RbiSearchHeader

Press escape key to go back

पिछली खोज

थीम
थीम
टेक्स्ट का साइज़
टेक्स्ट का साइज़
S2

RbiAnnouncementWeb

RBI Announcements
RBI Announcements

FAQ DetailPage Breadcrumb

RbiFaqsSearchFilter

सामग्री प्रकार:

खोज परिणाम

भारतीय मुद्रा

क) भारतीय मुद्रा/मुद्रा प्रबंधन से जुड़ी आधारभूत जानकारी

कुछ बैंकों को उनके परिचालन क्षेत्र में आने वाली बैंक शाखाओं को छोटे सिक्के अर्थात एक रुपये से कम मूल्य के सिक्के वितरित करने तथा उनका भण्डारण करने के लिए छोटे सिक्का डिपो स्थापित करने हेतु रिजर्व बैंक द्वारा प्राधिकृत किया गया है । 31 मार्च 2025 को कुल 2,299 छोटे सिक्का डिपो थे ।

समन्वित संविभागीय निवेश सर्वेक्षण - भारत

सर्वेक्षण शुरू करने का विवरण

उत्तर: सर्वेक्षण प्रश्नावली में दिए गए निर्देश के अनुसार रिज़र्व बैंक की जेनेरिक ईमेल आईडी पर विधिवत भरी हुई सर्वेक्षण प्रश्नावली (Excel आधारित) भेजने के बाद, उत्तरदाता को सिस्टम जनित पावती प्राप्त होगी। इस संबंध में अलग से कोई मेल नहीं भेजा जाएगा। यदि पावती में किसी त्रुटि का उल्लेख किया गया है, तो उत्तरदाता को उल्लेखित त्रुटि को सुधार कर फॉर्म को फिर से जमा करना होगा। सुधार के बाद, उत्तरदाता को एक सफल प्रसंस्करण पावती ईमेल प्राप्त होगी।

भारतीय उद्योग में विदेशी सहयोग (एफसीएस) पर द्विवार्षिक सर्वेक्षण

सर्वेक्षण लॉन्च का विवरण

उत्तर: पिछले दो वित्तीय वर्ष (FY) अप्रैल YYYY से शुरू होकर मार्च YYYY तक। उदाहरण के लिए, 2023-2025 की संदर्भ अवधि के लिए FCS सर्वेक्षण में अप्रैल 2023 से मार्च 2024 और अप्रैल 2024 से मार्च 2025 शामिल हैं।

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार संबंधी दिशानिर्देशों के मास्टर निदेशों पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

ङ) निर्यात ऋण

उत्तर: उपरोक्त उद्देश्यों के लिए बैंक ऋण को एमएसएमई के अंतर्गत वर्गीकृत किया जा सकता है, जिसमें ऋण पर कोई सीमा निर्धारित नहीं की गई है। हालाँकि, बैंक ऐसी गतिविधियों को या तो एमएसएमई या सामाजिक बुनियादी संरचना के अंतर्गत वर्गीकृत कर सकते हैं, दोनों के अंतर्गत नहीं। यह ध्यान देने योग्य बात है कि सामाजिक बुनियादी संरचना के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए, ऋण पर संबद्ध सीमा लागू होगी।

झ. कमजोर वर्ग

उत्तर: 'कमजोर वर्गों' के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए, ऋण को पहले अंतर्निहित गतिविधि के अनुसार आठ पीएसएल श्रेणियों में से किसी के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए पात्र होना चाहिए।

लक्षित दीर्घकालिक रिपो परिचालन (टीएलटीआरओ)

उत्तर: बैंकों को पहले से ही टीएलटीआरओ योजना के तहत प्राप्त धन को अभिनियोजित करने के लिए पर्याप्त समय दिया गया है। अब यह निर्णय लिया गया है कि निर्दिष्ट प्रतिभूतियों में ऐसी बैंकों को धन अभियोजन के लिए 30 कार्य दिवसों तक की अनुमति दी जाए, जिन्होंने 27 मार्च 2020 को आयोजित टीएलटीआरओ की पहली किश्त के तहत धन प्राप्त किया है। हालांकि, यदि कोई बैंक निर्दिष्ट समय सीमा के भीतर धन अभिनियोजित करने में विफल रहता है, तो गैर-अभिनियोजित धन पर ब्याज दर प्रचलित नीति रेपो दर तक बढ़ जाएगी साथ ही 200 बीपीएस दिनों की संख्या के लिए इस तरह के फंड गैर-अभिनियोजित रहते हैं। इस वृद्धिशील ब्याज का भुगतान परिपक्वता के समय नियमित ब्याज के साथ करना होगा।

आवास ऋण

उधारकर्ताओं को एक ऐसे ऋण से अधिक लाभ होता है जिसकी गणना वार्षिक आधार की तुलना में मासिक घटते आधार पर की जाती है। मासिक रीसेट के मामले में, उस महीने के बकाया मूलधन पर ब्याज की गणना की जाती है। भुगतान किया गया मूलधन अगले महीने के शुरुआती मूलधन पर पहुंचने के लिए शुरुआती मूल बकाया राशि से घटाया जाता है और ब्याज की गणना नए, घटाए गए मूल बकाया पर की जाती है। वार्षिक रीसेट के मामले में, भुगतान किया गया मूलधन केवल वर्ष के अंत में समायोजित किया जाता है। इसलिए, आप मूलधन के एक हिस्से पर ब्याज का भुगतान करना जारी रखते हैं जो कि ऋणदाता को वापस भुगतान किया गया है।

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Definition of public deposits

Money received by a private limited NBFC from relatives and friends of directors who are not its shareholders, is public deposit. In the case of public limited companies, the deposits received from shareholders also are public deposit.

फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न

एफएलए रिटर्न जमा करने के लिए पात्र संस्थाएं और आवश्यकताएं

उत्तर: हां, इकाईयां आरबीआई से मंजूरी लेकर, नियत तारीख के बाद भी एफएलए रिटर्न भर सकती हैं। लेकिन उस मामले में, देर से जमा करने के लिए इकाई पर जुर्माना खंड लागू किया जा सकता है।

समझौता निपटान और तकनीकी रूप से बट्टे खाते डालने (राइट-ऑफ) के लिए रूपरेखा

ए. इरादतन कर्ज़ न चुकाने और धोखाधड़ी के मामलों में समझौता निपटान

सामान्य तौर पर पुनर्गठन में पुनर्गठन के बाद भी ऋणदाता का उधारकर्ता इकाई के प्रति निरंतर एक्सपोजर होता है और इसलिए, धोखाधड़ी या इरादतन चूककर्ता के रूप में वर्गीकृत उधारकर्ताओं के मामले में, उधारदाताओं को उधारकर्ता इकाई के साथ अपने क्रेडिट संबंध जारी रखने की अनुमति देना नैतिक खतरे से भरा होगा। दूसरी ओर, समझौता निपटान में ऋणदाता और उधारकर्ता का पूर्ण अलगाव शामिल होता है। इसलिए, ऋणदाताओं को अपने वाणिज्यिक निर्णय के अनुसार उधारकर्ताओं के साथ समझौता निपटान करने की अनुमति देने से वसूली की संभावनाएं बढ़ेंगी।

विप्रेषण (धन अंतरण सेवा योजना (एमटीएसएस) तथा रुपया आहरण व्यवस्था (आरडीए))

रुपया आहरण व्यवस्था(आरडीए)

आरडीए के अंतर्गत विप्रेषणों के नकद संवितरण की अनुमति नहीं है। विप्रेषणों को अनिवार्यतः हिताधिकारी के बैंक खाते में जमा किया जाना चाहिए।

देशी जमा

I . देशी जमा

मीयादी जमाराशि, बैंक और ग्राहक के बीच एक निश्चित अवधि की संविदा है तथा बैंक अपनी इच्छा से इसका समयपूर्व भुगतान नहीं कर सकते। मीयादी जमाराशियों का समयपूर्व भुगतान ग्राहक के अनुरोध पर किया जा सकता है ।

रिटेल डायरेक्ट योजना

योजना संबन्धित प्रश्न

पात्रता मानदंडों को पूरा करने वाले किसी अन्य खुदरा निवेशक के साथ आरडीजी खाता अकेले या संयुक्त रूप से खोला जा सकता है।

दिनांक 31 जनवरी 2024 और 16 फरवरी 2024 की प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड पर लगाए गए कारोबारी प्रतिबंध

पेटीएम पेमेंट्स बैंक में बैंक खाते

नहीं। 15 मार्च 2024 के बाद, आप पेटीएम पेमेंट्स बैंक के अपने खाते में ऐसी कोई राशि प्राप्त नहीं कर पाएंगे। किसी भी असुविधा या व्यवधान से बचने के लिए कृपया अपने लिंक किए गए खाते को 15 मार्च 2024 से पहले बदलकर अन्य बैंक में करने की व्यवस्था करें।

भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका

चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) अनुसूचित वाणिज्य बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) को और प्राथमिक व्यापारियों को दी जाने वाली एक ऐसी सुविधा है जिसमें वे आवश्यकता पड़ने पर चलनिधि का उपयोग कर सकते हैं अथवा अधिक चलनिधि होने पर भारतीय रिज़र्व बैंक के पास राज्य सरकार की प्रतिभूतियों सहित सरकारी प्रतिभूतियों को संपाश्दिवक के रूप में एक दिन के लिए रख सकते हैं । मूल रूप से चलनिधि समायोजन सुविधा दैनंदिन आधार पर चलनिधि प्रबंधन उपलब्ध कराता है । एलएएफ का परिचालन बैंक के साथ पुनर्खरीद (रिपो और रिवर्स रिपो - कृपया प्रश्न सं.30 के अंतर्गत ब्योरे के लिए 30.4 से 30.8 देखें) करके, सभी लेन-देनों में भारतीय रिज़र्व बैंक के साथ प्रति-पार्टी बन कर किए जा सकते हैं । एलएएफ के अंतर्गत रिज़र्व बैंक द्वारा ब्याज दरें समय-समय पर निर्धारित की जाती हैं । वर्तमान में, एलएएफ के अंतर्गत रिपो पर ब्याज दर (भागीदारों द्वारा उधार लिए जाने पर) 4.75% है और रिवर्स रिपो (भारतीय रिज़र्व बैंक के पास निधि रखने के लिए) 3.25% है । एलएएफ मौद्रिक नीति का एक महत्वपूर्ण उपकरण है तथा बाजार को ब्याज दर संकेत भेजने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक को समर्थ बनाता है ।

बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण

सी. ईसीबी की मुद्रा

उत्तर: भारतीय रुपये में मूल्यवर्गित ईसीबी को जुटाने वाली किसी भी एंटीटी को आईएनआर ईसीबी से उभरने वाली देयता को किसी भी प्रकार से विदेशी मुद्रा देयता में परिवर्तित करने अथवा डेरिवेटिव कांट्रैक्ट अथवा अन्यथा रूप में शामिल होकर किसी भी प्रकार से विदेशी मुद्रा जोखिम लेने की अनुमति नहीं है।

एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी

A. परिभाषाएं

आवेदक कंपनी के लिये यह जरूरी है कि ऑनलाइन आवेदन करे और भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय को आवश्यक दस्तावेजों के साथ आवेदन की एक भौतिक प्रतिलिपि प्रस्तुत करे। आवेदन को रिजर्व बैंक की सुरक्षित वेबसाइट https://cosmos.rbi.org.in के द्वारा ऑनलाइन प्रस्तुत किया जा सकता। इस स्तर पर, आवेदक कंपनी को कॉसमॉस application पर लॉग ऑन करने की जरूरत नहीं और अत: इसके यूजर आईडी की आवश्यकता नहीं होगी। कंपनी कॉसमॉस अनुप्रयोग के लॉगिन पृष्ठ पर कंपनी पंजीकरण के लिए "क्लिक" पर क्लिक कर सकते हैं। एक्सेल आवेदन फार्म डाउनलोड के लिए उपलब्ध "दर्शाने वाला एक विंडो प्रदर्शित किया जाएगा इस प्रकार कंपनी, उपरोक्त वेबसाइट से उपयुक्त आवेदन फार्म (अर्थात एनबीएफसी या एससी / आरसी), डाउनलोड करके, डेटा दर्ज और आवेदन फार्म अपलोड कर सकती हैं। कंपनी को, एक्सेल आवेदन पत्र में "ब्यौरे अनुबंध-पहचान" में क्षेत्र "सी-8" में क्षेत्रीय कार्यालय का सही नाम इंगित करने के लिए नोट करना है। उसके बाद कंपनी को पंजीकरण प्रमाणपत्र आवेदन ऑन लाइन करने के लिए एक आवेदन संदर्भ संख्या मिलेगी। इसके बाद कंपनी को, संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को आवेदन पत्र की हार्ड कॉपी (कंपनी का ऑनलाइन आवेदन संदर्भ संख्या दर्शाते हुए पुष्टिकारक दस्तावेजों के साथ) प्रस्तुत करना होगी। बाद में कंपनी, ऊपर उल्लेखित सुरक्षित वेबसाइट से, पावती संख्या दर्ज कर के, आवेदन की स्थिति की जाँच कर सकती है।

