भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक ऑफ़ इंडिया पर मौद्रिक दंड लगाया
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 26 फरवरी 2024 के आदेश द्वारा बैंक ऑफ़ इंडिया (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 'जमाराशि पर ब्याज दर', 'बैंकों में ग्राहक सेवा', 'अग्रिम पर ब्याज दर', 'बृहद क्रेडिट पर सूचना का केंद्रीय भंडार (सीआरआईएलसी)- रिपोर्टिंग में संशोधन', और 'साख सूचना कंपनियों (सीआईसी) की सदस्यता' संबंधी कतिपय निदेशों के अननुपालन तथा प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी नियम, 2006 (सीआईसी नियम) के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए ₹1,40,76,000 (एक करोड़ चालीस लाख छिहत्तर हजार रूपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 51(1) के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) तथा प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी (विनियमन) अधिनयम, 2005 की धारा 23(4) के साथ पठित धारा 25(1)(iii) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। पृष्ठभूमि
31 मार्च 2021 (आईएसई 2021) और 31 मार्च 2022 (आईएसई 2022) को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक का पर्यवेक्षी मूल्यांकन हेतु सांविधिक निरीक्षण किया गया। विनियामक अनुदेशों/ सांविधिक प्रावधानों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों और इससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि अनुदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर, व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने और इसके द्वारा किए गए अतिरिक्त प्रस्तुतियों के परीक्षण के बाद भारतीय रिज़र्व बैंक ने अन्य बातों के साथ-साथ यह पाया कि बैंक के विरुद्ध निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है: बैंक ने i) पहले से बताई गई ब्याज दरों की समय-सीमा के अनुसार कुछ मियादी जमा खातों में ब्याज का भुगतान नहीं किया; (ii) ग्राहकों पर अमान्य मोबाइल नंबरों के आधार पर एसएमएस अलर्ट शुल्क लगाया, न कि वास्तविक उपयोग के आधार पर; (iii) निर्धारित आवधिकता पर एमसीएलआर और बाह्य बेंचमार्क से संबद्ध अग्रिमों में ब्याज दरों को पुनर्निर्धारित करने में विफल रहा; (iv) कतिपय अस्थिर दर वाले खुदरा ऋणों और एमएसएमई को दिए गए अस्थिर दर वाले ऋणों से संबंधित ब्याज को बाह्य बेंचमार्क दर पर बेंचमार्क करने में विफल रहा; (v) सीआरआईएलसी को कतिपय बड़े उधारकर्ताओं से संबंधित डेटा रिपोर्ट करने में विफल रहा या गलत तरीके से रिपोर्ट किया और (vi) साख सूचना कंपनियों (सीआईसी) को सटीक जानकारी प्रस्तुत करने में विफल रहा।
यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
(योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/2048 |
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