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रुपया ब्‍याज दर डेरिवेटिव (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2019 (08 अगस्त 2022 तक अद्यतित)

आरबीआई/2018-19/222
एफएमआरडी.डीआईआरडी.19/14.03.046/2018-19

26 जून 2019
(08 अगस्त 2022 तक अद्यतित)
(10 फरवरी 2022 तक अद्यतन)

प्रति

रुपया ब्‍याज दर डेरिवेटिव बाजारों के सभी सहभागी

महोदय / महोदया

रुपया ब्‍याज दर डेरिवेटिव (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2019

कृपया ब्‍याज दर डेरिवेटिव निदेशों को औचित्‍यपूर्ण बनाने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक की विकासात्‍मक और विनियामक नीतियों के पैराग्राफ 8 का अवलोकन करें जो 07 फरवरी 2019 को जारी छठी द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्‍तव्‍य के एक भाग के तौर पर जारी किए गए थे

2. इन निदेशों का प्रारूप जनसाधारण के अभिमत हेतु 3 अप्रैल 2019 को जारी किया गया था। बाजार के सहभागियों से प्राप्‍त फीडबैक के आधार पर रुपया ब्‍याज दर डेरिवेटिव (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2019 की समीक्षा की गई और अब इन्‍हें अंतिम रूप दिया गया है। ये निदेश इसके साथ संलग्‍न है।

भवदीय

(डिम्पल भांडिया)
मुख्‍य महाप्रबंधक


वित्‍तीय बाजार विनियमन विभाग
अधिसूचना सं.एफएमआरडी.डीआईआरडी.20/2019 दिनांक 26 जून 2019

रुपया ब्‍याज दर डेरिवेटिव (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2019
(08 अगस्त 2022 तक अद्यतित)
(10 फरवरी 2022 तक अद्यतन)

भारतीय रिज़र्व बैंक (इसके बाद इसे ‘रिज़र्व बैंक’ कहा गया है) ने लोक-हित में इसे जरूरी समझते हुए और देश की वित्‍तीय प्रणाली को लाभदायक रूप से नियंत्रित करने के लिए, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (इसके बाद इसे ‘अधिनियम’ कहा गया है) की धारा 45W के साथ पठित धारा 45U द्वारा प्रदत्‍त और इस संबंध में प्रदत्‍त सभी शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा भारत में ब्‍याज दर डेरिवेटिव में सहभागिता अथवा लेनदेन करने के लिए पात्र अनिवासियों सहित सभी संस्‍थानों के लिए निम्‍नलिखित निदेश जारी किए जाते हैं। एक संदर्भ विदेशी मुद्रा प्रबंध (अनुमत पूंजी खाता लेनदेन) विनियम, 2000 (अधिसूचना सं. FEMA 1 /2000-RB दिनांक 03 मई 2000) एवं विदेशी मुद्रा प्रबंध (ऋण लिखत) विनियम, 2019 (अधिसूचना सं. FEMA 396/2019-RB दिनांक 17 अक्टूबर 2019) समय – समय पर यथासंशोधित पर भी आमंत्रित किया जाता है।

1. इन निदेशों का संक्षिप्‍त शीर्षक, दायरा और प्रवर्तन –

  1. इन निदेशों को ‘रुपया ब्‍याज दर डेरिवेटिव (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2019' कहा जाएगा और ये अनुलग्‍नक-1 में दिए गए अन्‍य सभी निदेशों का अधिक्रमण करेंगे।

  2. ये निदेश इलेक्‍ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्‍लेटफार्मों (ईटीपी) सहित मान्‍यताप्राप्‍त स्‍टॉक एक्‍सचेन्‍जों, और ओवर-दि-काउन्‍टर (ओटीसी) बाजारों में किए गए रुपया ब्‍याज दर डेरिवेटिव लेनदेन के लिए अनुमेय होंगे।

  3. ये निदेश तत्‍काल प्रभाव से लागू होंगे।

2. परिभाषाएं –

  1. बेंचमार्क ब्याज दरों का आशय किसी वित्तीय बेंचमार्क संचालक द्वारा संचालित ब्याज दरों से है।

  2. इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफार्म (ईटीपी) का वही आशय रहेगा जो 05 अक्टूबर 2018 को जारी और समय-समय पर यथासंशोधित इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफार्म (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2018 के पैरा 2(1) (iii) में निर्धारित किया गया है।

  3. यूरोपियन ब्याज दर ऑप्शन का आशय है ब्याज दर विकल्प संविदाएं जिन्हें केवल समापन तारीख को क्रियान्वित किया जा सकता है।

  4. वित्तीय बेंचमार्क संचालक (एफबीए) का आशय ऐसा व्यक्ति जो वित्तीय बेंचमार्क(र्कों) के सृजन, परिचालन और प्रशासन को नियंत्रित करता है।