भारत में विदेशी निवेश

उत्तर: “विदेशी निवेश” अर्थात भारत के बाहर के निवासी व्यक्तियों द्वारा भारतीय कंपनियों की पूंजीगत लिखतों में तथा किसी एलएलपी की पूंजी में प्रत्यावर्तनीय आधार पर किया गया निवेश ।

“प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ़डीआई)” अर्थात भारत के बाहर के निवासी व्यक्तियों द्वारा गैर-सूचीबद्ध भारतीय कंपनियों की पूंजीगत लिखतों के माध्यम से किया गया निवेश; अथवा सूचीबद्ध भारतीय कंपनी की पूर्णतः डाइल्यूटेड आधार पर जारी प्रदत्त इक्विटि के 10 प्रतिशत तक अथवा उससे अधिक किया गया निवेश;

“विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI)” अर्थात भारत के बाहर के निवासी व्यक्तियों द्वारा सूचीबद्ध भारतीय कंपनियों की पूर्णतः डाइल्यूटेड आधार पर जारी प्रदत्त इक्विटि के जरिए पूंजीगत लिखतों में 10 प्रतिशत से अनधिक किया गया निवेश अथवा किसी सूचीबद्ध भारतीय कंपनी द्वारा जारी पूंजीगत लिखतों की प्रत्येक शृंखला में 10 प्रतिशत से अनधिक मात्रा तक किया गया निवेश ।

भारतीय मुद्रा

क) भारतीय मुद्रा/मुद्रा प्रबंधन से जुड़ी आधारभूत जानकारी

भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम १९३४ की धारा 22 के अनुसार, भारत में नोट निर्गमित करने का एकमात्र अधिकार रिज़र्व बैंक के पास है । भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम १९३४ की धारा 25 में उल्‍लेख है कि बैंकनोट की रूपरेखा (डिजाइन), स्‍वरूप और सामग्री भारतीय रिज़र्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड की अनुसंशा पर विचार करने के उपरांत केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदन के अनुसार होगी ।

रिज़र्व बैंक, केंद्र सरकार तथा अन्य साझेदारों के परामर्श से, एक वर्ष में मूल्यवर्ग-वार  मांग को ध्यान में रखते हुए अनुमानित आवश्‍यक बैंक नोटों की मात्रा का आकलन करता है और बैंक नोटों की आपूर्ति हेतु विभिन्न बैंक नोट मुद्रण प्रेसों को माँगपत्र (इंडेंट) सौंपता है । रिज़र्व बैंक अपनी स्वच्छ नोट नीति के अनुसार, आम जनता को अच्छी गुणवत्ता के बैंकनोट उपलब्ध कराने के लिए प्रयासरत है । इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए संचलन से वापस लिए गए बैंक नोटों की जांच की जाती है तथा जो संचलन के योग्य हैं उन्हें पुन: जारी किया जाता है, जबकि अन्य (गंदे तथा कटे-फटे) को नष्ट कर दिया जाता है ताकि संचलन में बैंक नोटों की गुणवत्ता को बनाए रखा जा सके ।

सिक्कों के संबंध में, भारतीय रिज़र्व बैंक की भूमिका भारत सरकार द्वारा आपूर्ति किए जाने वाले सिक्कों के वितरण करने तक सीमित है । सिक्‍का निर्माण अधिनियम, 2011 के अनुसार विभिन्न मूल्यवर्ग के सिक्कों की रूपरेखा तैयार करने (डिजाइनिंग) तथा ढलाई की जिम्‍मेदारी भारत सरकार की है ।

कोर निवेश कंपनियां

कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)

उत्तर: समूह कंपनियों में सभी प्रत्यक्ष निवेश, जैसा कि सीआईसी के तुलनपत्र में दिखाया गया है, इस उद्देश्य के लिए ध्यान में रखा जाएगा। सहायक कंपनियों द्वारा स्टेप डाउन सहायक कंपनियों या अन्य संस्थाओं में किए गए निवेश को निवल आस्ति के 90 प्रतिशत की गणना के लिए ध्यान में नहीं रखा जाएगा।

भारतीय उद्योग में विदेशी सहयोग (एफसीएस) पर द्विवार्षिक सर्वेक्षण

सर्वेक्षण लॉन्च का विवरण

उत्तर: रिज़र्व बैंक सभी पात्र संस्थाओं को रिज़र्व बैंक की जेनेरिक ईमेल आईडी से ईमेल भेजेगा ताकि उन्हें नवीनतम संदर्भ अवधि के लिए एफसीएस सर्वेक्षण के लॉन्च के बारे में सूचित किया जा सके। संस्थाओं को मेल के साथ संलग्न नवीनतम सर्वेक्षण प्रश्नावली को भरना होगा और सर्वेक्षण प्रश्नावली में दिए गए निर्देश के अनुसार रिज़र्व बैंक की जेनेरिक ईमेल आईडी पर भेजना होगा।

समन्वित संविभागीय निवेश सर्वेक्षण - भारत

सर्वेक्षण शुरू करने का विवरण

उत्तर: एक वित्तीय वर्ष के मार्च अंत और सितंबर अंत में रिपोर्टिंग संस्थाओं के आवश्यक विवरण एकत्र करने के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा अर्धवार्षिक रूप से सीपीआईएस आयोजित किया जाता है। सामान्य तौर पर, उस वर्ष के मार्च अंत और सितंबर अंत की स्थिति के लिए सर्वेक्षण क्रमशः 01 जून और 01 दिसंबर को शुरू किया जाता है।

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार संबंधी दिशानिर्देशों के मास्टर निदेशों पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

झ. कमजोर वर्ग

उत्तर: मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार, एसएमएफ में व्यक्ति, एसएचजी, जेएलजी, फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनियां (एफपीसी) और किसानों की सहकारी समितियां, सदस्यता के मानदंड संख्या और भूमि-जोत के साथ, शामिल है। अतः 2 हेक्टेयर तक कृषि भूमि रखने वाले साझेदारी फर्मों/सह-उधारकर्ताओं या कंपनी के किसी निदेशक को दिए गए ऋण पीएसएल की एसएमएफ़ श्रेणी के तहत वर्गीकृत होने के पात्र नहीं हैं।

उत्तर: मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार, भारत सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित सूची के अनुसार प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र संबंधी ऋण अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण के रूप में वर्गीकरण के लिए पात्र हैं। इसे 'अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण सुविधाएं' पर जारी मास्टर परिपत्र के पैरा 2.2 के साथ पढ़ा जा सकता है जिसमें कहा गया है कि "भागीदारी फर्म के मामले में, यदि भागीदारों में से अधिकांश एक अथवा अधिक विशिष्ट अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित हैं तो, ऐसी भागीदारी फर्मों को दिए गए अग्रिमों को अल्पसंख्यक समुदायों को दिए गए अग्रिमों में गिना जाना चाहिए। साथ ही, यदि भागीदारी फर्म में अधिकांश हिताधिकारी स्‍वामित्‍व अल्पसंख्यक समुदाय का है तो, ऐसे उधार को निर्धारित समुदायों को दिए गए अग्रिमों के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। किसी कम्पनी का कानूनी रूप से पृथक अस्तिव होने के कारण उसे दिए गए अग्रिमों को निर्धारित अल्पसंख्यक समुदायों को दिए गए अग्रिमों के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता।"

उत्तर: आवेदन पत्र में ग्राहक द्वारा की गई घोषणा अल्पसंख्यकों/अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों को दी जाने वाली ऋण सुविधाओं को कमजोर वर्गों के अंतर्गत वर्गीकृत करने के लिए पर्याप्त होगी। तथापि, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि पहले ऋण अंतर्निहित गतिविधि के अनुसार प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए पात्र हों।

ञ. बैंकों द्वारा प्रतिभूत आस्तियों में निवेश/ सीधे समनुदेशन/एकमुश्त खरीद के माध्यम से आस्तियों का हस्तांतरण

Clarification: Banks may rely on a combination of auditors’ certification provided by the originating entity and conduct of sample check by their own staff or by an auditor for the purpose. This may be suitably built into their internal policy.

लक्षित दीर्घकालिक रिपो परिचालन (टीएलटीआरओ)

उत्तर: प्राथमिक बाजार में टीएलटीआरओ के तहत मिलने वाली धनराशि की अभिनियोजित की गई राशि का प्रतिशत पचास प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता है। उपरोक्त नियम के अलावा, सीमाएं प्राथमिक और द्वितीयक बाजार परिनियोजन के बीच प्रतिमोच्य (fungible) हैं।

आवास ऋण

ऋण की अवधि जितनी लंबी होगी, आपकी मासिक ईएमआई उतनी ही कम होगी। कम अवधि का मतलब ईएमआई का अधिक बोझ है, लेकिन आपका ऋण तेजी से चुकाया जाता है। यदि आपके पास अल्पकालिक नकदी प्रवाह बेमेल है, आपका बैंक ऋण की अवधि बढ़ा सकता है, और आपकी ईएमआई का बोझ कम हो जाता है। लेकिन लंबी अवधि का अर्थ है ऋण के लिए बड़े ब्याज का भुगतान करना और इसे और अधिक महंगा बनाना।

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Definition of public deposits

A. Optionally Fully Convertible Debentures (OFCDs), which were brought within the purview of Regulations in the year 1996, have now (in 1998) been taken out of the Regulations. Any money raised by issue of OFCDs is not to be treated as public deposit.

देशी जमा

I . देशी जमा

आम तौर पर बैंक व्यक्ति और संयुक्त हिंदू परिवार (एचयूएफ) की बड़ी या छोटी किसी भी मीयादी जमाराशि के समयपूर्व आहरण के लिए मना नहीं करेंगे। फिर भी, बैंक अपने विवेकानुसार से व्यक्ति या संयुक्त हिंदू परिवारों से इतर कंपनियों द्वारा धारित बड़ी जमाराशियों के समयपूर्व आहरण को अस्वीकृत कर सकते हैं । बैंकों को ऐसे जमाकर्ताओं को समयपूर्व आहरण की नीति के संबंध में पहले ही यानी जमा स्वीकार करते समय सूचित करना चाहिए ।

समझौता निपटान और तकनीकी रूप से बट्टे खाते डालने (राइट-ऑफ) के लिए रूपरेखा

बी. तकनीकी रूप से बट्टे खाते डालना

नहीं। जैसा कि परिपत्र में परिभाषित किया गया है, तकनीकी रूप से बट्टे खाते डालना उन मामलों को संदर्भित करता है जहां एनपीए उधारकर्ताओं के ऋण खाते के स्तर पर बकाया रहता है, लेकिन ऋणदाताओं द्वारा केवल लेखांकन उद्देश्यों के लिए अमान्य कर दिया जाता है। तकनीकी रूप से बट्टे खाते एक सामान्य बैंकिंग प्रथा है जो ऋणदाताओं द्वारा अशोध्य ऋणों की बैलेंस शीट को साफ करने के लिए की जाती है, जिन्हें या तो अप्राप्य माना जाता है या जिनकी वसूली में ऋणदाताओं के अनुपातहीन संसाधनों का उपभोग होने की संभावना होती है। हालाँकि, इस तरह के तकनीकी रूप से बट्टे खाते में उधारकर्ता के खिलाफ दावों की कोई छूट नहीं होती है और इस प्रकार उधारदाताओं के वसूली के अधिकार को किसी भी तरह से कम नहीं किया जाता है। इसलिए, डिफॉल्ट करने वाले उधारकर्ताओं को किसी भी तरह से लाभ नहीं होता है और उनके कानूनी दायित्व के साथ-साथ उनके लिए ऐसे डिफॉल्ट की लागत तकनीकी रूप से बट्टे खाते से पहले की स्थिति के मुकाबले अपरिवर्तित रहती है।

