मास्टर परिपत्र - अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण सुविधाएं - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर परिपत्र - अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण सुविधाएं
आरबीआई/2023-24/02 01 अप्रैल 2023 अध्यक्ष/प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदया/महोदय, मास्टर परिपत्र - अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण सुविधाएं भारतीय रिज़र्व बैंक ने समय-समय पर बैंकों को अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण सुविधाएं प्रदान करने के संबंध में दिशानिर्देश/अनुदेश/निदेश जारी किए हैं। संलग्न मास्टर परिपत्र में रिज़र्व बैंक द्वारा इस विषय पर अब तक जारी परिपत्रों को समेकित किया गया है, जो परिशिष्ट में सूचीबद्ध है। भवदीया, (निशा नम्बियार) अनुलग्नक: यथोक्त 1. अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण सुविधाएं: 1.1 अल्पसंख्यक समुदायों को सरकार प्रायोजित विभिन्न योजनाओं द्वारा मिलने वाले लाभों को उचित और पर्याप्त मात्रा में सुनिश्चित करने के लिए, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एतदपश्चात 'बैंक' के रूप में संदर्भित) को सूचित किया जाता है कि वे अल्पसंख्यक समुदायों को बैंक ऋण का सुचारू प्रवाह सुनिश्चित करें। 1.2 भारत सरकार ने उन राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को छोड़कर जहां अल्पसंख्यक बहुसंख्यक (मेजोरिटी में) (जम्मू और कश्मीर, पंजाब, मेघालय, मिज़ोरम, नागालैंड और लक्षद्वीप) हैं, उन 121 अल्पसंख्यक सकेंद्रित जिलों की सूची भेजी है जहां अल्पसंख्यकों की आबादी कम से कम 25 प्रतिशत है (अनुबंध I)। तदनुसार, बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे इन 121 जिलों के अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण उपलब्धता की विशेष रूप से निगरानी करें तथा यह सुनिश्चित करें कि अल्पसंख्यक समुदायों को प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के संपूर्ण लक्ष्य के अंदर ऋण का उचित और बराबर हिस्सा प्राप्त होता है। 1.3 प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार (पीएसएल) पर भारतीय रिज़र्व बैंक के दिनांक 04 सितंबर 2020 के मास्टर निदेश (समय-समय पर अद्यतन) के अनुसार, घरेलू अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और विदेशी बैंकों द्वारा प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार देने के लिए पिछले वर्ष के 31 मार्च को विद्यमान समायोजित निवल बैंक ऋण (एएनबीसी) अथवा तुलन-पत्रेतर एक्सपोजरों (ओबीई) के समतुल्य ऋण राशि, इनमें से जो भी अधिक हो, के 40 प्रतिशत का लक्ष्य अधिदेशात्मक कर दिया गया है तथा लघु वित्त बैंकों के लिए लक्ष्य उनके समायोजित निवल बैंक ऋण (एएनबीसी) का 75% है। इसके भीतर ही, कमजोर वर्गों, जिनमें अन्यों के साथ-साथ अल्पसंख्यक समुदायों के व्यक्ति शामिल हैं, को वित्त वर्ष: 2023-24 के लिए उधार देने हेतु, पिछले वर्ष 31 मार्च को विद्यमान ओबीई के समतुल्य ऋण राशि अथवा एएनबीसी के 12 प्रतिशत के उप-लक्ष्य, इनमें से जो भी अधिक हो, को अधिदेशात्मक कर दिया गया है। 2. अल्पसंख्यक समुदायों की परिभाषा 2.1 निम्नलिखित समुदायों को भारत सरकार, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा अल्पसंख्यक समुदायों के रूप में अधिसूचित किया गया है: (क) सिख 2.2 भागीदारी फर्म के मामले में, यदि भागीदारों में से अधिकांश एक अथवा अधिक विशिष्ट अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित हैं तो, ऐसी भागीदारी फर्मों को दिए गए अग्रिमों को अल्पसंख्यक समुदायों को दिए गए अग्रिमों में गिना जाना चाहिए। साथ ही, यदि भागीदारी फर्म में अधिकांश हिताधिकारी स्वामित्व अल्पसंख्यक समुदाय से हैं तो, ऐसे उधार को निर्धारित समुदायों को दिए गए अग्रिमों के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। किसी कम्पनी का कानूनी रूप से पृथक अस्तिव होने के कारण उसे दिए गए अग्रिमों को निर्धारित अल्पसंख्यक समुदायों को दिए गए अग्रिमों के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता। 