रुपया ब्याज दर डेरिवेटिव (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2019 (08 अगस्त 2022 तक अद्यतित) - आरबीआई - Reserve Bank of India
रुपया ब्याज दर डेरिवेटिव (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2019 (08 अगस्त 2022 तक अद्यतित)
आरबीआई/2018-19/222 26 जून 2019 प्रति रुपया ब्याज दर डेरिवेटिव बाजारों के सभी सहभागी महोदय / महोदया रुपया ब्याज दर डेरिवेटिव (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2019 कृपया ब्याज दर डेरिवेटिव निदेशों को औचित्यपूर्ण बनाने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक की विकासात्मक और विनियामक नीतियों के पैराग्राफ 8 का अवलोकन करें जो 07 फरवरी 2019 को जारी छठी द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य के एक भाग के तौर पर जारी किए गए थे 2. इन निदेशों का प्रारूप जनसाधारण के अभिमत हेतु 3 अप्रैल 2019 को जारी किया गया था। बाजार के सहभागियों से प्राप्त फीडबैक के आधार पर रुपया ब्याज दर डेरिवेटिव (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2019 की समीक्षा की गई और अब इन्हें अंतिम रूप दिया गया है। ये निदेश इसके साथ संलग्न है। भवदीय (डिम्पल भांडिया) वित्तीय बाजार विनियमन विभाग रुपया ब्याज दर डेरिवेटिव (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2019 भारतीय रिज़र्व बैंक (इसके बाद इसे ‘रिज़र्व बैंक’ कहा गया है) ने लोक-हित में इसे जरूरी समझते हुए और देश की वित्तीय प्रणाली को लाभदायक रूप से नियंत्रित करने के लिए, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (इसके बाद इसे ‘अधिनियम’ कहा गया है) की धारा 45W के साथ पठित धारा 45U द्वारा प्रदत्त और इस संबंध में प्रदत्त सभी शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा भारत में ब्याज दर डेरिवेटिव में सहभागिता अथवा लेनदेन करने के लिए पात्र अनिवासियों सहित सभी संस्थानों के लिए निम्नलिखित निदेश जारी किए जाते हैं। एक संदर्भ विदेशी मुद्रा प्रबंध (अनुमत पूंजी खाता लेनदेन) विनियम, 2000 (अधिसूचना सं. FEMA 1 /2000-RB दिनांक 03 मई 2000) एवं विदेशी मुद्रा प्रबंध (ऋण लिखत) विनियम, 2019 (अधिसूचना सं. FEMA 396/2019-RB दिनांक 17 अक्टूबर 2019) समय – समय पर यथासंशोधित पर भी आमंत्रित किया जाता है। 1. इन निदेशों का संक्षिप्त शीर्षक, दायरा और प्रवर्तन –
2. परिभाषाएं –
3. पात्र सहभागी - (1) इन निदेशों में निर्दिष्ट सीमा तक कोई भी भारत में निवासी और कोई भी अनिवासी व्यक्ति, ब्याज दर डेरिवेटव में सहभागी होने का पात्र है। सभी विनियमित प्रतिष्ठान अपने-अपने विनियामकों से अनुमति और उनके निबंधनों और शर्तों, यदि हों तो, के अधीन ब्याज दर डेरिवेटव में सहभागिता करेंगे। (2) भारतीय अथवा अनिवासी मूल कम्पनी अथवा कोई समूह कम्पनी अथवा केन्द्रीकृत ट्रेजरी अपनी पूर्ण स्वामित्वाधीन सहायक इकाई अथवा समूह की कम्पनियों की तरफ से ब्याज दर डेरिवेटव में लेनदेन कर सकती है बशर्ते वे गैर-रिटेल प्रयोक्ताओं हेतु मानदंडों को पूरा करते हैं। 