यह परिपत्र केवल तकनीकी रूप से बट्टे खाते की परिभाषा पर स्पष्टता प्रदान करता है और तकनीकी रूप से बट्टे खाते के लिए ऋणदाताओं द्वारा अपनाई जाने वाली प्रक्रिया पर एक व्यापक मार्गदर्शन प्रदान करता है, जो विभिन्न उधारदाताओं द्वारा अपनाए जाने वाले दृष्टिकोण में स्थिरता सुनिश्चित करेगा।

विप्रेषण (धन अंतरण सेवा योजना (एमटीएसएस) तथा रुपया आहरण व्यवस्था (आरडीए))

रुपया आहरण व्यवस्था(आरडीए)

जी हां, अनिवासी विनिमय गृह के साथ आरडीए होने वाले एडी श्रेणी-I के बैंक द्वारा प्राप्त विदेशी आवक विप्रेषणों को हिताधिकारी के एडी श्रेणी –I के बैंक से अन्य बैंक में धारित खाते में इलेक्ट्रॉनिक माध्यम, जैसे कि एनईएफ़टी, आईएमपीएस, से सीधे जमा कर सकते हैं।धन अंतरण सेवा योजना(एमटीएसएस)

फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न

एफएलए रिटर्न जमा करने के लिए पात्र संस्थाएं और आवश्यकताएं

उत्तर: हां, इकाईयां आरबीआई से मंजूरी लेकर, नियत तारीख के बाद भी एफएलए रिटर्न भर सकती हैं। लेकिन उस मामले में, देर से जमा करने के लिए इकाई पर जुर्माना खंड लागू किया जा सकता है।

रिटेल डायरेक्ट योजना

योजना संबन्धित प्रश्न

आरबीआई रिटेल डायरेक्ट ऑनलाइन पोर्टल निम्नलिखित की सुविधा देगा:क. प्राथमिक नीलामियों (केवल गैर-प्रतिस्पर्धी खंड) के माध्यम से सरकारी प्रतिभूतियों को खरीदना।ख. द्वितीयक बाजार में सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद और बिक्री.ग. प्राथमिक और माध्यमिक बाजार में राजकीय स्वर्ण बॉन्ड (एसजीबी) खरीदना और बेचना।घ. निवेशक सेवाएं जैसे खाता विवरण, नामांकन सुविधा, प्रतिज्ञा/ग्रहण, उपहार लेनदेन, शिकायत निवारण, और संपर्क विवरण जैसे प्रोफाइल का प्रबंधन आदि।

दिनांक 31 जनवरी 2024 और 16 फरवरी 2024 की प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड पर लगाए गए कारोबारी प्रतिबंध

पेटीएम पेमेंट्स बैंक में बैंक खाते

आहरण/डेबिट संबंधी अधिदेश (जैसे नेशनल ऑटोमेटेड क्लियरिंग हाउस (एनएसीएच) अधिदेश) आपके खाते में उपलब्ध शेष राशि तक जारी रहेंगे। हालाँकि, 15 मार्च 2024 के बाद आपके खातों में क्रेडिट या जमा की अनुमति नहीं होगी। इसलिए, असुविधा से बचने के लिए, यह सलाह दी जाती है कि आप 15 मार्च 2024 से पहले किसी अन्य बैंक के माध्यम से वैकल्पिक व्यवस्था कर लें।

भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका

7.1. भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई का लोक ऋण कार्यालय सरकारी प्रतिभूतियों के लिए रजिस्ट्री और केद्रीय निक्षेपागार का कार्य करता है । निवेशकों द्वारा सरकारी प्रतिभूतियाँ या तो भौतिक रूप में अथवा डीमैट रूप में रखी जाती हैं । भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित सभी संस्थाओं के लिए 20 मई 2002 से सरकारी प्रतिभूतियों को केवल डीमैट (एसजीएल) रूप में रखना आवश्यक हो गया है । तदनुसार, शहरी सरकारी बेंकों के लिए सरकारी प्रतिभूतियाँ डीमैट रूप में रखना आवश्यक हो गया है ।(क) भौतिक रूप में : सरकारी प्रतिभूतियों को स्टॉक प्रमाणपत्र के रूप में रखा जा सकता है । स्टॉक प्रमाणपत्र को लोक ऋण कार्यालय की बहियों में पंजीकृत किया जाता है । स्टॉक प्रमाणपत्रों में स्वामित्व का अंतरण परांकन और सुपुर्दगी के रूप में अंतरित नहीं किया जा सकता । उन्हें स्वामित्व के रूप में अंतरण फार्म निष्पादित करके अंतरित किया जा सकता है तथा अंतरण का ब्योरा लोक ऋण कार्यालय की बहियों में दर्ज किया जाता है । स्टॉक प्रमाणपत्र का अंतरण लोक ऋण कार्यालय की बहियों में पंजीकरण के बाद ही अंतिम और वैध होगा ।(ख) डीमैट रूप में : सरकारी प्रतिभूतियों को डीमैट रूप में अथवा क्रिप रहित रूप में रखना सबसे अधिक सुरक्षित और सुविधाजनक विकल्प है क्योंकि इससे सुरक्षित रूप से रखने की समस्याएँ यथा प्रतिभूति का गुम होना इत्यादि समाप्त हो जाती हैं । साथ ही, इलैक्ट्रॉनिक रूप में अंतरण और सर्विसिंग परेशानी रहित होती है । धारक अपनी प्रतिभूतियों को डीमैट रूप में दो प्रकार से रख सकता है :(i) एसजीएल खाता : भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा सहायक सामान्य लेजर खाते की सुविधा कुछ चयनित संस्थाओं को उपलब्ध कराई जाती है जो अपनी प्रतिभूतियाँ भारतीय रिज़र्व बैंक के लोक ऋण कार्यालय में एसजीएल खातों में अनुरक्षित कर सकते हैं ।(ii) गिल्ट खाता : चूंकि भारतीय रिज़र्व बैंक के पास एसजीएल खाता खोलने और उसे अनुरक्षित करने की सुविधा प्रतिबंधित है, किसी भी निवेशक के पास किसी बैंक अथवा प्राथमिक व्यापारी के पास गिल्ट खाता खोलने का विकल्प है जो भारतीय रिज़र्व बैंक के पास ग्राहक का सहायक सामान्य लेजर खाता (सीएसजीएल खाता) खोल सकता है । इस व्यवस्था में बैंक अथवा प्राथमिक व्यापारी, गिल्ट खाता धारक के अभिरक्षक के रूप में अपने ग्राहक की धारिताओं को भारतीय रिज़र्व बैंक के पास सीएसजीएल खाते में रखेगा (जो एसजीएल II खाते के नाम से भी जाना जाता है) । गिल्ट खाते में रखी प्रतिभूतियों की सर्विसिंग इलैक्टॉनिक रूप में की जाती है, बाधारहित व्यापार और प्रतिभूतियों का रखरखाव किया जाता है । परिपक्वता आय और आवधिक ब्याज भी तेजी से आता है तथा भारतीय रिज़र्व बैंक के पास प्राथमिक व्यापारी/ अभिरक्षक (सीएसजीएल खाताधारक) के चालू खाते में जमा हो जाती है तथा तत्काल अभिरक्षक द्वारा गिल्ट खाता धारकों के खाते में जमा कर दी जाती है ।7.2. निवेशकों के पास सरकारी प्रतिभूतियाँ निक्षेपागार (एनएसडीएल/सीडीएसएल इत्यादि) के पास डीमैट खाते में रखने का विकल्प रहता है । इससे स्टॉक एक्सचेंजों में सरकारी प्रतिभूतियों का कारोबार सुविधाजनक होता है ।

बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण

डी. मान्यताप्राप्त उधारदाता/ निवेशक

उत्तर: ईसीबी तथा टीसी संबंधी मौजूदा ढांचे पर मार्गदर्शन के लिए बाह्य वाणिज्यिक उधार, व्यापार ऋण तथा संरचित प्रतिबद्धताएं विषय पर दिनांक 26 मार्च 2019 को जारी मास्टर निदेश सं.5 (एमडी) के पैराग्राफ 1.11 में परिभाषित किए गए अनुसार विदेशी इक्विटि धारक उक्त मास्टर निदेश के पैराग्राफ 2.1.viii(डी), 2.1.viii (ई) तथा 2.1.वी(एफ़) में दिए गए अंतिम उपयोग के लिए उधार देने के लिए पात्र हैं। नकारात्मक सूची में दिए गए अंतिम उपयोगों से भिन्न अन्य अंतिम उपयोगों के लिए मान्यताप्राप्त उधारदाताओं को उल्लिखित मास्टर निदेश के पैराग्राफ 2.1.iv में निर्दिष्ट किया गया है।

एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी

A. परिभाषाएं

आवेदन पत्र के साथ प्रस्तुत की जाने वाले दस्तावेजों की निर्देशात्मक जांच सूची तथा आवेदन पत्र www.rbi.org.in → site map → NBFC List → Forms/Returns पर उपलब्ध है।

भारत में विदेशी निवेश

उत्तर: पूर्णतः डाइल्यूटेड आधार पर का अर्थ है परिवर्तन के सभी संभाव्य स्रोतों को निष्पादित करने की स्थिति में बकाया रहने वाले शेयरों की कुल संख्या।

कोर निवेश कंपनियां

कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)

उत्तर: जो कुछ भी पुनर्भुगतान करना होगा वह बाहरी दायित्व होगा।

भारतीय उद्योग में विदेशी सहयोग (एफसीएस) पर द्विवार्षिक सर्वेक्षण

सर्वेक्षण लॉन्च का विवरण

उत्तर: सर्वेक्षण प्रश्नावली में निर्देश के अनुसार रिज़र्व बैंक की जेनेरिक ईमेल आईडी पर विधिवत भरी हुई सर्वेक्षण प्रश्नावली (Excel आधारित) भेजने के बाद, प्रतिवादी को सिस्टम जनित पावती प्राप्त होगी। इस संबंध में अलग से कोई मेल नहीं भेजा जाएगा। यदि पावती में कुछ त्रुटि का उल्लेख किया गया है, तो प्रतिवादी को उल्लेखित त्रुटि को सुधार कर फॉर्म को फिर से जमा करना होगा। सुधार के बाद, प्रतिवादी को एक सफल प्रसंस्करण पावती प्राप्त होनी चाहिए।

समन्वित संविभागीय निवेश सर्वेक्षण - भारत

सर्वेक्षण शुरू करने का विवरण

उत्तर: सामान्य तौर पर, मार्च अंत और सितंबर अंत की स्थिति के लिए सीपीआईएस में भाग लेने की नियत तारीख क्रमशः उस वर्ष की 15 जुलाई और 31 दिसम्बर है

भारतीय मुद्रा

क) भारतीय मुद्रा/मुद्रा प्रबंधन से जुड़ी आधारभूत जानकारी

नोटों व सिक्कों के माँगपत्र (इंडेंट) तथा आपूर्ति अथवा संचलनगत मुद्रा/सिक्कों के संबंध में सूचना हमारी वेबसाइट www.rbi.org.in के इस लिंक पर उपलब्ध है

https://rbi.org.in/hi/web/rbi/publications/reports/annual_report

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार संबंधी दिशानिर्देशों के मास्टर निदेशों पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

ट. पीएसएलसी

उत्तर: बैंकों को पीएसएलसी ट्रेडिंग के लिए पंजीकरण प्राप्त करने के लिए क) डीईए फंड कोड, ख) ग्राहक पहचान संख्या और ग) आरबीआई चालू खाता संख्या, के साथ fiddpsd@rbi.org.in पर वित्तीय समावेशन और विकास विभाग, केंद्रीय कार्यालय के समक्ष एक अनुरोध प्रस्तुत करना होगा।

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Definition of public deposits

For the purpose of exemption from NBFC Directions, (1998) on Acceptance of Public Deposits, the debentures are required to be fully secured on the date of issue and to the fullest satisfaction of the trustees.

