फॉर्म ए2 ऑनलाइन प्रस्तुत करना: विप्रेषण की राशि पर सीमा को हटाना - आरबीआई - Reserve Bank of India
फॉर्म ए2 ऑनलाइन प्रस्तुत करना: विप्रेषण की राशि पर सीमा को हटाना
भा.रि.बैंक/2024-25/46 03 जुलाई 2024 सेवा में महोदया/ महोदय फॉर्म ए2 ऑनलाइन प्रस्तुत करना: विप्रेषण की राशि पर सीमा को हटाना प्राधिकृत व्यापारी (एडी) श्रेणी-I बैंकों और एडी श्रेणी-II संस्थाओं का ध्यान दिनांक 11 फरवरी 2016 के एपी (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र संख्या 50 (आर-विवरणियों का संकलन: एफईटीईआरएस के तहत रिपोर्टिंग) और दिनांक 12 अप्रैल 2023 के एपी (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र संख्या 02 (प्राधिकृत डीलर श्रेणी-II – फॉर्म ए2 का ऑनलाइन प्रस्तुतीकरण) के पैराग्राफ 4 की ओर आकर्षित किया जाता है, जिसमें एडी श्रेणी-I बैंकों और एडी श्रेणी-II संस्थाओं को कुछ शर्तों और सीमाओं के अधीन यह अनुमति दी गई थी कि वे अपने ग्राहकों द्वारा ऑनलाइन मोड के माध्यम से प्रस्तुत फॉर्म ए 2 स्वीकार कर सकते हैं। 2. समीक्षा करने पर, और कारोबारी सुगमता लाने के लिए, अब यह निर्णय लिया गया है कि सभी प्राधिकृत व्यापारियों (एडी श्रेणी-I बैंक और एडी श्रेणी-II संस्थाएं) को फेमा 1999 की धारा 10 (5) में निर्धारित शर्तों के अधीन फॉर्म ए 2 और अन्य संबंधित दस्तावेजों, यथा आवश्यक रूप से, के ऑनलाइन/भौतिक प्रस्तुतीकरण के आधार पर विप्रेषण की सुविधा प्रदान करने की अनुमति होगी। तदनुसार, फॉर्म ए 2 'ऑनलाइन' प्रस्तुत किए जाने के आधार पर विप्रेषित की जा रही राशि पर कोई सीमा निर्धारित नहीं की जाएगी। 3. प्राधिकृत व्यापारी मौजूदा वैधानिक और विनियामक ढांचे के दायरे में अपने बोर्ड की मंजूरी से इस उद्देश्य के लिए उचित दिशानिर्देश तैयार करेंगे। प्राधिकृत व्यापारी सभी लेनदेनों के लिए फेमा 1999 तथा विनियमन विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किए गए 'मास्टर निदेश – अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) निदेश, 2016', समय-समय पर अद्यतन के संगत प्रावधानों का अनुपालन करना जारी रखें। यह भी नोट किया जाए कि प्राधिकृत व्यापारी बैंकों द्वारा एफईटीआरएस में लेनदेनों की रिपोर्टिंग पहले की भांति जारी रहेगी। 4. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषय-वस्तु से अपने घटकों और ग्राहकों को अवगत कराएँ। 5. इस परिपत्र में निहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत जारी किये गए हैं और ये किसी अन्य विधि/ कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालते हैं। भवदीय (एन सेंथिल कुमार) |