4. कारोबारी स्थल - ब्याज दर डेरिवेटव संविदाओं का लेन देन या तो (i) मान्यताप्राप्त स्टॉक एक्सचेन्जों (इसके पश्चात एक्सचेजों के रूप में उल्लिखित), या फिर (ii) ओवर-दि-काउन्टर (ओटीसी) पर किया जा सकता है। ओटीसी लेनदेन का आशय उन सभी लेनदेन से है जो मान्यताप्राप्त स्टॉक एक्सचेन्जों के बाहर किए जाते हैं और इनमें इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफार्मों पर किए गए लेनदेन शामिल रहेंगे। इनमें से प्रत्येक कारोबारी स्थल यथा एक्सचेन्जों अथवा ओटीसी बाजारों में ब्याज दर डेरिवेटव में क्रियाकलापों को नियंत्रित करने वाले निदेशों को अलग से निर्धारित किया गया है। 5. मान्यताप्राप्त स्टॉक एक्सचेन्जों पर ब्याज दर डेरिवेटिव - एक्सचेन्जों पर किए गए ब्याज दर डेरिवेटव लेनदेनों पर निम्नलिखित निदेश लागू होंगे: (क) एक्सचेन्जों को किसी भी मानकीकृत ब्याजदर डेरिवेटिव उत्पाद का प्रस्ताव करने की अनुमति है। (ख) उत्पाद डिजाइन, पात्र सहभागियों और ब्याज दर डेरिवेटव उत्पाद के अन्य विवरणों को एक्सचेन्जों द्वारा अंतिम रूप दिया जाता है। (ग) कोई भी नया ब्याज दर डेरिवेटव उत्पाद आरंभ करने से पहले अथवा किसी विद्यमान उत्पाद में कोई संशोधन करने से पहले एक्सचेन्जों को रिज़र्व बैंक से पूर्वानुमति लेनी होगी। 6. ओटीसी बाजार में ब्याज दर डेरिवेटिव - ओटीसी बाजार में ब्याज दर डेरिवेटव लेनदेन निम्नलिखित शर्तों के तहत होंगे: (क) अनुसूचित बैंक, एकल प्राथमिक डीलर (एसपीडी) और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान ओटीसी बाजारों में ब्याज दर डेरिवेटव उत्पादों के लिए मार्केट-मेकर्स के रूप में कार्य करने के पात्र हैं। (ख) मार्केट मेकर्स निम्नलिखित उत्पादों का प्रस्ताव रिटेल प्रयोक्ताओं को कर सकेंगे:
(ग) उक्त (ख) में सूचीबद्ध उत्पादों के अलावा मार्केट मेकर्स उत्तोलित डेरिवेटिव के अलावा स्वैप्शन और संरचनाबद्ध डेरिवेटिव उत्पादों का प्रस्ताव गैर-रिटेल प्रयोक्ताओं को कर सकते हैं। (घ) फेमा, 1999 के तहत प्राधिकृत डीलर श्रेणी- I (एडी कैट- I) लाइसेंस वाले बैंक, और फेमा, 1999 की धारा 10(1) के तहत प्राधिकृत एसपीडी, व्यक्तियों के अलावा गैर-निवासियों को एफसीएस-ओआईएस अनुबंध की पेशकश कर सकते हैं। ऐसी संस्थाएं आपस में एफसीएस-ओआईएस अनुबंधों में लेनदेन भी कर सकती हैं। बैंक ये लेन-देन भारत में अपनी शाखाओं के माध्यम से, अपने अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) बैंकिंग इकाइयों (आईबीयू) के माध्यम से या अपनी विदेशी शाखाओं के माध्यम से कर सकते हैं (भारत में कार्यरत विदेशी बैंकों के मामले में, मूल बैंक की किसी भी शाखा के माध्यम से)। (ङ) किसी प्रयोक्ता को ब्याज दर डेरिवेटव संविदाओं का प्रस्ताव करने के प्रयोजन से मार्केट मेकर्स किसी प्रयोक्ता को ‘रिटेल प्रयोक्ता’ अथवा ‘गैर-रिटेल’ प्रयोक्ता के रूप में वर्गीकृत करेंगे:
