FAQs on Non-competitive Bidding Facility for Dated Government Securities
हां, बॉण्डों को डिमैट खातों में रखा जा सकता है। उसके लिए आवेदन में ही निश्चित अनुरोध किया जाना है।
डीमैटीरियालाइज़ेशन की प्रणाली पूर्ण होने तक इन बॉण्डों को भारतीय रिज़र्व बैंक की बही में रखा जाएगा। बॉण्ड आबंटित किए जाने के पश्चात डीमैट में परिवर्तित करने की सुविधा उपलब्ध होगी।
अपीलीय खंडों के तहत बंद की गई शिकायत को खारिज करने के आरबीआई ओम्बड्समैन के अधिनिर्णय या निर्णय के विरूद्ध अपील अधिनिर्णय की सूचना प्राप्त होने या शिकायत की अस्वीकृति की तिथि के 30 दिन के भीतर दायर की जा सकती है। अपीलीय प्राधिकारी, यदि संतुष्ट है कि आवेदक के पास निर्दिष्ट समय के भीतर अपील दायर नहीं करने का पर्याप्त कारण था, तो 30 दिन से अनधिक अवधि के विस्तार की अनुमति भी दे सकता है।
उत्तर: हां, ऊपर प्रश्न 13 के उत्तर में उल्लिखित खाता खोलने के सभी तरीके, अर्थात प्रत्यक्ष मोड, ; अप्रत्यक्ष मोड और वी-सीआईपी के द्वारा ग्राहको को शामिल करना दिव्यांगजनों के लिए उपलब्ध हैं।
ये अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न केवल सूचना और सामान्य मार्गदर्शन उद्देश्यों के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (इसके बाद "बैंक" के रूप में संदर्भित) द्वारा जारी किए जाते हैं। उसके आधार पर की गई कार्रवाई और/या लिए गए निर्णयों के लिए बैंक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा। स्पष्टीकरण या व्याख्या के लिए, यदि कोई हो, तो पीएसएस अधिनियम, 2007 द्वारा निर्देशित हो सकते है।
अपीलीय प्राधिकारी, अपील और संबंधित दस्तावेजों की जांच करने के बाद, निम्नानुसार कार्य कर सकता है:
- अपील को खारिज कर सकता है; या
- अपील की अनुमति देते हुए आरबीआई ओम्बड्समैन के अधिनिर्णय/आदेश को रद्द कर सकता है; या
- ओम्बड्समैन को मामला नए सिरे से निपटान हेतु इन निदेशों के साथ, जो अपीलीय प्राधिकारी आवश्यक या उचित समझे, वापस भेजा जा सकता है; या
- ओम्बड्समैन के अधिनिर्णय/आदेश को संशोधित कर, ऐसे संशोधित आदेश या अधिनिर्णय को प्रभावी करने के लिए आवश्यक निदेश दे सकता है; या
- कोई अन्य आदेश, जो उसे उचित लगे, पारित कर सकता है।
इसके अतिरिक्त, अपीलीय प्राधिकारी के आदेश का प्रभाव आरबीआई ओम्बड्समैन द्वारा पारित निर्णय या शिकायत को खारिज करने वाले आदेश जैसा ही होगा।
उत्तर: विनियमित संस्थाओं की ग्राहक स्वीकृति नीति के परिणामस्वरूप आम जनता को बैंकिंग/वित्तीय सुविधा से वंचित नहीं किया जाएगा, विशेष रूप से उन लोगों को, जो वित्तीय या सामाजिक रूप से वंचित हैं, जिनमें दिव्यांग व्यक्ति (पीडब्ल्यूडी) भी शामिल हैं। केवाईसी के आवेदन/केवाईसी के आवधिक अद्यतनीकरण के आवेदन को अस्वीकार करने का निर्णय स्वचालित नहीं होगा और अस्वीकृति पर ऐसे निर्णयों की समीक्षा इस प्रयोजन के लिए अधिकृत आरई के अधिकारी द्वारा की जाएगी।