समझौता निपटान और तकनीकी रूप से बट्टे खाते डालने (राइट-ऑफ) के लिए रूपरेखा

सी. सामान्य

परिपत्र का उद्देश्य निम्नलिखित उद्देश्यों को प्राप्त करना है:

  1. यह वर्षों से जारी किए गए विभिन्न निर्देशों को समेकित करते हुए, समझौता निपटान पर बैंकों के लिए मौजूदा विनियामक मार्गदर्शन को तर्कसंगत बनाता है। यह कुछ संबंधित प्रावधानों को भी कड़ा करता है और अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करता है।

  2. एक स्पष्ट विनियामक ढांचा प्रदान करके, यह अन्य विनियमित संस्थाओं, विशेष रूप से सहकारी बैंकों को सामान्य समाधान प्रयासों के हिस्से के रूप में समझौता निपटान करने में सक्षम बनाता है।

  3. यह तकनीकी रूप से बट्टे खाते की परिभाषा पर स्पष्टता प्रदान करता है और तकनीकी रूप से बट्टे खाते के लिए विनियमित संस्थाओं द्वारा अपनाई जाने वाली प्रक्रिया पर व्यापक मार्गदर्शन प्रदान करता है, जो एक सामान्य बैंकिंग अभ्यास है।

  4. ऋणदाताओं और उधारकर्ताओं दोनों के लिए हतोत्साहन के रूप में, यह समझौता निपटान के सामान्य मामलों के लिए कूलिंग अवधि की अवधारणा पेश करता है, जिसके दौरान समझौता निपटान करने वाला ऋणदाता उधारकर्ता इकाई पर कोई नया एक्सपोजर नहीं लेगा। इरादतन चूककर्ता या धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत उधारकर्ता खातों के मामले में, नया वित्त प्राप्त करने पर रोक, जैसा कि ऊपर(2) में बताया गया है, लागू होंगे।

विप्रेषण (धन अंतरण सेवा योजना (एमटीएसएस) तथा रुपया आहरण व्यवस्था (आरडीए))

धन अंतरण सेवा योजना(एमटीएसएस)

धन अंतरण सेवा योजना (MTSS) भारत में निवास करने वाले हिताधिकारियों को विदेश से व्यक्तिगत प्रेषणों के अंतरण का तरीका है। भारत में केवल परिवार के भरण-पोषण के लिए भेजे गए प्रेषण तथा भारत का दौरा करने वाले विदेशी पर्यटकों के पक्ष में भेजे गए प्रेषणों जैसे आवक व्यक्तिगत प्रेषण अनुमत हैं। इस प्रणाली के अंतर्गत विदेशों में स्थित प्रख्यात धन अंतरण कंपनियाँ जिन्हें समुद्रपारीय प्रिंसिपल्स कहा जाता है तथा भारत में स्थित एजेंट जिन्हें भारतीय एजेंट कहा जाता है के बीच एक गठबंधन की परिकल्पना की गई है जो भारत में स्थित हिताधिकारियों को चालू विनिमय दरों पर निधियों का वितरण करेंगे।

रिटेल डायरेक्ट योजना

खाता खोलने से संबंधित प्रश्न

क. पात्र निवेशक खाता खोलने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए पंजीकरण लिंक का उपयोग करके https://rbiretaildirect.org.in पर लॉग-इन कर सकते हैं और पंजीकरण कर सकते हैं।

ख. खाता खोलने के लिए निवेशक को पूरा नाम, पैन, मोबाइल नंबर, ई-मेल पता, आवासीय पता, बचत बैंक खाता संख्या आदि विवरण प्रस्तुत करना होगा और एक लॉग-इन नाम निर्दिष्ट करना होगा। मोबाइल नंबर और ईमेल एड्रेस को ओटीपी का इस्तेमाल कर प्रमाणित किया जाएगा और आगे के सभी ग्राहक अनुरोध और सेवाएं ओटीपी आधारित होंगी।

ग. संयुक्त खातों के लिए दोनों धारकों का पैन, ई-मेल एड्रेस और फोन नंबर जरूरी होगा।

घ. एक बार ये विवरण प्रदान किए जाने के बाद, आपको अपने आवेदन को ट्रैक करने के लिए एक संदर्भ संख्या मिलेगी।

ड़. अब आप अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) सत्यापन प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं।

च. संयुक्त खातों के मामले में दोनों धारकों के लिए केवाईसी सत्यापन किया जाएगा।

छ. खाता खोलते समय निवेशक को नामांकन विवरण भरना अनिवार्य होगा।

ज. ग्राहक के बचत बैंक खाते को उनके बैंक खाते में टोकन राशि जमा करके और उसके सत्यापन से उनके रिटेल डायरेक्ट खाते से जोड़ा जाएगा।

झ. एक बार केवाईसी हो जाने पर, आरडीजी खाता निवेशक (कों) के नाम से एक आरडीजी खाता खोला जाएगा।

ट. ऑनलाइन पोर्टल तक पहुंचने के लिए खाता संख्या, लॉग-इन आईडी और पासवर्ड से संबंधित जानकारी ग्राहक को उनके पंजीकृत ई-मेल आईडी पर उपलब्ध कराई जाएगी।

ठ. केवाईसी फेल होने की स्थिति में व्यक्ति जरूरी बदलाव करने के बाद आवेदन फिर से प्रस्तुत कर सकता है या नया आवेदन कर सकता है।

देशी जमा

I . देशी जमा

मीयादी जमाराशियों के समयपूर्व आहरण के लिए अपनी दंडात्मक ब्याज दरें तय करने के लिए बैंक स्वतंत्र हैं ।

फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न

एफएलए रिटर्न जमा करने के लिए पात्र संस्थाएं और आवश्यकताएं

उत्तर: हां, इकाईयां आरबीआई से मंजूरी लेने के बाद पहले से जमा किए गए एफएलए रिटर्न को संशोधित कर सकती हैं।

दिनांक 31 जनवरी 2024 और 16 फरवरी 2024 की प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड पर लगाए गए कारोबारी प्रतिबंध

पेटीएम पेमेंट्स बैंक में बैंक खाते

स्वचालित यूपीआई अधिदेशों के माध्यम से आहरण/डेबिट संबंधी अधिदेश आपके खाते में उपलब्ध शेष राशि तक जारी रहेंगे। हालाँकि, 15 मार्च 2024 के बाद आपके खातों में क्रेडिट या जमा की अनुमति नहीं होगी। इसलिए, असुविधा या व्यवधान से बचने के लिए यह सलाह दी जाती है कि आप 15 मार्च 2024 से पहले किसी अन्य बैंक के माध्यम से वैकल्पिक व्यवस्था कर लें।

भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका

8.1. सरकारी प्रतिभूतियों में एक सक्रिय द्वितीयक बाजार है । द्वितीय बाजार में प्रतिभूतियों की खरीद/बिक्री (i) काउंटर पर (ओटीसी) अथवा (ii) तयशुदा लेन-देन प्रणाली (एनडीएस) अथवा (iii) तयशुदा लेन-देन प्रणाली - आदेश मैंचिंग (एनडीएस-ओएम) पर की जा सकती है ।(i) काउंटर पर (ओटीसी)/टेलीफोन बाजार8.2. इस बाजार में, कोई सहभागी, जो सरकारी प्रतिभूति खरीदने अथवा बेचने का इच्छुक है, किसी बैंक/प्राथमिक व्यापारी/वित्तीय संस्थान से सीधे ही अथवा सेबी के पास पंजीकृत किसी ब्रोकर से संपर्क करके किसी मूल्य पर एक विशेष प्रतिभूति की किसी राशि तक मोल-भाव कर सकता है । ये मोलभाव अधिकांशत: फोन पर होते हैं और किसी दर पर दोनों पक्षों के तैयार होने पर सौदा तय हो जाता है । क्रेता के मामले में, यथा एक शहरी सहकारी बैंक प्रतिभूति खरीदना चाहता है तो बैंक का व्यापारी (जे बैंक द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों के लेन-देन के लिए प्राधिकृत है) अन्य बाजार सहभागियों से फोन पर संपर्क करेगा तथा दरें प्राप्त करेगा । यदि कोई सौदा तय होता हे तो बैंक इस व्यापार का ब्योरा सौदा पर्ची में दर्ज करेगा (नमूना परिशिष्ट 3 में दिया गया है ।) तथा प्रतिपक्ष को व्यापार की पुष्टि करेगा । व्यापारी को उद्धृत मूल्य के संबंध में उपलब्ध स्रोतों से मूल्य की पुष्टि करनी चाहिए (सरकारी प्रतिभूतियों का मूल्य सुनिश्चित करने के संबंध में प्रश्न सं.14 देखें) । ओटीसी बाजार में किए गए सभी कारोबार एनडीएस के द्वितीयक बाजार मॉड्यूल में रिपोर्ट किए जाते हैं जिनका ब्योरा प्रश्न सं.15 में दिया गया है ।(ii) तयशुदा लेन-देन प्रणाली8.3. इलैक्ट्रॉनिक कारोबार तथा सरकारी प्रतिभूतियों में लेन-देन की रिपोर्टिंग के लिए तयशुदा लेन-देन प्रणाली (एनडीएस) फरवरी 2002 में लागू हुई थी । नीलामी होने पर इससे सदस्यों को अपनी बोली इलैक्ट्रानिक रूप से प्रस्तुत करने अथवा सरकारी प्रतिभूतियों के प्राथमिक निर्गम के लिए बोलियाँ अथवा आवेदन करने में सुविधा होती है । एनडीएस से लोक ऋण कार्यालय, भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई की प्रतिभूति समायोजन प्रणाली के समक्ष आकर द्वितीयक बाजार में आयोजित सरकारी प्रतिभूतियों (दोनों सीधे और रिपो) में लेन-देन के समायोजन को सुविधाजनक बनाता है । एनडीएस की सदस्यता केवल उन सदस्यों तक सीमित है जिनके एसजीएल तथा/अथवा चालू खाते भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई में हैं ।8.4. अगस्त 2005 में भारतीय रिज़र्व बैंक ने एनडीएस मॉड्यूल में "ऑर्डर मैचिंग" आधारित नामरहित क्रीन लागू की जिसका नाम एनडीएस-ओएम है । यह एक आदेश से चलने वाली इलैक्ट्रॉनिक प्रणाली है जहाँ सहभागी बिना नाम बताए सिस्टम पर आदेश दे सकते हैं अथवा अन्य सहभागियों के आदेश स्वीकार कर सकते हैं । एनडीएस-ओएम का परिचालन भारतीय रिज़र्व बैंक की ओर से भारतीय समाशोधन निगम लिमि. (सीसीआइएल) द्वारा किया जाता है (कृपया सीसीआइएल के बारे में प्रश्न सं.19 का उत्तर देखें) । वर्तमान में एनडीएस-ओएम प्रणाली तक केवल चयनित वित्तीय संस्थाओं की पहुँच है, यथा वाणिज्य बैंक, प्राथमिक व्यापारी, बीमा कंपनियाँ, पारस्परिक निधियाँ इत्यादि । अन्य सहभागी अपने अभिरक्षक, अर्थात जिसके पास उनका गिल्ट खाता है, के माध्यम से इस प्रणाली तक पहुँच सकते हैं । अभिरक्षक अपने ग्राहकों, जैसे शहरी सहकारी बैंकों की ओर से आदेश दे सकते हैं । एनडीएस-ओएम का लाभ मूल्य पारदर्शिता के साथ-साथ बेहतर मूल्य मिलना है ।8.5. गिल्ट खाता धारकों को अपने अभिरक्षक संस्थान के माध्यम से एनडीएस तक अप्रत्यक्ष पहुँच प्रदान की गई है । कोई सदस्य (जिसकी सीधी पहुँच है) एनडीएस पर सरकारी प्रतिभूतियों में गिल्ट खाताधारक के लेन-देन रिपोर्ट कर सकता है । इसी प्रकार, गिल्ट खाताधारकों को एनडीएस-ओएम तक अप्रत्यक्ष रूप से पहुँच उनके अभिरक्षकों के माध्यम से दी गई है । तथापि, एक ही अभिरक्षक के दो गिल्ट खाताधारकों को आपस में रिपो लेन-देन की अनुमति नहीं हैं ।(iii) स्टॉक एक्सचेंज8.6. सरकारी प्रतिभूतियों में कारोबार की सुविधा स्टॉक एक्सचेंजों (एनएसई और बीएसई) में भी उपलब्ध है जो खुदरा निवेशकों की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं ।

बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण

डी. मान्यताप्राप्त उधारदाता/ निवेशक

उत्तर: नहीं, ईसीबी संबंधी सभी दिशानिर्देशों, जिनमें न्यूनतम इक्विटि धारिता से संबंधित दिशानिर्देश शामिल हैं, को केवल ईसीबी का कांट्रैक्ट बनाते समय ही नहीं बल्कि ईसीबी की पूर्ण अवधि के दौरान पूर्ण करना अपेक्षित है ।

लक्षित दीर्घकालिक रिपो परिचालन (टीएलटीआरओ)

अपडेट हो गया है: मई 28, 2021

उत्तर: बैंक टीएलटीआरओ योजना के तहत प्राप्त राशि के लिए पुनर्खरीद मार्ग के माध्यम से बेची जाने वाली प्रतिभूति को किसी अन्य निर्दिष्ट प्रतिभूति के साथ बदल सकते हैं। बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि टीएलटीआरओ की परिपक्वता तक उनके टीएलटीआरओ वित्तपोषण को हमेशा निर्दिष्ट प्रतिभूति द्वारा समर्थित किया जाये।

आवास ऋण

यह एक तालिका है जो ऋण पर आवधिक मूलधन और ब्याज भुगतान और किसी भी समय बकाया राशि का विवरण देती यह शून्य तक पहुंचने तक ऋण शेष की क्रमिक कमी को भी दर्शाता है। (अनुबंध देखें)

एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी

A. परिभाषाएं

जिन गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की परिसंपत्तियों का आकार पिछले लेखापरीक्षा किए गए तुलनपत्र के अनुसार रू 500 करोड़ या उससे अधिक हो उन्हें प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां माना जाता है। इस प्रकार से वर्गीकरण किए जाने के लिए तर्काधार यह है कि इन गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की गतिविधियों का पूरे अर्थव्यवस्था की वित्तीय स्थिरता पर प्रभाव पड़ेगा।

भारत में विदेशी निवेश

उत्तर: एफ़डीआई तथा एफ़पीआई जिस अनुसूची के अंतर्गत निवेश किया गया है उसकी दृष्टि से agnostic है। निवेश प्रत्यक्ष है अथवा पोर्टफोलियो, को निवेश के प्रतिशत के अनुसार तय किया जाता है।

कोर निवेश कंपनियां

कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)

उत्तर: चूंकि सीआईसी-एनडी-एसआई के लिए एक अलग आवेदन पत्र होगा, उन्हें नए सिरे से आवेदन करना होगा।

भारतीय उद्योग में विदेशी सहयोग (एफसीएस) पर द्विवार्षिक सर्वेक्षण

सर्वेक्षण लॉन्च का विवरण

उत्तर: यदि खाता बंद मार्च के अंत से अलग है, तो कंपनी अपने खाता बंद करने की अवधि के अनुसार सूचना की रिपोर्ट नहीं कर सकती है। ऐसे मामलों में, कंपनी के आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर केवल संदर्भ अवधि, यानी पिछले मार्च और नवीनतम मार्च के लिए सूचना दी जानी चाहिए। यदि लेखा परीक्षित डेटा उपलब्ध नहीं है तो कंपनियां एफसीएस सर्वेक्षण प्रश्नावली में अनंतिम आंकड़े प्रस्तुत कर सकती हैं।

समन्वित संविभागीय निवेश सर्वेक्षण - भारत

सर्वेक्षण शुरू करने का विवरण

उत्तर: यदि रिपोर्टिंग इकाई को सर्वेक्षण प्रश्नावली का सॉफ्ट-फॉर्म प्राप्त नहीं होता है, तो वे इसे आरबीआई की वेबसाइट (https://rbi.org.in/hi/web/rbi) पर ‘विनियामक रिपोर्टिंग’- → ‘रिटर्न्स की सूची’- → ‘CPIS – Survey Schedule’ [या 'फॉर्म' (होम पेज के नीचे उपलब्ध है) और उप-शीर्ष 'सर्वेक्षण'] से डाउनलोड कर सकते हैं या ईमेल: cpis@rbi.org.in पर अनुरोध भेज सकते हैं।    

भारतीय मुद्रा

क) भारतीय मुद्रा/मुद्रा प्रबंधन से जुड़ी आधारभूत जानकारी

वर्तमान में रिज़र्व बैंक अहमदाबाद, बेंगलुरू, बेलापुर, भोपाल, भुवनेश्वर, चंडीगढ़, चेन्नई, गुवाहाटी, हैदराबाद, जयपुर, जम्मू, कानपुर, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई, नागपुर, नई दिल्ली, पटना और तिरूवनंतपुरम स्थित 19 निर्गम कार्यालयों तथा कोच्चि स्थित एक मुद्रा तिजोरी के माध्यम से मुद्रा परिचालनों का प्रबंधन करता है। इसके अलावा, अनुसूचित बैंकों की देखरेख और प्रबंधन के अंतर्गत आने वाली मुद्रा तिजोरियों का विस्तृत नेटवर्क मुद्रा प्रबंधन संरचना का एक भाग है। निर्गम कार्यालय बैंक नोट मुद्रण प्रेसों से नए नोट प्राप्त करते हैं, और मुद्रा तिजोरियों को नए बैंकनोट विप्रेषित करते हैं। मुद्रा तिजोरियों को प्रेसों से नए बैंकनोटों का सीधा विप्रेषण भी किया जाता है।

रिज़र्व बैंक के हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई तथा नई दिल्ली स्थित कार्यालय (टकसाल से संबद्ध कार्यालय) टकसालों से सिक्के प्राप्त करते हैं। इसके पश्चात ये कार्यालय सिक्कों को रिज़र्व बैंक के अन्य कार्यालयों को भेजते हैं जो इन सिक्कों को मुद्रा तिजोरियों तथा छोटे सिक्का डिपो में भेजते हैं। बैंकनोट तथा सिक्कों का भंडारण मुद्रा तिजोरियों में तथा छोटे सिक्कों का भंडारण छोटे सिक्का डिपो में किया जाता है। बैंक शाखाएँ मुद्रा तिजोरियों तथा छोटे सिक्का डिपो से बैंकनोट तथा सिक्के प्राप्त करती हैं, जिनका वितरण आम जनता को किया जाता है।

भारतीय रिज़र्व बैंक पुराने बैंकनोटों और सिक्कों की खरीद/बिक्री में लेन-देन नहीं करता है।  भारतीय रिज़र्व बैंक ने 04 अगस्त 2021 को  ” रिज़र्व बैंक ने जनता को पुराने बैंक नोटों और सिक्कों की खरीद-बिक्री के फर्जी प्रस्तावों का शिकार न के लिए आगाह किया” इस विषय पर एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी । यह प्रेस विज्ञप्ति हमारे वेबसाइट पर मुद्रा प्रबंधन >प्रेस विज्ञप्ति के अंतर्गत  निम्नलिखित लिंक पर उपलब्ध है।

https://rbi.org.in/hi/web/rbi/-/press-releases/rbi-cautions-the-public-not-to-fall-prey-to-fictitious-offers-of-buying-selling-of-old-banknotes-and-coins-51999

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार संबंधी दिशानिर्देशों के मास्टर निदेशों पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

ट. पीएसएलसी

उत्तर: पीएसएलसी की अवधि उसके जारी होने की तारीख पर निर्भर करेगी। सभी पीएसएलसी वित्तीय वर्ष के अंत तक यानी 31 मार्च तक वैध रहेंगे और अगले दिन यानी 1 अप्रैल को समाप्त हो जाएंगे।

उत्तर: मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार, ई-कुबेर पोर्टल पर पीएसएलसी मॉड्यूल के उपयोग के लिए कोई लेनदेन शुल्क लागू नहीं है। पीएसएलसी में ट्रेडिंग के कारण कर निहितार्थ बैंकों द्वारा लागू कर कानूनों के अनुसार निर्धारित किया जा सकता है।

उत्तर: मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार, ई-कुबेर पोर्टल पर पीएसएलसी मॉड्यूल के उपयोग के लिए कोई लेनदेन शुल्क लागू नहीं है। पीएसएलसी में ट्रेडिंग के कारण कर निहितार्थ बैंकों द्वारा लागू कर कानूनों के अनुसार निर्धारित किया जा सकता है।

ट. पीएसएलसी

उत्तर: 'निर्यात ऋण' पीएसएलसी - सामान्य के बदले अंतर्निहित आस्तियों का एक भाग बन सकता है। हालाँकि, 'निर्यात ऋण' के बदले पीएसएलसी-सामान्य जारी करने वाला कोई भी बैंक यह सुनिश्चित करेगा कि अंतर्निहित 'निर्यात ऋण' पोर्टफोलियो घरेलू बैंकों के लिए निर्धारित मानदंडों के अनुसार प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र वर्गीकरण के लिए भी पात्र है।

आवास ऋण

आवास परियोजना के पूरा होने के चरणों के आधार पर कभी-कभी ऋण किश्तों में वितरित किया जाता है। अंतिम संवितरण लंबित होने पर, आपको केवल संवितरित ऋण के हिस्से पर ही ब्याज का भुगतान करना पड़ सकता है। इस ब्याज को प्री-ईएमआई ब्याज कहा जाता है। प्री-ईएमआई ब्याज हर महीने प्रत्येक संवितरण की तारीख से ईएमआई शुरू होने की तारीख तक देय होता है।

हालांकि, कई बैंक एक विशेष सुविधा प्रदान करते हैं जिससे ग्राहक उस समय तक किस्तों का चयन कर सकते हैं जो वे निर्माणाधीन संपत्तियों के लिए भुगतान करना चाहते हैं जब तक कि संपत्ति कब्जे के लिए तैयार न हो जाए। ग्राहक द्वारा ब्याज से अधिक भुगतान किया गया कुछ भी मूलधन पुनर्भुगतान की ओर जाता है। ईएमआई भुगतान जल्दी शुरू करने से ग्राहक को लाभ होता है और इसलिए वह तेजी से ऋण चुकाता है। कृपया ऋण लेने से पहले अपने बैंकर से जांच लें कि यह सुविधा उपलब्ध है या नहीं।

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Definition of public deposits

An NRI can be an Indian national or a foreign national of Indian origin. If the depositor is an NRI holding a foreign passport, he is to be treated as foreign national despite the fact he is of Indian origin. It is for the depositor to disclose to the company that he is a foreign citizen and for the company to keep on its record an evidence that it had received deposit from a foreign citizen to claim the exemption from the Non-Banking Financial Companies (Reserve Bank) Directions, 1998 on Acceptance of Public Deposits.

विप्रेषण (धन अंतरण सेवा योजना (एमटीएसएस) तथा रुपया आहरण व्यवस्था (आरडीए))

धन अंतरण सेवा योजना(एमटीएसएस)

समुद्रपारीय प्रिन्सिपल एक रजिस्टर्ड एंटीटी होना चाहिए जिसे धन अंतरण का कार्य करने के लिए संबंधित देश के केंद्रीय बैंक/ सरकार अथवा वित्तीय विनियमन प्राधिकरण का लाइसेन्स प्राप्त है। समुद्रपारीय प्रिन्सिपल के रजिस्ट्रेशन का देश एएमएल मानदंडों को पूरा करने वाला होना चाहिए। समुद्रपारीय प्रिन्सिपल को भुगतान प्रणाली प्रारम्भ/ परिचालित करने के लिए भुगतान तथा निपटान प्रणाली अधिनियम (PSS एक्ट) 2007 के प्रावधानों के अंतर्गत भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक से आवश्यक ऑथोराइजेशन प्राप्त करना होगा।

फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न

एफएलए रिटर्न जमा करने के लिए पात्र संस्थाएं और आवश्यकताएं

उत्तर: यदि भारतीय इकाई के पास रिपोर्टिंग वर्ष के मार्च अंत तक आवक और जावक एफडीआई के संबंध में कोई बकाया निवेश नहीं है तो उन्हें एफएलए रिटर्न जमा करने की आवश्यकता नहीं है।

देशी जमा

I . देशी जमा

यदि किसी जमाराशि की विनिर्दिष्ट अवधि की समाप्ति की तारीख और परवर्ती कार्य दिवस को जमाराशि के भुगतान की तारीख के बीच कोई छुट्टी/रविवार/गैर-कारोबारी दिन आ जाए तो जमाराशि की मूल रूप से निश्चित ब्याज दर पर उक्त छुट्टी/रविवार/गैर-कारोबारी दिन की अवधि के लिए भी बैंक को ब्याज का भुगतान करना चाहिए ।

रिटेल डायरेक्ट योजना

खाता खोलने से संबंधित प्रश्न

आरडीजी खाता खोलने के लिए निम्न दस्तावेज़ आवश्यक है

  1. पैन

  2. मोबाइल नं.