3. विशेष कक्ष की स्थापना और पूर्णतया उसके लिए नामित अधिकारी 3.1 प्रत्येक बैंक में एक विशेष कक्ष की स्थापना की जाए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण आसानी से उपलब्ध होता रहे और इस कक्ष हेतु उप महाप्रबंधक/ सहायक महाप्रबंधक या कोई अन्य समश्रेणी का अधिकारी ‘नोडल अधिकारी’ के रूप में कार्य करेगा। 3.2 प्रत्येक अल्पसंख्यक सकेंद्रित जिले के अग्रणी बैंक में एक अधिकारी होगा जो पूर्णतया अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण उपलब्ध कराने से संबंधित समस्याओं की ही जांच करेगा। अल्पसंख्यक समुदायों के बीच बैंक ऋण के विविध कार्यक्रमों का प्रचार-प्रसार करना तथा उनके लाभ हेतु शाखा प्रबंधकों के सहयोग से उपयुक्त योजनाएं बनाना उनका उत्तरदायित्व होगा। 3.3 नामित अधिकारी संबंधित जिलों में अल्पसंख्यक समुदाय की ऋण सहायता से संबंधित पहलुओं पर ही ध्यान देगा। नामित अधिकारी को जिला स्तर पर स्थापित अग्रणी बैंक से संबद्ध किया जाए ताकि उन्हें अग्रणी जिला प्रबंधक, जो कि काफी वरिष्ठ स्तर का अधिकारी होगा जिसे अन्य क्रेडिट संस्थाओं और सरकारी एजेंसियों के साथ प्रभावी रूप से संपर्क करने का पर्याप्त अनुभव होगा एवं वह जिले के अन्य बैंकों के शाखा प्रबंधकों के साथ सक्रिय सहयोग के माध्यम से कार्य करता होगा, से आवश्यक मार्गदर्शन प्राप्त हो सके। नामित अधिकारी अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों के लिए यथोचित योजनाएं तैयार करने में उनके मार्गदर्शन के लिए समूह बैठकें आयोजित करने की भी व्यवस्था करेगा। संबंधित बैंकों को यह सुनिश्चित करना आवश्यक होगा कि नामित अधिकारी/अधिकारियों को सौंपी गई भूमिका कारगर रूप से सफल होती है। 3.4 बैंकों द्वारा (i) प्रधान कार्यालय में विशेष कक्ष के प्रभारी अधिकारी और (ii) विशेष रूप से अल्पसंख्यक समुदायों की समस्याओं को निपटाने के लिए अभिनिर्धारित जिलों में अग्रणी बैंकों द्वारा नियुक्त अधिकारी के नाम, पदनाम और कार्यालय पते को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को प्रस्तुत किया जाए तथा उसे समय-समय पर अद्यतन किया जाए। संबंधित पत्राचार की एक प्रति, मुख्य महाप्रबंधक, वित्तीय समावेशन और विकास विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, एसबीएस मार्ग, फोर्ट, केंद्रीय कार्यालय, मुंबई 400001, को भी प्रेषित की जाए। 4. अग्रणी बैंकों की भूमिका 4.1 अल्पसंख्यक समुदाय, विशेष रूप से गरीब और निरक्षर लोगों, को उत्पादक गतिविधियों को करने के लिए बैंक ऋण तक आसान पहुंच सुनिश्चित करने हेतु अल्पसंख्यक समुदाय संकेंद्रित जिलों के अग्रणी बैंकों से अपेक्षित है कि वे इस प्रयोजन हेतु सक्रिय भूमिका निभाएं। 4.2 अल्पसंख्यक समुदाय संकेंद्रित जिलों के रूप में अभिनिर्धारित 121 जिलों में अग्रणी बैंक, विस्तार कार्य सहित जागरुकता उत्पन्न करने, लाभार्थियों की पहचान करने, अर्थक्षम योजनाएँ तैयार करने, उत्पादन पूर्व और उत्पादनोत्तर सुविधाएँ उपलब्ध कराने यथा निविष्टियों की आपूर्ति/ विपणन, वसूली आदि में राज्य अल्पसंख्यक आयोग/वित्त निगम को शामिल कर सकते हैं। 4.3 अग्रणी बैंक नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधकों (डीडीएम)/गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ)/स्वैच्छिक संगठनों का सहयोग लेकर स्वयं-सहायता समूहों (एसएचजी) के माध्यम से गरीबों तक पहुंच सकते हैं। 4.4 जिला परामर्शदात्री समितियों (डीसीसी), जिला स्तरीय पुनरीक्षण समितियों (डीएलआरसी) और राज्य स्तरीय बैंकर समितियों (एसएलबीसी) के संयोजक बैंकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि अल्पसंख्यक समुदायों को आसानी से ऋण उपलब्ध कराने के लिए कदम उठाये जाते हैं और इस संबंध में उनकी बैठकों में की गई प्रगति की नियमित रूप से समीक्षा की जाती है। राज्य अल्पसंख्यक आयोगों/बोर्डों या राज्य अल्पसंख्यक वित्त निगमों के अध्यक्ष/प्रबंध निदेशकों को या उनके प्रतिनिधियों को डीएलआरसी/एसएलबीसी की बैठकों में भाग लेने हेतु आमंत्रित किया जा सकता है। 