विदेशी मुद्रा प्रबंध (डेरिवेटिव संविदाओं हेतु मार्जिन) विनियमावली, 2020 - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी मुद्रा प्रबंध (डेरिवेटिव संविदाओं हेतु मार्जिन) विनियमावली, 2020
भारतीय रिज़र्व बैंक विदेशी मुद्रा प्रबंध (डेरिवेटिव संविदाओं हेतु मार्जिन) विनियमावली, 2020 सं.फेमा.399/आरबी-2020.– विदेशी मुद्रा विनियमन प्रबंधन अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 47 की उप-धारा (2) के खंड (एच) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक निम्नलिखित विनियमावली तैयार करता है ताकि भारत में विदेशी मुद्रा बाजार के विधिवत विकास और अनुरक्षण को बढ़ावा दिया जा सके, यथा: 1. लघु शीर्षक और प्रवर्तन i) इस विनियमावली को विदेशी मुद्रा प्रबंध (डेरिवेटिव संविदाओं हेतु मार्जिन) विनियमावली, 2020 कहा जाएगा। ii) ये विनियमावली भारत के राजपत्र में प्रकाशन की तारीख से लागू होगी। 2. परिभाषाएं इन विनियमों में जब तक संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित नहीं हो तो: i) “अधिनियम” का आशय है विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42); ii) “प्राधिकृत डीलर” का आशय है इस अधिनियम की धारा 10 की उप-धारा (1) के तहत प्राधिकृत डीलर के रूप में प्राधिकृत किया गया व्यक्ति; iii) “डेरिवेटिव” का वही आशय रहेगा जो समय-समय पर यथासंशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंधन (पूंजी खाते में अनुमेय लेनदेन) के विनियम 2 के उप-विनियम (डीए) में निर्धारित किया गया है; iv) “मार्जिन” का आशय है वह कोलेटरल जो किसी डेरिवेटिव संविदा के पक्षकारों द्वारा एक दूसरे के पक्ष में दर्ज की जाती है या एक दूसरे से संग्रह की जाती है (चाहे यह सीधे ही की जाए अथवा किसी तृतीय पक्ष के माध्यम से) ताकि कोलेटर पानेवाले के लिए कोलेटरल प्रदान करने वाले को होने वाले क्रेडिट जोखिम के कुछ भाग या सम्पूर्ण जोखिम को कवर किया जा सके; v) “अनुमत डेरिवेटिव संविदा” का आशय है: क. विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदाएं) विनियमावली, 2000 और मास्टर निदेश – जोखिम प्रबंधन और अन्तर बैंक डीलिंग, समय-समय पर यथासंशोधित, के अनुसार निष्पादित विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदा; ख. रुपया ब्याज दर डेरिवेटिव (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2019 (अधिसूचना सं. एफएमआरडी.डीआईआरडी.20/2019 दिनांक 26 जून 2019), समय-समय पर यथासंशोधित, के अनुसार निष्पादित रुपया ब्याज दर डेरिवेटिव संविदा, ग. अधिसूचना सं. आईडीएमडी.पीसीडी.सं.10/14.03.04/2012-13 दिनांक 7 जनवरी 2013 के अनुसार निष्पादित क्रेडिट डेरिवेटिव संविदा; और घ. रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित की जाने वाली कोई भी अन्य डेरिवेटिव संविदा; vi) “रिज़र्व बैंक” का आशय है समय-समय पर यथासंशोधित भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (सन 1934 का 2) की धारा 3 की उप-धारा (1) के तहत संस्थापित भारतीय रिज़र्व बैंक; vii) इन विनियमों में प्रयुक्त किन्तु परिभाषित नहीं किए गए शब्दों और अभिव्यक्तियों का क्रमश: वही अर्थ रहेगा जो अधिनियम में निर्धारित कर दिया गया है। 3. निषेध इन विनियमों और इस अधिनियम के तहत जारी और इन विनियमों के प्रवर्तन में आने की तारीख तक विद्यमान अन्य विनियमों में किए गए अन्यथा प्रावधानों के बावजूद, कोई भी व्यक्ति रिज़र्व बैंक से पूर्वानुमति लिए बिना डेरिवेटिव संविदाओं के लिए मार्जिन की प्रविष्टि या संग्रह नहीं करेगा और ऐसे मार्जिन पर ब्याज का भुगतान अथवा प्राप्ति नहीं करेगा। 4. अनुमति इस अधिनियम के तहत रिज़र्व बैंक द्वारा जारी और वर्तमान समय में लागू किसी भी अन्य विनियम में निहित किसी भी तथ्य और इस बारे में रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों की शर्तों के बावजूद, प्राधिकृत डीलर: i) भारत के बाहर के निवासी किसी व्यक्ति के साथ अनुमत डेरिवेटिव संविदा करके अपने खाते में या अपने ग्राहकों की तरफ से भारत में और भारत के बाहर मार्जिन को दर्ज या मार्जिन का संग्रह रिज़र्व बैंक द्वारा निर्दिष्ट प्रकार और तरीके से करेगा; और ii) अनुमत डेरिवेटिव में भारत से बाहर के किसी निवासी व्यक्ति के साथ संविदा हेतु अपने खाते या अपने ग्राहकों की तरफ से दर्ज और संग्रह किए गए मार्जिन पर ब्याज प्राप्त करेगा और ब्याज का भुगतान करेगा। डिंपल भांडिया, महाप्रबंधक (प्रभारी अधिकारी) फ़ुटनोट: (i) प्रधान विनियम [अधिसूचना सं.फेमा 399/2020-आरबी, दिनांक 23 अक्टूबर, 2020] भारत के राजपत्र [असाधारण, भाग III - खंड 4] में राजपत्र आईडी सं.सीजी-एमएच-ई-28102020-222786, दिनांक 28.10.2020 के माध्यम से प्रकाशित किए गए थे। |