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माइक्रो फाइनेंस गतिविधियों में संलग्न माइक्रो फाइनेंस संस्थाओं और गैर सरकारी संगठनों हेतु 'स्वचालित मार्ग' के अंतर्गत बाह्य वाणिज्यिक उधार

भारिबैंक/2011-12/304
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 59

19 दिसंबर 2011

सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक

महोदया/महोदय,

माइक्रो फाइनेंस गतिविधियों में संलग्न माइक्रो फाइनेंस संस्थाओं और
गैर सरकारी संगठनों हेतु 'स्वचालित मार्ग' के अंतर्गत बाह्य वाणिज्यिक उधार

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I (एडी श्रेणी I) बैंकों का ध्यान 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.3/ 2000-आरबी द्वारा यथा अधिसूचित बाह्य वाणिज्यिक उधार से संबंधित, समय-समय पर यथा संशोधित, विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना और उधार देना) विनियमावली, 2000 तथा समय-समय पर यथासंशोधित 1 अगस्त 2005 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 5 और 25 अप्रैल 2005 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 40 की ओर आकृष्ट किया जाता है।

2. माइक्रो फाइनेंस क्षेत्र की खास आवश्यकताओं पर विचार करते हुए भारत सरकार के परामर्श से मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति की समीक्षा की गई है और यह निर्णय लिया गया है कि अब से माइक्रो फाइनेंस संस्थाओं को अनुमत अंतिम उपयोग के लिए एक वित्तीय वर्ष के दौरान 10 मिलियन अमरीकी डालर तक या उसके समतुल्य बाह्य वाणिज्यिक उधार `स्वचालित मार्ग' से लेने की अनुमति दी जाए। माइक्रो फाइनेंस के लिए बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने संबंधी विस्तृत दिशानिर्देश, आवश्यक सुरक्षा उपायों सहित, नीचे दिए जा रहे हैं।

(i) पात्र उधारकर्ता:

माइक्रो फाइनेंस गतिविधियों में लगी निम्नलिखित माइक्रो फाइनेंस संस्थाओं (कंपनियों) को बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने के लिए पात्र उधारकर्ता माना जाएगा:-

• समितियाँ पंजीकरण अधिनियम, 1860 के अंतर्गत पंजीकृत माइक्रो फाइनेंस संस्थाएं (कंपनियाँ);

• भारतीय न्यास अधिनियम, 1882 के अंतर्गत पंजीकृत माइक्रो फाइनेंस संस्थाएं (कंपनियाँ);

• परंपरागत राज्य स्तरीय सहकारिता अधिनियमों, राष्ट्रीय स्तर के बहु-राज्य सहकारिता विधान या नए राज्य स्तरीय परस्पर सहायता सहकारी अधिनियमों के अंतर्गत पंजीकृत माइक्रो फाइनेंस संस्थाएं (कंपनियाँ), जो सहकारी बैंक नहीं हैं;

• गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ जो गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों-माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के रूप में वर्गीकृत हैं तथा 2 दिसंबर 2011 के परिपत्र सं. गैबैंपवि.कंपरि.सं. नीति प्रभा.सं. 250/03.10.01/2011-12 में विनिर्दिष्ट मानदण्डों का अनुपालन करती हैं; और

• कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 25 के तहत पंजीकृत वे कंपनियाँ जो माइक्रो फाइनेंस गतिविधियों में लगी हैं।

(ii) उधार संबंध और सही तथा उचित स्थिति (स्टेटस):

इसके अलावा समितियों, न्यासों और सहकारी संस्थाओं के रूप में पंजीकृत और माइक्रो फाइनेंस के कारोबार में लगी माइक्रो फाइनेंस संस्थाओं (कंपनियों) के -

• विदेशी मुद्रा का कारोबार करने के लिए प्राधिकृत अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक के साथ कम से कम 3 वर्षों से संतोषजनक संबंध हों; और

• उधार लेने वाली संस्था (कंपनी) के प्रबंधन बोर्ड/समिति की "सही और उचित" स्थिति के बाबत, समुचित सावधानी बरतने के तहत, नामित प्राधिकृत व्यापारी (एडी) बैंक से प्रमाणपत्र प्राप्त करना आवश्यक होगा।

(iii) मान्यता प्राप्त उधारदाता

बाह्य वाणिज्यिक उधार निधियों को बैंकिंग चैनल के मार्फत प्राप्त (route) किया जाएगा। गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों-माइक्रो फाइनेंस संस्थाओं (कंपनियों) को बहुपक्षीय (multilateral) संस्थाओं यथा आयएफसी, एडीबी, आदि/रीजनल फाइनेंसियल संस्थाओं/अंतर्राष्ट्रीय बैंकों/विदेशी ईक्विटी धारकों और समुद्रपारीय संगठनों से बाह्य वाणिज्यि उधार लेने के लिए अनुमति होगी।

कंपनी अधिनियम की धारा 25 के तहत पंजीकृत कंपनियों, और जो माइक्रो फाइनेंस गतिविधियों में लगी हैं, को अंतर्राष्ट्रीय बैंकों, बहुपक्षीय (multilateral) वित्तीय संस्थाओं, निर्यात ऋण एजेंसियों, विदेशी ईक्विटी धारकों, समुद्रपारीय संगठनों और व्यक्तियों से बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने की अनुमति होगी।

अन्य माइक्रो फाइनेंस संस्थाओं (कंपनियों) को अंतर्राष्ट्रीय बैंकों, बहुपक्षीय (multilateral) वित्तीय संस्थाओं, निर्यात ऋण एजेंसियों, समुद्रपारीय संगठनों और व्यक्तियों से बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने की अनुमति होगी।

