अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न - आरबीआई - Reserve Bank of India
फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न
कुछ उपयोगी परिभाषाएँ
उत्तर: प्रत्यक्ष निवेश के अन्य पूंजी घटक (प्राप्तियां और देय, इक्विटी और सहभागी वरीयता शेयरों के निवेश को छोड़कर) प्रत्यक्ष निवेशकों और डीआईई के बीच और दो डीआईई के बीच जो समान प्रत्यक्ष निवेशक साझा करते हैं, में उधार लेने और उधार देने, ऋण प्रतिभूतियों में निवेश, व्यापार क्रेडिट, वित्तीय पट्टे, शेयर आवेदन शुल्क आदि के कारण उत्पन्न होने वाली बकाया देनदारियों या दावों को शामिल किया गया है । प्रत्यक्ष निवेशक के स्वामित्व वाले गैर-भाग लेने वाले वरीयता शेयरों को ऋण प्रतिभूतियों के रूप में माना जाता है और उन्हें 'अन्य पूंजी' में शामिल किया जाना चाहिए।
देशी जमा
II. अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) की जमाराशियाँ
रिटेल डायरेक्ट योजना
नामांकन से संबंधित प्रश्न
दिनांक 31 जनवरी 2024 और 16 फरवरी 2024 की प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड पर लगाए गए कारोबारी प्रतिबंध
आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (एईपीएस)
हाँ। आप अपने खाते में उपलब्ध शेष राशि तक, एईपीएस प्रमाणीकरण का उपयोग करके आहरण जारी रख सकते हैं।
भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण
जी. अंतिम उपयोग
उत्तर: नहीं। प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष (सुनाम की खरीद के माध्यम से) रूप में इक्विटि निवेश अनुमत नहीं है।
एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी
B. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाएं
भारत में विदेशी निवेश
उत्तर: निम्नलिखित व्यक्ति स्टॉक एक्स्चेंज पर पूंजीगत लिखत अर्जित कर सकते हैं:
ए. सेबी में पंजीकृत एफ़पीआई।
बी. अनिवासी भारतीय
सी. उपर्युक्त (ए) तथा (बी) को छोड़कर , भारत के बाहर का निवासी व्यक्ति स्टॉक एक्स्चेंज पर पूंजीगत लिखत इस शर्त के अधीन अर्जित कर सकता है कि उक्त निवेशक ने पहले ही सेबी (शेयरों का पर्याप्त अर्जन और अधिग्रहण) विनियमावली, 2011 के अनुसार ऐसी कंपनी का नियंत्रण हासिल कर लिया है और ऐसे नियंत्रण को बनाए रखा है; ऐसा करना भारत में विदेशी निवेश पर मास्टर निदेश के अनुबंध I में विनिर्दिष्ट शर्तों के अधीन भी होगा।
भारतीय मुद्रा
ग. विभिन्न प्रकार के बैंकनोट तथा बैंकनोटों की सुरक्षा विशेषताएँ
आम तौर पर कुछ समय के लिए नई तथा पुरानी –दोनों रूपरेखा (डिजाइन) वाले नोटों का एक साथ संचलन किया जाता है । पुरानी रूपरेखा वाले नोटों के पुन:जारी करने के योग्य नहीं रह जाने पर उन्हें धीरे-धीरे संचलन से बाहर कर दिया जाता है ।
कोर निवेश कंपनियां
कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)
उत्तर: बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध सीआईसी-एनडी-एसआई के लिए आवेदन पत्र डाउनलोड किया जा सकता है और भरा जा सकता है और डीएनबीएस के क्षेत्रीय कार्यालय में जमा किया जा सकता है, जिसके अधिकार क्षेत्र में कंपनी आवेदन पत्र में उल्लिखित आवश्यक सहायक दस्तावेजों के साथ पंजीकृत है।
समन्वित संविभागीय निवेश सर्वेक्षण - भारत
सीपीआईएस से संबंधित पूछताछ के लिए संपर्क विवरण
उत्तरः सीपीआईएस पर प्रश्न/स्पष्टीकरण आरबीआई से निम्नलिखित पते पर मांगे जा सकते हैं:
अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति प्रभाग (आईआईपीडी)
सांख्यिकी और सूचना प्रबंधन विभाग (डीएसआईएम)
भारतीय रिज़र्व बैंक
सी-9/5वीं मंजिल, बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स, बांद्रा पूर्व
मुंबई, महाराष्ट्र - 400 051
ईमेल: cpis@rbi.org.in
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Classification of NBFCs into sub-groups
देशी जमा
II. अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) की जमाराशियाँ
फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न
कुछ उपयोगी परिभाषाएँ
उत्तर: एक उद्यम को आर्थिक हित का केंद्र और किसी देश (आर्थिक क्षेत्र) की निवासी इकाई कहा जाता है, जब उद्यम उस केंद्र में माल और/या सेवाओं के उत्पादन की एक महत्वपूर्ण मात्रा में लगा होता है या जब वह उस केंद्र में स्थित भूमि या भवनों का स्वामी हो। उद्यम को देश में कम से कम एक उत्पादन प्रतिष्ठान बनाए रखना चाहिए और स्थापना को अनिश्चित काल तक या लंबी अवधि में संचालित करने की योजना बनानी चाहिए।
रिटेल डायरेक्ट योजना
नामांकन से संबंधित प्रश्न
दिनांक 31 जनवरी 2024 और 16 फरवरी 2024 की प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड पर लगाए गए कारोबारी प्रतिबंध
यूपीआई/आईएमपीएस के माध्यम से धनराशि ट्रान्सफर
बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण
जी. अंतिम उपयोग
उत्तर: नहीं, इसके लिए अनुमति नहीं है।
भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी
B. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाएं
भारत में विदेशी निवेश
उत्तर: भारतीय कंपनी द्वारा प्रतिफल की प्राप्ति की तारीख से साठ दिन के भीतर पूंजीगत लिखत का निर्गम किया जाना चाहिए।
भारतीय मुद्रा
ग. विभिन्न प्रकार के बैंकनोट तथा बैंकनोटों की सुरक्षा विशेषताएँ
विश्व के सभी केंद्रीय बैंक प्राथमिक रूप से जालसाजी को कठिन बनाने तथा जालसाजों से दो कदम आगे रहने के लिए अपने बैंकनोटों की रूपरेखा को परिवर्तित करते हैं तथा नई सुरक्षा विशेषताओं को समाविष्ट करते हैं । भारत भी इसी नीति का अनुसरण करता है ।
कोर निवेश कंपनियां
कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)
उत्तर: एनबीएफसी को योजना के पूर्ण विवरण के साथ आरबीआई को आवेदन करना होगा और मामले के गुण-दोष के आधार पर छूट पर विचार किया जा सकता है।
समन्वित संविभागीय निवेश सर्वेक्षण - भारत
अपडेट हो गया है: दिस॰ 01, 2023
बैंकों के लिए विशेष निर्देश
उत्तर: नहीं, भारत के बाहर स्थित आपके बैंक की शाखाओं द्वारा किए गए निवेश को सीपीआईएस में शामिल नहीं किया जाना चाहिए।
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Classification of NBFCs into sub-groups
रिटेल डायरेक्ट योजना
निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न
जबकि प्राथमिक नीलामी आमतौर पर सप्ताह के निर्दिष्ट दिनों पर आयोजित की जाती है जैसा कि नीचे दी गई तालिका में दिया गया है, ये दिन छुट्टियों या अन्य कारणों के कारण अलग हो सकते हैं। भारत सरकार की दिनांकित प्रतिभूतियों और राजकीय स्वर्ण बांड के लिए भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर छमाही सूचक कैलेंडर प्रकाशित किए जाते हैं जबकि त्रैमासिक सूचक कैलेंडर ट्रेजरी बिल और राज्य विकास ऋणों के लिए प्रकाशित किए जाते हैं। विवरण के लिए निम्न लिंक पर जाएँ /en/web/rbi
क्र.सं. | सरकारी प्रतिभूति | प्राथमिक नीलामी समान्यता की जाती है |
1 | सरकारी ट्रेजरी बिल (टी-बिल) | बुधवार |
2 | सरकारी दिनांकित प्रतिभूतियाँ (दिनांकित जी-सेक) | शुक्रवार |
3 | राज्य विकास ऋण (एसडीएल) | मंगलवार |
4 | राजकीय स्वर्ण बॉन्ड (एसजीबी) | आरबीआई अपनी प्रेस विज्ञप्ति में साप्ताहिक विंडो की घोषणा करता है। |
फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न
कुछ उपयोगी परिभाषाएँ
उत्तर: विदेशी सहायक कंपनी: एक भारतीय इकाई को विदेशी सहायक कंपनी कहा जाता है यदि एक अनिवासी निवेशक के पास 50% से अधिक वोटिंग पावर/इक्विटी पूंजी है या जहां एक अनिवासी निवेशक और उसकी अनुषंगी (ओं) ने एक भारतीय उद्यम की वोटिंग पावर/इक्विटी पूंजी के 50% से अधिक का संयुक्त स्वामित्व किया है।
विदेशी सहयोगी: एक भारतीय इकाई को विदेशी सहयोगी कहा जाता है यदि अनिवासी निवेशक के पास एक भारतीय उद्यम की वोटिंग पावर/इक्विटी पूंजी का कम से कम 10% और 50% से अधिक नहीं है या जहां अनिवासी निवेशक और उसकी सहायक कंपनी के पास एक भारतीय उद्यम की वोटिंग पावर/इक्विटी पूंजी का कम से कम 10% लेकिन 50% से अधिक न हो।
विशेष प्रयोजन माध्यम: एक विशेष प्रयोजन माध्यम (एसपीवी) संकीर्ण, विशिष्ट या अस्थायी उद्देश्यों को पूरा करने के लिए बनाई गई एक कानूनी इकाई (आमतौर पर किसी प्रकार की सीमित कंपनी या कभी-कभी, एक सीमित भागीदारी) है। एसपीवी के पास बहुत कम या कोई रोजगार नहीं है, या संचालन, या उस क्षेत्राधिकार में भौतिक उपस्थिति है जिसमें वे अपने मूल उद्यमों द्वारा बनाए जाते हैं, जो आमतौर पर अन्य न्यायालयों (अर्थव्यवस्थाओं) में स्थित होते हैं। वे अक्सर पूंजी जुटाने या संपत्ति और देनदारियों को रखने के लिए उपकरणों के रूप में उपयोग किए जाते हैं और आमतौर पर महत्वपूर्ण उत्पादन नहीं करते हैं।
देशी जमा
III. अग्रिम
दिनांक 31 जनवरी 2024 और 16 फरवरी 2024 की प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड पर लगाए गए कारोबारी प्रतिबंध
यूपीआई/आईएमपीएस के माध्यम से धनराशि ट्रान्सफर
भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
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उल्लेखनीय है कि खज़ाना बिल की शेष परिपक्वता समयावधि 50 दिन की है (91-41)।
बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण
जी. अंतिम उपयोग
उत्तर: रुपये में मूल्यवर्गीकृत ईसीबी के विदेशी मुद्रा में मूल्यवर्गीकृत ईसीबी से पुनर्वित्तपोषण की अनुमति नहीं है।
एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी
B. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाएं
भारत में विदेशी निवेश
उत्तर: यदि भारतीय कंपनी द्वारा प्रतिफल की प्राप्ति की तारीख से साठ दिन के भीतर पूंजीगत लिखत का निर्गम नहीं किया जाता है तो इस प्रकार से प्राप्त राशि को साठ दिन पूर्ण होने की तारीख से पंद्रह दिन के भीतर संबंधित व्यक्ति को बैंकिंग चैनल के माध्यम से बाहरी विप्रेषण द्वारा अथवा उसके एनआरई/ एफ़सीएनआर(बी) खाते, जैसी स्थिति हो, में जमा कर के वापस किया जाना चाहिए।
भारतीय मुद्रा
ग. विभिन्न प्रकार के बैंकनोट तथा बैंकनोटों की सुरक्षा विशेषताएँ
एमजी शृंखला 2005 तथा एमजी (नई) शृंखला के बैंकनोटों में निम्नलिखित सुरक्षा विशेषताएँ हैं :
i. सुरक्षा धागा : ₹10, ₹20 तथा ₹50 मूल्यवर्ग के बैंकनोट के अग्रभाग में गूँथा हुआ (विंडोड) तथा पश्चभाग में पूर्णत: अंत:स्थापित चांदी के रंग का सुरक्षा धागा होता है, जिसकी पहचान मशीन से की जा सकती है । यह धागा पराबैंगनी प्रकाश में दोनों ओर से पीले रंग में प्रतिदीप्त होता है । जब इसे प्रकाश के सामने लाया जाता है तो यह धागा पीछे से एक निरंतर रेखा के रूप में प्रतीत होता है । ₹100 तथा इससे अधिक मूल्यवर्ग के बैंकनोटों में विभिन्न कोणों से देखने पर हरे से नीले रंग में परिवर्तित होने वाला गूँथा हुआ (विंडोड) रंग परिवर्तन सुरक्षा धागा होता है, जिसकी पहचान मशीन से की जा सकती है । पश्चभाग में यह पीले रंग में प्रतिदीप्त होता है तथा पराबैंगनी प्रकाश में अग्रभाग में अक्षर प्रतिदीप्त होते हैं ।
ii. उत्कीर्ण (इंटेग्लियो) मुद्रण: ₹100 तथा इससे अधिक मूल्यवर्ग पर महात्मा गांधी का चित्र, रिज़र्व बैंक की मुहर, गारंटी तथा वचन खंड, अशोक स्तंभ का प्रतीक, भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर के हस्ताक्षर तथा दृष्टिबाधितों के लिए पहचान चिह्न उत्कीर्ण (इंटेग्लियो) रूप में मुद्रित होते हैं ।
iii. आर-पार मिलान (सी थ्रू रजिस्टर): नोट के बायीं ओर, प्रत्येक मूल्यवर्ग अंक का एक हिस्सा अग्रभाग (सामने) तथा दूसरा हिस्सा पश्चभाग में मुद्रित होता है । इसे प्रकाश के सामने रखकर देखे जाने पर एक के पीछे एक (बैक टू बैक रजिस्ट्रेशन) यह अंक सटीक ढंग से पूरा होता है ।
iv. वाटरमार्क तथा इलैक्ट्रोटाइप वाटरमार्क: बैंकनोटों में वाटरमार्क विंडो में प्रकाश तथा छाया रंजित (शेड) प्रभाव और बहु-दिशात्मक रेखाओं के साथ महात्मा गांधी का चित्र होता है । प्रत्येक मूल्यवर्ग के नोट में वाटरमार्क विंडो में मूल्यवर्ग के अंक को दर्शाने वाला इलैक्ट्रोटाइप मार्क भी प्रदर्शित होता है, जिसे प्रकाश के सामने रखकर बेहतर तरीके से देखा जा सकता है ।
v. रंग-परिवर्तक स्याही: ₹200, ₹500 तथा ₹2000 के बैंकनोटों पर 200, 500 एवं 2000* के अंक रंग-परिवर्तक स्याही में मुद्रित होते हैं । जब बैंकनोटों को सीधा (फ्लैट) रखा जाता है तो इन अंकों का रंग हरा प्रतीत होता है लेकिन जब इनको किसी कोण से देखने पर है यह नीले में परिवर्तित हो जाएंगे।
vi. प्रतिदीप्ति (फ़्लोरोसेंस): बैंकनोटों की अंक पट्टिका (नंबर पैनल) प्रतिदीप्त (फ़्लोरोसेंट) स्याही से मुद्रित होते हैं । बैंकनोट में दोहरे रंग के ऑप्टिकल फाइबर भी होते हैं । बैंकनोट को पराबैगनी लैंप के समक्ष रखकर इन दोनों को देखा जा सकता है ।
vii. अदृश्य प्रतिबिंब (लेटेंट इमेज): एमजी-2005 शृंखला में ₹20 तथा इससे अधिक मूल्यवर्ग के बैंकनोटों में, महात्मा गांधी के चित्र के आगे (दायीं ओर) एक लंबवत पट्टे (बैंड) में एक अदृश्य प्रतिबिंब होती है जो अंकित मूल्य को दर्शाती है । यह अंकित मूल्य को बैंकनोट को क्षैतिज रूप में रखकर उसके ऊपर प्रकाश डाले जाने पर ही दिखाई देता है, अन्यथा यह विशेषता केवल लंबवत पट्टे (बैंड) के रूप में ही प्रदर्शित होती है । एमजी (नई) शृंखला के बैंक नोटों में ₹100 तथा इससे अधिक मूल्यवर्ग के नोटों में अदृश्य प्रतिबिंब मौजूद है।
viii. सूक्ष्म अक्षरांकन (माइक्रो लेटरिंग): यह विशेषता बैंकनोट में विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शित होता है तथा इसे आवर्धक लैंस के साथ बेहतर ढंग से देखा जा सकता है।
ix. 2015 से प्रारम्भ की गई अतिरिक्त विशेषताएँ
- अंकनकानयाढंग
बैंकनोट की दोनों अंक पट्टियों (नंबर पैनल) में अंकों का आकार बाएँ से दाएँ बढ़ते क्रम में है, जबकि पहले तीन वर्ण सह अंकीय प्रतीकों (अल्फान्यूमेरिक कैरेक्टर) (पूर्व में लगने वाले) का आकार स्थिर होगा ।