उत्तर. प्राधिकृत डीलर श्रेणी-I बैंकों द्वारा जारी पूर्ण-केवाईसी पीपीआई, फेमा के तहत अनुमत चालू खाता लेनदेनों, अर्थात वस्तुओं और सेवाओं की खरीद के लिए, सीमा-पार जावक लेनदेनों में उपयोग किए जा सकते हैं। यह सुविधा केवल पीपीआई धारक के स्पष्ट अनुरोध पर ही सक्षम की जाएगी।
लेनदेन की सीमाएं:
ए. प्रति लेनदेन सीमा ₹10,000/- से अधिक नहीं होगी।
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ए. प्रति लेनदेन सीम ₹10,000/- से अधिक नहीं होगी।
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बी. प्रति माह सीमाा ₹50,000/- से अधिक नहीं होगी।
अनुमत लेनदेन:
विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा) के तहत अनुमत चालू खाता लेनदेन, अर्थात इस तरह के लेनदेनों को नियंत्रित करने वाले मौजूदा मानदंडों के अनुपालन के अधीन वस्तुओं और सेवाओं की खरीद।
लेनदेन जिनकी अनुमति नहीं है:
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ए. उदारीकृत विप्रेषण योजना के अंतर्गत कोई सीमा-पार जावक निधि अंतरण और/अथवा विप्रेषण के लिए।
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बी ऑनलाइन व्यापारियों के खाते की प्रीफंडिंग।
हाँ। योजना के तहत शिकायतकर्ता द्वारा किसी भी स्तर पर शिकायत वापस ली जा सकती है। शिकायत वापस लेने के लिए शिकायतकर्ता शिकायत प्रबंध प्रणाली पोर्टल (https://cms.rbi.org.in) पर लॉग ऑन कर ‘शिकायत ट्रैक करें’ टैब पर जा सकता है।
उत्तर: केवाईसी पर एमडी के पैरा 16 और 23 के तहत प्रत्यक्ष मोड में ग्राहक को शामिल करने के लिए हस्ताक्षर के स्थान पर अंगूठे के निशान को स्वीकार करने का प्रावधान पहले ही निर्धारित किया जा चुका है।
उत्तर. बैंक और गैर-बैंक पीपीआई जारीकर्ता, जो प्राधिकृत सीमा-पार प्रिंसिपल (ओपी) के भारतीय एजेंट हैं, को आरबीआई की मुद्रा अंतरण सेवा योजना (एमटीएसएस) के तहत आवक विप्रेषण के लाभार्थियों को पूर्ण-केवाईसी पीपीआई जारी करने की अनुमति है। इसका अर्थ यह है कि इस गतिविधि को करने वाली संस्था को एक प्राधिकृत पीपीआई जारीकर्ता के साथ-साथ एमटीएसएस (विदेशी मुद्रा विभाग, आरबीआई द्वारा प्राधिकृत) के तहत एक भारतीय एजेंट होना चाहिए।
व्यक्तिगत आवक एमटीएसएस विप्रेषण से ₹50,000/- तक की राशि को लाभार्थियों को जारी किए गए पीपीआई में लोड अथवा पुनः लोड करने की अनुमति है। ₹50,000/- से अधिक की किसी भी एकल लेनदेन राशि का भुगतान बैंक खाते में जमा करके किया जाएगा।
योजना निम्न लिंक पर उपलब्ध है - https://rbi.org.in/documents/87730/38689832/RBIOS2021_12112021.pdf
उत्तर: निष्क्रिय खाता वह बचत/चालू खाता है जिसमें दो वर्ष से अधिक अवधि तक कोई 'ग्राहक प्रेरित लेनदेन' नहीं हुआ हो। निष्क्रिय खातों को सक्रिय करने के लिए, ग्राहक अपनी केवाईसी जानकारी/डेटा को आरई की घरेलू/गैर-घरेलू शाखा में तथा वी-सीआईपी के माध्यम से भी अपडेट कर सकता है, बशर्ते बैंक द्वारा वी-सीआईपी की सुविधा प्रदान की गई हो। बैंक, केवाईसी पर मास्टर निदेश में दिए गए केवाईसी दिशानिर्देशों का अनुपालन करने के बाद ही निष्क्रिय खातों को सक्रिय करेंगे।
