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परिचय परिचय

परिचय

सुचारू ढ़ंग से कार्य करने वाले, चलनिधि युक्त और लचीले वित्तीय बाजार मौद्रिक नीति अंतरण और भारत के विकास के वित्तपोषण में अपरिहार्य जोखिमों के आवंटन और अवशोषण में सहायता करते हैं।

रिज़र्व बैंक के पास ब्याज दर और विदेशी मुद्रा बाजारों को विनियमित करने के लिए एक विधायी अधिदेश है जो वित्तीय प्रणाली के आघात सह कामकाज व व्यापक अर्थव्यवस्था और वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। इस अधिदेश के भाग के रूप में, रिज़र्व बैंक को सरकारी प्रतिभूति बाज़ार सहित ब्याज दर बाज़ार, सरकारी प्रतिभूतियों और कॉरपोरेट बॉन्ड्स में रेपो के लिए बाजार सहित मुद्रा बाजार; विदेशी मुद्रा बाजार; ब्याज दरों/कीमतों, विदेशी विनिमय दरों और ऋण पर डेरिवेटिव के विनियमन, विकास और अन्वेक्षण का कार्य सौंपा गया है; । रिज़र्व बैंक इन बाजारों के लिए वित्तीय बाजार बेंचमार्क सहित वित्तीय बाजार के बुनियादी ढांचे के विनियमन के लिए भी जिम्मेदार है। रिज़र्व बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934, सरकारी प्रतिभूति अधिनियम, 2006, विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999, अर्हित वित्तीय संविदा द्विपक्षीय समतुलन अधिनियम, 2020 और भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम 2007 के व्यापक वैधानिक ढांचे के भीतर वित्तीय बाजारों को विनियमित करता है।

रिज़र्व बैंक इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2018 के तहत इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म (ईटीपी) को प्राधिकृत करता है। ईटीपी एक मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज के अतिरिक्त कोई भी इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली है, जिस पर पात्र इन्स्ट्रूमेंट्स जैसे प्रतिभूतियों, मुद्रा बाजार के इन्स्ट्रूमेंट्स, विदेशी मुद्रा इन्स्ट्रूमेंट्स डेरिवेटिव में लेनदेन अनुबंधित होता है। कोई भी संस्था भारतीय रिज़र्व बैंक से पूर्व प्राधिकरण प्राप्त किए बिना ईटीपी का संचालन नहीं करेगी। आरबीआई द्वारा प्राधिकृत ईटीपी की सूची यहां उपलब्ध है।

कुशल मूल्य निर्धारण और वित्तीय साधनों के मूल्यांकन के लिए वित्तीय बेंचमार्क की मजबूती और विश्वसनीयता महत्वपूर्ण है। आरबीआई द्वारा विनियमित बाजारों में बेंचमार्क प्रक्रियाओं के शासन में सुधार के लिए, वित्तीय बेंचमार्क प्रशासक (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2019, जून 2019 में जारी किए गए थे। आरबीआई द्वारा अधिसूचित महत्वपूर्ण बेंचमार्क्स के लिए फाइनेंशियल बेंचमार्क इंडिया प्राइवेट लिमिटेड इन निदेशों के तहत एक प्रशासक के रूप में कार्य करने के लिए प्राधिकृत है। अधिसूचित महत्वपूर्ण बेंचमार्क्स की सूची यहां उपलब्ध है।

एक मजबूत, निष्पक्ष, तरल, खुले और उच्च नैतिक मानकों के आधार पर उचित रूप से पारदर्शी बाजार को बढ़ावा देने और रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित बाजारों में दुरुपयोग को रोकने के लिए, सर्वोत्तम वैश्विक प्रथाओं के अनुरूप भारतीय रिज़र्व बैंक (बाजार के दुरूपयोग का बचाव) निदेश, 2019 को लागू किया गया है।

ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) ब्याज दर, विदेशी मुद्रा और क्रेडिट डेरिवेटिव बाजारों में शासन और आचरण के उच्चतम मानकों को बढ़ावा देने के लिए, मास्टर निदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (ओटीसी डेरिवेटिव में मार्केट-मेकर्स) निदेश, 2021 ओटीसी डेरिवेटिव लेनदेन के लिए उत्पाद और उपयोगकर्ता उपयुक्तता, शासन व्यवस्था और जोखिम प्रबंधन के लिए नियामकीय रूपरेखा निर्धारित करता है।