- कोणीयब्लीडरेखाएँतथापहचानचिह्नोंकेआकारमेंवृद्धि
बैंकनोटों में कोणीय ब्लीड रेखाओं को समाविष्ट किया गया - ₹100 में 2 ब्लॉक में 4 रेखाएँ, ₹200 में बीच में 2 वृत्तों के साथ 4 कोणीय ब्लीड रेखाएँ , ₹500 में 3 ब्लॉक में 5 रेखाएँ, ₹2000* में 7 रेखाएँ । इसके अतिरिक्त, ₹100 तथा इससे अधिक मूल्यवर्ग में पहचान चिह्न के आकार में 50 प्रतिशत की वृद्धि की गई है ।
भारतीय बैंकनोटों में मौजूद उक्त सुरक्षा विशेषताओं के बारे में मूल्यवर्ग-वार जानकारी हमारी वेबसाइट www.rbi.org.in >>प्रेस विज्ञप्ति पर भी उपलब्ध है । वैकल्पिक रूप से, यह सूचना इस लिंक में भी उपलब्ध है : https://rbi.org.in/hi/web/rbi/-/notifications/master-circular-detection-and-impounding-of-counterfeit-notes-11610
कोर निवेश कंपनियां
कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)
उत्तर: सीआईसी को एनबीएफसी के लिए प्रमुख व्यावसायिक मानदंडों को पूरा करने की आवश्यकता नहीं है।
समन्वित संविभागीय निवेश सर्वेक्षण - भारत
अपडेट हो गया है: दिस॰ 01, 2023
बैंकों के लिए विशेष निर्देश
उत्तर: हाँ, इसे शामिल किया जाना चाहिए।
देशी जमा
III. अग्रिम
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Time frame for compliance of regulations
रिटेल डायरेक्ट योजना
निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न
फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न
कुछ उपयोगी परिभाषाएँ
उत्तर: सहभागी वरीयता शेयर वे शेयर होते हैं जिनके पास निम्नलिखित में से एक या अधिक अधिकार होते हैं:
(अ) इक्विटी शेयरधारकों को लाभांश का भुगतान करने के बाद अधिशेष लाभ में से लाभांश प्राप्त करने के लिए।
(ब) कंपनी के समापन के मामले में पूरी पूंजी का भुगतान करने के बाद अधिशेष संपत्ति में हिस्सेदारी रखने के लिए।
दूसरी ओर गैर-सहभागी वरीयता शेयर वे शेयर हैं जिनके पास उपरोक्त में से कोई भी अधिकार नहीं है।
दिनांक 31 जनवरी 2024 और 16 फरवरी 2024 की प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड पर लगाए गए कारोबारी प्रतिबंध
पेटीएम पेमेंट्स बैंक व्यवसाय प्रतिनिधि
बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण
जी. अंतिम उपयोग
उत्तर: हां। समुद्रपारीय निवेश संबंधी दिशानिर्देशों में अनुमत किए गए अनुसार ईसीबी की आगम राशि को समुद्रपारीय निवेश के लिए उपयोग में लाया जा सकता है।
भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
27.1. किसी बाण्ड की समयावधि (जिसे मैकाले समयावधि भी कहा जात है) वर्तमान कीमत के रूप में प्रारंभिक निवेश की वसूली में लगने वाले समय को नापने का पैमाना है । सरल शब्दों में समयावधि का तात्पर्य किसी बाण्ड के ब्रेक इवेन पर पहूंचने में लगने वाली चुकौती समयावधि होती है अर्थात् किसी बाण्ड द्वारा अपना खरीद मूल्य अदा करने में लगने वाला समय होता है । समयावधि को वर्षों की संख्या के रूप में निरूपित किया जाता है । समयावधि निकालने के लिए अपनायी जाने वाली क्रमिक प्रक्रिया नीचे बॉक्स IV में दी गयी है ।
बॉक्स IV
समयावधि के लिए गणना करना
सर्वप्रथम - प्रत्येक समयावधि के लिए भविष्य के प्रत्येक नकद प्रवाह को इसकी तत्संबंधी वर्तमान कीमत से घटाना होगा । चूंकि कूपन प्रत्येक छह माह की समयावधि में दिए जाते हैं अत: एक चक्र छह माह के बराबर होगा और दो वर्ष की परिपक्वता वाले बाण्ड में 4 चक्र होंगे ।
दूसरे - भविष्य के नकद प्रवाहों की वर्तमान कीमतों को उनकी संगत समयावधियों (इन्हें भार कहा जाता है) से गुणा करना होगा । अर्थात्, पहले कूपन की वर्तमान कीमत (पीवी) को 1 से गुणा करना होगा और दूसरे कूपन की पीवी को 2 से और इसी प्रकार आगे भी ।
तीसरे - अभी नकद प्रवाहों की उक्त भारित पीवी (वर्तमान कीमतो) को जोड़ा जाता है और प्राप्त जोड़ को बाण्ड की वर्तमान कीमत (पहले चरण में दर्शायी गयी वर्तमान कीमतों को जोड़) से भाग दिया जाता है । परिणामी कीमत चक्रों की संख्या में समयावधि होती है ।चूंकि एक चक्र छह माह के बराबर होता है अत: वर्षो की संख्या में समयावधि प्राप्त करने के लिए इसे दो से भाग दिया जाता है । यह वह समयावधि होती है जिसके भीतर, ऐसी आशा की जाती है कि बाण्ड अपनी मूल कीमत लौटा देगा, यदि इसे परिपक्वता तक रखा जाए ।
उदाहरण -
10% कूपन दर पर 2 वर्ष की परिपक्वता वाला बाण्ड लेने पर और जिसकी वर्तमान कीमत 103/- रु. है, उसका नकद प्रवाह निम्नानुसार होगा (मौजूदा 2 वर्ष की प्रतिफल दर 9% पर -
समय समयावधि (वर्ष में) | 1 | 2 | 3 | 4 | जोड़ |
अंतर्वाह (करोड़ रु. में) | 5 | 5 | 5 | 105 |
|
9% के प्रतिफल पर पीवी | 4.78 | 4.58 | 4.38 | 88.05 | 101.79 |
पीवी* समय | 4.78 | 9.16 | 13.14 | 352.20 | 379.28 |
चक्रों की संख्या में समयावधि = 379.28/101.79=3.73 | |||||
वर्षों में समयावधि = 3.73/2=1.86 वर्ष |
औपचारिक रूप में, समयावधि का तात्पर्य है -
(क) किसी बाण्ड के नकद प्रवाहों की भारित औसत समयावधि (इस समय से भुगतान तक की समयावधि) या संपृक्त नकद प्रवाहों की कोई श्रृंखला ।
(ख) बाण्ड की कूपन दर जितनी उच्चतर होगा, समयावधि उतनी ही कम होग (यदि बाण्ड का टर्म एक समान रखा जाये तो) ।
(ग) समयावधि बाण्ड की समग्र परिपक्वता से हमेशा कम या उसके समतुल्य होती है ।
(घ) केवल शून्य कूपन (कूपन रहित बाण्ड) बाण्ड की समयावधि उसकी परिपक्वता के बराबर होती है ।
(ङ) बाण्ड की कीमत ब्याज दर (अर्थात् प्रतिफल के प्रति संवेदनशील है ।
समयावधि, ब्याज दर परिचालनों (अर्थात् प्रतिफल) के प्रति बाण्ड की बाजार कीमत की संवेदनशीलता नापने के रूप में प्राथमिक रूप से उपयोगी होती है । यह प्रतिफल में आए किसी परिवर्तन हेतु कीमत में आए प्रतिशत परिवर्तन के लगभग समतुल्य होती है । उदाहरण के लिए ब्याज दरों में हुए छोटे परिवर्तनों के लिए समयावधि लगभग वह प्रतिशत है जिससे बाण्ड की कीमत बाजार ब्याज दर में 1 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि के लिए गिर जाएगी । अत: ब्याज दरों में 1% वार्षिक की वृद्धि होने पर 7 वर्ष की समयवावधि वाले 15 वर्षीय बाण्ड की कीमत लगभग 7% गिर जाएगी । दूसरे अर्थों में ब्याज दरों के संबंध में समयावधि बाण्ड की कीमत का लचीलापन है ।
संशोधित समयावधि क्या है ?
27.2. संशोधित समयावधि मैकाले समयावधि का संशोधित रूप है । यह ब्याज दर (प्रतिफल) में हुए एक प्रतिशत परिवर्तन के प्रति प्रतिभूति की कीमत में आए अंतर को प्रदर्शित करती है । इसका सूत्र इस प्रकार है -
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उदाहरण -
बॉक्स IV में दिए गए उदाहरण में, संशोधित समयावधि = 1.86/(1+0.09/2)=1.78
पीवी 01 क्या है ?
27.3. पीवी 01 प्रतिफल में आए एक आधार बिंदु (एक प्रतिशत बिंदु के एक सौवें भाग के समतुल्या) के परिवर्तन के कारण बाण्ड की कीमत में हुआ वास्तविक परिवर्तन दर्शाता है । यह ब्याज दर में हुए 1 आधार बिंदु (0.01%) के परिचालन के कारण कीमत पर पडने वाले वर्तमान प्रभाव को दर्शाता है । इसे अक्सर समयावधि (समय मापन) के बजाय मूल्य विकल्प के रूप में प्रयुक्त किया जाता है । पीवी 01 जितनी अधिक होगी उतार-चढ़ाव भी उतना ही अधिक होगा (प्रतिफल में परिवर्तन होने पर कीमत में संवेदनशीलता) ।
उदाहरण -
संशोधित समयावधि से (जो उदाहरण 27.2 में दिया गया है) हम यह जानते हैं कि प्रतिफल में 100 आधार बिंदुओं (1%) के परिवर्तन से प्रतिभूति की कीमत में 1.78 प्रतिशत का परिवर्तन होगा । कीमत के रूप में जो 1.78*(102/100)=1.81 रु. है ।
अत: पीवी 01=1.81/100=0.018 रु. होगी जो 1.8 पैसे है । इस प्रकार 1.78 वर्षों की संशोधित समयावधि वाले किसी बाण्ड का प्रतिफल 9% से 9.05% (5 आधार बिंदुओं) में परिवर्तित होता है तो बाण्ड की कीमत 102 रु. से 101.91 रु. में परिवर्तित होती है (9 पैसे की गिरावट अर्थात् 5 X 1.8 पैसे) ।
कन्वेक्सिटी क्या है ?
27.4. समयावधि के आधार पर प्रतिफल में परिवर्तन के लिए कीमत में परिवर्तन की गणना केवल कीमत में आए छोटे परिवर्तनों के लिए कारगर होती है । क्योंकि बाण्ड मूल्य और प्रतिफल के आपसी संबंध निश्चित रूप से सरल रेखीय नहीं हैं अर्थात् बाण्ड की कीमत में हुआ एक यूनिट का परिवर्तन प्रतिफल में हुए एक यूनिट परिवर्तन के समानुपातिक नहीं है । कीमत में हुए भारी उतार-चढ़ाव का संबंध वक्ररेखीय है अर्थात् बाण्ड की कीमत में परिवर्तन, प्रतिफल में हुए परिवर्तन के समानुपात की तुलना में या तो कम होगा अथवा अधिक होगा । इसे कान्वेक्सिटी नामक विचार से नापा जाता है जो बाण्ड के प्रतिफल में प्रति यूनिट परिवर्तन के लिए बाण्ड की समयावधि में परिवर्तन होता है ।
एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी
B. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाएं
भारत में विदेशी निवेश
उत्तर: किसी निवासी क्रेता तथा अनिवासी विक्रेता अथवा इसके विपरीत, के बीच शेयरों के अंतरण के मामले में क्रेता द्वारा अंतरण करार की तारीख से अठारह महीने से अनधिक अवधि के भीतर कुल प्रतिफल के पचीस प्रतिशत से अनधिक राशि का भुगतान आस्थगित आधार पर किया जा सकता है। आस्थगित राशि या तो हर्जाने अथवा एस्क्रो के स्वरूप की हो सकती है। सभी मामलों में मूल्यनिर्धारण दिशानिर्देशों का अनुपालन किया जाए।
भारतीय मुद्रा
ग. विभिन्न प्रकार के बैंकनोट तथा बैंकनोटों की सुरक्षा विशेषताएँ
ऊपर सूचीबद्ध सुरक्षा विशेषताओं के अतिरिक्त, एमजी शृंखला-2005 की शुरूआत के पश्चात जारी किए गए बैंकनोटों के पश्चभाग में मुद्रण वर्ष मुद्रित है जबकि 2005 से पहले की शृंखला में यह मौजूद नहीं होता है।
कोर निवेश कंपनियां
कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)
उत्तर: एक होल्डिंग कंपनी जो दिनांक 5 जनवरी 2011 की अधिसूचना संख्या डीएनबीएस (पीडी) 219/सीजीएम(यूएस)-2011 के पैरा 2 में निर्धारित सीआईसी के मानदंडों को पूरा नहीं करती है, को एनबीएफसी के रूप में पंजीकरण करने की आवश्यकता होगी। हालांकि, अगर ऐसी कंपनी सीआईसी-एनडी-एसआई के रूप में पंजीकरण करना चाहती है/सीआईसी के रूप में छूट प्राप्त करना चाहती है, तो उसे सीआईसी के रूप में अपने व्यवसाय को पुनर्रचित करने के लिए विशिष्ट अवधि के भीतर प्राप्त करने योग्य कार्य योजना के साथ आरबीआई को आवेदन करना होगा। यदि वह ऐसा करने में सक्षम नहीं है, तो उसे एनबीएफसी की आवश्यकताओं और विवेकपूर्ण मानदंडों का पालन करने की आवश्यकता होगी।
समन्वित संविभागीय निवेश सर्वेक्षण - भारत
अपडेट हो गया है: दिस॰ 01, 2023
बैंकों के लिए विशेष निर्देश
उत्तर: नहीं, इसे शामिल नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि इसे निवासी से निवासी लेनदेन माना जाएगा।
फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न
कुछ उपयोगी परिभाषाएँ
उत्तर: यदि भारतीय इकाई ने भारत में एफडीआई योजना के तहत अनिवासी संस्थाओं को शेयर जारी किए हैं तो यह एक एफडीआई है और इसे भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (देयता) के तहत रिपोर्ट किया जाना चाहिए।
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Credit Rating
- The NBFCs in the category of equipment leasing and hire purchase finance companies having Rating of less than the Investment Grade as mentioned below are no longer entitled to accept fresh public deposits :
Name of rating agencies | Level of minimum investment |
EL/HP Cos. | LC/ICs |
CRISIL | A- (A MINUS) |
ICRA | A- (A MINUS) |
CARE | BBB (FD) |
DCR India | BBB- (BBB minus) |
The Loan and Investment Companies having Rating of less than `A are no longer entitled to accept fresh deposits.
It may be added that A- is not equivalent to A; AA- is not equivalent to AA and AAA- is not equivalent to AAA.
रिटेल डायरेक्ट योजना
निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न
देशी जमा
III. अग्रिम
(i) क. टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं की खरीद के लिए ऋण
ख. शेयरों और डिबेंचरों / बांडों की जमानत पर व्यक्तियों को ऋण
ग. प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र से इतर अन्य वैयक्तिक ऋण
घ. बैंक के पास रखी देशी / अनिवासी /विदेशी मुद्रा अनिवासी रुपया (बैंक) जमाराशियों की जमानत पर अग्रिम / ओवर ड्राफ्ट, बशर्ते उक्त जमाराशि (याँ) या तो उधारकर्ता / उधारकर्ताओं के अपने नाम (मों) पर हो /हों अथवा अन्य व्यक्ति के साथ संयुक्त रूप से उधारकर्ता के नामों पर हो /हों।
ड मध्यवर्ती एजेन्सियों (आवास संबंधी एजेन्सियों को छोड़कर)को दिया गया वित्त जो आगे अंतिम लाभार्थियों तथा निविष्टि आधार प्रदान करने वाली एजेन्सियों को उधार देती हैं।
च. अंतिम लाभार्थी को उधार देने के लिए आवास वित्त मध्यवर्ती एजेन्सियों को दिया गया वित्त
छ. बिलों की बट्टे पर भुनाई
ज. चयनात्मक ऋण नियंत्रण के अधीन पण्यों की जमानत पर ऋण /अग्रिम /नकदी ऋण/ ओवर ड्राफ्ट
(ii) | मीयादी उधार देनेवाली संस्थाओं की ब्याज पुनर्वित्त पोषण योजनाओं में सहभागिता के अंतर्गत आनेवाले ऋण | बैंक आधारभूत मूल उधार दर के संदर्भ के बगैर पुनर्वित्त पोषण करनेवाली एजेन्सियों की शर्तों के अनुसार दरें लगाने के लिए स्वंतत्र हैं। |
दिनांक 31 जनवरी 2024 और 16 फरवरी 2024 की प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड पर लगाए गए कारोबारी प्रतिबंध
जमा राशि की निकासी पर रोक, ग्रहणाधिकार अंकित (मार्क) खाते आदि।
पेटीएम पेमेंट्स बैंक के किसी ग्राहक के खाते/वॉलेट पर किसी भी कानून प्रवर्तन या न्यायिक अधिकारियों के निर्देशों के अनुसार अंकित कोई भी ग्रहणाधिकार या जमा राशि के निकासी पर कोई रोक (पूर्ण या आंशिक) ऐसे अधिकारियों द्वारा ग्रहणाधिकार अंकित (मार्क) करने या निकासी पर रोक लगाने के लिए पारित आदेशों द्वारा शासित होता रहेगा।
भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
28.1.
