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मास्टर परिपत्र

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जुल॰ 01, 2011
मास्टर परिपत्र-गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा प्रस्तुत की जाने वाली विवरणियाँ
भारिबैं /2011-12/21 गैबैंपवि.नीति प्रभा.कंपरि.सं.227/03.10.042/2011-12 1 जुलाई 2011 सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनियों को छोड़कर) महोदय, मास्टर परिपत्र-गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा प्रस्तुत की जाने वाली विवरणियाँ सभी मौजूदा अनुदेश एक स्थान पर उपलब्ध कराने के लिए, भारतीय रिज़र्व बैंक ने गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को विविध विषयों पर मास्टर परिपत्र जारी किए हैं। यह सूचित किया जाता है कि गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा प्रस्तुत क
भारिबैं /2011-12/21 गैबैंपवि.नीति प्रभा.कंपरि.सं.227/03.10.042/2011-12 1 जुलाई 2011 सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनियों को छोड़कर) महोदय, मास्टर परिपत्र-गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा प्रस्तुत की जाने वाली विवरणियाँ सभी मौजूदा अनुदेश एक स्थान पर उपलब्ध कराने के लिए, भारतीय रिज़र्व बैंक ने गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को विविध विषयों पर मास्टर परिपत्र जारी किए हैं। यह सूचित किया जाता है कि गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा प्रस्तुत क
जुल॰ 01, 2011
मास्टर परिपत्र-भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों से छूट
भारिबैं / 2011-12/ 22 गैबैंपवि.नीति प्रभा.कंपरि.सं.228 / 03.02.004/ 2011-12 1 जुलाई 2011 (i) सचिव, वित्त मंत्रालय (ii) अध्यक्ष, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (iii) अध्यक्ष, भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (iv) अध्यक्ष, भारतीय कंपनी सचिव संस्थान (v) गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के संघ (असोसिएशन) महोदय, मास्टर परिपत्र-भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों से छूट जैसा कि आप विदित है कि उल्लिखित विषय पर सभी मौजूदा अनुदेश एक स्थान पर उपलब्ध कराने के लिए भारतीय र
भारिबैं / 2011-12/ 22 गैबैंपवि.नीति प्रभा.कंपरि.सं.228 / 03.02.004/ 2011-12 1 जुलाई 2011 (i) सचिव, वित्त मंत्रालय (ii) अध्यक्ष, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (iii) अध्यक्ष, भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (iv) अध्यक्ष, भारतीय कंपनी सचिव संस्थान (v) गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के संघ (असोसिएशन) महोदय, मास्टर परिपत्र-भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों से छूट जैसा कि आप विदित है कि उल्लिखित विषय पर सभी मौजूदा अनुदेश एक स्थान पर उपलब्ध कराने के लिए भारतीय र
जुल॰ 01, 2011
मास्टर परिपत्र-धोखाधड़ी-गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में धोखाधड़ी निरोधक निगरानी के लिए भावी दृष्टिकोण
भारिबैं /2011-12/23 गैबैंपवि.नीति प्रभा.कंपरि. सं.229 /03.10.042/2011-12 1 जुलाई 2011 जमाराशियाँ स्वीकारने वाली सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनियों सहित) महोदय, मास्टर परिपत्र-धोखाधड़ी-गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में धोखाधड़ी निरोधक निगरानी के लिए भावी दृष्टिकोण जैसा कि आप विदित है कि उल्लिखित विषय पर सभी मौजूदा अनुदेश एक स्थान पर उपलब्ध कराने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने मास्टर परिपत्र सं.149 जारी किया था, उसे अब 30 जून 2011 तक अद्यतन कर