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वित्तीय बाजार, संसाधनों के कुशल आवंटन और जोखिमों को साझा करके अर्थव्यवस्था की संवृद्धि और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके महत्व को देखते हुए, वित्तीय बाजारों का विकास हमेशा रिज़र्व बैंक की प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक रहा है। तदनुसार, रिज़र्व बैंक, सुरक्षित और स्थिर वित्तीय बाजारों को विकसित करने के लिए सरकार और अन्य हितधारकों के साथ सक्रिय समन्वय के साथ नीतिगत सुधारों और विनियामकीय नीतियों का कार्य कर रहा है जो वित्तीय बाजारों की गहराई और व्यापकता को बढ़ाकर कुशल मूल्य खोज की सुविधा प्रदान करते हैं और व्यापार और जोखिम प्रबंधन के लिए उपयुक्त उत्पाद प्रदान करते हैं। इस दृष्टिकोण के एक पहलू के रूप में, रिज़र्व बैंक पहुंच को आसान बनाने, भागीदारी बढ़ाने, नवाचार की सुविधा, उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा और निष्पक्ष आचरण को बढ़ावा देकर व्यापक आधारीय बाजारों का प्रयास करता है।

आरबीआई वित्तीय बाज़ार के प्रमुख विषय

प्रमुख विषय

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रिज़र्व बैंक द्वारा अपनी वैधानिक शक्तियों के तहत पात्र बाजार सहभागियों को जारी किए गए विवेकपूर्ण दिशानिर्देश / निर्देश, सरकारी प्रतिभूति बाजार सहित ब्याज दर बाजारों; सरकारी प्रतिभूतियों और कॉरपोरेट बॉन्ड्स में रेपो बाजार सहित मुद्रा बाजार; विदेशी मुद्रा बाजार; ब्याज दरों/कीमतों, विदेशी विनिमय दरों और ऋण पर डेरिवेटिव के लिए व्यापक विनियामक ढांचा बनाते हैं ।

सरकारी प्रतिभूति बाजार

सरकारी प्रतिभूति बाजार, जो केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा जारी प्रतिभूतियों का व्यापार करता है, में पिछले दो दशकों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। इसका एक बड़ा प्राथमिक और एक सक्रिय द्वितीयक खंड है। ट्रेडिंग प्रधानत: तयशुदा लेनदेन प्रणाली -ऑर्डर मिलान (एनडीएस-ओएम) पर होती है, जो एक गुमनाम ऑर्डर-मिलान ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है। सरकारी प्रतिभूतियों में सभी द्वितीयक बाजार लेनदेन का निपटान क्लियरिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड द्वारा संचालित वितरण बनाम भुगतान मोड के तहत एक केंद्रीय प्रतिपक्ष तंत्र के माध्यम से किया जाता है। प्रत्येक सदस्य के लिए किसी विशेष निपटान तिथि हेतु बहुपक्षीय नेटिंग एकल निधि निपटान दायित्व के साथ प्राप्त की जाती है। रिज़र्व बैंक में सदस्य द्वारा रखे गए आरटीजीएस (रीयल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट) निपटान / चालू खाते में निपटान किया जाता है।

व्यक्ति स्टॉक एक्सचेंजों के अलावा आरबीआई रिटेल डायरेक्ट के माध्यम से या वाणिज्यिक बैंकों के साथ गिल्ट खातों के माध्यम से सरकारी प्रतिभूति बाजार तक पहुंच सकते हैं।

सरकारी प्रतिभूति बाजार पर एक प्राइमर यहां उपलब्ध है। सरकारी प्रतिभूतियों का बकाया स्टॉक यहां उपलब्ध है।

मुद्रा बाजार: मुद्रा बाजार में शामिल हैं:

(i) गैर-संपार्श्विक खंड (मांग, नोटिस और अवधि मुद्रा बाज़ार) जिसे बैंकों और प्राथमिक डीलर्स द्वारा विवेकपूर्ण सीमाओं के अधीन एक्सेस किया जा सकता है;

