प्रेस प्रकाशनियां - आरबीआई - Reserve Bank of India
प्रेस प्रकाशनियां
भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर निम्नलिखित सर्वेक्षणों के परिणाम जारी किए:
भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर निम्नलिखित सर्वेक्षणों के परिणाम जारी किए:
1. भारतीय रिज़र्व बैंक–देयताएं और आस्तियां * (₹ करोड़) मद 2023 2024 घट-बढ़ 31 मार्च 22 मार्च 29 मार्च सप्ताह वर्ष 1 2 3
1. भारतीय रिज़र्व बैंक–देयताएं और आस्तियां * (₹ करोड़) मद 2023 2024 घट-बढ़ 31 मार्च 22 मार्च 29 मार्च सप्ताह वर्ष 1 2 3
नीलामी का परिणाम 7.33% जीएस 2026 नई जीएस 2034 7.25% जीएस 2063 I. अधिसूचित राशि ₹6,000 करोड़ ₹20,000 करोड़ ₹12,000 करोड़ II. हामीदारी की अधिसूचित राशि
नीलामी का परिणाम 7.33% जीएस 2026 नई जीएस 2034 7.25% जीएस 2063 I. अधिसूचित राशि ₹6,000 करोड़ ₹20,000 करोड़ ₹12,000 करोड़ II. हामीदारी की अधिसूचित राशि
7.33% जीएस 2026 नई जीएस 2034 7.25% जीएस 2063 I. अधिसूचित राशि ₹6,000 करोड़ ₹20,000 करोड़ ₹12,000 करोड़ II. कट ऑफ मूल्य / कट-ऑफ पर निहित प्रतिफल 00.59/ 7.0711%
7.33% जीएस 2026 नई जीएस 2034 7.25% जीएस 2063 I. अधिसूचित राशि ₹6,000 करोड़ ₹20,000 करोड़ ₹12,000 करोड़ II. कट ऑफ मूल्य / कट-ऑफ पर निहित प्रतिफल 00.59/ 7.0711%
5 अप्रैल 2024 को आयोजित 14-दिवसीय परिवर्ती दर प्रतिवर्ती रेपो (वीआरआरआर) नीलामी का परिणाम अवधि 14-दिवसीय अधिसूचित राशि (₹करोड़ में)
5 अप्रैल 2024 को आयोजित 14-दिवसीय परिवर्ती दर प्रतिवर्ती रेपो (वीआरआरआर) नीलामी का परिणाम अवधि 14-दिवसीय अधिसूचित राशि (₹करोड़ में)
निम्नलिखित सरकारी प्रतिभूतियों की अतिरिक्त प्रतिस्पर्धी हामीदारी (एसीयू) के लिए 5 अप्रैल 2024 को आयोजित हामीदारी नीलामियों में भारतीय रिज़र्व बैंक ने प्राथमिक व्यापारियों को देय हामीदारी कमीशन के लिए कट-ऑफ दर निम्नानुसार निर्धारित की हैं:
निम्नलिखित सरकारी प्रतिभूतियों की अतिरिक्त प्रतिस्पर्धी हामीदारी (एसीयू) के लिए 5 अप्रैल 2024 को आयोजित हामीदारी नीलामियों में भारतीय रिज़र्व बैंक ने प्राथमिक व्यापारियों को देय हामीदारी कमीशन के लिए कट-ऑफ दर निम्नानुसार निर्धारित की हैं:
यह वक्तव्य (i) वित्तीय बाज़ार; (ii) विनियमन; तथा (iii) भुगतान प्रणाली और फिनटेक से संबंधित विभिन्न विकासात्मक और विनियामक नीतिगत उपाय निर्धारित करता है।
यह वक्तव्य (i) वित्तीय बाज़ार; (ii) विनियमन; तथा (iii) भुगतान प्रणाली और फिनटेक से संबंधित विभिन्न विकासात्मक और विनियामक नीतिगत उपाय निर्धारित करता है।
On the basis of an assessment of the current and evolving macroeconomic situation, the Monetary Policy Committee (MPC) at its meeting today (April 5, 2024) decided to: Keep the policy repo rate under the liquidity adjustment facility (LAF) unchanged at 6.50 per cent.
Consequently, the standing deposit facility (SDF) rate remains unchanged at 6.25 per cent and the marginal standing facility (MSF) rate and the Bank Rate at 6.75 per cent.
