मास्टर परिपत्र – दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई - एनआरएलएम) - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर परिपत्र – दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई - एनआरएलएम)
भा.रि.बैंक/2020-21/39 18 सितंबर 2020 अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदया / महोदय, मास्टर परिपत्र – दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई - एनआरएलएम) कृपया दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई - एनआरएलएम) पर दिनांक 26 नवंबर 2019 के मास्टर परिपत्र विसविवि.जीएसएसडी.केंका.बीसी.सं.15/09.01.01/2019-20, का संदर्भ ग्रहण करें। इस मास्टर परिपत्र में डीएवाई – एनआरएलएम योजना पर 18 सितंबर 2020 तक जारी किए गए संशोधनों, जो परिशिष्ट में सूचीबद्ध है, को समाहित करते हुये इसे उपयुक्त रूप से अद्यतन किया गया है तथा इसे वेबसाइट (https://www.rbi.org.in) पर भी उपलब्ध कराया गया है। भवदीया, (सोनाली सेन गुप्ता) दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई - एनआरएलएम) 1. पृष्ठभूमि ग्रामीण विकास मंत्रालय (एमओआरडी), भारत सरकार ने 1 अप्रैल 2013 से स्वर्णजयंती ग्राम स्वरोजगार योजना (एसजीएसवाई) की पुनर्संरचना करते हुए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) की शुरुआत की (रिज़र्व बैंक परिपत्र सं.आरबीआई/2012-13/559, दिनांक – 27 जून 2013)। दिनांक 29 मार्च 2016 से एनआरएलएम का नाम बदलकर डीएवाई - एनआरएलएम (दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन) कर दिया गया। डीएवाई – एनआरएलएम, भारत सरकार का गरीबों, विशेष रूप से महिलाओं की सशक्त संस्थाओं के निर्माण के माध्यम से गरीबी कम करने को बढ़ावा देने, और कई वित्तीय और आजीविका सेवाओं का उपयोग कर पाने के लिए इन संस्थाओं को सक्षम बनाने संबंधी प्रमुख कार्यक्रम है। डीएवाई - एनआरएलएम में राज्यों को अपने राज्यों की विशिष्ट गरीबी निर्मूलनकार्य योजना तैयार करने के लिए सक्षम बनाने के लिए एक मांग आधारित दृष्टिकोण अपनाया जाता है। ऐसे ब्लॉक और जिले गहन ब्लॉक और जिले होंगे जिनमें डीएवाई - एनआरएलएम के सभी घटकों को चाहे एसआरएलएम या साझेदारी संस्थाओं या गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से कार्यान्वित किया जाएगा, जबकि शेष अ-गहन ब्लॉक और जिले होंगे। डीएवाई - एनआरएलएम की मुख्य विशेषताएं अनुबंध I में दी गई हैं। 2. महिला स्वयं सहायता समूह और उनके फेडरेशन 2.1 डीएवाई - एनआरएलएम के तहत महिला स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) 10-20 व्यक्तियों का होता है। विशेष एसएचजी जैसे दुर्गम क्षेत्रों, विकलांग व्यक्ति युक्त समूहों और दूरस्थ आदिवासी क्षेत्रों में बने समूहों के मामले में यह संख्या न्यूनतम 5 व्यक्तियों की हो सकती है। 2.2 डीएवाई - एनआरएलएम में समानता आधारित महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को बढ़ावा दिया जाएगा। 2.3 केवल विकलांग व्यक्तियों और अन्य विशेष श्रेणियों जैसे बुजुर्गों, ट्रान्सजेंडर के साथ गठित समूहों के लिए डीएवाई -एनआरएलएम में स्वयं सहायता समूहों में पुरुष और महिलाएं दोनों होंगे। 2.4 एसएचजी एक अनौपचारिक समूह होता है और दिनांक 24 जुलाई 1991 का परिपत्र ग्राआऋवि.सं.प्लान बीसी.13/पीएल-09.22/90-91 के अनुसार इसके लिए किसी सोसायटी अधिनियम, राज्य सहकारी अधिनियम या एक साझेदारी फर्म के अंतर्गत पंजीकरण अनिवार्य नहीं है। हालांकि, गांव, ग्राम पंचायत, क्लस्टर या उच्च स्तर पर गठित स्वयं सहायता समूहों के फेडरेशनों को उनके अपने-अपने राज्य में प्रचलित उचित अधिनियमों के तहत पंजीकृत किया जाना चाहिए। स्वयं सहायता समूहों को वित्तीय सहायता 3. परिक्रामी (रिवाल्विंग) फंड : डीएवाई – एनआरएलएम, एमओआरडी, 3/6 महीने की एक न्यूनतम अवधि के लिए अस्तित्व में रहने वाले और एक अच्छी एसएचजी के मानदंडों अर्थात् ‘पंचसूत्रों’ - नियमित बैठकें करना, नियमित बचत करना, नियमित रूप से आंतरिक उधार देना, नियमित रूप से वसूली करना और खाता बहियों का उचितरखरखाव करना, का पालन करनेवाले स्वयं सहायता समूहों को परिक्रामीनिधि (आरएफ) का समर्थन प्रदान करेगा। केवल ऐसे स्वयं सहायता समूहों, जिन्हें पहले कोई आरएफ प्राप्त नहीं हुआ है, को ही प्रति एसएचजी, कोष के रूप में, न्यूनतम ₹10,000 और अधिकतम ₹15,000 तक आरएफ प्रदान किया जाएगा। आरएफ का उद्देश्य उनकी संस्थागत और वित्तीय प्रबंधन क्षमता को मजबूत बनाना और समूह के भीतर एक अच्छी साख इतिहास का निर्माण करना है। 4. डीएवाई - एनआरएलएम के तहत पूंजी सब्सिडी को बंद कर दिया गया है : किसी भी स्वयं सहायता समूह को डीएवाई - एनआरएलएम के कार्यान्वयन की तारीख से कोई पूंजी सब्सिडी स्वीकृत नहीं की जाएगी। 5. सामुदायिक निवेश समर्थन कोष (सीआईएफ) डीएवाई - एनआरएलएम के अंतर्गत सभी ब्लॉकों (गहन और अ-गहन) में प्रवर्तित एसएचजी को एमओआरडी द्वारा सीआईएफ उपलब्ध कराया जाएगा तथा ग्राम स्तर / क्लस्टर स्तर के फेडरेशनों द्वारा प्रदान किया जाएगा एवं फेडरेशनों द्वारा निरंतरता को बनाए रखा जाएगा। फेडरेशनों द्वारा उक्त सीआईएफ को स्वयं सहायता समूहों को ऋण प्रदान करने के लिए और / या सामान्य / सामूहिक सामाजिक - आर्थिक गतिविधियां करने के लिए उपयोग में लाएगा। 6. ब्याज सबवेंशन लागू करना : महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों द्वारा बैंकों / वित्तीय संस्थाओं से लिए जानेवाले सभी क्रेडिट पर प्रति एसएचजी अधिकतम ₹3,00,000 के लिए बैंकों की उधार दर और 7 प्रतिशत के बीच के अंतर को कवर करने के लिए डीएवाई - एनआरएलएम में ब्याज दर सबवेंशन का प्रावधान है। देश भर में यह दो प्रकारों में उपलब्ध होगा: i. पहचान किए गए 250 जिलों में बैंक महिला स्वयं सहायता समूहों को ₹3,00,000/- तक की सकल ऋण राशि तक 7 प्रतिशत की दर पर उधार देंगे। बैंकों को भारित औसत ब्याज दर (WAIC) और 7% के बीच के अंतर की सीमा के अंतर्गत, 5.5% की अधिकतम सीमा के अधीन, सबवेंशन प्राप्त होगा। स्वयं सहायता समूहों को शीघ्र चुकौती करने पर 3 प्रतिशत का अतिरिक्त ब्याज सबवेंशन भी प्राप्त होगा जिससे ब्याज की प्रभावी दर घटकर 4 प्रतिशत हो जाएगी। ii. शेष जिलों में, बैंक, एसएचजी पर लागू अपनी संबंधित उधार दर पर उधार देंगे। इन जिलों में, सभी महिला एसएचजी डीएवाई-एनआरएलएम के अंतर्गत शीघ्र चुकौती करने पर ब्याज सबवेंशन के लिए पात्र होंगे। रु.300,000/- तक के ऋणों के लिए बैंक उधार दरों और 7% के बीच के अंतर, 5.5% की अधिकतम सीमा के अधीन, को एसआरएलएम द्वारा सीधे एसएचजी के ऋण खातों में सबवेंशन दिया जाएगा। योजना के इस भाग का परिचालन एसआरएलएम द्वारा किया जाएगा।