  5. विदेशी मुद्रा निपटित ओआईएस (एफ़सीएस-ओआईएस) का आशय एक ओआईएस संविदा से है, जिसकी निपटान मुद्रा भारतीय रुपये से इत्तर है।

  6. वायदा दर करार (एफआरए) का आशय ऐसी ब्याज दर संविदा से है, जिसमें किसी नोशनल मूलधन पर, भावी तारीख को, सहमत दरों पर, निश्चित भावी अवधि के लिए ब्याज भुगतानों का विनिमय निहित होता है।

  7. हेजिंग से आशय ऐसे डेरिवेटिव लेनदेन के कार्य से है जो अभिनिर्धारणीय और परिमेय जोखिम को कम करने के लिए किया जाता है। इन निदेशों के प्रयोजन से संबंधित जोखिम का आशय भारत में रुपया ब्याज दर एक्‍सपोजर से है। यह हेजिंग या तो तुलनपत्र स्तर पर या फिर पोर्टफोलियो स्तर पर या व्यक्तिगत आस्ति के स्तर पर या देयता स्तर पर हो सकती है।

  8. ब्याज दर डेरिवेटिव (आईआरडी) का आशय है वित्तीय डेरिवेटिव संविदा जिसका मूल्य किसी एक अथवा अधिक ब्याज दरों, ब्याज दर लिखतों की कीमतों, अथवा ब्याज दर सूचकांकों से निकाला जाता है।

  9. ब्याज दर वायदे (आईआरएफ) का आशय मानकीकृत ब्याज दर डेरिवेटिव संविदाओं से है जिनका संविदा के समय तय कीमत पर कारोबार मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेजों पर कोई नोशनल प्रतिभूति या किसी अन्य ब्याज-धारक लिखतों या ऐसी लिखतों के सूचकांकों या निश्चित भावी तारीख की ब्याज दरों के क्रय अथवा विक्रय के लिए होता है। ब्याज दर वायदों में मुद्रा बाजार वायदे शामिल हैं।

  10. ब्याज दर ऑप्शन (आईआरओ) का आशय ऐसी ऑप्शन संविदा से है जिसका मूल्य रुपया ब्याज दरों अथवा ब्याज दर लिखतों पर आधारित होता है।

  11. ब्याज दर कैप का आशय ब्याज दर कॉल आप्शनों की शृंखला (जिसे कैपलेट कहते हैं) होती है, जिसमें ऑप्शन के क्रेता को प्रत्येक अवधि के बाद भुगतान प्राप्त होता है, यह भुगतान पहले से ही सहमत दर (स्ट्राइक दर) की तुलना में अन्तर्निहित ब्याज दर अधिक होने पर प्राप्त होता है।

  12. ब्याज दर फ्लोर से आशय है ब्याज दर विक्रय विकल्पों की शृंखला, जिसमें विकल्प के क्रेता को प्रत्येक उस अवधि के अंत में तब भुगतान प्राप्त होता है जब अन्तर्निहित ब्याज दर स्ट्राइक दर से कम होती है।

  13. ब्याज दर कोलार ऐसी डेरिवेटिव संविदा है जब बाजार का सहभागी एक साथ ही ब्याज दर कैप खरीदता है और उसी ब्याज दर पर उसी परिपक्वता के लिए और नोशनल-मूलधन पर ब्याज दर फ्लोर का विक्रय भी करता है।

  14. ब्याज दर विपरीत कोलार ऐसी डेरिवेटिव संविदा है जिसमें ब्याज दर फ्लोर की खरीद और उसी ब्याज दर पर उसी परिपक्वता के लिए और नोशनल मूलधन पर ब्याज दर कैप की बिक्री एक साथ करना निहित होता है।

  15. ब्याज दर स्वैप (आईआरएस) ऐसी डेरिवेटिव संविदा है जिसमें किसी निर्दिष्ट अवधि के दौरान नोशनल मूलधन पर सहमत ब्याज भुगतानों की एक स्‍ट्रीम का विनिमय निहित होता है।

  16. ब्याज दर स्वैपेशन का आशय है ब्याज दर स्वैपों का विकल्प। स्वैपेशन से क्रेता को ब्याज दर स्वैप में प्रवेश का अधिकार मिलता है लेकिन दायित्व नहीं।

  17. उत्तोलित डेरिवेटिव एक ऐसी वित्तीय डेरिवेटिव संविदा है जिसका मूल्य, निरपेक्ष रीति से अन्तर्निहित जोखिम [अर्थात, ∆ (डेल्टा) ±1 के दायरे से आगे होता है] में परिवर्तन के सापेक्षतया अधिक बदलता है।

  18. मार्केट मेकर्स द्वारा प्रयोक्ताओं और अन्य मार्कट मेकर्स को नीलामी और प्रस्ताव कीमतें प्रदान की जाती हैं। मार्कट मेकर्स को अंतर्निहित जोखिम की आवश्यकता नहीं है।

