पिछले उप गवर्नरों की सूची - आरबीआई - Reserve Bank of India
पिछले उप गवर्नरों की सूची

डॉ. सुब्बीर गोकर्ण
डॉ. सुबीर विठ्ठल गोकर्ण ने आज भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। डॉ. गोकर्ण को कार्यभार ग्रहण करने की तारीख से तीन वर्षों की अवधि के लिए उप गवर्नर के रूप में नियुक्त किया गया है। वे चौथे उप गवर्नर होंगे, अन्य तीन उप गवर्नर श्रीमती श्यामला गोपीनाथ, श्रीमती उषा थोरात और डॉ. के.सी.चक्रवर्ती हैं। उप गवर्नर के रूप में डॉ. गोकर्ण मौद्रिक नीति विभाग, आर्थिक विश्लेषण और नीति विभाग, सांख्यिकी और सूचना प्रबंध विभाग, संचार विभाग और निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम का कार्य देखेंगे। डॉ. गोकर्ण जी-20 उप गवर्नरों के फोरम में रिज़र्व बैंक का प्रतिनिधित्व भी करेंगे।
रिज़र्व बैंक में कार्यभार ग्रहण करने के पूर्व डॉ. गोकर्ण नई दिल्ली स्थित स्टेण्डर्ड एण्ड पुअर्स एशिया-पेसिफिक के मुख्य अर्थशास्ञी थे। भारतीय साख निर्धारण सूचना सेवा लिमिटेड (सीआरआइएसआइएल) के कार्यपालक निदेशक और मुख्य अर्थशास्ञी रहने के बाद उन्होंने अगस्त 2007 में यह पदभार संभाला था जिसमें स्टेण्डर्ड एण्ड पुअर्स में वर्ष 2005 में एक प्रमुख स्टेक अर्जित किया था। मुख्य अर्थशास्ञी के रूप में अपनी भूमिका के अतिरिक्त भारतीय साख निर्धारण सूचना सेवा लिमिटेड (सीआरआइएसआइएल) में अपने पाँच वर्षों के कार्यकाल के दौरान उन्होंने विभिन्न भूमिकाएं अदा की जिसमें सीआरआइएसआइएल तथा उसकी कई सहायक कंपनियों के अनुसंधान समूह की अध्यक्षता और सीआरआइएसआइएल के बोर्ड की सदस्यता शामिल है।
वर्ष 2002 में सीआरआइएसआइएल में कार्य ग्रहण करने से पूर्व वे राष्ट्रीय अनुप्रयुक्त आर्थिक अनुसंधान परिषद (एनसीएइआर), नई दिल्ली (2000-2002) में औद्योगिक विकास भारतीय औद्योगिक वित्त निगम (आइएफसीआइ) में प्रमुख अर्थशास्ञी तथा अध्यक्ष रहे। साथ ही, इंदीरा गांधी विकास अनुसंधान संस्थान (आइजीआइडीआर), मुंबई (वर्ष 1991-2000) के सहायक प्रोफेसर भी रहे।
डॉ. गोकर्ण ने अर्थशास्ञ में (1979) बी.ए.(आनर्स) के साथ सेंट झेवियर्स महाविद्यालय, मुंबई से स्नातक की उपाधि प्राप्त की तथा अर्थशास्ञ में (1981) एम.ए. दिल्ली स्कूल ऑफ इकानॉमिक्स से स्नातोक्तर उपाधि प्राप्त की। औद्योगिक लागत तथा मूल्य ब्यूरो में दो वर्ष तक कार्य करने के बाद वे अमरीका में केस वेस्टर्न रिज़र्व विश्वविद्यालय में अर्थशास्ञ में पी.एचडी करने के लिए गये जो उन्हें वर्ष 1989 में प्राप्त हुई। उनके कार्य का मुख्य विषय दक्षिण कोरिया में औद्योगिक कार्यनिष्पादन पर पूँजी बाज़ार उदारीकरण का प्रभाव था। वर्ष 1997 में उन्हें फूल ब्राईट अनुसंधान सदस्यता प्राप्त हुई जहाँ उन्होंने अमरीका के ऐल विश्वविद्यालय में आर्थिक विकास केंद्र में एक शैक्षणिक वर्ष बिताया।
डॉ. गोकर्ण को औद्योगिक अर्थशास्ञ, मौद्रिक अर्थशास्ञ, कंपनी वित्त में महारथ हासिल है। उनकी शैक्षणिक अनुसंधान के विभिन्न क्षेत्र हैं जिनमें व्यष्टि अर्थव्यवस्था के अलावा पूर्वी एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के उद्योग, मूलभूत सुविधाएं और तुलनात्मक अध्ययन शामिल हैं। उनके द्वारा लिखित कई कार्य तथा परियोजना रिपोर्टें प्रकाशित हुई हैं जिनमें पूर्व एशिआई विकास प्रक्रिया पर सह-लिखित दो पुस्तकें तथा भारतीय उद्योग के ढाँचे पर सह-संपादित खण्ड शामिल हैं।
उन्होंने 13 वर्ष तक बिजनेस सैन्डर्ड के वर्तमान आर्थिक विषयों पर एक पाक्षिक स्तंभ में अपना योगदान दिया है। वे वर्ष 2002 से 2009 के दौरान बोर्ड ऑफ इंडिया टूडे इकानॉमिक्स के सदस्य भी रह चूके हैं। वे उद्योग संगठनों, शैक्षणिक संस्थाओं, सरकारी एजेंसियों और सिविल नागरिक संस्थाओं द्वारा आयोजित समितियों और अन्य गतिविधियों में नियमित रूप से भाग लेते रहे हैं।
डॉ. गोकर्ण का जन्म 3 अक्टूबर 1959 में हुआ। उनका विवाह डॉ. ज्योत्सना बापट, एक स्वतंत्र अनुसंधान और सलाहकार से हुआ है। उनकी एक बेटी है जिसका नाम कनक है।
भारत सरकार ने आज डॉ. सुबीर विठ्ठल गोकर्ण को 31 दिसंबर 2012 तक की आगामी अवधि अथवा नियमित नियुक्ति होने तक अथवा अगले आदेश तक, जो भी पहले हो, के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में पुन: नियुक्त किया।
डॉ. सुबीर विठ्ठल गोकर्ण नवंबर 2009 में कार्यभार ग्रहण करने की तारीख से अथवा अगले आदेश तक, जो भी पहले हो, तीन वर्षों की अवधि के लिए उप गवर्नर नियुक्त किए गए थे। डॉ. सुबीर विठ्ठल गोकर्ण ने 24 नवंबर 2009 को भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में कार्यभार ग्रहण किया था।