7. बैंकों की भूमिका : 7.1 बचत खाते खोलना : 7.1.1. एसएचजी के बचत खाते खोलना : बैंकों की भूमिका सभी महिला स्वयं सहायता समूहों सहित दिव्यांग व्यक्तियों एवं एसएचजी के फेडरेशनों के लिए खाते खोलने के साथ शुरू हो जाएगी। अपने सदस्यों के बीच बचत आदतों को बढ़ावा देने में लगे एसएचजी बचत बैंक खाते खोलने के पात्र होंगे। (i) बचत बैंक खाते खोलने के लिए केवल कार्यालय पदधारियों का ‘अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)’ सत्यापन ही पर्याप्त होगा। (ii) बैंकों को खाता खोलते या लेनदेन करते समय एसएचजी के स्थायी खाता संख्या (पैन) पर जोर नहीं देना चाहिए और आवश्यकतानुसार फॉर्म सं.60 में घोषणा स्वीकार करनी चाहिए। (iii) खाते खोलने के दौरान एसएचजी सदस्यों से संबंधित केवाईसी सत्यापन के लिए, `ग्राहक संबंधी समुचित सावधानी' (सीडीडी) प्रक्रिया को पूरा करने के दौरान बैंकिंग विनियमन विभाग द्वारा केवाईसी पर जारी मास्टर निदेश, (दिनांक 25 फरवरी 2016, 20 अप्रैल 2020 तक अद्यतन) (भाग VI -पैरा 43), में दिए गए निर्देशों का पालन किया जाए। सीडीडी का तात्पर्य ग्राहक और लाभार्थी की पहचान तथा उसकी पुष्टि करना है। तदनुसार, स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के लिए सरलीकृत मानदंड के तहत वर्तमान निर्देश में उल्लेखित है कि एसएचजी के बचत बैंक खाते को खोलने के दौरान एसएचजी के सभी सदस्यों के ग्राहक संबंधी समुचित सावधानी (सीडीडी), जैसा कि उक्त निदेश में उल्लेखित है, आवश्यक नहीं है अपितु सभी पदधारियों की सीडीडी ही पर्याप्त होगी। एसएचजी की क्रेडिट लिंकिंग के समय, बैंक एसएचजी के सभी सदस्यों का केवाईसी सत्यापन कर सकते हैं। तथापि, बैंक के साथ सभी सदस्यों के बचत खाते खोलना, एसएचजी के क्रेडिट लिंकेज हेतु एक शर्त न बनाया जाए। बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे स्वयं सहायता समूहों के लिए बचत और ऋण खातों का रख-रखाव अलग-अलग करें। (iv) व्यवसाय प्रतिनिधियों से संबंधित वर्तमान दिशा-निर्देशों के अनुपालन तथा व्यवसाय प्रतिनिधियों पर बैंक के बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति के अनुसार बैंकों द्वारा तैनात व्यवसाय प्रतिनिधियों को भी आधार शाखा से सत्यापन / अनुमोदन के उपरांत एसएचजी के बचत बैंक खाते खोलने हेतु प्राधिकृत किया जा सकता है। हालांकि, बीसी मॉडल के तहत केवाईसी और एएमएल मानदंडों के अनुपालन को सुनिश्चित करना बैंकों की जिम्मेदारी होगी। 7.1.2. एसएचजी के फेडरेशन के बचत खाते खोलना : बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे एसएचजी के फेडरेशन के बचत खाते गांव, ग्राम पंचायत, क्लस्टर या उच्च स्तर पर खोलें। इन खातों को ‘व्यक्तियों का संगठन’ हेतु बचत खातों के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। ऐसे खातों के हस्ताक्षरकर्ताओं हेतु भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर निर्दिष्ट किए गए 'अपने ग्राहक को जानिए' (केवाईसी) संबंधी मानदंड लागू होंगे। 7.1.3. उत्पादक समूहों (पीजी) का चालू खाता खोलना : बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे गांव, ग्राम पंचायत, क्लस्टर या उच्च स्तर पर डीएवाई-एनआरएलएम के तहत प्रवर्तित उत्पादक समूहों के उपज हेतु सामूहिक उत्पादन और विपणन को सुविधाजनक बनाने के लिए उत्पादक समूहों का चालू खाता खोलें। ऐसे खातों के हस्ताक्षरकर्ताओं हेतु भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर निर्दिष्ट किए गए 'अपने ग्राहक को जानिए' (केवाईसी) संबंधी मानदंड लागू होंगे। 7.1.4. एसएचजी केफेडरेशन और एसएचजी के बचत खातों/ नकदी ऋण खातों में लेन-देन : एसएचजी और उनके फेडरेशनों को नियमित आधार पर अपने संबंधित बचत खातों/ नकदी ऋण खातों के माध्यम से लेन-देन करने हेतु प्रोत्साहित किया जाए। इसे सुगम बनाने के लिए, बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे व्यवसाय प्रतिनिधियों द्वारा संचालित रिटेल आउटलेट पर ‘इंटर ओपेरेबल फेसिलिटी’ के साथ एसएचजी और उसके फेडरेशनों द्वारा संयुक्त रूप से संचालित बचत खातों / नकदी ऋण खातों में लेन-देन को सक्षम बनाए। बैंकों को यह भी सूचित किया जाता है कि वे अपने बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीतियों के अनुसार व्यवसाय प्रतिनिधियों के माध्यम से स्वयं सहायता समूहों और उनके फेडरेशनों को ऐसी सभी सेवाएँ मुहैया कराएं। 7.2 व्यक्तिगत एसएचजी सदस्यों और एसएचजी को उधार संबंधी मानदंड : 7.2.1 ऋण का लाभ उठाने हेतु स्वयं सहायता समूहों के लिए पात्रता मानदंड