5. विभेदक ब्याज दर (डीआरआई) योजना के अन्तर्गत अग्रिम अनुसूचित जाति (अजा)/अनुसूचित जनजाति (अजजा) विकास निगमों को जिन नियमों एवं शर्तों पर ऋण प्रदान किए जाते हैं, बैंक उन्हीं नियमों एवं शर्तों पर विभेदक ब्याज दर योजना के अंतर्गत राज्य अल्पसंख्यक वित्त/विकास निगम को ऋण प्रदान कर सकते हैं, बशर्ते निगमों के लाभार्थी पात्रता संबंधी मानदंडों तथा योजना के अन्तर्गत निर्धारित अन्य नियमों एवं शर्तें पूरी करते हों। बैंक ऋण आवेदनों को समय पर स्वीकृत और संवितरित करने के लिए यथोचित रूप से रजिस्टर का रख-रखाव सुनिश्चित करें। 6. निगरानी 6.1 अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों को दिये गए ऋणों से संबंधित आंकड़ों को भारतीय रिज़र्व बैंक और भारत सरकार, वित्त मंत्रालय तथा अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय को प्रति वर्ष मार्च और सितंबर को समाप्त छमाही के आधार पर प्रत्येक छमाही की समाप्ति से एक माह के भीतर (अनुबंध II में) प्रस्तुत किए जाने चाहिए। 6.2 अभिनिर्धारित अल्पसंख्यक संकेंद्रित जिलों में जिला परामर्शदात्री समितियों के संयोजक बैंकों को अपने अग्रणी उत्तरदायित्व के अन्तर्गत संबंधित तिमाही की समाप्ति के एक माह के भीतर भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालयों को जिले के लिए निर्धारित फार्मेट में (अनुबंध III में) बैंकों द्वारा निर्दिष्ट अल्पसंख्यक समुदायों को दिए गए प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र अग्रिमों के संबंध में उनके द्वारा संकलित आँकड़े प्रस्तुत करने चाहिए। 6.3 जिला परामर्शदात्री समितियों (डीसीसी) तथा राज्य स्तरीय बैंकर समितियों (एसएलबीसी) की बैठकों में अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण उपलब्ध कराने के संबंध में हुई प्रगति की नियमित रूप से समीक्षा की जानी चाहिए। 6.4 अभिनिर्धारित अल्पसंख्यक संकेंद्रित जिलों में अग्रणी बैंकों को संबंधित जिला परामर्शदात्री समितियों (डीसीसी) तथा राज्य स्तरीय बैंकर समितियों (एसएलबीसी) की बैठकों की कार्य सूची का सार और बैठकों का कार्यवृत्त वित्त मंत्रालय, भारत सरकार और अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय को उनके प्रयोग के लिए तिमाही आधार पर प्रस्तुत करना चाहिए। 7. प्रशिक्षण 7.1 यह सुनिश्चित करने के लिए कि बैंक स्टाफ और अन्य अधिकारी अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए विभिन्न कार्यक्रमों को उचित प्रकार से समझते हैं, पदाधिकारियों और अन्य स्टाफ सदस्यों को उचित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। इस प्रयोजन हेतु, बैंकों को अपने सभी प्रासंगिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों अर्थात प्रारंभिक पाठ्यक्रम, ग्रामीण उधार पर कार्यक्रम, प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्रों का वित्तपोषण, गरीबी उपशमन कार्यक्रम, आदि, के भाग के रूप में उसमें संबंधित सत्रों को सम्मिलित करना चाहिए। 7.2 अभिनिर्धारित जिलों में अग्रणी बैंकों द्वारा इन जिलों में तैनात स्टाफ को विभिन्न ऋण योजनाओं के अन्तर्गत अल्पसंख्यक समुदायों को सहायता प्रदान करने के लिए समुचित प्रशिक्षण के माध्यम से प्रबोधित और प्रोत्साहित करना चाहिए। 7.3 अग्रणी बैंक, नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधकों की सहायता से स्वयं सहायता समूहों को उधार/सूक्ष्म ऋण देने के संबंध में बैंक के पदाधिकारियों के लिए सुग्राहीकरण कार्यशालाओं का आयोजन करें। 