  19. मुद्रा बाजार वायदा ऐसे ब्याज दर वायदे है जो किसी अन्य रूपया मूल्यवर्गित मुद्रा बाजार ब्याज दर अथवा मुद्रा बाजार लिखत पर आधारित होते हैं।

  20. अनिवासी एक ऐसा व्यक्ति है जो भारत से बाहर रहता है, जैसा कि विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 2 (w) में परिभाषित है।

  21. गैर-रिटेल प्रयोक्ता में (क) रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित प्रतिष्ठान; (ख) बीमा कम्पनियाँ; (ग) म्यूचुअल फन्ड, पेन्शन फन्ड और अन्य सामूहिक निवेश साधन; (ध) अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाएँ – यथा – एक्जिम बैंक, नाबार्ड, राष्ट्रीय आवास बैंक और भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी); और, (ङ) रुपये 500 करोड़ अथवा अधिक की निवल मालियत वाली कम्पनियाँ/प्रतिष्ठान (च) व्यक्तिगत के अलावा अनिवासी शामिल किए जाएँगे।

  22. ऑप्शन एक ऐसी वित्तीय डेरिवेटिव संविदा है जो क्रेता को किसी आस्ति को किसी पूर्व-निर्धारित कीमत (जिसे स्ट्राइक कीमत के रूप में जाना जाता है) पर निर्धारित तारीख को (समापन तारीख के रूप में जानी जाती है) क्रय (कॉल ऑपशन) अथवा विक्रय (पुट ऑपशन) का अधिकार तो मिलता है लेकिन दायित्व नहीं।

  23. ओवरनाइट इन्‍डेक्‍स्‍ड स्‍वैप (ओआइएस) ब्‍याज दर स्‍वैप है जो कि ओवरनाइट मुम्‍बई इन्‍टरबैंक आउटराइट रेट (माइबोर) बेंचमार्क पर आधारित होता है जिसका प्रकाशन फाइनेन्शियल बेंचमार्क इंडिया प्रा. लि. (एफबीआइएल) द्वारा किया जाता है।

  24. भारत में निवासी व्यक्ति वह है जिसकी परिभाषा विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा (v) मे दी गई है।

  25. मान्यताप्राप्त स्‍टॉक एक्‍सचेन्‍ज का वही अर्थ रहेगा जो प्रतिभूति संविदा विनियमन अधिनियम, 1956 की धारा 2(f) के तहत निर्धारित किया गया है।

  26. विनियमित प्रतिष्ठान का आशय है किसी व्यक्ति या हिन्दू अविभाजित परिवार के अलावा कोई भी ऐसा व्यक्ति, जिसके क्रियाकलापों का विनियमन भारत के विनियामकों – यथा भारतीय रिज़र्व बैंक, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी), भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा), पेन्शन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए), राष्ट्रीय आवास बैंक और राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) में से किसी एक के द्वारा किया जाता है।

  27. सम्बद्ध प्रतिष्ठान वे प्रतिष्ठान जो अन्तरराष्ट्रीय लेखांकन मानक-24 (आईएएस-24) के पैरा-9 के तहत परिभाषित हैं।

  28. रिटेल प्रयोक्ता का आशय गैर-रिटेल प्रयोक्ताओं के अलावा ब्‍याज दर डेरिवेटव बाजारों के सभी पात्र सहभागियों से है।

  29. संरचनाबद्ध डेरिवेटिव एक ऐसी वित्तीय संविदा है जो नकद और / या जेनरिक डेरिवेटिव लिखत का सम्मिश्रण होती है।

  30. प्रयोक्ता का आशय उन सभी प्रतिष्ठानों से जो डेरिवेटिव सौदे करते हैं लेकिन मार्केट-मेकर के रूप में नहीं।

  31. ऐसे शब्दों और अभिव्यक्तियों, जिनका प्रयोग तो किया गया है किंतु इन निदेशों में परिभाषित नहीं किया गया है उनका वह आशय रहेगा जो भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 में निर्धारित किया गया है।

3. पात्र सहभागी -

(1) इन निदेशों में निर्दिष्ट सीमा तक कोई भी भारत में निवासी और कोई भी अनिवासी व्यक्ति, ब्‍याज दर डेरिवेटव में सहभागी होने का पात्र है। सभी विनियमित प्रतिष्ठान अपने-अपने विनियामकों से अनुमति और उनके निबंधनों और शर्तों, यदि हों तो, के अधीन ब्‍याज दर डेरिवेटव में सहभागिता करेंगे।

(2) भारतीय अथवा अनिवासी मूल कम्पनी अथवा कोई समूह कम्पनी अथवा केन्द्रीकृत ट्रेजरी अपनी पूर्ण स्वामित्वाधीन सहायक इकाई अथवा समूह की कम्पनियों की तरफ से ब्‍याज दर डेरिवेटव में लेनदेन कर सकती है बशर्ते वे गैर-रिटेल प्रयोक्ताओं हेतु मानदंडों को पूरा करते हैं।