भारिबैं /2011-12/23 गैबैंपवि.नीति प्रभा.कंपरि. सं.229 /03.10.042/2011-12 1 जुलाई 2011 जमाराशियाँ स्वीकारने वाली सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनियों सहित) महोदय, मास्टर परिपत्र-धोखाधड़ी-गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में धोखाधड़ी निरोधक निगरानी के लिए भावी दृष्टिकोण जैसा कि आप विदित है कि उल्लिखित विषय पर सभी मौजूदा अनुदेश एक स्थान पर उपलब्ध कराने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने मास्टर परिपत्र सं.149 जारी किया था, उसे अब 30 जून 2011 तक अद्यतन कर
जुल॰ 01, 2011
30 जून 2011 तक संशोधित अधिसूचना-"विविध गैर बैंकिंग कंपनियाँ (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1977"
भारिबैं /2011-12/24 गैबैंपवि(नीति प्रभा.)कंपरि.सं.230/03.02.001/2011-12 1 जुलाई 2011 अध्यक्ष/मुख्य कार्यपालक अधिकारी सभी विविध गैर बैंकिंग कंपनियाँ महोदय, 30 जून 2011 तक संशोधित अधिसूचना-"विविध गैर बैंकिंग कंपनियाँ (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1977" आपको ज्ञात होगा कि उल्लिखित विषय पर सभी मौजूदा अनुदेश एक स्थान पर उपलब्ध कराने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक अद्यतन परिपत्र/अधिसूचनाएं जारी करता है। 20 जून 1977 की अधिसूचना सं. डीएनबीसी.39/डीजी(एच)-77 में अंतर्विष्ट अनुदेश, जो 30
भारिबैं /2011-12/24 गैबैंपवि(नीति प्रभा.)कंपरि.सं.230/03.02.001/2011-12 1 जुलाई 2011 अध्यक्ष/मुख्य कार्यपालक अधिकारी सभी विविध गैर बैंकिंग कंपनियाँ महोदय, 30 जून 2011 तक संशोधित अधिसूचना-"विविध गैर बैंकिंग कंपनियाँ (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1977" आपको ज्ञात होगा कि उल्लिखित विषय पर सभी मौजूदा अनुदेश एक स्थान पर उपलब्ध कराने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक अद्यतन परिपत्र/अधिसूचनाएं जारी करता है। 20 जून 1977 की अधिसूचना सं. डीएनबीसी.39/डीजी(एच)-77 में अंतर्विष्ट अनुदेश, जो 30
जुल॰ 01, 2011
Master Circular – 'Know Your Customer' (KYC) Guidelines – Anti Money Laundering Standards (AML) -'Prevention of Money Laundering Act, 2002 - Obligations of NBFCs in terms of Rules notified thereunder’
RBI/2011-12/25 DNBS (PD) CC No.231/03.10.42/2011-12 July 1, 2011 To All Non-Banking Financial Companies (NBFCs), Miscellaneous Non-Banking Companies (MNBCs), and Residuary Non-Banking Companies (RNBCs) Dear Sir, Master Circular – 'Know Your Customer' (KYC) Guidelines – Anti Money Laundering Standards (AML) -'Prevention of Money Laundering Act, 2002 - Obligations of NBFCs in terms of Rules notified thereunder’ As you are aware, in order to have all current instructions
RBI/2011-12/25 DNBS (PD) CC No.231/03.10.42/2011-12 July 1, 2011 To All Non-Banking Financial Companies (NBFCs), Miscellaneous Non-Banking Companies (MNBCs), and Residuary Non-Banking Companies (RNBCs) Dear Sir, Master Circular – 'Know Your Customer' (KYC) Guidelines – Anti Money Laundering Standards (AML) -'Prevention of Money Laundering Act, 2002 - Obligations of NBFCs in terms of Rules notified thereunder’ As you are aware, in order to have all current instructions