On the basis of an assessment of the current and evolving macroeconomic situation, the Monetary Policy Committee (MPC) at its meeting today (April 5, 2024) decided to: Keep the policy repo rate under the liquidity adjustment facility (LAF) unchanged at 6.50 per cent.
Consequently, the standing deposit facility (SDF) rate remains unchanged at 6.25 per cent and the marginal standing facility (MSF) rate and the Bank Rate at 6.75 per cent.
इस सप्ताह की शुरुआत में 1 अप्रैल को, हमने भारतीय रिज़र्व बैंक का 90 वां स्मरणोत्सव मनाया। इस प्रतिष्ठित संस्थान की यात्रा का भारतीय अर्थव्यवस्था के उद्भव से गहरा संबंध है। इन नौ दशकों के दौरान कई ऐतिहासिक घटनाएँ घटीं: रिज़र्व बैंक का राष्ट्रीयकरण (1949), योजना युग, बैंक राष्ट्रीयकरण, युद्ध, सूखा, ब्रेटन वुड्स प्रणाली का पतन, तेल के झटके, भुगतान संतुलन की अनिश्चित स्थिति और उसके बाद के बाजार सुधार, एशियाई और वैश्विक वित्तीय संकट , टेपर टैंट्रम और अंततः कोविड-19 महामारी और हाल के वर्षों की भू-राजनीतिक शत्रुताएँ। इस यात्रा के दौरान, भारतीय वित्तीय प्रणाली और अर्थव्यवस्था को स्थिरता की ओर ले जाने में, अपनी विकासात्मक और विनियामक भूमिकाओं को मिलाकर, रिज़र्व बैंक हमेशा सबसे आगे रहा। ऐसा करते हुए इसने अपनी जिम्मेदारियों का ईमानदारी और व्यावसायिकता के साथ निर्वहन किया है।
इस सप्ताह की शुरुआत में 1 अप्रैल को, हमने भारतीय रिज़र्व बैंक का 90 वां स्मरणोत्सव मनाया। इस प्रतिष्ठित संस्थान की यात्रा का भारतीय अर्थव्यवस्था के उद्भव से गहरा संबंध है। इन नौ दशकों के दौरान कई ऐतिहासिक घटनाएँ घटीं: रिज़र्व बैंक का राष्ट्रीयकरण (1949), योजना युग, बैंक राष्ट्रीयकरण, युद्ध, सूखा, ब्रेटन वुड्स प्रणाली का पतन, तेल के झटके, भुगतान संतुलन की अनिश्चित स्थिति और उसके बाद के बाजार सुधार, एशियाई और वैश्विक वित्तीय संकट , टेपर टैंट्रम और अंततः कोविड-19 महामारी और हाल के वर्षों की भू-राजनीतिक शत्रुताएँ। इस यात्रा के दौरान, भारतीय वित्तीय प्रणाली और अर्थव्यवस्था को स्थिरता की ओर ले जाने में, अपनी विकासात्मक और विनियामक भूमिकाओं को मिलाकर, रिज़र्व बैंक हमेशा सबसे आगे रहा। ऐसा करते हुए इसने अपनी जिम्मेदारियों का ईमानदारी और व्यावसायिकता के साथ निर्वहन किया है।
(राशि करोड़ रुपये में और दर प्रतिशत में) मुद्रा बाज़ार@ मात्रा (एक चरण) भारित औसत दर सीमा क. ओवरनाइट खंड (I+II+III+IV) 535,900.83 6.47 5.10-7.55 I. मांग मुद्रा 10,983.68 6.44 5.10-6.55 II. ट्राइपार्टी रेपो 334,596.75 6.45 6.26-6.55 III. बाज़ार रेपो 189,442.40 6.51 6.00-6.65 IV. कॉरपोरेट बॉण्ड में रेपो 878.00 6.72 6.60-7.55
(राशि करोड़ रुपये में और दर प्रतिशत में) मुद्रा बाज़ार@ मात्रा (एक चरण) भारित औसत दर सीमा क. ओवरनाइट खंड (I+II+III+IV) 535,900.83 6.47 5.10-7.55 I. मांग मुद्रा 10,983.68 6.44 5.10-6.55 II. ट्राइपार्टी रेपो 334,596.75 6.45 6.26-6.55 III. बाज़ार रेपो 189,442.40 6.51 6.00-6.65 IV. कॉरपोरेट बॉण्ड में रेपो 878.00 6.72 6.60-7.55
पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: नवंबर 22, 2024