(च) मार्केट-मेकर्स यह सुनिश्चित करेंगे कि रिटेल प्रयोक्ताओं द्वारा किए गए लेनदेन (उन ‘गैर-रिटेल’ प्रयोक्ताओं सहित जो ‘रिटेल’ प्रयोक्ता के रूप में वर्गीकृत किया जाना चुनते हैं) अन्तर्निहित ब्याज दर जोखिम की हेजिंग के प्रयोजन से हैं। निवासी ‘गैर-रिटेल’ प्रयोक्ताओं द्वारा हेजिंग और अन्य रूप में दोनों ही प्रकार के अनुमत उत्पादों में लेनदेन कर सकते हैं। (छ) कोई गैर-निवासी निम्नलिखित प्रयोजनों से रुपया ब्याज दर डेरिवेटिव बाज़ार में लेनदेन कर सकता है:
(ज) ओवर दि काउन्टर बाजार में ब्याज दर डेरिवेटव में प्रयुक्त कोई भी परिवर्तनशील ब्याज दर अथवा कीमत अथवा सूचकांक इस प्रयोजन के लिए दी फिक्स्ड इनकम मनी मार्केट एन्ड डेरिवेटिव एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफआईएमएमडीए) द्वारा अनुमोदित अथवा एफबीए द्वारा प्रकाशित बेंचमार्क ही रहेगा। एफआईएमएमडीए यह सुनिश्चित करेगी कि उनके द्वारा अनुमोदित परिवर्तनशील दर का निर्धारण पारदर्शी, वस्तुनिष्ठ और सन्निकट संव्यवहार पर आधारित है। (झ) ब्याज दर डेरिवेटव संव्यवहारों का निपटान द्विपक्षीय रूप से अथवा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा इस प्रयोजन के लिए अनुमोदित समाशोधन व्यवस्था द्वारा किया जाएगा। एफ़सीएस – ओआईएस लेनदेन का निपटान भी प्रतिपक्षकारों द्वारा द्विपक्षीय रूप से तय किए अनुसार ही होगा। (ञ) ब्याज दर डेरिवेटव संव्यवहार के लिए निपटान आधार और बाजार के अन्य सिद्धान्त जहां कहीं संभव हो, बाजार के सहभागियों के साथ परामर्श करके एफआईएमएमडीए द्वारा निर्दिष्ट किए जाएंगे। (ट) ओटीसी बाजार में ब्याज दर डेरिवे लेनदेन के लिए बाजार का समय प्रत्येक कारोबारी दिन सुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक या रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर निर्दिष्ट अनुसार होगा। एक मार्केट मेकर्स तटवर्ती बाज़ार समय के बाद FCS-OIS में लेनदेन कर सकता है। 7. ब्याज दर जोखिम से बचाव के लिए अनिवासियों द्वारा संव्यवहार - (क) कोई अनिवासी अपने ब्याज दर जोखिम से बचाव के लिए मान्यताप्राप्त स्टॉक एक्सचेन्जों में व्यवहृत अथवा ऊपर दिए गए पैराग्राफ 6(ख), 6(ग) और 6(घ) में सूचीबद्ध किसी भी उत्पाद का प्रयोग करते हुए भारत में रुपया ब्याज दर डेरिवेटिव लेनदेन कर सकता है। (ख) मार्केट मेकर्स सुनिश्चित करेंगे कि किसी अनिवासी द्वारा किए गए लेनदेन बचावकारी प्रयोजन से किए जा रहे हैं। इस प्रयोजन से मार्केट मेकर्स द्वारा अनिवासी से कोई भी संगत जानकारी मांगी जा सकती है और अनिवासी का दायित्व होगा कि ऐसी जानकारी प्रदान करे। 