जुल॰ 01, 2011
मास्टर परिपत्र-उचित व्यवहार संहिता
भारिबैं /2011-12/26 गैबैंपवि(नीति प्रभा.)कंपरि.सं.232/03.10.042/2011-12 1 जुलाई 2011 सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (एनबीएफसीज) और अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनिया (आरएनबीसीज) महोदय, मास्टर परिपत्र-उचित व्यवहार संहिता सभी मौजूदा अनुदेश एक स्थान पर उपलब्ध कराने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने उल्लिखित विषय पर 30 जून 2011 तक जारी सभी अनुदेशों को समेकित किया है। यह नोट किया जाए कि परिशिष्ट में सूचीबद्ध अधिसूचनाओं में अंतर्विष्ट सभी अनुदेश, जहाँ तक वे इस विषय से संबंधित हैं,
भारिबैं /2011-12/26 गैबैंपवि(नीति प्रभा.)कंपरि.सं.232/03.10.042/2011-12 1 जुलाई 2011 सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (एनबीएफसीज) और अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनिया (आरएनबीसीज) महोदय, मास्टर परिपत्र-उचित व्यवहार संहिता सभी मौजूदा अनुदेश एक स्थान पर उपलब्ध कराने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने उल्लिखित विषय पर 30 जून 2011 तक जारी सभी अनुदेशों को समेकित किया है। यह नोट किया जाए कि परिशिष्ट में सूचीबद्ध अधिसूचनाओं में अंतर्विष्ट सभी अनुदेश, जहाँ तक वे इस विषय से संबंधित हैं,
जुल॰ 01, 2011
मास्टर परिपत्र - अनिवासी भारतीयों/ भारतीय मूल के व्यक्तियों/ विदेशी नागरिकों के लिए विप्रेषण सुविधाएं
आरबीआइ/2011-12/02 मास्टर परिपत्र सं.02/2011-12 01 जुलाई 2011 सेवा में, सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । बैंक और प्राधिकृत बैंक महोदया / महोदय मास्टर परिपत्र - अनिवासी भारतीयों/ भारतीय मूल के व्यक्तियों/ विदेशी नागरिकों के लिए विप्रेषण सुविधाएं अनिवासी भारतीयों/ भारतीय मूल के व्यक्तियों/ विदेशी नागरिकों के लिए विप्रेषण सुविधाएं समय-समय पर यथा संशोधित 3 मई 2000 की फेमा अधिसूचना सं. 13/2000-आरबी और फेमा अधिसूचना सं.21/2000-आरबी के साथ पठित विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनि
आरबीआइ/2011-12/02 मास्टर परिपत्र सं.02/2011-12 01 जुलाई 2011 सेवा में, सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । बैंक और प्राधिकृत बैंक महोदया / महोदय मास्टर परिपत्र - अनिवासी भारतीयों/ भारतीय मूल के व्यक्तियों/ विदेशी नागरिकों के लिए विप्रेषण सुविधाएं अनिवासी भारतीयों/ भारतीय मूल के व्यक्तियों/ विदेशी नागरिकों के लिए विप्रेषण सुविधाएं समय-समय पर यथा संशोधित 3 मई 2000 की फेमा अधिसूचना सं. 13/2000-आरबी और फेमा अधिसूचना सं.21/2000-आरबी के साथ पठित विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनि
जुल॰ 01, 2011
मास्टर परिपत्र – विदेशी संस्थाओं द्वारा भारत में संपर्क/ शाखा/ परियोजना कार्यालयों की स्थापना करना
आरबीआइ /2011-12/03 मास्टर परिपत्र सं.03/ 2011-12 01 जुलाई 2011 सेवा में, सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक महोदया /महोदय, मास्टर परिपत्र – विदेशी संस्थाओं द्वारा भारत में संपर्क/ शाखा/ परियोजना कार्यालयों की स्थापना करना भारत में शाखा/ संपर्क/ परियोजना कार्यालयों की स्थापना समय-समय पर यथा संशोधित , 3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा 22/2000-आरबी के साथ पठित विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 6(6) के अनुसार विनियमित की जाती है। 2. यह मास्टर परिपत्र " विदेशी संस्थ