7.2.2. ऋण आवेदन : यह सूचित किया जाता है कि एसएचजी को क्रेडिट सुविधा प्रदान करने हेतु सभी बैंकों को भारतीय बैंक संघ (आईबीए) द्वारा अनुशंसित सामान्य ऋण आवेदन प्रारूप का उपयोग करना चाहिए। 7.2.3. ऋण राशि : डीएवाई - एनआरएलएम के तहत कई बार सहायता प्रदान किए जाने पर बल दिया जाता है। इससे आशय है कि एसएचजी को चिरस्थाई आजीविका शुरू करने और जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए अधिक मात्रा में ऋण पाने में सक्षम बनाने हेतु बार-बार सहायता प्रदान करते हुए उसकी एक समयावधि तक मदद करना। एसएचजी आवश्यकताओं के आधार पर या तो मीयादी ऋण (टीएल) या नकदी ऋण सीमा (सीसीएल) या दोनों प्राप्त कर सकते हैं। आवश्यकता के समय, एसएचजी के चुकौती व्यवहार और निष्पादन के आधार पर पहले से बकाया ऋण होने के बावजूद भी अतिरिक्त ऋण स्वीकृत किया जा सकता है। विभिन्न सुविधाओं के अंतर्गत क्रेडिट की राशि निम्नानुसार होनी चाहिए : नकदी ऋण सीमा (सीसीएल): सीसीएल के मामले में, बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे प्रत्येक पात्र एसएचजी को वार्षिक ड्राईंग पावर (Drawing power) के साथ 3 वर्ष की अवधि हेतु रु 6 लाख की न्यूनतम ऋण स्वीकृत करेंगे। एसएचजी के चुकौती निष्पादन के आधार पर ड्राईंग पावर को वार्षिक तौर पर बढ़ाया जा सकता है। ड्राईंग पावर की गणना निम्नानुसार की जा सकती है:-
मीयादी ऋण : मीयादी ऋण के मामले में, बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे ऋण राशि की स्वीकृति मात्राओं में निम्नानुसार करेंगे:-
बैंक यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक उपाय करें कि पात्र एसएचजी को दुबारा ऋण (repeat loan) प्रदान किया जा सके। बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे एसएचजी के ऋण आवेदन को ऑनलाइन प्रस्तुत करने तथा आवेदन का समय से निपटान तथा निगरानी करने हेतु ‘डीएवाई-एनआरएलएम’ के साथ कार्य करते हुए एक प्रणाली की व्यवस्था करें। (मूल निधि में उस एसएचजी द्वारा प्राप्त परिक्रामी निधि, यदि कोई हो, अपने स्वयं की बचत और एसएचजी द्वारा अपने सदस्यों को दिए गए ऋण पर अर्जित ब्याज, अन्य स्रोतों से प्राप्त आय तथा अन्य संस्थानों / गैर सरकारी संगठनों द्वारा बढ़ावा दिए जाने के मामले में अन्य स्रोतों से प्राप्त राशि शामिल है।) 7.3 ऋण का उद्देश्य और चुकौती : 7.3.1 एसएचजी द्वारा तैयार किए गए माइक्रो क्रेडिट प्लान (एमसीपी) के आधार पर सदस्यों के मध्य ऋण राशि वितरित की जाएगी। सदस्यों द्वारा ऋण का उपयोग, सामाजिक आवश्यकताओं की पूर्ति, उच्च लागत वाले कर्ज की अदला-बदली, मकान की मरम्मत या निर्माण, शौचालय का निर्माण तथा एसएचजी के भीतर व्यक्तिगत सदस्यों द्वारा व्यवहार्य आजीविका प्राप्त करने या एसएचजी द्वारा शुरू किए गए किसी सामूहिक व्यवहार्य गतिविधि हेतु, किया जा सकता है। 7.3.2 एसएचजी सदस्यों की आजीविका को बढ़ाने की दृष्टि से ऋण के उपयोग को सुगम बनाने हेतु, यह सूचित किया जाता है कि ₹2 लाख से ऊपर के ऋण का कम से कम 50%, ₹4 लाख से ऊपर के ऋण का 75% और ₹6 लाख से ऊपर के ऋण का 85% का उपयोग मुख्य रूप से आय सृजन करने वाले उत्पादक उद्देश्यों के लिए किए जाएँ। एसएचजी द्वारा तैयार माइक्रो क्रेडिट प्लान (एमसीपी) ऋण के उद्देश्य और उपयोग को निर्धारित करने के लिए आधार तैयार करेगा। 7.3.3 मीयादी ऋण हेतु चुकौती कार्यक्रम निम्नप्रकार से हो सकता है :
7.3.4 डीएवाई-एनआरएलएम के तहत स्वीकृत सभी सुविधाएं भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी किए गए आस्ति वर्गीकरण मानदंडों द्वारा अधिशासित होंगी। 7.4 जमानत एवं मार्जिन : एसएचजी को 10 लाख रुपए तक की सीमा हेतु न कोई कोलेटरल और न कोई मार्जिन लगाया जाएगा। एसएचजी के बचत बैंक खातों के विरुद्ध कोई ग्रहणाधिकार नहीं लगाया जाएगा तथा ऋण मंजूरी के समय जमाराशि के लिए कोई आग्रह न किया जाए। 7.5 चूक करनेवालों के साथ व्यवहार : यह वांछनीय है कि जान-बूझकर चूक करने वालों को डीएवाई - एनआरएलएम के अंतर्गत वित्त नहीं दिया जाना चाहिए। यदि जान-बूझकर चूक करने वाले किसी समूह के सदस्य हों तो उन्हें परिक्रामी निधि की सहायता से निर्मित कोष सहित समूह की क्रेडिट गतिविधियों तथा मितव्ययिता के लाभ प्राप्त करने की अनुमति हो सकती है। परंतु, एसएचजी द्वारा अपने सदस्यों के आर्थिक गतिविधियों को वित्त पोषित करने के लिए बैंक से ऋण प्राप्त करने के चरण में, जान-बूझकर चूक करने वालों को बकाया ऋण की चुकौती न किए जाने तक आगे और सहायता का लाभ प्राप्त नहीं होना चाहिए। समूह के जान-बूझकर चूक करने वाले को डीएवाई - एनआरएलएम योजना के अंतर्गत लाभ प्राप्त नहीं होने चाहिए तथा समूह को ऋण के दस्तावेज़ीकरण के समय ऐसे चूक करने वालों को छोड़कर वित्त प्रदान किया जा सकता है। तथापि, बैंक को, इस बहाने के आधार पर कि एसएचजी के व्यक्तिगत सदस्यों के पति-पत्नी या परिवार के अन्य सदस्य ने बैंक के साथ चूक किया है, संपूर्ण एसएचजी को ऋण देने से इनकार नहीं करना चाहिए। साथ ही, जान-बूझकर चूक न करने वालों को ऋण प्राप्त करने से रोकना नहीं चाहिए। वास्तविक कारणों से चूक करने वालों के मामलों में बैंक संशोधित चुकौती कार्यक्रम के साथ खाते के पुनर्गठन हेतु सुझाए गए मानदंडों का पालन कर सकते हैं। 8. क्रेडिट लक्ष्य प्लानिंग 8.1 नाबार्ड द्वारा तैयार किए गए संभाव्यता सहबद्ध प्लान / राज्य केंद्रित पेपर के आधार पर एसएलबीसी उप-समिति जिला-वार, ब्लॉक-वार और शाखा-वार क्रेडिट प्लान तैयार कर सकती है। उप-समिति को राज्य के लिए क्रेडिट लक्ष्य तैयार करने हेतु एसआरएलएम द्वारा सुझाए गए अनुसार मौजूदा एसएचजी, प्रस्तावित नए एसएचजी तथा नए और दोहराए गए ऋणों हेतु पात्र एसएचजी पर विचार करना चाहिए। ऐसे निश्चित किए गए लक्ष्य एसएलबीसी में अनुमोदित किए जाने चाहिए तथा इनके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए आवधिक समीक्षा और निगरानी की जानी चाहिए। 8.2 जिला-वार क्रेडिट प्लान डीसीसी को सूचित किया जाना चाहिए। ब्लॉक-वार / क्लस्टर-वार लक्ष्य नियंत्रकों के माध्यम से बैंक शाखाओं को सूचित किए जाने चाहिए। 