4. कारोबारी स्थल -

ब्‍याज दर डेरिवेटव संविदाओं का लेन देन या तो (i) मान्यताप्राप्त स्टॉक एक्सचेन्जों (इसके पश्चात एक्सचेजों के रूप में उल्लिखित), या फिर (ii) ओवर-दि-काउन्टर (ओटीसी) पर किया जा सकता है। ओटीसी लेनदेन का आशय उन सभी लेनदेन से है जो मान्यताप्राप्त स्टॉक एक्सचेन्जों के बाहर किए जाते हैं और इनमें इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफार्मों पर किए गए लेनदेन शामिल रहेंगे। इनमें से प्रत्येक कारोबारी स्थल यथा एक्सचेन्जों अथवा ओटीसी बाजारों में ब्‍याज दर डेरिवेटव में क्रियाकलापों को नियंत्रित करने वाले निदेशों को अलग से निर्धारित किया गया है।

5. मान्यताप्राप्त स्टॉक एक्सचेन्जों पर ब्याज दर डेरिवेटिव -

एक्सचेन्जों पर किए गए ब्‍याज दर डेरिवेटव लेनदेनों पर निम्नलिखित निदेश लागू होंगे:

(क) एक्सचेन्जों को किसी भी मानकीकृत ब्याजदर डेरिवेटिव उत्पाद का प्रस्ताव करने की अनुमति है।

(ख) उत्पाद डिजाइन, पात्र सहभागियों और ब्‍याज दर डेरिवेटव उत्पाद के अन्य विवरणों को एक्सचेन्जों द्वारा अंतिम रूप दिया जाता है।

(ग) कोई भी नया ब्‍याज दर डेरिवेटव उत्पाद आरंभ करने से पहले अथवा किसी विद्यमान उत्पाद में कोई संशोधन करने से पहले एक्सचेन्जों को रिज़र्व बैंक से पूर्वानुमति लेनी होगी।

6. ओटीसी बाजार में ब्याज दर डेरिवेटिव -

ओटीसी बाजार में ब्‍याज दर डेरिवेटव लेनदेन निम्नलिखित शर्तों के तहत होंगे:

(क) अनुसूचित बैंक, एकल प्राथमिक डीलर (एसपीडी) और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान ओटीसी बाजारों में ब्‍याज दर डेरिवेटव उत्पादों के लिए मार्केट-मेकर्स के रूप में कार्य करने के पात्र हैं।

(ख) मार्केट मेकर्स निम्नलिखित उत्पादों का प्रस्ताव रिटेल प्रयोक्ताओं को कर सकेंगे:

  1. वायदा दर करार (एफआरए),

  2. ब्याज दर स्वैप (आईआरएस), और

  3. कैप्स, फ्लोर्स, कोलार और रिवर्स कोलार सहित यूरोपियन ब्याज दर आप्शन (आईआरओ)

(ग) उक्त (ख) में सूचीबद्ध उत्पादों के अलावा मार्केट मेकर्स उत्तोलित डेरिवेटिव के अलावा स्वैप्शन और संरचनाबद्ध डेरिवेटिव उत्पादों का प्रस्ताव गैर-रिटेल प्रयोक्ताओं को कर सकते हैं।

(घ) फेमा, 1999 के तहत प्राधिकृत डीलर श्रेणी- I (एडी कैट- I) लाइसेंस वाले बैंक, और फेमा, 1999 की धारा 10(1) के तहत प्राधिकृत एसपीडी, व्यक्तियों के अलावा गैर-निवासियों को एफसीएस-ओआईएस अनुबंध की पेशकश कर सकते हैं। ऐसी संस्थाएं आपस में एफसीएस-ओआईएस अनुबंधों में लेनदेन भी कर सकती हैं। बैंक ये लेन-देन भारत में अपनी शाखाओं के माध्यम से, अपने अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) बैंकिंग इकाइयों (आईबीयू) के माध्यम से या अपनी विदेशी शाखाओं के माध्यम से कर सकते हैं (भारत में कार्यरत विदेशी बैंकों के मामले में, मूल बैंक की किसी भी शाखा के माध्यम से)।

(ङ) किसी प्रयोक्ता को ब्‍याज दर डेरिवेटव संविदाओं का प्रस्ताव करने के प्रयोजन से मार्केट मेकर्स किसी प्रयोक्ता को ‘रिटेल प्रयोक्ता’ अथवा ‘गैर-रिटेल’ प्रयोक्ता के रूप में वर्गीकृत करेंगे:

  1. कोई प्रयोक्ता जो ‘गैर-रिटेल’ प्रयोक्ता के रूप में वर्गीकृत किए जाने के लिए अन्य प्रकार से पात्र है उसे विकल्प रहेगा कि वह मार्केट-मेकर द्वारा ‘रिटेल’ प्रयोक्ता के रूप में वर्गीकृत हो सके।

