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केवाईसी का अद्यतन /आवधिक अद्यतन किया जाना - संशोधित अनुदेश

आरबीआई/2025-26/53
विवि.एएमएल.आरईसी. 31/14.01.001/2025-26

12 जून, 2025

सभी विनियमित संस्थाओं के अध्यक्ष/सीईओ

महोदय/महोदया,

केवाईसी का अद्यतन /आवधिक अद्यतन किया जाना - संशोधित अनुदेश

कृपया 25 फरवरी, 2016 के मास्टर निदेश - अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) निदेश, 2016  (समय-समय पर यथा-संशोधित) के पैराग्राफ 38 में दिए गए केवाईसी के अद्यतन/आवधिक अद्यतन पर अनुदेशों का संदर्भ लें।

2. रिज़र्व बैंक द्वारा डीबीटी और/अथवा छात्रवृत्ति राशि (डीबीटी/ईबीटी/छात्रवृत्ति लाभार्थियों) जमा करने की सुविधा हेतु सरकारी योजनाओं के अंतर्गत प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी)/इलेक्ट्रॉनिक लाभ अंतरण (ईबीटी) के लिए खोले गए खातों और पीएमजेडीवाई के तहत खोले गए खातों सहित केवाईसी के आवधिक अद्यतनीकरण के बड़ी संख्या में मामलें लंबित पाए गए हैं।

3. ग्राहकों की सुविधा के लिए प्रक्रिया को और अधिक आसान करने हेतु, केवाईसी का  अद्यतन /आवधिक अद्यतन से संबंधित अनुदेशों को भारतीय रिज़र्व बैंक (अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी)) (संशोधन) निदेश, 2025  के तहत संशोधित किया गया है, जिसका उद्देश्य अन्य बातों के साथ-साथ, बीसी को केवाईसी अद्यतन की प्रक्रिया में सुविधा प्रदान करने की अनुमति देना है।   निष्क्रिय खातों और अदावी जमाराशियों से संबंधित इसी तरह के संशोधन 12 जून, 2025 के परिपत्र विवि.एसओजी(एलईजी).आरईसी/32/09.08.024/2025-26  के माध्यम से किए गए हैं।

4. इसके अलावा, बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे विशेष रूप से ग्रामीण और अर्ध शहरी शाखाओं में केवाईसी का आवधिक अद्यतन एवं जिन शाखाओं में केवाईसी के आवधिक अद्यतन संबंधी मामलें लंबित है उन शाखाओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए विशेष कैंप सहित शिविर आयोजित करें और गहन अभियान चलाएं। बैंक भी  2 दिसंबर, 2024 के परिपत्र डीओएस.केंका.पीपीजी.एसईसी. 12/11.01.005/2024-25  में किए गए उल्लेख के अनुसार सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण अपनाकर ऐसे खातों को सक्रिय करने की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाएं।

5. यह सूचित किया जाता है कि पिछले कुछ वर्षों में, ग्राहक ऑनबोर्डिंग और ग्राहकों के केवाईसी  अद्यतन/आवधिक अद्यतन से संबद्ध अनुदेशों को सरल बनाया गया है और मास्टर निदेश में इनकी विस्तृत जानकारी दी गई है। ऐसे निदेशों का संक्षिप्त संकलन सुलभ संदर्भ के लिए अनुबंध में संलग्न किया गया है।

भवदीया,

(उषा जानकीरामन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


अनुबंध

(परिपत्र संदर्भ.  विवि.एएमएल.आरईसी.31/14.01.001/2025-26, दिनांक 12 जून 2025 केवाईसी के अद्यतन/आवधिक अद्यतन पर- संशोधित निदेश)

मास्टर निदेश-अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) निदेश, 2016 दिनांक 25 फरवरी, 2016 (समय-समय पर यथासंशोधित) बैंकों सहित विनियमित संस्थाओं (आरई) को निदेश देता है कि ग्राहकों का केवाईसी पहचानकर्ता खाता-आधारित संबंध स्थापित करने अथवा ग्राहकों की पहचान के सत्यापन हेतु पहला संदर्भ बिंदु होगा। तदनुसार, ग्राहक को ऑनबोर्डिंग करते समय आरई ग्राहक की सहमति से सीकेवाईसीआर से ग्राहकों के केवाईसी रिकॉर्ड ऑनलाइन डाउनलोड करेंगे, बगैर उसका/उसके वही रिकॉर्ड पुन: जमा करने की आवश्यकता के, जब तक कि सीकेवाईसीआर के पास उपलब्ध रिकॉर्ड में कोई बदलाव न हो।