डॉ. के.सी. चक्रवर्ती
डॉ. कमलेश चंद्र चक्रवर्ती ने आज भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में कार्यग्रहण किया। भारत सरकार ने 5 जून 2009 के अपने आदेश द्वारा उनकी नियुक्ति को अधिसूचित किया है। उनकी नियुक्ति कार्यग्रहण करने की तारीख से तीन वर्ष की अवधि अथवा आगे सूचना मिलने तक, जो भी पहले हो के लिए होगी।
डॉ. चक्रवर्ती, ग्राहक सेवा विभाग, प्रशासन और कार्मिक प्रबंध विभाग, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग, मानव संसाधन विकास विभाग, राजभाषा विभाग, ग्रामीण आयोजना और ऋण विभाग, शहरी बैंक विभाग का कार्यभार संभालेंगे तथा सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत वे वैकल्पिक अपील प्राधिकारी भी होंगे।
27 जून 1952 को जन्मे डॉ. चक्रवर्ती ने उत्कृष्ट शैक्षणिक उपलब्धियाँ प्राप्त की है। उन्होंने विज्ञान की बैचलर डिग्री में द्वितीय स्थान प्राप्त किया था और एमएससी सांख्यिकी में प्रथम स्थान, स्वर्ण पदक प्राप्त किया था तथा उन्होंने सांख्यिकी में डॉक्टरेट की उपाधि भी प्राप्त की है। उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में पढ़ाने और अनुसंधान से किया और उनका बैंक ऑफ बड़ौदा में विभिन्न क्षमता में 26 वर्ष का लंबा और उल्लेखनीय कैरियर रहा है। डॉ. चक्रवर्ती का आयोजना, प्रबंध सूचना प्रणाली और आर्थिक अनुसंधान सहित बैंकिंग परिचालन और प्रशासन, विकास बैंकिंग, अग्रणी बैंक योजना, प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र उधार, संसाधन प्रबंधन और निवेश बैंकिंग, नए उत्पादों और सेवाओं को शुरू करना, समेकित खज़ाना परिचालनों, जोखिम प्रबंधन और कंपनी खातों, अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग और वैश्विक संघ में अनुभव रहा है। वर्ष 2004 में पंजाब नैशनल बैंक के कार्यपालक निदेशक के रूप में पदोन्नत होने से पहले वे वर्ष 2001 और 2004 के बीच बैंक के यूनाइटेड किंगडम के परिचालनों के कार्य के लिए मुख्य कार्यपालक के रूप में पदस्थापित किए गए थे। भारतीय रिज़र्व बैंक में उप गवर्नर के रूप में कार्यग्रहण करने से पूर्व वे इंडियन बैंक और पंजाब नैशनल बैंक के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक तथा भारतीय बैंक संघ के अध्यक्ष थे।

