सरकारी प्रतिभूति बाजार में रि-रेपो - आरबीआई - Reserve Bank of India
सरकारी प्रतिभूति बाजार में रि-रेपो
भारिबैं/2014-15/454 5 फरवरी 2015 सभी बाजार प्रतिभागी प्रिय महोदय/महोदया, सरकारी प्रतिभूति बाजार में रि-रेपो कृपया चतुर्थ द्वैमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य 2014-15 का पैराग्राफ 26 देखें, जिसमें यह प्रस्ताव किया गया था कि सरकारी प्रतिभूतियों में रि-रेपो करने की अनुमति युक्तियुक्त नियंत्रण उपाय़ों और आइटी इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के अधीन दी जायेगी । 2. इस संबंध में, तैयार वायदा संविदाओं के संबंध में आरबीआई परिपत्र आइडीएमसी/पीडीआरएस/3432/10.02.01/2002-03 दिनांक 21 फरवरी 2003 और परिपत्र आइडीएम़डी/पीडीआरएस/4779/10.02.01/2004-05 दिनांक 11 मई 2005 एवं आइडीएमडी.डीओडी.सं.334/11.08.36/2009-10 दिनांक 20 जुलाई 2009 द्वारा सूचित किये गये परवर्ती संशोधनों की ओर ध्यान आकृष्ट किया जाता है । 3. अब यह निर्णय लिया गया है कि रिवर्स रेपो के अंतर्गत अर्जित सरकारी प्रतिभूतियों, जिनमें राज्य विकास ऋण एवं खजाना बिल शामिल हैं, का रि-रेपो करने की अनुमति निम्नलिखित शर्तों के अधीन दी जाये : a) अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और प्राथमिक व्यापारियों (पीडी) को, जो भारतीय रिज़र्व बैंक में सब्सिडियरी जनरल लेजर (एजीएल) खाता रखते हैं, रिवर्स रेपो के अंतर्गत अर्जित सरकारी प्रतिभूतियों का रि-रेपो करने की अनुमति दी जायेगी ; b) म्युचुअल फंडों और बीमा कंपनियों को भी, जो भारतीय रिज़र्व बैंक में एसजीएल खाता रखते हैं, रिवर्स रेपो के अंतर्गत अर्जित सरकारी प्रतिभूतियों का रि-रेपो करने की अनुमति संबंधित विनियामकों के अनुमोदन के अधीन दी जायेगी ; c) प्रतिभूतियों का रि-रेपो रेपो लेन देन के प्रथम चरण की संपुष्टि प्राप्त होने/मिलान किये जाने के बाद ही किया जा सकता है ; d) रि-रेपो की अवधि प्रारंभिक रेपो की अवशिष्ट अवधि से अधिक नहीं होनी चाहिए ; e) रि-रेपो करने वाले पात्र प्रतिष्ठानों को लेन देनों को अधिकृत रिपोर्टिंग प्लैटफार्म पर रि-रेपो के रूप में ‘चिह्नित (flag)’ करना चाहिए । प्रतिभागियों को प्रणालियों एवं नियंत्रणों की समीक्षा करनी चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो कि रि-रेपो लेन देनों की रिपोर्टिंग अपेक्षाओं का कड़ाई से अनुपालन होता है । 4. सभी रेपो/रि-रेपो लेन देन आंतरिक लेखापरीक्षा एवं समवर्ती लेखापरीक्षा के अधीन होने चाहिए । विनियामक दिशा-निर्देशों का उल्लंघन, यदि हो, मुख्य महाप्रबंधक, वित्तीय बाजार विनियमन विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, मुम्बई के ध्यान में लाया जाये । 5. नकदी के भुगतान में या प्रतिभूति की सुपुर्दगी में चूक करने को गंभीरतापूर्वक लिया जायेगा और वह समय-समय पर यथा संशोधित आरबीआई परिपत्र आइडीएमडी.डीओडी.17/11.01.01(बी)/2010-11 दिनांक 14 जुलाई 2010 में यथा निर्धारित दंडात्मक उपायों के अधीन होगा । रिज़र्व बैंक विनियामक दिशा-निर्देशों के उल्लंघन/परिवंचना (circumvention) के लिए एसजीएल खाताधारक को रेपो बाजार से अस्थायी या स्थायी रूप से बहिष्कृत करने सहित कोई ऐसी कार्रवाई भी कर सकता है, जिसे वह उचित समझे या रिज़र्व बैंक यह समझे कि प्रतिष्ठान ने चालबाजी से बाजार को प्रभावित करने का प्रयास किया है, बाजार का दुरुपयोग करने में शामिल है या उसने ऐसी जानकारी दी, जो गलत, अयथार्थ और अधूरी थी । 6. ये दिशा-निर्देश काउंटरपार्टी के रूप में रिज़र्व बैंक के साथ किये गये रेपो लेनदेनों पर लागू नहीं होते हैं । 7. सभी पात्र प्रतिष्ठानों को उनके अपने-अपने विनियामकों द्वारा रेपो लेन देनों के लिए समय-समय पर निर्धारित विवेकपूर्ण दिशा-निर्देशों का भी पालन करना होगा । पूर्वोक्त परिपत्र और उसके परवर्ती संशोधनों में विनिर्दिष्ट अन्य सभी शर्तें लागू होती रहेंगी । 8. उक्त संशोधित दिशा-निर्देश 16 फरवरी 2015 से प्रभावी होंगे । दिशा-निर्देशों की समय-समय पर समीक्षा की जायेगी, ताकि इसके उपांतरणों और निरंतरता पर विचार किया जा सके, जैसा उपयुक्त हो । भवदीय, (डंपल भांडिया) |