8. ब्याज दर जोखिम से बचाव के अलावा अन्य प्रयोजनों के लिए अनिवासियों द्वारा संव्यवहार - (क) व्यक्तियों के अलावा अनिवासियों द्वारा ब्याज दर जोखिम से बचाव के अलावा अन्य प्रयोजनों से निम्नलिखित व्यवस्थाओं के अनुसार एफ़सीएस-ओआईएस में लेनदेन को छोड़कर ओवरनाइट इन्डेक्स्ड स्वैप (ओआईएस) किए जा सकते हैं: i. इन संव्यवहारों को भारत में मार्केट मेकर के साथ सीधे ही या फिर मार्केट मेकर की विदेशी शाखा / मूल / समूह प्रतिष्ठान के माध्यम से ‘बैक-टू-बैक’ व्यवस्था के माध्यम से किया जाए। स्पष्टीकरण – इन निदेशों के प्रयोजन से ‘बैक-टू-बैक’ व्यवस्था का आशय है कि कोई अनिवासी एक मार्केट मेकर के विदेशी काउन्टरपार्ट के साथ लेनदेन करे और फिर वह विदेशी काउन्टरपार्ट, तत्काल ही भारत में उस मार्केट के साथ ऑफ-सेटिंग लेनदेन करे। ii. मार्केट मेकर उक्त पैरा 8(i) में संदर्भित ‘बैक-टू-बैक’ व्यवस्था करेगा, बशर्ते:
(ख) अनिवासी ब्याज दर जोखिम के बचाव के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए एडी कैट-I लाइसेंस वाले बैंकों और फेमा, 1999 की धारा 10(1) के तहत प्राधिकृत एसपीडी के साथ एफसीएस-ओआईएस लेनदेन भी कर सकते हैं। FCS-OIS में गैर-निवासियों द्वारा लेनदेन सीधे इन संस्थाओं के साथ किए जा सकते हैं। एडी कैट- I लाइसेंस वाले बैंकों के साथ लेनदेन उनकी विदेशी शाखाओं या उनके आईबीयू के माध्यम से 'बैक-टू-बैक' व्यवस्था के माध्यम से भी किए जा सकते हैं। स्पष्टीकरण - इन निर्देशों के उद्देश्य के लिए, एक 'बैक-टू-बैक' व्यवस्था का अर्थ है कि एक अनिवासी एक मार्केट मेकर्स की विदेशी शाखा के साथ लेनदेन करता है और फिर वह विदेशी शाखा, तत्काल ही भारत में उस मार्केट मेकर के साथ ऑफ-सेटिंग लेनदेन करे। (ग) ब्याज दर जोखिम से बचाव के अलावा किसी अन्य प्रयोजन के लिए अनिवासियों द्वारा मार्केट मेकर्स के साथ एफ़सीएस – ओआईएस लेनदेन सहित ओआइएस संव्यवहारों पर निम्नलिखित निर्दिष्ट के अनुसार समग्र सीमा लागू होगी:
(घ) विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भी सामूहिक रूप से रिज़र्व बैंक के परिपत्र सं.एफएमआरडी.डीआइआरडी.6/14.03.001/2017-18 दिनांक 01 मार्च, 2018 के अनुसार भारतीय रु.5000 करोड़ की निवल लॉन्ग पोजिशन की सीमा तक ब्याज दर वायदों में लेनदेन कर सकते हैं। 9. अनिवासी यह सुनिश्चित करेगा कि इसके ब्याज दर डेरिवेटिव सौदे भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम 1934 की धारा 45(V) के उपबंधों और साथ ही साथ विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के लागू प्रावधानों तथा इसके तहत जारी नियमों, विनियमों और निदेशों के अनुसरण में हैं। 10. अनिवासियों द्वारा धनप्रेषण/भुगतान- किसी अनिवासी द्वारा ब्याज दर डेरिवेटिव लेनदेन से सम्बंधित एफ़सीएस-ओआईएस को छोड़कर सभी सभी भुगतानों को अनिवासी के रुपया-खाते के माध्मय से भेजा जाए, अथवा, अनिवासी का भारत में रुपया खाता नहीं होने पर भारत में प्राधिकृत डीलर बैंक में रखे हुए वोस्त्रो खाते के माध्यम से भेजा जाए। FCS-OIS लेनदेन से संबंधित सभी भुगतान सामान्य बैंकिंग चैनलों के माध्यम से किए जा सकते हैं। मार्केट मेकर ऐसे लेनदेन का पूरा विवरण रखेंगे। 