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विदेशी कंपनी (एंटिटी) के संपर्क कार्यालय/शाखा कार्यालय/परियोजना कार्यालय की परिसंपत्तियों (assets) का भारत में या तो उसकी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी (WOS)/संयुक्त उद्यम (JV)/अथवा अन्य को अंतरण – प्राधिकृत व्यापारी बैंकों को अधिकारों का प्रत्यायोजन

भारिबैंक/2013-14/640
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 142

12 जून 2014

सभी श्रेणी-। प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय,

विदेशी कंपनी (एंटिटी) के संपर्क कार्यालय/शाखा कार्यालय/परियोजना कार्यालय की परिसंपत्तियों
(assets) का भारत में या तो उसकी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी (WOS)/संयुक्त उद्यम
(JV)/अथवा अन्य को अंतरण – प्राधिकृत व्यापारी बैंकों को अधिकारों का प्रत्यायोजन

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान 1 मार्च 2012 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 88 की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसके अनुसार विदेशी एंटिटी को अपने संपर्क कार्यालय/शाखा कार्यालय की परिसंपत्तियों को अपनी सहायक कंपनियों अथवा अन्य संपर्क कार्यालय/शाखा कार्यालय अथवा किसी अन्य एंटिटी को अंतरित करने से पूर्व भारतीय रिज़र्व बैंक से अनुमति लेनी अपेक्षित है।

संप्रति संपर्क कार्यालय/शाखा कार्यालय के खातों को बंद करने और अधिशेष को प्रत्यावर्तित करने की अनुमति देने के अधिकार प्राधिकृत व्यापारियों में प्रत्यायोजित हैं, बशर्ते 30 दिसंबर 2009 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 24 की अपेक्षानुसार उक्त कार्यालयों को बंद करने के संबंध में दस्तावेज प्रस्तुत किए गए हों। परियोजना कार्यालयों को खोलने और बंद करने से संबंधित ब्योरे 15 नवंबर 2003 के परिपत्र सं. 37 में दिए गए हैं। संपर्क कार्यालय/शाखा कार्यालय/परियोजना कार्यालय के बंद करने की प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि संपर्क कार्यालय/शाखा कार्यालय/परियोजना कार्यालय की परिसंपत्तियों के अंतरण हेतु अनुमति देने के अधिकार, निम्नलिखित विनिर्देशनों के अनुपालन के अधीन, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों में प्रत्यायोजित किए जाएं।

ए) केवल उन संपर्क कार्यालयों/शाखा कार्यालयों के ऐसे प्रस्तावों पर विचार किया जाएगा जो 30 दिसंबर 2009 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 23 एवं 24 में निर्धारित परिचालनात्मक दिशानिर्देशों यथा (i) नियमित वार्षिक अंतराल पर एएसी (चालू वित्त वर्ष तक) का प्रस्तुतीकरण जिसकी प्रतियां डीजीआईटी (अंतर्राष्ट्रीय कराधान) को परांकित की जाती हों और (ii) आयकर प्राधिकारियों से पैन नंबर प्राप्त किया गया हो तथा कंपनी अधिनियम, 1956 के अंतर्गत कंपनी रजिस्ट्रार के पास पंजीयन कराया गया हो, का अनुपालन करते हैं। इसी प्रकार परियोजना कार्यालय से प्राप्त प्रस्ताव के मामले में प्रारंभिक रिपोर्टिंग अपेक्षाओं (पैरा 2.3) और परियोजना की स्थिति दर्शाने वाली सनदी लेखाकार द्वारा प्रमाणित वार्षिक रिपोर्ट के प्रस्तुतीकरण (पैरा 2.4) संबंधी 17 मई 2005 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 44 द्वारा जारी दिशानिर्देशों का अनुपालन किया गया हो।

बी) सांविधिक लेखापरीक्षक से प्राप्त प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया जाए जिसमें अंतरित की जाने वाली परिसंपत्तियों के ब्योरे में परिसंपत्ति के अर्जन की तारीख, मूल कीमत, संबंधित दिनांक तक मूल्य ह्रास, वर्तमान बही मूल्य अथवा अवलिखित मूल्य (WDV) और बिक्रय प्रतिफल को शामिल किया गया हो। सांविधिक लेखापरीक्षक द्वारा यह पुष्टि भी की जाए कि परिसंपत्तियों के प्रारंभिक अर्जन के बाद से उनका पुनर्मूल्यन नहीं किया गया है। प्रत्येक मामले में बिक्रय प्रतिफल, बही मूल्य से अधिक नहीं होना चाहिए।

सी) संपर्क कार्यालय/शाखा कार्यालय/परियोजना कार्यालय द्वारा परिसंपत्तियों का अर्जन आवक विप्रेषण से हुआ हो और गुड-विल, परिचालन पूर्व व्यय जैसी अगोचर (intangible) परिसंपत्तियों को उसमें शामिल न किया जाए। प्राधिकृत व्यापारी बैंकों को यह जांचना और सुनिश्चित करना चाहिए कि संपर्क कार्यालय/शाखा कार्यालय द्वारा लीज्ड होल्ड में किए गए सुधारों पर हुए राजस्व व्यय को पूंजीकृत न किया गया हो और उसे संयुक्त उद्यम/पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी को अंतरित न किया जाए।

डी) प्राधिकृत व्यापारी बैंक को परिसंपत्तियों को अंतरित करने की अनुमति देते समय यह सुनिश्चित करना चाहिए कि तत्संबंध में लागू सभी करों के भुगतान किए गए हों।

ई) प्राधिकृत व्यापारी बैंक को परिसंपत्तियों के अंतरण की अनुमति केवल तभी देनी चाहिए जब विदेशी एंटिटी भारत स्थित अपने शाखा कार्यालय/संपर्क कार्यालय/परियोजना कार्यालय के परिचालन को बंद करने का इरादा रखती हो। उसके बाद प्राधिकृत व्यापारी बैंक 30 दिसंबर 2009 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 24 के पैरा 5 (iii) में किए गए विनिर्देशन के अनुसार संपर्क कार्यालय/शाखा कार्यालय और 15 नवंबर 2003 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 37 के पैरा 5 में किए गए विनिर्देशन के अनुसार परियोजना कार्यालय का बंद करना सुनिश्चित कराएं।

एफ) ऐसी परिसंपत्तियों के अंतरण के कारण शाखा कार्यालय/संपर्क कार्यालय/परियोजना कार्यालय के बैंक खाते में जमा हुई राशि को अनुमत जमा माना जाएगा।

जी) संबंधित दस्तावेजों को अपने लेखापरीक्षकों और भारतीय रिज़र्व बैंक के लेखापरीक्षकों द्वारा जांच के लिए अलग से सुरक्षित रखा जाए।

2. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत कराएं।

3. 30 मई 2014 के जीएसआर सं.372(ई) के मार्फत 24 मई 2014 की अधिसूचना सं. फेमा. 295/2014-आरबी के जरिए विदेशी मुद्रा प्रबंध (शाखा अथवा कार्यालय अथवा अन्य कारोबारी कार्यालय की भारत में स्थापना) विनियमावली, 2000 में आवश्यक संशोधन किए गए हैं।

4. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं ।

भवदीय,

(सी.डी.श्रीनिवासन)
मुख्य महाप्रबंधक

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