8.1. सरकारी प्रतिभूतियों में एक सक्रिय द्वितीयक बाजार है । द्वितीय बाजार में प्रतिभूतियों की खरीद/बिक्री (i) काउंटर पर (ओटीसी) अथवा (ii) तयशुदा लेन-देन प्रणाली (एनडीएस) अथवा (iii) तयशुदा लेन-देन प्रणाली - आदेश मैंचिंग (एनडीएस-ओएम) पर की जा सकती है ।(i) काउंटर पर (ओटीसी)/टेलीफोन बाजार8.2. इस बाजार में, कोई सहभागी, जो सरकारी प्रतिभूति खरीदने अथवा बेचने का इच्छुक है, किसी बैंक/प्राथमिक व्यापारी/वित्तीय संस्थान से सीधे ही अथवा सेबी के पास पंजीकृत किसी ब्रोकर से संपर्क करके किसी मूल्य पर एक विशेष प्रतिभूति की किसी राशि तक मोल-भाव कर सकता है । ये मोलभाव अधिकांशत: फोन पर होते हैं और किसी दर पर दोनों पक्षों के तैयार होने पर सौदा तय हो जाता है । क्रेता के मामले में, यथा एक शहरी सहकारी बैंक प्रतिभूति खरीदना चाहता है तो बैंक का व्यापारी (जे बैंक द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों के लेन-देन के लिए प्राधिकृत है) अन्य बाजार सहभागियों से फोन पर संपर्क करेगा तथा दरें प्राप्त करेगा । यदि कोई सौदा तय होता हे तो बैंक इस व्यापार का ब्योरा सौदा पर्ची में दर्ज करेगा (नमूना परिशिष्ट 3 में दिया गया है ।) तथा प्रतिपक्ष को व्यापार की पुष्टि करेगा । व्यापारी को उद्धृत मूल्य के संबंध में उपलब्ध स्रोतों से मूल्य की पुष्टि करनी चाहिए (सरकारी प्रतिभूतियों का मूल्य सुनिश्चित करने के संबंध में प्रश्न सं.14 देखें) । ओटीसी बाजार में किए गए सभी कारोबार एनडीएस के द्वितीयक बाजार मॉड्यूल में रिपोर्ट किए जाते हैं जिनका ब्योरा प्रश्न सं.15 में दिया गया है ।(ii) तयशुदा लेन-देन प्रणाली8.3. इलैक्ट्रॉनिक कारोबार तथा सरकारी प्रतिभूतियों में लेन-देन की रिपोर्टिंग के लिए तयशुदा लेन-देन प्रणाली (एनडीएस) फरवरी 2002 में लागू हुई थी । नीलामी होने पर इससे सदस्यों को अपनी बोली इलैक्ट्रानिक रूप से प्रस्तुत करने अथवा सरकारी प्रतिभूतियों के प्राथमिक निर्गम के लिए बोलियाँ अथवा आवेदन करने में सुविधा होती है । एनडीएस से लोक ऋण कार्यालय, भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई की प्रतिभूति समायोजन प्रणाली के समक्ष आकर द्वितीयक बाजार में आयोजित सरकारी प्रतिभूतियों (दोनों सीधे और रिपो) में लेन-देन के समायोजन को सुविधाजनक बनाता है । एनडीएस की सदस्यता केवल उन सदस्यों तक सीमित है जिनके एसजीएल तथा/अथवा चालू खाते भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई में हैं ।8.4. अगस्त 2005 में भारतीय रिज़र्व बैंक ने एनडीएस मॉड्यूल में "ऑर्डर मैचिंग" आधारित नामरहित क्रीन लागू की जिसका नाम एनडीएस-ओएम है । यह एक आदेश से चलने वाली इलैक्ट्रॉनिक प्रणाली है जहाँ सहभागी बिना नाम बताए सिस्टम पर आदेश दे सकते हैं अथवा अन्य सहभागियों के आदेश स्वीकार कर सकते हैं । एनडीएस-ओएम का परिचालन भारतीय रिज़र्व बैंक की ओर से भारतीय समाशोधन निगम लिमि. (सीसीआइएल) द्वारा किया जाता है (कृपया सीसीआइएल के बारे में प्रश्न सं.19 का उत्तर देखें) । वर्तमान में एनडीएस-ओएम प्रणाली तक केवल चयनित वित्तीय संस्थाओं की पहुँच है, यथा वाणिज्य बैंक, प्राथमिक व्यापारी, बीमा कंपनियाँ, पारस्परिक निधियाँ इत्यादि । अन्य सहभागी अपने अभिरक्षक, अर्थात जिसके पास उनका गिल्ट खाता है, के माध्यम से इस प्रणाली तक पहुँच सकते हैं । अभिरक्षक अपने ग्राहकों, जैसे शहरी सहकारी बैंकों की ओर से आदेश दे सकते हैं । एनडीएस-ओएम का लाभ मूल्य पारदर्शिता के साथ-साथ बेहतर मूल्य मिलना है ।8.5. गिल्ट खाता धारकों को अपने अभिरक्षक संस्थान के माध्यम से एनडीएस तक अप्रत्यक्ष पहुँच प्रदान की गई है । कोई सदस्य (जिसकी सीधी पहुँच है) एनडीएस पर सरकारी प्रतिभूतियों में गिल्ट खाताधारक के लेन-देन रिपोर्ट कर सकता है । इसी प्रकार, गिल्ट खाताधारकों को एनडीएस-ओएम तक अप्रत्यक्ष रूप से पहुँच उनके अभिरक्षकों के माध्यम से दी गई है । तथापि, एक ही अभिरक्षक के दो गिल्ट खाताधारकों को आपस में रिपो लेन-देन की अनुमति नहीं हैं ।(iii) स्टॉक एक्सचेंज8.6. सरकारी प्रतिभूतियों में कारोबार की सुविधा स्टॉक एक्सचेंजों (एनएसई और बीएसई) में भी उपलब्ध है जो खुदरा निवेशकों की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं ।