अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न - आरबीआई - Reserve Bank of India
फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न
एफएलए रिटर्न जमा करने के लिए पात्र संस्थाएं और आवश्यकताएं
उत्तर: नियत तारीख (प्रत्येक वर्ष की 15 जुलाई) को या उससे पहले रिटर्न दाखिल न करने को फेमा का उल्लंघन माना जाएगा और फेमा के उल्लंघन के लिए जुर्माना खंड लगाया जा सकता है। जुर्माना खंड के बारे में अधिक जानकारी के लिए, कृपया नीचे दिए गए लिंक को देखें:
रिटेल डायरेक्ट योजना
योजना संबन्धित प्रश्न
i. सरकारी ट्रेजरी बिल (टी-बिल)
ii. सरकारी दिनांकित प्रतिभूतियाँ (दिनांकित जी-सेक)
iii. राज्य विकास ऋण (एसडीएल)
iv. राजकीय स्वर्ण बॉन्ड (एसजीबी)
देशी जमा
I . देशी जमा
दिनांक 31 जनवरी 2024 और 16 फरवरी 2024 की प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड पर लगाए गए कारोबारी प्रतिबंध
पेटीएम पेमेंट्स बैंक में बैंक खाते
हाँ। 15 मार्च, 2024 के बाद भी आपके खाते में रिफंड, कैशबैक, साझेदार बैंकों से स्वीप-इन या ब्याज जमा करने की अनुमति होगी।
भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण
ए. कुछ बुनियादी प्रश्न
उत्तर: विदेशों से लिए गए उधार समय- समय पर संशोधित दिनांक 17 दिसंबर 2018 की अधिसूचना सं. फेमा 3(आर)/2018 द्वारा जारी किए विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधर लेना तथा उधार देना) विनियमावली, 2018 में निहित यथालागू ईसीबी दिशानिर्देशों / प्रावधानों के अनुपालन में होने चाहिए।
एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी
A. परिभाषाएं
गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां, बैंकों की तरह कार्य करती है, तथापि इसमें निम्नलिखित अंतर है:
(i) गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी मांग पर देय जमाराशियां स्वीकार नहीं कर सकती है।
(ii) गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी भुगतान और निपटान प्रणाली का हिस्सा नहीं हैंऔर वे अपने ग्राहकों को चेक जारी नहीं कर सकती है और
(iii) गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के जमाकर्ताओं को, बैंकों के जमाकर्ताओं की असदृश निपेक्ष बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम से निक्षेप बीमा की सुविधा प्राप्त नहीं है।
कोर निवेश कंपनियां
कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)
उत्तर: नहीं, मौजूदा सीआईसी जिन्हें पहले पंजीकरण से छूट दी गई है और जिनकी आस्ति का आकार 100 करोड़ रुपये से कम है, उन्हें जैसाकि, दिनांक 5 जनवरी, 2011 की अधिसूचना संख्या डीएनबीएस.(पीडी) 220/सीजीएम (यूएस)-2011 में वर्णित है पंजीकरण से छूट दी गई है। इसलिए उन्हें किसी भी लेखा परीक्षक से इस आशय का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है कि वे अधिसूचना की आवश्यकताओं का अनुपालन करते हैं।
भारत में विदेशी निवेश
उत्तर: परिवर्तनीय लिखतों की अवधि कंपनी अधिनियम, 2013 के अंतर्गत बनाए गए अनुदेशों तथा उसके तहत बनाए गए नियमों के अनुसार होगी। तथापि निवेश प्राप्तकर्ता कंपनी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि परिवर्तनीय पूंजीगत लिखतों की कीमत/ परिवर्तन का फॉर्मूला लिखतों के निर्गम के समय प्रारंभ में ही निर्धारित किया जाता है। परिवर्तन के समय की कीमत किसी भी स्थिति में ऐसे लिखतों के निर्गम के समय वर्तमान फेमा विनियमों के अनुसार अभिकलित उचित मूल्य से कम नहीं होनी चाहिए।
भारतीय मुद्रा
क) भारतीय मुद्रा/मुद्रा प्रबंधन से जुड़ी आधारभूत जानकारी
बैंक नोटों को चार मुद्रणालयों में मुद्रित किया जाता है । इसमें से दो का स्वामित्व, सिक्यूरिटी प्रिंटिंग एंड मिंन्टिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसपीएमसीआईएल) के माध्यम से भारत सरकार के पास है, तथा दो का स्वामित्व उसके पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी संस्था, भारतीय रिज़र्व बैंकनोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड (बीआरबीएनएमपीएल) के माध्यम से भारतीय रिज़र्व बैंक के पास है । एसपीएमसीआईएल की दो मुद्रण प्रेस नासिक (पश्चिमी भारत) तथा देवास (मध्य भारत) में स्थित हैं । बीआरबीएनएमपीएल की दो मुद्रण प्रेस मैसूर (दक्षिण भारत) तथा सालबोनी (पूर्वी भारत) में स्थित हैं ।
सिक्कों की ढलाई एसपीएमसीआईएल के स्वामित्व वाली चार टकसालों में की जाती है । ये टकसाल मुंबई, हैदराबाद, कोलकाता तथा नोएडा में स्थित हैं । भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम की धारा 38 के अनुसार संचलन हेतु सिक्के सिर्फ भारतीय रिज़र्व बैंक के माध्यम से जारी किए जाते हैं ।
समन्वित संविभागीय निवेश सर्वेक्षण - भारत
सीपीआईएस के तहत रिपोर्ट करने के लिए पात्र संस्थाएं और आवश्यकताएं
उत्तर: हां, क्योंकि एआईएफ को गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों के अंतर्गत माना जाता है।
भारतीय उद्योग में विदेशी सहयोग (एफसीएस) पर द्विवार्षिक सर्वेक्षण
सर्वेक्षण लॉन्च का विवरण
उत्तर: द्विवार्षिक।
प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार संबंधी दिशानिर्देशों के मास्टर निदेशों पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
ग) कृषि
उत्तर: बैंक को पीएसएल के तहत कृषि ऋणों को वर्गीकृत करने के लिए अपने बोर्ड द्वारा अनुमोदित उचित दस्तावेज सुनिश्चित करना चाहिए। विशेष रूप से कृषि/एसएमएफ श्रेणी के तहत ऋणों को वर्गीकृत करते समय, बैंक को खेती के लिए भूमि के स्थान, उगाई गई फसल, फसलों का दृष्टिबंधक, यदि कोई हो, वित्त-मान के आधार पर ऋण की स्वीकृति, कृषि ऋणों के अंतिम उपयोग की निगरानी के लिए बैंक अधिकारियों द्वारा क्षेत्र के दौरे का रिकॉर्ड, आदि संबंधी विवरण रखना चाहिए। भूमि अभिलेख/पट्टा विलेख की प्रति के अभाव में उपरोक्त में से कुछ पहलू बैंक के पास उपलब्ध होने चाहिए, विशेष रूप से भूमिहीन मजदूरों, बटाईदारों आदि को दिए गए कृषि ऋणों के मामले में।
घ) कृषि
उत्तर: मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार, कृषि बुनियादी संरचना या खाद्यान्न तथा एग्रो प्रसंस्करण गतिविधि के लिए बैंकिंग प्रणाली से प्रति उधारकर्ता ऋण ₹100 करोड़ की कुल स्वीकृत सीमा के अधीन है। यदि पूरे बैंकिंग उद्योग में कुल एक्सपोजर ₹100 करोड़ की सीमा से अधिक होता है, तो कुल एक्सपोजर पीएसएल श्रेणी के अंतर्गत वर्गीकृत होना बंद हो जाएगा। ₹100 करोड़ की स्वीकृत सीमा किसी विशेष इकाई के लिए सुविधावार सुनिश्चित की जानी चाहिए और यह पीएसएल/गैर-पीएसएल उद्देश्यों के लिए इकाई के अन्य उधारों को छोड़कर हो। हालांकि, यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि बैंक ने इकाई के कृषि बुनियादी संरचना या खाद्यान्न तथा एग्रो प्रसंस्करण गतिविधियों के विशिष्ट उद्देश्य के लिए ऋण को पीएसएल के रूप में अर्हता प्राप्त करने के लिए अलग-अलग सीमाओं का आकलन और मंजूरी दी है। बैंकों को उसी गतिविधि के लिए किसी अन्य बैंक/बैंकों द्वारा स्वीकृत ऋण के संबंध में उधारकर्ता से घोषणा प्राप्त करना चाहिए तथा उन बैंकों से स्वतंत्र रूप से पुष्टि मांगनी चाहिए। ऐसे परिदृश्य में, जहां बैंक द्वारा नई मंजूरी से बैंकों की कुल सीमा ₹100 करोड़ से अधिक हो जाती है, तो इसके बारे में अन्य बैंकों को सूचित करने की आवश्यकता है। तदनुसार, अन्य सभी बैंकों को इसे पीएसएल से अवर्गीकृत करना होगा।
उत्तर: प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार, 2025 पर मास्टर निदेश के अनुबंध -III के अनुसार, खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के तहत अनुमत गतिविधियों की सांकेतिक सूची के तहत परिवहन एक पात्र गतिविधि है। हालांकि, वाणिज्यिक वाहनों की खरीद के लिए ट्रांसपोर्टरों को "खाद्यान्न तथा एग्रो प्रसंस्करण" श्रेणी के तहत किसी भी सुविधा को वर्गीकृत करते समय, यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि वाहनों का उपयोग विशेष रूप से खाद्यान्न तथा एग्रो-प्रसंस्कृत उत्पादों के परिवहन के लिए किया जाता है या वे विशेष रूप से "खाद्यान्न तथा एग्रो प्रसंस्करण" के लिए उपयोग किए जाने वाले वाहन हैं, जैसे कोल्ड स्टोरेज ट्रक, वैन आदि। यदि वाणिज्यिक वाहन का उपयोग खाद्यान्न तथा एग्रो प्रसंस्करण से संबंधित उत्पादों के अलावा अन्य उत्पादों के परिवहन के लिए भी किया जाता है, तो वह सुविधा 'खाद्यान्न तथा एग्रो प्रसंस्करण' श्रेणी के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए पात्र नहीं होगी। हालांकि, ऐसे ऋणों को एमएसएमई के तहत वर्गीकृत किया जा सकता है, यदि उधारकर्ता 24 जुलाई 2017 को जारी मास्टर निदेश – सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र को उधार (समय-समय पर अद्यतन) में दी गई परिभाषा के अनुसार एमएसएमई के रूप में वर्गीकरण के लिए पात्र है।
उत्तर: वाणिज्यिक वाहनों की खरीद के लिए ट्रांसपोर्टरों को दी जाने वाली किसी भी सुविधा को "कृषि बुनियादी संरचना" श्रेणी के अंतर्गत वर्गीकृत करते समय, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वाहन का उपयोग केवल उन गतिविधियों के लिए किया जाए जो "कृषि बुनियादी संरचना" से संबंधित हों। यदि वाणिज्यिक वाहन का उपयोग अन्य प्रयोजनों के लिए भी किया जाता है, तो यह सुविधा 'कृषि बुनियादी संरचना’ के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए पात्र नहीं होगी। हालांकि, ऐसे ऋणों को एमएसएमई के अंतर्गत वर्गीकृत किया जा सकता है, यदि उधारकर्ता 24 जुलाई 2017 को जारी मास्टर निदेश – सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र को उधार (समय-समय पर अद्यतन) में दी गई परिभाषा के अनुसार एमएसएमई के रूप में वर्गीकरण के लिए पात्र है।