सहकारी बैंकों के लिए "परिपक्वता तक धारणीय" के तहत वर्गीकृत निवेशों के बाजार मूल्यों को बही में अंकित करना आवश्यक नहीं है और उन्हें अधिग्रहण लागत पर अग्रेषित करना चाहिए जब तक कि यह अंकित मूल्य से अधिक न हो यदि ऐसा है तो प्रीमियम को परिपक्वता की शेष समयावधि के लिए परिशोधित करना चाहिए । सहकारी बैंकों की बहियों में "बिक्री के लिए उपलब्ध" श्रेणी में व्यक्तिगत क्रिप के बाजार मूल्यों को वर्ष के अंत में या और कम अंतरालों पर अंकित करना चाहिए । "व्यापार के लिए धारणीय" श्रेणी में उपलब्ध व्यक्तिगत क्रिप के बाजार मूल्यों को माह के अंत में या और कम अंतरालों पर बहियों में अंकित करना चाहिए । "बिक्री के लिए उपलब्ध" और "व्यापार के लिए उपलब्ध" श्रेणियों में व्यक्तिगत प्रतिभूतियों को बाजार मूल्यों पर बही में अंकित करने के बाद उनके बही मूल्यों के कोई परिवर्तन नहीं होगा ।
28.2 केंद्रीय सरकार की प्रतिभूतियों की कीमतों का निर्धारण निर्धारित आय मुद्रा बाजार और डेरिवेटिव्ज संघ (फमिडा) और भारतीय प्राथमिक व्यापारी संघ द्वारा संयुक्त रूप से फमिडा की वेबसाइट पर दी गई कीमतों/प्रतिफलों को ध्यान में रखकर ही करना चाहिए । केंद्रीय सरकारी की सभी प्रतिभूतियों की कीमत प्रतिदिन दी जाती है जबकि मूल्यांकन के लिए कीमतों और प्रतिफलों का वक्र प्रत्येक माह के अंत में दिया जाता है । उदाहरण के लिए केंद्रीय सरकार की एक प्रतिभूति 7.46% 2007 का फमिडा मूल्यांकन 31 मार्च 2009 को 101.69 रु. था । यदि कोई सहकारी बैंक इसी प्रतिभूति को "बिक्री के लिए उपलब्ध" या "व्यापार के लिए उपलब्ध" श्रेणी के तहत 102 रु. के बही मूल्य पर रख रहा था तो बैंक के लिए यह अपेक्षित होगा कि प्रत्येक 100 रु. के अंकित मूल्य के लिए 0.31 रु. का बही में मूल्यहास नोट करे । यदि कुल धारिता 1 करोड़ रु. की थी तो अंकित किया जाने वाला मुल मूल्यहास 31,000/- रु. होगा ।
28.3 राज्य सरकार और अन्य प्रतिभूतियों का मूल्यांन केंद्रीय सरकार की प्रतिभूति की तदनुरूपी शेष परिपक्वता समयावधि के प्रतिफल पर कीमत-लागत अंतर को जोड़कर करना चाहिए । इस समय राज्य सरकार की प्रतिभूतियों का मूल्यांकन करते समय 25 आधार अंकों (0.25%) का कीमत-लागत अंतर जोड़ा जाता है । जबकि विशेष प्रतिभूतियों (तेल बाण्ड, उर्वरक बाण्ड, एसबीआई बाण्डों आदि) के कार्पोरेट बाण्डों के लिए फमिडा द्वारा दिया गया कीमत-लागत अंतर जोड़ा जाता है । राज्य सरकार के एक बाण्ड को ध्यान में रखते हुए मूल्यांकन का एक उदाहरण नीचे बॉक्स V में दिया गया है ।
प्रतिभूतियों का मूल्यांकन
राज्य सरकार के बाण्डों के लिए मूल्याकन
प्रतिभूति - 7.32% एपीएसडीएल 2014
जारी करने की तारीख - 10 दिसंबर 2004
परिपक्वता तिथि - 14 दिसंबर 2014
कूपन - 7.32%
मूल्यांकन की तारीख - 31 मार्च 2008
प्रक्रिया
उक्त बाण्ड के मूल्यांकन में निम्नलिखित स्तर शामिल हैं -
(1) मूल्यांकित बाण्ड की शेष परिपक्वता का पता लगाना
(2) उक्त शेष परिपक्वता के लिए केंद्रीय सरकार प्रतिभूति के प्रतिफल का पता लगाना
(3) प्रतिभूति के प्रतिफल का पता लगाने के लिए उक्त प्रतिफल में उचित कीमत-लागत अंतर जोड़ना
(4) उपर्युक्त प्राप्त प्रतिफल का प्रयोग करते हुए प्रतिभूति की कीमत की गणना करना
स्तर - 1
चूंकि मूल्यांकन 31 मार्च 2008 को किया जा रहा है अत: हमें इस तारीख से प्रतिभूति की परिपक्वता का तारीख अर्थात् 10 दिसंबर 2014 तक के बीच के वर्षों की संख्या का पता लगाना है ताकि प्रतिभूति की शेष परिपक्वता का पता लगाया जा सके । इसे मानवीय रूप से वर्ष, महीने और दिन की गणना कर निकाला जा सकता है । तथापि, इसके लिए का आसान तरीका एमएस एक्सेल में "इअरप्रैक" ("Yearfrac") प्रणाली से निकाला जा सकता है जिसमें दो तारीखे और आधार प्रदान करना होता है (अधिक जानकारी के लिए एक्सल फंक्शन पर अनुबंध 4 का संदर्भ लें) । इस प्रतिभूति के लिए, यह 6.69 वर्षों की अवशेष परिपक्वता देता है ।
स्तर - 2
6.69 वर्षों के लिए केंद्रीय सरकारी प्रतिभूति प्रतिफल का पता लगाने के लिए हम 6 वर्ष और 7 वर्ष के बीच के प्रतिफलों को आपस में संबद्ध करेंगे, ये प्रतिफल फ्मिडा द्वारा दिए गये हैं । 31 मार्च 2008 की स्थिति के अनुसार, 6 और 7 वर्षों के लिए फ्मिडा द्वारा दिए गये प्रतिफल क्रमश: 7.73% और 7.77% हैं । निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग करते हुए 6.69 वर्षों के लिए प्रतिफल निकाला गया है ।
0.0773+ड (6.69-6)X(0.0777-0.0773) = 0.077577=7.7577% या 7.76%
(7-6)
यहा हम 0.69 वर्षों के लिए प्रतिफल के अंतर का पता लगाकर और उसे 6 वर्षों के लिए लागू प्रतिफल में जोडते हैं ताकि 6.69 वर्षों के लिए प्रतिफल का पता लगाया जा सकें । यह भी नोट करना हैं कि प्रतिफल का उपयोग दशमलव रूप में करना है (उदाहरण के लिए 7.73 प्रतिशत, 7.73/100 के बराबर है जिसका अर्थ है 0.0773)
स्तर - 3
विशिष्ठ अवशेष परिपक्वता के लिए केंद्रीय सरकार प्रतिफल का पता लगाने के बाद हमें उचित स्प्रेड को लोड करना है ताकि मूल्यांकन की जाने वाली प्रतिभूति के लिए प्रतिफल प्राप्त किया जा सके । चूंकि प्रतिभूति राज्य सरकार की प्रतिभूति है अत: लागू स्प्रेड 25 आधार बिंदु है (0.25 प्रतिशत) । अत: प्रतिफल 7.76%+0.25%=8.01% होगा ।
स्तर - 4
प्रतिभूति की कीमत गणना एमएस एक्सेल "कीमत" ("PRICE") का उपयोग करके की जाएगी (विवरण के लिए कृपया अनुबंध 4 देखें) । यहां हम मूल्यांकन की तारीख 31 मार्च 2008 डालेंगे, परिपक्वता की तारीख 10 दिसंबर 2014 है, दर 7.32% है जो की कूपन दर है, प्रतिफल के रूप में 8.01% है और परिपक्वता के रूप में 100 जो की अंकित मूल्य है, कूपन भुगतान की फ्रीक्वेन्सी के रूप में 2 और आधार के रूप में 4 उपयोग करेंगे (कृपया अनुबंध 4 में दिया गया उदाहरण 3 देखें) । सूत्र के द्वारा हमें 96.47 रुपये की कीमत प्राप्त होती है जो प्रतिभूति की कीमत है ।
यदि बैंक अपने पोर्टफाटलियों में 10 करोड रुपये की इस प्रकार की प्रतिभूति भारीत करता है तो कुल कीमत 10*(96.47/100)=9.647 करोड रुपये होगी ।
28.4. कार्पोरेट बाण्डों के मामले में, मूल्यांकन की प्रक्रिया उपर्युक्त बॉक्स 5 में दिए गए उदाहरण के समान ही है । इसमें केवल केंद्रीय सरकार की प्रतिभूति पर आने वाले तदनुरूपी प्रतिफल में जोड़े जाने वाले स्प्रेड का भेद राज्य सरकार की प्रतिभूतियों के लिए निश्चित 25 आधार अंको के बजाय है जो समय-समय पर फमिडा द्वारा प्रकाशित स्प्रेड से अधिक होगी । फमिडा विभिन्न प्रकार की रेटिंग वाले कार्पोरेट बाण्डों के लिए स्प्रेड पर सूचना देता रहता है । बाण्ड का मूल्यांकन करते समय केंद्रीय सरकार की प्रतिभूति के तदनुरूपी प्रतिफल में उचित स्प्रेड जोड़ी जानी चाहिए और बाण्ड का मूल्यांकन मानक "कीमत" सूत्र का प्रयोग करते हुए करना चाहिए ।
उदाहरण के लिए, यह मानते हुए कि "एएए" रेटिंग के किसी कार्पोरेट बाण्ड की परिपक्वता उतनी ही है जितनी कि बॉक्स 5 में दिए गए राज्य सरकार के बाण्ड की, इस स्थिति में मूल्यांकन के लिए लागू प्रतिफल 7.73+2.09% (फमिडा द्वारा दिया गया स्प्रेड) होगा जो 9.82% है । बॉक्स 5 में दिए गए मानदंडों को ही लागू करते हुए बाण्ड की कीमत 87.92 रु. बैठती है ।
बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण
जी. अंतिम उपयोग
उत्तर: ईसीबी के प्रयोजन के लिए आगे-उधार देने के कारोबार में लिप्त उधारकर्ताओं के लिए आगे-उधार देने को कार्यशील पूंजी नहीं समझा जाता है। इसके अतिरिक्त उधारकर्ताओं को इस संबंध में संबंधित क्षेत्र विशेष अथवा विवेकपूर्ण विनियामक द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा।
एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी
B. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाएं
भारत में विदेशी निवेश
उत्तर: भुगतान की प्रत्येक शृंखला की प्राप्ति पर एडी बैंक में फॉर्म एफ़सी-टीआरएस भरना है। रिपोर्टिंग का दायित्व निवासी अंतरंकर्ता/ अंतरिती का होगा।
भारतीय मुद्रा
ग. विभिन्न प्रकार के बैंकनोट तथा बैंकनोटों की सुरक्षा विशेषताएँ
आंशिक दृष्टिबाधित व्यक्तियों द्वारा नोट की पहचान करने को सुगम बनाने के लिए महात्मा गांधी (नई) शृंखला के बैंकनोटों को चटक एवं सुस्पष्ट (शार्प कलर कॉन्ट्रास्ट स्कीम) बनाया गया है । दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लाभ के लिए ₹100 से अधिक मूल्यवर्ग में कोणीय ब्लीड रेखाएँ( ₹100 में 2 ब्लॉक में 4 रेखाएँ, ₹200 में बीच में 2 वृत्तों के साथ 4 कोणीय ब्लीड रेखाएँ , ₹500 में 3 ब्लॉक में 5 रेखाएँ, ₹2000 में 7 रेखाएँ) तथा पहचान चिन्ह हैं । प्रत्येक नोट के अग्रभाग में एक पहचान चिह्न होता है, जिसका मुद्रण उभारदार (इंटेग्लियो) होता है तथा यह अलग-अलग मूल्यवर्ग में अलग-अलग आकार का होता है । उदाहरण के लिए ₹2000 के लिए क्षैतिज आयात, ₹500 के लिए वृत्त, ₹200 के लिए उभरा हुआ एच (H) का पहचान चिह्न, ₹100 के लिए त्रिभुज । इसके अतिरिक्त, इन मूल्यवर्गों में अंकों को नोट के मध्य भाग में उभारदार मुद्रण प्रमुखता से किया गया है ।
*₹2000 मूल्यवर्ग के बैंकनोट अभी भी वैध मुद्रा हैं। अधिक विवरण के लिए 01 सितंबर 2023 के प्रेस विज्ञप्ति 2023-2024/851 का संदर्भ लें
कोर निवेश कंपनियां
कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)
उत्तर: नहीं, चूंकि कंपनी एनबीएफसी के मुख्य व्यवसाय मानदंड (आस्ति-आय पैटर्न) को पूरा नहीं कर रही है, यानी इसकी कुल आस्ति का 50% से अधिक वित्तीय आस्ति होना चाहिए और इन आस्तियों से प्राप्त आय 50% से अधिक होनी चाहिए। सकल आय, आरबीआई अधिनियम, 1934 की धारा 45 आईए के तहत एक एनबीएफसी के रूप में पंजीकृत होने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, जैसे ही यह एनबीएफसी के पात्रता मानदंडों को पूरा करता है और एनबीएफसी मानदंडों का अनुपालन करता है, वैसे ही इसे खुद को एनबीएफसी के रूप में पंजीकृत करना चाहिए।
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Credit Rating
देशी जमा
III. अग्रिम
फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न
कुछ उपयोगी परिभाषाएँ
उत्तर: एफएलए रिटर्न के तहत गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के लिए इक्विटी पूंजी के बाजार मूल्य की गणना किसी देश के सीडीआईएस डेटा के संकलन के तहत आईएमएफ के दिशानिर्देशों के अनुसार बुक वैल्यू पर ओन फंड्स (ओएफवीबी) पद्धति का उपयोग करके की जाती है। इसकी गणना इस प्रकार की जाती है:
चालू वर्ष/पिछले वर्ष के लिए ओएफवीबी में अनिवासी द्वारा धारित इक्विटी पूंजी का बाजार मूल्य
= (चालू वर्ष/पिछले वर्ष के लिए कंपनी का निवल मूल्य) * (चालू वर्ष/पिछले वर्ष के लिए अनिवासी इक्विटी होल्डिंग %)
जहां, कंपनी की कुल संपत्ति
= (कंपनी की चुकता इक्विटी और सहभागी वरीयता शेयर पूंजी + आरक्षित और अधिशेष - संचित हानि)
रिटेल डायरेक्ट योजना
निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न
क्र.सं. | सरकारी प्रतिभूति | न्यूनतम निवेश राशि/मात्रा (12 नवंबर 2021 को) |
1 | सरकारी ट्रेजरी बिल (टी-बिल) | ₹10,000 |
2 | सरकारी दिनांकित प्रतिभूतियाँ (दिनांकित जी-सेक) | ₹10,000 |
3 | राज्य विकास ऋण (एसडीएल) | ₹10,000 |
4 | राजकीय स्वर्ण बॉन्ड (एसजीबी) | एक ग्राम स्वर्ण |
दिनांक 31 जनवरी 2024 और 16 फरवरी 2024 की प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड पर लगाए गए कारोबारी प्रतिबंध
जमा राशि की निकासी पर रोक, ग्रहणाधिकार अंकित (मार्क) खाते आदि।
बैंक को निदेश दिया गया है कि वह ग्राहक के खाते/वॉलेट में उपलब्ध शेष राशि तक निकासी या किसी अन्य बैंक खाते में ट्रान्सफर की अनुमति दे।
भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण
जी. अंतिम उपयोग
उत्तर: हां।
एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी
B. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाएं
भारत में विदेशी निवेश
उत्तर: डाउन स्ट्रीम निवेश का अर्थ है किसी भारतीय कंपनी जिसमें पूर्ण विदेशी निवेश है अथवा किसी निवेश माध्यम द्वारा किसी अन्य भारतीय संस्था के पूंजीगत लिखतों अथवा पूंजी, जैसी स्थिति हो में किया गया निवेश।
यदि निवेशक कंपनी में कुल विदेशी निवेश है तथा निवासी भारतीय नागरिकों के पास जिसका स्वामित्व तथा नियंत्रण नहीं है अथवा उसका स्वामित्व तथा नियंत्रण भारत के बाहर निवास करने वाले व्यक्तियों के पास है तो, निवेश प्राप्तकर्ता कंपनी के लिए ऐसे निवेश “अप्रत्यक्ष विदेशी निवेश” होंगे।
भारतीय मुद्रा
ग. विभिन्न प्रकार के बैंकनोट तथा बैंकनोटों की सुरक्षा विशेषताएँ
मोबाइल एडेड नोट आइडेंटिफ़ायर (मणि) भारतीय बैंकनोट्स के मूल्यवर्ग की पहचान करने में दृष्टिबाधित व्यक्तियों की सहायता हेतु रिज़र्व बैंक द्वारा शुरू किया गया एक मोबाइल एप्लीकेशन है । इस नि:शुल्क एप्लीकेशन को एक बार इंस्टॉल करने के बाद इन्टरनेट की आवश्यकता नहीं होती है । यह एप्लीकेशन नोट के अग्र अथवा पश्च - भाग/हिस्से की जांच करके महात्मा गांधी शृंखला तथा महात्मा गांधी (नई) शृंखला के बैंक नोटों के मूल्यवर्ग की पहचान करने में सक्षम है । इससे प्रकाश की विभिन्न परिस्थितियों (सामान्य प्रकाश/दिन का प्रकाश/कम प्रकाश आदि) के अंतर्गत अलग-अलग कोणों से पकड़े गए आधे मुड़े हुए नोटों की पहचान भी की जा सकती है ।
नोट: यह मोबाइल एप्लीकेशन किसी नोट के असली अथवा जाली होने को प्रमाणित नहीं करता है ।
कोर निवेश कंपनियां
कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)
उत्तर: कंपनी को एक वर्ष की निर्धारित समयावधि के भीतर एक व्यवसाय योजना देते हुए आरबीआई को सीओआर के लिए आवेदन करना होगा जिसमें वह सीआईसी-एनडी-एसआई का दर्जा हासिल करेगी। यदि कंपनी ऐसा करने में असमर्थ है, तो छूट लागू नहीं होगी और कंपनी को एनबीएफसी पूंजी पर्याप्तता और एक्सपोजर मानदंडों का पालन करना होगा।
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Credit Rating
देशी जमा
III. अग्रिम
फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न
कुछ उपयोगी परिभाषाएँ
उत्तर: यदि भारतीय रिपोर्टिंग इकाई सूचीबद्ध है, तो संदर्भ अवधि अर्थात पिछले और चालू वर्ष के मार्च अंत में उनके समापन शेयर मूल्य का उपयोग अनिवासी इक्विटी निवेश के मूल्यांकन के लिए किया जाता है।
रिटेल डायरेक्ट योजना
निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न