7.4 अभिनिर्धारित ज़िलों में कार्यरत अग्रणी बैंकों को उद्यमिता विकास कार्यक्रम आयोजित करने चाहिए ताकि इन क्षेत्रों के अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्य बैंकों द्वारा वित्तपोषित किए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों का लाभ प्राप्त कर सकें। इन जिलों की जनता के बड़े भाग द्वारा किए जा रहे बड़े व्यवसाय अथवा गतिविधि के प्रकार के आधार पर राज्य सरकारों, उद्योग विभाग, जिला उद्योग केन्द्र, लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी), राज्य तकनीकी परामर्शदाता संगठन, खादी और ग्रामोद्योग आयोग तथा अन्य स्वैच्छिक संगठनों, जो ऐसे प्रशिक्षण और ओरिएंटेशन देने के लिए पूर्णतया सक्षम हैं, के सहयोग से कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए। कार्यक्रम की अवधि, कार्यक्रम की विषय-वस्तु और संकाय सदस्यों का चयन इत्यादि से संबंधित निर्णय प्रत्येक अग्रणी बैंक द्वारा तात्कालिक स्थिति, आवश्यकता और वर्तमान कौशल के साथ-साथ जिले में जनता की योग्यता को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए। 8. प्रचार बैंकों को सरकार के गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों के बारे में विभिन्न माध्यमों से प्रचार करना चाहिए जहां अल्पसंख्यक समुदाय अधिक संकेंद्रित है और विशेष रूप से अनुबंध I में सूचीबद्ध जिलों में। अभिनिर्धारित जिलों में अग्रणी बैंकों को अल्पसंख्यक समुदायों के बीच बैंकों से ऋण सुविधाएँ प्राप्त करने के उचित उपायों का प्रचार-प्रसार करना चाहिए; जिसके लिए, i) प्रिंट मीडिया अर्थात स्थानीय भाषाओं में पेंप्लेटों का वितरण, समाचार पत्रों में विज्ञापन/लेख इत्यादि ii) टी.वी.चैनल – दूरदर्शन/ स्थानीय चैनल iii) अल्पसंख्यक समुदायों द्वारा धार्मिक/त्यौहारों के अवसरों पर आयोजित मेलों में सहभागिता/स्टॉल लगाना, का प्रयोग किया जा सकता है। 9. राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास और वित्त निगम (एनएमडीएफसी) राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास और वित्त निगम (एनएमडीएफसी), अल्पसंख्यक समुदायों के बीच पिछड़े वर्गों के लिए आर्थिक और विकासात्मक गतिविधियों को बढ़ावा देता है। एनएमडीएफसी एक शीर्ष संस्था के रूप में कार्य करता है तथा संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के राज्य अल्पसंख्यक वित्त निगम के माध्यम से लाभार्थियों को राशि उपलब्ध कराता है। बैंक एनएमडीएफसी द्वारा विकसित योजनाओं को लागू कर सकते हैं। वित्त प्रदान करते समय, बैंकों को प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को अग्रिमों पर समय-समय पर जारी किए गए दिशा-निर्देशों/अनुदेशों को ध्यान में रखना चाहिए। 10. अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए प्रधान मंत्री का 15 सूत्री कार्यक्रम उक्त कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को दिए जाने वाले उधार का यथोचित प्रतिशत अल्पसंख्यक समुदायों को देने का लक्ष्य रखा जाए और यह भी कि विभिन्न सरकार द्वारा प्रायोजित योजनाओं के लाभ, सुविधाओं से वंचित लोगों तक पहुंचते हैं जिनमें अल्पसंख्यक समुदायों के सुविधाहीन वर्ग भी शामिल है। यह नया कार्यक्रम केन्द्र सरकार के संबंधित मंत्रालयों/विभागों द्वारा राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों के जरिए कार्यान्वित किया जाना है और यह अल्पसंख्यक सकेंद्रित जिलों में विकास परियोजनाओं के विशिष्ट अनुपात की स्थिति दर्शाता है। तदनुसार, सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि वित्त वर्ष 2023-24 के लिए प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को ऋण देने के समग्र लक्ष्य और कमजोर वर्गों के लिए 12 प्रतिशत के उप-लक्ष्य के भीतर, अल्पसंख्यक समुदायों द्वारा ऋण के एक समान भाग की प्राप्ति को सुनिश्चित करने पर पर्याप्त रूप से ध्यान दिया जाता है। अग्रणी बैंकों को सूचित किया गया है कि वे जिला ऋण योजना तैयार करते समय इस आवश्यकता को ध्यान में रखें। अल्पसंख्यक समुदायों को ऋण उपलब्ध कराना मास्टर परिपत्र में समेकित परिपत्रों की सूची
|