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बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) नीति - क्रियाविधि का सरलीकरण

भारिबैंक/2014-15/425
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 64

23 जनवरी 2015

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक

महोदया/महोदय

बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) नीति - क्रियाविधि का सरलीकरण

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान निम्नलिखित ए. पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्रों में अंतर्विष्ट उपबंधों की ओर आकृष्ट किया जाता है जिनके मार्फत उन्हें, उनमें विनिर्दिष्ट शर्तों के तहत, बाह्य वाणिज्यिक उधार के संबंध में ड्रा-डाउन और अदायगी अनुसूची में परिवर्तन से संबंधित मामलों को निपटाने के लिए शक्तियों का प्रत्यायोजन किया गया है:

  1. 9 फरवरी 2010 के ए. पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 33 के पैराग्राफ 3(ए) में अतर्विष्ट उपबंध;

  2. 7 फरवरी 2012 के ए. पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 75 में अतर्विष्ट उपबंध;

  3. 9 मई 2014 के ए. पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.128 में अतर्विष्ट उपबंध ।

2. बाह्य वाणिज्यिक उधारों के पुनर्निर्धारण/पुनर्संरचना की मौजूदा क्रियाविधि के सरलीकरण हेतु समीक्षा करने पर एवं उल्लिखित उपबंधों को अधिक्रमित करते हुए यह निर्णय लिया गया है कि निम्न स्वरूप की अनुमति प्रदान करने के लिए नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों में अधिकारों का प्रत्यायोजन किया जाए:

  1. बाह्य वाणिज्यिक उधारों के ड्रा-डाउन और अदायगी अनुसूची में परिवर्तन/आशोधन (अवसरों की संख्या कतनी भी हो), चाहे उसका संबंध औसत परिपक्वता अवधि में परिवर्तन से हो अथवा नहीं और/अथवा समग्र लागत सीमा में परिवर्तन (वृद्धि/कमी) से हो।

  2. बाह्य वाणिज्यिक उधार में कमी (अवसरों की संख्या कतनी भी हो) ड्रा-डाउन और अदायगी अनुसूची में परिवर्तन, औसत परिपक्वता अवधि तथा समग्र लागत में परिवर्तन सहित।

  3. बाह्य वाणिज्यिक उधारों में वृद्धि (अवसरों की संख्या कतनी भी हो)।

3. यह उपाय इस शर्त के अधीन है कि नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक निम्नलिखित बातों को सुनिश्चित करे:

  1. पुनरीक्षित औसत परिपक्वता अवधि और /अथवा समग्र लागत लागू उच्चतम सीमाओं/ दिशानिर्देशों के अनुरूप हो; और

  2. बाह्य वाणिज्यिक उधार की अवधि (के tenure) के दौरान ही परिवर्तन हों।

4. यदि उधारदाता भारतीय बैंक की ओवरसीज़ शाखा/सहायक कंपनी हो तो परिवर्तन लागू विवेकपूर्ण मानदंडों के तहत होंगे।

5. यह भी निर्णय लिया गया है कि लेनदेनों की सदाशयता के प्रति स्वयं को संतुष्ट करने और बाह्य वाणिज्यिक उधार संबंधी दिशानिर्देशों के अनुपालन के सुनिश्चय के तहत बाह्य वाणिज्यिक उधारदाता के नाम में परिवर्तन करने की अनुमति प्रदान करने की शक्तियां प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैकों में प्रत्यायोजित की जाएं। इसके अलावा, लागू कानूनों/नियमों के अनुसार विधिवत विलयन/अलग-अलग होने/समामेलन/अर्जन से उधारकर्ता के स्तर पर पुनर्गठन होने के कारण ऐसी एक कंपनी से अन्य कंपनी में बाह्य वाणिज्यिक उधार अंतरित करने के मामलों में भी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक अनुमति प्रदान कर सकते हैं, इस बात से स्वयं संतुष्ट होने पर कि बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने वाली कंपनी पात्र उधारकर्ता हो एवं बाह्य वाणिज्यिक उधार लागू दिशानिर्देशों के अनुपालन में/अनुरूप हो।

6. सरलीकरण के ये उपाय, स्वचालित एवं अनुमोदन दोनों मार्गों से लिए गए बाह्य वाणिज्यिक उधारों के संबंध में लागू होंगे। हालांकि, विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांड इन उपबंधों के अंतर्गत नहीं आएंगे(कवर होंगे)।

7. बाह्य वाणिज्यिक उधारों की शर्तों में ये परिवर्तन और / अथवा पहले से प्रत्यायोजित अधिकारों के तहत प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों द्वारा अनुमत अन्य परिवर्तन और/ अथवा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अनुमोदित परिवर्तन, संशोधित फार्म 83 में शीघ्रातिशीघ्र, किन्तु हर हालात में परिवर्तन की तारीख से 7 दिनों के भीतर, भारतीय रिज़र्व बैंक के सांख्यिकी और सूचना प्रबंध विभाग को रिपोर्ट किए जाने चाहिए। सांख्यिकी और सूचना प्रबंध विभाग को फार्म 83 प्रस्तुत करते समय इन परिवर्तनों के संबंध में सूचना में उल्लेख किया जाए। इसके अलावा, ईसीबी-2 विवरणी में इन परिवर्तनों को उचित रूप में दर्शाया जाए।

8. बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति मेँ किए गए ये संशोधन तत्काल प्रभाव से लागू होंगे। बाह्य वाणिज्यिक उधार नीतिगत सभी अन्य पहलू अपरिवर्तित बने रहेंगे।

9. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने ग्राहकों और घटकों को अवगत कराएं ।

10. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गए हैं।

भवदीय,

(बी.पी.कानूनगो)
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक

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