दिनांकित जी-सेक, टी-बिल और एसडीएल हेतु – निम्न सीमाएं लागू होती है यदि आपने प्राथमिक नीलामियों के माध्यम से इन प्रतिभूतियों को खरीदा है:
क्र.सं. | सरकारी प्रतिभूति | अधिकतम निवेश राशि/मात्र (12 नवंबर 2021 को) |
1 | सरकारी ट्रेजरी बिल (टी-बिल) | सभी गैर-प्रतिस्पर्धी बोलियों का कुल आवंटन भारत सरकार द्वारा निर्दिष्ट अधिसूचित राशि के अंतर्गत निर्गम की कुल नाममात्र राशि के अधिकतम 5% या भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित किसी अन्य प्रतिशत तक सीमित होगा। |
2 | सरकारी दिनांकित प्रतिभूतियाँ (दिनांकित जी-सेक) | ₹2 करोड़ (अंकित मूल्य) प्रति प्रतिभूति प्रति नीलामी |
3 | राज्य विकास ऋण (एसडीएल) | प्रति नीलामी में अधिसूचित राशि (अंकित मूल्य) का 1% |
राजकीय स्वर्ण बॉन्ड (एसजीबी) के लिए - एक व्यक्ति प्रति वित्तीय वर्ष 4 किलोग्राम से अधिक एसजीबी की सदस्यता नहीं ले सकता है। वार्षिक सीमा में सरकार द्वारा प्रारंभिक निर्गम दौरान विभिन्न किस्तों के तहत सब्सक्राइब किए गए बांड और द्वितीयक बाजार से खरीदे गए बांड शामिल होंगे।
दिनांक 31 जनवरी 2024 और 16 फरवरी 2024 की प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड पर लगाए गए कारोबारी प्रतिबंध
नए ग्राहकों को जोड़ना
11 मार्च, 2022 का व्यावसायिक प्रतिबंध, जो पेटीएम पेमेंट्स बैंक को अपनी किसी भी सेवा के लिए किसी भी नए ग्राहक को शामिल करने से रोकता है, लागू रहेगा। इसलिए, पेटीएम पेमेंट्स बैंक 11 मार्च, 2022 के बाद किसी भी नए ग्राहक को अपने साथ नहीं जोड़ सकता है।
भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण
एच. ईसीबी का पुनर्वित्त
उत्तर: हां, बशर्ते उधारकर्ता का विद्यमान ईसीबी ढांचे के अंतर्गत ईसीबी जुटाने के लिए पात्र होना जारी रहता है, समग्र लागत विद्यमान ईसीबी की समग्र लागत से कम है, अवशिष्ट परिपक्वता को घटाया नहीं गया है, तथा नई ईसीबी विद्यमान ईसीबी ढांचे का भी अनुपालन करती है।
एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी
C. अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनियाँ (आरएनबीसी)
भारत में विदेशी निवेश
उत्तर: नहीं।
भारतीय मुद्रा
ग. विभिन्न प्रकार के बैंकनोट तथा बैंकनोटों की सुरक्षा विशेषताएँ
भारतीय बैंकनोटों के उत्पादन के लिए अपनाई गई प्रक्रियाएँ तथा प्रणालियाँ वैश्विक स्तर पर अपनाई गई सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप हैं । इसी के अनुरूप, बैंकनोट की गुणवत्ता को आकार, रूपरेखा (डिजाइन) के निर्धारण, मुद्रण विशेषताओं आदि के लिए मानदंडों की छूट सीमा के भीतर रखा जाता है । इस संबंध में प्रेस विज्ञप्ति इस लिंक से देखी जा सकती है:
कोर निवेश कंपनियां
कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)
उत्तर: सीआईसी जिनके पास (क) की आस्ति का आकार 100 करोड़ रुपये से कम है, भले ही वे सार्वजनिक धन का उपयोग कर रहे हों या नहीं और (ख) जिनकी आस्ति का आकार दिनांक 5 जनवरी 2011 की अधिसूचना संख्या डीएनबीएस.पीडी.221/सीजीएम(यूएस) 2011 के अनुसार भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45आईए के तहत रु 100 करोड़ और उससे अधिक है और सार्वजनिक निधि का उपयोग नहीं कर रहे हैं, को बैंक के साथ पंजीकरण से छूट दी गई है। इस प्रकार, उन्हें बैंक के साथ पंजीकरण करने की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं है। चूंकि यह आरबीआई अधिनियम, 1934 की धारा 45एनसी के तहत दी गई छूट है, इसलिए उन्हें बैंक से संपर्क करने की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं है।
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Credit Rating
फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न
कुछ उपयोगी परिभाषाएँ
उत्तर: एक संबंधित पार्टी एक व्यक्ति या इकाई है जो उस इकाई से संबंधित है जो अपने वित्तीय विवरण तैयार कर रही है (जिसे 'रिपोर्टिंग इकाई' कहा जाता है)।
एक व्यक्ति या उस व्यक्ति के परिवार का कोई करीबी सदस्य रिपोर्टिंग इकाई से संबंधित है यदि उस व्यक्ति का :
(i) रिपोर्टिंग इकाई पर नियंत्रण या संयुक्त नियंत्रण है।
(ii) रिपोर्टिंग इकाई पर महत्वपूर्ण प्रभाव है; या
(iii) रिपोर्टिंग इकाई या मूल रिपोर्टिंग इकाई के प्रमुख प्रबंधन कर्मियों का सदस्य है।
एक संबंधित पार्टी की परिभाषा में एक सहयोगी में सहयोगी की सहायक कंपनियां शामिल होती हैं और एक संयुक्त उद्यम में संयुक्त उद्यम की सहायक कंपनियां शामिल होती हैं। अतः उदाहरण के लिए एक सहयोगी की सहायक कंपनी और सहयोगी पर महत्वपूर्ण प्रभाव रखने वाले निवेशक एक दूसरे से संबंधित हैं।
रिटेल डायरेक्ट योजना
निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न
रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म के माध्यम से सरकारी प्रतिभूतियों को खरीदने के दो तरीके हैं:
i. दिनांकित जी-सेक, टी-बिल और एसडीएल (केवल गैर-प्रतिस्पर्धी खंड, यानी, केवल प्रतिभूतियों की वांछित राशि में प्रवेश करके, कीमत दर्ज किए बिना) की प्राथमिक नीलामियों में बोली लगाकर। राजकीय स्वर्ण बॉन्ड (एसजीबी) के लिए, आप आरबीआई द्वारा अपनी वेबसाइट पर घोषित सदस्यता विंडो के दौरान बोली लगा सकते हैं। नीलामी में बोली लगाने पर प्रत्येक विवरण के लिए, आप रिटेल डायरेक्ट पोर्टल पर उपयोगकर्ता मैनुअल का संदर्भ ले सकते हैं।
ii. माध्यमिक बाजार पोर्टल में एक खरीद उद्धरण लगाकर।
देशी जमा
III. अग्रिम
भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण
एच. ईसीबी का पुनर्वित्त
उत्तर: हां।
एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी
C. अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनियाँ (आरएनबीसी)
भारत में विदेशी निवेश
उत्तर: 13 फरवरी 2009 से पूर्व विद्यमान दिशानिर्देशों के अनुसार किए गए डाउन स्ट्रीम निवेश को इन विनियमों के अनुसार होने के लिए कोई आशोधन आवश्यक नहीं होगा। उक्त तारीख के बाद किए गए सभी अन्य निवेश फेमा 20(आर) की परिधि में आएंगे। 13 फरवरी 2009 तथा 21 जून 2013 के बीच किए गए डाउनस्ट्रीम निवेश जो इन विनियमों का अनुपालन नहीं करते हैं, को ऐसे मामलों को इन विनियमों के अनुसार समझने के लिए रिज़र्व बैंक को 3 अक्तूबर 2013 तक रिपोर्ट किए जाने चाहिए थे।
भारतीय मुद्रा
घ) गंदे, कटे-फटे तथा अपूर्ण बैंकनोट
(i) “गंदे नोट” का तात्पर्य उन नोटों से है जो अधिक उपयोग से गंदा हो गया हो, कटा फटा हो या एक साथ चिपका हुआ दो टुकड़ों का पूरा नोट हो, जिसमें प्रस्तुत किए गए दोनों टुकड़े एक ही नोट के हैं तथा इसमें सभी सुरक्षा विशेषताएँ मौजूद हों ।
(ii)“कटा-फटा बैंकनोट” वह बैंकनोट होता है जिसका एक हिस्सा गायब हो अथवा जिसे दो से अधिक टुकड़ों से मिलाकर बनाया गया है ।
(iii)“अपूर्ण बैंकनोट” का तात्पर्य किसी ऐसे बैंकनोट से है जो पूर्ण अथवा आंशिक रूप से विरूपित, सिकुड़ा हुआ, धो दिया गया, परिवर्तित अथवा अपाठ्य है, लेकिन इसमें कटा-फटा बैंकनोट शामिल नहीं होता है ।
कोर निवेश कंपनियां
कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)
उत्तर: नहीं, यह छूट विशेष रूप से केवल सीआईसी को ही दी जाती है। सीआईसी के अलावा अन्य एनबीएफसी इस या सीआईसी निर्देशों के किसी अन्य पहलू से आच्छादित नहीं हैं और उन्हें बैंक के साथ पंजीकरण करना होगा और समय-समय पर जारी बैंक के सभी लागू निर्देशों का पालन करना होगा।
भारतीय मुद्रा
घ) गंदे, कटे-फटे तथा अपूर्ण बैंकनोट
भारतीय रिज़र्व बैंक आम जनता को अच्छी गुणवत्ता वाले बैंकनोट उपलब्ध कराने के लिए निरंतर प्रयासरत है । भारतीय रिज़र्व बैंक तथा बैंकिंग प्रणाली के इस उद्देश्य को पूरा करने में मदद हेतु आम जनता से निम्नलिखित व्यवहारों को अंगीकार करने का अनुरोध किया जाता है :
-
बैंकनोटों को नत्थी न करें ।
-
बैंकनोटों पर कुछ लिखें नहीं / कोई रबर स्टैम्प अथवा अन्य कोई निशान न लगाएँ।
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बैंकनोटों का उपयोग माला/खिलौने बनाने, पंडाल तथा पूजास्थल को सजाने के लिए अथवा सामाजिक आयोजनों में व्यक्तियों पर बरसाने आदि के लिए न करें ।
भारतीय रिजर्व बैंक ने 12 मार्च, 2008 को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर जनता से अपील की है कि वे माला बनाने, पंडालों और पूजा स्थलों को सजाने या सामाजिक समारोहों में हस्तियों पर नोट बरसाने आदि के लिए बैंक नोटों का उपयोग न करें। इस संबंध में जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति निम्नलिखित लिंक पर उपलब्ध है
अपने बैंक नोटों का सम्मान करें : भारतीय रिज़र्व बैंक की आम जनता से अपील - आरबीआई
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Credit Rating
एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी
C. अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनियाँ (आरएनबीसी)
रिटेल डायरेक्ट योजना
निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न
फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न
कुछ उपयोगी परिभाषाएँ
उत्तर: किसी भी घरेलू देनदारी या संपत्ति (भले ही वह विदेशी मुद्रा में हो) को एफ़एलए रिटर्न में रिपोर्ट नहीं किया जाना चाहिए।
देशी जमा
III. अग्रिम
भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
32.1. भारतीय रिज़र्व बैंक वित्तीय बाज़ार निगरानी - http://www.rbi.org.in/Scripts/ financialmarketswatch.aspx
इस साइट में एनडीएस (ओटीसी बाज़ार) में सरकारी प्रतिभूतियों के मूल्य, एनडीएस-ओएम, मुद्रा बाज़ार संबंधी कई लिंक और सरकारी प्रतिभूतियों से संबंधित अन्य जानकारी जैसे अशोधित स्टाक आदि, उपलब्ध कराई गई है ।
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32.2. एनडीएस-ओएम बाज़ार निगरानी http://www.ccilindia.com/OMHome.aspx
इस साइट में सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद-फरोख्त का मूल्य और साथ ही निर्दिष्ट मूल्य के संबंध में तात्कालिक जानकारी उपलब्ध कराई जाती है । इसके अलावा, यदा जारी (डब्ल्यूआई) (जब भी सौदा होता हो) वाला खंड भी मुहैया कराया जाता है ।
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32.3. एनडीएस बाज़ार निगरानी - http://www.rbi.org.in/Scripts/NdsUserXsl.aspx
इस साइट में ओटीसी बाज़ार में सरकारी प्रतिभूतियों के मूल्यों संबंधी जानकारी उपलब्ध कराई जाती है । इसमें निश्चित तारीखों के बीच की अवधि में विशिष्टि प्रतिभूतियों के मूल्यों की खोज करने की भी सुविधा है ।
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32.4. फमिडा - http://www.fimmda.org/
इस साइट में सरकारी प्रतिभूतियों सहित सभी नियत आय वाली प्रतिभूतियों संबंधी बाज़ार प्रथा की ढेर सारी जानकारी मुहैया कराई जाती है । इस साइट में फमिडा द्वारा अंगीकृत विभिन्न मूल्य-निर्धारण मॉडलों के ब्योरे दिए जाते हैं । साथ ही, इस साइट के माध्यम से फमिडा सरकारी प्रतिभूतियों, कार्पोरेट बांड स्प्रेडों आद के दैनिक, मासिक और वार्षिक के बंद भाव के ब्योरे मुहैया कराता है । इस साइट में प्रवेश करके जानकारी प्राप्त करने के लिए वैध लॉग-इन और पासवर्ड ज़रूरी है, जिन्हें फमिडा पात्र संस्थाओं को उपलब्ध कराता है ।
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बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण
एच. ईसीबी का पुनर्वित्त
उत्तर: हां। तथापि ईसीबी के नए उधारदाताओं को भी ईसीबी ढांचे में परिभाषित किए गए अनुसार विदेशी इक्विटि धारक होना चाहिए तथा यह पुनर्वित्त पोषण संबंधी यथालागू दिशानिर्देशों के अधीन होना चाहिए।
भारत में विदेशी निवेश
उत्तर: नहीं
भारतीय मुद्रा
घ) गंदे, कटे-फटे तथा अपूर्ण बैंकनोट
हाँ, इस प्रकार के बैंकनोटों को मूल्य के लिए बदला जा सकता है ।
रिटेल डायरेक्ट योजना
निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न
i. प्राथमिक बाजार रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म में लोग इन करने के बाद, पृष्ठ के शीर्ष पर डैशबोर्ड के बगल में 'प्राथमिक बाजार' विकल्प का चयन करें।
ii. 'नीलामी वॉच' से बोली लगाने और 'बिड एंट्री' विंडो में बोली राशि दर्ज करने के लिए प्रतिभूति का चयन करें।
iii. व्यक्ति बोली के समय या बाद में अपनी बोली का वित्तपोषण कर सकते हैं, लेकिन बोली/सदस्यता विंडो के बंद होने से पहले। आरबीआई को बोलियां प्रस्तुत करने की तारीख के अनुसार वित्त पोषित नहीं की जाने वाली बोलियां रद्द कर दी जाएंगी।
iv. बोलियों के लिए भुगतान करने के लिए, खुदरा ग्राहक ऑनलाइन पोर्टल से जुड़े भुगतान गेटवे का उपयोग करके नामित चालू खाते में धन स्थानांतरित करने के लिए यूपीआई (ट्रांसफर या ब्लॉक) और नेट बैंकिंग जैसी सेवाओं का उपयोग कर सकते हैं।
v. नीलामी परिणाम के एक भाग के रूप में प्राप्त आवंटन सूचना के आधार पर, आवंटन व्यक्तिगत निवेशकों को किया जाएगा।
vi. पूर्ण आवंटन के मामले में, प्रत्येक बोलीदाता को पूरे अंकित मूल्य का आवंटन किया जाएगा जिसके लिए बोलियां प्रस्तुत की गई थीं। आंशिक आवंटन के मामले में नीलामी में निर्धारित आंशिक आवंटन प्रतिशत के आधार पर बोलीदाता को आनुपातिक आवंटन किया जाएगा।
बिडिंग प्रक्रिया के बारे में अधिक जानकारी के लिए, आप रिटेल डायरेक्ट पोर्टल के सहायता खंड में उपयोगकर्ता मैनुअल का संदर्भ ले सकते हैं।
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Credit Rating
फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न
कुछ उपयोगी परिभाषाएँ
उत्तर: यदि रिपोर्टिंग भारतीय कंपनी भारत के विदेशी प्रत्यक्ष निवेश योजना के तहत विदेशी कंपनी के इक्विटी और/या भाग लेने वाले वरीयता शेयरों में, अर्थात संयुक्त उद्यम या विदेश में पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों में निवेश करती है तो इसे भारतीय कंपनी का विदेश में प्रत्यक्ष निवेश माना जाता है।
नोट: एफएलए रिटर्न दाखिल करने के लिए आगे के मार्गदर्शन के लिए पंजीकरण दिशानिर्देश और अनुभाग-वार अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न फ्लेयर पोर्टल (https://flair.rbi.org.in/fla/faces/pages/login.xhtml) के एफएक्यू अनुभाग में उपलब्ध है।
देशी जमा
III. अग्रिम
बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण
आई. ईसीबी ढांचे के अंतर्गत हेजिंग
