विदेशी देयताओं तथा आस्तियों संबंधी वार्षिक विवरणी– भारतीय कंपनियों द्वारा रिपोर्टिंग - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी देयताओं तथा आस्तियों संबंधी वार्षिक विवरणी– भारतीय कंपनियों द्वारा रिपोर्टिंग
भारिबैंक/2018-19/226 28 जून 2019 सभी श्रेणी - । प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय विदेशी देयताओं तथा आस्तियों संबंधी वार्षिक विवरणी– भारतीय कंपनियों द्वारा रिपोर्टिंग प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों का ध्यान दिनांक 20 जून 2012 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 133 की ओर आकर्षित किया जाता है, जिसमें यह निर्धारित किया गया था कि सभी भारतीय कंपनियों को, जिन्होंने वर्तमान वर्ष सहित पिछले वर्ष (वर्षों) में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफ़डीआई) प्राप्त किया है और / अथवा विदेश में निवेश (अर्थात ओडीआई या समुद्रपारीय निवेश) किया है, उन्हें विदेशी देयताओं तथा आस्तियों (FLA) संबंधी वार्षिक विवरणी सॉफ्ट फॉर्म में फ़ाइल करनी अपेक्षित है। इस विवरणी को विधिवत रूप से भर कर, उसे विधिमान्य करते हुए प्रत्येक वर्ष की 15 जुलाई तक रिज़र्व बैंक को ई-मेल द्वारा भेज दिया जाए। अनुवर्ती परिपत्रों {दिनांक 18 जून 2014 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 145, दिनांक 21 अक्तूबर 2015 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 22 तथा दिनांक 2 फरवरी 2017 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 29} के माध्यम से इसकी व्याप्ति को बढ़ाकर उसमें विदेश संबद्ध आवक-जावक व्यापार के संबंधित आंकड़ों (FATS) की रिपोर्टिंग तथा सीमित देयता भागीदारियों (LLPs) द्वारा रिपोर्टिंग को भी जोड़ दिया गया है । 2. डेटा प्रस्तुति में सुरक्षा के स्तर को बढ़ाने तथा डाटा की गुणवत्ता में और सुधार करने के उद्देश्य से एफ़एलए विवरणी की प्रस्तुति के लिए वर्तमान ई-मेल आधारित रिपोर्टिंग प्रणाली को वेब आधारित प्रणाली अर्थात ऑनलाइन रिपोर्टिंग पोर्टल द्वारा प्रतिस्थापित किया जाएगा। इससे पात्र संस्थाओं {जिनमें भारतीय प्रतिभूति तथा विनिमय बोर्ड(सेबी) में पंजीकृत वैकल्पिक निवेश निधि (एआईएफ़) तथा एलएलपी के मामले में पूंजी/ लाभ शेयर अंशदान के रूप में प्राप्त/ अंतरित विदेशी निवेश की रिपोर्टिंग तथा किसी निवेश माध्यम में तथा विदेशी मुद्रा प्रबंध(भारत के बाहर के निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण तथा निर्गम में परिभाषित किए गए अनुसार भारत के बाहर निवास करने वाले व्यक्तियों द्वारा किया गया निवेश शामिल है} को डाटा प्रस्तुत करने में सुविधा होगी। 3. संशोधित विदेशी देयताएँ तथा आस्ति सूचना रिपोर्टिंग प्रणाली (FLAIR) की मुख्य विशेषताएं निम्नानुसार हैं: ए) रिज़र्व बैंक “उपयोगकर्ता पंजीकरण फॉर्म” (जिसमे संस्था की पहचान तथा कारोबार उपयोगकर्ता के ब्यौरे होंगे, जहां एलएलपी तथा एआईएफ़ को प्रतिरूपी सीआईएन का प्रयोग करने की आवश्यकता नहीं होगी) को प्रस्तुत करने के लिए रिपोर्ट करने वाली संस्थाओं को एक वेब-पोर्टल इंटरफ़ेस https://flair.rbi.org.in प्रदान करेगा। वेब-पोर्टल पर पंजीकरण सफल होने के बाद उपयोगकर्ता एफ़एलए प्रस्तुतीकरण गेट-वे का उपयोग करने के लिए आरबीआई द्वारा प्रदान किया गया लॉगिन – नाम तथा पासवर्ड जनरेट कर पाएंगे तथा उसमें प्रस्तुत किए गए डाटा पर सिस्टम द्वारा संचालित प्रमाणीकरण जांच में शामिल होंगे। बी) उक्त फॉर्म पहले की भांति राजकोषीय आधार पर निवेशक-वार प्रत्यक्ष निवेश तथा अन्य वित्तीय ब्यौरे लेगा, जहां सभी रिपोर्टिंग संस्थाओं को FATS से संबंधित चरों संबंधी सूचना प्रदान करना आवश्यक है (पूर्व में यह केवल अनुषंगी कंपनियों के लिए अनिवार्य था)। इसके अलावा संशोधित फॉर्म में एफ़डीआई/ ओडीआई तथा विनिवेश की प्राप्ति के पहले वर्ष से संबंधित सूचना देना आवश्यक है। सी) फॉर्म की सफल प्रस्तुति के बाद रिपोर्ट करने वाली संस्थाओं को सिस्टम द्वारा जनरेट की गई प्राप्ति सूचना मिलेगी। डी) आवश्यकता होने पर वे डाटा में संशोधन कर सकते हैं तथा प्रस्तुत की गई सूचना को देख/ डाउनलोड कर सकते हैं। ई) आरबीआई को किए गए अनुरोध के ई-मेल पर आरबीआई की पुष्टि प्राप्त करने के पश्चात संस्थाएं पिछले वर्ष (वर्षों) के लिए एफ़एलए सूचना प्रस्तुत कर सकते हैं । एफ़) एफ़एलए फॉर्म्स के ई-मेल आधारित प्रस्तुति की विद्यमान प्रणाली समाप्त हो जाएगी। 5. उपर्युक्त का अनुपालन नहीं करने वाली भारतीय संस्थाओं को विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 तथा उसके अंतर्गत बनाए गए विनियमों का अनुपालन नहीं करने वाली संस्था माना जाएगा। 6. ये निदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे तथा वर्ष 2018-19 के लेई सूचना की रिपोर्टिंग पर लागू होंगे। ए.डी. श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषय-वस्तु से अपने घटकों तथा ग्राहकों को अवगत कराएं। 7. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किये गये हैं। भवदीय (आर. के. मूलचंदानी) |