11. अनिवासी के लिए केवाइसी - मार्केट मेकर्स सुनिश्चित करेंगे कि अनिवासी ग्राहकों का संबंध एफएटीएफ अनुपालनकर्ता देश से हैं। मार्केट मेकर्स यह भी सुनिश्चित करेंगे कि अनिवासी ग्राहकों द्वारा मास्टर निदेश – अपने ग्राहक को जानिए संबंधी निदेश-2016 (डीबीआर.एएमएल.बीसी.सं.81/14.01.001/2015-16) दिनांक 25 फरवरी, 2016, समय-समय पर यथासंशोधित, के अन्तर्गत निर्धारित केवाइसी अपेक्षाओं का अनुपालन किया जाता है। 12. एक्सचेन्जों और ओटीसी बाजार दोनों में ब्याज दर डेरिवेटव के लिए अनुमेय शर्तें - निम्नलिखित शर्तें सभी ब्याज दर डेरिवेटव पर लागू होंगी चाहे इनका कारोबार एक्सचेन्ज पर किया गया हो या फिर ओटीसी मार्केट में: (क) ओटीसी बाजारों में ब्याज दर डेरिवेटव के मार्केट मेकर्स को ‘योग्यता और औचित्यपूर्णता’ की अपेक्षाओं का अनुपालन करना होगा, जिनका उल्लेख रिज़र्व बैंक द्वारा जारी और समय-समय पर यथासंशोधित मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (ओटीसी डेरिवेटिव में मार्केट मेकर्स) निदेश 2021 में किया गया है। एक्सचेन्ज यह सुनिश्चित करेंगे कि एक्सचेन्जों पर सहभागिता करने वाले ग्राहकों को डेरिवेटिव लिखतों से सम्बद्ध जोखिमों से अवगत करा दिया गया है। (ख) ब्याज दर डेरिवेटवों का लेखांकन, मूल्यांकन और पूंजी अपेक्षाएँ आइसीएआइ अथवा अन्य मानक निर्धारक संस्थानों द्वारा निर्धारित अथवा सहभागियों के संबंधित विनियमकों द्वारा यथा निर्दिष्ट अनुमेय लेखांकन मानक और मूल्यांकन विधियों के अनुसार रहेगा। 13. विनियामक रिपोर्टिंग- (1) ओटीसी लेनदेन में मार्केट मेकर्स ग्राहक के सौदों सहित सभी लेनदेन की रिपोर्ट क्लीयरिंग कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लि. की ट्रेड डिपॉजिटरी को लेनदेन होने के 30 मिनट के भीतर रिपोर्ट करेंगे, जिसमें स्पष्ट सूचित किया जाए कि संबंधित सौदा हेजिंग के लिए है अथवा किसी अन्य प्रयोजन से। भारत में मार्केट मेकर्स द्वारा भारत में अपनी शाखाओं के माध्यम से या अपनी विदेशी शाखाओं (भारत में परिचालन करने वाले विदेशी बैंकों के मामले में, मूल बैंक की किसी भी शाखा के माध्यम से) के माध्यम से किए गए सभी एफसीएस-ओआईएस लेनदेन को अगले कारोबारी दिन की दोपहर 12:00 बजे से पहले क्लीयरिंग कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लि. की ट्रेड डिपॉजिटरी को को सूचित किया जाएगा। (2) मार्केट मेकर्स ‘बैक-टू-बैक’ व्यवस्था के तहत ओआइएस संव्यवहारों के लिए अनिवासी ग्राहक के विवरणों सहित सौदे के विवरण की रिपोर्ट सीसीआइएल की ट्रेड डिपॉजिटरी को करेंगे। (3) सभी निवासी प्रयोक्ता जिन की सकल नोशनल बकाया रकम सभी अलग-अलग बेंचमार्कों/कर्वस के लिए सभी बकाया ब्याज दर डेरिवेटव संविदाओं को शामिल करते हुए तिमाही के दौरान किसी भी समय पर रु. 