(च) मार्केट-मेकर्स यह सुनिश्चित करेंगे कि रिटेल प्रयोक्ताओं द्वारा किए गए लेनदेन (उन ‘गैर-रिटेल’ प्रयोक्ताओं सहित जो ‘रिटेल’ प्रयोक्ता के रूप में वर्गीकृत किया जाना चुनते हैं) अन्तर्निहित ब्याज दर जोखिम की हेजिंग के प्रयोजन से हैं। निवासी ‘गैर-रिटेल’ प्रयोक्ताओं द्वारा हेजिंग और अन्य रूप में दोनों ही प्रकार के अनुमत उत्पादों में लेनदेन कर सकते हैं।

(छ) कोई गैर-निवासी निम्नलिखित प्रयोजनों से रुपया ब्याज दर डेरिवेटिव बाज़ार में लेनदेन कर सकता है:

  1. रुपया ब्याज दर जोखिम के प्रति एक्‍सपोजर से बचाव के लिए जैसा कि आगामी पैरा 7 में निर्दिष्ट है; और,

  2. आगामी पैरा 8 में निर्दिष्ट सीमा तक बचाव के अलावा अन्य प्रयोजनों से।

(ज) ओवर दि काउन्‍टर बाजार में ब्‍याज दर डेरिवेटव में प्रयुक्त कोई भी परिवर्तनशील ब्याज दर अथवा कीमत अथवा सूचकांक इस प्रयोजन के लिए दी फिक्स्ड इनकम मनी मार्केट एन्ड डेरिवेटिव एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफआईएमएमडीए) द्वारा अनुमोदित अथवा एफबीए द्वारा प्रकाशित बेंचमार्क ही रहेगा। एफआईएमएमडीए यह सुनिश्चित करेगी कि उनके द्वारा अनुमोदित परिवर्तनशील दर का निर्धारण पारदर्शी, वस्तुनिष्ठ और सन्निकट संव्यवहार पर आधारित है।

(झ) ब्‍याज दर डेरिवेटव संव्यवहारों का निपटान द्विपक्षीय रूप से अथवा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा इस प्रयोजन के लिए अनुमोदित समाशोधन व्यवस्था द्वारा किया जाएगा। एफ़सीएस – ओआईएस लेनदेन का निपटान भी प्रतिपक्षकारों द्वारा द्विपक्षीय रूप से तय किए अनुसार ही होगा।

(ञ) ब्‍याज दर डेरिवेटव संव्यवहार के लिए निपटान आधार और बाजार के अन्य सिद्धान्त जहां कहीं संभव हो, बाजार के सहभागियों के साथ परामर्श करके एफआईएमएमडीए द्वारा निर्दिष्ट किए जाएंगे।

(ट) ओटीसी बाजार में ब्‍याज दर डेरिवे लेनदेन के लिए बाजार का समय प्रत्येक कारोबारी दिन सुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक या रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर निर्दिष्ट अनुसार होगा। एक मार्केट मेकर्स तटवर्ती बाज़ार समय के बाद FCS-OIS में लेनदेन कर सकता है।

7. ब्याज दर जोखिम से बचाव के लिए अनिवासियों द्वारा संव्यवहार -

(क) कोई अनिवासी अपने ब्याज दर जोखिम से बचाव के लिए मान्यताप्राप्त स्टॉक एक्सचेन्जों में व्यवहृत अथवा ऊपर दिए गए पैराग्राफ 6(ख), 6(ग) और 6(घ) में सूचीबद्ध किसी भी उत्पाद का प्रयोग करते हुए भारत में रुपया ब्याज दर डेरिवेटिव लेनदेन कर सकता है।

(ख) मार्केट मेकर्स सुनिश्चित करेंगे कि किसी अनिवासी द्वारा किए गए लेनदेन बचावकारी प्रयोजन से किए जा रहे हैं। इस प्रयोजन से मार्केट मेकर्स द्वारा अनिवासी से कोई भी संगत जानकारी मांगी जा सकती है और अनिवासी का दायित्व होगा कि ऐसी जानकारी प्रदान करे।

8. ब्याज दर जोखिम से बचाव के अलावा अन्य प्रयोजनों के लिए अनिवासियों द्वारा संव्यवहार -

(क) व्यक्तियों के अलावा अनिवासियों द्वारा ब्याज दर जोखिम से बचाव के अलावा अन्य प्रयोजनों से निम्नलिखित व्यवस्थाओं के अनुसार एफ़सीएस-ओआईएस में लेनदेन को छोड़कर ओवरनाइट इन्‍डेक्‍स्‍ड स्वैप (ओआईएस) किए जा सकते हैं:

i. इन संव्यवहारों को भारत में मार्केट मेकर के साथ सीधे ही या फिर मार्केट मेकर की विदेशी शाखा / मूल / समूह प्रतिष्ठान के माध्यम से ‘बैक-टू-बैक’ व्यवस्था के माध्यम से किया जाए।