(ii) संपार्श्विक खंड (त्रिपक्षीय रेपो, मार्केट रेपो और कॉर्पोरेट बांड में रेपो) जो बैंकों, प्राथमिक डीलरों, म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियों और कॉरपोरेट्स द्वारा एक्सेस किए जाते हैं;

(iii) वाणिज्यिक पत्र (सीपी) और गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर (एक वर्ष तक की मूल परिपक्वता) - एक वर्ष तक की मूल परिपक्वता वाले लिखत जो गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) सहित कंपनियों और वित्तीय संस्थानों द्वारा जारी किए जा सकते हैं; तथा

(iv) जमा प्रमाणपत्र (सीडी) - बैंकों द्वारा जारी एक वर्ष तक की मूल परिपक्वता के साथ एक परक्राम्य, असुरक्षित मुद्रा बाजार लिखत ।

मुद्रा बाजार के प्रत्येक खंड पर विनियामकीय दिशानिर्देश इस वेबसाइट पर अधिसूचना खण्ड के तहत उपलब्ध हैं: मांग मुद्रारेपोवाणिज्यिक पत्र और जमा प्रमाण पत्र

विदेशी मुद्रा बाजार: विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का अधिनियम 42), जिसे फेमा, 1999 के रूप में जाना जाता है, विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव अनुबंधों के विनियमन के लिए वैधानिक ढांचा प्रदान करता है। भारत में निवासी व्यक्ति और भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति अपने प्रत्याशित प्रकटीकरण सहित वैध विदेशी मुद्रा प्रकटीकरण का ओटीसी और एक्सचेंज ट्रेडेड करेंसी डेरिवेटिव्स के माध्यम से बचाव’ कर सकते हैं। भारत में रहने वाले व्यक्तियों को भी विदेशी बाजारों (सोने, रत्न और कीमती पत्थरों को छोड़कर) में अपने कमोडिटी मूल्य जोखिम और माल ढुलाई जोखिम का बचाव करने की अनुमति है।

अपतटीय और तटवर्ती विदेशी मुद्रा बाजारों के एकीकरण को सक्षम बनाने के लिए, भारत में IFSC बिजनेस यूनिट (IBU) वाले बैंकों को अपतटीय रुपया गैर-सुपुर्दनीय डेरिवेटिव बाजारों में भाग लेने की अनुमति है। अनिवासी एक वैकल्पिक तंत्र के माध्यम से तटवर्ती कीमतों और चलनिधि तक भी पहुंच सकते हैं, जिसमें वे अपने विदेशी बैंकर से डील कर सकते हैं जो बदले में एक तटवर्ती बैंक से कीमत ले सकता है और कवर कर सकता है।

ब्याज दर डेरिवेटिव: खुदरा उपयोगकर्ताओं को हेजिंग के प्रयोजनों के लिए आईआरडी बाजार में भाग लेने की अनुमति है। गैर-खुदरा उपयोगकर्ता, हेजिंग या अन्यथा प्रयोजनों के लिए आईआरडी बाजार में भाग ले सकते हैं| सभी उपयोगकर्ताओं / ग्राहकों के लिए विभिन्न बेंचमार्क पर ब्याज दर स्वैप (आईआरएस), फॉरवर्ड रेट एग्रीमेंट (एफआरए) और यूरोपीय ब्याज दर विकल्पों की अनुमति है। बाजार-निर्माताओं को गैर-खुदरा उपयोगकर्ताओं/ग्राहकों (अर्थात रु.500 करोड़ रुपये और उससे अधिक की निवल संपत्ति वाली संस्थाओं) को संरचित डेरिवेटिव और स्वैपशन की पेशकश करने की भी अनुमति है। बाजार-प्रतिभागी, एक्सचेंज ट्रेडेड आईआरडी उत्पादों, जैसे ब्याज दर फ्यूचर्स (आईआरएफ) में भी लेनदेन कर सकते हैं।