श्रीमती उषा थोरात
श्रीमती ऊषा थोरात ने भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में कार्यभार संभाला
श्रीमती ऊषा थोरात ने आज भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में कार्यभार संभाल लिया। उनकी यह नियुक्ति पांच वर्ष की अवधि के लिए है।
श्रीमती थोरात अप्रैल 2004 से भारतीय रिज़र्व बैंक के कार्यपालक निदेशक के पद पर थीं।
20 फरवरी 1950 को जन्मीं श्रीमती ऊषा थोरात ने देहली स्कूल आफ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की।
श्रीमती थोरात अप्रैल 1972 में रिज़र्व बैंक की सेवा में आयीं। उन्हें केंद्र और राज्य सरकारों के नकदी और ऋण प्रबंध, सरकारी प्रतिभूति बाज़ार विकास एवं विनियमन, वित्तीय बाज़ार, विदेशी मुद्रा भंडार प्रबंधन, विदेशी मुद्रा प्रबंधन, बैंकिंग विनियमन एवं पर्यवेक्षण तथा भुगतान एवं निपटान प्रणालियों का विशद अनुभव है। वह रिज़र्व बैंक स्टाफ महाविद्यालय में संकाय सदस्य रहीं तथा भारतीय रिज़र्व बैंक के गुवाहाटी कार्यालय में भी उन्होंने काम किया।
वह बैंक आफ बड़ौदा, इंडियन ओवरसीज़ बैंक तथा सिक्यूरिटीज़ ट्रेडिंग कार्पोरेशन आफ इंडिया के निदेशक मंडलों में भी रहीं।
श्रीमती थोरात भारतीय रिज़र्व बैंक की महत्त्वपूर्ण समितियों नामत: ग्रुप आन इंस्टश्मेंट्स आफ स्टरलाइजेशन, ग्रुप आफ स्टेट फाइनांस सेक्रेटरीज़ आन फिस्कल रिस्क आफ गारंटीज़, ग्रुप आन वेज़ एण्ड मीन्स एडवांसेज़ टु स्टेट गवर्नमेंट्स और कमिटी आन कैपिटल एकाउंट कनवर्टिबिलिटी में रहीं।
वर्तमान में वह अंतर्राष्ट्रीय निपटान बैंक की ग्लोबल फाइनेंशियल सिस्टम्स संबंधी समिति की सदस्य हैं। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय निपटान बैंक के इंटरनेशनल आर्गनाइजेशन आफ सिक्यूरिटीज़ कमीशन्स द्वारा गठित अंतर्राष्ट्रीय कार्य दल की एक सदस्य के रूप में भी काम किया।
श्रीमती ऊषा थोरात की पक्षियों को निहारने एवं योग में विशेष रुचि है।

श्रीमती श्यामला गोपीनाथ
श्रीमती श्यामला गोपीनाथ, उप गवर्नर को 20 जून 2011 तक भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में पुन: नियुक्त किया गया है। श्रीमती गोपीनाथ को पूर्व में पाँच वर्ष की अवधि के लिए 21 सितंबर 2004 को उप गवर्नर के रूप में नियुक्त किया गया था।
श्रीमती गोपीनाथ वर्तमान में आंतरिक ऋण प्रबंध विभाग, विदेशी मुद्रा विभाग, सरकारी और बैंक लेखा विभाग, गैर-बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग, बाह्य निवेश और परिचालन विभाग, वित्तीय बाज़ार विभाग, सचिव विभाग, संचार विभाग और विधि विभाग का कार्यभार संभाल रही है।