1 निष्क्रिय खाते को बैंकों में निष्क्रिय खाते/अदावी जमा- संशोधित अनुदेश पर दिनांक 1 जनवरी 2024 के परिपत्र विवि.एसओजी (एलईजी).आरईसी/64/09.08.024/2023-24 में परिभाषित किया गया है।
राष्ट्रिक स्वर्ण बॉण्ड के संदर्भ में आम जनता के प्रश्नों को प्राप्त करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने एक अलग ई मेल आईडी सृजित की है। निवेशक अपने प्रश्न इस ई मेल आईडी पर भेज सकते हैं।
हाँ। शिकायतकर्ता आरबीआई के सीएमएस पोर्टल (https://cms.rbi.org.in ) पर लॉग ऑन कर ‘फीडबैक’ टैब के तहत अपनी प्रतिक्रिया साझा कर सकते हैं। आरबी-आइओएस, 2021 के तहत शिकायत निवारण में और अधिक सुधार के लिए आरबीआई में इस फीडबैक का विश्लेषण किया जाता है।
उत्तर: 'निष्क्रिय खातों' को सक्रिय करने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए बैंक को अपनी सभी शाखाओं में केवाईसी अद्यतन करने की सुविधा उपलब्ध करानी होगी, और यदि खाताधारक द्वारा अनुरोध किया जाता है तो बैंक, वीडियो-ग्राहक पहचान प्रक्रिया (वी-सीआईपी) के माध्यम से केवाईसी अद्यतन की सुविधा उपलब्ध कराएगा, बशर्ते कि बैंक द्वारा वी-सीआईपी की सुविधा प्रदान की गई हो।
ऑनलाइन पोर्टल (https://cms.rbi.org.in ) दो भाषाओं अर्थात हिंदी और अंग्रेजी में शिकायत दर्ज करने में सक्षम बनाता है। हालांकि, शिकायत के तथ्यों/विवरण को विवरण बॉक्स में 2,000 वर्णों तक किसी भी भाषा में टाइप, कॉपी और पेस्ट किया जा सकता है। भौतिक और ईमेल शिकायतें किसी भी भाषा में दर्ज की जा सकती हैं।
यदि कोई व्यक्ति किसी सरकारी प्रतिभूति का अपने पक्ष में हक पाने अथवा किसी अन्य व्यक्ति को यह हक दिलाने के लिए मिथ्यावचन करता है, तो वह, अधिकतम 6 माह तक कारावास या जुर्माना या दोनों का पात्र होगा । इसके अलावा, यदि कोई व्यक्ति सरकारी प्रतिभूति अधिनियम के प्रावधानों या इसमे अंतर्गत जारी किसी विनियम, अधिसूचना या निर्देश का उल्लंघन करता है या एसजीएल/सीएसजीएल खातो को खोलने और जारी रखने के नियम और शर्तो का उल्लंघन करता है ,तो भारतीय रिज़र्व बैंक उसे 5 लाख रूपए का दंड लगा सकता है और यदि ऐसा उल्लंघन जारी रहता है, तो आगे प्रति दिन 5 हजार रुपए के हिसाब से उल्लंघन जारी रहने तक दंड लगा सकता है ।
समष्टि स्तर: आरबीआई आरबी-आइओएस, 2021 और संबंधित मामलों पर विभिन्न माध्यमों से जागरूकता उत्पन्न करता है जिसमें निम्न शामिल हैं:
- ‘आरबीआई कहता है’ टैग लाइन के साथ जागरूकता अभियानों का आयोजन किया गया जो आरबीआई की वेबसाइट https://website.rbi.org.in/en/web/rbi/rbi-kehta-hai/sachet-portal पर मौजूद है।
- जागरूकता संबंधी संदेश आरबीआई की वेबसाइट के साथ-साथ सीएमएस पोर्टल पर भी अपलोड किए गए हैं। इनमें मोबाइल ऐप/यूपीआई/क्यूआर कोड आदि का उपयोग करके धोखाधड़ी सहित साइबर अपराध संबंधी जागरूकता शामिल है।
- अनाधिकृत संस्थाओं द्वारा जमा राशि के अवैध संग्रह संबंधी जागरूकता संदेश सचेत पोर्टल https://website.rbi.org.in/en/web/rbi/rbi-kehta-hai/sachet-portal. पर होस्ट किए गए।