अनिवासी हेजिंग के उद्देश्य से रुपया आईआरडी उत्पादों का उपयोग कर सकते हैं और हेजिंग व अन्यथा के उद्देश्य हेतु रुपया ओवरनाइट इंडेक्स्ड स्वैप (ओआईएस) बाजार तक भी पहुंच सकते हैं। फेमा, 1999 के तहत अधिकृत डीलर श्रेणी-I (AD Cat-I) लाइसेंस रखने वाले मार्केट-मेकर्स गैर-निवासियों और ऐसे अन्य मार्केट-मेकर्स के साथ ऑफशोर फॉरेन करेंसी सेटलड ओवरनाइट इंडेक्सेड स्वैप (FCS-OIS) मार्केट में लेनदेन कर सकते हैं। एफपीआई स्थिति सीमा के अधीन आईआरएफ में भी लेनदेन कर सकते हैं।

ऋण डेरिवेटिव: बाजार सहभागियों को ओटीसी खण्ड और स्टॉक एक्सचेंजों में एकल-नाम ऋण चूक स्वैप (सीडीएस) अनुबंधों का उपयोग करने की अनुमति है। ओटीसी बाजारों में, खुदरा उपयोगकर्ताओं को केवल हेजिंग के उद्देश्य से संरक्षण खरीदने की अनुमति है, जबकि गैर-खुदरा उपयोगकर्ताओं को हेजिंग या अन्यथा के लिए संरक्षण खरीदने की अनुमति है। गैर-खुदरा उपयोगकर्ताओं जैसे विनियमित वित्तीय संस्थाओं और एफपीआई को भी संरक्षण बेचने की अनुमति है।

ऋण में अनिवासी निवेश: ऋण में अनिवासियों के लिए निवेश व्यवस्था नपे तुले समष्टि विवेकपूर्ण नियंत्रणों के साथ विदेशी निवेश की सुविधा के लिए विकसित हुई है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के पास ऋण में निवेश करने के तीन मार्ग हैं:

(ए) मध्यम अवधि रूपरेखा (एमटीएफ): अक्टूबर 2015 में पेश यह मार्ग एफपीआई को सरकारी प्रतिभूतियों और कॉर्पोरेट बॉन्ड के कुल बकाया स्टॉक के प्रतिशत के रूप में तय की गई एक समग्र सीमा के भीतर ट्रेजरी बिल और कॉरपोरेट बॉन्ड सहित सभी सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करने में सक्षम बनाता है। इस मार्ग के तहत निवेश कुछ समष्टि विवेकपूर्ण सीमाओं के अधीन हैं।

(बी) स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (वीआरआर): मार्च 2019 में पेश, वीआरआर, एफपीआई को एक संयुक्त निवेश सीमा प्रदान करता है, जिसके माध्यम से वे या तो सरकारी या कॉर्पोरेट ऋण में निवेश कर सकते हैं। वीआरआर के तहत निवेश मोटे तौर पर समष्टि विवेकपूर्ण नियंत्रण से मुक्त हैं, लेकिन तीन वर्ष की न्यूनतम प्रतिधारण अवधि के अधीन हैं।

(सी) पूर्णतया अभिगमयोग्‍य मार्ग (एफएआर): अप्रैल 2020 में पेश, यह मार्ग अनिवासियों को बिना किसी सीमा या समष्टि विवेकपूर्ण नियंत्रण के कुछ विशिष्ट सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करने में सक्षम बनाता है। मार्ग के अंतर्गत विनिर्दिष्ट प्रतिभूतियों की सूची यहां उपलब्ध है।

अनिवासियों द्वारा ऋण में निवेश और उनके उपयोग की वर्तमान सीमाएं यहां (सरकारी प्रतिभूतियां) और यहां (कॉर्पोरेट बॉन्ड) उपलब्ध हैं।

बाज़ार अवसंरचना: एक अच्छी तरह से डिजाइन के हुई और विश्वसनीय बाज़ार अवसंरचना प्रणाली वित्तीय स्थिरता और परिचालन दक्षता दोनों में योगदान देती है। यह आकार और गहराई दोनों ही दृष्टि से बाजार के विस्तार के लिए भी महत्वपूर्ण है। भारतीय रिज़र्व बैंक ने एक प्रभावी और कुशल बाजार अवसंरचना स्थापित करने के लिए कई कदम उठाए हैं।

इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म: इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म (ईटीपी) आरबीआई विनियमित बाजारों में प्रतिभूतियों, मुद्रा बाजार लिखतों, विदेशी मुद्रा लिखतों, ओटीसी डेरिवेटिव जैसे लिखतों (इन्स्ट्रूमेंट्स) में व्यापार के लिए उपलब्ध हैं। ईटीपी एक मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज के अलावा कोई भी इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली है, जिस पर पात्र इन्स्ट्रूमेंट्स में लेनदेन अनुबंधित होते हैं। संस्थाएं जो ईटीपी की पेशकश करना चाहती हैं इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2018 दिनांक 05 अक्टूबर 2018 के तहत प्राधिकरण की प्राप्त कर सकती हैं। कोई भी संस्था आरबीआई के पूर्व प्राधिकरण के बिना ईटीपी का संचालन नहीं करेगी। आरबीआई द्वारा प्राधिकृत ईटीपी की सूची और जिन इन्स्ट्रूमेंट्स के लिए उन्हें प्राधिकृत किया गया है, वे यहां उपलब्ध हैं।

तयशुदा लेनदेन प्रणाली – ऑर्डर मिलान: तयशुदा लेनदेन प्रणाली – ऑर्डर मिलान (एनडीएस-ओएम) एक गुमनाम स्क्रीन-आधारित ऑर्डर मिलान इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम है जो प्रतिभागियों को सरकारी प्रतिभूतियों में गुमनाम रूप से व्यापार करने की सुविधा प्रदान करता है। एनडीएस-ओएम आरबीआई की तरफ से सीसीआईएल द्वारा संचालित किया जाता है और इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2018 के तहत एक ईटीपी के रूप में प्राधिकृत है। चुनिन्दा वित्तीय संस्थान जैसे बैंक, प्राथमिक डीलर्स, एनबीएफसी, म्यूचुअल फंड और बीमा कंपनियों जैसे वित्तीय संस्थानों की एनडीएस-ओएम तक सीधी पहुंच है जबकि अन्य प्रतिभागी अपने अभिरक्षकों (जिनके साथ वे गिल्ट खाते रखते हैं) के माध्यम से इस प्रणाली तक पहुंच सकते हैं। गिल्ट खाताधारकों की प्रत्यक्ष भागीदारी एनडीएस-ओएम वेब (एक वेब-आधारित इंटरफ़ेस जो एनडीएस-ओएम तक पहुंच प्रदान करता है) के माध्यम से सक्षम है।

एनडीएस-ओएम ने सरकारी प्रतिभूति बाजार में मूल्य पारदर्शिता और अधिक प्रभावी मूल्य खोज की सुविधा प्रदान की है। सरकारी प्रतिभूति बाजार में 90% से अधिक लेनदेन एनडीएस-ओएम पर अनुबंधित हैं।

विधिक संस्था पहचानकारक: वैश्विक वित्तीय संकट के बाद विधिक संस्था पहचानकारक (एलईआई) कोड को वित्तीय डेटा सिस्टम की गुणवत्ता और सटीकता में सुधार हेतु बेहतर जोखिम प्रबंधन के लिए एक महत्वपूर्ण उपाय के रूप में माना जाता है। एलईआई दुनिया भर में वित्तीय लेनदेन के लिए पार्टियों की पहचान करने के लिए एक 20-अंकीय अद्वितीय कोड है। भारत में एलईआई प्रणाली को ओटीसी बाजारों में रुपया ब्याज दर डेरिवेटिव, विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव और ऋण डेरिवेटिव के लिए चरणबद्ध तरीके से लागू किया गया है। विश्व स्तर पर, एलईआई का उपयोग डेरिवेटिव रिपोर्टिंग से आगे बढ़ा है और इसका उपयोग बैंकिंग, प्रतिभूति बाजार, क्रेडिट रेटिंग, बाजार पर्यवेक्षण आदि से संबंधित क्षेत्रों में किया जा रहा है। वैश्विक प्रवृत्ति के अनुरूप, रिज़र्व बैंक ने बैंक द्वारा विनियमित गैर- डेरिवेटिव वित्तीय बाजारों के लिए भी एलईआई प्रणाली के कार्यान्वयन को अनिवार्य कर दिया है।