उत्तर: कोई भी एंटीटी जो भारतीय रुपये में ईसीबी (विदेश में रुपया में मूल्यवर्गित बॉन्डों का निर्गम करने सहित) जुटती है, को इस प्रकार से उठाने वाली देयता को किसी भी प्रकार से विदेशी मुद्रा देयता में परिवर्तित करने अथवा डेरिवेटिव कांट्रैक्ट अथवा अन्यथा में शामिल होकर किसी प्रकार का विदेशी मुद्रा जोखिम भी उठाने की अनुमति नहीं है।
भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
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एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी
C. अवशिष्ट गैर-बैंकिंग कंपनियाँ (आरएनबीसी)
भारत में विदेशी निवेश
उत्तर: हां। भारतीय कंपनी के लिए एफ़सी-टीआरएस भी भरना आवश्यक है।
भारतीय मुद्रा
घ) गंदे, कटे-फटे तथा अपूर्ण बैंकनोट
सभी बैंकों को पूर्ण मूल्य हेतु गंदे बैंकनोटों को बदलने तथा स्वीकार करने के लिए प्राधिकृत किया गया है । उन्हें गंदे/कटे-फटे नोटों के बदलने की सुविधा अपने ग्राहकों से इतर व्यक्तियों के लिए भी विस्तारित करना है।
वाणिज्यिक बैंकों की सभी शाखाओं को, भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) संशोधित नियमावली, 2009 [भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) संशोधित नियमावली, 2018, यथा संशोधित] के अनुसार, कटे-फटे बैंकनोटों (जो वैध मुद्रा हैं) का अधिनिर्णय करने तथा इसके लिए मूल्य का भुगतान करने हेतु प्राधिकृत किया गया है ।
छोटे वित्त बैंक (अपने बैंकिंग व्यवसाय के प्रारम्भ से दो वर्ष तक) तथा भुगतान बैंक अपने विकल्प पर कटे-फटे तथा अपूर्ण/दोषपूर्ण नोटों को बदल सकते हैं।
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Credit Rating
रिटेल डायरेक्ट योजना
निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न
देशी जमा
III. अग्रिम
बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण
आई. ईसीबी ढांचे के अंतर्गत हेजिंग
उत्तर: हां। न्यूनतम अनिवार्य हेज की शर्त है।
भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
प्राथमिक व्यापारियों की सूची | ||
(क) | बैंक पीडी | फोन नं. |
1. | सिटि बैंक एनए., मुंबई शाखा | (022) 40015453/40015378 |
2. | स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक | (022) 622303/22652875/22683695 |
3. | बैंक ऑफ अमरीका एन.ए. | (022) 66323040/3140/3192 |
4. | जे.पी. मॉरगन चेज़ बैंक एन.ए. | (022) 6639 3084/66392944 |
5. | एचएसबीसी बैंक | (022) 22623329/22681031/34/33 |
6. | बैंक ऑफ बड़ौदा | (022) 66363682/83 |
7. | केनरा बैंक | (022) 22800101-105/22661348 |
8. | कोटक महिद्रा बैंक लिमि. | (022) 67836107 & 66596235/ 6454 |
9. | कार्पोरेशन बैंक | (022) 22832429/22022796/ 22871054 |
10. | एचडीएफसी बैंक | (022) 66521372/9892975232 |
11. | एबीएन अमरो बैंक एन.वी. | (022) 66386132/128 |
(ख) | स्वतंत्र पीडी |
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1. | आडीबीआइ गिल्ट्स | (022) 66177900/911 |
2. | आसीआसीआइ सिक्यू. पीडी लिमि. | (022) 66377421/22882460/70 |
3. | पीएनबी गिल्ट्स लिमि. | (022) 22693315/17 |
4. | एसबीआइ डीएफएचआइ लिमि. | (022) 22610490/66364696 |
5. | एसटीसीआइपीडी लिमि. | (022) 66202261/2200 |
6. | ड्यूश सिक्यूरिटीज़ (इं.) प्रा. लिमि. | (022) 67063068/3066/67063115 |
7. | मॉरगन स्टेनले प्राइमरी डीलर प्रा. लिमि. | (022) 22096600 |
8. | नोमुरा फिक्स्ड इंकम सिक्यूरिटीज़ प्रा. लिमि. | (022) 67855111/ 67855118 |
* | बैंक पीडी वे हैं जो बैंक के भाग के रूप में पीडी कारोबार विभागीय रूप से करते हैं । | |
** | स्वतंत्र पीडी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (एनबीएफसी) हैं जो केवल पीडी करोबार ही करते हैं । |
भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट
http://www.rbi.org.in/commonman/English/Scripts/PrimaryDealers.aspx पर प्राथमिक व्यापारियें की अद्यतनसूची उपलब्ध है ।
एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी
D. जमाराशियों की परिभाषा, जमाराशियां स्वीकार करने योग्य/अयोग्य संस्थाएं और उनसे संबंधित मामले
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45झ(खख) में ‘जमाराशि’ शब्द की परिभाषा दी गई है। जमाराशि में जमा या ऋण या किसी अन्य प्रकार से किसी धन की प्राप्ति सम्मिलित है और सदैव मानी जाएगी परंतु इसमें निम्नलिखित शामिल नहीं होगी:
i. शेयर पूंजी के रूप में जुटाई गई रकम, अथवा फर्म के साझेदारों द्वारा पंजी के लिए किया गया अंशदान;
ii. अनुसूचित बैंक, सहकारी बैंक, बैंकिंग कंपनी, राज्य वित्त निगम, भारतीय औद्योगिक विकास बैंक और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट किसी अन्य संस्था से प्राप्त राशि;
iii. सामान्य कारोबार के दौरान जमानत जमाराशि, डीलरशीप जमा, बयाना माल, संपत्ति और सेवाओं के आदेशों पर अग्रिम के रूप में प्राप्त हुई अग्रिम राशि;
iv. निगमित निकाय से इतर पंजीकृत धन उधार देने वाले से प्राप्त रकम;
v. ‘चिट’ के संबंध में अंशदान के रूप में प्राप्त राशि;
गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां जनता से जमा राशियों का स्वीकरण (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998 के पैरा 2(1)(xii) में जनता की जमा राशियों को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45झ (खख) के अंतर्गत परिभाषित जमाराशि, जिसमें निम्नलिखित को शामिल नहीं किया गया हो, के रूप में परिभाषित किया गया है:
ए. केन्द्र/राज्य सरकार या अन्य स्रोत से प्राप्त राशि जहां केन्द्र/राज्य सरकार द्वारा चुकौती की गारंटी दी गई हो अथवा स्थानीय निकाय या विदेशी सरकार या किसी विदेशी नागरिक/ प्राधिकारी/व्यक्ति से प्राप्त कोई राशि;
बी. इस प्रयोजन के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट वित्तीय संस्थानों से प्राप्त कोई राशि; अन्य
सी. अन्य कंपनी से किसी कंपनी को प्राप्त कोई राशि;
डी. आबंटन के लिए विचारधीन/लंबित शेयरों/स्टॉक/ बांडस या ऋणपत्रों में अभिदान के रूप में प्राप्त राशि या क्रय के लिए अग्रिम के रूप में प्राप्त राशि बशर्तें ऐसी राशि कंपनी के अंतर्नियमों के अंतर्गत सदस्यों को चुकायी न जानी हो;
ई. कंपनी के निदेशकों से प्राप्त राशि अथवा प्राइवेट कंपनी अथवा प्राइवेट कंपनी जो पब्लिक कंपनी बन गई हो के इसके शेयर धारकों से प्राप्त राशि;
एफ. कंपनी किसी अचल संपत्ति को अथवा स्थिति के अनुसार कंपनी के किसी अन्य संपत्ति को गरवी रखकर रक्षित ऋण अथवा बांडस जारी कर जुटाई गई राशि
एफए. एक वर्ष से अधिक समावधि में परिपक्वता वाली तथा रू 1 करोड तथा उससे अधिक न्यूनतम प्रति खरीदकर्ता वाली गैर-परिवर्तनीय ऋण पत्र को जारी कर जुटाई गई कोई राशि, बशर्तें कि बैंक द्वारा जारी दिशानिदेश के अनुसार हो;
जी. प्रवर्तकों द्वारा गैर जमानती ऋण के रूप में लायी गयी राशि;
एच. म्यूचुअल फंड से प्राप्त राशि;
आइ. संमिश्र या गौण ऋण के रूप में प्राप्त कोई राशि;
जे. किसी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के निदेशक और निदेशक के रिश्तेदार से प्राप्त राशि;
के. वाणिज्यिक पत्र (कमर्शियल पेपर) जारी करके प्राप्त कोई राशि;
एल. प्रणालीगत महत्वपूर्ण जमाराशि नहीं स्वीकार करने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी द्वारा ‘बेमियादी कर्ज लिखत’ जारी कर प्राप्त कोई राशि;
एम. इंफ्रास्ट्रक्चर वित्त कंपनी द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर बांडस जारी कर प्राप्त कोई राशि।
इस प्रकार उपर्युक्त निदेशों में जनता की जमाराशि की परिभाषा में से उन उधार देने वालों की कतिपय श्रेणी से उगाही गई राशि को बाहर रखने की कोशिश की गई है जो स्वयं निर्णय ले सकते है।
भारत में विदेशी निवेश
उत्तर: फॉर्म एफ़सीटीआरएस फेमा 20(आर) के अनुसार निम्नलिखित के बीच बिक्री के माध्यम से पूंजीगत लिखतों के अंतरण के लिए फ़ाइल किया जाएगा
i. भारत के बाहर निवास करने वाला व्यक्ति जिसने प्रत्यावर्तनीय आधार पर किसी भारतीय कंपनी में पूंजीगत लिखत धारण किए हैं, से भारत के बाहर निवास करने वाला व्यक्ति जिसने अप्रत्यावर्तनीय आधार पर पूंजीगत लिखत धारण किए हैं को;
ii. भारत के बाहर निवास करने वाला व्यक्ति जिसने अप्रत्यावर्तनीय आधार पर पूंजीगत लिखत धारण किए हैं से भारत के बाहर निवास करने वाला व्यक्ति जिसने प्रत्यावर्तनीय आधार पर किसी भारतीय कंपनी में पूंजीगत लिखत धारण किए हैं को;
iii. भारत के बाहर निवास करने वाला व्यक्ति जिसने प्रत्यावर्तनीय आधार पर किसी भारतीय कंपनी में पूंजीगत लिखत धारण किए हैं से भारत में निवास करने वाले व्यक्ति को;
iv. भारत में निवास करने वाला व्यक्ति जिसने किसी भारतीय कंपनी में पूंजीगत लिखत धारण किए हैं से भारत के बाहर निवास करने वाला व्यक्ति जिसने प्रत्यावर्तनीय आधार पर किसी भारतीय कंपनी में पूंजीगत लिखत धारण किए हैं को
फेमा 20(आर) के विनियम 10(3) में निर्धारित किए गए अनुसार भारत के बाहर के निवासी व्यक्ति द्वारा किसी मान्यताप्राप्त स्टॉक एक्स्चेंज पर पूंजीगत लिखतों की बिक्री को ऐसे व्यक्ति द्वारा फॉर्म एफ़सी-टीआरएस में रिपोर्ट किया जाना चाहिए।
एफ़सी-टीआरएस निम्नलिखित के लिए आवश्यक नहीं है:
i. अप्रत्यावर्तनीय आधार पर शेयर धारित करने वाले अनिवासी द्वारा भारतीय कंपनी के शेयरों का किसी निवासी को अंतरण तथा इसके विपरीत
ii. भारत के बाहर निवास करने वाला व्यक्ति जिसने प्रत्यावर्तनीय आधार पर किसी भारतीय कंपनी में पूंजीगत लिखत धारण किए हैं द्वारा भारत के बाहर निवास करने वाला व्यक्ति जिसने प्रत्यावर्तनीय आधार पर पूंजीगत लिखत धारण किए हैं।
iii. उपहार के रूप में शेयरों का अंतरण
रिपोर्टिंग का दायित्व निवासी (अंतरणकर्ता/ अंतरिती) अथवा अप्रत्यावर्तनीय आधार पर पूंजीगत लिखत धारण करने वाले भारत के बाहर निवास करने वाले व्यक्ति, जैसी स्थिति हो, का होगा। एडी बैंक के पास फॉर्म एफ़सी-टीआरएस निधियों की प्राप्ति/ विप्रेषण अथवा पूंजीगत लिखतों के अंतरण, इनमें से जो भी पहले हो, के साठ दिन के भीतर फ़ाइल किया जाना है।
भारतीय मुद्रा
घ) गंदे, कटे-फटे तथा अपूर्ण बैंकनोट
भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली, 2009 [भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) संशोधित नियमावली, 2018, यथा संशोधित] के भाग III में विनिर्दिष्ट नियमों के तहत अपूर्ण नोट के मूल्य के पूर्ण मूल्य/आधे मूल्य का भुगतान किया जा सकता है, जो हमारी वेबसाइट www.rbi.org.in → प्रकाशन → सामयिक खंड के तहत उपलब्ध है ।
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Credit Rating
रिटेल डायरेक्ट योजना
निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न
दिनांकित जी-सेक, टी-बिल और एसडीएल के लिए, प्रति यूनिट राशि प्रतिभूति की सांकेतिक कीमत, अर्जित ब्याज और एक मार्क-अप के आधार पर होगी।
एसजीबी के लिए यह फंडिंग आरबीआई द्वारा उस विशेष मुद्दे के लिए घोषित निर्गम मूल्य पर आधारित होगी।
देशी जमा
III. अग्रिम
भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
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बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण
आई. ईसीबी ढांचे के अंतर्गत हेजिंग
उत्तर: उपयोगकर्ता समय-समय पर संशोधित जोखिम प्रबंधन तथा अंतर-बैंक लेनदेन पर 5 जुलाई 2016 का मास्टर निदेश देखें।
एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी
D. जमाराशियों की परिभाषा, जमाराशियां स्वीकार करने योग्य/अयोग्य संस्थाएं और उनसे संबंधित मामले
सहकारी बैंकों सहित सभी बैंक जमाराशियां स्वीकार कर सकते हैं। गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ, जिन्हें रिज़र्व बैंक द्वारा जमाराशियाँ स्वीकार करने के विशिष्ट लाइसेंस के साथ पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी किया गया है, जनता से जमाराशियाँ स्वीकार करने के लिए पात्र हैं। दूसरे शब्दों में, रिज़र्व बैंक के पास पंजीकृत सभी एनबीएफसीज जमाराशियाँ स्वीकार करने के लिए पात्र नहीं है, केवल वही एनबीएफसी जमाराशियाँ स्वीकार करने के लिए पात्र हैं जिनके पास जमाराशि स्वीकार करने का पंजीकरण प्रमाणपत्र है। साथ ही, ये केवल अनुमत सीमा तक ही जमाराशियाँ स्वीकार कर सकती हैं। आवास वित्त कंपनियां जिन्हें जमाराशियां जुटाने हेतु दुबारा विशेष रूप से अधिकृत किया गया है और वे कंपनियाँ जिन्हें कारपोरेट कार्य मंत्रालय द्वारा केंद्र सरकार द्वारा कंपनी अधिनियम के अधीन बनाए गए ‘कंपनी जमा ग्रहण नियम’ के तहत जमाराशियाँ स्वीकार करने हेतु अधिकृत किया गया है, भी एक निश्चित सीमा तक जमाराशियाँ स्वीकार कर सकती हैं। सहकारी साख समितियाँ अपने सदस्यों से जमाराशियां स्वीकार कर सकती है किंतु आम जनता से नहीं। भारतीय रिजर्व बैंक केवल बैंको, सहकारी बैंको और एनबीएफसी द्वारा स्वीकार की गई जमाराशियों को विनियमित करता है।
अन्य संस्थाओं को सार्वजनिक जमाराशियां स्वीकार करने की वैधानिक अनुमति नहीं है। अनिगमित निकायों यथा व्यक्ति, भागीदारी कंपनियाँ और व्यक्तियों के अन्य समूहों को उनके प्रमुख व्यवसाय के रूप में जनता से जमाराशियां स्वीकार करने की मनाही है। ऐसे अनिगमित निकाय अगर वित्तीय व्यवसाय चलाते भी हों तो भी उन्हें जमाराशियां स्वीकार करने की अनुमति नहीं है।
भारत में विदेशी निवेश
II. विदेशी संविभाग (पोर्टफोलियो) निवेश
उत्तर: सेबी (एफ़पीआई) विनियमावली के अनुसार पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक तथा अनिवासी / प्रवासी भारतीय, फेमा 20(आर) की अनुसूची क्रमशः 2 तथा 3 में निर्धारित व्यक्तिगत तथा कुल सीमाओं के अधीन भारत में स्टॉक एक्स्चेंज पर निवेश कर सकते हैं।
भारतीय मुद्रा
घ) गंदे, कटे-फटे तथा अपूर्ण बैंकनोट
यह विवरण हमारी वेबसाइट के इस लिंक पर उपलब्ध है : www.rbi.org.in>>मुद्रा प्रबंधन>>अधिसूचनाएं
पुराने (2009) तथा संशोधित एनआरआर (2018) का सारांश निम्नानुसार है :
नोट वापसी नियमावली – संशोधित
क्र. | पुराने एनआरआर (2009) के अनुसार |
संशोधित एनआरआर (2018) के अनुसार |
1 | रु. 20 मूल्यवर्ग तक के नोट
|
कोई परिवर्तन नहीं |
2 |
रु. 50/- तथा इससे अधिक मूल्यवर्ग के नोट
|
रु. 50/- तथा इससे अधिक मूल्यवर्ग के नोट
