बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) नीति – इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनांस कंपनियाँ (IFCs) - आरबीआई - Reserve Bank of India
बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) नीति – इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनांस कंपनियाँ (IFCs)
भारिबैंक/2011-12/367 25 जनवरी 2012 सभी श्रेणी I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) नीति – इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनांस प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । (प्रा.व्या. श्रेणी - ।) बैंकों का ध्यान बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबीएस) से संबंधित, समय-समय पर यथा संशोधित, 1 अगस्त 2005 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 5 और 11 मई 2010 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 51 की ओर आकृष्ट किया जाता है। मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार, रिज़र्व बैंक द्वारा इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनांस कंपनियों (IFCs) के रूप में वर्गीकृत गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (एनबीएफसीएस) तथा जो गैर-बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के 12 फरवरी 2010 के परिपत्र डीएनबीएस. पीडी. सीसी. सं. 168/03.02.089/2009-10 में विनिर्दिष्ट मानदंडों को पूर्ण करती हैं, को बकाया बाह्य वाणिज्यिक उधारों (ईसीबीएस) सहित, स्वचालित मार्ग के तहत उनकी स्वाधिकृत निधियों के 50 प्रतिशत तक बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने के लिए अनुमति दी गयी है । इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनांस कंपनियों (IFCs) द्वारा उनकी स्वाधिकृत निधियों के 50 प्रतिशत से ऊपर के बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने के मामलों पर अनुमत मार्ग के तहत विचार किया जाता है । अनुमत अंतिम उपयोग, मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति के तहत यथा परिभाषित इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को आगे उधार देने के लिए किया जाना चाहिए । इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनांस कंपनियों (IFCs) को अपने संपूर्ण मुद्रा जोखिमों को भी हेज (Hedge) करना चाहिए । 2. अब यह निर्णय लिया गया है कि नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंकों को अनुमत मार्ग के तहत बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने की इच्छुक इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनांस कंपनियों (IFCs) के ऐसे प्रस्ताव भारतीय रिज़र्व बैंक को अग्रसारित करते समय उनके लीवरेज़ अनुपात (leverage ratio) (अर्थात बाह्य देयाताएं/स्वाधिकृत निधियाँ) को प्रमाणित करना चाहिए । 3. बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति के सभी अन्य पहलू यथा पात्र उधारकर्ता, मान्यताप्राप्त उधारदाता, स्वचालित मार्ग के तहत अधिकतम अनुमत सीमा, औसत परिपक्वता अवधि, समग्र लागत, अंतिम उपयोग, पूर्व भुगतान, मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार का पुनर्वित्तपोषण और रिपोर्टिंग व्यवस्था अपरिवर्तित बने रहेंगे । 4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों/ग्राहकों को अवगत करायें । 5. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं । भवदीया, (रश्मि फौज़दार) |