ङ) निर्यात ऋण
उत्तर: कृषि और एमएसएमई क्षेत्रों को बैंकों द्वारा दिया गया निर्यात ऋण, संबंधित श्रेणियों अर्थात कृषि और एमएसएमई के अंतर्गत बिना किसी ऊपरी सीमा के प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार के रूप में वर्गीकृत होने के लिए पात्र है।
च) शिक्षा
उत्तर: अध्ययन अवधि के दौरान चुकौती पर अधिस्थगन के परिणामस्वरूप उपचित ब्याज के कारण बकाया राशि ₹25 लाख से अधिक हो सकता है। तदनुसार, संपूर्ण बकाया राशि को प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लिए गिना जाएगा बशर्ते कि स्वीकृत सीमा ₹25 लाख से अधिक न हो।
आवास ऋण
खरीदे जा रहे घर से संबंधित सभी कानूनी दस्तावेजों के अलावा, बैंक आपसे पहचान और निवास प्रमाण, नवीनतम वेतन पर्ची (नियोक्ता द्वारा प्रमाणित और कर्मचारियों के लिए स्वयं सत्यापित) और फॉर्म 16 (व्यवसायी व्यक्तियों / स्वरोजगार के लिए) और पिछले 6 महीने की बैंक स्टेटमेंट / बैलेंस शीट, जो भी लागू हो, जमा करने के लिए कहेंगे। आपको अपने फोटोग्राफ के साथ पूरा भरा हुआ आवेदन पत्र भी जमा करना होगा। ऋण आवेदन फॉर्म में आवेदन के साथ संलग्न किए जाने वाले दस्तावेजों की एक चेकलिस्ट दी जाएगी।
सौदे को जल्दी से पक्का करने में जल्दबाजी न करें।
कृपया इस संबंध में वाणिज्यिक बैंक द्वारा प्रदान किए गए नियमों और शर्तों में किसी भी छूट पर चर्चा करें और अधिक जानकारी प्राप्त करें। उदाहरण के लिए कुछ बैंक वाणिज्यिक बैंक के पक्ष में निर्दिष्ट ऋण राशि के बराबर उधारकर्ता/गारंटर की जीवन बीमा पॉलिसियों को प्रस्तुत करने पर जोर देते हैं। आमतौर पर इस शर्त के लिए राशि की सीमा होती है जिसे उपयुक्त प्राधिकारी द्वारा भी माफ किया जा सकता है। कृपया बैंक की योजना के फाइन प्रिंट (बारीक अक्षरों) को ध्यान से पढ़ें और स्पष्टीकरण मांगें।
लक्षित दीर्घकालिक रिपो परिचालन (टीएलटीआरओ)
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Registration
देशी जमा
I . देशी जमा
समझौता निपटान और तकनीकी रूप से बट्टे खाते डालने (राइट-ऑफ) के लिए रूपरेखा
ए. इरादतन कर्ज़ न चुकाने और धोखाधड़ी के मामलों में समझौता निपटान
उधारकर्ताओं के लिए समझौता निपटान किसी अधिकार के रूप में उपलब्ध नहीं है; बल्कि यह एक विवेकाधिकार है जिसका प्रयोग ऋणदाताओं द्वारा अपने वाणिज्यिक निर्णय के आधार पर किया जाना चाहिए।
विवेकपूर्ण दिशानिर्देश ऋणदाताओं द्वारा विचार किए गए ऐसे निपटानों के संबंध में पर्याप्त सुरक्षा उपाय प्रदान करते हैं:
-
ऐसे सभी निर्णय ऋणदाताओं द्वारा प्रत्येक मामले में तदर्थ दृष्टिकोण अपनाने के बजाय, अपने बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीतियों के अनुसार लिए जाने की आवश्यकता है;
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परिपत्र के अनुसार यह अनिवार्य है कि धोखाधड़ी अथवा इरादतन चूक करने वाले के रूप में वर्गीकृत उधारकर्ताओं से जुड़े समझौता निपटान के ऐसे सभी मामलों को बोर्ड द्वारा अनुमोदित किया जाए। ऐसा करके परिपत्र विनियामक मार्गदर्शन को और अधिक मजबूत करता है।;
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यदि ऐसे उधारकर्ताओं के साथ सम्झौता निपटान ऋणदाताओं के विचाराधीन है तो, तो ऐसे निपटान चालू अथवा प्रारम्भ की जाने वाली आपराधिक कार्यवाही पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना होंगे;
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जैसा कि पहले ही उल्लेख किया गया है, ऐसे मामलों में मौजूदा दंडात्मक प्रावधान लागू रहेंगे।
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जहां कहीं भी वसूली की कार्यवाही न्यायिक मंच के समक्ष लंबित हो, उधारकर्ता के साथ किया गया कोई भी समझौता संबंधित न्यायिक अधिकारियों से सहमति डिक्री प्राप्त करने के अधीन होगा।
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ऋणदाताओं के बोर्डों को सभी समझौता निपटानों के अनुमोदन में समग्र रुझानों की निगरानी का काम सौंपा गया है। जिसमें विशेष रूप से धोखाधड़ी, रेड-फ्लैग्ड, इरादतन चूककर्ता और त्वरित मर्त्यता वाले खातों के रूप में वर्गीकृत खातों का विवरण शामिल है।
ये दिशानिर्देश पूरी प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करेंगे।
फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न
एफएलए रिटर्न जमा करने के लिए पात्र संस्थाएं और आवश्यकताएं
