कृषी ऋण माफी तथा ऋण राहत योजना, 2008 - आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण, प्रावधानीकरण तथा पूंजी पर्याप्तता संबंधी विवेकपूर्ण मानदंड - आरबीआई - Reserve Bank of India
कृषी ऋण माफी तथा ऋण राहत योजना, 2008 - आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण, प्रावधानीकरण तथा पूंजी पर्याप्तता संबंधी विवेकपूर्ण मानदंड
आरबीआइ सं. 2009-10/137 31 अगस्त 2009 अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदय कृषी ऋण माफी तथा ऋण राहत योजना, 2008 - आय निर्धारण, आस्ति कृपया उपर्युक्त विषय पर हमारा 30 जुलाई 2008 का परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 26/ 21.04.048/2008-09, 5 मार्च 2009 का परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 112/ 21.04.048/2008-09 तथा 25 जून 2009 का परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 140/ 21.04.048/2008-09 देखें। 25 जून 2009 के उपर्युक्त परिपत्र के द्वारा हमने यह सूचित किया था कि भारत सरकार ने यह निर्णय लिया है कि भारत सरकार से 25% की ऋण राहत पाने के लिए "अन्य किसानों" के खाते पात्र होंगे भले ही वे अपने 75% के संपूर्ण हिस्से का भुगतान एक ही किस्त में करते हों बशर्ते ऐसे किसान उक्त भुगतान 30 जून 2009 तक कर देते हों। 2. इस संदर्भ में यह सूचित किया जाता है कि भारत सरकार ने अब यह निर्णय लिया है कि ऋण राहत योजना (कृषि ऋण माफी तथा ऋण राहत योजना के अधीन) के अंतर्गत "अन्य किसानों" द्वारा अतिदेय हिस्से के 75% के भुगतान की अंतिम तारीख 30 जून 2009 से और छ: महीने बढ़ाकर 31 दिसंबर 2009 तक कर दी जाए । भारत सरकार ने यह भी सूचित किया है कि बैंकों/ऋणदात्री संस्थाओं को एकमुश्त निपटान योजना (ओटीएस) के तहत पात्र राशि के 75% से कम राशि भी स्वीकार करने की अनुमति है बशर्ते बैंक/ऋणदात्री संस्थाएं इस अंतर को खुद वहन करें और उसके लिए न तो सरकार से दावा करें और न ही किसान से । ऋण राहत के अंतर्गत सरकार वास्तविक पात्र राशि के केवल 25% का भुगतान करेगी । 3. सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि ऋणदात्री संस्थाएं 29 फरवरी 2008 से 30 जून 2009 के बीच की अवधि के लिए पात्र राशि पर कोई ब्याज नहीं लगाएंगी । तथापि, बैंक पात्र राशि पर 1 जुलाई 2009 से निपटान की तारीख तक के लिए सामान्य ब्याज दर लगा सकते हैं । 4. जिन मामलों में ऋण राहत योजना के दायरे में आने वाले किसानों ने एकमुश्त निपटान योजना के अंतर्गत अपने अंश का भुगतान करने की सहमति के रूप में वचनबद्धता दे दी है वहां बैंक उनके संबंधित खातों को ‘मानक’/‘अर्जक’ मान सकते हैं, बशर्ते - (क) बैंकों द्वारा उधारकर्ताओं से बकाया सभी प्राप्य राशियों के लिए उनके वर्तमान मूल्य के अनुसार हानि के लिए पर्याप्त प्रावधान किया गया हो । (इस योजना के अंतर्गत वर्तमान मूल्य के आधार पर हानि की राशि की गणना करने के लिए किसानों से प्राप्य शेष राशि को 31 दिसंबर 2009 को देय माना जाए और उस पर ब्याज का भुगतान उपर्युक्त पैराग्राफ 3 के अनुसार होगा । वर्तमान मूल्य की गणना करने के लिए नकदी प्रवाह पर उस दर पर बट्टा लगाया जाना चाहिए जिस ब्याज दर पर ऋण मंजूर किया गया था और जिसमें सरकार से प्राप्त ब्याज सहायता के तत्व को भी शामिल किया गया हो । (ख) ऐसे किसान निपटान के अपने हिस्से का भुगतान संशोधित अंतिम तारीख अर्थात् 31 दिसंबर 2009 तक अनिवार्य रूप से करते हों। 5. तथापि, यदि किसानों द्वारा 31 दिसंबर 2009 तक भुगतान नहीं किया जाता है तो ऐसे किसानों के संबंधित खातों में बकाया राशि को अनर्जक आस्ति माना जाएगा। इस तरह के खातों के आस्ति वर्गीकरण का निर्धारण अनर्जक आस्ति की मूल तिथि के संदर्भ में किया जाएगा (मानो कि उपर्युक्त वचनबद्धता के आधार पर खाते को बीच की अवधि के दौरान अर्जक के रूप में नहीं माना गया था)। खातों की श्रेणी को इस प्रकार घटाए जाने के बाद विद्यमान विवेकपूर्ण मानदंडों के अनुसार अतिरिक्त प्रावधान कि या जाना चाहिए । 6. यह उल्लेखनीय है कि 30 जुलाई 2008 के परिपत्र के अनुबंध के पैराग्राफ 2.1 के अंतर्गत यह व्यवस्था है कि ऋण माफी के लिए पात्र छोटे और सीमांत किसानों के मामले में माफी के लिए पात्र राशि, भारत सरकार से प्राप्त होने तक बैंकों द्वारा "कृषि ऋण माफी योजना, 2008 के अंतर्गत भारत सरकार से प्राप्य राशि" नामक एक अलग खाते में अंतरित की जानी चाहिए और इस खाते की शेष राशि को तुलन पत्र की अनुसूची - 9 (अग्रिम) में दर्शाया जाना चाहिए। अब यह स्पष्ट किया जाता है कि ऋण राहत के लिए पात्र ‘अन्य किसानों’ के मामले में बैंक ऋण माफी योजना के अंतर्गत भारत सरकार से प्राप्त होने वाली राशि के लिए खोले गए खाते के समान ही ऋण राहत योजना के लिए खाता खोल सकते हैं, बशर्ते ‘अन्य किसान’ ने 75% के अपने संपूर्ण हिस्से का भुगतान कर दिया हो। इस खाते का नाम "कृषि ऋण राहत योजना, 2008 के अंतर्गत भारत सरकार से प्राप्य राशि" हो। इस राशि को तुलन पत्र की अनुसूची - 9 (अग्रिम) के अंतर्गत भी दर्शाया जाए। 7. उपर्युक्त परिपत्रों की अन्य सभी शर्तें अपरिवर्तित रहेंगी। भवदीय (बी. महापात्र) |