9. क्रेडिट उपरांत फॉलो-अप 9.1 एसएचजी को प्रांतीय भाषाओं में ऋण पास-बुक या खाता विवरणी जारी किए जाएं जिनमें उन्हें संवितरित ऋणों के सभी ब्योरे तथा स्वीकृत ऋण पर लागू शर्तें निहित हों। एसएचजी द्वारा किए गए प्रत्येक लेन-देन पर पास-बुक को अद्यतन किया जाना चाहिए। ऋण के दस्तावेजीकरण तथा संवितरण के समय वित्तीय साक्षरता के एक भाग के रूप में शर्तों को स्पष्ट रूप से समझाना उपयुक्त होगा। 9.2 बैंक शाखाएं एक पखवाड़े में ऐसा एक दिवस तय करें जिस दिन स्टाफ फील्ड पर जा सके और एसएचजी और फेडरेशन की बैठकों में उपस्थित हो सके ताकि वे एसएचजी के कार्य देख सके तथा एसएचजी बैठकों और कार्य-निष्पादन की नियमितता का पता कर सके। 10. चुकौती : कार्यक्रम की सफलता सुनिश्चित करने हेतु ऋणों की शीघ्र चुकौती करना आवश्यक है। ऋण की वसूली सुनिश्चित करने के लिए बैंकों को सभी संभव उपाय अर्थात् व्यक्तिगत संपर्क, जिला मिशन प्रबंधन इकाई (डीपीएमयू) / जिला ग्रामीण विकास एजेंसी (डीआरडीए) के साथ संयुक्त वसूली कैम्पों का आयोजन करना चाहिए। ऋण वसूली के महत्व के मद्देनजर बैंकों को प्रत्येक माह डीएवाई - एनआरएलएम के अंतर्गत चूक करने वाले एसएचजी की सूची तैयार करनी चाहिए और उस सूची को बीएलबीसी, डीएलसीसी बैठकों में प्रस्तुत करना चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि जिला / ब्लॉक स्तर का डीएवाई -एनआरएलएम स्टाफ चुकौती शुरू करने में बैंकरों की सहायता करता है। 11. योजना का पर्यवेक्षण और निगरानी बैंक, बैंकों के संबंधित क्षेत्रीय / अंचल कार्यालयों में स्वयं सहायता समूहों के लिए कक्ष स्थापित कर सकते हैं। ये कक्ष आवधिक आधार पर स्वयं सहायता समूहों को ऋण के प्रवाह की निगरानी और समीक्षा करेंगे, इस योजना के दिशानिर्देशों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करेंगे, शाखाओं से डेटा एकत्र करेंगे एवं प्रधान कार्यालय तथा जिलों और ब्लॉकों में डीएवाई-एनआरएलएम इकाइयों को समेकित डेटा उपलब्ध कराएंगे। कक्ष को राज्य स्टाफ और सभी बैंकों के साथ संप्रेषण को प्रभावी रखने के लिए एसएलबीसी, बीएलबीसी और डीसीसी बैठकों में नियमित रूप से इस समेकित डेटा पर चर्चा भी करनी चाहिए। 11.1 राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति : एसएलबीसी एसएचजी-बैंक सहलग्नता पर एक उप-समिति गठित करें। उप-समिति में राज्य में कार्यरत सभी बैंकों, भारतीय रिज़र्व बैंक, नाबार्ड से सदस्य, एसआरएलएम के मुख्य कार्यपालक अधिकारी, राज्य ग्रामीण विकास विभाग के प्रतिनिधि, सचिव - संस्थागत वित्त और विकास विभागों आदि के प्रतिनिधि शामिल होने चाहिए। उप-समिति समीक्षा के विशिष्ट एजेंडा, एसएचजी-बैंक सहलग्नता के कार्यान्वयन और निगरानी और क्रेडिट लक्ष्य प्राप्ति के मामलों / बाधाओं को लेकर बैठक करें। एसएलबीसी के निर्णय उप-समिति की रिपोर्टों के विश्लेषण से निकाले जाने चाहिए। 11.2 जिला समन्वयन समिति : डीसीसी जिला स्तर पर एसएचजी को ऋण उपलब्धता की निगरानी नियमित रूप से करेगा तथा उन मामलों का समाधान करेगा जो जिला स्तर पर एसएचजी को ऋण उपलब्धता में बाधक हो। इस समिति की बैठक में एलडीएम, नाबार्ड के सहायक महाप्रबंधक, बैंकों के जिला समन्वयकों और डीएवाई - एनआरएलएम का प्रतिनिधित्व करने वाले डीपीएमयू स्टाफ तथा एसएचजी फेडरेशनों के पदधारियों की सहभागिता होनी चाहिए। 11.3 ब्लॉक स्तरीय बैंकर्स समिति : बीएलबीसी ब्लॉक स्तर पर एसएचजी - बैंक सहलग्नता के मामलों पर विचार करेंगी। इस समिति में, एसएचजी / एसएचजी के फेडरेशनों को फोरम में अपनी बात रखने हेतु सदस्यों के रूप में शामिल किया जाना चाहिए। बीएलबीसी में एसएचजी ऋण की शाखा-वार स्थिति की निगरानी की जानी चाहिए। 11.4 अग्रणी जिला प्रबंधकों को रिपोर्टिंग : शाखाओं को चाहिए कि वे हर माह में डीएवाई - एनआरएलएम के अंतर्गत विभिन्न गतिविधियों में हुई प्रगति / कमियों की रिपोर्ट अनुबंध ‘IV’ और अनुबंध ‘V’ में दिए गए फार्मेट में एलडीएम को प्रस्तुत करें जो आगे एसएलबीसी द्वारा गठित विशेष संचालन समिति / उप समिति को भेज दी जाएगी। 11.5 भारतीय रिज़र्व बैंक को रिपोर्टिंग : बैंक डीएवाई - एनआरएलएम पर की गई प्रगति की राज्य-वार समेकित रिपोर्ट भारतीय रिज़र्व बैंक / नाबार्ड को तिमाही अंतराल पर प्रस्तुत करें। डेटा रिपोर्टिंग तिमाही की समाप्ति से एक महीने के भीतर प्रस्तुत किया जा सकता है। 11.6 एलबीआर विवरणियां : विधिवत सही कोड प्रस्तुत करते हुए एलबीआर विवरणियां प्रस्तुत करने की मौजूदा प्रणाली जारी रहेगी। 12. वित्तीय साक्षरता : वित्तीय साक्षरता, वित्तीय व्यवहार पर जागरूकता फैलाने और परिवारों को विभिन्न वित्तीय उत्पादों और सेवाओं के बारे में सूचित करने के लिए महत्वपूर्ण कार्यनीतियों में से एक है। डीएवाई-एनआरएलएम ने ग्रामीण स्तर पर वित्तीय साक्षरता शिविरों को संचालित करने के लिए वित्तीय साक्षरता समुदाय संसाधन व्यक्ति (एफएल-सीआरपी) के रूप में बड़ी संख्या में कैडर को प्रशिक्षित और तैनात किया है। विभिन्न बैंकों द्वारा स्थापित वित्तीय साक्षरता केंद्र (एफएलसी) संबंधित एसआरएलएम के साथ समन्वय कर सकते हैं तथा वित्तीय साक्षरता पर ग्राम शिविरों का संचालन करने हेतु एफएल-सीआरपी की सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं। 13. डाटा शेयरिंग : 13.1 वसूली आदि सहित विभिन्न ऋण नीतियां शुरू करने के लिए राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एसआरएलएम) या ‘डीएवाई-एनआरएलएम’ को परस्पर स्वीकृत फार्मेट / अंतराल पर डाटा शेयरिंग उपलब्ध कराया जाए। वित्त पोषण करने वाले बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे एसएचजी को दिए गए ऋण से संबंधित डाटा को नियमित रूप से सीधे सीबीएस प्लैटफार्म के माध्यम से एसआरएलएम या डीएवाई-एनआरएलएम के साथ साझा करें। 