1000 करोड़ हो जाती है, तो वे अपनी जोखिम स्थितियों की जानकारी अनुलग्नक-II में दिए गए प्रपत्र में प्रत्येक तिमाही के अंत में प्रस्तुत करेंगे। यह रिपोर्ट उसी बैंक अथवा एकल प्राथमिक डीलर के माध्यम से भिजवाई जाए जिसके माध्यम से वे डेरिवेटिव लेनदेन करते हैं। (4) रुपया ब्याज दर डेरिवेटिव में हुए संव्यवहारों के कारण होने वाले क्रॉस-बॉर्डर धनप्रेषणों की रिपोर्ट बैंकों द्वारा अनुलग्नक III में दिए गए निर्धारित प्रपत्र में मासिक अंतराल पर रिज़र्व बैंक को दी जाएगी। 14. रिज़र्व बैंक द्वारा पहले जारी किए गए उन परिपत्रों की सूची अनुलग्नक-I में दी गई है, जिन्हें तत्काल प्रभाव से निष्प्रभावी किया और वापस लिया जाता है। हालांकि इन निदेशों के अनुसार की गई संविदाओं पर इन परिपत्रों में निहित निदेश तब तक निरंतर लागू रहेंगे जब तक इन संविदाओं का समापन नहीं हो जाता है। निष्प्रभावी किए गए और वापस लिए गए परिपत्रो की सूची 1. परिपत्र सं.एमपीडी.बीसी.187/07.01.279/1999-2000 दिनांक जुलाई 7, 1999 2. परिपत्र सं.आईडीएमडी.पीडीआरएस.4802(A)/03.64.00/2002-03 दिनांक जून 11, 2003 3. परिपत्र सं.डीबीओडी.बीपी.बीसी.सं.56/21.04.157/2008-09 दिनांक अक्तूबर 13, 2008 4. परिपत्र सं.एफएमडी.एमएसआरजी सं.39/02.04.003/2009-10 दिनांक अगस्त 28, 2009 5. परिपत्र सं.आईडीएमडी.पीडीआरडी.सं.1056/03.64.00/2009-10 दिनांक सितम्बर 1, 2009 6. परिपत्र सं.आईडीएमडी.पीसीडी.28/14.03.01/2010-11 दिनांक मार्च 7, 2011 7. परिपत्र सं.आईडीएमडी.पीसीडी.17/14.03.01/2011-12 दिनांक दिसम्बर 30, 2011 8. परिपत्र सं.आईडीएमडी.पीसीडी.16/14.03.01/2011-12 दिनांक दिसम्बर 30, 2011 9. परिपत्र सं.आईडीएमडी.पीसीडी.2191/14.03.01/2012-13 दिनांक जनवरी 28, 2013 10. परिपत्र सं.आईडीएमडी.पीसीडी.08/14.03.01/2013-14 दिनांक दिसम्बर 5, 2013 11. परिपत्र सं.आईडीएमडी.पीसीडी.09/14.03.01/2013-14 दिनांक दिसम्बर 19, 2013 12. परिपत्र सं.एफएमआरडी.डीआईआरडी.10/14.03.01/2014-15 दिनांक जून 12, 2015 13. परिपत्र सं.एफएमआरडी.डीआईआरडी.10/14.03.01/2016-17 दिनांक अक्तूबर 28, 2016 14. परिपत्र सं.एफएमआरडी.डीआईआरडी.12/14.01.011/2016-17 दिनांक दिसम्बर 29, 2016 15. परिपत्र सं.एफएमआरडी.डीआईआरडी.9/14.01.020/2017-18 दिनांक जून 14, 2018 16. परिपत्र सं.एफएमआरडी.डीआईआरडी.13/14.03.041/2018-19 दिनांक मार्च 27, 2019 ब्याज दर जोखिम पोजिशन की स्थिति के अनुसार......... तिमाही के लिए तारीखको समाप्त ........
माह...... वर्ष ...... के दौरान अनिवासियों द्वारा किए गए रुपया ब्याज दर डेरिवेटिव संव्यहारों से उत्पन्न हुए क्रास-बॉर्डर धनप्रेषण
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