनके रिश्तेदार, जिस न्यास (ट्रस्ट) और संस्थान में पदधारी या हितबद्ध है, उनको दान’ संबंधी निदेशों के उल्लंघन के लिए 4.00 लाख (रुपये चार लाख मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड आरबीआई द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों का अनुपालन करने में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के तहत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2019 एवं 31 मार्च 2020 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में आरबीआई द्वारा किए गए सांविधिक निरीक्षण और उससे संबंधित निरीक्षण रिपोर्ट और सभी संबंधित पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ यह पता चला है कि बैंक ने ऐसे न्यास (ट्रस्ट) / प्रतिष्ठान को ऋण दिया था जिनमें उसके निदेशकों में से एक / बैंक के निदेशकों में से एक के रिश्तेदार हितबद्ध थे, को ऋण स्वीकृत किया था , बैंक ने ऐसे व्यक्तियों को ऋण सुविधा की मंजूरी दी थी जिनमें बैंक के निदेशकों के रिश्तेदार गारंटीकर्ता थे, बैंक ने एक स्टॉक ब्रोकर को ऋण दिया था और बैंक ने ऐसे न्यास (ट्रस्ट) को दान दिया जिसमें उन के निदेशकों में से एक के रिश्तेदार न्यासी थे, जिसके परिणामस्वरूप आरबीआई द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों का उल्लंघन हुआ है। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वे कारण बताएं कि आरबीआई द्वारा उपर्युक्त निदेशों का उल्लंघन करने के लिए उन पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई में किए गए मौखिक प्रस्तुतीकरण पर विचार करने के बाद, आरबीआई इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/147

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