- विभिन्न मल्टीमीडिया चैनलों में संदेश प्रसारित किए गए, जिसमें प्राइम टाइम के दौरान प्रसारित संदेश भी शामिल हैं।
- आरबीआई ने दो पुस्तिकाएं जारी की हैं। एक धोखेबाजों द्वारा उपयोग की जाने वाली सामान्य कार्यप्रणाली और विभिन्न वित्तीय लेनदेन करते समय बरती जाने वाली सावधानियों पर 'बी (ए) वेयर'नामक पुस्तिका है और दूसरी 'राजू और चालीस चोर', जिसमें ऐसी चालीस कहानियां शामिल हैं, जो धोखेबाजों द्वारा अपनाए जाने वाले विभिन्न धोखाधड़ी के तरीकों की झलक दिखाती है और इस प्रकार की घटनाओं से बचाव के लिए ‘क्या करें और क्या न करें’ के बारे में सरल उपाय प्रदान करती है।
- सभी बैंक अपने ग्राहकों को बार-बार एसएमएस/ईमेल भेजते हैं, जिसमें विभिन्न प्रकार की धोखाधड़ी के तौर-तरीकों और इस तरह की धोखाधड़ी से खुद को बचाने के लिए ग्राहक की ओर से बरती जाने वाली आवश्यक सावधानी का विवरण दिया जाता है ।
- ‘क्या करें और क्या न करें’ की सूची आरबीआई की वेबसाइट पर टिकर के रूप में प्रकाशित की गई है।
उपर्युक्त के अलावा आरबीआई के क्षेत्रीय कार्यालयों, वित्तीय साक्षरता केन्द्रों (सीएफएल / एफएलसी) द्वारा आयोजित विभिन्न आउटरीच कार्यक्रम, विशिष्ट जागरूकता कार्यक्रम, टाउन हॉल कार्यक्रम का आयोजन और आरबीआई ओम्बड्समैन कार्यालयों के माध्यम से विभिन्न सार्वजनिक स्थानों पर सूचना/संदेशों का प्रदर्शन नियमित रूप से किया जा रहा है। ‘ओम्बड्समैन स्पीक का आयोजन मार्च माह में और उसका दोहराव अक्टूबर माह में प्रतिवर्ष किया जाता है ।
असफल या 'विफल' लेनदेन के कारण बड़ी संख्या में ग्राहकों की शिकायतों को ध्यान में रखते हुए आरबीआई ने 20 सितंबर 2019 को प्राधिकृत भुगतान प्रणालियों का उपयोग करते हुए विफल हुए लेनदेन के लिए टर्न अराउंड टाइम (टीएटी) और ग्राहक क्षतिपूर्ति को सुसंगत बनाने हेतु एक परिपत्र जारी किया। जिसमें असफल लेनदेन के मामले में धन को वापस करने के लिए टीएटी निर्धारित है। इसके अलावा, यदि विनियमित संस्था की ओर से धन वापस करने में में देरी होती है तो परिपत्र में इस हेतु एक क्षतिपूर्ति तंत्र भी निर्धारित किया गया है। परिपत्र का विवरण निम्न लिंक पर उपलब्ध है: https://website.rbi.org.in/hi/web/rbi/-/notifications/harmonisation-of-turn-around-time-tat-and-customer-compensation-for-failed-transactions-using-authorised-payment-systems-11693
ग्राहकों को अपने खातों में हुए किसी भी अनधिकृत लेनदेन का पता चलते हुए उसकी सूचना तुरंत बैंक को देनी चाहिए। सूचना देने में देरी होने से पैसे वापस मिलने की संभावना कम हो जाती है।
अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन में ग्राहकों की देयता को सीमित करने के संबंध में आरबीआई के 06 जुलाई, 2017 के संदर्भ में शून्य देयता वहां उत्पन्न होगी यदि:
- बैंक की ओर से अंशदायी धोखाधड़ी/ लापरवाही/ कमी है (इस पर ध्यान दिए बगैर कि ग्राहक द्वारा लेनदेन को रिपोर्ट किया गया है या नहीं)।