आरबीआइ /2011-12/03 मास्टर परिपत्र सं.03/ 2011-12 01 जुलाई 2011 सेवा में, सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक महोदया /महोदय, मास्टर परिपत्र – विदेशी संस्थाओं द्वारा भारत में संपर्क/ शाखा/ परियोजना कार्यालयों की स्थापना करना भारत में शाखा/ संपर्क/ परियोजना कार्यालयों की स्थापना समय-समय पर यथा संशोधित , 3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा 22/2000-आरबी के साथ पठित विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 6(6) के अनुसार विनियमित की जाती है। 2. यह मास्टर परिपत्र " विदेशी संस्थ
जुल॰ 01, 2011
मास्टर परिपत्र – अनिवासी भारतीयों/ भारतीय मूल के व्यक्तियों/ गैर- भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों (राष्ट्रिकों) द्वारा भारत में अचल संपत्ति का अधिग्रहण तथा अंतरण
आरबीआइ /2011-12/4 मास्टर परिपत्र सं.04/2011-12 01 जुलाई 2011 सेवा में, सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । बैंक महोदया /महोदय मास्टर परिपत्र – अनिवासी भारतीयों/ भारतीय मूल के व्यक्तियों/ गैर- भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों (राष्ट्रिकों) द्वारा भारत में अचल संपत्ति का अधिग्रहण तथा अंतरण अनिवासी भारतीयों/ भारतीय मूल के व्यक्तियों/ गैर- भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों (राष्ट्रिकों) द्वारा भारत में अचल संपत्ति का अधिग्रहण तथा अंतरण 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 21/2000-आरब
आरबीआइ /2011-12/4 मास्टर परिपत्र सं.04/2011-12 01 जुलाई 2011 सेवा में, सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । बैंक महोदया /महोदय मास्टर परिपत्र – अनिवासी भारतीयों/ भारतीय मूल के व्यक्तियों/ गैर- भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों (राष्ट्रिकों) द्वारा भारत में अचल संपत्ति का अधिग्रहण तथा अंतरण अनिवासी भारतीयों/ भारतीय मूल के व्यक्तियों/ गैर- भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों (राष्ट्रिकों) द्वारा भारत में अचल संपत्ति का अधिग्रहण तथा अंतरण 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 21/2000-आरब
जुल॰ 01, 2011
मास्टर परिपत्र – अनिवासी विनिमय गृहों के रुपया/विदेशी मुद्रा वास्ट्रो खाता खोलने और उसे बनाए रखने के लिए अनुदेशों का ज्ञापन
आरबीआइ/2011-12/ 5 मास्टर परिपत्र सं.05/ 2011-12 01 जुलाई 2011 सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक महोदया /महोदय मास्टर परिपत्र – अनिवासी विनिमय गृहों के रुपया/विदेशी मुद्रा वास्ट्रो खाता खोलने और उसे बनाए रखने के लिए अनुदेशों का ज्ञापन यह मास्टर परिपत्र अनिवासी विनिमय गृहों के रुपया/ विदेशी मुद्रा वास्ट्रो खाता खोलने और उसे बनाए रखने के लिए अनुदेशों का ज्ञापन विषय पर मौजू्दा अनुदेशों को समेकित करता है। इस मास्टर परिपत्र में निहित परिपत्रों / अधिसूचनाओं की सूची प
