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बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) - क्रियाविधि को सरल बनाना

भारिबैंक/2011-12/390
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 75

07 फरवरी 2012

सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक

महोदया/महोदय,

बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) - क्रियाविधि को सरल बनाना

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 3/2000-आरबी के जरिये अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना और उधार देना) विनियमावली, 2000, बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) से संबंधित, समय-समय पर यथा संशोधित, 1 अगस्त 2005 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.5 और 09 फरवरी 2010 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 33 की ओर आकृष्ट किया जाता है।

2.  मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) संबंधी क्रियाविधि के अनुसार, बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) की राशि में कटौती, आहरण (drawdown) की समय सारणी में परिवर्तन, जहाँ मूल औसत परिपक्वता अवधि बनायी नहीं रखी गयी है तथा ऋण पंजीकरण संख्या (LRN) प्राप्त करने के बाद बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) की समग्र लागत में कटौती के लिए किये गये अनुरोध प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक द्वारा विदेशी मुद्रा विभाग, केंद्रीय कार्यालय, भारतीय रिज़र्व बैंक को आवश्यक अनुमोदन/मंजूरी हेतु प्रस्तुत करना आवश्यक है ।

3. मौजूदा क्रियाविधि को सरल बनाने के उपाय के रूप में, यह निर्णय लिया गया है कि बाह्य वाणिज्यिक उधारकर्ताओं से प्राप्त, निम्नलिखित अनुरोधों के संबंध में, अनुमति देने के लिए, नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों को, विनिर्दिष्ट शर्तों के अधीन, अधिकार प्रत्यायोजित किये जाएं :

ए) बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) की राशि में कटौती

नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक,स्वचालित मार्ग के तहत लिये गये बाह्य वाणिज्यिक उधारों के संबंध में ऋण राशि में कटौती हेतु बाह्य वाणिज्यिक उधारकर्ताओं से प्राप्त अनुरोधों को अनुमोदन प्रदान कर सकते हैं, बशर्ते निम्नलिखित शर्तों का पालन सुनिश्चित किया जाता है:-

(i) ऋण राशि में कटौती के लिए उधारदाता की सहमति प्राप्त की गयी हो;

(ii) बाह्य वाणिज्यिक उधार की औसत परिपक्वता अवधि बनायी रखी गयी हो;

(iii) एलआरएन के संबंध में मासिक ईसीबी-2 विवरणियां सांख्यिकी और सूचना प्रबंध विभाग (डीएसआईएम) को प्रस्तुत की गयी हों; और

(iv) बाह्य वाणिज्यिक उधार की अन्य शर्तों में कोई परिवर्तन न हो ।

बी)  जब मूल औसत परिपक्वता अवधि बनायी नहीं रखी जाती है तब आहरण (drawdown) की समय सारणी में परिवर्तन/ आशोधन

मौजूदा क्रियाविधि के अनुसार, नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों को अनुमोदन और स्वचालित दोनों मार्गों के तहत पहले ही लिये गये बाह्य वाणिज्यिक उधारों के आहरण द्वारा कमी (drawdown)/चुकौती अनुसूची में परिवर्तनों/आशोधनों को अनुमोदित करने के लिए अधिकार इस शर्त के अधीन प्रत्यायोजित किये गये हैं कि ऋण पंजीकरण संख्या (LRN) प्राप्त करते समय यथा घोषित औसत परिपक्वता अवधि बनायी रखी जाती है ।

अब यह निर्णय लिया गया है कि नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक, आहरण (drawdown) की समय सारणी में परिवर्तनों/आशोधनों के,बाह्य वाणिज्यिक उधारकर्ताओं से प्राप्त अनुरोधों को, अनुमोदन प्रदान कर सकते हैं, जिससे स्वचालित और अनुमोदन दोनों मार्गों के तहत लिये गये बाह्य वाणिज्यिक उधारों के संबंध में 'मूल औसत परिपक्वता अवधि' में परिवर्तन होगा, बशर्ते निम्नलिखित शर्तों का पालन सुनिश्चित किया जाता है:-

(i) बाह्य वाणिज्यिक उधार की चुकौती अनुसूची में कोई परिवर्तन/आशोधन न हों;

(ii) बाह्य वाणिज्यिक उधार की औसत परिपक्वता अवधि, ऋण पंजीकरण संख्या (LRN) प्राप्त करते समय फॉर्म 83 में दर्शायी गयी मूल औसत परिपक्वता अवधि की तुलना में कम की गयी हो;

(iii) इस प्रकार कम की गयी औसत परिपक्वता अवधि, मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार दिशानिर्देशों के अनुसार निर्धारित की गयी न्यूनतम औसत परिपक्वता अवधि का पालन करती हो,

(iv) समग्र लागत में परिवर्तन केवल औसत परिपक्वता अवधि में परिवर्तन के कारण हो तथा बाह्य वाणिज्यिक उधार मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार हो; और

(v) एलआरएन के संबंध में मासिक ईसीबी-2 विवरणियां सांख्यिकी और सूचना प्रबंध विभाग (डीएसआईएम) को प्रस्तुत की गयी हों ।

बाह्य वाणिज्यिक उधार की मूल परिपक्वता की समाप्ति पर, चुकौती में किसी भी अवधि वृद्धि (elongation)/रोलओवर (rollover) के प्रस्ताव के लिए रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन की आवश्यकता बनी रहेगी ।

सी) बाह्य वाणिज्यिक उधार की समग्र लागत में कटौती

नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक, स्वचालित और अनुमोदन मार्गों के तहत लिये गये बाह्य वाणिज्यिक उधारों के संबंध में, समग्र लागत में कटौती हेतु बाह्य वाणिज्यिक उधारकर्ताओं से प्राप्त अनुरोधों को अनुमोदन प्रदान कर सकते हैं, बशर्ते निम्नलिखित शर्तों का पालन सुनिश्चित किया जाता है:-

(i) उधारदाता की सहमति प्राप्त की गयी हो; और बाह्य वाणिज्यिक उधार की अन्य शर्तों में कोई परिवर्तन न हो।

(ii) एलआरएन के संबंध में मासिक ईसीबी-2 विवरणियां सांख्यिकी और सूचना प्रबंध विभाग (डीएसआईएम) को प्रस्तुत की गयी हों ।

4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक को सुनिश्चित करना चाहिए कि उसे प्रत्यायोजित अधिकारों का प्रयोग करते समय वे बाह्य वाणिज्यिक उधार संबंधी मौजूदा दिशानिर्देशों का पालन कर रहे हैं और परिवर्तन, फॉर्म 83 में, सांख्यिकी और सूचना प्रबंध विभाग (डीएसआईएम), भारतीय रिज़र्व बैंक को तत्परता से रिपोर्ट किये जाते हैं ।

5. बाह्य वाणिज्यिक उधार संबंधी दिशानिर्देशों में उपर्युक्त संशोधन तत्काल प्रभाव से लागू होंगे । बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति के सभी अन्य पहलू यथा स्वचालित मार्ग के तहत प्रति वित्तीय वर्ष प्रति कंपनी 750 मिलियन अमरीकी डॉलर की सीमा, पात्र उधारकर्ता, मान्यताप्राप्त उधारदाता, अंतिम उपयोग, समग्र उच्चतम लागत, औसत परिपक्वता अवधि, अवधि पूर्व भुगतान, मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार का पुनर्वित्तपोषण और रिपोर्टिंग व्यवस्था, अपरिवर्तित बने रहेंगे ।

6. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करायें ।

7. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं ।

भवदीया,

(रश्मि फौज़दार)
मुख्य महाप्रबंधक

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