उत्तर: इकाईयों को नियत तारीख के भीतर अनिवार्य रूप से एफएलए रिटर्न भरना चाहिए। यदि इकाईयों के पास अपनी लेखापरीक्षित तुलन पत्र तैयार नहीं है, तो वे अनंतिम/अनअंकेक्षित संख्याओं के साथ रिटर्न भर सकते हैं। इसके बाद, जब अंकेक्षित संख्याएं तैयार हो जाए तो, आरबीआई को पहले से दाखिल रिटर्न में संशोधन के लिए अनुरोध किया जाना चाहिए। एक बार आरबीआई द्वारा अनुरोध अनुमोदित होने के बाद, आप पहले से दाखिल रिटर्न को लेखापरीक्षित किए गए नंबरों के साथ संशोधित कर सकते हैं और इसे आरबीआई को फिर से जमा कर सकते हैं।
रिटेल डायरेक्ट योजना
योजना संबन्धित प्रश्न
क. खुदरा निवेशकों अर्थात व्यक्तियों (नैसर्गिक व्यक्तियों) को आरडीजी खाता खोलने की अनुमति है। खाता खोलने के लिए निम्नलिखित आवश्यक हैं:
i. भारत में रखा गया रुपये की बचत बैंक खाता।
ii. आयकर विभाग द्वारा जारी स्थायी खाता संख्या (पैन)।
iii. कोई भी आधिकारिक तौर पर वैध दस्तावेज़ (OVD) अपने ग्राहक को जाने उद्देश्य हेतु।
iv. वैध्य ईमेल आईडी।
v. पंजीकृत मोबाइल नं.।
ख. विदेशी विनियमन प्रबंधन अधिनियम, 1999 के अंतर्गत सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश के लिए पात्र अनिवासी रिटेल निवेशक।
विप्रेषण (धन अंतरण सेवा योजना (एमटीएसएस) तथा रुपया आहरण व्यवस्था (आरडीए))
रुपया आहरण व्यवस्था(आरडीए)
दिनांक 31 जनवरी 2024 और 16 फरवरी 2024 की प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड पर लगाए गए कारोबारी प्रतिबंध
पेटीएम पेमेंट्स बैंक में बैंक खाते
साझेदार बैंकों में रखी पेटीएम पेमेंट्स बैंक के ग्राहकों की मौजूदा जमाराशि को पेटीएम पेमेंट्स बैंक के खातों में वापस (स्वीप-इन) किया जा सकता है, जो कि पेमेंट्स बैंक के लिए निर्धारित शेष राशि की अधिकतम सीमा (अर्थात प्रति ग्राहक ₹2 लाख प्रतिदिन) के अधीन है। ग्राहक द्वारा उपयोग या आहरण के लिए शेष राशि उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ऐसे स्वीप-इन की अनुमति जारी रहेगी। हालाँकि, 15 मार्च 2024 के बाद पेटीएम पेमेंट्स बैंक के माध्यम से साझेदार बैंकों के साथ किसी नई जमा की अनुमति नहीं दी जाएगी।
भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
नीलामियों के निर्गम जारी करने के तरीके के रूप में लागू करने से पहले सरकार द्वारा ब्याज दरें प्रशासनिक रूप से निर्धारित किए जाते थे । नीलामी शुरु करने के साथ ब्याज दरें (कूपन दरें) बाजार आधारित मूल्य निर्धारण प्रक्रिया के माध्यम से निर्धारित किए जाते हैं ।
4.1. नीलामी आय आधारित अथवा मूल्य आधारित हो सकती है ।
(i) आय आधारित नीलामी : आय आधारित नीलामी सामान्यतया नई सरकारी प्रतिभूति जारी करने के समय आयोजित की जाती है । निवेशक आय के अनुसार दो दशमलव स्थान तक बोली लगाते हैं (उदाहरणार्थ : 8.19 प्रतिशत, 8.20 प्रतिशत इत्यादि) । बोलियाँ ऊर्ध्वगामी रूप में व्यवस्थित की जाती हैं तथा नीलामी की अधिसूचित राशि के अनुरूप आय पर पहुँचने पर रोक दी जाती है । इस (कट-ऑफ) आय को प्रतिभूति की कूपन दर के रूप में लिया जाता है । सफल बोलीकर्ता वे होते हैं जिन्होंने "कट ऑफ" आय पर या उससे से नीचे बोली लगाई है । इससे उच्चतर बोलियों को अस्वीकार कर दिया जाता है । आय आधारित नीलामी का एक उदाहरण नीचे प्रस्तुत है :-
नई प्रतिभूति की आय आधारित बोली
नई प्रतिभूति की आय आधारित बोली | |
• | परिपक्वता की तारीख : 8 सितंबर 2018 |
• | कूपन : यह नीलामी में निर्धारित किया जाता है (8.22% जैसा कि नीचे उदाहरण में दर्शाया गया है) । |
• | नीलामी की तारीख : 5 सितंबर 2008 |
• | नीलामी निपटान की तारीख : 8 सितंबर 2008* |
• | अधिसूचित राशि : 1000 करोड़ रु. |
6 और 7 सितंबर को छुट्टी होने के कारण टी+1 चक्र के अंतर्गत निपटान 8 सितंबर 2008 को किया जाएगा । |
बोली आय के बढ़ते हुए क्रम से प्राप्त बोलियों का ब्योरा | ||||
बोली सं. | बोली आय | बोली की राशि (रु.करोड़) | संचयी राशि (रु. करोड़) | 8.22% के रूप में कूपन सहित मूल्य* |
1. | 8.79% | 300 | 300 | 100.19 |
2. | 8.20% | 200 | 500 | 100.14 |
3. | 8.20% | 250 | 750 | 100.13 |
4. | 8.21% | 150 | 900 | 100.09 |
5. | 8.22% | 100 | 1000 | 100 |
6. | 8.22% | 100 | 1100 | 100 |
7. | 8.23% | 150 | 1250 | 99.93 |
8. | 8.24% | 100 | 1350 | 99.87 |
जारीकर्ता को क्रम सं.5 तक बोलियाँ स्वीकार करके अधिसूचित राशि प्राप्त होगी । चूंकि बोली सं.6 की आय भी वही है, बोली सं.5 और 6 को यथानुपाती आबंटन प्राप्त होगा ताकि अधिसूचित राशि का अधिक न हो । उपर्युक्त मामले में प्रत्येक को 50 करोड़ रु. मिलेंगे । बोली सं.7 और 8 अस्वीकृत हो जाएंगी क्योंकि उनकी आय "कट ऑफ" आय से अधिक है ।
* आय का तदनुरूपी मूल्य प्रश्न सं.24 में वाइटीएम गणना के अंतर्गत दिए संबंध के अनुसार निर्धारित होगा ।