आरबीआइ/2011-12/ 5 मास्टर परिपत्र सं.05/ 2011-12 01 जुलाई 2011 सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक महोदया /महोदय मास्टर परिपत्र – अनिवासी विनिमय गृहों के रुपया/विदेशी मुद्रा वास्ट्रो खाता खोलने और उसे बनाए रखने के लिए अनुदेशों का ज्ञापन यह मास्टर परिपत्र अनिवासी विनिमय गृहों के रुपया/ विदेशी मुद्रा वास्ट्रो खाता खोलने और उसे बनाए रखने के लिए अनुदेशों का ज्ञापन विषय पर मौजू्दा अनुदेशों को समेकित करता है। इस मास्टर परिपत्र में निहित परिपत्रों / अधिसूचनाओं की सूची प
जुल॰ 01, 2011
मास्टर परिपत्र - अनिवासी सामान्य रुपया ( एनआरओ ) खाता
आरबीआइ/2011-12/06 मास्टर परिपत्र सं.06/2011-12 01 जुलाई , 2011 सेवा में, सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक और प्राधिकृत बैंक महोदया /महोदय मास्टर परिपत्र - अनिवासी सामान्य रुपया ( एनआरओ ) खाता प्राधिकृत व्यापारियों/ प्राधिकृत बैंकों द्वारा भारत से बाहर निवासी व्यक्तियों से जमाराशियों की स्वीकृति समय-समय पर यथासंशोधित 03 मई 2000 की फेमा अधिसूचना सं.5/2000-आरबी के साथ पठित विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 6 की उप धारा (1) और (2) के प्रावधानों द्वारा नियंत्
आरबीआइ/2011-12/06 मास्टर परिपत्र सं.06/2011-12 01 जुलाई , 2011 सेवा में, सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक और प्राधिकृत बैंक महोदया /महोदय मास्टर परिपत्र - अनिवासी सामान्य रुपया ( एनआरओ ) खाता प्राधिकृत व्यापारियों/ प्राधिकृत बैंकों द्वारा भारत से बाहर निवासी व्यक्तियों से जमाराशियों की स्वीकृति समय-समय पर यथासंशोधित 03 मई 2000 की फेमा अधिसूचना सं.5/2000-आरबी के साथ पठित विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 6 की उप धारा (1) और (2) के प्रावधानों द्वारा नियंत्
जुल॰ 01, 2011
माल और सेवाओं के आयात के संबंध में मास्टर परिपत्र
आरबीआई/2011-12/07 मास्टर परिपत्र सं. 07/2011-12 01 जुलाई 2011 सेवा में, सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक महोदया /महोदय माल और सेवाओं के आयात के संबंध में मास्टर परिपत्र भारत में माल और सेवाओं के आयात की अनुमति समय-समय पर यथासंशोधित 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. जी.एस.आर. 381(E) अर्थात विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता) नियमावली, 2000 के साथ पठित विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 5 के अनुसार दी जा रही है। 2. इस मास्टर परिपत्र में ' माल और सेवाओं का
आरबीआई/2011-12/07 मास्टर परिपत्र सं. 07/2011-12 01 जुलाई 2011 सेवा में, सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक महोदया /महोदय माल और सेवाओं के आयात के संबंध में मास्टर परिपत्र भारत में माल और सेवाओं के आयात की अनुमति समय-समय पर यथासंशोधित 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. जी.एस.आर. 381(E) अर्थात विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता) नियमावली, 2000 के साथ पठित विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 5 के अनुसार दी जा रही है। 2. इस मास्टर परिपत्र में ' माल और सेवाओं का
जुल॰ 01, 2011
मास्टर परिपत्र – फेमा, 1999  के तहत उल्लंघनों की कंपांउंडिंग
आरबीआई/2011-12/08 मास्टर परिपत्र सं. 08/2011-12 01 जुलाई 2011 सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक तथा प्राधिकृत बैंक महोदया /महोदय, मास्टर परिपत्र – फेमा, 1999 के तहत उल्लंघनों की कंपांउंडिंग विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 के तहत उल्लंघनों की कंपांउडिंग एक स्वैच्छिक प्रक्रिया है, जिसके जरिये आवेदक फेमा, 1999 की धारा 13 (1) के तहत फेमा, 1999 के किसी प्रावधान के स्वीकृत उल्लंघन की कंपांउडिंग के लिए आवेदन कर सकता है। 2. यह मास्टर परिपत्र " फेमा, 1999 के तहत उ