श्री वी. लीलाधर
- सितंबर 21, 2004 - दिसंबर 08, 2008 (पूर्वाह्न)

श्रीमती के.जे. उदेशी
श्रीमती के. जे. उदेशी को आज भारतीय रिज़र्व बैंक की उप गवर्नर के रूप में नियुक्त किया गया। भारत सरकार ने आज जारी अपनी अधिसूचना में कहा है कि वे 12 अक्तूबर 2005 तक, जब वे 62 वर्ष की आयु प्राप्त कर लेंगी अथवा अगले आदेश तक उप गवर्नर के रूप में कार्य करती रहेंगी।
1943 में जन्मी श्रीमती उदेशी अर्थ शास्त्र में पोस्ट ग्रेज्युएट हैं। वे नैशनल इन्स्टिट्यूट ऑफ बैंक मैनेजमेंट से बैंक मैनेजमेंट में डिप्लोमा होल्डर और इंडियन इन्स्टिट्यूट ऑफ बैंकर्स की सर्टिफिकेटेड असोसिएट (सीएआइआइबी) हैं। वे 1965 में बैंक की सेवा में आयीं और पदोन्नतियां पाते हुए 2001 में कार्यपालक निदेशक नियुक्त की गयीं। उन्होंने विदेशी मुद्रा नियंत्रण विभाग में तथा रिज़र्व बैंक के आंतरिक प्रशासन और मानव संसाधन विभागों में लंबे अरसे तक कार्य किया।
श्रीमती उदेशी भारतीय स्टेट बैंक के बोड़ में रिज़र्व बैंक की नामिती रही हैं। वे नैशनल इन्स्टिट्यूट ऑफ बैंक मैनेजमेंट, इन्स्टिट्यूट ऑफ बैंकिंग पर्सनल सिलेक्शन के गवर्निंग बोड़ की सदस्य, इन्स्टिट्यूट फॉर डेवलपमेंट एण्ड रिसर्च इन बैंकिंग टैक्नोलॉजी की गवर्निंग कौन्सिल की सदस्य, बाज़ार जागरुकता पर शीर्षस्थ समिति, सिक्युरिटीज़ एण्ड एक्सचेंज बोड़ ऑफ इंडिया की सदस्य रही हैं। वे बैंकिंग और वित्त पर उप समूह, इण्डो-रशियन इंटर गवर्नमेंटल कमीशन फॉर ट्रेड, इकॉनॉमिक, साइंटिफिक, टैक्नोलॉजिकल एण्ड कल्चरल को-ऑपरेशन की सह अध्यक्षा भी रही हैं।
श्रीमती उदेशी भारतीय रिज़र्व बैंक में नियुक्त की जानेवाली पहली महिला उप गवर्नर हैं।