(ii) मूल्य आधारित नीलामी : भारत सरकार द्वारा पहले से जारी प्रतिभूतियों को दुबारा जारी करने पर मूल्य आधारित नीलामी की जाती है । बोली लगाने वाले प्रतिभूति के अंकित मूल्य के प्रत्येक 100 रु. के लिए मूल्य के रूप में बोली लगाते हैं 102 रु., 101 रु., 100 रु., 99 रु. इत्यादि) । बोलियाँ अधोगामी स्वरूप में व्यवस्थित की जाती हैं और सफल बोलीकर्ता वे होते हैं जिनकी बोली "कट ऑफ" मूल्य पर अथवा उससे अधिक होती है । "कट ऑफ" मूल्य से नीचे की बोलियाँ अस्वीकृत हो जाती हैं ।मूल्य आधारित नीलामी का उदाहरण नीचे प्रस्तुत है :
वर्तमान प्रतिभूति 8.24% जीएस 2018 की मूल्य आधारित नीलामी | |
• | परिपक्वता की तारीख : 22 अप्रैल 2018 |
• | कूपन : 8.24% |
• | नीलामी की तारीख : 5 सितंबर 2008 |
• | नीलामी निपटान की तारीख : 8 सितंबर 2008* |
• | अधिसूचित राशि : 1000 करोड़ रु. |
6 और 7 सितंबर को छुट्टी होने के कारण टी+1 चक्र के अंतर्गत निपटान 8 सितंबर 2008 को किया जाएगा । |
बोली मूल्य के घटते हुए क्रम से प्राप्त बोलियों का ब्योरा | ||||
बोली सं. | बोली का मूल्य | बोली की राशि (रु.करोड़) | अंतर्निहित आय | संचयी राशि |
1. | 100.31 | 300 | 8.1912% | 300 |
2. | 100.26 | 200 | 8.1987% | 500 |
3. | 100.25 | 250 | 8.2002% | 750 |
4. | 100.21 | 150 | 8.2062% | 900 |
5. | 100.20 | 100 | 8.2077% | 1000 |
6. | 100.20 | 100 | 8.2077% | 1100 |
7. | 100.16 | 150 | 8.2136% | 1250 |
8. | 100.15 | 100 | 8.2151% | 1350 |
जारीकर्ता को क्रम सं.5 तक बोलियाँ स्वीकार करके अधिसूचित राशि प्राप्त होगी । चूंकि बोली सं.6 का मूल्य भी वही है, बोली सं.5 और 6 को अनुपात में आबंटन प्राप्त होगा ताकि अधिसूचित राशि अधिक न हो । उपर्युक्त मामले में प्रत्येक को 50 करोड़ रु. मिलेंगे । बोली सं.7 और 8 अस्वीकृत हो जाएंगी क्योंकि उनकी मूल्य "कट ऑफ" आय से कम है ।
4.2. सफल बोलीकर्ताओं को आबंटन के तरीके के आधार पर नीलामी को एक समान मूल्य आधारित और बहुमुखी मूल्य आधारित के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है । एकसमान मूल्य नीलामी में सभी सफल बोलीकर्ताओं से अपेक्षा की जाती है कि वे एक ही दर पर प्रतिभूतियों की आबंटित मात्रा के लिए भुगतान करें अर्थात नीलामी की "कट ऑफ" दर, चाहे उन्होंने कोई भी दर उध्दृत की हो । दूसरी ओर, बहुमुखी मूल्य नीलामी में सफल बोलीकर्ताओं से अपेक्षा की जाती है कि वे, उन्हें प्रतिभूतियों की आबंटित मात्रा के लिए, भुगतान करें जिस मूल्य/आय के लिए उन्होंने बोली लगाई है । ऊपर दिये गये उदाहरण ii में, यदि नीलामी एकसमान मूल्य आधारित होती, तो सभी बोलीकर्ताओं को "कट ऑफ" मूल्य अर्थात 100.20 रु. पर आबंटन किया जाएगा । दूसरी ओर, यदि नीलामी बहुमुखी मूल्य आधारित होती तो प्रत्येक बोलीकर्ता को उसी मूल्य पर आबंटन मिलता जिसकी उसने बोली लगाई है अर्थात बोलीकर्ता 1 को 100.31 रु., बोलीकर्ता 2 को 100.26 रु. पर तथा इसी प्रकार ।
4.3. कोई निवेशक नीलामी में निम्नलिखित में से किसी भी श्रेणी में बोली लगा सकता है :-
(i) स्पर्धी बोली : स्पर्धी बोली में, निवेशक एक विशिष्ट मूल्य/आय पर बोली लगाता है और उध्दृत मूल्य कट-ऑफ मूल्य/आय के भीतर होने पर उसे प्रतिभूतियाँ आबंटित की जाती हैं । स्पर्धी बोलियाँ जानकर निवेशकों द्वारा लगाई जाती हैं यथा बैंक, वित्तीय संस्थाएँ, प्राथमिक व्यापारी, पारस्परिक निधियाँ और बीमा कंपनियाँ । न्यूनतम बोली की राशि 10,000 रु. और उसके बाद 10,000 रु. के गुणजों में होती है । बहुमुखी बोली की भी अनुमति है अर्थात कोई निवेशक विभिन्न मूल्यों/आय स्तरों पर कई बोलियाँ लगा सकता है ।
(ii) गैर स्पर्धी बोली : खुदरा निवेशकों को, जिन्हें नीलामी में प्रत्यक्ष रूप से भाग लेने की जानकारी नहीं है, नीलामी प्रक्रिया में भाग लेने के लिए एक अवसर देते हुए, जनवरी 2002 में दिनांकित प्रतिभूतियों में गैर स्पर्धी बोली लगाने की योजना लागू की गयी थी । गैर स्पर्धी बोली आम जनता, हिन्दु अविभक्त परिवारों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, सहकारी बैंकों, फर्मों, कंपनियों, कार्पोरेट निकायों, संस्थाओं, भविष्य निधियों और न्यासों के लिए खुली है । इस योजना के अंतर्गत, पात्र निवेशक विशिष्ट मूल्य/आय निर्दिष्ट किए बिना किसी राशि की प्रतिभूतियों के लिए आवेदन कर सकता है । ऐसे बोलीकर्ताओं को नीलामी की भारित औसत मूल्य/आय पर प्रतिभूतियाँ आबंटित की जाती हैं । ऊपर 4.1(ii) में दिए उदाहरण में, अधिसूचित राशि चूंकि 1000 करोड़ रु. है, गैर स्पर्धी बोली के लिए आरक्षित निधि 50 करोड़ रु. होगी (नीचे निर्दिष्ट किए अनुसार अधिसूचित राशि का 5 प्रतिशत) । गैर स्पर्धी बोलीकर्ताओं को भारित औसत मूल्य पर आबंटित किया जाएगा जो उद्धरण में 100.26 रु.. है । तथापि, गैर स्पर्धी बोली के भागीदारों से अपेक्षा की जाती है कि वे किसी बैंक अथवा प्राथमिक व्यापारी के पास गिल्ट खाता रखें । जिन क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों तथा सहकारी बैंकों का एसजीएल और चालू खाता भारतीय रिज़र्व बैंक के पास है, वे भी बिना गिल्ट खाता रखे गैर स्पर्धी बोली की योजना के अंतर्गत भाग ले सकते हैं ।