ग्राहक को ऑनबोर्ड और केवाईसी के अद्यतन/आवधिक अद्यतन करने की प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया है और यह नीचे दिए जा रहे हैं:

. ग्राहक को ऑनबोर्ड करने के लिए आमने-सामने की विधि

  1. ग्राहक को आधार बायोमेट्रिक आधारित ई-केवाईसी प्रमाणीकरण द्वारा आमने-सामने विधि में ऑनबोर्ड किया जा सकता है और ऐसे मामले में, यदि ग्राहक यूआईडीएआई डेटाबेस (अर्थात, केंद्रीय पहचान डेटा रिपोजि़टरी) में उपलब्ध पहचान जानकारी के अनुसार पते से अलग वर्तमान पता प्रदान करना चाहता है, तो वह आरई को इस आशय का एक स्व-घोषणा दे सकता है (केवाईसी पर मास्टर निदेश के पैराग्राफ 16 देखें)।

  2. इसके अतिरिक्‍त, ग्राहक को ऑनबोर्डिंग के लिए डिजिटल केवाईसी प्रक्रिया की भी अनुमति है।

बी. ग्राहको की अप्रत्‍यक्ष ऑनबोर्डिंग (एनएफटीएफ) की विधि

  1. एनएफटीएफ विधि में ग्राहक की सहमति-आधारित ऑनबोर्डिंग आधार ओटीपी आधारित ई-केवाईसी प्रमाणीकरण का उपयोग करके की जा सकती है जो कुछ शर्तों के अधीन है (केवाईसी पर मास्टर निदेश  के पैराग्राफ 17 देखें)। इसके अतिरिक्‍त, ऐसे खाते को सख्त निगरानी में रखा जाएगा और ग्राहक समुचित सावधानी(सीडीडी) प्रक्रिया एक वर्ष के भीतर पूरी की जाएगी।

  2. केवाईसी पहचानकर्ता, समकक्ष ई-दस्तावेज, डिजिलॉकर द्वारा जारी किए गए दस्तावेजों जैसे डिजिटल तरीकों का उपयोग करके एनएफटीएफ मोड में ग्राहक ऑनबोर्डिंग और गैर-डिजिटल तरीके जैसे कि एनआरआई और पीआईओ के लिए अनुमत अतिरिक्त प्रमाणन प्राधिकरणों द्वारा प्रमाणित ओवीडी की प्रति प्राप्त करना कुछ शर्तों के अधीन हैं (केवाईसी पर मास्टर निदेश  के पैराग्राफ 40 देखें)।

सी. वीडियो आधारित ग्राहक पहचान प्रक्रिया (वी-सीआईपी) का उपयोग करके ग्राहक ऑनबोर्डिंग

 

  1. वी-सीआईपी, सीडीडी की एक वैकल्पिक व्‍यवस्‍था है, जिसमें आरई के एक अधिकृत अधिकारी द्वारा ग्राहक के साथ निर्बाध, सुरक्षित, सीधे, सूचित और सहमति आधारित दृश्य-श्रव्य बातचीत करके सीडीडी उद्देश्य के लिए आवश्यक पहचान जानकारी प्राप्त की जाती है (केवाईसी पर मास्टर निदेश  के पैराग्राफ 18 देखें)।

  2. वी-सीआईपी को आमने-सामने ऑनबोर्डिंग के समान माना जाता है।

डी. केवाईसी के अद्यतन और आवधिक अद्यतन की सरलीकृत प्रक्रिया

  1. स्व-घोषणा- आरई को डिजिटल और गैर-डिजिटल तरीकों, ग्राहक के आरई के साथ पंजीकृत ईमेल / मोबाइल नंबर, एटीएम, डिजिटल चैनलों (जैसे ऑनलाइन बैंकिंग / इंटरनेट बैंकिंग, आरई के मोबाइल एप्लिकेशन), पत्र, बीसी आदि का उपयोग करके ग्राहकों से "केवाईसी जानकारी में कोई बदलाव नहीं" अथवा "केवल पते के विवरण में बदलाव" के बारे में स्व-घोषणा प्राप्त करने की अनुमति है,

  2. आरई, जिसके साथ ग्राहक खाता रखता है, की किसी भी शाखा में केवाईसी रिकॉर्ड को अद्यतन/आवधिक अद्यतन किए जाने की अनुमति है।

  3. केवाईसी के अद्यतन / आवधिक अद्यतन के उद्देश्य से आधार ओटीपी आधारित ई-केवाईसी और वी-सीआईपी की अनुमति है।

  4. आरई को सीकेवाईसीआर से प्राप्त अद्यतन अधिसूचना के आधार पर ग्राहकों की केवाईसी जानकारी / रिकॉर्ड अपडेट करने का निदेश दिया गया है।

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