|
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Liquid Asset requirement
देशी जमा
III. अग्रिम
रिटेल डायरेक्ट योजना
निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न
भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
बॉण्ड संबंधी गणना के लिए महत्वपूर्ण एक्सेल कार्य
कार्य | रचनाक्रम |
1. वर्तमान मूल्य | पीवी (रेट एनपीईआर, पीएमटी, एफवी, टाइप) |
यह फंक्शन बट्टे की दी हुई दर से भविष्य में किए जाने वाले भुगतानों की श्रृंखला के वर्तमान मूल्य जानने के लिए प्रयोग में लाया जाता है ।
रेट - प्रत्येक अवधि की ब्याज दर है ।
एनपीईआर - एक वर्ष में भुगतान अवधियों की कुल संख्या है ।
पीएमटी - प्रत्येक अवधि में किया गया भुगतान है तथा वार्षिकी की अवधि में परिवर्तित नहीं हो सकती ।
एफवी - भविष्य में होने वाला मूल्य है अथवा अंतिम भुगतान के बाद आप नकदी शेष लेना चाहें । यदि एफवी को हटा दिया जाए तो उसे 0 माना जाएगा (उदाहरणार्थ किसी ऋण का भविष्य में होने वाला मूल्य 0 है) ।
टाइप - 0 अथवा 1 संख्या है और ये निर्दिष्ट करते हैं कि भुगतान कब देय है ।
टाइप का अर्थ | यदि भुगतान देय है |
0 अथवा छोड़ दिया | अवधि के अंत में |
1 | अवधि के आरंभ में |
उदाहरण - तीन वर्ष के लिए प्रत्येक वर्ष के बाद 100 रु. के वर्तमान मूल्य को 9% की ब्याज दर से, इसका मूल्य निम्नानुसार होगा ।
रेट - 9% अथवा 0.09; एनपीईआर-3 (3 वर्ष); पीएमटी-100; एफवी-0 क्योंकि तीन वर्ष के बाद शेष शून्य होगा ; टाइप-0 (अवधिके अंत में) उत्तर - 253.13 होगा ।
2. भविष्य में होने वाला मूल्य | एफवी (रेट, एनपीईआर, पीएमटी, पीवी, टाइप) |
इस फंक्शन का प्रयोग दी गई ब्याज दर पर किए गए निवेशों की श्रृंखला के भविष्य में मूल्य की गणना के लिए किया जाता है ।
दर - प्रत्येक अवधिक के लिए ब्याज दर है ।
एनपीईआर - एक वर्ष में भुगतान अवधियों की कुल संख्या है ।
पीएमटी - प्रत्येक अवधि में किया गया भुगतान है तथा वार्षिकी की अवधि में परिवर्तित नहीं हो सकती । विष्टि रूप से पीएमटी में मूलधन और ब्याज होता है पर अन्य कोई शुल्क या कर नहीं होते । यदि पीएमटी को हटा दिया जाए तो पीवी तर्क को शामिल किया जाना चाहिए ।
पीवी - वर्तमान मूल्य है या एकमुश्त राशि है अर्थात अभी भविष्य में किए जाने वाले भुगतानों की श्रृंखला। यदि पीवी को हटा दिया जाए तो उसे 0 माना जाएगा(जीरो) और पीएमटी तर्क को शामिल किया जाना चाहिए ।
टाइप - 0 अथवा 1 संख्या है और ये निर्दिष्ट करते हैं कि भुगतान कब देय है । यदि टाइप हटा दिया जाए तो यह 0 माना जाए ।
उदाहरण - प्रत्येक वर्ष अदा किए गए 100 रु. के भविष्य मूल्य की तीन वर्ष के लिए 9% की ब्याज दर गणना करने पर मूल्य निम्नानुसार होगा :
दर - 9% अथव 0.09, एनपीईआर-3 (3 वर्ष); पीएमटी-100; पीवी-0; क्योंकि शुरु में कोई एकमुश्त भुगतान नही है; टाइप-1 (अवधि के शुरु होने पर) उत्तर 357.31 होगा ।
3. कूपन दिवस | COUPDAYBS (समायोजन, परिपक्वता, अवधिकता, आधार) |
यह फंक्शन कूपन अवधि के शुरु से अंत तक दिनों की संख्या की गणना के लिए प्रयोग किया जाता है, जिसमें समायोजन तारीख होती है ।
समायोजन प्रतिभूति की समायोजन तारीख होती है । प्रतिभूति समायोजन तारीख, जारी की तारीख के बाद की तारीख होती है जब प्रतिभूति क्रेता को बेची जाती है ।
परिपक्वता प्रतिभूति की परिपक्वता की तारीख होती है । परिपक्वता तारीख वह होती है जिस दिन प्रतिभूति की अवधि समाप्त होती है ।
आवधिकता का अर्थ प्रति वर्ष कूपन भुगतानों की संख्या है । वार्षिक भुगतान के लिए आवधिकता=1; अर्धवार्षिकी के लिए, आवधिकता=2; तिमाही के लिए आवधिकता=4 ।
आधार प्रयोग के लिए गणना के आधार पर दिनों की गिनती होगा । दिवस की गणना की परंपरा नीचे दर्शाए अनुसार उपलब्ध कराई जाए ।
आधार | दिनों की गिनती का आधार | आधार | दिनों की गिनती का आधार |
0 अथवा हटाया गया | यूएस (एनएएसडी) 30/360 | 3 | वास्तविक 365 |
1 | वास्तविक/वास्तविक | 4 | यूरोपियन 30/360 |
2 | वास्तविक/360 |
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|
उदाहरण - 2 फरवरी 2019 को परिपक्व होने वाली प्रतिभूति जिसकी समायोजन तारीख 27 मई 2009; फार्मूला मूल्य निम्नानुसार होगा :
परिपपक्वता 2/2/2019; समायोजन-25/5/2009/आवधिकता-2 (छमाही कूपन) और आधार 4 (दिन गिनने की परंपरा 30/360)
परिणाम 180 होगा (कूपन अवधि में कूपन दिनें की सं.)
4. ईयरप्रैक | ईयरप्रैक (आरंभ-तारीख, समाप्ति-तारीख, आधार) (अवशेष परिपक्वता प्राप्त करने के लिए) |
इस फंक्शन का प्रयोग प्रतिभूति की अवशिष्ट परिपक्वता वर्षों में जाने के लिए किया जाता है ।
आरंभ - तारीख वह तारीख हे जो आरंभ की तारीख बताती है ।
समाप्ति - तारी वह तारीख है जो अंत की तारीख बताती है ।
आधार प्रयोग के आधार पर दिनों की संख्या का स्वरूप है ।
उदाहरण - 6 फरवरी 2019 को परिपक्व होने वाली प्रतिभूति के लिए 27 मई 2009 को वर्षों में अवशिष्ट परिपक्वता की गणना निम्नानुसार होगी :
आरंभ की तारीख - 27 मई 2009, अंत की तारीख 2/2/2019, आधार-4
परिणाम 9.68 वर्ष होगा ।
5. मूल्य | मूल्य (समायोजन, परिपक्वता, दर, प्रतिफल, शोधन, आवधिकता, आधार) |
इस फंक्शन का प्रयोग आवधिक ब्याज देने वाली प्रतिभूति का मूल्य जानने के लिए किया जाता है ।
समायोजन प्रतिभूति की समायोजन तारीख है ।प्रतिभूति समायोजन की तारीख वह तारीख होती है जिस तारीख को निधि और प्रतिभूति का आदान-प्रदान होता है ।
परिपक्वता प्रतिभूति की परिपक्वता की तारीख है । परिपक्वता तारीख वह तारीख है जब प्रतिभूति की अवधि समाप्त होती है ।
दर प्रतिभूति की वार्षिक कूपन दर है ।
प्रतिफ्ल प्रतिभूति की वार्षिक प्रतिफल है ।
शोधन प्रत्येक 100 रु. के अंकित मूल्य पर प्रतिभूति का शोधन मूल्य है ।
आवधिकता का अर्थ प्रति वर्ष कूपन भुगतानों की संख्या है । वार्षिक भुगतान के लिए आवधिकता=1; अर्धवार्षिकी के लिए, आवधिकता=2; तिमाही के लिए आवधिकता=4 ।
आधार प्रयोग के आधार पर दिन गिनने का स्वरूप है ।
उदाहरण - 6.05% 2019, 2 फरवरी 2019 को परिपक्व होने वाली प्रतिभूति है । 1 जून 2009 को द्वितीयक बाजार में इसकी प्रतिफल 6.68% है । समायोजन तारीख 2 जून 2009 है । मूल्य फार्मूला में इसका मूल्य निम्नानुसार होगा ।
समायोजन - 2/6/2009; परिपक्वता-2/2/2009; दर 6.05%; प्रतिफल-6.68%; शोधन-100 (अंकित मूल्य); आवधिकता - 2 (छमाही कूपन); आधार-4
परिणाम 95.55 प्रतिशत होगा ।
6. प्रतिफल | प्रतिफल (समायोजन, परिपक्वता, दर, पीआर, शोधन, आवधिकता, आधार) । |
इस फंक्शन का प्रयोग प्रतिभूति का मूल्य दिए जाने पर प्रतिभूति की परिपक्वता पर प्रतिफल निकालने के लिए किया जाता है ।
समायोजन - प्रतिभूति की समायोजन तारीख है । प्रतिभूति समायोजन की तारीख वह तारीख होती है जिस तारीख को निधि और प्रतिभूति का अदान-प्रदान होता है ।
परिपक्वता - प्रतिभूति की परिपक्वता की तारीख है । परिपक्वता तारीख वह तारीख है जब प्रतिभूति की अवधि समाप्त होती है ।
दर - प्रतिभूति की वार्षिक कूपन दर है ।
पीआर - प्रति 100 रु. के अंकित मूल्य का प्रतिभूति मूल्य
शोधन - प्रत्येक 100 रु. के अंकित मूल्य पर प्रतिभूति का शोधन मूल्य है ।
आवधिकता का अर्थ प्रति वर्ष कूपन भुगतानों की संख्या है । वार्षिक भुगतान के लिए आवधिकता=1; अर्धवार्षिकी के लिए, आवधिकता=2; तिमाही के लिए आवधिकता=4 ।
आधार - प्रयोग के आधार पर दिन गिनने का स्वरूप है ।
ऊपर दिए गए उसी उदाहरण को लेते हुए तथा 95.55 रु. के मूल्य पर प्रतिफल का परिणाम 6.68% होगा ।
7. अवधि | अवधि (समायोजन, परिपक्वता, कूपन, प्रतिफल, आवधिकता, आधार) । |
इस फंक्शन का प्रयोग प्रतिभूति की अवधि वर्षों की संख्या में जानने के लिए किया जाता है ।
समायोजन प्रतिभूति की समायोजन तारीख है । प्रतिभूति समायोजन की तारीख वह तारीख होती है जिस तारीख को निधि और प्रतिभूति का अदान-प्रदान होता है ।
परिपक्वता - प्रतिभूति की परिपक्वता की तारीख है । परिपक्वता तारीख वह तारीख है जब प्रतिभूति की अवधि समाप्त होती है ।
कूपन - प्रतिभूति की वार्षिक कूपन दर है ।
प्रतिफल - प्रतिभूति की वार्षिक प्रतिफल है ।
आवधिकता का अर्थ प्रति वर्ष कूपन भुगतानों की संख्या है । वार्षिक भुगतान के लिए आवधिकता=1; अर्धवार्षिकी के लिए, आवधिकता=2; तिमाही के लिए आवधिकता=4 ।
आधार प्रयोग के आधार पर दिन गिनने का स्वरूप है ।
उदाहरण - 6.05% 2019, 2 फरवरी 2019 को परिपक्व होने वाली प्रतिभूति है । 1 जून 2009 को द्वितीयक बाजार में इसकी प्रतिफल 6.68% है । समायोजन तारीख 2 जून 2009 है । अवधि फार्मूला में मूल्य निम्नानुसार होगा । समायोजन-2-6-2009; परिपक्वता-2-2-2019; दर-6.05%; प्रतिफल-6.68%; आवधिकता-2 (छमाही कूपन); आधार-4
परिणाम 7.25 वर्ष होगा ।
8. संशोधित अवधि | संशोधित अवधि (समायोजन, परिपक्वता, कूपन, प्रतिफल, आवधिकता, आधार) । |
इस फंक्शन का प्रयोग प्रतिभूति की संशोधित अवधि जानने के लिए किया जाता है ।
समायोजन - प्रतिभूति की समायोजन तारीख है । प्रतिभूति समायोजन की तारीख वह तारीख होती है जिस तारीख को निधि और प्रतिभूति का अदान-प्रदान होता है ।
परिपक्वता - प्रतिभूति की परिपक्वता की तारीख है । परिपक्वता तारीख वह तारीख है जब प्रतिभूति की अवधि समाप्त होती है ।
कूपन - प्रतिभूति की वार्षिक कूपन दर है ।
प्रतिफल - प्रतिभूति की वार्षिक प्रतिफल है ।
आवधिकता का अर्थ प्रति वर्ष कूपन भुगतानों की संख्या है । वार्षिक भुगतान के लिए आवधिकता=1; अर्धवार्षिकी के लिए, आवधिकता=2; तिमाही के लिए आवधिकता=4 ।
आधार - प्रयोग के आधार पर दिन गिनने का स्वरूप है ।
ऊपर दिए अनुसार वही उदाहरण लेते हुए एक्सेल फंक्शन में उक्त अवधि और मूल्य देते हुए फार्मूले का परिणाम 7.01 होगा ।
बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण
जे. रिपोर्टिंग
उत्तर: किसी ईसीबी के संबंध में कोई ड्रा-डाउन है तो वह रिज़र्व बैंक से एलआरएन मिलने के बाद ही किया जाना चाहिए। एल आर एन प्राप्त करने के लिए उधारकर्ताओं को विधिवत रूप से प्रमाणित फार्म ईसीबी निदेशक, भुगतान संतुलन सांख्यिकीय प्रभाग, सांख्यिकीय और सूचना प्रबंध विभाग (डीएसआईएम), भारतीय रिज़र्व बैंक, बांद्रा–कुर्ला काम्प्लेक्स, मुंबई – 400051 को प्रस्तुत करेगा। यह सुनिश्चित किया जाए कि फॉर्म ईसीबी में ईसीबी की सभी शर्तें सही ढंग से रिपोर्ट की गई हैं तथा कोई कॉलम खाली नहीं रखा गया है (ऐसे कॉलम जो उधार पर लागू नहीं होते हैं अथवा जिनके समक्ष “कुछ नहीं” जानकारी देनी है, को भी उचित रूप से शामिल किया जाए)। ईसीबी के मानदंडों में परिवर्तन फिर वे स्वचालित मार्ग के अंतर्गत प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I के अनुमोदन से हो अथवा अनुमोदन मार्ग के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन से हो, संशोधित फार्म ईसीबी में यथाशीघ्र लेकिन परिवर्तन किये जाने के अधिकतम सात दिनों के भीतर डीएसआईएम को रिपोर्ट की जानी चाहिए। संशोधित फार्म ईसीबी प्रस्तुत करते समय पत्र में उन परिवर्तनों का स्पष्ट उल्लेख किया जाना चाहिए । ईसीबी कए लिए फॉर्म ईसीबी के संबंध में रिपोर्टिंग दिशानिर्देशों का अनुपालन नहीं करने पर फेमा के अंतर्गत दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी
D. जमाराशियों की परिभाषा, जमाराशियां स्वीकार करने योग्य/अयोग्य संस्थाएं और उनसे संबंधित मामले
सभी एनबीएफसी जमाराशि स्वीकार करने के लिए पात्र नहीं होती है। केवल वे एनबीएफसी जिसे बैंक द्वारा विशेष रूप से प्राधिकृत किया गया है तथा जिन्हे निवेश ग्रेड रेटिंग हैं, वे अपने निवल स्वाधिकृत निधि के डेढ गुणा (1½) तक जमाराशि स्वीकार /धारण कर सकते हैं। सभी मौजूदा बगैर रेटिंग प्राप्त एएफसीज जिन्हें जमाराशि स्वीकार करने की अनुमति प्राप्त है, उन्हें 31 मार्च 2016 तक अपनी रेटिंग करनी होगी। ऐसी एएफसीज जिन्हें 31 मार्च 2016 तक रेटिंग प्राप्त नहीं होती उन्हें उसके बाद मौजूदा जमाराशियों का नवीनीकरण अथवा नयी जमाराशि स्वीकार करने की अनुमति नहीं होगी। इस बीच की अवधि के लिए अर्थात 31 मार्च 2016 तक, बगैर रेटिंग प्राप्त एएफसीज अथवा वे जिन्हें सब-इंवेस्टमेंट रेटिंग प्राप्त है, वे केवल परिपक्वता पर अपनी मौजूदा जमाराशि का नवीनीकरण कर सकती है तथा नयी जमा राशि स्वीकार नहीं कर सकती, जब तक उन्हें इंवेस्टमेंट ग्रेड रेटिंग प्राप्त नहीं हो जाता।
तथापि, सार्वजनिक नीति के मामले में, भारतीय रिज़र्व बैंक ने यह निर्णय लिया है कि केवल बैंक सार्वजनिक जमाराशि स्वीकार कर सकते है इसलिए जमाराशि स्वीकार करने वाली किसी नई एनबीएफसी को वर्ष 1997 के बाद से कोई पंजीकरण प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया है।
वर्तमान में, एनबीएफसी 12.5% का अधिकतम ब्याज दर दे सकती है। ब्याज का भुगतान अथवा चक्रवृद्धि अंतराल, मासिक अंतराल से कम नहीं होना चाहिए। एनबीएफसी को न्यूनतम 12 महिनों और अधिकतम 60 महिनों के लिए नई सार्वजनिक जमाराशि स्वीकार करने /नवीनीकरण करने की अनुमति है। एनबीएफसीज को मांग पर देय जमाराशि स्वीकार करने की अनुमति नहीं है।
भारत में विदेशी निवेश
III. अन्य प्रतिभूतियों में निवेश
उत्तर: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक(एफ़पीआई), अनिवासी भारतीय(एनआरआई), प्रवासी भारतीय(ओसीआई), विदेशी केंद्रीय बैंक,बहुदेशीय विकास बैंक दीर्घकालिक निवेशक, जैसे, सोवरिन वेल्थ फंड (एसडब्ल्यूएफ), बहुदेशीय एजंसियां, एन्डाउमन्ट फंड, इन्श्योरन्स फंड तथा पेंशन फंड, जो भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड दीर्घकालिक निवेशक में पंजीकृत हैं, अधिसूचना सं. फेमा 20 की अनुसूची 5 में विनिर्दिष्ट किए गए अनुसार अन्य प्रतिभूतियों में निवेश कर सकते हैं।
भारतीय मुद्रा
घ) गंदे, कटे-फटे तथा अपूर्ण बैंकनोट
भुगतान योग्य नहीं पाए जाने पर बैंकनोटों को प्राप्तकर्ता बैंक अपने पास रखते हैं तथा उन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक को भेजा जाता है जहां इन्हें नष्ट कर दिया जाता है ।
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Liquid Asset requirement
रिटेल डायरेक्ट योजना
निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न
देशी जमा
III. अग्रिम
बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण
जे. रिपोर्टिंग