ट्रेड रिपॉजीटरिज: ट्रेड रिपॉजीटरिज (टीआर) अपारदर्शी ओटीसी डेरिवेटिव बाजार को पारदर्शी बनाने की उनकी क्षमता के कारण सबसे महत्वपूर्ण बाजार बुनियादी ढांचों में से एक है। आरबीआई ने 2010-11 के अपने वार्षिक नीति विवरणी में, ओटीसी डेरिवेटिव के लिए एक कुशल, एकल बिंदु रिपोर्टिंग तंत्र के तौर-तरीकों पर काम करने के लिए कार्य समूह की स्थापना की घोषणा की। कार्य समूह की सिफारिशों के आधार पर, भारतीय समाशोधन निगम (सीसीआईएल) को ब्याज दर और विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव लेनदेन के लिए एक व्यापार रिपॉजिटरी के रूप में नामित किया गया था। 2016 में, सीसीआईएल टीआर को पीएसएस अधिनियम 2007 के तहत मान्यता दी गई थी। वर्तमान में, सभी ओटीसी डेरिवेटिव लेनदेन को सीसीआईएल टीआर को रिपोर्ट करना आवश्यक है।

वित्तीय बेंचमार्क प्रशासक: वित्तीय बेंचमार्क की मजबूती और विश्वसनीयता वित्तीय इन्स्ट्रूमेंट्स के कुशल मूल्य निर्धारण और मूल्यांकन के लिए महत्वपूर्ण हैं। वित्तीय प्रणाली में वित्तीय बेंचमार्क द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका के अभिज्ञान में, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जून 2013 में भारत में वित्तीय बेंचमार्क से संबंधित विभिन्न मुद्दों का अध्ययन करने के लिए एक अधिदेश के साथ वित्तीय बेंचमार्क पर एक समिति (अध्यक्ष: श्री पी विजय भास्कर, कार्यपालक निदेशक, आरबीआई) का गठन किया गया था।। समिति ने अन्य बातों के अलावा बेंचमार्क प्रशासकों की विनियामकीय निगरानी की सिफारिश की थी। प्रतिभूति आयोगों के अंतर्राष्ट्रीय संगठन (IOSCO) ने भी जुलाई 2013 में वित्तीय बेंचमार्क के लिए सिद्धांत जारी किए हैं ताकि वित्तीय बाजारों में उपयोग किए जाने वाले बेंचमार्क के लिए सिद्धांतों का एक व्यापक ढांचा तैयार किया जा सके। तदनुसार, जून 2019 में बेंचमार्क प्रक्रियाओं के शासन में सुधार के लिए, वित्तीय बेंचमार्क प्रशासक (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2019 जारी किए गए थे। निदेश आईओएससीओ द्वारा वित्तीय बेंचमार्क के सिद्धांतों पर उनकी रिपोर्ट में अनुशंसित प्रथाओं व रिज़र्व बैंक द्वारा गठित वित्तीय बेंचमार्क समिति की रिपोर्ट पर आधारित हैं।

वित्तीय बाजारों के लिए रिज़र्व बैंक के विनियमों का मुख्य उद्देश्य सुरक्षित और स्थिर बाजार विकसित करना है जो व्यापार और जोखिम प्रबंधन के लिए उपयुक्त उत्पाद प्रदान करता है। इस दृष्टिकोण के साथ बेहतर कीमत की खोज को सक्षम करने और वित्तीय बाजारों की गहराई और व्यापकता दोनों को बढ़ाने के लिए संरचनात्मक कठोरता को उत्तरोत्तर संबोधित करने का उद्द्येस्श है। बाजार खंडों के बीच अंतर-संबंधों को विकसित करने और मजबूत करने, भागीदारी आधार बढ़ाने और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने, उत्पादों में नवाचारों के माध्यम से विकल्पों को बढ़ाने और मजबूत बाजार प्रथाओं और आचरण के माध्यम से आघात सह सुनिश्चित करने के प्रयास जारी हैं। बाजार नवाचार को बढ़ावा देने की दृष्टि से, विनियम बनाए जा रहे हैं, जो वित्तीय बाजारों में की जाने वाली गतिविधियों के लिए व्यापक सिद्धांत प्रदान करते हैं। व्यवस्थित बाजार गतिविधि के लिए विनियामकीय, कानूनी, संस्थागत और तकनीकी बुनियादी ढांचे को भी मजबूत किया जा रहा है।

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पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: नवंबर 23, 2022

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