स्पष्टीकरण – इन निदेशों के प्रयोजन से ‘बैक-टू-बैक’ व्यवस्था का आशय है कि कोई अनिवासी एक मार्केट मेकर के विदेशी काउन्टरपार्ट के साथ लेनदेन करे और फिर वह विदेशी काउन्टरपार्ट, तत्काल ही भारत में उस मार्केट के साथ ऑफ-सेटिंग लेनदेन करे।

ii. मार्केट मेकर उक्त पैरा 8(i) में संदर्भित ‘बैक-टू-बैक’ व्यवस्था करेगा, बशर्ते:

  1. उस मार्केट मेकर से सम्बद्ध प्रतिष्ठानों के वैश्विक स्तर पर किए गए सभी रुपया ब्याज दर डेरिवेटिव लेनदेन संबंधित मार्केट मेकर की बहियों में दर्ज किए जाते हों। दूसरे शब्दों में कहें तो उस मार्केट मेकर का कोई भी सम्बद्ध प्रतिष्ठान ‘बैक-टू-बैक’ व्यवस्था के अलावा रुपया ब्याज दर डेरिवेटिव में संव्यवहार नहीं करेगा।

  2. उक्त पैरा 7 में शामिल मार्केट-मेकर से सम्बद्ध विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के रुपया ब्याज दर डेरिवेटिव संव्यवहारों को उक्त पैरा 8(क)(ii)(I) की अपेक्षाओं से रियायत रहेगी।

(ख) अनिवासी ब्याज दर जोखिम के बचाव के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए एडी कैट-I लाइसेंस वाले बैंकों और फेमा, 1999 की धारा 10(1) के तहत प्राधिकृत एसपीडी के साथ एफसीएस-ओआईएस लेनदेन भी कर सकते हैं। FCS-OIS में गैर-निवासियों द्वारा लेनदेन सीधे इन संस्थाओं के साथ किए जा सकते हैं। एडी कैट- I लाइसेंस वाले बैंकों के साथ लेनदेन उनकी विदेशी शाखाओं या उनके आईबीयू के माध्यम से 'बैक-टू-बैक' व्यवस्था के माध्यम से भी किए जा सकते हैं।

स्पष्टीकरण - इन निर्देशों के उद्देश्य के लिए, एक 'बैक-टू-बैक' व्यवस्था का अर्थ है कि एक अनिवासी एक मार्केट मेकर्स की विदेशी शाखा के साथ लेनदेन करता है और फिर वह विदेशी शाखा, तत्काल ही भारत में उस मार्केट मेकर के साथ ऑफ-सेटिंग लेनदेन करे।

(ग) ब्याज दर जोखिम से बचाव के अलावा किसी अन्य प्रयोजन के लिए अनिवासियों द्वारा मार्केट मेकर्स के साथ एफ़सीएस – ओआईएस लेनदेन सहित ओआइएस संव्यवहारों पर निम्नलिखित निर्दिष्ट के अनुसार समग्र सीमा लागू होगी:

  1. सभी अनिवासियों द्वारा किए गए एफ़सीएस ओआईएस पोजीशनों सहित ओआइएस पोजिशनों की सम्पूर्ण बकाया के आधार अंक का कीमत मान (पीवीबीपी) भारतीय रु. 350 करोड़ की रकम से अधिक नहीं होगा (पीवीबीपी कैप)।

    स्पष्टीकरण – पीवीबीपी कैप की संगणना में प्रत्येक अनिवासी की पीवीबीपी का सकल योग, गणितिय संकेतों की उपेक्षा करते हुए, लिया जाएगा।

  2. पीवीबीपी कैप तक पहुँचने के बाद अनिवासियों द्वारा आगामी ओआइएस/एफ़सीएस-ओआईएस संव्यवहारों को हेजिंग के अलावा किसी अन्य प्रयोजन से नहीं किया जाएगा।

  3. पीवीबीपी की संगणना पद्धति का प्रकाशन क्लीयरिंग कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लि. करेगा और दैनिक आधार पर पीवीबीपी सीमा के प्रयोग की निगरानी व प्रकाशन करेगा।

(घ) विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भी सामूहिक रूप से रिज़र्व बैंक के परिपत्र सं.एफएमआरडी.डीआइआरडी.6/14.03.001/2017-18 दिनांक 01 मार्च, 2018 के अनुसार भारतीय रु.5000 करोड़ की निवल लॉन्ग पोजिशन की सीमा तक ब्याज दर वायदों में लेनदेन कर सकते हैं।

9. अनिवासी यह सुनिश्चित करेगा कि इसके ब्याज दर डेरिवेटिव सौदे भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम 1934 की धारा 45(V) के उपबंधों और साथ ही साथ विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के लागू प्रावधानों तथा इसके तहत जारी नियमों, विनियमों और निदेशों के अनुसरण में हैं।