आरबीआई/2011-12/08 मास्टर परिपत्र सं. 08/2011-12 01 जुलाई 2011 सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक तथा प्राधिकृत बैंक महोदया /महोदय, मास्टर परिपत्र – फेमा, 1999 के तहत उल्लंघनों की कंपांउंडिंग विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 के तहत उल्लंघनों की कंपांउडिंग एक स्वैच्छिक प्रक्रिया है, जिसके जरिये आवेदक फेमा, 1999 की धारा 13 (1) के तहत फेमा, 1999 के किसी प्रावधान के स्वीकृत उल्लंघन की कंपांउडिंग के लिए आवेदन कर सकता है। 2. यह मास्टर परिपत्र " फेमा, 1999 के तहत उ
जुल॰ 01, 2011
मास्टर परिपत्र - बाह्य वाणिज्यिक उधार और व्यापारिक उधार
आरबीआइ / 2011-12/09 मास्टर परिपत्र सं. 09/ 2011-12 01 जुलाई 2011 सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक महोदया /महोदय, मास्टर परिपत्र - बाह्य वाणिज्यिक उधार और व्यापारिक उधार निवासियों द्वारा लिए गए बाह्य वाणिज्यिक उधार और व्यापारिक उधार, समय-समय पर यथासंशोधित 3 मई , 2000 की अधिसूचना सं.फेमा.3/2000-आरबी, अर्थात् 3 मई 2000 की विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना और देना) विनियमावली, 2000 के साथ पठित विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 6 की उप-धारा 3 क
आरबीआइ / 2011-12/09 मास्टर परिपत्र सं. 09/ 2011-12 01 जुलाई 2011 सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक महोदया /महोदय, मास्टर परिपत्र - बाह्य वाणिज्यिक उधार और व्यापारिक उधार निवासियों द्वारा लिए गए बाह्य वाणिज्यिक उधार और व्यापारिक उधार, समय-समय पर यथासंशोधित 3 मई , 2000 की अधिसूचना सं.फेमा.3/2000-आरबी, अर्थात् 3 मई 2000 की विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना और देना) विनियमावली, 2000 के साथ पठित विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 6 की उप-धारा 3 क
जुल॰ 01, 2011
मास्टर परिपत्र - माल और सेवाओं का निर्यात
आरबीआइ/2011-12/ 10 मास्टर परिपत्र सं.10/ 2011-12 01 जुलाई 2011 सभी श्रेणी - I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया /महोदय मास्टर परिपत्र - माल और सेवाओं का निर्यात समय-समय पर यथा संशोधित , 3 मई 2000 की अधिसूचना सं.जीएसआर 381 (E) अर्थात विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता) नियमावली, 2000 के साथ पठित और विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 7 की उप-धारा (1) के खंड (ए) और उप-धारा (3) के अनुसार भारत से माल और सेवाओं के निर्यात की अनुमति है । 2. यह मास्टर परिपत्र "
आरबीआइ/2011-12/ 10 मास्टर परिपत्र सं.10/ 2011-12 01 जुलाई 2011 सभी श्रेणी - I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया /महोदय मास्टर परिपत्र - माल और सेवाओं का निर्यात समय-समय पर यथा संशोधित , 3 मई 2000 की अधिसूचना सं.जीएसआर 381 (E) अर्थात विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता) नियमावली, 2000 के साथ पठित और विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 7 की उप-धारा (1) के खंड (ए) और उप-धारा (3) के अनुसार भारत से माल और सेवाओं के निर्यात की अनुमति है । 2. यह मास्टर परिपत्र "
जुल॰ 01, 2011
मास्टर परि‍पत्र - प्रत्यक्ष करों की वसूली - (ओल्टास)