  3. ई-मेल पता

  4. आपके हस्ताक्षर की स्कैन प्रति

  5. बैंक खाता विवरण (रद्द चेक अपलोड करके या मैन्युअल रूप से पोर्टल पर विवरण दर्ज करके)

  6. मोबाइल नंबर के साथ लिंक आधार नंबर

इसके अलावा, आपको अपने ग्राहक को जाने (केवाईसी) प्रक्रिया को पूरा करने के लिए एक पता प्रमाणपत्र प्रदान करना पड़ सकता है। निम्नलिखित दस्तावेजों को पता प्रमाणपत्र के रूप में स्वीकार किया जाता है - पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी, आधार, नरेगा जॉब कार्ड राज्य सरकार द्वारा विधिवत हस्ताक्षरित, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर द्वारा जारी पत्र जिसमें आपका नाम और पता हो।

दिनांक 31 जनवरी 2024 और 16 फरवरी 2024 की प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड पर लगाए गए कारोबारी प्रतिबंध

पेटीएम पेमेंट्स बैंक में बैंक खाते

आपके खाते में उपलब्ध शेषराशि तक ऑटो डेबिट अधिदेश जारी रहेंगे। हालाँकि, 15 मार्च 2024 के बाद आपके खातों में क्रेडिट या जमा की अनुमति नहीं होगी। इसलिए, असुविधा से बचने के लिए, यह सुझाव दिया जाता है कि आप 15 मार्च 2024 से पहले किसी अन्य बैंक के माध्यम से ईएमआई भुगतान शुरू करने की वैकल्पिक व्यवस्था कर लें।

भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका

सरकारी प्रतिभूति बाजार के प्रमुख सहभागी वाणिज्य बैंक और प्राथमिक व्यापारियों के साथ-साथ संस्थागत निवेशक यथा बीमा कंपनियाँ हैं । सरकारी प्रतिभूति बाजार में प्राथमिक व्यापारियों की भूमिका बाजार को संतुलित करने की है । अन्य सहभागियों में सहकारी बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, पारस्परिक निधियाँ, भविष्य और पेंशन निधियाँ शामिल हैं । विदेशी संस्थागत निवेशकों को समय-समय पर निर्धारित मात्रात्मक सीमाओं में सरकारी प्रतिभूति बाजार में भाग लेने की अनुमति है । कंपनियाँ भी अपने समग्र संविभाग जोखिम के प्रबंधन के लिए सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद/बिक्री करती हैं ।

बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण

डी. मान्यताप्राप्त उधारदाता/ निवेशक

उत्तर: भारतीय बैंक प्राथमिक बाज़ार में विदेशों में निर्गमित आरडीबी में अभिदान नहीं कर सकते लेकिन विवेकपूर्ण मानदंडों के अनुपालन की शर्त के अधीन अरैंजर/ हामीदार/ बाज़ार निर्माता/ व्यापारी हो सकते हैं।

लक्षित दीर्घकालिक रिपो परिचालन (टीएलटीआरओ)

उत्तर: टीएलटीआरओ योजना के तहत अधिग्रहीत निर्दिष्ट प्रतिभूतियों के संबंध में जारीकर्ताओं द्वारा पुनर्खरीद के कारण एचटीएम से बिक्री को आरबीआई मास्टर परिपत्र डीबीआर सं.बीपी.बीसी.6/21.04.141/2015-16, दिनांक 1 जुलाई, 2015 के पैरा 2 में निर्धारित प्रकटीकरण सीमा से छूट दी गई है।

एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी

B. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाएं

नहीं। आवास वित्त कंपनियां, मर्चेंट बैंकिंग कंपनियां, स्टॉक एक्सचेंजेस, स्टॉक ब्रोकिंग/सब ब्रोकिंग का कारोबार करने वाली कंपनियां, वेंचर कैपिटल कंपनियां, निधि कंपनियां, बीमा कंपनियां तथा चिट फंड कंपनियां एनबीएफसीज है परंतु कुछ शर्तों के अधीन इन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45-झ(क) के तहत पंजीकरण से छूट प्राप्त है।

आवास वित्त कंपनियां राष्ट्रीय आवास बैंक से विनियमित होती है, मर्चेंट बैंक/वेंचर कैपिटल फंड कंपनी/स्टॉक–एक्सचेंज़/स्टॉक ब्रोकर/सब-ब्रोकर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) से विनियमित होती है तथा बीमा कंपनियां भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आइआरडीए) द्वारा विनियमित होती है। इसी प्रकार, निधि कंपनियां, चिट फंड कंपनियां कार्पोरेट कार्य मंत्रालय, भारत सरकार से विनियमित होती है। ऐसी कंपनियां जो वित्तीय कारोबार करती है तथा अन्य विनियामकों से विनियमित होती है ऐसी कंपनियों अनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक से उसकी विनियामक आवश्यकताएं पर विशिष्ठ छूट प्राप्त है ताकि दोहरे विनियमन को टाला जा सके।

यह भी उल्लेख किया जाता है कि बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनियों को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45झ(च)(iii) के तहत गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के रूप में अधिसूचित किया गया है। रू 100 से कम परिसंपत्ति आकार वाली कोर निवेश कंपनी तथा रू 100 करोड़ तथा उससे अधिक परिसंपत्ति आकार वाली कंपनियां परंतु जो सार्वजनिक निधि नही लेती है, उन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक से पंजीकरण से छूट प्राप्त है।

भारत में विदेशी निवेश

उत्तर: एक बार एफ़डीआई बन जाने पर वह सदा के लिए एफ़डीआई बनी रहेगी।

भारतीय मुद्रा

ख) बैंकनोट

भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम 1934 की धारा 26 के अनुसार, बैंकनोट के मूल्य का भुगतान करने हेतु बैंक उत्तरदायी है । जारीकर्ता होने के कारण, मांग किए जाने पर यह भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा देय है ।

बैंकनोट पर मुद्रित वचन खंड, अर्थात “मैं धारक को ... रुपये अदा करने का वचन देता हूँ”, बैंक की ओर से बैंकनोट धारक के प्रति देयता को दर्शाता है ।

कोर निवेश कंपनियां

कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)

उत्तर: इनमें स्थावर संपदा या अन्य अचल संपत्तियां शामिल होंगी जो किसी कंपनी के प्रभावी कामकाज के लिए आवश्यक हैं, लेकिन इसमें गैर-समूह कंपनियों में अन्य वित्तीय निवेश/ऋण शामिल नहीं होने चाहिए।

भारतीय उद्योग में विदेशी सहयोग (एफसीएस) पर द्विवार्षिक सर्वेक्षण

सर्वेक्षण लॉन्च का विवरण

उत्तर: जिन कंपनियों के पास विदेशी तकनीकी सहयोग (FTC) समझौतों के साथ-साथ आंतरिक FDI है, वे इस सर्वेक्षण में भाग ले सकती हैं।

समन्वित संविभागीय निवेश सर्वेक्षण - भारत

सीपीआईएस में भाग लेते समय याद रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें

उत्तर: रिपोर्टिंग संस्थाओं को सर्वेक्षण प्रश्नावली भरने और जमा करने के लिए नीचे दिए गए बिंदुओं का पालन करना चाहिए:

i. कंपनी को नवीनतम सर्वेक्षण प्रश्नावली का उपयोग करना चाहिए, जो किसी भी मैक्रो को शामिल किए बिना .xls प्रारूप में है।

ii. कंपनी को नीचे दिए गए चरणों का पालन करके Excel 97-2003 वर्कबुक अर्थात, .xls प्रारूप में में सर्वेक्षण प्रश्नावली को सेव करना चाहिए:

  1. Office Button / File पर जाए → Save As → Save As type

  2. Excel 97-2003 Workbook” चुने और Save the survey schedule in .xls प्रारूप में सर्वेक्षण प्रश्नावली को सेव करें।

iii. कंपनी से अनुरोध है कि सर्वेक्षण प्रश्नावली प्रस्तुत करते समय किसी Macro को शामिल न करें।

iv. किसी अन्य प्रारूप (.xls प्रारूप के अलावा) में प्रस्तुत सर्वेक्षण कार्यक्रम को सिस्टम द्वारा अस्वीकार कर दिया जाएगा।

v. सुनिश्चित करें कि सर्वेक्षण प्रश्नावली में दी गई सभी सूचनाएं पूर्ण हैं और कोई सूचना छूटी नहीं है।

vi. आवश्यक विवरण भरने के बाद, उत्तरदाता संस्थाओं को सर्वेक्षण प्रश्नावली में मौजूद घोषणा को भरना होता है, जो यह सत्यापित करने में मदद करता है कि भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत करने से पहले इकाई द्वारा दर्ज की गई जानकारी की पुन: पुष्टि की जाती है। यह डेटा प्रविष्टि त्रुटियों, छूटे हुए डेटा और अन्य त्रुटियों से बचने में मदद करता है।

भारतीय मुद्रा

ख) बैंकनोट

वर्तमान में भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 और सिक्का अधिनियम, 2011 के अंतर्गत क्रमश: बैंक नोटों और सिक्कों को जारी किया जाता है। इन अधिनियमों के प्रावधान रुपये/सिक्के के किसी मानक मूल्य का उल्लेख नहीं करते हैं। कागजी मुद्रा और सिक्कों से संबंधित पूर्ववर्ती वैधानिक प्रावधानों को निरस्त कर दिया गया है।

इसके अलावा, भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 26 के अनुसार, प्रत्येक बैंक नोट भारत में किसी भी स्थान पर उसमें व्यक्त राशि के भुगतान या  उक्त राशि के लिए कानूनी निविदा होगा और केंद्र सरकार द्वारा इसकी गारंटी दी जाएगी।

इसके अतिरिक्त , किसी बैंक नोट के मूल्य की वापसी भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) नियम, 2009 [भारतीय रिजर्व बैंक (नोट वापसी) संशोधन नियम, 2018 द्वारा संशोधित] के अनुसार निर्धारित और वापस की जाएगी, जिसे भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी किए गए “नोटों तथा सिक्कों को बदलने की सुविधा” पर मास्टर निर्देश के संदर्भ के साथ देखा जाए।

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार संबंधी दिशानिर्देशों के मास्टर निदेशों पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

ट. पीएसएलसी

उत्तर: 20 से कम शाखाओं वाले विदेशी बैंकों को निर्यात के अलावा अन्य क्षेत्रों को उधार देने के अपने 8% लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पीएसएलसी सामान्य को खरीदने की अनुमति नहीं है। हालांकि, ऐसे बैंकों को उक्त हेतु पीएसएलसी कृषि, पीएसएलसी सूक्ष्म उद्यम और पीएसएलसी लघु और सीमांत किसान को खरीदने की अनुमति है।ी

आवास ऋण

आवास ऋण के लिए प्रतिभूति आमतौर पर संपत्ति का पहला बंधक होता है, आमतौर पर स्वत्व विलेख जमा करने के माध्यम से। बैंक कभी-कभी आवश्यकता पड़ने पर अन्य संपार्श्विक प्रतिभूति भी मांगते हैं। कुछ बैंक मार्जिन/डाउन पेमेंट (आस्ति निर्माण में कर्जदारों का योगदान) को बनाए रखने/बनाने पर भी जोर देते हैं

आपके बैंक को सौंपी गई संपार्श्विक सुरक्षा जीवन बीमा पॉलिसियां हो सकती हैं, जिसका सरेंडर मूल्य ऋण राशि के एक निश्चित प्रतिशत पर निर्धारित होता है, सॉल्वेंट गारंटरों से गारंटी, शेयरों/प्रतिभूतियों की गिरवी और केवीपी/एनएससी आदि जैसे निवेश जो आपके बैंकर के लिए स्वीकार्य हैं। बैंकों को आपसे यह सुनिश्चित करने की भी आवश्यकता होगी कि संपत्ति का शीर्षक किसी भी प्रकार के भार से मुक्त हो। (यानी, कोई मौजूदा बंधक, ऋण या मुकदमेबाजी नहीं होनी चाहिए, जिससे संपत्ति के शीर्षक पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना हो)।

लक्षित दीर्घकालिक रिपो परिचालन (टीएलटीआरओ)

टीएलटीआरओ 2.0 से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

उत्तर: बैंकों से प्राप्त प्रतिपुष्टी के आधार पर और कोविड-19 के कारण उत्पन्न हुए व्यवधानों को ध्यान में रखते हुए, टीएलटीआरओ 2.0 योजना के तहत धनराशि के अभिनियोजन के लिए उपलब्ध समय को परिचालन की तिथि से 30 कार्य दिवसों से बढ़ाकर 45 कार्य दिवस करने का निर्णय लिया गया है। यदि इस विस्तारित समय सीमा के भीतर निधियों का अभिनियोजन नहीं किया गया तो तो गैर-अभिनियोजित धन पर ब्याज दर प्रचलित नीति रेपो दर तक बढ़ जाएगी साथ ही 200 बीपीएस दिनों की संख्या के लिए इस तरह के फंड गैर-अभिनियोजित रहते हैं। इस वृद्धिशील ब्याज का भुगतान परिपक्वता के समय नियमित ब्याज के साथ करना होगा।

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Definition of public deposits

Subject to the Exchange Control Regulations, the NBFCs can receive external commercial borrowings from foreign Overseas Corporate Bodies, individuals, FIIs, and other trusts or persons. The moneys received from all these sources are excluded from the definition of public deposit as per the provisions of NBFC Directions. However, Indian companies are required to obtain prior approval of the Exchange Control Department for acceptance of deposits from non-residents.