श्री राकेश मोहन
डॉ. राकेश मोहन ने भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में आज कार्यभार संभाल लिया। उनकी नियुक्ति तीन वर्ष की अवधि के लिए है।
डॉ. मोहन को डॉ. वाइ. वी. रेड्डी के स्थान पर उप गवर्नर नियुक्त किया गया है जो अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के कार्यपालक निदेशक के रूप में नियुक्त किये गये हैं।
उप गवर्नर के रूप में डॉ. मोहन मौद्रिक नीति विभाग, बाह्य निवेश एवं परिचालन विभाग, आंतरिक ऋण प्रबंध कक्ष, आर्थिक विश्लेषण और नीति विभाग, सांख्यिकीय विश्लेषण और कंप्यूटर सेवा विभाग, सरकारी और बैंक लेखा विभाग तथा व्यय और बजट नियंत्रण विभाग से सम्बद्ध कामकाज देखेंगे।
14 जनवरी 1948 को जन्मे डॉ. राकेश मोहन ने अर्थशास्त्र में अपनी मास्टर डिग्री तथा डॉक्टरेट की उपाधि प्रिन्स्टन युनिवर्सिटी से प्राप्त की तथा अर्थशास्त्र में स्नातक की उपाधि येल युनिवर्सिटी से प्राप्त की। वे इंपीरियल कॉलेज ऑफ साइन्स एण्ड टैक्नोलॉजी, युनिवर्सिटी ऑफ लंदन से इलेक्ट्रिकल इंजिनियरिंग में विज्ञान स्नातक भी हैं।
डॉ. राकेश मोहन ने आर्थिक सुधार तथा उदारीकरण, औद्योगिक अर्थशास्त्र, शहरी अर्थशास्त्र, आधारभूत अध्ययन तथा आर्थिक विनियमन के क्षेत्रों में व्यापक अनुसंधान किया है। उन्होंने शहरी अर्थशास्त्र पर तीन पुस्तकें लिखी हैं और वे भारतीय आर्थिक नीति सुधार पर एक पुस्तक के सह-लेखक हैं। उन्होंने काफी संख्या में आलेख लिखे हैं।
रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में कार्यभार संभालने से पहले डॉ. राकेश मोहन इंडियन कौन्सिल फॉर रिसर्च एण्ड इंटरनेशनल इकोनामिक रिलेशन्स के निदेशक तथा मुख्य कार्यपालक एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फाइनान्स कंपनी के उपाध्यक्ष थे। वे 4 जनवरी 2001 और 15 मई 2002 के बीच वित्तमंत्री के सलाहकार और मुख्य आर्थिक सलाहकार के पद पर भी कार्यरत रहे। वे प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य, टेलिकाम रेग्युलेटरी एथॉरिटी ऑफ इंडिया के सदस्य, इन्स्टिट्यूट ऑफ इकोनामिक ग्रोथ के बोड़ ऑफ गवर्नर्स के सदस्य, नेशनल इन्स्टिट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनान्स एण्ड पॉलिसी के बोड़ ऑफ गवर्नर्स के सदस्य, नेशनल कौन्सिल ऑफ एप्लाइड इकोनामिक रिसर्च की गवर्निंग बॉडी के सदस्य, मद्रास स्कूल ऑफ इकोनामिक्स के बोड़ ऑफ गवर्नर्स के सदस्य भी हैं।
वे रेलवे पर विशेषज्ञ दल (1999-2001), इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के व्यवसायीकरण पर विशेषज्ञ दल (1994-1996) तथा पेट्रो केमिकल्स पर विशेषज्ञ दल (1992-1993) के अध्यक्ष रहे।
वे उद्योग मंत्रालय में भारत सरकार के आर्थिक सलाहकार (1988-1996) रहे जहां उन्होंने नयी औद्योगिक, व्यापार तथा विदेशी निवेश नीति तैयार करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी। वे योजना आयोग के विकास नीति प्रभाग (1986-1988) में भी रहे। वे राष्ट्रीय आवास बैंक, भारतीय औद्योगिक पुनर्निर्माण बैंक, भारतीय औद्योगिक ऋण तथा निवेश निगम (आइसीआइसीआइ) एवं भारतीय लघु औद्योगिक विकास बैंक (सिडबी) के भी निदेशक रहे। वे प्रमुख पत्तनों के लिए टेरिफ प्राधिकरण के सदस्य (1997-2002) तथा सिक्युरिटीज़ बोड़ ऑफ इंडिया (2001-2002) के सदस्य भी रहे हैं।

श्री जी.पी. मुनियप्पन
- जुलाई 01, 2001 - मई 31, 2003

श्री वेपा कामेसम
भारत सरकार ने श्री वेपा कामेसम को पहली जुलाई 2003 से 23 सितंबर 2003 तक की अवधि के लिए, जब वे 62 वर्ष की आयु पूरी कर लेंगे अथवा अगले आदेश तक भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में पुनर्नियुक्त किया है।
श्री कामेसम को भारतीय रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर के रूप में पहली जुलाई 2001 को दो वर्ष की अवधि के लिए या 62 वर्ष की आयु पूरी करने तक, जो भी पहले हो, नियुक्त किया गया था।

श्री जगदीश कपूर
- जनवरी 1, 1997 - जून 30, 1999
- जुलाई 1, 1999 - जून 30, 2001