- अन्य पक्ष द्वारा उल्लंघन जहां न तो बैंक की ओर से कमी हुई हो, न ही ग्राहक की ओर से, बल्कि प्रणाली में ही कहीं कमी हो, और ग्राहक अनधिकृत लेनदेन के संबंध में बैंक से सूचना प्राप्त होने के तीन कार्य दिवसों के भीतर बैंक को सूचित कर देता है।
ग्राहक की सीमित देयता
कोई ग्राहक निम्नलिखित मामलों में अनधिकृत लेनदेन के कारण होने वाले नुकसान के लिए उत्तरदायी होगा:
- ऐसे मामले जिनमें हानि किसी ग्राहक की लापरवाही के कारण हुई है, जैसे जहां उसने भुगतान संबंधी गोपनीय जानकारी साझा की है, वहां ग्राहक को सम्पूर्ण नुकसान तब तक वहन करना होगा जब तक कि अनधिकृत लेनदेन के संबंध में बैंक को सूचित न किया जाए। अनधिकृत लेनदेन की सूचना प्राप्ति के बाद होने वाला कोई भी नुकसान बैंक द्वारा वहन किया जाएगा।
- ऐसे मामले जिनमें अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन की जवाबदेही न तो बैंक की हो, न ही ग्राहक की, बल्कि कहीं-न-कहीं प्रणाली की ही हो, और जहां इस प्रकार की लेनदेन की सूचना बैंक को देने में ग्राहक की ओर से विलम्ब (बैंक से सूचना प्राप्ति के बाद चार से सात कार्य दिवस का) हो, वहां ग्राहक की प्रति लेनदेन देयता परिपत्र में दिए अनुसार सीमित होगी।
इन बांडस के निवेशकों को संचयी / गैर संचयी ब्याज भुगतान का विकल्प होता है । कम्यूलेटिव बांड में परिपक्वता के समय मूल के साथ ब्याज भुगतान दिया जाता है । नॉन कम्यूलेटिव बांड में ब्याज अर्धवार्षिक अंतराल पर भुगतान किया जाता है । यदि निवेशक निरंतर आय चाहता है तो वह गैर संचयी का विकल्प चुनें । ब्याज, ब्याज वारंट (रजिस्टर्ड पोस्ट द्वारा) या ईसीएस सुविधा से भुगतान किया जाता है, जिसके लिए निवेशक के बैंक खाते की जानकारी भारतीय रिज़र्व बैंक या एजेंसी बैंक से ईसीएस फार्म प्राप्त कर प्रस्तुत करना होता है (इस एफ़एक्यू के अंत मे आदर्श फार्मेट दिया गया है ) ।
बैंकों में ग्राहक सेवा पर दिनांक 1 जुलाई, 2015 के मास्टर परिपत्र के तहत, बैंकों को सलाह दी जाती है कि वे पर्याप्त जगह, उचित फर्नीचर, पीने के पानी की सुविधा प्रदान करने पर विशेष ध्यान देते हुए शाखाओं द्वारा बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति बनाएं जिसमें पेंशनरों, वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांग व्यक्तियों आदि को विशिष्ट महत्व दिया जाए। इसके अतिरिक्त, बैंकों को सलाह दी जाती है कि शाखा स्तरीय ग्राहक सेवा समिति में वरिष्ठ नागरिकों को शामिल करने को प्राथमिकता प्रदान की जाए।
विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य - दिनांक 4 अक्तूबर 2017 वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग व्यक्तियों के लिए बैंकिंग सुविधा के तहत बैंकों के लिए जारी दिनांक 9 नवंबर, 2017 के परिपत्र के अनुसार यह आवश्यक है कि वे निम्नलिखित विशेष प्रावधानों के साथ समुचित प्रणाली तैयार करें:
- वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांग व्यक्तियों के लिए समर्पित काउंटर/ प्राथमिकता - बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे स्पष्टतः पहचान-योग्य समर्पित काउंटर अथवा वरिष्ठ नागरिकों और दृष्टिबाधित व्यक्तियों सहित दिव्यांग व्यक्तियों को प्राथमिकता देने वाले काउंटर उपलब्ध कराएं।
- जीवन प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करने में आसानी - बैंक यह सुनिश्चित करेंगे कि जब पेंशन वितरित करने वाले बैंक की किसी शाखा में, गृहेतर (नॉन-होम) शाखा सहित, कोई जीवन प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किया जाता है, तो उसे प्राप्तकर्ता शाखा द्वारा ही सीबीएस में तुरंत अद्यतन/ अपलोड किया जाता है, ताकि पेंशन राशि जमा होने में किसी भी प्रकार के विलम्ब से बचा जा सके।
- चेक बुक सुविधा - बैंक चेक बुक प्राप्त करने के लिए वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग व्यक्तियों सहित किसी भी ग्राहक के स्वयं उपस्थित होने पर जोर नहीं देंगे।
- खाते की स्थिति में स्वतः परिवर्तन - बैंकों को सूचित किया जाता है कि पूर्णतः केवाईसी-अनुपालित खाते बैंक के अभिलेखों में उपलब्ध जन्म-तिथि के आधार पर ‘वरिष्ठ नागरिक खातों’ में स्वतः परिवर्तनीय बनाए जाएं।
- फार्म 15 जी/एच फाइल करने में आसानी - बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग व्यक्तियों को वर्ष में एक बार (बेहतर हो अप्रैल माह में) फार्म 15 जी/एच प्रदान करें, ताकि वे निर्धारित समय के भीतर उक्त को, जहां भी लागू हो, प्रस्तुत कर सकें।
- दरवाजे पर (डोर-स्टेप) बैंकिंग - बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे ऐसे ग्राहकों के परिसर / आवास पर बुनियादी बैंकिंग सेवाएं, जैसे कि रसीद देकर नकदी और लिखत प्राप्त करना, खाते से आहरण के हिसाब से नकदी की सुपुर्दगी, डिमांड ड्राफ्ट की सुपुर्दगी, अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) दस्तावेज और जीवन प्रमाण-पत्र की प्रस्तुति आदि के लिए ठोस प्रयास करें।
अस्वीकरण - ये ‘अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न’ आरबीआई द्वारा केवल सूचना और सामान्य मार्गदर्शन के उद्देश्य हेतु जारी किए गए हैं, जिन्हें किसी भी कानूनी कार्यवाही में उद्धृत नहीं किया जा सकता है और इसका कोई कानूनी उद्देश्य नहीं होगा। इसे कानूनी सलाह या कानूनी राय के रूप में मानने का इरादा नहीं है। इनके आधार पर किए गए कार्यों और / या निर्णयों के लिए बैंक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा। पाठकों से अनुरोध किया जाता है कि वे स्पष्टीकरण या व्याख्या, यदि कोई हो, के लिए आरबी-आइओएस, 2021 और रिज़र्व बैंक और सरकार द्वारा समय-समय पर जारी प्रासंगिक परिपत्रों / अधिसूचनाओं द्वारा निर्देशित हों।
उत्तर. किसी अन्य भुगतान लिखत का उपयोग करके विफल/वापस किए गए/अस्वीकृत/रद्द किए गए लेनदेनों के मामले में धन वापसी को पीपीआई में क्रेडिट नहीं किया जाना चाहिए।