आरबीआई/2011-12/99 डीजीबीए.जीएडी.सं.एच.2/42.01.034/2011-12 01 जुलाई 2011 सभी एजेंसी बैंक महोदय/महोदया, मास्टर परि‍पत्र - प्रत्यक्ष करों की वसूली - (ओल्टास) कृपया दि‍नांक 1 जुलाई 2010 का उक्त वि‍षयक हमारा मास्टर परि‍पत्र आरबीआई/2010-11/87 देखें। वह इस दृष्टि‍ से जारी कि‍या गया था कि‍ इस वि‍षय पर जारी सभी वर्तमान अनुदेश एक ही स्थान पर शीघ्र मि‍ल सकें । अभी हमने इसमें जून 2011 के अंत तक आवश्यक अनुदेश अद्यतन कि‍ये हैं और आपकी सूचना के लि‍ए यहां संलग्न कर रहे हैं। यह परि‍पत
आरबीआई/2011-12/99 डीजीबीए.जीएडी.सं.एच.2/42.01.034/2011-12 01 जुलाई 2011 सभी एजेंसी बैंक महोदय/महोदया, मास्टर परि‍पत्र - प्रत्यक्ष करों की वसूली - (ओल्टास) कृपया दि‍नांक 1 जुलाई 2010 का उक्त वि‍षयक हमारा मास्टर परि‍पत्र आरबीआई/2010-11/87 देखें। वह इस दृष्टि‍ से जारी कि‍या गया था कि‍ इस वि‍षय पर जारी सभी वर्तमान अनुदेश एक ही स्थान पर शीघ्र मि‍ल सकें । अभी हमने इसमें जून 2011 के अंत तक आवश्यक अनुदेश अद्यतन कि‍ये हैं और आपकी सूचना के लि‍ए यहां संलग्न कर रहे हैं। यह परि‍पत
जुल॰ 01, 2011
बैंककारी वि‍नि‍यमन अधि‍नि‍यम, 1949 की धारा 23 - शाखा प्राधि‍करण पर मास्टर परि‍पत्र
आरबीआइ/2011-12/100 बैंपवि‍वि‍. सं. बीएल.बीसी. 33/22.01.001/2011-12 1 जुलाई 2011 10 आषाढ़ 1933(शक) सभी वाणि‍ज्य बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) महोदय बैंककारी वि‍नि‍यमन अधि‍नि‍यम, 1949 की धारा 23 - शाखा प्राधि‍करण पर मास्टर परि‍पत्र कृपया 1 जुलाई 2010 का मास्टर परि‍पत्र बैंपवि‍वि‍. सं. बीएल. बीसी. 8/22.01.001/ 2010-11 का संदर्भ लें जि‍समें 30 जून 2010 तक बैंकों को शाखा प्राधि‍करण पर जारी अनुदेशों/ दि‍शानि‍र्देशों को समेकि‍त कि‍या गया है। उपर्युक्त मास्टर परि‍
आरबीआइ/2011-12/100 बैंपवि‍वि‍. सं. बीएल.बीसी. 33/22.01.001/2011-12 1 जुलाई 2011 10 आषाढ़ 1933(शक) सभी वाणि‍ज्य बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) महोदय बैंककारी वि‍नि‍यमन अधि‍नि‍यम, 1949 की धारा 23 - शाखा प्राधि‍करण पर मास्टर परि‍पत्र कृपया 1 जुलाई 2010 का मास्टर परि‍पत्र बैंपवि‍वि‍. सं. बीएल. बीसी. 8/22.01.001/ 2010-11 का संदर्भ लें जि‍समें 30 जून 2010 तक बैंकों को शाखा प्राधि‍करण पर जारी अनुदेशों/ दि‍शानि‍र्देशों को समेकि‍त कि‍या गया है। उपर्युक्त मास्टर परि‍
जुल॰ 01, 2011
मास्टर परिपत्र – 2011. गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा विदेश में शाखाएं / सहायक कंपनी/ संयुक्त उद्यम/ प्रतिनिधि कार्यालय खोलना या  निवेश  करना
भारिबैं /2011-12/101 गैबैंपवि(नीति प्रभा.)कंपरि.सं.238/03.02.001/2011-12 1 जुलाई 2011 सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां महोदय, मास्टर परिपत्र – 2011. गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा विदेश में शाखाएं / सहायक कंपनी/ संयुक्त उद्यम/ प्रतिनिधि कार्यालय खोलना या निवेश करना जैसा कि आप विदित है कि उल्लिखित विषय पर सभी मौजूदा अनुदेश एक स्थान पर उपलब्ध कराने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक अद्यतन परिपत्र/अधिसूचनाएं जारी करता है। उक्त विषय पर जारी दिशा निर्देश पुन: नीचे दिए जा रह