उत्तर: उधारकर्ताओं को वास्तविक ईसीबी लेनदेनों की रिपोर्ट सही तथा पूर्ण रूप में विधिवत रूप से प्रमाणित फॉर्म ईसीबी 2 में एडी श्रेणी -I बैंक के माध्यम भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट आवधिकता के अनुसार डीएसआईएम को प्रस्तुत करनी है। फॉर्म ईसीबी 2 में से कोई भी स्तम्भ खाली नहीं रखा जाएगा (ऐसे स्तम्भ जो कि उधार पर लागू नहीं हैं अथवा जिनके समक्ष “कुछ नहीं” सूचना देनी है को भी पर्याप्त रूप से शामिल किया जाना चाहिए) । फॉर्म ईसीबी 2 संबंधित महीने के समाप्त होने के बाद सात कामकाजी दिनों के भीतर डीएसआईएम के पास पहुँच जानी चाहिए। ईसीबी के मानदंडों में यदि कोई परिवर्तन किया जाता है तो उन्हें भी फॉर्म ईसीबी-2 में शामिल किया जाना चाहिए। फॉर्म ईसीबी-2 के संबंध में रिपोर्टिंग दिशानिर्देशों का अनुपालन नहीं किए जाने जिसमें रिपोर्टिंग की आवधिकता का पालन करने में की गई चूक शामिल है, पर फेमा के अंतर्गत दंडात्मक कार्रवाई कि जा सकती है।
भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी
D. जमाराशियों की परिभाषा, जमाराशियां स्वीकार करने योग्य/अयोग्य संस्थाएं और उनसे संबंधित मामले
भारत में विदेशी निवेश
III. अन्य प्रतिभूतियों में निवेश
उत्तर: “विदेशी जोखिम पूंजी निवेशक (FVCI)” अर्थात ऐसा निवेशक जो भारत से बाहर स्थापित और निगमित है और वह भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (विदेशी जोखिम पूंजी निवेशक) विनियमावली, 2000 के तहत भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) में पंजीकृत है।
भारतीय मुद्रा
घ) गंदे, कटे-फटे तथा अपूर्ण बैंकनोट
कटे-फटे/फटे नोटों को बदलने के लिए दिशानिर्देश “नोटों व सिक्कों को बदलने की सुविधा” के संबंध में दिनांक 01 अप्रैल 2025 के हमारे मास्टर परिपत्र डीसीएम (एनई) सं.जी-5/08.07.18/2025-26 में उपलब्ध हैं जो हमारी वेबसाइट www.rbi.org.in में कार्य-वार साइटें > मुद्रा प्रबंधन > अधिसूचनाएं के अंतर्गत उपलब्ध हैं । भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) के अनुसार कटे-फटे नोटों को सभी बैंक शाखाओं में बदला जा सकता है ।
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Liquid Asset requirement
रिटेल डायरेक्ट योजना
निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न
देशी जमा
IV. शेयरों और डिबेंचरों की जमानत पर अग्रिम
भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण
जे. रिपोर्टिंग
उत्तर: नहीं। यदि ईसीबी की शर्तों में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है, तो संशोधित फॉर्म ईसीबी (पूर्व का फॉर्म 83) फ़ाइल करना आवश्यक नहीं है।
एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी
D. जमाराशियों की परिभाषा, जमाराशियां स्वीकार करने योग्य/अयोग्य संस्थाएं और उनसे संबंधित मामले
भारत में विदेशी निवेश
III. अन्य प्रतिभूतियों में निवेश
उत्तर: सेबी में पंजीकृत विदेशी जोखिम पूंजी निवेशक(एफ़वीसीआई) फेमा 20 (आर) की अनुसूची 7 में निर्धारित शर्तों के अनुसार निवेश कर सकते हैं।
भारतीय मुद्रा
घ) गंदे, कटे-फटे तथा अपूर्ण बैंकनोट
भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) अधिनियम, 2009 [भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) संशोधित नियमावली, 2018, यथा संशोधित] के तहत क्षतिग्रस्त बैंकनोट के मूल्य का आकलन करते समय क्रम संख्या अथवा अन्य विनिर्दिष्ट विशेषता की उपस्थिति अथवा अनुपस्थिति निर्णय का आधार नहीं है ।
रिटेल डायरेक्ट योजना
निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Liquid Asset requirement
देशी जमा
IV. शेयरों और डिबेंचरों की जमानत पर अग्रिम
भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
Glossary of Important Terms and Commonly Used Market Terminology
Accrued Interest
The accrued interest on a bond is the amount of interest accumulated on a bond since the last coupon payment. The interest has been earned, but because coupons are paid only on coupon dates, the investor has not gained the money yet. In India day count convention for G-Secs is 30/360.
Auction –Multiple price and Uniform Price
In a Multiple Price auction, the successful bidders are required to pay for the allotted quantity of securities at the respective price / yield at which they have bid. On the other hand, in a Uniform Price auction, all the successful bidders are required to pay for the allotted quantity of securities at the same rate, i.e., at the auction cut-off rate, irrespective of the rate quoted by them.
Bid Price/ Yield
The price/yield being offered by a potential buyer for a security.
Big Figure
When the price is quoted as ₹102.35, the portion other than decimals (102) is called the big figure.
Competitive Bid
Competitive bid refers to the bid for the stock at the price stated by a bidder in an auction.
Coupon
The rate of interest paid on a debt security as calculated on the basis of the security’s face value.
Coupon Frequency
Coupon payments are made at regular intervals throughout the life of a debt security and may be quarterly, semi-annual (twice a year) or annual payments.
Discount
When the price of a security is below the par value, it is said to be trading at a discount. The value of the discount is the difference between the FV and the Price. For example, if a security is trading at ₹ 99, the discount is ₹ 1.
Duration (Macaulay Duration)
Duration of a bond is the number of years taken to recover the initial investment of a bond. It is calculated as the weighted average number of years to receive the cash flow wherein the present value of respective cash flows are multiplied with the time to that respective cash flows. The total of such values is divided by the price of the security to arrive at the duration. Refer to Box IV under question 27.
Face Value
Face value is the amount that is to be paid to an investor at the maturity date of the security. Debt securities can be issued at varying face values, however in India they typically have a face value of ₹100. The face value is also known as the repayment amount. This amount is also referred as redemption value, principal value (or simply principal), maturity value or par value.
Floating-Rate Bond
Bonds whose coupon rate is re-set at predefined intervals and is based on a pre-specified market based interest rate.
Gilt/ G-Secs
G-Secs are also known as gilts or gilt edged securities. “G-Sec” means a security created and issued by the Government for the purpose of raising a public loan or for any other purpose as may be notified by the Government in the Official Gazette and having one of the forms mentioned in the G-Secs Act, 2006.
Market Lot
Market lot refers to the standard value of the trades that happen in the market. The standard market lot size in the G-Secs market is ₹ 5 crore in face value terms.
Maturity Date
The date when the principal (face value) is paid back. The final coupon and the face value of a debt security is repaid to the investor on the maturity date. The time to maturity can vary from short term (1 year) to long term (30 years).
Non-Competitive Bid
NCB means the bidder would be able to participate in the auctions of dated G-Secs without having to quote the yield or price in the bid. The allotment to the non-competitive segment will be at the weighted average rate that will emerge in the auction on the basis of competitive bidding. It is an allocating facility wherein a part of total securities are allocated to bidders at a weighted average price of successful competitive bid. (Please also see paragraph no.4.3 under question no.4).
Odd Lot
Transactions of any value other than the standard market lot size of ₹ 5 crore are referred to as odd lot. Generally, the value is less than the ₹ 5 crore with a minimum of ₹10,000/-. Odd lot transactions are generally done by the retail and small participants in the market.
Par value
Par value is nothing but the face value of the security which is ₹ 100 for G-Secs. When the price of a security is equal to face value, the security is said to be trading at par.
Premium
When the price of a security is above the par value, the security is said to be trading at premium. The value of the premium is the difference between the price and the face value. For example, if a security is trading at ₹102, the premium is ₹ 2.
Price
The price quoted is for per ₹ 100 of face value. The price of any financial instrument is equal to the present value of all the future cash flows. The price one pays for a debt security is based on a number of factors. Newly-issued debt securities usually sell at, or close to, their face value. In the secondary market, where already-issued debt securities are bought and sold between investors, the price one pays for a bond is based on a host of variables, including market interest rates, accrued interest, supply and demand, credit quality, maturity date, state of issuance, market events and the size of the transaction.
Primary Dealers
In order to accomplish the objective of meeting the Government borrowing needs as cheaply and efficiently as possible, a group of highly qualified financial firms/ banks are appointed to play the role of specialist intermediaries in the G-Sec market between the issuer on the one hand and the market on the other. Such entities are generally called Primary dealers or market makers. In return of a set of obligations, such as making continuous bids and offer price in the marketable G-Secs or submitting reasonable bids in the auctions, these firms receive a set of privileges in the primary/ secondary market.
Real Time Gross Settlement (RTGS) system
RTGS system is a funds transfer mechanism for transfer of money from one bank to another on a “real time” and on “gross” basis. This is the fastest possible money transfer system through the banking channel. Settlement in “real time” means payment transaction is not subjected to any waiting period. The transactions are settled as soon as they are processed. “Gross settlement” means the transaction is settled on one to one basis without bunching with any other transaction. Considering that money transfer takes place in the books of the Reserve Bank of India, the payment is taken as final and irrevocable.
Repo Rate
Repo rate is the return earned on a repo transaction expressed as an annual interest rate.
Repo/Reverse Repo
Repo means an instrument for borrowing funds by selling securities of the Central Government or a State Government or of such securities of a local authority as may be specified in this behalf by the Central Government or foreign securities, with an agreement to repurchase the said securities on a mutually agreed future date at an agreed price which includes interest for the fund borrowed.
Reverse Repo means an instrument for lending funds by purchasing securities of the Central Government or a State Government or of such securities of a local authority as may be specified in this behalf by the Central Government or foreign securities, with an agreement to resell the said securities on a mutually agreed future date at an agreed price which includes interest for the fund lent.
Residual Maturity
The remaining period until maturity date of a security is its residual maturity. For example, a security issued for an original term to maturity of 10 years, after 2 years, will have a residual maturity of 8 years.
Secondary Market
The market in which outstanding securities are traded. This market is different from the primary or initial market when securities are sold for the first time. Secondary market refers to the buying and selling that goes on after the initial public sale of the security.
Tap Sale
Under Tap sale, a certain amount of securities is created and made available for sale, generally with a minimum price, and is sold to the market as bids are made. These securities may be sold over a period of day or even weeks; and authorities may retain the flexibility to increase the (minimum) price if demand proves to be strong or to cut it if demand weakens. Tap and continuous sale are very similar, except that with Tap sale the debt manager tends to take a more pro-active role in determining the availability and indicative price for tap sales. Continuous sale are essentially at the initiative of the market.
Treasury Bills
Debt obligations of the Government that have maturities of one year or less are normally called Treasury Bills or T-Bills. Treasury Bills are short-term obligations of the Treasury/ Government. They are instruments issued at a discount to the face value and form an integral part of the money market.