अस्वीकरण - ये ‘अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न’ आरबीआई द्वारा केवल सूचना और सामान्य मार्गदर्शन के उद्देश्य हेतु जारी किए गए हैं, जिन्हें किसी भी कानूनी कार्यवाही में उद्धृत नहीं किया जा सकता है और इसका कोई कानूनी उद्देश्य नहीं होगा। इसे कानूनी सलाह या कानूनी राय के रूप में मानने का इरादा नहीं है। इनके आधार पर किए गए कार्यों और / या निर्णयों के लिए बैंक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा। पाठकों से अनुरोध किया जाता है कि वे स्पष्टीकरण या व्याख्या, यदि कोई हो, के लिए आरबी-आईओएस, 2021 और रिज़र्व बैंक और सरकार द्वारा समय-समय पर जारी प्रासंगिक परिपत्रों / अधिसूचनाओं द्वारा निर्देशित हों।
1 अधिनिर्णय की सूचना प्राप्त होने के 30 दिन के भीतर शिकायतकर्ता द्वारा स्वीकृति प्रस्तुत की जानी चाहिए।
बैंक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के बांड के आबंटन पत्र निम्नलिखित शर्तों के अधीन खरीद सकते हैं -
- अंतर बैंक लेनदेन को छो?कर सभी लेनदेन केवल मान्यता प्राप्त शेयर बाज़ारों और पंजीकृत दलालों के माध्यम से किए जाने चाहिए।
- बांड खरीदते समय बैंक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसे प्रतिभूति का स्पष्ट हक मिलता है तथा द्वितीयक बाजार में उस प्रतिभूति का क्रय-विक्रय किया जा सकता है।
- इस प्रकार का लेनदेन करने के लिए बैंक को बोर्ड के अनुमोदन से अपना आंतरिक दिशानिर्देश निर्धारित करना चाहिए।
उत्तर. पीपीआई जारीकर्ता एक औपचारिक, सार्वजनिक रूप से प्रकट ग्राहक शिकायत निवारण ढांचा लागू करेंगे, जिसमें ग्राहकों की शिकायतों को देखने के लिए एक नोडल अधिकारी, एस्केलेशन मैट्रिक्स और शिकायत समाधान के लिए टर्न-अराउंड-टाइम शामिल हैं। ढांचे में, कम से कम, निम्नलिखित शामिल होंगे:
ए. सरल भाषा में पीपीआई जारीकर्ता की ग्राहक सुरक्षा और शिकायत निवारण नीति की जानकारी का प्रसार;
बी. पीपीआई जारीकर्ता के ग्राहक सेवा संपर्क विवरण का स्पष्ट उल्लेख, जिसमें वेबसाइट, मोबाइल ऐप और कार्ड पर शिकायत निवारण के लिए नोडल अधिकारी का विवरण शामिल है;
सी. पीपीआई जारीकर्ता के एजेंटों द्वारा उचित साइनेज और ऊपर (बी) के अनुसार ग्राहक सेवा संपर्क विवरण का प्रदर्शन;
डी. ग्राहक द्वारा दर्ज शिकायत की स्थिति को ट्रैक करने की सुविधा के साथ-साथ दर्ज की गई शिकायतों के लिए विशिष्ट शिकायत संख्या प्रदान करना;
ई. किसी भी ग्राहक शिकायत का शीघ्रता से समाधान करने के लिए कार्रवाई शुरू करना, प्राथमिकता देते हुए 48 घंटों के भीतर और ऐसी किसी शिकायत के प्राप्त होने की तारीख से 30 दिनों के भीतर इसका समाधान करने का प्रयास करना;
एफ. वेबसाइट / मोबाइल ऐप पर पीपीआई जारीकर्ता के प्राधिकृत / नामित एजेंटों (नाम, एजेंट आईडी, पता, संपर्क विवरण, आदि) की विस्तृत सूची प्रदर्शित करना; तथा
जी. पीपीआई से संबंधित वेबसाइट/मोबाइल ऐप पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों (एफएक्यू) के उत्तर उपलब्ध कराएं।