बैंकों में निष्क्रिय खाते/अदावी जमाराशियां -संशोधित अनुदेश (संशोधन) 2025
भारिबैं/2025-26/52 12 जून 2025 सभी वाणिज्यिक बैंक (आरआरबी सहित) और सभी सहकारी बैंक बैंकों में निष्क्रिय खाते/अदावी जमाराशियां -संशोधित अनुदेश (संशोधन) 2025 दिनांक 1 जनवरी 2024 के परिपत्र विवि.एसओजी(एलईजी).आरईसी /64/09.08.024/2023-24 (जिसे आगे वर्तमान अनुदेश कहा जाएगा) द्वारा जारी अनुदेशों के अनुसार, बैंकों के किसी भी जमा खाते में जमा (क्रेडिट) शेष, जिनका दस वर्ष अथवा इससे अधिक अवधि से परिचालन नहीं किया गया है, अथवा "जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता" (डीईए) निधि योजना 2014 के पैराग्राफ 3 (iii) में किए गए उल्लेख के अनुसार कोई ऐसी राशि जो दस वर्ष अथवा इससे अधिक समय से अदावाकृत है उसे बैंकों को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा संचालित डीईए निधि में अंतरित करना आवश्यक है। इसके लिए केवाईसी अद्यतन करने हेतु कारोबार प्रतिनिधियों को सक्षम किया जाना अपेक्षित है। 2. तदनुसार, बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 35ए के साथ पठित उक्त अधिनियम की धारा 26ए, 51 और 56 तथा इस अधिनियम के अन्य सभी प्रावधान अथवा कोई अन्य कानून जो भारतीय रिज़र्व बैंक को इस संबंध में अनुदेश जारी करने के लिए सक्षम बनाता हैं, उसके द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए वर्तमान अनुदेशों को संशोधित करने के लिए यह अनुदेश जारी किए जा रहे हैं, जिनका विवरण नीचे दिया गया है। 3. (i) इन अनुदेशों को बैंकों में निष्क्रिय खाते/ अदावी जमाराशियां – संशोधित अनुदेश (संशोधन) 2025 कहा जाएगा। 4. वर्तमान अनुदेशों में, पैराग्राफ 6.1 को एतदद्वारा निम्नलिखित स्थानापन्न किया जाता है, अर्थात: “6.1 बैंक द्वारा सभी शाखाओं (गैर-घरेलू शाखाओं सहित) में निष्क्रिय खातों और अदावी जमाराशियों को सक्रिय करने के लिए केवाईसी अद्यतन करने की सुविधा उपलब्ध करायी जाएगी। इसके अलावा, बैंक द्वारा निष्क्रिय खातों और अदावी जमाराशियों का वीडियो-ग्राहक पहचान प्रक्रिया (वी-सीआईपी) के माध्यम से केवाईसी अद्यतन करने की सुविधा प्रदान करने का प्रयास किया जाएगा। दिनांक 25 फरवरी 2016 के मास्टर निदेश – अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) निदेश 2016 (समय-समय पर अद्यतन) के अंतर्गत वी-सीआईपी से संबंधित अनुदेशों का बैंक द्वारा पालन किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, उपर्युक्त मास्टर निदेश के पैरा 38(ए)(iiए) में निर्धारित किए गए अनुसार, बैंक के प्राधिकृत कारोबार प्रतिनिधि की सेवाओं का उपयोग निष्क्रिय खातों को सक्रिय करने के लिए किया जा सकता है।” भवदीया (उषा जानकीरामन) |
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