4.4. दिनांकित प्रतिभूतियों की प्रत्येक नीलामी में, ऐसी गैर स्पर्धी बोलियों के लिए अधिकतम पांच प्रतिशत की अधिसूचित राशि प्रारक्षित की जाती है । खजाना बिलों के लिए नीलामी के मामले में, गैर स्पर्धी बोलियों के लिए स्वीकार्य राशि अधिसूचित राशि को छोड़कर होती है और उसकी कोई सीमा नहीं है । तथापि, खजाना बिलों में गैर स्पर्धी बोली केवल राज्य सरकारों और अन्य चयनित संस्थाओं को उपलब्ध है तथा सहकारी बैंकों के लिए उपलब्ध नहीं है । किसी भी निवेशक को एक ही बोली किसी बैंक अथवा प्राथमिक व्यापारी के माध्यम से देने की अनुमति है । योजना के अंतर्गत बोली लगाने के लिए निवेशक को किसी बैंक अथवा प्राथमिक व्यापारी के माध्यम से प्रतिभूतियों के आबंटन के लिए आवेदन के साथ वचनपत्र देना होगा । दिनांकि प्रतिभूतियों की नीलामी के मामले में एक बोली के लिए न्यूनतम और अधिकतम राशि क्रमश: 10,000 रु. तथा 2 करोड़ रु. है । बैंक अथवा प्राथमिक व्यापारी अपनी सेवाएँ देने के लिए प्रति 100 रु. की आवेदन राशि के लिए अधिकतम 6 पैसे कमीशन के रूप में प्रभारित कर सकता है । यदि गैर स्पर्धी बोली के लिए प्राप्त कुल आवेदनों की बोली दिनांकित प्रतिभूतियों की नीलामी की अधिसूचित राशि के 5 प्रतिशत से अधिक होती हैं तो बोली लगाने वालों को यथानुपाती आधार पर प्रतिभूतियाँ आबंटित की जाएंगी ।
4.5. राज्य सरकार की प्रतिभूतियों में गैर स्पर्धी बोली योजना अगस्त 2009 से शुरु हुई है । एसडीएल में इस प्रयोजन हेतु आरक्षित कुल राशि अधिसूचित राशि का 10% (1000 करोड़ रु. की अधिसूचित राशि पर 100 करोड़ रु.) है तथा किसी निवेशक द्वारा प्रत्येक नीलामी में 1% की बोली लगाई जा सकती है (केद्र सरकार की प्रतिभूतियों में 2 करोड़ रु. की तुलना में) । बोली लगाने और आबंटन की प्रक्रिया केद्र सरकार की प्रतिभूतियों के समान है ।
बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण
ए. कुछ बुनियादी प्रश्न
उत्तर: जो उधार लिया गया है उसे यथालागू ईसीबी दिशानिर्देशों के अनुपालन में लिया गया है इसे सुनिश्चित करने का प्राथमिक दायित्व संबंधित उधारकर्ता का है। ऐसे ढांचे, जो किसी भी प्रकार से ईसीबी दिशानिर्देशों को बाइपास करते हों अथवा उससे बच कर निकलते हो तथा / अथवा किसी ऐसी अन्य पद्धति से उधार जुटाना जो कि अनुमत नहीं है/ उधार को किसी अन्य प्रकार के लेनदेन की ओढ़ में छिपाना तथा/ अथवा विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधर लेना तथा उधार देना) विनियमावली, 2018 के प्रावधानों का उल्लंघन करना फेमा के अंतर्गत दंडात्मक कार्रवाई के लिए पात्र हैं।
एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी
A. परिभाषाएं
कोर निवेश कंपनियां
कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)
उत्तर: समूह की सभी कंपनियां जो सीआईसी हैं, उन्हें सीआईसी-एनडी-एसआई के रूप में माना जाएगा (बशर्ते उन्होंने सार्वजनिक निधि का उपयोग किया हो) और उन्हें बैंक से पंजीकरण प्रमाणपत्र प्राप्त करना होगा।
भारत में विदेशी निवेश
किसी स्टार्टअप कंपनी द्वारा जारी एक ऐसी लिखत, जो प्रारम्भिक तौर पर कर्ज़ के रूप में प्राप्त धनराशि को इंगित करती है और वह उसके धारक को उसके विकल्प पर पुनर्भुगतान योग्य होगी अथवा इस नोट को जारी करने की तारीख से पाँच वर्षों से अनधिक अवधि के भीतर उस संख्या में स्टार्टअप कंपनी के इक्विटी शेयरों में परिवर्तनीय होगी, साथ ही यह उक्त लिखत में उल्लिखित और स्वीकार किए गए नियमों और शर्तों के अनुरूप विशिष्ट स्थितियों में परिवर्तनीय होगी।
भारतीय मुद्रा
क) भारतीय मुद्रा/मुद्रा प्रबंधन से जुड़ी आधारभूत जानकारी
बैंक नोटों तथा रुपये के सिक्कों के वितरण को सुगम बनाने के लिए रिजर्व बैंक ने चयनित अनुसूचित बैंकों को मुद्रा तिजोरी की स्थापना करने हेतु प्राधिकृत किया है । ये ऐसे भण्डारगृह हैं जहां बैंक नोटों तथा सिक्कों को भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से उनके परिचालन क्षेत्र में आने वाली बैंक शाखाओं में वितरित करने के लिए भंडारण किया जाता है । 31 मार्च 2025 को 2,689 मुद्रा तिजोरियाँ थीं ।
[मुद्रा तिजोरियों से अपेक्षित है कि वे उनके परिचालन क्षेत्र में आने वाली अन्य बैंक शाखाओं को बैंक नोट तथा सिक्कों का वितरण करें]
समन्वित संविभागीय निवेश सर्वेक्षण - भारत
सर्वेक्षण शुरू करने का विवरण