भारिबैं /2011-12/101 गैबैंपवि(नीति प्रभा.)कंपरि.सं.238/03.02.001/2011-12 1 जुलाई 2011 सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां महोदय, मास्टर परिपत्र – 2011. गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा विदेश में शाखाएं / सहायक कंपनी/ संयुक्त उद्यम/ प्रतिनिधि कार्यालय खोलना या निवेश करना जैसा कि आप विदित है कि उल्लिखित विषय पर सभी मौजूदा अनुदेश एक स्थान पर उपलब्ध कराने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक अद्यतन परिपत्र/अधिसूचनाएं जारी करता है। उक्त विषय पर जारी दिशा निर्देश पुन: नीचे दिए जा रह
जुल॰ 01, 2011
मास्टर परिपत्र - निवासियों द्वारा विदेश में स्थित संयुक्त उद्यम (JV)/ पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक संस्थाओं (WOS) में प्रत्यक्ष निवेश
आरबीआई/2011-12/11 मास्टर परिपत्र सं. 11/2011-12 01 जुलाई 2011 विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी महोदया /महोदय, मास्टर परिपत्र - निवासियों द्वारा विदेश में स्थित संयुक्त उद्यम (JV)/ पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक संस्थाओं (WOS) में प्रत्यक्ष निवेश समय-समय पर यथा संशोधित 7 जुलाई 2004 की फेमा अधिसूचना 120/आरबी-2004 ( 19 नवंबर 2004 का जीएसआर 757 (E) अर्थात् विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी भी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2004 के साथ पठित विदेशी मुद्रा प्र
आरबीआई/2011-12/11 मास्टर परिपत्र सं. 11/2011-12 01 जुलाई 2011 विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी महोदया /महोदय, मास्टर परिपत्र - निवासियों द्वारा विदेश में स्थित संयुक्त उद्यम (JV)/ पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक संस्थाओं (WOS) में प्रत्यक्ष निवेश समय-समय पर यथा संशोधित 7 जुलाई 2004 की फेमा अधिसूचना 120/आरबी-2004 ( 19 नवंबर 2004 का जीएसआर 757 (E) अर्थात् विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी भी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2004 के साथ पठित विदेशी मुद्रा प्र
जुल॰ 01, 2011
मास्टर परिपत्र - जोखिम प्रबंध और अंतर-बैंक लेनदेन
आर‌बीआइ /2011-12/12 मास्टर परिपत्र सं.12/2011-12 1 जुलाई 2011 सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक महोदया /महोदय, मास्टर परिपत्र - जोखिम प्रबंध और अंतर-बैंक लेनदेन विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न (डेरिवेटिव) संविदाएं, समुद्रपारीय (विदेशी) पण्य और भाड़ा संबंधी हेजिंग, अनिवासी बैंकों के रुपये खाते, अंतर ‌बैंक विदेशी मुद्रा लेनदेन, आदि 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 1/2000-आरबी, अधिसूचना सं. फेमा.3/आरबी-2000 के विनियम 4(2) और अधिसूचना सं. फेमा.25/ आरबी-2000 के प्रावधानों और बाद
आर‌बीआइ /2011-12/12 मास्टर परिपत्र सं.12/2011-12 1 जुलाई 2011 सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक महोदया /महोदय, मास्टर परिपत्र - जोखिम प्रबंध और अंतर-बैंक लेनदेन विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न (डेरिवेटिव) संविदाएं, समुद्रपारीय (विदेशी) पण्य और भाड़ा संबंधी हेजिंग, अनिवासी बैंकों के रुपये खाते, अंतर ‌बैंक विदेशी मुद्रा लेनदेन, आदि 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 1/2000-आरबी, अधिसूचना सं. फेमा.3/आरबी-2000 के विनियम 4(2) और अधिसूचना सं. फेमा.25/ आरबी-2000 के प्रावधानों और बाद

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पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 19, 2024

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