देशी जमा

I . देशी जमा

नहीं। बैंक के कर्मचारियों /सेवानिवृत्त कर्मचारियों को देय अतिरिक्त ब्याज के लिए उनके बच्चे (अवयस्क बच्चों सहित) पात्र नहीं हैं।

रिटेल डायरेक्ट योजना

खाता खोलने से संबंधित प्रश्न

जी हां, आप रिटेल डायरेक्ट पोर्टल पर अपना पंजीकृत मोबाइल नंबर और ई-मेल आईडी बदल सकते हैं।

विप्रेषण (धन अंतरण सेवा योजना (एमटीएसएस) तथा रुपया आहरण व्यवस्था (आरडीए))

धन अंतरण सेवा योजना(एमटीएसएस)

आवेदक को एजेंट बनने के लिए एक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी –I बैंक अथवा प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी –II अथवा संपूर्ण मुद्रा परिवर्तक (FFMC) अथवा एक अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक अथवा डाक विभाग होना चाहिए। साथ ही भारतीय एजेंट उप-एजेंट भी नियुक्त कर सकते हैं जो कि खुदरा दुकान अथवा कारोबार का स्थान रखने वाली वाणिज्यिक एंटीटी हो सकती है तथा उसकी सदाशयता (bonafides) भारतीय एजेंट को स्वीकार्य होनि चाहिए।

फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न

एफएलए रिटर्न जमा करने के लिए पात्र संस्थाएं और आवश्यकताएं

उत्तर: यदि किसी इकाई को केवल शेयर आवेदन की राशि प्राप्त हुई है और नवीनतम वित्तीय वर्ष के मार्च अंत तक कोई विदेशी प्रत्यक्ष निवेश या ओवरसीज़ प्रत्यक्ष निवेश बकाया नहीं है तो उसे एफएलए रिटर्न भरने की आवश्यकता नहीं है।

दिनांक 31 जनवरी 2024 और 16 फरवरी 2024 की प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड पर लगाए गए कारोबारी प्रतिबंध

पेटीएम पेमेंट्स बैंक में बैंक खाते

हां, पेटीएम पेमेंट्स बैंक के अलावा किसी भी बैंक में पंजीकृत ईएमआई जारी रह सकती है।

बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण

डी. मान्यताप्राप्त उधारदाता/ निवेशक

उत्तर: नहीं। प्राधिकृत व्यापारी (एडी) बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं/ विदेश स्थित अनुषंगी कंपनियों अथवा कोई अन्य अनुमत कंपनियों को छोड़कर भारत के निवासी व्यक्तियों का इस ढांचे के अंतर्गत पात्र एंटिटियों के उधारों में प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष एक्सपोजर नहीं है। साथ ही दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने वाले उधार ढांचे/ साधन स्थापित करने से वे फेमा के अंतर्गत निर्धारित दंडात्मक कार्रवाई के लिए पात्र होंगे।

भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका

प्रतिभूतियों का लेन-देन करते समय शहरी सहकारी बैंकों को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए । शहरी सहकारी बैंकों द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों में लेन-देन पर दिशनिर्देशों को 1 जुलाई 2009 के मास्टर परिपत्र यूबीडी.बीपीडी(पीसीबी).एमसी.सं.12/16.20.000/2009-10 में कूटबद्ध किया गया है जिसे समय-समय पर अद्यतन किया जाता है । यह परिपत्र भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट में "अधिसूचनाएँ" के अंतर्गत मास्टर परिपत्र खण्ड में  में देखा जा सकता है । शहरी सहकारी बैंकों द्वारा ध्यान में रखे जाने वाले दिशानिर्देशों में उनके निदेशक मंडल द्वारा विधिवत अनुमोदित एक निवेश नीति तैयार करने से संबंधित है जिसमें नीति के उद्देश्य, प्राधिकरण और सौदों के लिए प्रक्रिया, ब्रोकरों के माध्यम से लेन-देन, ब्रोकरों का पैनल तैयार करना तथा वार्षिक आधार पर उसकी समीक्षा तथा प्रत्येक ब्रोकर के माध्यम से लेन-देन के लिए विवेकपूर्ण सीमा निर्धारण इत्यादि को परिभाषित किया गया हो ।

करने योग्य अथवा न करने योग्य महत्वूपर्ण बातें नीचे बॉक्स 1 में प्रस्तुत हैं ।

बॉक्स 1

सरकारी प्रतिभूतियों में कारोबार के लिए करने योग्य तथा न करने योग्य बातें करने योग्य बातें

  • कारोबारी और बैक अप कार्यों को अलग-अलग करना । क्रय-विक्रय और लेन-देन के बारे में निर्णय करने वाले अधिकारी समायोजन तथा लेखांकन के लिए उत्तरदायी अधिकारियों से अलग होने चाहिए ।

  • सभी लेन-देनों की निगरानी यह देखने के लिए करना कि सुपुर्दगी उसी दिन हो जाए । निधि खाते और निवेश खाते का समायोजन उसी दिन कार्य समाप्ति से पहले होना चाहिए ।

  • प्राप्त/जारी एसजीएल फार्मों का रिकार्ड रखना ताकि उनकी आंतरिक नियंत्रण प्रणाली/भारतीय रिजर्व बैंक निरीक्षकों/अन्य लेखा परीक्षकों को जांच करने में सुविधा हो ।

  • एक अनुसूचित वाणिज्य बैंक (एससीबी), प्राथमिक व्यापारी (पीडी) अथवा एक वित्तीय संस्था (एफआइ) को लेन-देनों के लिए प्रतिपक्ष रखें ।

  • प्रतिपक्षों के साथ प्रत्यक्ष सौदों को वरीयता दें ।

  • प्रतिभूतियाँ रखने के लिए सीएसजीएल/गिल्ट खातों का उपयोग करें तथा ऐसे खाते उसी बैंक में रखें जहाँ नकदी खाता अनुरक्षित किया हो ।

  • सभी लेन-देनों के लिए सुपुर्दगी बनाम लेन-देन पर जोर दें ।

  • भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा आयोजित प्राथमिक नीलामी में भारत सरकार की प्रतिभूतियों के अभिग्रहण के लिए गैर स्पर्धी बोली सुविधा का लाभ लें ।

  • यदि सौदा ब्रोकर के माध्यम से किया जा रहा है तो तो उसकी भूमिका दोनों पक्षों को सौदा करने के लिए लाने तक ही सीमित रखें ।

  • अनुमोदित ब्रोकरों की सूची रखें । माध्यस्थों के रूप में काम करने के लिए एनएसई अथवा बीएसई अथवा ओटीसीईआइ के पास पंजीकृत ब्रोकरों का ही उपयोग करें ।

  • प्रत्येक अनुमोदित ब्रोकर के लिए समग्र उच्चतर संविदा सीमा के रूप में वर्ष के दौरान किए जाने वाले कुल लेन-देनों की 5% सीमा रखें । कारोबार के ऐसे भाग को केवल एक या कुछ ब्रोकरों के माध्यम से नहीं करना चाहिए जो अनुपात के अनुरूप न हो ।

  • सीएसजीएल खाता धारक के पास अनुरक्षित एसजीएल खाते या गिल्ट खाते में डीमैट रूप में ही सरकारी प्रतिभूतियों को रखा जाए और लेन-देन किया जाए ।

  • केवल एक गिल्ट अथवा डीमैट खाता खोलें ।

  • जिस अनुसूचित वाणिज्य बैंक अथवा राज्य सहकारी बैंक के पास गिल्ट खाता अनुरक्षित है, उसी बैंक में प्रतिभूतियों के लेन-देन के लिए निधि खाता खोला  जाए ।

  • लेन-देन करने से पहले बिक्री के लिए गिल्ट खाते में पर्याप्त प्रतिभूतियाँ तथा क्रय के लिए नामित निधि खाते में पर्याप्त निधि उपलब्धता सुनिश्चित करें ।

  • अनुमतिप्राप्त गैर एसएलआर प्रतिभूतियों में निवेश के लिए विवेकपूर्ण सीमा का पालन करें (राष्ट्रीयकृत बैंकों के बॉण्ड, सूचीबद्ध न की गई प्रतिभूतियाँ, अखिल भारतीय वित्तीय संस्थानों के सूचीबद्ध न किए गए शेयर तथा निजी रूप से जारी की गई ऋण प्रतिभूतियाँ) ।

  • निदेशक मंडल को कम से कम माह में एक बार सभी निवेश लेन-देनों को ध्यान से पढ़ना चाहिए ।

न करने योग्य बातें

  • किसी भी ब्रोकिंग फर्म अथवा अन्य मध्यस्थों से सीधे आधार पर कोई क्रय/विक्रय लेन-देन न करें ।

  • समायोजन प्रक्रिया में ब्रोकरों का प्रयोग न करें अर्थात निधि का समायोजन और प्रतिभूतियों की सुपुर्दगी केवल प्रति-पक्ष से सीधे ही करनी चाहिए ।

  • मुद्रा और प्रतिभूति बाजारों में अपनी ओर से लेन-देन करने के लिए किसी भी स्थिति में ब्रोकरों/मध्यस्थों को मुख्तारनामा अथवा अन्य कोई प्राधिकार न दें ।

  • किसी भी ब्रोकर के साथ भौतिक रूप से सरकारी प्रतिभूतियों का लेन-देन न करें ।

  • सहकारी क्षेत्र के अतिरिक्त अन्य किसी कंपनी अथवा निकाय द्वारा जारी गैर एसएलआर प्रतिभूतियों में (अर्थात कार्पोरेट बॉण्डों इत्यादि) लगातार निवेश न करें ।

भारत में विदेशी निवेश

उत्तर: जब तक कि संस्था में विदेशी शेयर धारिता उतनी ही रहती है और उक्त क्षेत्र को अनुमोदन मार्ग के अंतर्गत लाए जाने के बाद कोई कॉर्पोरेट कार्रवाई नहीं की गई है तब तक अनुमोदन आवश्यक नहीं है।

भारतीय मुद्रा

ख) बैंकनोट

भारत में वर्तमान में ₹10, ₹20, ₹50, ₹100, ₹200, ₹500, तथा ₹2000* मूल्यवर्ग के बैंकनोट जारी किए जाते हैं । इन नोटों को बैंकनोट कहा जाता है, क्योंकि ये भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किए जाते हैं। ₹2 तथा ₹5 मूल्यवर्ग के नोटों का मुद्रण बंद कर दिया गया है तथा इन मूल्यवर्गों के सिक्‍के बनाए जा रहे हैं क्योंकि इन बैंक नोटों का मुद्रण तथा सेवा पर किया जाने वाला खर्च  इनके जीवनकाल के आनुषंगिक नहीं था । यद्यपि, पूर्व में जारी किए गए इस तरह के बैंकनोट अभी भी संचलन में पाए जाते हैं तथा ये बैंकनोट वैध मुद्रा बने हुए हैं । ₹1 के नोट समय-समय पर भारत सरकार द्वारा जारी किए जाते हैं तथा पूर्व में जारी किए गए नोटों सहित इस प्रकार के नोट लेन-देन के लिए वैध मुद्रा बने हुए हैं ।

*₹2000 मूल्यवर्ग के बैंकनोट अभी भी वैध मुद्रा हैं। अधिक जानकारी के लिए 01 सितंबर 2023 के प्रेस विज्ञप्ति का संदर्भ लें (https://rbi.org.in/hi/web/rbi/-/press-releases/withdrawal-of-%E2%82%B92000-denomination-banknotes-status-56301).

एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी

B. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाएं

एनबीएफसी को इस तरह वर्गीकृत किया गया हैं - ए) जमाराशियाँ स्वीकार करने वाली और जमाराशियाँ स्वीकार न करने वाली बी) जमाराशियाँ स्वीकार न करने वाली एनबीएफसी उनके आकार से, प्रणालीबद्ध रूप से महत्वपूर्ण और जमाराशियाँ स्वीकार न करने वाली अन्य एनबीएफसी (एनबीएफसी-एनडीएसआई और एनबीएफसी-एनडी) और सी) वे जिस प्रकार की गतिविधि करती हैं। इस व्यापक वर्गीकरण के भीतर गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के विभिन्न प्रकार निम्नानुसार हैं:

I. आस्ति वित्त कंपनी (एएफसी): एएफसी एक ऐसी कंपनी है, जो एक वित्तीय संस्था है, जो अपने प्रमुख व्यवसाय के रूप में, मोटर वाहन, ट्रैक्टर, खराद मशीन, जनरेटर सेट, भू-स्थान-परिवर्तन और सामग्री हैंडलिंग उपकरण, स्वयम-शक्ति पर चलती बिजली और सामान्य प्रयोजन की औद्योगिक मशीनों, जो कि उत्पादक/आर्थिक गतिविधियों को सहायता देते हैं, का वित्तपोषण करती है। इस उद्देश्य के लिए प्रमुख व्यवसाय को, वास्तविक/भौतिक, आर्थिक गतिविधि-समर्थक, परिसंपत्तियों के वित्तपोषण का राशिकृत कारोबार और उससे उत्पन्न होने वाली आय क्रमशः इसकी कुल संपत्ति और कुल आय के 60% से कम नहीं है, में परिभाषित किया गया है।

II. निवेश कंपनी (आईसी): निवेश कंपनी एक ऐसी कंपनी है, जो एक वित्तीय संस्था है, जो अपने प्रमुख व्यवसाय के रूप में, प्रतिभूतियों के अधिग्रहण करती है।

III. ऋण कंपनी: ऋण कंपनी एक ऐसी वित्तीय संस्था है, जो अपने प्रमुख व्यवसाय के रूप में, अपने खुद को छोड़कर अन्य गतिविधियों के लिए ऋण या अग्रिम वित्त उपलब्ध करती है, लेकिन इसमे आस्ति वित्त कंपनी शामिल नहीं।

IV. इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी (आईएफसी): आईएफसी एक ऐसी गैर-बैंकिंग वित्त कंपनी है जो क) बुनियादी सुविधाओं के ऋण में अपनी कुल संपत्ति का कम से कम 75 प्रतिशत रखती है। ख) इसके पास न्यूनतम निवल स्वाधिकृत 300 करोड़ रुपये का निधि होता है। ग) इसकी न्यूनतम क्रेडिट रेटिंग 'ए' या समकक्ष होती है। घ) और सीआरएआर 15% होता है।

V. प्रणालीगत महत्वपूर्ण कोर निवेश कंपनी (सीआईसी-एनडी-एसआई): सीआईसी-एनडी-एसआई ऐसी एनबीएफसी है, जो शेयरों और प्रतिभूतियों के अधिग्रहण का व्यवसाय, निम्न शर्तों को पूरा करके करती हैं:-

(ए) यह इक्विटी शेयर, अधिमान शेयर, ऋण या समूह की कंपनियों में ऋण में निवेश के रूप में अपनी कुल परिसंपत्तियों का कम से कम 90% रखती है;

(बी) समूह कंपनियों में इक्विटी शेयर में निवेश (ऐसी लिखतों सहित, जो निर्गम की तिथि से 10 वर्ष से अनधिक अवधि के भीतर अनिवार्यतः परिवर्तनीय इक्विटी शेयरों में परिवर्तित) अपनी कुल परिसंपत्तियों का कम से कम 60% गठन करती हैं;

\

(सी) यह विलयन या विनिवेश के प्रयोजन के लिए ब्लॉक बिक्री माध्यम को छोड़कर, समूह कंपनियों में शेयर, ऋण या कर्ज के रूप में अपने निवेश में व्यापार नहीं करती है;

(डी) यह, बैंक जमाराशि में निवेश, मुद्रा बाजार लिखत, सरकारी प्रतिभूतियाँ, समूह कंपनियों की ओर से जारी गारंटियाँ या समूह कंपनियों के कर्ज निर्गमों के लिए ऋण और निवेश को छोड़कर भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा 45-झ(क) और 45झ(च)में उल्लेखित किसी भी अन्य वित्तीय गतिविधि में क्रियाशील नहीं है।

(ई) इसकी परिसंपत्ति 100 करोड रुपये या ऊपर है और

(एफ) यह सार्वजनिक निधि को स्वीकार करती है।

VI. इन्फ्रास्ट्रक्चर डेट फंड: गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (आईडीएफ-एनबीएफसी): आईडीएफ-एनबीएफसी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के रूप में पंजीकृत कंपनी है, जो बुनियादी परियोजनाओं के लिए लंबी अवधि का ऋण सुकर करती है। आईडीएफ-एनबीएफसी न्यूनतम 5 साल की परिपक्वता अवधि के रुपया या डॉलर के अंकित बांडस के निर्गम के माध्यम से संसाधन जुटाती है। केवल इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी (आईएफसी) आईडीएफ-एनबीएफसी को प्रायोजित कर सकती है।

VII. गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी - सूक्ष्म वित्त संस्था (एनबीएफसी-एमएफआई): एनबीएफसी-एमएफआई जमाराशि न लेने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी है, जिसकी अपनी परिसंपत्ति के कम से कम 85% परिसंपत्ति, विशेषक परिसंपत्ति के रूप में होती है और जो निम्नलिखित मानदंडों को पूरा करती है:

ए. एनबीएफसी-एमएफआई द्वारा ग्रामीण उधारकर्ता को वितरित ऋण जिसकी वार्षिक आय 1,00,000 रुपये से अनधिक हो या शहरी या अर्ध-शहरी उधारकर्ता को वितरित ऋण जिसकी आय रुपये 1,60,000 से अनधिक हो।

बी. पहले चक्र में ऋण की राशि रुपये 50,000 से अनधिक हो और बाद के चक्र में 1,00,000 रुपये से अनधिक हो;

सी. उधारकर्ता को वितरित कुल ऋण 1,00,000 रुपये से अधिक न हो;

डी. रुपये 15,000 से अधिक की ऋण की राशि के लिए पूर्व भुगतान बिना दंड के साथ ऋण की अवधि 24 महीने से कम नहीं होनी चाहिये;

इ. संपार्श्विक के बिना ऋण दिया जा रहा हो;

एफ. आय सृजन के लिए दिए गए ऋणों की कुल राशि, एमएफआई द्वारा दिए गए कुल ऋण के 50 प्रतिशत से कम नहीं हो;

जी. उधारकर्ता के विकल्प पर, ऋण, साप्ताहिक पाक्षिक या मासिक किश्तों पर प्रतिदेय हो;

VIII. गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी-कारक/फैक्टर्स (एनबीएफसी-फैक्टर्स): एनबीएफसी-फैक्टर जमाराशि न लेने वाली एनबीएफसी है, जो फैक्टरिंग के प्रमुख कारोबार में लगी है। फैक्टरिंग कारोबार में वित्तीय परिसंपत्तियां, अपनी कुल परिसंपत्तियों के कम से कम 50 प्रतिशत होनी चाहिए और उसकी आय, फैक्टरिंग कारोबार से मिली आय सकल आय के 50 प्रतिशत से कम नहीं होनी चाहिए।

IX. बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी (एमजीसी) - एमजीसी ऐसी वित्तीय संस्था है, जिसके कारोबार का कम से कम 90% बंधक (मार्गेज) गारंटी कारोबार से है या सकल आय के कम से कम 90% बंधक (मार्गेज) गारंटी कारोबार से है और निवल स्वाधिकृत निधि 100 करोड़ रुपये है।

X. एनबीएफसी - नॉन-ऑपरेटिव फाइनेंशियल होल्डिंग कंपनी (NOFHC) एक ऐसी वित्तीय संस्था है, जिसके माध्यम से प्रमोटर/प्रमोटर समूह को एक नया बैंक स्थापित करने की अनुमति दी जाएगी। यह एक पूर्ण स्वामित्व वाली नॉन -ऑपरेटिव फाइनेंशियल होल्डिंग कंपनी (NOFHC) है, जो नियामक निर्धारण के तहत बैंक के साथ-साथ भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विनियमित की जाने वाली या अन्य वित्तीय क्षेत्र के नियामकों से नियमित अन्य सभी वित्तीय सेवा कंपनियों को अपने अधीन रखेगी।

कोर निवेश कंपनियां

कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)

उत्तर: हालांकि ऐसे खातों को इस तथ्य के मद्देनजर ध्यान में रखा जा सकता है कि तुलन पत्र की तारीख के बाद के घटनाक्रम को भी ध्यान में रखा जाता है, सीआईसी-एनडी-एसआई सहित सभी एनबीएफसी को अनिवार्य रूप से वर्ष के 31 मार्च को अपने खातों को अंतिम रूप देना होगा, और इस आंकड़े के आधार पर वार्षिक लेखापरीक्षा प्रमाणपत्र जमा करना होगा।

भारतीय उद्योग में विदेशी सहयोग (एफसीएस) पर द्विवार्षिक सर्वेक्षण

सर्वेक्षण लॉन्च का विवरण

उत्तर: यदि कंपनी के पास सर्वेक्षण संदर्भ अवधि के दौरान कोई FTC नहीं है, तो उन्हें फॉर्म के भाग I और II को भरकर FCS सर्वेक्षण का सर्वेक्षण कार्यक्रम प्रस्तुत करना होगा।

समन्वित संविभागीय निवेश सर्वेक्षण - भारत

सीपीआईएस के तहत क्या रिपोर्ट करें?

उत्तर: भारत में सभी शाखाओं/कार्यालयों को शामिल करते हुए, इकाई स्तर पर एक समेकित डेटा प्रस्तुत किया जाना चाहिए।

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार संबंधी दिशानिर्देशों के मास्टर निदेशों पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

ट. पीएसएलसी

उत्तर: बैंक अपनी आवश्यकतानुसार पीएसएलसी खरीद सकता है। इसके अतिरिक्त, किसी बैंक को पिछले वर्ष की पीएसएल उपलब्धि के 50 प्रतिशत तक, ऋण पुस्तिकाओं में अंतर्निहित किए बिना, पीएसएलसी जारी करने की अनुमति है। यह श्रेणीवार लागू है। तिमाही और वार्षिक प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र रिटर्न की रिपोर्टिंग करते समय पीएसएलसी की शुद्ध/निवल स्थिति (पीएसएलसी खरीद – पीएसएलसी बिक्री) पर विचार किया जाना चाहिए। तथापि, अंतर्निहित परिसंपत्तियों का पता लगाने के संबंध में, 31 मार्च तक बैंक को बकाया प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र पोर्टफोलियो तथा जारी और खरीदे गए पीएसएलसी के योग के माध्यम से प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र लक्ष्य को पूरा करना होगा।

श्रेणी पहलू

केटेगरी

कस्टम पहलू

ddm__keyword__19506552__FaqDetailPage1Title_en_US

आरबीआई-इंस्टॉल-आरबीआई-सामग्री-वैश्विक

आरबीआई मोबाइल एप्लीकेशन इंस्टॉल करें और लेटेस्ट न्यूज़ का तुरंत एक्सेस पाएं!

Scan Your QR code to Install our app

RbiWasItHelpfulUtility

पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 10, 2022

क्या यह पेज उपयोगी था?