उत्तर: रिज़र्व बैंक नवीनतम संदर्भ अवधि के लिए सीपीआईएस के शुरुआत के बारे में सूचित करने के लिए रिज़र्व बैंक की जेनेरिक ईमेल आईडी से सभी पात्र संस्थाओं को ईमेल भेजेगा। संस्थाओं को मेल के साथ संलग्न नवीनतम सर्वेक्षण प्रश्नावली को भरना होगा और सर्वेक्षण प्रश्नावली में दिए गए निर्देश के अनुसार रिज़र्व बैंक की जेनेरिक ईमेल आईडी पर भेजना होगा।
भारतीय उद्योग में विदेशी सहयोग (एफसीएस) पर द्विवार्षिक सर्वेक्षण
सर्वेक्षण लॉन्च का विवरण
उत्तर: प्रतिवादी कंपनियां सर्वेक्षण वर्ष की 15 जुलाई या उससे पहले अपनी प्रतिक्रियाएं प्रस्तुत कर सकती हैं।
प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार संबंधी दिशानिर्देशों के मास्टर निदेशों पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
छ. आवास
उत्तर: बैंकों के अपने कर्मचारियों को दिए गए आवास ऋण प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए पात्र नहीं हैं, भले ही वे वाणिज्यिक शर्तों पर या रियायती दरों पर दिए गए हों।
लक्षित दीर्घकालिक रिपो परिचालन (टीएलटीआरओ)
आवास ऋण
बैंक द्वारा आम तौर पर निम्नलिखित ऋण विकल्पों में से किसी एक की पेशकश की जा सकती हैं: फ्लोटिंग रेट (अस्थायी दर) होम लोन और फिक्स्ड रेट (निश्चित दर) आवास ऋण। फिक्स्ड रेट लोन के लिए, ब्याज की दर या तो ऋण की पूरी अवधि के लिए या ऋण की अवधि के एक निश्चित हिस्से के लिए तय होती है। शुद्ध निश्चित ऋण के मामले में, बैंक की ईएमआई स्थिर रहती है। यदि कोई बैंक ऋण की पेशकश करता है जो केवल ऋण की अवधि की एक निश्चित अवधि के लिए निर्धारित है, तो कृपया बैंक से जानकारी प्राप्त करने का प्रयास करें कि क्या अवधि के बाद दरें बढ़ाई जा सकती हैं (पुनर्स्थापना खंड)। आप एक लॉक-इन पर बातचीत करने का प्रयास कर सकते हैं जिसमें वह दर शामिल होनी चाहिए जिस पर आपने शुरुआत में सहमति दी थी और लॉक-इन की अवधि भी शामिल होनी चाहिए।
इसलिए फिक्स्ड रेट वाले लोन की ईएमआई पहले से पता होती है। यह वह नकद बहिर्प्रवाह है जिसकी योजना ऋण की शुरुआत में बनाई जा सकती है। यदि मुद्रास्फीति और अर्थव्यवस्था में ब्याज दर वर्षों में बढ़ती है, तो एक निश्चित ईएमआई आकर्षक रूप से स्थिर होती है और इसकी योजना बनाना आसान होता है। हालांकि, अगर आपने ईएमआई तय कर रखी है तो बाजार में ब्याज दरों में किसी तरह की कटौती से आपको कोई फायदा नहीं होगा।
फ्लोटिंग रेट के निर्धारक:
फ्लोटिंग रेट लोन की ईएमआई बाजार की ब्याज दरों में बदलाव के साथ बदलती है। यदि बाजार दर बढ़ती है, तो आपकी चुकौती (पुनर्भुगतान) बढ़ जाती है। जब दरें गिरती हैं, तो आपकी बकाया राशि भी गिर जाती है। फ्लोटिंग ब्याज दर दो भागों से बनी होती है: इंडेक्स और स्प्रेड (सूचकांक और फैलाव)। सूचकांक आम तौर पर ब्याज दरों का एक उपाय है (सरकारी प्रतिभूतियों की कीमतों के आधार पर), और प्रसार एक अतिरिक्त राशि है जिसे बैंकर क्रेडिट जोखिम, लाभ मार्क-अप आदि को कवर करने के लिए जोड़ता है। प्रसार की राशि एक ऋणदाता से दूसरे में भिन्न हो सकती है, लेकिन यह आमतौर पर ऋण के जीवन पर स्थिर होती है। अगर सूचकांक दर ऊपर जाती है, तो अधिकांश परिस्थितियों में आपकी ब्याज दर भी बढ़ती है और आपको अधिक ईएमआई का भुगतान करना होगा। इसके विपरीत, अगर ब्याज दर घटती है, तो आपकी ईएमआई राशि कम होनी चाहिए।
साथ ही, कभी-कभी बैंक कुछ समायोजन (एडजस्टमेंट) करते हैं ताकि आपकी ईएमआई स्थिर रहे। ऐसे मामलों में, जब कोई ऋणदाता फ्लोटिंग ब्याज दर बढ़ाता है, तो ऋण की अवधि बढ़ जाती है (और ईएमआई स्थिर रहती है)।
कुछ ऋणदाता अपनी फ्लोटिंग दरें अपने बेंचमार्क प्राइम लेंडिंग रेट्स (बीपीएलआर) पर भी आधारित करते हैं। आपको पूछना चाहिए कि फ्लोटिंग रेट को सेट करने के लिए किस इंडेक्स का उपयोग किया जाएगा, यह आमतौर पर अतीत में कैसे उतार-चढ़ाव करता है, और यह कहां प्रकाशित/खुलासा होता है। हालांकि, किसी भी इंडेक्स का पिछला उतार-चढ़ाव उसके भविष्य के व्यवहार की गारंटी नहीं है।
ईएमआई में लचीलापन:
कुछ बैंक अपने ग्राहकों को लचीले पुनर्भुगतान विकल्प भी प्रदान करते हैं। यहां ईएमआई असमान हैं। स्टेप-अप लोन में, शुरुआत में ईएमआई कम होती है और जैसे-जैसे साल बीतते जाते हैं (बैलून रीपेमेंट) बढ़ती जाती है। स्टेप-डाउन लोन में, ईएमआई शुरू में अधिक होती है और जैसे-जैसे साल बीतते जाते हैं, घटती जाती है।
स्टेप-अप विकल्प उन उधारकर्ताओं के लिए सुविधाजनक है जो अपने करियर की शुरुआत में हैं। स्टेप-डाउन ऋण विकल्प उन उधारकर्ताओं के लिए उपयोगी है जो अपनी सेवानिवृत्ति के वर्षों के करीब हैं और वर्तमान में अच्छा पैसा कमा रहे हैं।
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Definition of public deposits
रिटेल डायरेक्ट योजना
योजना संबन्धित प्रश्न
फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न
एफएलए रिटर्न जमा करने के लिए पात्र संस्थाएं और आवश्यकताएं
उत्तर: नहीं, इकाई लेखा बंद करने की अवधि यदि यह मार्च क्लोजिंग से भिन्न है के अनुसार सूचना की रिपोर्ट नहीं कर सकती। इकाई के आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर सूचना को केवल संदर्भित अवधि अर्थात पिछले मार्च और नवीनतम मार्च के लिए रिपोर्ट किया जाना चाहिए।
समझौता निपटान और तकनीकी रूप से बट्टे खाते डालने (राइट-ऑफ) के लिए रूपरेखा
ए. इरादतन कर्ज़ न चुकाने और धोखाधड़ी के मामलों में समझौता निपटान
प्राथमिक विनियामक उद्देश्य उधारदाताओं को बिना किसी देरी के चूक किए धन की वसूली के लिए कई रास्ते सक्षम करना है। समय मूल्य हानि के अलावा, अत्यधिक देरी के परिणामस्वरूप आस्ति मूल्य में गिरावट आती है जिससे अंतिम वसूली में बाधा आती है। 7 जून 2019 के दबावग्रस्त आस्तियों के समाधान पर विवेकपूर्ण ढांचे के तहत समझौता निपटान को एक वैध समाधान तंत्र के रूप में मान्यता दी गई है। जब धोखाधड़ी या इरादतन चूककर्ता के रूप में वर्गीकृत उधारकर्ताओं से वसूली की बात आती है तो उधारदाताओं के लिए अनिवार्यताएं अलग नहीं होती हैं। विधिक कार्यवाही के कारण ऋणदाताओं की बैलेंस शीट पर इस तरह के एक्सपोजर को समाधान के बिना जारी रखने से ऋणदाताओं की निधि अनुत्पादक आस्ति में लॉक हो जाएगी, जो वांछनीय स्थिति नहीं होगी। जब तक बड़ी नीतिगत चिंताओं का उचित रूप से निवारण किया जाता है और दुर्भावनापूर्ण कार्यों की लागत दोषियों द्वारा वहन की जाती है, तब तक सुरक्षा उपायों के अधीन, ऋणदाताओं द्वारा शीघ्र वसूली एक पसंदीदा विकल्प होना चाहिए। इसके अलावा, धोखाधड़ी या इरादतन चूककर्ता के रूप में वर्गीकृत उधारकर्ताओं के खिलाफ चल रही या शुरू की जाने वाली आपराधिक कार्यवाही जारी रखने से यह सुनिश्चित होगा कि किसी भी दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई से अपराधी बच नहीं पाए।
विप्रेषण (धन अंतरण सेवा योजना (एमटीएसएस) तथा रुपया आहरण व्यवस्था (आरडीए))
रुपया आहरण व्यवस्था(आरडीए)
देशी जमा
I . देशी जमा
दिनांक 31 जनवरी 2024 और 16 फरवरी 2024 की प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड पर लगाए गए कारोबारी प्रतिबंध
पेटीएम पेमेंट्स बैंक में बैंक खाते
5. मेरा वेतन पेटीएम पेमेंट्स बैंक के मेरे खाते में जमा किया जाता है। क्या मैं इस खाते में अपना वेतन प्राप्त करना जारी रख सकता हूँ?
बाह्य वाणिज्यिक उधार(ईसीबी) तथा व्यापार ऋण
बी. ईसीबी जुटाने के लिए पात्रता
उत्तर: चूंकि एलएलपी एफ़डीआई प्राप्त करने के लिए पात्र नहीं हैं इसलिए वे ईसीबी जुटा नहीं सकते हैं।
भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
एनबीएफसी के बारे में आपके जानने योग्य संपूर्ण जानकारी
A. परिभाषाएं
कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत गठित कंपनी तथा भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45झ(क) के तहत वर्णित गैर बैंकिंग वित्तीय कारोबार को प्रारंभ करने की इच्छा रखने वाली कंपनी को निम्नलिखित का अनुपालन करना होगा:
i. कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 3 के तहत यह कंपनी के रूप में पंजीकृत होनी चाहिए।
ii. इसकी न्यूनतम निवल स्वाधिकृत निदि रू 200 लाख होनी चाहिए। (विशिष्ठ एनबीएफसी जैसे एनबीएफसी-एमएफआइ, एनबीएफसी-फैक्टर, सीआइसी के लिए न्यूनतम निवल स्वाधिकृत निधि (एनओएफ) को विशिष्ठ एनबीएफसी के लिए अलग एफएक्यू में दर्शाया गया है)
कोर निवेश कंपनियां
कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)
उत्तर: ऐसे मामले में केवल सी पंजीकृत किया जाएगा, बशर्ते सी किसी अन्य सीआईसी को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वित्त पोषण नहीं कर रहा हो।
भारत में विदेशी निवेश
उत्तर: भारत के बाहर का निवासी व्यक्ति (ऐसे व्यक्ति को छोड़कर जो बांग्लादेश अथवा पाकिस्तान का नागरिक अथवा बांग्लादेश अथवा पाकिस्तान में पंजीकृत/ निगमित एंटीटी है) एक हिस्से में पचीस लाख अथवा उससे अधिक राशि के लिए भारतीय स्टार्ट-उप कंपनी द्वारा जारी किए गए परिवर्तनीय नोट खरीद सकता है। ऐसे क्षेत्र में लिप्त स्टार्टअप कंपनी जिसमें विदेशी निवेश के लिए सरकार का अनुमोदन आवश्यक है, केवल ऐसा अनुमोदन प्राप्त करके भारत के बाहर के निवासी व्यक्ति को इस प्रकार के परिवर्तनीय नोट जारी कर सकती है। प्रतिफल की राशि बैंकिंग चैनलों के माध्यम से आवक विप्रेषण द्वारा अथवा विदेशी मुद्रा प्रबंधन (जमा) विनियमावली, 2016 के अनुसार खोले गए संबंधित व्यक्ति के एनआरई/ एफ़सीएनआर(बी)/ एस्क्रो खाते में नामे डालकर प्राप्त होगी।
पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 10, 2022