13.2 बैंकों को प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई) और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) के आंकड़ों को सहमत प्रारूपों के तहत डीएवाई-एनआरएलएम के साथ साझा करना चाहिए ताकि उल्लेखित योजनाओं के तहत अधिकाधिक नामांकन और दावा निपटान सुविधाजनक हो सके। 13.3 बैंक ग्राहक द्वारा सहमति प्राप्त करने के बाद ही पारस्परिक रूप से सहमत प्रारूप / अंतराल पर बैंकों द्वारा शुरू की गई दोहरी प्रमाणीकरण तकनीक का उपयोग करके वयवसाय प्रतिनिधि बिंदुओं पर किए जा रहे सभी एसएचजी लेनदेन से संबंधित डेटा को साझा करेंगे। हालांकि, बैंकों को बीसी की अभिरक्षा या कब्जे में रखे ग्राहक की सूचना की सुरक्षा एवं गोपनीयता की रक्षा तथा संरक्षण को सुनिश्चित करना चाहिए। 14. बैंकरों को डीएवाई - एनआरएलएम समर्थन : 14.1 एसआरएलएम प्रमुख बैंकों के साथ विभिन्न स्तरों पर सामरिक भागीदारी विकसित करें। वह पारस्परिक लाभदायी संबंध के लिए बैंकों और गरीबों दोनों के लिए सक्षमता युक्त परिस्थितियां निर्मित करने में निवेश करें। 14.2 एसआरएलएम एसएचजी को वित्तीय साक्षरता प्रदान करने, बचत, ऋण, बीमा, पेंशन पर परामर्शी सेवाएं देने, क्षमता निर्माण में सन्निहित माइक्रो-निवेश योजना पर प्रशिक्षण सहायता प्रदान करेगा। 14.3 एसआरएलएम, एसएचजी को वित्त पोषण प्रदान करने में शामिल प्रत्येक बैंक शाखा में ग्राहक सहसंबंध प्रबंधकों (बैंक मित्र/ सखी) की तैनाती द्वारा बकाया राशि की वसूली, यदि कोई हो, के अनुवर्तन सहित गरीब ग्राहकों को प्रदत्त बैंकिंग सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार हेतु, बैंकों को सहायता प्रदान करेंगे। 14.4 आईटी मोबाइल प्रौद्योगिकी और गरीब एवं युवा संस्थानों या एसएचजी सदस्यों को व्यवसाय सुविधा प्रदाता और व्यवसाय प्रतिनिधि के रूप में प्रोन्नत करना। 14.5 समुदाय आधारित वसूली तंत्र (सीबीआरएम) : एसएचजी - बैंक सहलग्नता के लिए गांव / क्लस्टर / ब्लॉक स्तर पर एक विशिष्ट उप-समिति बनाई जाए जो बैंकों को ऋण राशि, वसूली आदि का उचित उपयोग सुनिश्चित करने में सहायता प्रदान करेगी। परियोजना स्टाफ सहित प्रत्येक गांव स्तर फेडरेशन से बैंक सहलग्नता उप-समिति के सदस्य शाखा परिसर में शाखा प्रबंधक की अध्यक्षता में बैंक सहलग्नता संबंधी एजेंडा मदों के साथ माह में एक बार बैठक करेंगे। डीएवाई - एनआरएलएम की मुख्य विशेषताएं 1. सर्वव्यापी सामाजिक जागरण : आरंभ में डीएवाई - एनआरएलएम यह सुनिश्चित करेगा कि प्रत्येक पहचाने गए ग्रामीण गरीब परिवार से कम से कम एक सदस्य, विशेषकर महिला सदस्य, को समयबद्ध ढंग से स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) नेटवर्क में लाया गया है। इसके बाद महिला और पुरूष दोनों को आजीविका संबंधी मामलों अर्थात् कृषक संगठन, दूध उत्पादक सहकारी संगठन, बुनकर संघ, आदि, का समाधान करने के लिए संगठित किया जाएगा। ये सभी संस्थाएं समावेशी हैं और इनमें किसी गरीब को वंचित नहीं रखा जाएगा। डीएवाई – एनआरएलएम, सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना (एसईसीसी) के अनुसार कम से कम एक वंचित परिवार और स्वचालित रूप से शामिल मानदंडों के तहत सभी घरों के 100% कवरेज के अंतिम लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए, समाज के दुर्बल वर्गों का पर्याप्त कवरेज सुनिश्चित करेगा जिससे कि बीपीएल परिवारों के शत-प्रतिशत कवरेज के अंतिम लक्ष्य के मद्देनजर 50 प्रतिशत लाभार्थी अजा / अजजा, 15 प्रतिशत लाभार्थी अल्पसंख्यक और 3 प्रतिशत लाभार्थी दिव्यांग व्यक्ति हो। 2. गरीबों की सहभागितात्मक पहचान (पीआईपी) : एसजीएसवाई के अनुभव से यह पता चलता है कि वर्तमान बीपीएल सूची में बड़े पैमाने पर समावेशन और वंचन की भूलें हुई हैं। बीपीएल सूची से परे लक्षित समूहों को विस्तारित करने और सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना (एसईसीसी) के अनुसार कम से कम एक वंचित मानदंड वाले परिवारों के रूप में पहचाने जाने वाले सभी जरूरतमंद गरीबों को शामिल करने के लिए, डीएवाई - एनआरएलएम समुदाय आधारित प्रक्रियाएं अर्थात् लक्ष्य समूह की पहचान करने के लिए गरीबों की सहभागिता के लिए प्रक्रिया करेगा। स्वस्थ पद्धतियों और साधनों (सामाजिक मैपिंग एवं तंदुरूस्ती (सुख) का श्रेणीकरण, वंचन के संकेतक) पर आधारित सहभागितात्मक प्रक्रिया और स्थानीय रूप से जाने-पहचाने तथा मान्य मानदंडों में स्थानिकों का ऐसा मतैक्य रहता है, जिससे समावेशन एवं वंचन की भूलें कम हो जाती है और पारस्परिक बंधुत्व के आधार पर समूह निर्माण करना संभव हो जाता है। कई वर्षों के बाद, गरीबों की पहचान की सहभागितात्मक पद्धति विकसित हो गई है और इसे आंध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडु और ओडिशा जैसे राज्यों में सफलतापूर्वक लागू किया गया है। एसईसीसी के अनुसार कम से कम एक वंचित मानदंड वाले पहचाने गए परिवारों सहित पीआईपी प्रोसेस के जरिए पहचाने गए परिवारों को डीएवाई - एनआरएलएम लक्ष्य समूह के रूप में स्वीकार किया जाएगा और ये उक्त कार्यक्रम के अंतर्गत सभी लाभों के पात्र होंगे। पीआईपी प्रोसेस के बाद बनी अंतिम सूची ग्राम सभा द्वारा जांची जाएगी तथा ग्राम पंचायत इसे अनुमोदित करेगी। जब तक राज्य द्वारा पीआईपी प्रोसेस किसी विशेष जिले / ब्लॉक के लिए चलाई नहीं जाती है तब तक एसईसीसी सूची के अनुसार कम से कम एक वंचित मानदंड वाले ग्रामीण परिवार, डीएवाई - एनआरएलएम के अंतर्गत लक्षित किया जाएगा। जैसाकि डीएवाई - एनआरएलएम के कार्यान्वयन के ढांचे में पहले ही प्रावधान किया गया है, एसएचजी की कुल सदस्यता में से 30 प्रतिशत सदस्य गरीबी की रेखा के कुछ ही ऊपर की आबादी में से हो सकता है जो कि समूह के अन्य सदस्यों के अनुमोदन की शर्त के अधीन होगा। इस 30 प्रतिशत में ऐसे गरीब लोग भी शामिल होंगे जो एसईसीसी की सूची में शामिल लोगों के समान ही वास्तव में गरीब हैं, परंतु इनका नाम एसईसीसी सूची में नहीं है। 3. जन संस्थाओं को बढ़ावा : गरीबों की सुदृढ़ संस्था यथा – स्वयं सहायता समूह और उनके ग्राम स्तरीय तथा उच्च स्तरीय फेडरेशन गरीबों के लिए स्थान, भूमिका और संसाधन उपलब्ध कराना और बाहरी एजेंसियों पर उनकी निर्भरता कम करने के लिए आवश्यक हैं। वे उन्हें अधिकार संपन्न बनाते हैं तथा वे ज्ञान के साधन तथा प्रौद्योगिकी प्रसार और उत्पादन, सामूहिकीकरण और वाणिज्य के केन्द्र के रूप में भी कार्य करते हैं। अत: डीएवाई - एनआरएलएम विभिन्न स्तरों पर ऐसी संस्थाएं स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित करेगा। इसके अतिरिक्त, डीएवाई - एनआरएलएम अधिक उत्पादन, हरसंभव सहायता, सूचना, ऋण, प्रौद्योगिकी, बाजार आदि उपलब्ध कराकर विशिष्ट संस्थाओं यथा – आजीविका समूहों, उत्पादन, सहकारी संघों / कंपनियों को बढ़ावा देगा। उक्त आजीविका समूह गरीबों को अपनी सीमित संसाधनों का अधिकतम उपयोग करने की सक्षमता प्रदान करेंगे। 4. सभी विद्यमान एसएचजी और गरीबों के फेडरेशनों को सुदृढ़ बनाना : वर्तमान में सरकारी एवं गैर-सरकारी प्रयासों द्वारा निर्मित गरीब महिलाओं के संगठन मौजूद हैं। डीएवाई - एनआरएलएम सभी मौजूदा संस्थाओं को साझेदारी स्वरूप में सुदृढ़ बनाएगा। सरकारी एवं गैर-सरकारी संगठन दोनों में स्वयं सहायता संवर्द्धन करने वाली संस्थाएं अधिकाधिक पारदर्शिता लाने के लिए सामाजिक जबाबदेही प्रथाएं अपनायेंगी। यह एसआरएलएम और राज्य सरकारों द्वारा बनाए जाने वाले तंत्र के अतिरिक्त होगा। डीएवाई - एनआरएलएम में सीखने की प्रमुख पद्धति होगी एक-दूसरे से सीख प्राप्त करना। 5. प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण और कौशल निर्माण पर बल : डीएवाई -एनआरएलएम यह सुनिश्चित करेगा कि गरीबी को निम्नलिखित के लिए पर्याप्त कौशल उपलब्ध कराया जाता है : अपनी संस्थाओं का प्रबंधन करना, बाजार के साथ संपर्क स्थापित करना, मौजूदा आजीविका का प्रबंधन करना, उनकी ऋण उपयोग क्षमता तथा ऋण साख बढ़ाना, आदि। लक्षित परिवारों, स्वयं सहायता समूहों, उनके फेडरेशनों, सरकारी कर्मियों, बैंकरों, गैर-सरकारी संगठनों और अन्य मुख्य स्टेकहोल्डरों के लिए बहु-सूत्रीय दृष्टिकोण की संकल्पना की गई है। स्वयं सहायता समूहों और उनके फेडरेशनों तथा 'अन्य समूहों' के क्षमता निर्माण के लिए सामुदायिक पेशेवरों और सामुदायिक संसाधन व्यक्तियों के विकास एवं उन्हें कार्य में लगाने पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया जाएगा। डीएवाई - एनआरएलएम ज्ञान-प्रसार और क्षमता निर्माण को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए आईसीटी का व्यापक उपयोग करेगा। 6. परिक्रामी निधि और सामुदायिक निवेश सहायक निधी (सीआईएफ) : पात्र एसएचजी को प्रोत्साहन राशि के रूप में एक परिक्रामी निधि उपलब्ध करायी जाएगी ताकि वे बचत की आदत बना सकें तथा अपनी दीर्घकालीन ऋण आवश्यकताओं एवं उपभोग संबंधी अल्पकालीन आवश्यकताओं को सीधे पूरा करने के लिए निधियां संचित कर सकें। सीआईएफ कोष के रूप में होगा और सदस्यों की ऋण संबंधी आवश्यकताएं पूरी करने के लिए और बैंक वित्त का पुन:-पुन: लाभ लेने के लिए प्रेरक पूंजी के रूप में होगा। एसएचजी को फेडरेशनों के माध्यम से सीआईएफ उपलब्ध कराया जाएगा। गरीबी से ऊपर उठने के लिए युक्तिसंगत दरों पर वित्त की तबतक सतत एवं सहज उपलब्धता आवश्यक है जब तक कि वे बड़ी मात्रा में अपनी निधियां संचित न कर लें। 7. सर्वव्यापी वित्तीय समावेशन : डीएवाई - एनआरएलएम सभी गरीब परिवारों, स्वयं सहायता समूहों और उनके फेडरेशनों को बुनियादी बैंकिंग सेवाएं प्रदान करने के अतिरिक्त सर्वव्यापी वित्तीय समावेशन हासिल करने के लिए कार्य करेगा। डीएवाई - एनआरएलएम वित्तीय समावेशन के मांग एवं आपूर्ति पक्ष से संबंधित कार्य करेगा। मांग पक्ष की ओर यह गरीबों के बीच वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देगा और स्वयं सहायता समूहों एवं उनके फेडरेशनों को प्रेरक पूंजी उपलब्ध कराएगा। आपूर्ति पक्ष की ओर, यह वित्तीय क्षेत्र के साथ समन्वय करेगा तथा सूचना, संचार एवं प्रौद्योगिकी (आईसीटी) आधारित वित्तीय प्रौद्योगिकियों, व्यवसाय प्रतिनिधि (बिजनेस कॉरसपोन्डेंट) एवं सामुदायिक सुविधादाता यथा – 'बैंक मित्र' के उपयोग को प्रोत्साहित करेगा। यह मृत्यु, स्वास्थ्य एवं परिसंपत्तियों के नष्ट होने की स्थिति में ग्रामीण गरीब के सर्वव्यापी कवरेज के लिए कार्य करेगा। साथ ही, यह विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां पलायन स्थानिक है, प्रेषण से संबंधित कार्य करेगा। 8. ब्याज सबवेंशन उपलब्ध कराना : ग्रामीण गरीबों को कम ब्याज दर पर तथा विविध मात्रा में ऋण की आवश्यकता होती है ताकि उनके प्रयासों को आर्थिक रूप से व्यवहार्य बनाया जा सके। सस्ता ऋण उपलब्ध कराने के लिए डीएवाई -एनआरएलएम के अंतर्गत सभी पात्र स्वयं सहायता समूहों जिन्होंने मुख्य वित्तीय संस्थाओं से ऋण प्राप्त किया है, के लिए 7 प्रतिशत से अधिक ब्याज दर पर सबवेंशन का प्रावधान है। 9. निधि उपलब्धता पद्धति : डीएवाई - एनआरएलएम एक केंद्रीय प्रायोजित योजना है और इस कार्यक्रम का वित्तपोषण, केंद्र और राज्यों के बीच के 60:40 अनुपात (सिक्किम सहित पूर्वोत्तर राज्यों के मामले में 90:10; संघ राज्य क्षेत्रों के मामले में पूर्णत: केन्द्र से) में होगा। राज्यों के लिए नियत केंद्रीय आवंटन का वितरण मोटे तौर पर राज्यों में गरीबी के अनुपात मेंहोगा। 10. चरणबद्ध कार्यान्वयन : गरीबों की सामाजिक पूंजी में गरीबों की संस्थाएं, उनके नेता, विशेषकर सामुदायिक पेशेवर तथा सामुदायिक स्रोत युक्त (रिसोर्स) व्यक्ति (गरीब महिलाएं जिनका जीवन उनकी संस्थाओं के सहयोग से परिवर्तित हुआ है) शामिल हैं। शुरू के वर्षों में सामाजिक पूंजी के निर्माण में कुछ समय लगता है, परन्तु कुछ समय बाद इसमें तेजी से वृद्धि होती है। डीएवाई -एनआरएलएम में यदि गरीबों की सामाजिक पूंजी की महत्वपूर्ण भूमिका न हो तो, वह जनता का कार्यक्रम नहीं बन सकता। साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है कि पहलों की गुणवत्ता एवं प्रभावशीलता में कमी न आए। इसीलिए, डीएवाई - एनआरएलएम के मामले में चरणबद्ध कार्यान्वयन संबंधी दृष्टिकोण अपनाया जाता है। डीएवाई - एनआरएलएम 12वीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक सभी जिलों में पहुंच जाएगा। 