10. अनिवासियों द्वारा धनप्रेषण/भुगतान-

किसी अनिवासी द्वारा ब्याज दर डेरिवेटिव लेनदेन से सम्बंधित एफ़सीएस-ओआईएस को छोड़कर सभी सभी भुगतानों को अनिवासी के रुपया-खाते के माध्मय से भेजा जाए, अथवा, अनिवासी का भारत में रुपया खाता नहीं होने पर भारत में प्राधिकृत डीलर बैंक में रखे हुए वोस्त्रो खाते के माध्यम से भेजा जाए। FCS-OIS लेनदेन से संबंधित सभी भुगतान सामान्य बैंकिंग चैनलों के माध्यम से किए जा सकते हैं। मार्केट मेकर ऐसे लेनदेन का पूरा विवरण रखेंगे।

11. अनिवासी के लिए केवाइसी -

मार्केट मेकर्स सुनिश्चित करेंगे कि अनिवासी ग्राहकों का संबंध एफएटीएफ अनुपालनकर्ता देश से हैं। मार्केट मेकर्स यह भी सुनिश्चित करेंगे कि अनिवासी ग्राहकों द्वारा मास्टर निदेश – अपने ग्राहक को जानिए संबंधी निदेश-2016 (डीबीआर.एएमएल.बीसी.सं.81/14.01.001/2015-16) दिनांक 25 फरवरी, 2016, समय-समय पर यथासंशोधित, के अन्तर्गत निर्धारित केवाइसी अपेक्षाओं का अनुपालन किया जाता है।

12. एक्सचेन्जों और ओटीसी बाजार दोनों में ब्‍याज दर डेरिवेटव के लिए अनुमेय शर्तें -

निम्नलिखित शर्तें सभी ब्‍याज दर डेरिवेटव पर लागू होंगी चाहे इनका कारोबार एक्सचेन्ज पर किया गया हो या फिर ओटीसी मार्केट में:

(क) ओटीसी बाजारों में ब्‍याज दर डेरिवेटव के मार्केट मेकर्स को ‘योग्यता और औचित्यपूर्णता’ की अपेक्षाओं का अनुपालन करना होगा, जिनका उल्लेख रिज़र्व बैंक द्वारा जारी और समय-समय पर यथासंशोधित मास्टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (ओटीसी डेरिवेटिव में मार्केट मेकर्स) निदेश 2021 में किया गया है। एक्सचेन्ज यह सुनिश्चित करेंगे कि एक्सचेन्जों पर सहभागिता करने वाले ग्राहकों को डेरिवेटिव लिखतों से सम्बद्ध जोखिमों से अवगत करा दिया गया है।

(ख) ब्‍याज दर डेरिवेटवों का लेखांकन, मूल्यांकन और पूंजी अपेक्षाएँ आइसीएआइ अथवा अन्य मानक निर्धारक संस्थानों द्वारा निर्धारित अथवा सहभागियों के संबंधित विनियमकों द्वारा यथा निर्दिष्ट अनुमेय लेखांकन मानक और मूल्यांकन विधियों के अनुसार रहेगा।

13. विनियामक रिपोर्टिंग-

(1) ओटीसी लेनदेन में मार्केट मेकर्स ग्राहक के सौदों सहित सभी लेनदेन की रिपोर्ट क्लीयरिंग कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लि. की ट्रेड डिपॉजिटरी को लेनदेन होने के 30 मिनट के भीतर रिपोर्ट करेंगे, जिसमें स्पष्ट सूचित किया जाए कि संबंधित सौदा हेजिंग के लिए है अथवा किसी अन्य प्रयोजन से। भारत में मार्केट मेकर्स द्वारा भारत में अपनी शाखाओं के माध्यम से या अपनी विदेशी शाखाओं (भारत में परिचालन करने वाले विदेशी बैंकों के मामले में, मूल बैंक की किसी भी शाखा के माध्यम से) के माध्यम से किए गए सभी एफसीएस-ओआईएस लेनदेन को अगले कारोबारी दिन की दोपहर 12:00 बजे से पहले क्लीयरिंग कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लि. की ट्रेड डिपॉजिटरी को को सूचित किया जाएगा।

(2) मार्केट मेकर्स ‘बैक-टू-बैक’ व्यवस्था के तहत ओआइएस संव्यवहारों के लिए अनिवासी ग्राहक के विवरणों सहित सौदे के विवरण की रिपोर्ट सीसीआइएल की ट्रेड डिपॉजिटरी को करेंगे।