निम्नलिखित सुरक्षा उपायों का अनुपालन करने वाले, समुद्रपारीय संगठन और व्यक्ति, बाह्य वाणिज्यिक उधार दे सकते हैं:

ए)   बाह्य वाणिज्यिक उधार देने की योजना वाले (देने के इच्छुक) समुद्रपारीय संगठनों को अपने बारे में ऐसे समुद्रपारीय (ओवरसीज़) बैंक से, समुचित सावधानी बरतने के बाबत, प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना होगा जो अपने देश में विनियामक (रेगुलेटर) द्वारा विनियमित हो और नामित प्राधिकृत व्यापारियों के लिए लागू वित्तीय कार्रवाई कार्यदल (एफएटीएफ) के दिशानिर्देशों का पालन करता हो। समुचित सावधानी बरतने के बाबत, प्रस्तुत किए जाने वाले प्रमाणपत्र में, यह उल्लेख हो कि (i) उधारदाता संस्था (ऐंटिटी) प्रमाणपत्रदाता बैंक में न्यूनतम विगत दो वर्षों से खाता रखे है, (ii) उधारदाता संस्था (ऐंटिटी) का गठन स्थानीय विधि के अधीन हुआ है और बिजनेस/स्थानीय समुदाय द्वारा उसे अच्छी प्रतिष्ठा वाली संस्था माना जाता है और (iii) उसके खिलाफ कोई आपराधिक कार्रवाई लंबित नहीं है।

बी)   उधार देने वाले व्यक्ति को ऐसे समुद्रपारीय (ओवरसीज़) बैंक से, समुचित सावधानी बरतने के बाबत, अपने बारे में प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना होगा कि उधार देने वाले व्यक्ति का उसके पास न्यूनतम विगत दो वर्षों से खाता है। इसके अलावा खाते के संबंध में लेखापरीक्षित विवरण और आयकर विवरणी जैसे अन्य साक्ष्य/दस्तावेज भी समुद्रपारीय उधारदाता प्रस्तुत कर सकता है जिसे समुद्रपारीय बैंक द्वारा प्रमाणीकृत और अग्रेसित किया गया हो। जिन देशों के बैंकों से यह अपेक्षा नहीं है कि वे "अपने ग्राहक को जानने" से संबंधित दिशानिर्देशों का पालन करें, ऐसे देशों के उधार देने के इच्छुक व्यक्तियों द्वारा बाह्य वाणिज्यिक उधार दिए जाने की अनुमति नहीं होगी।

(iv) अनुमत अंतिम उपयोग: नामित प्राधिकृत व्यापारी बैंक यह अवश्य सुनिश्चित करे कि बाह्य वाणिज्यिक उधार के रूप में प्राप्त राशि का उपयोग स्वयं सहायता समूह या माइक्रो क्रेडिट या क्षमता के निर्माण सहित सच्ची माइक्रो फाइनेंस गतिविधियों के लिए की जाए।

(v) बाह्य वाणिज्यिक उधार की राशि: प्रणालीगत जोखिम को न्यूनतम स्तर पर रखना सुनिश्चित करने के लिए एक वित्तीय वर्ष में बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने की उच्चतम सीमा 10 मिलियन अमरीकी डालर रखी गई है।

3. यह निर्णय भी लिया गया है कि माइक्रो फाइनेंस गतिविधियों में लगे गैर सरकारी संगठन प्रति वित्तीय वर्ष में 5 मिलियन अमरीकी डालर की मौजूदा सीमा के स्थान पर 10 मिलियन अमरीकी डालर या उसके समतुल्य बाह्य वाणिज्यिक उधार `स्वचालित मार्ग' के तहत ले सकते हैं। 25 अप्रैल 2005 के हमारे ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 40 में दी गई अन्य शर्तें अपरिवर्तित बनी रहेंगी।

4. बाह्य वाणिज्यिक उधार संबंधी अन्य पैरामीटर:

बाह्य वाणिज्यिक उधार संबंधी अन्य पैरामीटर जैसे न्यूनतम औसत परिपक्वता अवधि, समग्र लागत की उच्चतम सीमाएं, गारंटी जारी करने पर प्रतिबंध (रोक), पसंद की प्रतिभूति, बाह्य वाणिज्यिक उधार के रूप में आमद (प्रोसीड्स) की पार्किंग, अवधिपूर्व भुगतान, बाह्य वाणिज्यिक का पुनर्वित्तपोषण, स्वचालित मार्ग के तहत रिपोर्ट करने की व्यवस्था का अनुपालन बाह्य वाणिज्यिक उधार का लाभ उठाने वाली माइक्रो फाइनेंस संस्था(कंपनी)/गैर सरकारी संगठन को करना होगा। नामित प्राधिकृत व्यापारी बैंक, पात्र उधारकर्ता की स्थिति और माइक्रो फाइनेंस में उसकी संलग्नता को प्रमाणित करेगा एवं उधार आहरण करते समय यह सुनिश्चित करेगा कि उधारकर्ता के विदेशी मुद्रागत एक्स्पोजर पूरी तरह से हेज (Hedge) किए गए हैं।

5. बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति में किए गए ये संशोधन तत्काल प्रभाव से लागू होंगे और माइक्रो फाइनेंस संस्थाओं (कंपनियों) से संबंधित उक्त फ्रेमवर्क एक वर्ष के बाद समीक्षा के अधीन है।

6. 3 मई 2000 की विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना या उधार देना) विनियमावली, 2000 में, जहाँ कहीं आवश्यक है, संशोधन अलग से जारी किए जा रहे हैं।

7. प्राधिकृत व्यापारी बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने घटकों और ग्राहकों को अवगत कराएं।

8.  इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) एवं 11(1) के अंतर्गत और किसी विधि के अधीन अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गए हैं।

भवदीया,

(रश्मि फौजदार)
मुख्य महाप्रबंधक

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