Underwriting
The arrangement by which investment bankers undertake to acquire any unsubscribed portion of a primary issuance of a security.
Weighted Average Price/ Yield
It is the weighted average mean of the price/ yield where weight being the amount used at that price/ yield. The allotment to the non-competitive segment will be at the weighted average price/yield that will emerge in the auction on the basis of competitive bidding.
Yield
The annual percentage rate of return earned on a security. Yield is a function of a security’s purchase price and coupon interest rate. Yield fluctuates according to numerous factors including global markets and the economy.
Yield to Maturity (YTM)
Yield to maturity is the total return one would expect to receive if the security is being held until maturity. Yield to maturity is essentially the discount rate at which the present value of future payments (investment income and return of principal) equals the price of the security.
Yield Curve
The graphical relationship between yield and maturity among bonds of different maturities and the same credit quality. This curve shows the term structure of interest rates. It also enables investors to compare debt securities with different maturities and coupons.
बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण
जे. रिपोर्टिंग
उत्तर: नहीं। एलएसएफ़ के प्रावधान फरवरी 2019 से प्रस्तुत ईसीबी-2 विवरणियों पर लागू होंगे, अर्थात जनवरी 2019 के माह में किए गए लेनदेन के लिए फरवरी के माह में प्रस्तुत ईसीबी-2 विवरणियों पर लागू होंगे।
एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी
D. जमाराशियों की परिभाषा, जमाराशियां स्वीकार करने योग्य/अयोग्य संस्थाएं और उनसे संबंधित मामले
भारतीय रिजर्व बैंक अपनी वेब साइट www.rbi.org.in → साइट मैप → एनबीएफसी की सूची → जमा राशियां स्वीकार करने के लिए प्रधिकृत एनबीएफसीज, पर उन एनबीएफसीज के नामों की सूची प्रकाशित करता है जिनके पास जमाराशियां स्वीकार करने का वैध पंजीकरण प्रमाणपत्र है। कभी-कभी कुछ कंपनियों को अस्थायी तौर पर जनता से जमाराशियाँ स्वीकार करने हेतु प्रतिबंधित कर दिया जाता है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जमाराशियाँ स्वीकार करने हेतु अस्थायी तौर पर प्रतिबंधित की गई ऐसी एनबीएफसीज की सूची अपनी वेबसाइट पर प्रदर्शित की जाती है। भारतीय रिजर्व बैंक इन दोनों सूचियों का अद्यतन करता है। आम जनता को सूचित किया जाता है कि वे एनबीएफसीज के पास जमाराशियां रखने के पहले इन सूचियों की जांच कर लें।
भारत में विदेशी निवेश
III. अन्य प्रतिभूतियों में निवेश
उत्तर: एफ़वीसीआई द्वारा किए गए सभी निवेश के लिए प्रतिफल राशि बैंकिंग चैनलों के जरिए विदेश से किए गए आवक विप्रेषण से प्राप्त अथवा एफ़सीवीआई द्वारा भारत में एडी बैंक में बनाए रखे गए विदेशी मुद्रा खाते और/ अथवा विशेष अनिवासी रुपया (एसएनआरआर) खाते में धारित निधियों में से अदा की जा सकेगी। विदेशी मुद्रा खाते और विशेष अनिवासी रुपया (एसएनआरआर) खाते का उपयोग केवल संबंधित अनुसूची के अंतर्गत लेनदेन के लिए ही किया जाएगा।
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Liquid Asset requirement
रिटेल डायरेक्ट योजना
निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न
देशी जमा
IV. शेयरों और डिबेंचरों की जमानत पर अग्रिम
बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण
जे. रिपोर्टिंग
उत्तर: हां। एलएसएफ़ शून्य विवरणियों सहित प्रत्येक फॉर्म ईसीबी को प्रस्तुत नहीं करने पर लागू है ।
एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी
D. जमाराशियों की परिभाषा, जमाराशियां स्वीकार करने योग्य/अयोग्य संस्थाएं और उनसे संबंधित मामले
भारत में विदेशी निवेश
III. अन्य प्रतिभूतियों में निवेश
उत्तर: बिक्रीगत/ परिपक्वतागत आगम राशि (करों का निवल) का विप्रेषण भारत के बाहर किया जा सकता है अथवा विदेशी जोखिम पूंजी निवेशक के विदेशी मुद्रा खाते अथवा विशेष अनिवासी रुपया (एसएनआरआर) खाते में जमा किया जा सकता है।
भारतीय मुद्रा
घ) गंदे, कटे-फटे तथा अपूर्ण बैंकनोट
संचलन से वापस लिए गए बैंकनोटों को भारतीय रिज़र्व बैंक के निर्गम कार्यालयों में स्वीकार किया जाता है । भारतीय रिज़र्व बैंक, अन्य विषयों के साथ, इन बैंकनोटों की प्रामाणिकता का सत्यापन करने, अंकगणितीय सटीकता तथा पुन: जारी किए जाने हेतु उपयुक्त नोटों के पृथक्करण तथा गंदे (अनफिट) नोटों को नष्ट करने के लिए अत्यधिक परिष्कृत मुद्रा सत्यापन तथा प्रसंस्करण प्रणाली (सीवीपीएस) मशीनों तथा श्रेडिंग एवं ब्रिकेटिंग प्रणाली (एसबीएस) मशीनों का उपयोग करता है ।
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Liquid Asset requirement
रिटेल डायरेक्ट योजना
निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न
देशी जमा
IV. शेयरों और डिबेंचरों की जमानत पर अग्रिम
बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण
के. विविध
उत्तर: हां। मौजूदा मानदंडों के अंतर्गत ईसीबी की मूल राशि तथा ब्याज, दोनों को इक्विटि में परिवर्तित करने की अनुमति है। यह अनुमति “बाह्य वाणिज्यिक उधार, व्यापार ऋण, तथा संरचित प्रतिबद्धता” पर दिनांक 26 मार्च 2019 के मास्टर निदेश सं. 5 के पैराग्राफ 7.4 में दिए गए अनुसार यथालागू शर्तों के अधीन होगी।
एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी
D. जमाराशियों की परिभाषा, जमाराशियां स्वीकार करने योग्य/अयोग्य संस्थाएं और उनसे संबंधित मामले
भारत में विदेशी निवेश
III. अन्य प्रतिभूतियों में निवेश
उत्तर: निवेश माध्यम’ का अर्थ है ऐसी एंटीटी से है जो भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अथवा इस प्रयोजन के लिए नामित किसी अन्य प्राधिकारी द्वारा निर्मित संबन्धित विनियमों के तहत पंजीकृत और विनियमित है। फेमा 20(आर) की अनुसूची 8 के प्रयोजन के लिए निवेश माध्यम भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (REITs) विनियमावली, 2014 द्वारा प्रशासित रियल इस्टेट निवेश ट्रस्ट (REITs), भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (InvIts) विनियमावली, 2014 द्वारा प्रशासित इन्फ्रास्ट्रक्चर निवेश ट्रस्ट और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (AIFS) विनियमावली, 2012 द्वारा प्रशासित अल्टरनेटिव निवेश निधियाँ इसमें शामिल हैं । इसमें भूतपूर्व सेबी (उद्यम पूंजी निधि) विनियमावली, 1996 के अंतर्गत पंजीकृत उद्यम पूंजी निधि शामिल नहीं है।
भारतीय मुद्रा
घ) गंदे, कटे-फटे तथा अपूर्ण बैंकनोट
महात्मा गांधी (नई) शृंखला सहित सभी बैंकनोट जिन पर कुछ लिखा हो अथवा रंग/ तेल के दाग लगे हो तो वे वैध मुद्रा जारी रहेंगे, बशर्ते कि वे सुपाठ्य हों । इस प्रकार के नोटों को किसी भी बैंक शाखा में जमा किया जा सकता है या उन्हें बदला जा सकता है ।
यद्यपि, बैंक नोट में राजनैतिक अथवा धार्मिक स्वरूप का संदेश देने अथवा इस तरह के संदेश देने की क्षमता हो, की नीयत से लिखे गए अनावश्यक शब्दों या दृश्य निरूपण हों अथवा उनके किसी व्यक्ति या संस्था के हितों को पूरा करने में सहायक होने पर बैंकनोटों के संबंध में ऐसे दावे को भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली, 2009 [जैसा कि भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) संशोधित नियमावली, 2018] के अनुसार निरस्त कर दिया जाएगा ।
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Liquid Asset requirement
रिटेल डायरेक्ट योजना
निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न
देशी जमा
IV. शेयरों और डिबेंचरों की जमानत पर अग्रिम
भारतीय मुद्रा
ड़) जाली नोट/जालसाजी
जिस किसी नोट में असली भारतीय करेंसी नोट की विशेषताएँ नहीं पाई जाती हैं वह संदिग्ध जाली नोट, प्रतिरूपित नोट अथवा नकली नोट वह नोट होता है ।
बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण
के. विविध
उत्तर: हां। ईसीबी का इक्विटि में आंशिक परिवर्तन करने के लिए मुक्त रूप से अनुमति तब ही दी जाएगी जब ईसीबी के रुप में रहनेवाली शेष राशि ईसीबी संबंधी सभी दिशानिर्देशों का अनुपालन करती हो।
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D. जमाराशियों की परिभाषा, जमाराशियां स्वीकार करने योग्य/अयोग्य संस्थाएं और उनसे संबंधित मामले
भारत में विदेशी निवेश
III. अन्य प्रतिभूतियों में निवेश
उत्तर: किसी निवेश माध्यम जिसका प्रयोजक अथवा प्रबंधक अथवा निवेश प्रबंधक का (i) निवासी भारतीय नागरिकों के पास स्वामित्व तथा नियंत्रण नहीं है अथवा (ii) उसका स्वामित्व तथा नियंत्रण भारत के बाहर निवास करने वाले व्यक्तियों के पास है द्वारा भारतीय कंपनी अथवा एलएलपी में किया गया निवेश निवेश प्राप्त कर्ता कंपनी अथवा एलएलपी, जैसी स्थिति हो, के लिए अप्रत्यक्ष विदेशी निवेश होगा।
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Extent of regulations over NBFCs accepting public deposits and not accepting public deposits
रिटेल डायरेक्ट योजना
निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न
देशी जमा
IV. शेयरों और डिबेंचरों की जमानत पर अग्रिम
बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण
के. विविध
उत्तर: नहीं ।
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D. जमाराशियों की परिभाषा, जमाराशियां स्वीकार करने योग्य/अयोग्य संस्थाएं और उनसे संबंधित मामले
भारत में विदेशी निवेश
III. अन्य प्रतिभूतियों में निवेश
उत्तर: वैकल्पिक (अल्टरनेटिव) निवेश निधि श्रेणी III जिसे कोई विदेशी निवेश प्राप्त हुआ है वो केवल उन सिक्युरिटीज अथवा लिखतों में ही पोर्टफोलियो निवेश कर सकती हैं जिनमें अधिनियम तथा उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों अथवा विनियमों के अधीन निवेश करने की अनुमति है।
भारतीय मुद्रा
ड़) जाली नोट/जालसाजी
जाली नोट की पहचान असली भारतीय करेंसी नोट में मौजूद सुरक्षा विशेषताओं के आधार पर की जा सकती है । नोट को देखने, छूने तथा झुका कर देखने पर ये विशेषताएँ आसानी से पहचानी जा सकती हैं । भारतीय बैंक नोटों मे मौजूद सुरक्षा विशेषताओं के बारे मे जानकारी www.rbi.org.in > कार्य-वार साइटें > मुद्रा प्रबंधन > पैसा बोलता है https://rbi.org.in/hi/web/rbi/rbi-kehta-hai/know-your-banknotes पर उपलबद्ध हैं।
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Extent of regulations over NBFCs accepting public deposits and not accepting public deposits
रिटेल डायरेक्ट योजना
निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न
देशी जमा
IV. शेयरों और डिबेंचरों की जमानत पर अग्रिम
बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण
भाग II: व्यापार ऋण (टीसी)
उत्तर: एडी बैंक विदेशी मुद्रा में समुद्रपारीय उधारदाताओं से अल्पावधि व्यापार वित्त का लाभ उठाने के लिए अपने ग्रहकों की ओर से एसबीएलसी जारी कर सकते हैं लेकिन इस शर्त के अधीन कि इस प्रकार से जारी की गई एसबीएलसी समय-समय पर संशोधित “गारंटियां तथा सहस्वीकृतियां” पर बैंकिंग विनियमन विभाग के दिनांक 1 जुलाई 2015 के मास्टर परिपत्र सं.डीबीआर.सं.डीआईआर.बीसी.11/13.03.00/2015-16 में निहित प्रावधानों का अनुपालन करती हो ।
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D. जमाराशियों की परिभाषा, जमाराशियां स्वीकार करने योग्य/अयोग्य संस्थाएं और उनसे संबंधित मामले
भारत में विदेशी निवेश
IV. रिपोर्टिंग में विलंब
उत्तर: 7 नवंबर 2017 को अथवा उसके बाद किए गए लेनदेन के मामलों में रिपोर्टिंग करने में विलंब होने पर रिपोर्टिंग पर मास्टर निदेश के भाग IV में दिए गए अनुसार रिपोर्टों को फ़ाइल करने के लिए जिम्मेदार व्यक्ति/ एंटीटी पर विलंब से प्रस्तुति के लिए लगाए गए शुल्क का भुगतान करने का दायित्व होगा। एलएसएफ़ का भुगतान करना कंपाउंडिंग क्रियाविधि से गुजरे बिना रिपोर्टिंग में हुए विलंब को नियमित करने का एक अतिरिक्त विकल्प है।
भारतीय मुद्रा
ड़) जाली नोट/जालसाजी
बैंकनोटों की जालसाजी/जाली तथा नकली नोटों का असली नोटों के रूप में उपयोग करना/जाली या नकली बैंकनोट रखने/बैंक नोटों की जालसाजी अथवा नकली बनाने के लिए उपकरणों या सामग्री को रखना/ बैंकनोट के समान दिखने वाले दस्तावेज़ का उपयोग करना अथवा बनाना भारतीय न्याय संहिता (2023) की धारा 178 से 182 के तहत अपराध है तथा इसके लिए न्यायालयों द्वारा जुर्माना लगाया जा सकता है या सात साल से लेकर आजीवन कारावास दिया जा सकता है अथवा दोनों सजाएं दी जा सकती हैं, जो किए गए अपराध पर निर्भर होंगी ।
भारत सरकार ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए), 1967 के तहत उच्च गुणवत्ता वाली प्रतिरूपित भारतीय करेंसी संबंधी अपराधों संबंधी अन्वेषण नियम, 2013 तैयार किया है । अधिनियम की तीसरी अनुसूची में उच्च गुणवत्ता वाले प्रतिरूपित भारतीय करेंसी नोट को परिभाषित किया गया है । उच्च गुणवत्ता वाले प्रतिरूपित भारतीय नोट के उत्पादन, तस्करी करने या संचरण की गतिविधि को भारतीय न्याय संहिता, 2023 के दायरे में लाया गया है ।
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Repayment of matured deposits
रिटेल डायरेक्ट योजना
निवेश और खाता धारिता से संबंधित प्रश्न
देशी जमा
IV. शेयरों और डिबेंचरों की जमानत पर अग्रिम
बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण
भाग II: व्यापार ऋण (टीसी)
उत्तर: एडी बैंकों को एडी बैंकों/ रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा विलंबित आयात देयताओं के निपटान के लिए प्रदान की गई सभी अनुमतियों की रिपोर्ट करनी होती है।
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D. जमाराशियों की परिभाषा, जमाराशियां स्वीकार करने योग्य/अयोग्य संस्थाएं और उनसे संबंधित मामले
भारत में विदेशी निवेश
IV. रिपोर्टिंग में विलंब
उत्तर: एलएसएफ़ का भुगतान करना कंपाउंडिंग क्रियाविधि से गुजरे बिना रिपोर्टिंग में हुए विलंब को नियमित करने के लिए एक अतिरिक्त सुविधा है। तथापि इसका यह अर्थ नहीं है कि आवेदक कंपाउंडिंग के लिए आवेदन नहीं कर सकता है। 7 नवंबर 2017 को अथवा उसके बाद किए गए लेनदेन के लिए आवेदक को दोनों विकल्प उपलब्ध हैं।
भारतीय मुद्रा
ड़) जाली नोट/जालसाजी
जाली नोट रखने मात्र से सजा नहीं होती है । किसी बैंक नोट के जाली अथवा प्रतिरूपित होने के बारे में जानकारी होने या ऐसा मानने के पीछे कारण होने, और उसे असली नोट की तरह प्रयोग करने का इरादा होने या उसे असली नोट की तरह प्रयोग किया जा सकने की जानकारी के साथ जाली या प्रतिरूपित बैंकनोट रखना भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 180 के तहत न्यायालय मे जुर्माना या सात साल तक की सजा या दोनों के लिए दंडनीय है ।
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Repayment of matured deposits
पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 10, 2022