(3) सभी निवासी प्रयोक्ता जिन की सकल नोशनल बकाया रकम सभी अलग-अलग बेंचमार्कों/कर्वस के लिए सभी बकाया ब्‍याज दर डेरिवेटव संविदाओं को शामिल करते हुए तिमाही के दौरान किसी भी समय पर रु. 1000 करोड़ हो जाती है, तो वे अपनी जोखिम स्थितियों की जानकारी अनुलग्‍नक-II में दिए गए प्रपत्र में प्रत्येक तिमाही के अंत में प्रस्तुत करेंगे। यह रिपोर्ट उसी बैंक अथवा एकल प्राथमिक डीलर के माध्यम से भिजवाई जाए जिसके माध्यम से वे डेरिवेटिव लेनदेन करते हैं।

(4) रुपया ब्‍याज दर डेरिवेटिव में हुए संव्‍यवहारों के कारण होने वाले क्रॉस-बॉर्डर धनप्रेषणों की रिपोर्ट बैंकों द्वारा अनुलग्‍नक III में दिए गए निर्धारित प्रपत्र में मासिक अंतराल पर रिज़र्व बैंक को दी जाएगी।

14. रिज़र्व बैंक द्वारा पहले जारी किए गए उन परिपत्रों की सूची अनुलग्‍नक-I में दी गई है, जिन्‍हें तत्‍काल प्रभाव से निष्‍प्रभावी किया और वापस लिया जाता है। हालांकि इन निदेशों के अनुसार की गई संविदाओं पर इन परिपत्रों में निहित निदेश तब तक निरंतर लागू रहेंगे जब तक इन संविदाओं का समापन नहीं हो जाता है।


अनुलग्‍नक I

निष्‍प्रभावी किए गए और वापस लिए गए परिपत्रो की सूची

1. परिपत्र सं.एमपीडी.बीसी.187/07.01.279/1999-2000 दिनांक जुलाई 7, 1999

2. परिपत्र सं.आईडीएमडी.पीडीआरएस.4802(A)/03.64.00/2002-03 दिनांक जून 11, 2003

3. परिपत्र सं.डीबीओडी.बीपी.बीसी.सं.56/21.04.157/2008-09 दिनांक अक्‍तूबर 13, 2008

4. परिपत्र सं.एफएमडी.एमएसआरजी सं.39/02.04.003/2009-10 दिनांक अगस्‍त 28, 2009

5. परिपत्र सं.आईडीएमडी.पीडीआरडी.सं.1056/03.64.00/2009-10 दिनांक सितम्‍बर 1, 2009

6. परिपत्र सं.आईडीएमडी.पीसीडी.28/14.03.01/2010-11 दिनांक मार्च 7, 2011

7. परिपत्र सं.आईडीएमडी.पीसीडी.17/14.03.01/2011-12 दिनांक दिसम्‍बर 30, 2011

8. परिपत्र सं.आईडीएमडी.पीसीडी.16/14.03.01/2011-12 दिनांक दिसम्‍बर 30, 2011

9. परिपत्र सं.आईडीएमडी.पीसीडी.2191/14.03.01/2012-13 दिनांक जनवरी 28, 2013

10. परिपत्र सं.आईडीएमडी.पीसीडी.08/14.03.01/2013-14 दिनांक दिसम्‍बर 5, 2013

11. परिपत्र सं.आईडीएमडी.पीसीडी.09/14.03.01/2013-14 दिनांक दिसम्‍बर 19, 2013

12. परिपत्र सं.एफएमआरडी.डीआईआरडी.10/14.03.01/2014-15 दिनांक जून 12, 2015

13. परिपत्र सं.एफएमआरडी.डीआईआरडी.10/14.03.01/2016-17 दिनांक अक्‍तूबर 28, 2016

14. परिपत्र सं.एफएमआरडी.डीआईआरडी.12/14.01.011/2016-17 दिनांक दिसम्‍बर 29, 2016

15. परिपत्र सं.एफएमआरडी.डीआईआरडी.9/14.01.020/2017-18 दिनांक जून 14, 2018

16. परिपत्र सं.एफएमआरडी.डीआईआरडी.13/14.03.041/2018-19 दिनांक मार्च 27, 2019


अनुलग्‍नक II

ब्‍याज दर जोखिम पोजिशन की स्थिति के अनुसार......... तिमाही के लिए तारीखको समाप्‍त ........

बाजार खंड आधार अंक का कीमत मान (पीवीबीपी)
तिमाही आरंभ तिमाही के दौरान तिमाही अंत
उच्‍त न्‍यून औसत
(i) ब्‍याज दर डेरिवेटिव          
(ii) रुपया ब्‍याज दर के प्रति संवेदनशील प्रतिभूतियों में निवेश          
जोड़          

अनुलग्‍नक III

माह...... वर्ष ...... के दौरान अनिवासियों द्वारा किए गए रुपया ब्‍याज दर डेरिवेटिव संव्‍यहारों से उत्‍पन्‍न हुए क्रास-बॉर्डर धनप्रेषण

 

आगामी धनप्रेषण
(आईएनआर में)
निर्गामी धनप्रेषण
(आईएनआर में)
हेजिंग के लिए    
हेजिंग के अलावा अन्‍य प्रयोजनों हेतु    

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