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बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति – रुपया ऋणों की अदायगी और/अथवा नए रुपया पूंजी व्यय – 10 बिलियन अमरीकी डालर योजना

भारिबैंक/2013-14/137
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 12

15 जुलाई 2013

सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय,

बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति –
रुपया ऋणों की अदायगी और/अथवा नए रुपया
पूंजी व्यय – 10 बिलियन अमरीकी डालर योजना

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान उक्त योजना संबंधी 25 जून 2012 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.134, 11 सितंबर 2012 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 26 और 21 जनवरी 2013 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 78 की ओर आकृष्ट किया जाता है।

2. वर्तमान दिशानिर्देशों के अनुसार, विनिर्माण, इंफ्रास्ट्रक्चर (मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति के तहत यथा परिभाषित) और होटल क्षेत्रों की भारतीय कंपनियों, जो निरंतर विदेशी मुद्रा अर्जक है, को घरेलू बैंकिंग प्रणाली से लिए गए रुपया ऋणों की अदायगी और/अथवा नए रुपया पूंजी व्यय के लिए अनुमोदन मार्ग के अंतर्गत बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने की अनुमति दी गयी है।

3. समीक्षा करने पर, यह निर्णय लिया गया है कि उल्लिखित क्षेत्रों (सेक्टरों) की ऐसी भारतीय कंपनियों, जिन्होंने विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के अंतर्गत मौजूदा विनियमों के अनपालन के अधीन समुद्रपारीय संयुक्त उद्यम (JV)/पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी (WOS) स्थापित की है/ परिसंपत्तियों का अर्जन किया है, को 10 बिलियन अमरीकी डालर की योजना का लाभ निम्नलिखित शर्तों के अधीन प्रदान किया जाए:

(ए) भारतीय कंपनियों द्वारा घरेलू बैंकों से समुद्रपारीय संयुक्त उद्यम (JV)/पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी (WOS) में निवेश के लिए 5 वर्षों और उससे अधिक की औसत अवशिष्ट परिपक्वता वाले सभी मीयादि ऋण/ऋण सुविधाओं की चुकौती के लिए, 'पूँजी व्यय' के अतिरिक्त, बाह्य वाणिज्यिक उधार लिए जा सकते हैं;

(बी) भारतीय कंपनियों द्वारा उनके संयुक्त उद्यम/पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी/विदेशी परिसंपत्तियों से विगत तीन वित्तीय वर्षों के दौरान अर्जित (उगाहे गए) औसत विदेशी मुद्रा के 75 प्रतिशत और/अथवा आगामी तीन वित्तीय वर्षों के लिए संभाव्य विदेशी मुद्रा अर्जन के औसत के संबंध में किए गए निर्धारण के 75 प्रतिशत, जिसे सांविधिक लेखापरीक्षक/सनदी लेखाकार/प्रमाणित लोक लेखाकार/सेबी के पास पंजीकृत श्रेणी । मर्चंट बैंकर/मेजबान देश में यथोचित विनियामक प्राधिकारी के पास पंजीकृत भारत से बाहर के निवेशकर्ता बैंकर द्वारा प्रमाणित प्रमाणित किया गया हो, जो भी अधिक हो के आधार पर इस योजना के तहत बाह्य वाणिज्यिक उधार लिए जा सकते हैं;

(सी) इस योजना के तहत लिए गए बाह्य वाणिज्यिक उधार की चुकौती समुद्रपारीय संयुक्त उद्यम/पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी/परिसंपत्तियों से अर्जित विदेशी मुद्रा राशि में से करनी होगी।

4. समुद्रपारीय संयुक्त उद्यम/पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी/परिसंपत्तियों से पूर्व में लाभांश/प्रत्यावर्तित राशि/रायल्टी, तकनीकी जानकारी, फीस, आदि जैसी अन्य अर्जित विदेशी आगम राशि, 10 बिलियन अमरीकी डालर की योजना के प्रयोजन हेतु विदेशी मुद्रा अर्जन के रूप में परिकलित किए जाएंगे।

5. योजना के सभी अन्य पहलू यथावत बने रहेंगे। संशोधित बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति तत्काल प्रभाव से लागू होगी तथा यह इस संबंध में प्राप्त अनुभव के आधार पर समीक्षाधीन है।

6. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने घटकों और ग्राहकों को अवगत   करायें ।

7. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं।

भवदीय,

(रुद्र नारायण कर)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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