11. व्यापक ब्लॉक : जिन ब्लॉकों में डीएवाई - एनआरएलएम का व्यापक रूप से कार्यान्वयन किया जाएगा, वहां प्रशिक्षित पेशेवर स्टाफ उपलब्ध कराया जाएगा और सार्वभौम एवं गहन सामाजिक एवं वित्तीय समावेशन, आजीविका, भागीदारी आदि जैसी गतिविधियां निष्पादित की जाएंगी। तथापि, शेष ब्लॉकों या कम सघन ब्लॉकों में गतिविधियां स्कोप एवं सघनता के संदर्भ में सीमित रूप से होंगी। 12. ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरसेटी) : आरसेटी की संकल्पना ग्रामीण विकास स्वरोजगार संस्थान (रूडसेटी) के मार्गदर्शक मॉडेल पर बनाई गई है - यह एसडीएमई न्यास और केनरा बैंक के बीच एक सहयोगपूर्ण साझेदारी है। इस मॉडेल में बेरोजगार युवकों को एक अल्पावधिक अनुभवजन्य अभ्यास कार्यक्रम के माध्यम से निडर स्वनियोजित उद्यमी के रूप में परिवर्तित करने की परिकल्पना की गई है जिसमें बाद में सुनियोजित दीर्घकालिक सहायक (हैण्ड होल्ड) समर्थन दिया जाता है। जरुरत आधारित उक्त प्रशिक्षण से उद्यमिता गुणवत्ताएं निर्मित होती हैं, आत्मविश्वास बढ़ जाता है, नाकामयाबी का जोखिम घट जाता है और प्रशिक्षु परिवर्तित एजेंटों के रूप में विकसित होते हैं। चयन, प्रशिक्षण एवं प्रशिक्षणोपरांत अनुवर्ती कार्रवाई के चरणों पर बैंक पूरी तरह शामिल रहते हैं। गरीब लोगों की गरीबों की संस्थाओं के माध्यम से पता चलने वाली जरुरतों द्वारा आरसेटी को अपने स्वरोजगार और उद्यमों के व्यवसाय के लिए सहभागियों / प्रशिक्षुओं को तैयार करने में मार्गदर्शन मिलेगा। डीएवाई -एनआरएलएम देश के सभी जिलों में आरसेटी स्थापित करने के लिए सरकारी क्षेत्र के बैंकों को प्रोत्साहित करेगा। महिला एसएचजी के लिए ब्याज सबवेंशन योजना ग्रामीण क्षेत्रों में महिला स्वयं सहायता समूहों को ऋण पर ब्याज सबवेंशन योजना निम्नलिखित दो तरीकों से उपलब्ध होगी : I. 250 जिलों में महिला एसएचजी को ऋण पर ब्याज सबवेंशन योजना: i) सभी महिला एसएचजी 7 प्रतिशत वार्षिक की दर पर ₹3 लाख तक के ऋण पर ब्याज सबवेंशन के पात्र होंगे। एसजीएसवाई के अंतर्गत अपने वर्तमान बकाया ऋणों के अंतर्गत पहले ही पूंजी सब्सिडी प्राप्त एसएचजी इस योजना के अंतर्गत लाभ पाने के पात्र नहीं होंगे। ii) वाणिज्यिक बैंक (सरकारी क्षेत्र, निजी क्षेत्र और लघु वित्त बैंक) अनुबंध III में उल्लेखित 250 जिलों में ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित सभी महिला एसएचजी को रु.300,000/- तक की सकल ऋण राशि पर 7 प्रतिशत की दर पर उधार देंगे। इन जिलों में त्वरित चुकौती करने पर महिला एसएचजी के लिए 3% का अतिरिक्त ब्याज सबवेंशन भी उपलब्ध है, जिससे ब्याज की प्रभावी दर घटकर 4% हो जाती है। iii) भारित औसत ब्याज (वित्त मंत्रालय, वित्तीय सेवाएं विभाग द्वारा यथा निर्दिष्ट डब्ल्यूएआईसी) तथा 7 प्रतिशत के बीच के अंतर की मात्रा को 5.5 प्रतिशत की अधिकतम सीमा की शर्त पर सभी वाणिज्यिक बैंकों (सरकारी क्षेत्र के बैंक, निजी क्षेत्र के बैंक और लघु वित्त बैंक) को आर्थिक सहायता (सबवेंशन) प्रदान की जाएगी। यह सबवेंशन सभी बैंकों को इस शर्त पर उपलब्ध होगा कि वे उक्त 250 जिलों के एसएचजी को 7 प्रतिशत वार्षिक की दर पर ऋण उपलब्ध कराएंगे। iv) साथ ही, ऋण की तत्परता से चुकौती करने पर एसएचजी को 3 प्रतिशत का अतिरिक्त सबवेंशन उपलब्ध कराया जाएगा। तत्परता से चुकौती पर 3 प्रतिशत के अतिरिक्त ब्याज सबवेंशन के प्रयोजन के लिए ऐसे एसएचजी खाते को तत्पर आदाता के रूप में तब माना जाएगा यदि वह एसएचजी निम्नलिखित मानदंड पूरे करता हो। क. नकदी ऋण सीमा हेतु : i. बकाया शेष 30 दिनों से अधिक समय के लिए निरंतर रूप से सीमा / आहरण शक्ति से अधिक बना न रहें। ii. खाते में नियमित रूप से जमा और नामे लेनदेन होते रहने चाहिए। किसी माह के दौरान हर हालत में कम से कम एक ग्राहक प्रेरित क्रेडिट जरूर होना चाहिए। iii. ग्राहक प्रेरित क्रेडिट माह के दौरान नामे डाले गए ब्याज को कवर करने के लिए पर्याप्त होना चाहिए। ख. मीयादी ऋणों के लिए : ऐसे मीयादी ऋण खाते को तत्पर भुगतान युक्त खाता तब माना जाएगा जब ऋण की अवधि के दौरान सभी ब्याज भुगतान और / या मूलधन की किस्तों की चुकौती नियत तारीख से 30 दिनों के भीतर की गई हो। v) बैंक सर्वप्रथम त्वरित रूप से चुकौती करने वाले पात्र एसएचजी ऋण खातों में 3% ब्याज सबवेंशन की राशि को जमा करेंगे तथा इसके उपरांत रिपोर्टिंग तिमाही के समाप्त होने पर प्रतिपूर्ति हेतु दावा करेंगे। vi) इस योजना के लिए निधियन डीएवाई-एनआरएलएम के तहत केंद्रीय आवंटन से पूरा किया जाएगा। vii) ग्रामीण विकास मंत्रालय (एमओआरडी) द्वारा चयनित किसी नोडल बैंक के माध्यम से यह ब्याज सबवेंशन योजना कार्यान्वित की जाएगी। ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा सूचित किए गए अनुसार नोडल बैंक एक वेब आधारित प्लेटफॉर्म के माध्यम से योजना को संचालित करेंगे। नोडल बैंक को ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा अधिसूचित किया जाएगा। viii) एसएचजी को 7 प्रतिशत की दर (नियमित सबवेंशन) से दिए गए ऋण पर ब्याज सबवेंशन पाने के लिए सभी सरकारी क्षेत्र के बैंकों, निजी क्षेत्र के बैंकों और लघु वित्त बैंकों के लिए आवश्यक है कि वे अपेक्षित तकनीकी विशेषताओं के अनुसार नोडल बैंक के पोर्टल पर एसएचजी ऋण खाता संबंधी जानकारी अपलोड करें। बैंकों को 3 प्रतिशत के अतिरिक्त सबवेंशन दावों को भी उसी पोर्टल पर प्रस्तुत करने चाहिए। ix) सरकारी क्षेत्र के बैंकों, निजी क्षेत्र के बैंकों और लघु वित्त बैंकों को नियमित रूप से दावों (डब्लूएआईसी या उधार दर और 7% के बीच का अंतर) और अतिरिक्त दावों (त्वरित चुकौती पर 3%) को 30 जून, 30 सितंबर, 31 दिसंबर, और 31 मार्च को तिमाही आधार पर तिमाही समाप्त होने के अगले माह के आखिरी सप्ताह तक प्रस्तुत करना चाहिए। x) बैंकों को नोडल बैंक के समक्ष तिमाही आधार पर दावा प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना चाहिए। किसी भी बैंक द्वारा प्रस्तुत किए गए दावों के साथ दावा प्रमाणपत्र (मूल रूप में) होना चाहिए जिसमें सबवेंशन हेतु किए गए दावों की सत्यता और सटीकता को प्रमाणित किया गया हो (अनुबंध- VI और VII)। मार्च को समाप्त होने वाली तिमाही के लिए किसी भी बैंक के दावों का निपटान केवल बैंक से पूर्ण वित्तीय वर्ष के लिए सांविधिक लेखा परीक्षक का प्रमाण पत्र प्राप्त होने पर ही ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा किया जाएगा। xi) वर्ष के दौरान किए गए वितरणों से संबंधित कोई शेष और वर्ष के दौरान समाविष्ट न किए गए दावे को अलग से समेकित किया जाए और ‘अतिरिक्त दावा’ के रूप में चिह्नित किया जाए और उसे बैंकों द्वारा नोडल बैंक को उसके सही होने के बारे में सांविधिक लेखा परीक्षकों द्वारा लेखापरीक्षित किए जाने के बाद प्रतिवर्ष अधिकतम 30 जून तक प्रस्तुत किया जाए। वित्तीय वर्ष हेतु ब्याज सबवेंशन से संबंधित बैंकों का कोई भी दावा 30 जून के बाद स्वीकार्य नहीं होगा। xii) बैंकों द्वारा किए गए दावों में किसी भी प्रकार के सुधार को लेखा परीक्षक के प्रमाणपत्र के आधार पर बाद के दावों से समायोजित किया जाएगा। तदनुसार, सुधार को नोडल बैंक के पोर्टल पर अवश्य प्रस्तुत करना होगा। II. संवर्ग II जिलों के लिए ब्याज सबवेंशन योजना (250 जिलों के अलावा): संवर्ग II के जिलों में, बैंक एसएचजी के लिए अपने संबंधित उधार मानकों के आधार पर एसएचजी पर प्रभार लगायेंगे तथा उधार दरों और 7 प्रतिशत के बीच के अंतर हेतु 5.5 प्रतिशत की अधिकतम सीमा के अधीन आर्थिक सहायता (सबवेंशन) एसआरएलएम द्वारा सीधे एसएचजी के ऋण खातों में प्रदान की जाएगी। डीएवाई-एनआरएलएम हेतु किए गए आबंटन में से इस सबवेंशन हेतु निधियन राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एसआरएलएम) को उपलब्ध कराया जाएगा। उक्त के अनुसरण में संवर्ग II जिलों के लिए ब्याज सबवेंशन के संबंध में प्रमुख बातें तथा परिचालन संबंधी दिशा-निर्देश निम्नानुसार हैं : (क) बैंकों की भूमिका : सभी बैंकों के लिए आवश्यक है कि वे सभी जिलों के एसएचजी को संवितरित ऋण और बकाया ऋण से संबंधित ब्योरा को ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा दिए गए वांछित फार्मेट में सीधे सीबीएस प्लेटफार्म से ग्रामीण विकास मंत्रालय (एफटीपी या इंटरफेस के माध्यम से) और एसआरएलएम को प्रस्तुत करेंगे। उक्त जानकारी मासिक आधार पर उपलब्ध करायी जानी चाहिए ताकि ब्याज सबवेंशन राशि की गणना और एसएचजी को उसके वितरण में सुविधा हो सके। (ख) राज्य सरकारों की भूमिका : i. डीएवाई - एनआरएलएम के तहत ऐसे सभी महिला एसएचजी प्रति वर्ष 7 प्रतिशत की दर से लिए गए ₹3 लाख तक के ऋण के लिए तत्परता से चुकौती करने पर ब्याज सबवेंशन के पात्र होंगे। ii. यह योजना राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एसआरएलएम) द्वारा कार्यान्वित की जाएगी। ऐसे पात्र एसएचजी को एसआरएलएम ब्याज सबवेंशन उपलब्ध कराएगा जिन्होंने वाणिज्यिक और सहकारी बैंकों से ऋण लिया हो। भारत सरकार के मानदंडों के अनुसार इस सबवेंशन का निधियन केंद्रीय आवंटनों तथा राज्य सरकार के अंशदान के माध्यम से होगा। iii. एसएचजी को बैंकों की उधार दर और 7 प्रतिशत के बीच के अंतर के लिए 5.5 प्रतिशत की अधिकतम सीमा के अधीन एसआरएलएम द्वारा सबवेंशन (आर्थिक सहायता) सीधे ही मासिक / तिमाही आधार पर दिया जाएगा। एसआरएलएम द्वारा उक्त सबवेंशन राशि का ई-अंतरण तत्परता से चुकौती करने वाले एसएचजी के ऋण खाते में किया जाएगा। यदि ऋण खाता पहले से ही बंद हो गया है, या किसी कारण से ऋण खाते में ई-ट्रांसफर सफल नहीं हुआ है, तो सबवेंशन की राशि संबंधित एसएचजी के बचत खाते में ट्रांसफर किया जाए। iv. ब्याज सबवेंशन के उद्देश्य के लिए, किसी खाते को त्वरित आदाता तब माना जाएगा जब वह निम्न मानदंडों को पूरा करेगा : क. नकदी ऋण सीमा हेतु : 1. बकाया शेष 30 दिनों से अधिक समय के लिए निरंतर रूप से सीमा / आहरण शक्ति से अधिक बना न रहें। 2. खाते में नियमित रूप से जमा और नामे लेनदेन होते रहने चाहिए। किसी माह के दौरान हर हालत में कम से कम एक ग्राहक प्रेरित क्रेडिट जरूर होना चाहिए। 3. ग्राहक प्रेरित क्रेडिट माह के दौरान नामे डाले गए ब्याज को कवर करने के लिए पर्याप्त होना चाहिए। ख. मीयादी ऋणों के लिए : ऐसे मीयादी ऋण खाते को तत्पर भुगतान युक्त खाता तब माना जाएगा जब ऋण की अवधि के दौरान सभी ब्याज भुगतान और / या मूलधन की किस्तों की चुकौती नियत तारीख से 30 दिनों के भीतर की गई हो। v. एसजीएसवाई के अंतर्गत अपने वर्तमान ऋणों के अंतर्गत पहले ही पूंजी सब्सिडी प्राप्त महिला एसएचजी इस योजना के अंतर्गत अपने वर्तमान (सबसिस्टिंग) ऋण के लिए ब्याज सबवेंशन का लाभ पाने के पात्र नहीं होंगे। vi. पात्र एसएचजी के ऋण खातों में अंतरित सबवेंशन राशियों को दर्शाते हुए एसआरएलएम द्वारा तिमाही उपयोगिता प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया जाना चाहिए। III. राज्य विशिष्ट ब्याज सबवेंशन योजना वाले राज्यों को सूचित किया जाता है कि वे अपने दिशानिर्देश उक्त केंद्रीय योजना के अनुरूप बना लें। 7 प्रतिशत की दर पर दिए जाने वाले ऋण पर ब्याज सबवेंशन और तत्परता से चुकौती पर 3 प्रतिशत के अतिरिक्त ब्याज सबवेंशन के लिए पात्र 250 जिलों की सूची
|